P S Dharmpur. Dewa. Dist- Barabanki
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गतिविधि
वन्देमातरम
मैं करूँ ....
हम करें ....
फिर तुम करो ....
के आधार पर क्लास 3 के बच्चे चित्र चार्ट के अनुसार कहानी लेखन करते हुए
छोड़ बड़प्पन का पागलपन
गुरुता वरण करें
निष्ठुर नहीं बने मानव है
सद आचरण करें
राजू और काजू कविता
An effort...
*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*
*💐💐तीन गुरु💐💐*
बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे । उन के पास शिक्षा लेने हेतु कई शिष्य आते थे। एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, ” स्वामीजी आपके गुरु कौन है ? आपने किस गुरु से शिक्षा प्राप्त की है ?” महंत शिष्य का सवाल सुन मुस्कुराए और बोले, ” मेरे हजारो गुरु हैं ! यदि मै उनके नाम गिनाने बैठ जाऊ तो शायद महीनो लग जाए। लेकिन फिर भी मै अपने तीन गुरुओ के बारे मे तुम्हे जरुर बताऊंगा ।
एक था चोर। एक बार में रास्ता भटक गया था और जब दूर किसी गाव में पंहुचा तो बहुत देर हो गयी थी। सब दुकाने और घर बंद हो चुके थे। लेकिन आख़िरकार मुझे एक आदमी मिला जो एक दीवार में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा था। मैने उससे पूछा कि मै कहा ठहर सकता हूं, तो वह बोला की आधी रात गए इस समय आपको कहीं आसरा मिलना बहुत मुश्किल होंगा, लेकिन आप चाहे तो मेरे साथ ठहर सकते हो। मै एक चोर हु और अगर एक चोर के साथ रहने में आपको कोई परेशानी नहीं होंगी तो आप मेरे साथ रह सकते है।
“वह इतना प्यारा आदमी था कि मै उसके साथ एक महीने तक रह गया ! वह हर रात मुझे कहता कि मै अपने काम पर जाता हूं, आप आराम करो, प्रार्थना करो। जब वह काम से आता तो मै उससे पूछता की कुछ मिला तुम्हे? तो वह कहता की आज तो कुछ नहीं मिला पर अगर भगवान ने चाहा तो जल्द ही जरुर कुछ मिलेगा। वह कभी निराश और उदास नहीं होता था, हमेशा मस्त रहता था।
जब मुझे ध्यान करते हुए सालों-साल बीत गए थे और कुछ भी हो नहीं रहा था तो कई बार ऐसे क्षण आते थे कि मैं बिलकुल हताश और निराश होकर साधना-वाधना छोड़ लेने की ठान लेता था। और तब अचानक मुझे उस चोर की याद आती जो रोज कहता था कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही कुछ जरुर मिलेगा।
और मेरा दूसरा गुरु एक कुत्ता था। एक बहुत गर्मी वाले दिन मै बहुत प्यासा था और पानी के तलाश में घूम रहा था कि एक कुत्ता दौड़ता हुआ आया। वह भी प्यासा था। पास ही एक नदी थी। उस कुत्ते ने आगे जाकर नदी में झांका तो उसे एक और कुत्ता पानी में नजर आया जो की उसकी अपनी परछाई थी। कुत्ता उसे देख बहुत डर गया। वह परछाई को देखकर भौकता और पीछे हट जाता, लेकिन बहुत प्यास लगने के कारण वह वापस पानी के पास लौट आता। अंततः, अपने डर के बावजूद वह नदी में कूद पड़ा और उसके कूदते ही वह परछाई भी गायब हो गई। उस कुत्ते के इस साहस को देख मुझे एक बहुत बड़ी सिख मिल गई। अपने डर के बावजूद व्यक्ति को छलांग लगा लेनी होती है। सफलता उसे ही मिलती है जो व्यक्ति डर का साहस से मुकाबला करता है।
और मेरा तीसरा गुरु एक छोटा बच्चा है। मै एक गांव से गुजर रहा था कि मैंने देखा एक छोटा बच्चा एक जलती हुई मोमबत्ती ले जा रहा था। वह पास के किसी गिरजाघर में मोमबत्ती रखने जा रहा था। मजाक में ही मैंने उससे पूछा की क्या यह मोमबत्ती तुमने जलाई है ? वह बोला, जी मैंने ही जलाई है। तो मैंने उससे कहा की एक क्षण था जब यह मोमबत्ती बुझी हुई थी और फिर एक क्षण आया जब यह मोमबत्ती जल गई। क्या तुम मुझे वह स्त्रोत दिखा सकते हो जहा से वह ज्योति आई ?
