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Yoga provide complete relaxation to your body mind and soul

- PRAYAG AROGYAM KENDRA 08/08/2022

*महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ योगासन*
*बाँझपन का योग द्वारा उपचार*
आजकल, अधिकांश महिलाओं को तनाव के कारण गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है क्योंकि वह शारीरिक स्वास्थ्य के साथ–साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 15 प्रतिशत दंपतियों को प्रजनन संबंधी समस्याओं पर मदद की ज़रूरत होती है। ऐसे दंपतियों के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, उनमें से प्रजनन–शक्तिवर्धक योग भी तेज़ी से लोकप्रियता हासिल कर रहा है।*प्रजनन शक्तिवर्धक योग क्या है*
योग, एक 5000 साल पुरानी भारतीय साधना है जो आपके मन, शरीर और आत्मा में परिवर्तनवादी बदलाव ला सकती है।
प्रजनन–शक्तिवर्धक योग कोई भिन्न प्रकार का योग नहीं है जो गर्भावस्था की स्थिति को बढ़ा सकता है बल्कि यह कुछ विशेष आसन और मुद्राओं का एक संग्रह है जो तनाव के स्तर को कम करने और विषाक्त पदार्थों को शरीर से साफ करने में मदद करता है।
गर्भवती होने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए ऐसे योगासनों की मुद्राएं उपयुक्त हैं, क्योंकि यह आसन, शरीर को मज़बूत बनाने और गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने में मदद करते हैं।
हार्वर्ड के एक अध्ययन ने यह साबित किया है कि जिन महिलाओं ने प्रजनन क्षमता विशेष योग का कोर्स पूर्ण किया है, उन महिलाओं में गर्भधारण करने की क्षमता उनसे ज़्यादा थी जो योग नहीं करती थीं।*योग मुद्राएं, प्रजनन क्षमता को कैसे बढ़ाती है*
एक स्वस्थ शरीर और एक शांत दिमाग आपके गर्भवती होने की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए आवश्यक है। योग मुद्राएं, प्रजनन क्षमता को बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका है क्योंकि यह आपके शरीर को समग्रता से मज़बूत और सुचारु रखने में मदद करती हैं। यह स्वास्थ्य के दोनों पहलू, शारीरिक और मानसिक स्तर का मेल करती हैं और कुछ योग मुद्राएं एक ही बार में दोनों को बढ़ावा दे सकती हैं।
योग में सांस के व्यायाम से कॉर्टिसॉल नामक हॉर्मोन जो तनाव को कम करता है जिस कारण शरीर में गर्भधारण करने की क्षमता और स्वस्थ शिशु होने की संभावना बढ़ जाती है। तनाव कम होने से रात की नींद अच्छी आती है।
भ्रामरी प्राणायाम तनाव और चिंता को कम करने का एक शानदार तरीका है। चूंकि तनाव, बांझपन का एक प्रमुख कारण है इसलिए भ्रामरी प्राणायाम का प्रयास करना अनिवार्य है।

1.पश्चिमोत्तानासन
2.हस्तपादासन
3.जानुशीर्षासन
4.बद्धकोणासन
5.सुप्त बद्धकोणासन
6.बालासन
7.सर्वांगासन
8.सेतु बंधासन
9.भुजंगासन
10. विपरीता–करणी आसन
11.उपविष्ट कोणासन
12.शवासन
13.नाड़ी शोधन प्राणायाम
14.कपालभाती प्राणायाम

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- PRAYAG AROGYAM KENDRA We have trained yoga teachers for all types of Yoga classes including personal classes, group classes, Corporate Yoga, Therapy yoga. Our teachers are expert and knowledgeable and understanding.

22/07/2022

🧘योग की शक्ति🧘

कहा जाता है कि जब सद्गुरु स्वामी शिवानंद ने जब महा समाधि लेने का निश्चय किया तो उन्होंने अपनी मृत्यु से एक वर्ष पूर्व ही उसकी तारीख 14 जुलाई 1963 निश्चित कर ली थी। उन्होंने अपनी मृत्यु के लिए यह तारीख इसलिए तय की क्योंकि उन्हें यह दिन शुभ लगा था । एक स्व-अनुभूत योगी होने के कारण उनके पास इच्छा मृत्यु की शक्ति थी। यह योग की वह शक्ति है जिसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते।

