Aman Gaur Official
राजगोंड 🏹
अंतः अस्ति प्रारंभः 🚩
जय महर्षि कश्यप 🚩🚩 जय महाकाल 🚩🚩
गोंडवाना का राज्य चिन्ह :- (हाथी ऊपर शेर) #गजाशोडुम
आदिकाल से ही गोंडवाना का राज था। 🦁🐘🌾🌿🍀🚩
#52गढ़
😱😱
#भ्रष्ट_समाज
#वनरक्षक #सलाम यह कोई साधारण इंसान नही पहरेदार है हमारे जंगलों के जो दिन रात एक कर बिना खौफ , बिना पंखे ,बिना मनोरंजन व परिवार वालो से अलग रहकर सुरक्षित रखते है इन जंगलों को । हमारे वन रक्षक #वनरक्षक
कोई बोलना चाहता कोई इनके बारे में कुछ ❤
'Pushpa2 The Rule' में अल्लू अर्जुंन बने है गोंड कबीले की आदि शक्ति देवी🚩🚩
Note- सरक्का की मूर्ति को कन्नेपल्ली से मेदारम ले जाया जाता है। पगीदिड्डा राजू की मूर्ति को पूनु-गोंड-ला से मेदारम ले जाया जाता है।
सम्मक्का की चमत्कारिक शक्तियों के बारे में कई किंवदंतियाँ हैं। 13वीं शताब्दी की एक ट्राइबल किंवदंती के अनुसार, शिकार पर निकले कुछ कोया कबीले नेताओं को एक नवजात बालिका (सम्मक्का) मिली, जो प्रकाश में लिपटी हुई बाघों के बीच खेल रही थी। वे उसे कबीले के मुखिया के पास ले गए, जिन्होंने उसे गोद लिया और एक नेता के रूप में उसका पालन-पोषण किया। बाद में वह क्षेत्र के कोया कबीलों की रक्षक बनी। उनका विवाह कोया कबीले के मुखिया पगिडिडा राजू से हुआ। मेदाराम पर गोंड राजवंश के काकतीय गोत्र लोगों का शासन था 1000 ईस्वी से 1323 ईस्वी के बीच उनका मुख्यालय वारंगल शहर में था।
सम्मक्का की दो बेटियां और एक बेटा था, सरक्का उर्फ सरलम्मा, नागुलम्मा और जम्पन्ना। काकतीय गोंड राजा प्रतापरुद्र ने कोया कबीलों पर कर लगाया, जिसे वे चुका नहीं सके। परिणाम स्वरूप, गोंड राजा प्रतापरुद्र ने कोया कबीलों पर युद्ध की घोषणा कर दी। पगीदिड्डा राजू आगामी युद्ध में मारा गए, जिससे शोकाकुल सम्मक्का को अपनी बेटी सरलम्मा, अपने बेटे जम्पन्ना और अपने दामाद गोविंदा राजू के साथ युद्ध करने के लिए मजबूर होना पड़ा। जब सरलम्मा युद्ध में मर गई, तब सम्मक्का लगभग जीत ही चुकी थी। जम्पन्ना प्राणघातक रूप से घायल हो गए और खून से लथपथ होकर सम्पांगी वागु (धारा) में गिर गए। रक्त से धारा लाल हो गई थी, और जम्पन्ना के बलिदान के सम्मान में धारा का नाम बदलकर "जम्पन्ना वागु" रखा गया। व्याकुल, सम्मक्का चिलकला गुट्टा नामक एक पहाड़ी पर चली गई और कुमकुम पाउडर से भरे एक (कुमकुम भरणी) बर्तन में बदल गई। युद्ध के बाद, सम्मक्का और सरलम्मा को देवता बना दिया गया और हर 2 साल में एक बार उनके सम्मान में एक उत्सव का आयोजन किया गया। आज भी, तेलंगाना की कोया कबीले और भक्तों का मानना है कि सम्मक्का और सरलम्मा उनकी रक्षा के लिए भेजी गई
आदि पराशक्ति की अभिव्यक्तियाँ हैं। जतरा इस बलिदान का सम्मान करने के लिए एक उत्सव है। कुमकुमा जार मेदारम में लाया जाता है और लोग जम्पन्ना वागु में खुद को धोते हैं, इसके बाद सम्मक्का और सरलम्मा को गुड़ का प्रसाद चढ़ाया जाता है
गोंडवाना राजवंश का 11वीं शताब्दी में बनाया गया बालोद किला खंडहर, 128 कुओं वाला बूढ़ाताल #52गढ़ #राजगोंड #किला
क्या पत्रकार भी ऐसा सवाल कभी कर सकते है?