” वह बच्चा हँसा और मोमबत्ती को फूंख मारकर बुझाते हुए बोला, अब आपने ज्योति को जाते हुए देखा है। कहा गई वह ? आप ही मुझे बताइए। “
“मेरा अहंकार चकनाचूर हो गया, मेरा ज्ञान जाता रहा। और उस क्षण मुझे अपनी ही मूढ़ता का एहसास हुआ। तब से मैंने कोरे ज्ञान से हाथ धो लिए। “
*💐💐शिक्षा💐💐*
मित्रो, शिष्य होने का अर्थ क्या है ? शिष्य होने का अर्थ है पुरे अस्तित्व के प्रति खुले होना। हर समय हर ओर से सीखने को तैयार रहना।जीवन का हर क्षण, हमें कुछ न कुछ सीखने का मौका देता है। हमें जीवन में हमेशा एक शिष्य बनकर अच्छी बातो को सीखते रहना चाहिए।यह जीवन हमें आये दिन किसी न किसी रूप में किसी गुरु से मिलाता रहता है , यह हम पर निर्भर करता है कि क्या हम उस महंत की तरह एक शिष्य बनकर उस गुरु से मिलने वाली शिक्षा को ग्रहण कर पा रहे हैं की नहीं !
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
🙏🙏🙏🙏🌳🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏
*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*
*💐💐स्वप्न कक्ष💐💐*
नयासर ग्राम पंचायत में प्रह्लाद नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था , साथ ही वह लोगों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहता था। पर बावजूद इन गुणों के उसे जीवन में सफलता नहीं मिल पा रही थी। वह जो भी पाना चाहता उसके लिए खूब मेहनत करता , पर अंततः उसे नहीं पा पाता। जीवन यूँही बीतता गया और अंत में एक दिन उसकी मृत्यु हो गयी।
चूँकि प्रह्लाद ने अच्छे कर्म किये थे ,इसलिए मृत्यु के बाद देवदूत उसे स्वर्ग ले गए।
स्वर्ग पहुँचते ही प्रह्लाद की आँखें खुली की खुली रह गयी , उसने कभी इतनी सुन्दर और भव्य जगह की कल्पना भी नहीं की थी। उसने कौतूहलवश पुछा , ” क्या अब मुझे इसी जगह रहने को मिलेगा। “
“हाँ “, देवदूत ने जवाब दिया।
यह सुनकर प्रह्लाद गदगद हो गया।
” चलिए मैं आपको आपके निवास तक ले चलता हूँ !” , देवदूत ने अपने पीछे आने का इशारा करते हुए कहा।
थोड़ी दूर चलने पर एक शानदार घर आया , जिसके बाहर प्रह्लाद का नाम लिखा था।
देवदूत प्रह्लाद को घर दिखाने लगा, ” ये आपका शयन कक्ष है , यह दूसरा कक्ष आपके मनोरंजन के लिए है , और ऐसा करते-करते वे एक ऐसे कक्ष के सामने पहुंचे जिसके द्वार पर ” स्वप्न कक्ष ” लिखा था।
अंदर प्रवेश करते ही प्रह्लाद स्तब्ध रह गया , वहां ढेर सारी चीजों के छोटे-छोटे प्रतिरूप रखे थे। और ये वही चीजें थी जिन्हे पाने की कभी उसने कल्पना की थी।
प्रह्लाद ने उन चीजों की तरफ इशारा करते हुए कहा , ” हे देवदूत ! ये तमाम वस्तुएं , ये कार , ये घर , ये आईएएस अधिकारी का पद , इत्यादि। …ये तो वही हैं जिन्हे मैंने पाने की ना सिर्फ कल्पना की थी बल्कि इनके लिए खूब मेहनत भी की थी। तो भला ये सब मुझे वहां धरती पर क्यों नहीं मिलीं ? और यहाँ पर इनके इन छोटे-छोटे प्रतिरूपों के रखे होना का क्या अर्थ है ?”