ऐसी ही एक और किंवदन्ती यह है कि जब जान योगी श्री रमन महर्षि ने महा समाधि ली थी, तब 14 अप्रैल 1950 के दिन जिस क्षण उनकी मृत्यु हुई, ठीक उसी क्षण यानी रात्रि के आठ बजकर सैतालीस मिनट पर आकाश में एक चमकदार उल्का पिंड गिरता हुआ दिखाई दिया था। उनके ऐसे बहुत से शिष्यों ने, जो उस समय वहां नहीं थे, आकाश में उल्का पिंड गिरने का समय नोट किया। उनका पूरा विश्वास था कि यह घटना उनके गुरु के देहावसान की सूचक थी ! याद रखें, उस समय संचार के जटिल साधन नहीं थे, लेकिन फिर भी उनके बहुत से शिष्यों ने एक साथ आकाश से गुज़रती उल्का को अपने गुरु की महा समाधि से जोड़कर देखा !
योगियों की इस शक्ति के विषय में पातंजलि का योगसूत्र बहुत दबा-छिपा संकेत देता है। छंदों के गूढ़ होने के कारण उनके रहस्यों को समझ पाना अक्सर मुश्किल हो जाता है। ऋषि पातंजलि अपने सूत्रों में मस्तिष्क-योग की बात भी करते हैं। यह योग की अत्यधिक उन्नत अवस्था है जो योगाभ्यास करने वाले बहुत से लोगों को है प्राप्त नहीं होती और इस तरह वे अष्टांग योग के आठ अंगों तक पहुंच ही नहीं पाते, लेकिन सभी यौगिक अभ्यासों का अंतिम उद्देश्य व्यक्ति को उसके सितारों और भाग्य पर ऐसे ही नियंत्रण की ओर ले जाना होना चाहिए।
यहां तक कि संशय वादियों को भी यह बात स्वीकार करनी होगी कि मस्तिष्क पर नियंत्रण वस्तुतः हमारे भाग्य को बदल सकता है या एक चोर को साधु बना सकता है, जैसा कि वाल्मीकि के साथ हुआ। पातंजलि सूत्र के विभूति पद नामक भाग के 27वें छंद में पातंजलि (जो आदिशेष के अवतार माने जाते हैं) कहते हैं, ‘भुवन्जानाम सूर्येसंयमत्’ अर्थात सूर्य पर ध्यान केंद्रित करके योगी सप्त भवनों का ज्ञान प्राप्त कर सकता है। अगले छंद में वे विश्वास दिलाते हैं, ‘चंद्र ताराव्यूहजानाम’ जिसका अर्थ है कि चंद्रमा पर ध्यान केंद्रित करके योगी सितारों को नियंत्रित कर सकता है। 29वें छंद वे कहते हैं, ध्रुवे तद्गतिजानाम’ अर्थात् ध्रुव तारे पर ध्यान केंद्रित करने पर योगी अपना भाग्य जान लेता है।

(योग का मस्तिष्क पर प्रभाव)

योग से मस्तिष्क में एकाग्रता आती है
आप इन छंदों को शब्दशः सही मान सकते हैं या यह समझ सकते हैं कि मस्तिष्क की एकाग्रता हमें अपने भाग्य का राजा बना सकती है। संयम योग से जुड़ी एक अवधारणा है, जिसका आशय योगाभ्यास के तीन चरण- धारणा, ध्यान और समाधि का संयोजन है। धारणा का आशय किसी भी वस्तु के प्रति एकाग्रचित्त होना है। योग का दूसरा चरण ध्यान है जहां यह एकाग्रता लंबे समय तक भंग नहीं होती और समाधि वह अंतिम चरण है जब धारणा और ध्यान से तीक्ष्ण हुआ मस्तिष्क दिव्य शक्ति के संग एकाकार हो जाता है। संयम में ये तीनों चरण मिलकर एक हो जाते हैं और ऐसे अखंडित संयम वाला व्यक्ति सचमुच अपना भाग्य नियंत्रित कर सकता है।
अपने आप में एक किंवदन्ती बन चुके बी.के.एस. अयंगर अपनी किताब लाइट ऑन योग सूत्राज़ ऑफ पातंजलि में इन प्रसंगों की व्याख्या शरीर के भौतिक पक्षों के संदर्भ में करते हैं। उनका मानना है कि सूर्य सौर-चक्र, चंद्रमा ईडा नाड़ी (ठंडक पहुंचाने वाली नाड़ी जो सहानुकंपी तंत्रिका तंत्र से जैविक रूप से संबद्ध होती है। यह तंत्र शारीरिक चोटों, घाव आदि को दुरुस्त करने संबंधी व्यवस्था का हिस्सा है) और तारे हमारे विचारों की अस्थिर झिलमिलाहट को इंगित करते हैं। शारीरिक स्तर पर ध्रुव तारा तीसरी आंख के शक्तिशाली केंद्र, आज्ञा-चक्र के समान है और ब्रह्माण्डीय गोलक प्रत्येक व्यक्ति में पाई जाने वाली आत्मिक सत्ता के सात चक्रों की ओर संकेत करते हैं। बहरहाल, उनके अनुसार इस प्रकार ध्यान केंद्रित करने का प्रभाव हमारे भाग्य पर भी पड़ता है। वे कहते हैं, वे ‘आज्ञा-चक्र पर संयम (गंभीर व अखंडित ) के ज़रिए योगी सितारों की चाल और दुनिया की विभिन्न घटनाओं पर उनके प्रभाव को समझने लगता है।’

Posted by Sandeep shukla
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17/07/2022