जय श्री राम
#राजा_संग्राम_शाह के नेतृत्व में #सेनापति_बघशेर_सिंह के साथ मात्र 100 राजगोंड सैनिकों ने गियासुद्दीन खिलजी मालवा शासक के 20,000 सुलतानी सेना को पराजित किया था।
#राजा_संग्राम_शाह #यदुराय ाह #राजगोंड #रामनगर_सिलालेख #राजगोंड #शाह
#गोंडवाना ौड़_पूर्वांचल
Gondwana VR Exhibition
महान गोंडवाना योद्धा, जय भवानी, जय महाकाल 🚩🚩
#52गढ़ #गोंडवाना #राजगोंड #रानी_दुर्गावती #यदुराय #राजा_संग्राम_शाह ाह #रामनगर_सिलालेख
िंह ने 11 AD में बनाया, मगर ये नए इतिहासकार मदन सिंह के दादा के दादा को 14 AD में पैदा कर रहे हैं। मध्य प्रदेश का इतिहाशिक विभाग में क्या गवारो की फौज हैं 🤬🤬🤬
गोंड राजाओ के 17वी सदी के दौरा बनायी गई वंशावली गलत, 15वी सदी के #मिश्र_ब्रामहण की वंशावली गलत #स्टीफन_फुश के ज़रिये लिखा इतिहाश गलत, हमारे #रामनगर_सिलालेख गलत, मगर जयपुर के अकबर के गुलाम मानसिंह की वंशावली सही जो भील राजाओ को धोखा से मारकर राजा बना वो सतयुगी राम का वंशज़ हैं, यहाँ सभी ठग इतिहासकारो के तर्क काम नही करते मगर गोंड राजा मदन सिंह का किला 11वी सदी का अभी भी मौजूद हैं और उनके पूर्वज #यदुराय को 1400 AD में पैदा हुआ बता रहे है। यहाँ इतिहासकार बाप को बेटे से कम उम्र का बता रहे हैं 🤔🤔
कोचिंग संस्थान वाले गुरु जी जो IAS की कोचिंग पढ़ा रहे हैं उनमें इतनी तर्कबुद्धि भी नही सभी 11 AD के मदन शाह के दादा के दादा य़ादवराय को 1400 AD का बता रहै हैं, क्या मजाक चल रहा हैं 🤬🤬
Source- यह सोर्श जबका हैं जब भारत का बिना लोज़िक वाला इतिहाशिक विभाग भी नही बना था
जर्नल ऑफ एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल, नं. 6, अगस्त 1837, पृष्ठ 621-47
आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया रिपोर्ट, 17, 1881-82, पृष्ठ 47-54 इसमें शासनावधि स्लीमेन से ली गई है।
रिपोर्ट आन दि लैंड रेवेन्यू सेटलमेंट ऑफ दि मण्डला डिस्ट्रिक्ट, 1868-69, पृष्ठ 13-19, इसमें शासनारोहण के वर्ष दिए गए हैं।
जय काल भेरव 🙏जय माँ कंकाली🙏
देश के पहले सर्जिकल स्ट्राइक (12 जुलाई 1947) के महानायक #उदयभान_सिंह #राजगोंड देश के पहले पायलट।
वैसे तो कांग्रेस ने देश के पहले पायलट का दर्जा राजीव गांधी को दिया हुआ है, ये कांग्रेस की स्वार्थपूर्ण राज़निती है, जबकि राजीव गाँधी के गुरु राज़गोंड उदयभान सिंह थे और राजा साहब ने ही राजीव गाँधी को पायलट उड़ाना सिखाया था तो राजीव गाँधी कैसे देश के पहले पायलट हुए? और राजीव गाँधी उनको हमेशा ' गुरु जी ' ही संबोधित करते रहे। आज पायलट डे है, तो आप बताये देश के पहले पायलट कौन हुए?