देवदूत बोला , ” हर व्यक्ति अपने जीवन में ढेर सारी इच्छाएं रखता है। पर वह कुछ ही इच्छाओं को पूर्ण करने के बारे में गंभीरता से सोचता है और फिर उसके लिए मेहनत करता है। ईश्वर और ये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड उन सपनो को पूरा करने में उसकी मदद भी करते हैं , पर कई बार इंसान सपनो के पूर्ण होने से ठीक पहले ही अपना प्रयास बंद कर देता है। यहाँ रखी वस्तुएं उन्ही इच्छाओं को दर्शाती हैं जिनके लिए तुमने खूब मेहनत की और जब वे तुम्हे दी जाने वाली ही थीं कि तभी तुम हिम्मत हार गए और वे यहीं रखी रह गयीं। “
*💐💐शिक्षा💐💐*
पाठकों, सफल व्यक्तियों का एक बहुत बड़ा गुण होता है दृढ़ता। वे जो पाना चाहते हैं उसके लिए दृढ होते हैं , वे भले ही उसे पाने के प्रयास में बार-बार विफल होते रहें पर वे तब तक नहीं रुकते जबतक की उसे पा नहीं लेते। इसलिए अगर आपने भी अपने लिए कोई लक्ष्य बना रखे हुए हैं तो तमाम मुश्किलों के बावजूद उन लक्ष्यों को अधूरा मत छोड़िये। … याद रखिये कहीं न कहीं आपके सपनो के प्रतिरूप भी तैयार किये जा रहे हैं …..उन्हें सपना ही मत रहने दीजिये ….अपने सपनो का पीछा करते रहिये … और उन्हें अपने जीवन की हक़ीक़त बनाकर ही दम लीजिये।
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
🙏🙏🙏🙏🌳🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏
Joyful learrning
वार्षिकोत्सव 20 21-22
मुश्किल वक़्त में संतुलन बहुत जरूरी है
यह घटना टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद के फाइनल की है। फाइनल में इटली के Gianmarco Tamberi का सामना कतर के Mutaz Essa Barshim से था। दोनों ने 2.37 मीटर की छलांग लगाई और बराबरी पर रहे ! ओलंपिक अधिकारियों ने उनमें से प्रत्येक को तीन-तीन अतिरिक्त प्रयास के अवसर दिए, लेकिन वे दोनों ही 2.37 मीटर से अधिक ऊंचाई की छलांग नहीं लगा पाए।
इसके बाद उन दोनों को एक अंतिम प्रयास और दिया गया, लेकिन Tamberi के पैर में गंभीर चोट के कारण, उन्होंने स्वयं को अंतिम प्रयास से अलग कर लिया। उस समय जब Barshim के सामने कोई दूसरा प्रतिद्वंदी नहीं था, तब वेआसानी से अकेले GOLD विजेता बन सकते थे!
लेकिन बर्शिम ने अधिकारी से पूछा, "अगर मैं भी अंतिम प्रयास से पीछे हट जाऊं तो क्या GOLD हम दोनों के बीच साझा किया जा सकता है?" आधिकारी जाँच के बाद पुष्टि करते हुए कहते हैं "हाँ तो GOLD मैडल और प्रथम स्थान आप दोनों के बीच साझा किया जाएगा"। बर्शिम ने बिना एक पल गंवाए अंतिम प्रयास से हटने की घोषणा कर दी। यह देख इटली का प्रतिद्वन्दी ताम्बरी दौड़ा और बरसीम को गले लगाने के बाद चीख-चीख कर रोने लगा !
बर्शिम ने भले ही गोल्ड मैडल साझा कर लिया हो लेकिन इंसानियत के तौर पे वे बहुत आगे निकल गए और इस खेल की दुनिया में अपना नाम अमर कर लिया।
यह दृश्य हमारे दिलों को छूने वाला और अद्भुत खेल भावना प्रकट करने वाला है जो धर्मों, रंगों और सीमाओं को बहुत बौना बना देता है, सौहार्द और आपसी साहचर्य ही मानवता की कसौटी है!!