*तनाव से मुक्ति के लिए कारगर है योग*

तनाव मांग और संसाधनों के बीच असंतुलन के परिणामस्वरूप होता है,अथवा किसी के सहने की क्षमता से अधिक दबाव से भी हो सकता है।
कंधों में अकड़न, पीठ में खिंचाव और सिर या गर्दन में दर्द, ये सभी मानसिक तनाव के संकेत हो सकते हैं। हमारे लिए तनाव की अपनी-अपनी वजहें होती हैं। कुछ लोगों के लिए रोजमर्रा का काम भी तनाव का एक कारण होता है। कुछ लोगों को नौकरी तो प्रिय है, लेकिन बॉस उनको तनाव दे जाता है। अगर आपके बच्चे पढ़ रहे हैं तो उनकी परीक्षा का आपको उनके जितना ही तनाव हो सकता है। आप अपनी खुद की किसी परीक्षा को लेकर भी तनाव में हो सकते हैं।
वजह चाहे जो हो, योग आपको तनाव से मुक्ति की राह बताता है। किसी प्रशिक्षित गुरु के मार्गदर्शन में ही योग किया जाना चाहिए जो आपकी मुद्राओं यानी उठने-बैठने के तरीकों को सुधार देगा और तनाव से मुक्ति भी दिलाएगा। हां, एक और बात को ध्यान में रखिएगा कि अगर आप अनियंत्रित ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो कृपया कोई भी योगिक क्रिया करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।

*कैसे तनाव में लाभदायक है योग*

शोध से दिखाया गया है कि योग कोर्टिसोल और एड्रेनलिन हॉर्मोन को कम करने में सक्षम है। और यह दोनो मुख्य तनाव हार्मोन हैं जिनकी वजह से आप तनाव महसूस करते हैं। परंतु एक या दो बार योग अभ्यास करना इन हॉर्मोन को संतुलित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अधिकांश अध्ययन बताते हैं कि हार्मोनल सुधार के लिए प्रति दिन 30 से 60 मिनट, सप्ताह में 3 से 5 दिन नियमित अभ्यास करने से आपको तनाव से ज़रूर राहत मिलेगी।

*एम्स की 12 हफ्तों की रिसर्च में मरीजों को सूर्य नमस्कार से मिली बड़ी राहत, 60% तक डिप्रेशन घटा*

एम्स दिल्ली के सायकियाट्री और एनॉटमी डिपार्टमेंट ने मिलकर की रिसर्च, सूर्य नमस्कार, शांति मंत्र, मेडिटेशन और दवाओं का कम समय में बड़ा असर दिखा
योग में साबित हुआ है कि ये आसन डिप्रेशन, तनाव और एंग्जायटी को दूर करते हैं
डिप्रेशन पर एम्स की ताजा रिसर्च में योग और एलोपैथी के कॉम्बिनेशन से डिप्रेशन में तेजी से सुधार हुआ।
रिसर्च को एम्स दिल्ली के सायकियाट्री और एनॉटमी डिपार्टमेंट ने मिलकर किया। सायकियाट्री विभाग में जेनेटिक और दूसरे कारणों से बीमार 160 मरीजों को शोध के लिए चुना गया। इन्हें 80-80 के दो ग्रुप में बांटा गया। इसमें एक ग्रुप को सिर्फ दवाई दी गई जबकि दूसरे को दवाई के साथ योग कराया गया। परिणाम जानने के लिए पहले और रिसर्च पूरी होने के बाद दोनों ग्रुप का ब्लड सैंपल लिया गया। ब्लड सैंपल की रिपोर्ट चौंकाने वाली थी। सिर्फ दवाई लेने वाले मरीजों को 29 फीसदी फायदा दिखाई दिया, जबकि दवाई के साथ 12 सप्ताह तक योग करने वाले मरीजों को 60 फीसदी फायदा मिला।
सूर्य नमस्कार, शवासन, शांति मंत्र और ध्यान कराया गया
शोधकर्ताओं के मुताबिक, डिप्रेशन दूर करने के लिए सूर्य नमस्कार, शवासन, उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, वक्रासन कराने के साथ शांति मंत्र का जाप और ध्यान भी कराया गया। योग में साबित हुआ है कि ये आसन डिप्रेशन, तनाव और एंग्जायटी को दूर करते हैं। इन आसनों और दवाओं का असर एक से दूसरी पीढ़ी में आने वाले डिप्रेशन में भी देखा गया। जांच रिपोर्ट्स के अलावा मरीजों ने भी इस अनुभव की पुष्टि करते हुए कहा, हमारे ऊपर योग का असर हुआ है।
हमारे दिमाग में ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम के दो भाग होते हैं, सिम्पेथेटिक और पैरासिम्पेथेटिक। योग हमारे पैरासिम्पेथेटिक सिस्टम को एक्टिवेट करता है। ऐसा होने पर हमारा बढ़ा हुआ हार्ट रेट कम होता है, इंसान रिलैक्स महसूस करता है। न्यूरॉन्स बेहतर काम करते हैं और मन शांत रहता है l
इस असर को और भी बेहतर तरीके से पता लगाने के लिए रिसर्च में शामिल मरीजों का जेनेटिक और बायोकेमिकल टेस्ट किए गए। इस दौरान एंटी-डिप्रेसेंट दवाओं का डोज भी दिया गया।

आज डिप्रेशन-एंग्जायटी को हराना सबसे जरूरी क्यों?