डच सेना की गोलीबारी में फंसे इंडोनेशियाई प्रधानमंत्री और प्रमुख नेताओं को उनके देश से सुरक्षित निकालकर दिल्ली लाना था। उनके इस मिशन को पूरा करने के लिए अपनी जान हथेली पर लेकर उड़ने वाले केवल तीन गैर सैनिक, लेकिन जांबाज पायलट उपलब्ध थे। उन तीन में से एक थे उदयभान सिंह राज़गोंड देश के पहले पायलट छत्तीसगढ़ के कैप्टन।
#राजगोंड #गोंडवाना #गोंड #गौड़ #उदयभान_सिंह_राजगोंड #52गढ़
1545 ई. में अफगान बादशाह शेरशाह सूरी इसी कालिंजर दुर्ग को जीतने के प्रयास में #रानी_दुर्गावती के पति ाह से युद्ध करते हुए मारा गया था। ये दुर्ग उत्तरप्रदेश के बांदा जिले में स्थित है।
आज #राजा_संग्राम_शाह की जयंती (जन्म 21 जनवरी 1457) पर विनम्र अभिवादन सेवा जोहार बावनगढ़ाधिपती राजे की जय हो। महान तांत्रिक और दार्शनिक राजा गोरखनाथ के पुत्र महान योद्धा भारतीय इतिहास के एक मात्र राज़गोंड महाराजे बाबनगढ़ाधिपति संग्राम शाह जी ज़िनके अभी भी लिखित में 52 गढ़ मौजूद है।
महान 52 गढ़ाधिपति के चेहरे पर वो दैविक ओज आँखों में विकरालता अलग ही दिखती है। इतिहास में लिखित है, की संग्राम शाह को देखते ही मांड़ू मालवा का बादशाह बाज बहादुर इनके तेज़स्वी विकराल रुप को देखकर युद्ध से भाग गया। और दुबारा हमला राजा के देहांत के बाद किया। जब रानी दुर्गावती का शासन था। लेकिन फिर भी बाजबहादुर को हार का सामना करना पड़ा। बाजबहादुर तो छोटी बात थी आस-पास के राजाओ में भी संग्राम शाह का इतना डर था, की जब तक जीवित रहे किसी ने भी इनके राज्य पर हमले नही किये।
जय माँ कली कंकाली दाई, जय महाकाल, जय गोंडवाना 🚩
#गौड़ #गोंड #राजगोंड #गोंडवाना #संग्राम_शाह िंह #रानी_दुर्गावती #सिंगौरगढ़ #राजा_संग्राम_शाह #52गढ़ #मध्यप्रदेश_इतिहास #इतिहास ाकाल
#राजा_संग्राम_शाह की राजधानी #सिंगौरगढ़ का अभेद किला, जहा गोंडवाना के चांदी सोना और पारस पत्थर अब भी मौजूद है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के दमोह जिले में सिंगौरगढ़ का ये किला स्थित है और ये गढ़ा साम्राज्य का पहाड़ी किला है। इस किले को #रानी_दुर्गावती का विवाह स्थल भी कहा जाता है। साल 1564 में जब रानी दुर्गावती का शासन काल था, तब मुगलों से युद्ध में इस किले की काफी अहम भूमिका रही। किले को इतनी मजबूती से बनाया गया है कि यहां कि सुरक्षा को भेद पाना मुगल शासकों के बस की बात नहीं थी। इसके पीछे दो वजह ये थी कि पहली इस किले के सामने पहाड़ सुरक्षा की दीवार बनकर खड़ा था, और दूसरा तहखानों से निकली खुरंग का अंतिम छोर रानी और उनकी सैनिक टुकड़ियों के अलावा किसी को नहीं पता था।
