Vikas singh Geography for Civil Services

शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पियेगा वह दहाड़ेगा।

Indian Geography by Vikas | Lecture-12 | For all Competitive Exams | RiseUp Academy 04/05/2024

https://www.youtube.com/live/9bqRLrqkYfw?si=d1Sz6EPrv48Vbwee
Indian geography की आज की क्लास में हम लोग गंगा तंत्र को complete करेंगे तो आज की क्लास बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है तो 12 बजे आप सभी साथी जुड़ना न भूले और साथ ही इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

Indian Geography by Vikas | Lecture-12 | For all Competitive Exams | RiseUp Academy After pathbreaking success in civil services and with the visionary outlook of the Director - IQRA IAS & on huge demand of one-day exam aspirants, IQRA IAS h...

Indian Geography by Vikas Sir | Lecture-11 | For all Competitive Exams | RiseUp Academy 03/05/2024

https://www.youtube.com/live/dU3lBRUeODY?si=o6E_jQaJJOgcptWH
आप सभी जो वन डे एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए indian geography की क्लास daily 12 बजे लाइव कराई जाती है तो आप सब घर बैठे अपनी तैयारी को बेहतर कर सकते है

Indian Geography by Vikas Sir | Lecture-11 | For all Competitive Exams | RiseUp Academy After pathbreaking success in civil services and with the visionary outlook of the Director - IQRA IAS & on huge demand of one-day exam aspirants, IQRA IAS h...

कैसे अंग्रेजों ने सती प्रथा को हथियार बनाकर ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार किया।Vikas Sir।RiseUp Academy 13/04/2024

https://youtu.be/WYGJFtc9eZA?si=YejcSqMWnfAC47vp
कैसे सती प्रथा को हथियार बनाकर अंग्रेजो ने भारत में ईसाई धर्म का प्रचार किया और बाद में फिर महान भी बन गए।

कैसे अंग्रेजों ने सती प्रथा को हथियार बनाकर ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार किया।Vikas Sir।RiseUp Academy

कैसे हुई सती प्रथा की शुरुआत? आधुनिक भारत में सती प्रथा से जुड़े केस | Vikas Sir | RiseUp Academy 09/04/2024

https://youtu.be/U6PvUfyvZQw?si=tyTa96FTsJQeXOaD

कैसे हुई सती प्रथा की शुरुआत? आधुनिक भारत में सती प्रथा से जुड़े केस | Vikas Sir | RiseUp Academy After pathbreaking success in civil services and with the visionary outlook of the Director - IQRA IAS & on huge demand of one-day exam aspirants, IQRA IAS h...