देश का हाल : द लैंसेट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 2017 तक 19.73 करोड़ लोग किसी न किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे। ये आंकड़ा कुल आबादी का कुल आबादी का 15% है। यानी, हर 7 में से 1 भारतीय बीमार है। इनमें से भी 4.57 करोड़ डिप्रेशन और 4.49 करोड़ एंजाइटी का शिकार हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में 26 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। 15 से 29 साल की उम्र के लोगों में आत्महत्या की दूसरी सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन ही है।
मेंटल हेल्थ के मामले में हम रूस को पीछे छोड़ देंगे
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत में हर साल एक लाख की आबादी पर 16 लोग मानसिक बीमारी से परेशान होकर आत्महत्या कर लेते हैं। इस मामले में भारत, रूस के बाद दूसरे नंबर पर है। रूस में हर 1 लाख लोगों में से 26 लोग सुसाइड करते हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से लेकर 2018 के बीच 52 हजार 526 लोगों ने मानसिक बीमारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली।

योग एक बहुत ही प्रभावशाली साधन है जिसके द्वारा हम अपने तनाव को पूरी तरह से समाप्त कर सकते हैं,योग में बताई गई छोटी-छोटी क्रियाओं द्वारा तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है, साथ ही तनाव को सहने की क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है l

POSTED BY ARCHANA PATEL
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06/07/2022

*उच्च रक्तचाप और योग निद्रा*

आधुनिक जगत में उच्च रक्तचाप और उससे उत्पन्न जटिलताएं मृत्यु की ओर ले जाने वाला एक प्रमुख कारण है उच्च रक्तचाप की समस्या यदि लंबे समय तक बना रहता है तो
आंखों को एवं मस्तिष्क को बड़ी क्षति पहुंचने की संभावना रहती है, इन जटिलताओं तथा अकाल मृत्यु से बचने के लिए जीवन भर उच्च रक्तचाप निरोधक दवाओं का सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है
आजकल उच्च रक्तचाप के रोगियों में से अधिकतर लोग ही ऐसे होते हैं जिनके रोग का कोई कारण आज तक चिकित्सकों को नहीं मिल पाया है
इस प्रकार के अधिकतर रोगियों में रोग के कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाई देते उच्च रक्तचाप निरोधक दवा देकर व्यक्ति को उम्र भर के लिए दवा में बांध लिया जाता है उपचार हेतु जो दवा उपलब्ध है उनसे दुर्भाग्यवश किसी आदर्श उपाय नहीं किया जा सकता
यह दवाई कई रोगियों पर इतना अधिक दुष्प्रभाव डालती है कि बहुत से रोगी खतरा मोल लेकर दवा भी लेना छोड़ देते हैं और अपने जीवन को भाग्य के सहारे छोड़ देते हैं एक सुरक्षित प्रभावी एवं कम खर्चीली उपचार पद्धति के रूप में योग निद्रा को चिकित्सालयों में आजमाया जा रहा है
अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में हाल ही में हुए अध्ययन में देखा गया कि योग निद्रा के नियमित अभ्यास से रक्तचाप में कमी होती है उसके दूरगामी प्रभाव होते हैं यह प्रभाव केवल योग निद्रा के समय ही नहीं रहा, बल्कि अभ्यास के बाद रक्तचाप की मात्रा पूरे दिन के लिए घटी रही, इसी प्रकार लांगली पोर्टल न्यूरो साइट्रिक इंस्टीट्यूट इन कैलिफ़ोर्निया की शोधशाला में अध्ययन के दौरान पाया गया कि योग निद्रा के अभ्यास के बाद रक्तचाप की मात्रा में 2 महीने तक के लिए कमी आई और स्थिरता बनी रही, इन सब प्रयोगों की उपलब्धियों को देखते हुए योग निद्रा का उपयोग चिकित्सा के अंतर्गत किया जाने लगा, प्रारंभिक अवस्था वालों के लिए यह वरदान सिद्ध हुआ, गंभीर तथा पुराने रोगों में दवाइयों के साथ मिलाकर योगनिद्रा का अभ्यास कराया गया l
वहां यह चिकित्सा दवा की मात्रा को कम करने के लिए उपयोगी सिद्ध हुई तथा दवाइयों के दुष्प्रभाव से भी रोगियों को बचाया l
कुछ रक्तचाप से पीड़ित रोगियों पर योग निद्रा के अभ्यास की सफलता का बहुत बड़ा प्रमाण मुंबई के कि अस्पताल के हृदय विभाग के शोधकर्ताओं द्वारा मिला
यहां रोगियों को केवल शवासन में लेटे रहने को कहा गया जो योग निद्रा की प्रारंभिक अवस्था है ज्यादातर लोगों में 3 हफ्ते के प्रशिक्षण के बाद ही लाभ दिखने लगा था, सर दर्द, चक्कर आना, घबराहट, चिड़चिड़ापन, नींद ना आना आदि चिन्ह सभी रोगियों में गायब हो गए
रोग के अन्य लक्षणों की मात्रा में भी कमी आई तथा व्यक्तिगत स्तर पर स्वास्थ्य में सुधार हुआ 52% रोगियों के दवा की मात्रा में कमी आई l
इससे शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है, यह चिकित्सा उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलती है इस अध्ययन के बाद दिए गए परिशिष्ट में ही है इस युगांत कारी अध्ययन पर विस्तार से प्रकाश डाला गया l