सिंगौरगढ़ जलाशय की प्राकृतिक सौंदर्यता भी देखते ही बनती है। इस सैकड़ों साल पुराने जलाशय में कभी पानी खत्म नहीं हुआ। इसको लेकर मान्यताएं हैं कि ये तालाब अपने अंदर कई अनेकों रहस्य समेटे हुए है। बताया जाता है कि इस तालाब के अंदर एक बावली बनी है, जहां पर स्वर्ण मुद्राओं का खजाना छिपे होने की बातें कही जाती हैं। यहां पानी कभी खत्म न होने की वजह से इस जलाशय के अंदर जाने के लाखों प्रयास असफल रहे और अब ये बावली भू गर्व में चली गई है।
कहा जाता है कि जिस किसी ने भी धन के लालच में यहां खुदाई करने की कोशिश की है, उसके साथ गलत हुआ है और कई लोग तो पागल तक हो गए हैं। यहां के स्थानीय बुजुर्ग लोग मानते हैं कि सिंगौरगढ़ जलाशय में रानी दुर्गावती के शासनकाल की स्वर्ण मुद्राएं समेत रानी का पारस पत्थर भी इस जलाशय के अंदर डाल दिया गया था।
स्थानीय लोग मानते हैं कि गौड़ राजाओं के राजकाज के समय तहखाने गुप्त सुरंग मार्ग सिंगौरगढ़ से सीधे मदन महल जबलपुर निकलता है। हालांकि, इन्हें पुरातत्व विभाग ने बंद कर दिया है, लेकिन अब भी इनके अवशेष यहां मौजूद हैं। यही नहीं, सैनिक टुकड़ियों के लिए किले की सुरक्षा के लिए 32 किलोमीटर दीवार यानी रास्ता आज भी सिंगौरगढ़ के किले से पर्वत श्रृंखलाओं तक पूरी तरह सुरक्षित बना हुआ है।
#गोंडवाना #राजा_संग्राम_शाह #52गढ़ #गोंड
#राजा_उदय_सिंह_मरावी के पूर्वज राजा मदन सिंह राजगोंड 1186 ई० में जबलपुर के चट्टानों पर एक सुदृढ़ किले का निर्माण कराए, जिसे का किला कहा जाता है। यह किला विश्व का सबसे सुरक्षित और सभी व्यवस्थाओं से परिपूर्ण अभेद्य किला माना जाता था। मदन महल के सामने का भाग नष्ट हो चुका है। राजा मदन सिंह ने गोंडवाना साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार भी किया। इन्ही के चौथे वंशज िंह_मरावी हुए। जिन्होंने मालवा के महाराजा #महालक्ष_देव (महालक देव) की सहायता भी किए थे।
डा. राणा के अनुसार सन 1291 में जब कड़ा और मानिकपुर के सूबेदार #अलाउद्दीन_खिलजी ने मालवा पर आक्रमण करने की योजना बनाई, तब राजा महलक देव ने राजा ऊदय सिंह राजगोंड से सहायता मांगी, राजा ऊदय सिंह ने अपने मंत्री विभूति पाठक से योजना बनाकर सहायता करने का वचन भी दिया। मालवा के मंत्री हरनंद (कोका) को ऊदय सिंह ने संदेश भेजा और राजगोंड सेना को लेकर धसान नदी के किनारे डेरा डाल दिया। वर्षा काल का समय था, अलाउद्दीन खिलजी की सेना जैसे ही नदी पार करने लगी तभी गोंडी सेना ने छापामार युद्ध शैली में जहरीले तीरों, अग्निबाण और लुकेत सांपों के बाणों से हमला बोल दिया। हमले से अलाउद्दीन खिलजी की सेना में खलबली मच गई। उसकी नावें डुबो दी गई और उसके शस्त्रागार में आग लगा दी गई। कुछ ही घंटों में अलाउद्दीन खिलजी की सेना पराजित हो गई। इस प्रकार #गोंडवाना सेना की विजय हुई और मालवा नरेश महालक्ष देव ने राजा ऊदय सिंह मरावी के प्रति आभार व्यक्त किए।
जय भवानी, जय महाकाल, जय गोंडवाना