स्वयं निर्माण योजना-30 WhatsApp Group Invite
जरूरी जानकारी
उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद--
तत्सम शब्द: जो शब्द संस्कृत भाषा
से हिन्दी में बिना किसी
परिवर्तन के ले लिए गए
हैं वे तत्सम कहलाते हैं।
जैसे-अग्नि, क्षेत्र, वायु,
रात्रि, सूर्य आदि।
तद्भव शब्द: जो शब्द रूप बदलने के
बाद संस्कृत से हिन्दी में
आए हैं वे तद्भव कहलाते
हैं। जैसे-आग (अग्नि),
खेत (क्षेत्र), रात (रात्रि),
सूरज (सूर्य) आदि।
देशज शब्द: जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के
कारण परिस्थिति व
आवश्यकतानुसार
बनकर प्रचलित हो
गए हैं वे देशज कहलाते
हैं। जैसे- पगड़ी, गाड़ी,
थैला, पेट, खटखटाना
आदि।
विदेशी या विदेशज शब्द:
विदेशी जातियों के संपर्क से
उनकी भाषा के बहुत से
शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने
लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी
अथवा विदेशज कहलाते हैं।
जैसे- स्कूल, अनार, आम,
कैंची, अचार, पुलिस,
टेलीफोन, रिक्शा आदि।
▪️ऐसे कुछ विदेशी शब्दों की सूची नीचे
दी जा रही है। 👇👇
अंग्रेजी- कॉलेज, पैंसिल, रेडियो,
टेलीविजन, डॉक्टर,
लैटरबक्स, पैन, टिकट,
मशीन,सिगरेट, साइकिल,
बोतल आदि।
फारसी- अनार, चश्मा, जमींदार,
दुकान, दरबार, नमक,
नमूना, बीमार, बरफ,
रूमाल, आदमी,चुगलखोर,
गंदगी, चापलूसी आदि।
अरबी- औलाद, अमीर, कत्ल, कलम
कानून, खत, फकीर, रिश्वत
औरत, कैदी, मालिक, गरीब
आदि।
तुर्की- कैंची, चाकू, तोप, बारूद,
लाश, दारोगा, बहादुर आदि।
पुर्तगाली- अचार, आलपीन, कारतूस,
गमला, चाबी, तिजोरी,
तौलिया, फीता, साबुन,
तंबाकू, कॉफी, कमीज
आदि।
फ्रांसीसी- पुलिस, कार्टून, इंजीनियर,
कर्फ्यू, बिगुल आदि।
चीनी- तूफान, लीची, चाय,
पटाखा आदि।
यूनानी- टेलीफोन, टेलीग्राफ, ऐटम,
डेल्टा आदि।
जापानी- रिक्शा आदि।
डच- बम आदि।
जीवन में जहां हमारी स्थापना हुई है हमें वहीं फलने फूलने की चेष्टा करनी चाहिए।
ईश्वर से प्रार्थना करें कि हे प्रभु
हमें इतनी शांति और धैर्य दें कि जिसे हम बदल नहीं सकते , उसे स्वीकार करें।
इतना साहस दो कि जिसे हम बदल सकते हैं उसके लिए प्राणपण से मेहनत करें।
और इतना विवेक दो कि क्या बदल सकते है और क्या नहीं, इन दोनों के अंतर को समझ और पहचान सकें।
मासूम अनुभव पर परिचर्चा
समर्थ योजना के अन्तर्गत लाभान्वित छात्र
जीवन के उतार चढ़ाव से अंजान मेरे मासूम नन्हे बच्चे....
ईश्वर इनकी सारी इच्छाएं पूरी करें
Happy International Women's Day to all of you..
24 जनवरी, राष्ट्रीय बालिका दिवस हेतु बच्चों का एक प्रयास.......
The school walls are waiting when the little hands come and sribble on them .....
कुछ गतिविधियां ऐसी भी
मेरी उड़ान प्रतियोगिता के लिए बच्चो का पहला प्रयास।
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
इस आपातकाल में
अध्यापक और बच्चों का नन्हा प्रयास...
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