POSTED BY ARCHANA PATEL
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- PRAYAG AROGYAM KENDRA 28/06/2022

हृदय रोग और योग

आजकल तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और खान-पान में अनियमितता के कारण, अक्सर लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना पड़ जाता है. दिल से जुड़ी परेशानी भी इन्हीं समस्याओं में से एक है,कई बार हमारी गलत आदतों के कारण हमारे दिल की सेहत को सफर करना पड़ता है, हार्ट अटैक एक ऐसी ही जानलेवा स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की मौत कुछ सेकंड में ही हो सकती हैं, इसीलिए कहा जाता है कि हार्ट संबंधी किसी भी लक्षण को अनदेखा न करते हुए समय रहते इसका उपचार करवायें l भागदौड़ भरी इस जिंदगी में सेहतमंद रहना किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन ऐसी स्थिति में भी आप योग प्राणायाम के माध्यम से स्वस्थ रह सकते हैं, और अपने दिल का ख्याल रख सकते हैं,अच्छी सेहत के लिए अच्छी दिनचर्या होना बहुत जरूरी है,अक्सर गलत आदतों की वजह से ही हृदय के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए रोजाना नियमित रूप से योग करने की आदत डालें,हृदय को स्व स्थ रखने के लिए आप घर में कुछ योग प्राणायाम कर सकते हैं l
योग आपके हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है
पूरे शरीर में रक्त पंप करने से लेकर महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के साथ ऊतकों की आपूर्ति तक, आपके हृदय का स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य के लिए अपना विशिष्ट स्थान रखता है FC। अध्ययनों से पता चलता है कि योग हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और हृदय रोग को बढ़ाने वाले कई खतरनाक कारणों को भी कम करने में सहायता करता है। एक अध्ययन में पाया गया कि 40 वर्ष से अधिक आयु के प्रतिभागियों ने पांच साल तक योग का अभ्यास किया, जिसके परिणाम स्वरूप उनका रक्तचाप और हृदय की धड़कन उन लोगों की तुलना में कम देखी गई जिन्होंने योग का अभ्यास नहीं किया था। उच्च रक्तचाप दिल की समस्याओं के प्रमुख कारणों में से एक है, जैसे कि दिल का दौरा और स्ट्रोक। अपने रक्तचाप को कम करने से हृदय रोग से जुड़ी इन समस्याओं के खतरों को कम करने में मदद मिल सकती है। कुछ शोध यह भी बताते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली में योग को शामिल करने से हृदय रोग की प्रगति को धीमा करने में मदद मिलती है।
एक अध्ययन में हृदय रोग के 113 रोगियों को शामिल किया गया, जिसमें उनके आहार में बदलाव करने के साथ तनाव प्रबंधन के लिए 1 साल तक योग का प्रशिक्षण दिया गया और उनकी जीवनशैली में आए बदलावों को नोटिस किया गया प्रतिभागियों ने यह पाया कि उनके कुल कोलेस्ट्रॉल में 23% की कमी और “खराब” एलडीएल कोलेस्ट्रॉल में 26% की कमी आई। इसके अतिरिक्त, 47% रोगियों में हृदय रोग की प्रगति काफी धीमी होती देखी गई। हालांकि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि आहार और अन्य कारकों की तुलना में योग की भूमिका उनके हृदय रोग की गति को कम करने में कितनी महत्वपूर्ण रही होगी परंतु फिर भी यह स्पष्ट है कि योग तनाव को कम करने में योगदान देता है जो हृदय रोग से जुड़े गंभीर कारणों में एक कारण माना जाता है।

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14/06/2022

🌹हरि ओम् तत्सत्🌹
Post by -Laxmi Priya

*योग विषय में व्याप्त भ्रान्तियां और उनका समाधान-*

*१.प्रश्न - मैं तो स्वस्थ्य हूँ, मुझे योग की क्या आवश्यकता ?*
उत्तर - योग कोई इलाज नही कि इसे बीमार व्यक्ति ही अपनाये। योग तो खुशमयी जीवन जीने की कला है।और ईश्वर कृपा से यदि आज हम स्वस्थ है तो भविष्य में भी स्वस्थ्य बने रहने हेतु योग अपनाना आवश्यक है, क्योंकि उम्र के साथ बीमारियाँ अक्सर आती ही है।