#राजा_हट्टे_शाह द्वारा बनवाया गया हटा का #रंग_महल किला। जहा लगती था गोंडवाना साम्राज्य का सांस्कृतिक कार्यकर्म
हटा नगर को 13वी शाताब्दी में गोंड राजा हट्टे शाह जी बसाए थे। जिस कारण इसका नाम हटा पड़ा। जो दमोह ज़िले की सबसे बड़ी तहसील है। हटा तहसील गोंडवाना साम्राज्य के राजा संग्राम शाह के 52 गढ़ों में भी शामिल था जो महारानी #दुर्गावती के समय काल में भी रहा है। आज भी हटा नगर में देखने को मिलता है, कि #गोंडवाना साम्राज्य के कालीन में यह महल बहुत बड़ा वैभवशाली था, जिसे रंग महल के नाम से जाना जाता है। इतिहासकारों ने अपनी किताबों में दर्शाया है कि महल में पहले एक सुरंग थी जिसका सीधा महोबा के उत्तर प्रदेश में और यहां के दमोह जिले के #सिंगौरगढ़ तक जाता था। जिसे आज सिग्रामपुर के नाम से जाना जाता है। इस किले की सुरंग के माध्यम से महारानी दुर्गावती अपने सिंगौरगढ़ किले से सुरंग के द्वारा हटा पहुंच जाती थी ऐसा ही इतिहासकारों ने बताया है कि हटा के आगे 17 किमी मड़ियादो है। जहां पर आज भी गोंडवाना साम्राज्य के गढ़ किले बने हुए हैं। परतुं जिनका जीर्णोंधार होना आवश्यक है। हटा क्षेत्र बहुत जिले से घिरा हुआ है।पूर्व में पन्ना पश्चिमी में टीकमगढ़ उत्तर में छतरपुर दक्षिण में दमोह से जबलपुर तथा सागर टीकमगढ़ भी जाता है हटा से छतरपुर की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है आधार पन्ना की दूरी 120 किलोमीटर है, सागर 144 किलो मीटर दूर है। हटा शहर को उपकाशी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ के पर्यटक स्थल चडीं जी मंदिर,गौरी शंकर मंदिर, सांई मंदिर,रंग महल, सुनार नदी आदि हैं।
#गोंडवाना #संग्राम_शाह #राजगोंड #गोंड #गौड़ #संग्राम_सिंह #राजा_हट्टे_शाह #गोंडवाना_किला #52गढ़ #गोंड_राजा
#राजा_मदन_सिंह द्वारा बनवाया गया किला मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर नगर में स्थित है। यह उन शासकों के अस्तित्व का साक्षी है, जिन्होंने यहाँ 11वीं शताब्दी में काफ़ी समय के लिए शासन किया था। यह किला शहर से क़रीब दो किमी दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।
ज़मीन से लगभग 500 मीटर की ऊँचाई पर बने इस मदन महल की पहाड़ी काफी पुरानी मानी जाती है। इसी पहाड़ी पर गौंड़ राजा मदन सिंह द्वारा एक चौकी बनवायी गई। इस किले की ईमारत को सेना अवलोकन पोस्ट के रूप में भी इस्तमाल किया जाता रहा है। इस इमारत की बनावट में अनेक छोटे-छोटे कमरों को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ रहने वाले शासक के साथ सेना भी रहती होगी। शायद इस भवन में दो खण्ड थे। इसमें एक आंगन था और अब आंगन के केवल दो ओर कमरे बचे हैं। छत की छपाई में सुन्दर चित्रकारी है। यह छत फलक युक्त वर्गाकार स्तम्भों पर आश्रित है। माना जाता है, इस महल में कई गुप्त सुरंगे भी हैं जो जबलपुर के 1000 AD में बने '६४ योगिनी 'मंदिर से जोड़ती हैं।