09/04/2024

बीसवीं शताब्दी के अंत में सती प्रथा से जुड़ा एक मामला राजस्थान कोर्ट में पहुंचा जिसे रूप कंवर केस के नाम से जाना गया ।यह घटना 1987 की है राजस्थान के सीकर जिला के एक छोटे से गांव देवराला की लड़की जिसका नाम रूप कंवर है उसका महज 18 साल की उम्र में माल सिंह नामक व्यक्ति से विवाह हो जाता है । उनका वैवाहिक जीवन सुख शांति से चल ही रहा था की अचानक किसी की बुरी नजर गई महज 8 महीने के भीतर माल सिंह की मृत्य हो गई। एक तरफ माल सिंह की अंतिम तिथि की तैयारी चल रही है और दूसरी तरफ रूपकंवर दुल्हन के भेष में सज रही है । यह खबर आग की तरह पूरे इलाके में फैल जाती है लोगों का जमावड़ा शुरू हो जाता है इसी बीच रूपकंवर दुल्हन के भेष में अपने पति की चिता के सामने आती है और सभी के समक्ष उसे उसके पति के साथ अग्नि में प्रवेश करा दिया जाता है और अपनी पति की चिता के साथ रूपकंवर भी जलकर खाक हो जाती है और आग के सामने खड़ी भीड़ निर्मम होकर इस घटना को देखती है परन्तु किसी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई। बीसवीं सदी में जब लोग अपने आपको सभ्यता का परिचय देते है उस समय उन्हीं के सामने इस घटना को अंजाम दिया गया और किसी ने आवाज न उठाकर समस्त मनुष्य जाति की हत्या कर दी। अब प्रश्न ये उठता है कि ये सती प्रथा की शुरुआत कहां से हुई? सती शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द सत्य से हुई है जिसका अर्थ loyal and truthfull wife होता है।सती का सर्वप्रथम उदाहरण भगवान शिव की पत्नी उमा के द्वारा अपने पिता प्रजापति दक्ष के द्वारा शिव का अपमान करने से क्रोध में आकर अपने तप से अपने आपको भस्म कर लेती है पुराणों में इसे सती का रूप माना गया परन्तु इतिहासकार इस घटना को सत्य नहीं मानते ।कालांतर में वैदिक युग की शुरुआत होती है फिर उत्तर वैदिक युग को चुनौती देने के लिए बुद्ध धर्म और जैन धर्म का आगमन होता है परन्तु सती प्रथा का कही भी उल्लेख नहीं मिलता ।समय बीतता है मौर्यकाल में मेगास्थनीज चीनी यात्री भारत आता है उसने अपनी पुस्तक इंडिका में कही भी भारत में सती प्रथा का उल्लेख नहीं करता ।कालांतर में गुप्त काल में सती प्रथा का पहला उल्लेख एरन अभिलेख में भानुगुप्त की पत्नी द्वारा सती प्रथा का पालन करने का उदाहरण मिलता है। इसके कालांतर में सती प्रथा के और भी उदाहरण देखने को मिलते है । बारहवीं सदी में अलबरूनी भारत आता है वह लिखता है कि भारत में सती प्रथा मौजूद है परन्तु महिलाए इसे करने के लिए स्वतंत्र है । कालांतर में मोरक्को का यात्री इब्नबबूता भारत आता है वह लिखता है की भारत में सती प्रथा की गति समाज में इस्लाम के उदय और भारत में प्रवेश से बढ़ा इसका उदाहरण 712 में किए गए मुहम्मद बिन कासिम का सिंध पर आक्रमण जिसमें सिंध के राजा दाहिर की मृत्यु के पश्चात उनकी तीनों पत्नियों में रानी बाई द्वारा जाैहर करने का उदाहरण सामने आता है बाकी बची दो पत्नियों को मुहम्मद बिन कासिम अपने देश ले जाकर S*x Slave के लिए प्रयोग किया जाता है इस घटना ने भारत के समस्त महिलाओं के अंदर अपने सम्मान की सुरक्षा का भय बन गया और धीरे धीरे यह प्रथा राजपूतों से होते हुए अन्य वर्गो में सती प्रथा के रूप में फैल गई। कालांतर में ऐसा ही एक उदाहरण अलाउद्दीन खिलजी के कार्यकाल में रानी पद्मावती के द्वारा जाैहर किया जाने का विवरण प्राप्त होता है । कालांतर में विभिन्न शासकों द्वारा इसे रोकने का प्रयास किया गया जिसमें वे पूर्ण रूप से सफल न हो सके जिसमें सर्वप्रथम प्रयास मोहमद बिन तुगलक द्वारा की जाती है और आगे अकबर जहांगीर आदि शासकों द्वारा की जाती है ।मराठा सरदार शिवाजी ने स्वयं अपनी मां को सती होने से बचाया था । परन्तु कुछ ऐसे भी शासक हुए जो सती प्रथा का विरोध तो किया लेकिन खुद अपने घर के लोगो को न बचा पाए उनमें अहिल्याबाई का नाम आता है जो अपनी बेटी को सती होने से नहीं बचा पाई। कालांतर में राजा रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात उनके तीनों पत्नियों के द्वारा सती का पालन किया जाता है ।समय गुजरता है भारत में अंग्रेजो का आगमन होता है 1813 में ईसाई मिशनरी का प्रवेश होता है और भारत में ईसाई धर्म का प्रचार करने हेतु मैक्समूलर नामक अंग्रेज एक खेल खेलता है उसने वैदिक ग्रंथों का अध्ययन किया और उसने अपनी पुस्तक में लिखा की सती प्रथा का उल्लेख ऋग्वेद के एक श्लोक में है । ईसाई मिशनरी के आगमन के साथ भारत में शिक्षा के विकास हेतु प्रयास किए गए और इसके लिए लॉर्ड मैकाले को नियुक्त किया गया।एक तरफ नई शिक्षा और दूसरी तरफ मैक्समूलर का लिखा लेख इस प्रकार प्रस्तुत किया गया की भरता का पढ़ा लिखा अधिकांश वर्ग हिंदू धर्म को निकृष्ट समझने लगा और बड़े स्तर पर ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया । अंग्रेजो का यह धर्म का खेल बहुत हद तक कामयाब रहा परन्तु उन्हीं वर्गो में एक वर्ग धार्मिक आंदोलन की शुरुआत की जिनमें राजा राम मोहनराय का नाम आता है ।उन्होंने जब देखा की बड़ा वर्ग पश्चिमी सभ्यता की तरफ अग्रसर हो रहा है तो उन्होंने भारतीय ग्रंथों का अध्ययन किया जिसमें वेदों के साथ मनुस्मृति याज्ञवल्क्य स्मृति नारद स्मृति आदि सामिल है ।उन्होंने कही नहीं पाया की किसी भी ग्रंथ में सती प्रथा का उल्लेख है ।उन्होंने जनता को समझना शुरू किया और अंत में विलियम बैंटिंग की सहायता से 1829 में सती प्रथा कानून बनाकर इसे अवैध करार दिया गया ।एक तरफ अंग्रेजो ने स्वयं बीज बोया और भारतीयों का विश्वास जितने के लिए स्वयं ही इससे निजात पा लिया । परंतु क्या सच में यह अंग्रेजो की चाल ने यह फैलाया या यह पहले ही समाज में जबरदस्ती महिलाओ को सती प्रथा का पालन कराया जाता रहा आपको क्या लगता है आप सब अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

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