*२.प्रश्न - युवाओं की भ्रान्ति कि योग बहुत धीमी गति से होता है इसलिए बोरियत भरा है?*

उत्तर - वर्तमान युग की समस्या ही तो गति है। हर मनुष्य भागा जा रहा है भौतिकतावाद की और, विलासिता की और, चकाचौंन्ध की और। और बदले में पा रहा है अनेको बीमारियाँ।
योग तो आनन्द की और ले जाने वाली राह है। सही तरीके से सिखाये गए योग से कभी बोरियत नही हो सकती है।

*३.प्रश्न - बुजुर्गों की भ्रान्ति की हम तो वृद्ध हो गए है इसलिए नही कर सकते है?*

उत्तर - योग की यही तो विशेषता है कि योग बच्चे,बूढ़े, स्त्री, पुरुष, युवा, स्वस्थ्य, बीमार हर व्यक्ति कर सकता है। योग टीचर का कार्य है कि व्यक्तिगत आवश्यकतानुसार कराएं।

*४.प्रश्न - सबसे बड़ा प्रश्न की क्या योग से वजन कम होगा?*

उत्तर - योग से निश्चिन्त तौर पर एवं स्थायी तौर पर वजन कम होता है। अधिक वजन एवं मोटापे के कारणों को जानकर विशेष रूप से कराये गए आसनों, प्राणायाम से स्थायी तौर पर वजन कम होकर मोटापा दूर होकर शक्ति, स्फूर्ति में असीम वृद्धि होती है। योग मनुष्य के शारीरिक फिगर को बैलेंस में लाता है, इससे मोटा व्यक्ति दुबला और दुबला व्यक्ति मोटा होता है।

*५.प्रश्न - मैं तो पहले से स्लिम हूँ, मुझे योग की क्या आवश्यकता ?*

उत्तर - स्लिम होना भर स्वस्थ्य होने की ग्यारंटी नही है। और न ही योग सिर्फ कोई दुबले या स्लिम होने की दवा है। योग तो स्वस्थ और खुशहाल रहने की जीवनशैली है। और स्लिम व्यक्तियों में भी अनेको बीमारियाँ हो सकती है।

*६.प्रश्न - दिनभर में मैं इतना कार्य कर लेता/ लेती हूं है कि मुझे योग की कोई आवश्यकता ही नही?*

उत्तर - हमारे रूटीन वर्क का प्रभाव हमारे शरीर के सभी बाह्य और आंतरिक अंगों पर आ ही नही सकता। योग में चार अवस्थाओं में किये जाने वाले विभिन्न आसनो का शरीर के सारे बाह्य और आंतरिक अंगों पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है उनकी मसाज होती है, रक्त संचार प्रॉपर होता है जो मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अतिआवश्यक है।

*७.प्रश्न - आज मुझे बहुत थकान हो रही है अतः आज मुझे योगाभ्यास नही करना है?*

उत्तर - थकान होने पर या ज्यादा हार्डवर्क करने पर आई हुई थकान तो योगासन, प्राणायाम और ध्यान से पूरी तरह दूर हो जाती है। सारे अंगों, जोड़ों, मसल्स, लिगामेंट्स नस नाड़ियों पर आसनो से आयी हुई स्ट्रेचिंग, तनाव, दबाव से रिलैक्स होकर व्यक्ति तरोताज़ा हो जाता है। अतः थकान के दौरान अवश्य योग साधना करना चाहिए।

*८.प्रश्न - बीमारी के दौरान योग नही करना है?*

उत्तर - केवल जीर्ण यानि क्रोनिक रोगों को छोड़कर बीमारी के दौरान योग प्रैक्टिस करने से बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। एक कुशल योग टीचर बीमारी के अनुसार ही योग प्रैक्टिस करायेगा।

*९.प्रश्न - एलोपैथी इलाज ही स्वस्थ्य होने की ग्यारंटी है?*

उत्तर - एडवांस स्टेज का कैंसर, क्रोनिक रोग, बाहरी रोग का आक्रमण, लिवर का पूरी तरह खराब हो जाना आदि कुछेक बीमारियों को छोड़कर समस्त बीमारियों को स्थायी तौर पर योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।
डाईबिटिज, हाईपेरटेंशन जैसी बीमारियों को नियमित योग एवं जीवनशैली से जड़ से समाप्त किया जा सकता है।

*१०.प्रश्न - गर्भधारण हो जाने पर योग बन्द कर देना चाहिए?*

उत्तर - गर्भावस्था के दौरान तो योग अत्यंत सहायक* होता है। कुशल योग एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में विशेष आसनों, प्राणायाम और ध्यान में द्वारा पुरे गर्भावस्था के दौरान महिला पूरी तरह शारीरिक और मानसिक स्तर पर स्वयं तो स्वस्थ्य रह ही सकती है साथ ही आने वाली सन्तान भी स्वस्थ होगी और नॉर्मल डिलेवरी के भी पुरे चान्सेस हो जाते है।