यह 34th गोंड राजा मदन सिंह का आराम गृह भी माना जाता है। यह अत्यन्त साधारण भवन है। परन्तु उस समय इस राज्य कि वैभवता बहुत थी। आगे चलकर 48th राजा इन्ही के वंशज बावनगढ़ाधिपति राजा संग्राम शाह द्वारा 52 गढ़ पर विजय प्राप्त किया गया। 1564 में रानी दुर्गावती के देहांत के बाद यहां मुगलों का कब्जा हो गया, और इस परकार पूरा खजाना मुग़ल शासकों ने लूट लिया था।
गढ़ा-मंडला में आज भी एक दोहा प्रचलित है -
मदन महल की छाँव में, दो टोंगों के बीच।
जमा गड़ी नौं लाख की, दो सोने की ईंट।
यह भवन अब भारतीय पुरातत्व संस्थान की देख रेख में है।
#राजा_संग्राम_शाह के 52 गढ़ों में से एक #राहतगढ़_किला जहा 1857 में सारे #क्रांतिकारी आकर जमा हुए थे।
राहतगढ़ किला में पहले डांगी वंश चंदेल का शासन था। इनके बाद राहतगढ़ किले में गोंड राजा #संग्राम_सिंह का शासन हुआ। राहतगढ़ किला राजा संग्राम शाह के 52 गढ़ों में से एक था। #महारानी_दुर्गावती एवं उनके पुत्र वीर नारायण की मृत्यु के बाद, यह किला #गोंड_राजा #चंद्र_शाह को मिल गया। उसके बाद राजा चंद्र शाह ने यह किला मुगल सम्राट अकबर को दे दिया। उसके बाद यह किला #भोपाल के नवाब के कब्जे में आ गया। फिर राहतगढ़ किले को मुगल साम्राज्य से #सिंधिया घराने ने छीन लिया और अपने राज्य में मिला लिया।
1857 की क्रांति के समय यह किला #अंग्रेज के द्वारा छीन लिया गया। 1857 की क्रांति में सारे क्रांतिकारी आकर इस किले में जमा हुए थे। तब अंग्रेज अफसर #ह्यूरोज ने इस किले को घेर लिया और उन्होंने अपने आधुनिक हथियारों से किले में स्थित जलाशयों और कुओं को अपना निशाना बनाया और उनमें तोप के गोले बरसाए, जिससे जलाशयों का पानी जहरीला हो गया और जो भी यहां #क्रांतिकारी जमा हुए थे। वह प्यासे के मारे व्याकुल हो गए और वह किले से निकालकर नदी की तरफ भागे, जिसके कारण अंग्रेज सैनिकों ने इस किले में कब्जा कर लिया। इसके बाद यह किला अंग्रेज सरकार के हाथ में रहा।
इस किले की बनावट सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। किले की बाहरी दीवारों के साथ सुरक्षा चौकियों के अवशेष भी दिखाई देते हैं। पहाड़ी बहुत ऊंची है और किले की बनावट ऐसी है कि आक्रमणकारियों पर दूर से ही निशाना लगाया जा सकता है। किला ऊंची चहारदीवारी से घिरा है जिसमें सुरक्षा चौकियां बनी हैं। किले के दक्षिण किनारा बीना नदी की खाई से लगा हुआ है। इस खाई से होकर किले में प्रवेश कर पाना असंभव सा है।
राहतगढ़ का किला #मध्य_प्रदेश का एक प्रसिद्ध किला है। यह किला #सागर जिला के राहतगढ़ तहसील में स्थित है। सागर से राहतगढ़ की दूरी 30 किलोमीटर है और भोपाल से राहतगढ़ की दूरी करीब 110 किलोमीटर है...