*११.प्रश्न - योग नही अपनाने का दुनिया भर का सबसे बड़ा कारण, मेरे पास समय ही नही है?*

उत्तर - *"पहला सुख, निरोगी काया"* जीवन के सारे सुख स्वस्थ्य रहने पर ही भोगे जा सकते है। यदि प्रतिदिन एक घण्टे योगाभ्यास कर लिया जाये तो बचे २३ घण्टों में ३६ घण्टों की ऊर्जा पायी जा सकती है। कितनी भी व्यस्तता हो, दुनिया मे कही भी हो योग अवश्य करें। एक घण्टा न तो कुछ देर ही करें।

*१२.प्रश्न - हम तो बाहर जा रहे है/ शादी में जा रहे है/ त्यौहार मना रहे है/ बच्चों की एग्जाम है/ घर में कुछ कार्य है?*

उत्तर - हमारी किसी भी तरह की व्यस्तता का सबसे पहला दुष्प्रभाव हमारे योग पर पड़ता है। हम सारे कार्य तो करेंगे पर योग सबसे पहले छोड़ेंगे।आप दुनिया में कही भी हो, कुछ भी कार्य हो कुछ समय "योग" के लिए अवश्य निकाले। आप शक्ति, स्फूर्ति और दुगुनी ऊर्जा से कार्य कर पाएंगे।

*१३.प्रश्न - योग हिन्दू धर्म का है इसलिए हमारे लिये नही है?*

उत्तर - हिन्दू धर्म कभी नही कहता की योग का अनुसरण सिर्फ हिंदू ही करेंगे। योग तो सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है। क्या सूर्य अपनी किरणे किसी धर्म विशेष के लोगों को ही प्रदान करता है? नही
इसी तरह योग प्रैक्टिस करने वाले को इसके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे।

*१४.प्रश्न - अभी तो मैं युवा हूँ मुझे योग की क्या आवश्यकता ?*

उत्तर - वर्तमान युग में भौतिकतावाद के पीछे भागने वालों में बड़ी संख्या युवाओं की ही है। दुष्परिणामस्वरूप युवा तनावग्रस्त होकर कम उम्र में ही अनेकोनेक शारीरिक और मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो रहे है जिसका सबसे उत्तम *निदान योग* में ही है।

*१५.प्रश्न - योग ही क्यों?*

उत्तर - स्वस्थ्य रहने हेतु अनेकों विधाएं है जैसे वाकिंग, जॉगिंग, रनिंग, साइकिलिंग, स्विमिंग, जिम्नेश्यिम, जुम्बा, एरोबिक्स आदि। इन सबमे योग का सर्वोच्च स्थान इसलिए है क्योंकि सिर्फ योग ही ऐसी विधा है जो शरीर, मन और आत्मा को एक ही ईकाई मानता है और शरीर से ज्यादा मन पर सकारात्मक प्रभाव देता है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार भी मनुष्य को होने वाली ९०% बीमारियाँ मनोकायिक है और योग ही एक ऐसी विधा है जो मन के विकारों को दूर करके उसे तनावमुक्त रख स्वस्थ्य बनाता है।

*१६.प्रश्न - शरीर के कुछ विभिन्न पोज़ बना लेना या शरीर को अलग अलग तरीके से तोड़ मरोड़कर आसन कर लेना ही योग है।*

उत्तर - जी नही, योग सिर्फ आसन ही नही वरन सम्पूर्ण लाइफ स्टाइल है। आसन तो योग का एक अंग है। योग सिर्फ एक घण्टे करने की विषय वस्तु न होकर हर पल फ योगी बने रह सकने की कला है। अपने मन, चित्त, विचारों, श्वसन आदि को नियंत्रण में रख सदा वर्तमान में जीना सिखाता है, योग।

*सुझाव*

योग अभ्यास प्रशिक्षित गुरु के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।

भारत माता की जय 🇮🇳
सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया:
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12/06/2022

*योग करने से स्वस्थ रहेगा दिमाग*
*सुपर ब्रेन योग और ध्यान द्वारा बढ़ाएं अपने मस्तिष्क क्षमता*

योग करने से न सिर्फ आप शारीरिक रूप से स्वस्थ बनेंगे बल्कि मानसिक रूप से आपका दिमाग भी फिट और हेल्दी बना रहेगा। नई स्टडी की मानें तो योग इंसानी दिमाग के कई हिस्सों में नसों के आपसी जुड़ाव को मजबूत बनाता है। हठ योग पर किए गए पिछले 11 शोधों के अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है।