नीरज सिंह चौहान, भोपाल
एक नया मुकाम
#गढ़ा_मंडला के दौलत का हिसाब #अकबर भी नहीं कर पाया।
#राजगोंड #गोंड #गोंडवाना #गौड़ #संग्राम_शाह #इतिहास #रानी_दुर्गावती #ठाकुर_चैन_सिंह_मरकाम #शंकर_शाह
#अकबरनामा #गढ़ा_इतिहास #गढ़मंडला #इतिहास #चंद्रशाह
छत्तीसगढ़ का किला, गोंडवाना साम्राज्य
#राजगोंड #गोंड #गोंडवाना #गौड़ #संग्राम_शाह #इतिहास #रानी_दुर्गावती #ठाकुर_चैन_सिंह_मरकाम #शंकर_शाह
#गोंडवाना के निगरी (सीधी सिंगरौली) के महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी, वीर योद्धा, #ठाकुर_चैन_सिंह_मरकाम जी के बलिदान दिवस पर शत् शत् नमन..
ठाकुर चैन सिंह मरकाम निगरी (सिंगरौली) के बहादुर, होनहार, प्रतापी गोंड राजा थे। गौरतलब है कि ग्राम निगरी का एक हजार वर्ष का इतिहास है, जिसमें ठाकुर चैन सिंह मरकाम जी ने दुश्मनों से शानदार लड़ाई लड़े। उनका सिर कटने के बाद भी कई दुश्मनों को सदा के लिये सुला दिये और विजय प्राप्त कर अमर शहीद हुये। बता दें कि ी को प्रतिवर्ष शहादत दिवस, ग्राम सभा निगरी में ठाकुर चैन सिंह मरकाम समाधि स्थान पर मनाया जाता है।
*आवश्यक सूचना*
*ऐसे किसी भी लड़के/लड़की के माता/पिता या दोनो मे से किसी एक की भी मृत्यु (01/03/2020) के बाद हुआ है और उनके किसी भी बच्चों की उम्र 18 वर्ष के अन्दर है तो ऐसे परिवार के कम से कम किन्ही 2 बच्चों को (मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना) के तहत प्रत्येक को (2500) रूपये की धनराशी प्रतिमाह मिलेगा, इस योजना का लाभ उन सभी जरूरतमंद लोगो को दिलाने के लिए कागजी कार्यवाही करके (जिला बाल संरक्षण इकाई कार्यालय) या फिर (जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय) मे अतिशीघ्र सम्पर्क करे। 🙏🏻 धन्यवाद! 🙏🏻
एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का ऐतिहासिक प्रदर्शन।
इतिहास में पहली बार पार किया 100 पदकों का आंकड़ा।
विश्व में पदक लाने वालो में भारत इस बार 4th नंबर पर है।
भारतवर्ष की #प्रथम_वीरांगना, मातृभूमि के गौरव और सम्मान के लिए प्राणोत्सर्ग कर देने वाली शौर्य, साहस एवं पराक्रम की धनी वीरांगना #महारानी_दुर्गावती_शाह जी व हल्दीघाटी युद्ध गाथा के संघटक, भोमट के राजा, #राणा_पूंजा_भील जी की जयंती पर शत् शत् नमन🙏🏼
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