यूएस में इलिनोइस यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक, हठ योग करने वालों के मानसिक स्वास्थ्य की शुरू और अंत में तुलना की गई थी। स्टडी का एक दिलचस्प नतीजा यह था कि दिमाग का वह हिस्सा जिसे हिप्पोकैम्पस कहते हैं, वह उम्र के साथ सिकुड़ने लगता है। इस हिस्से का ताल्लुक इंसान की याददाश्त से है। हिप्पोकैम्पस बहुत ज्यादा सिकुड़ने पर लोगों को अल्जाइमर्स जैसी बीमारी हो जाती है, जिसमें याद करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है। स्टडी बताती है कि योग करने वालों में हिप्पोकैम्पस का आकार सिकुड़ा नहीं। उसमें सामान्य वृद्धि बरकरार रही।
स्टडी में यह भी कहा गया है कि एमिग्डाला (एक दिमागी हिस्सा, जो भावनात्मक आदान-प्रदान में रोल अदा करता है), योग करने वालों में उन लोगों की तुलना में बड़ा होता है जो योग का अभ्यास नहीं करते हैं। अन्य मस्तिष्क क्षेत्रों जैसे प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स, सिंगुलेट कॉर्टेक्स भी बड़े हैं, या उन लोगों में अधिक क्षमता से काम करते हैं, जो नियमित योगाभ्यास करते हैं
योग का विज्ञान, शरीर की आन्तरिक शक्ति को जगाता है और जो शरीर को अधिक शक्तिशाली बनाता है और कार्यक्षमता को बढ़ाता है। ये संज्ञान शक्ति में तत्काल वृद्धि का कारक भी हो सकता है। ये तनाव से मुक्त करता है और मस्तिष्क के द्वारा संचालित सभी महत्वपूर्ण क्रियाओं के संचालन में मदद करता है। जैसे बायीं नासिका से श्वास लेने पर दाहिना मस्तिष्क सक्रिय होता है और दायीं नासिका से श्वास लेने पर बायाँ मस्तिष्क सक्रिय होता है।
सुपर ब्रेन योगा आपके दिमाग के लिए बहुत ही लाभकारी है मैं बताती हूं उसे करने का सही तरीका
​सुपर ब्रेन योग को कैसे करें
सीधा खड़े हो जाएँ, भुजायें सामान्य स्थिति में।
अपने बाएँ हाथ को उठाये और अपने दाहिने कर्ण पल्लव को पकड़े और ध्यान रहे अगूंठा सामने की ओर रहे।
अब दायें हाथ को उठाये और अपना बायां कर्ण पल्लव पकड़े आपकी दायीं भुजा बायीं भुजा के ऊपर होनी चाहिए।
गहरी श्वांस ले और धीर-धीरे बैठें।
2-3 सेकण्ड् रुकें।
आराम से श्वाँस छोड़ें और उठ जाएँ, इस तरह एक चक्र पूरा हुआ।
रोज आप ऐसे 15 चक्र कर सकते हैं।
सुपर ब्रेन योग के लाभ
सुपर ब्रेन योग से आपके कर्ण पल्ल्वों में उपस्थित एक्यूप्रेशर बिंदु सक्रिय होकर आपके मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाते हैं।
आप जानते हैं कि शान द्वारा मस्तिष्क को कैसे सक्रिय किया जा सकता है
ज्यादातर लोग सोचते हैं कि ध्यान सिर्फ तनाव कम करने के लिए है। ध्यान मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है सप्ताह में 6 घंटे ध्यान से मस्तिष्क की संरचना में बदलाव आ जाता है। ये बदलाव एकाग्रता को बढ़ाते हैं, स्मरण शक्ति को बढ़ाते हैं और एक साथ कई कम करने की क्षमता को बढ़ाते है।
2011 में हार्वर्ड से जुड़े शोधकर्ताओं ने मेसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल (MGH) में की शोध में सत्यापित किया है। ध्यान, मोटे सेरिब्रल कोर्टेक्स से और अधिक ग्रे मैटर से जुड़ा है। ये मस्तिष्क के वे हिस्से हैं को स्मृति, सजगता, निर्णय लेने की क्षमता और सीखने से जुड़े हैं इसलिए ध्यान अधिक मस्तिष्क शक्ति का कारक है।

आपने जाना कि योग आसन, सुपर ब्रेन योग, प्राणायाम और ध्यान आपके मस्तिष्क को सक्रिय कर अधिक शक्तिशाली बना सकते हैं। इसलिए इन्हे कुछ समय दें और एक शानदार और स्वस्थ जीवन जियें।

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Photos from Prayag Arogyam Blogs's post 29/05/2022

जीवन में चुनौतियों का सामना करने के लिए योग जरूरी:
प्रयाग आरोग्यं केंद्र के संस्थापक योगाचार्य प्रशांत शुक्ला जी ने कहा कि जीवन में चुनौतियों का सामना करने के लिए स्वस्थ शरीर और स्वस्थ्य मन का होना जरूरी है। योग ऐसी विधि है जो हमारे शरीर को चुस्त-दुरूस्त रखने के साथ ही मन की एकाग्रता बढ़ाती है।10 मिनट योगा करने से शरीर स्वस्थ रहता है और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हार्ट अटैक आदि के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके अलावा योगासन से शरीर लंबे समय तक बूढ़ा नहीं होता है। आइए आपको बताते है, सामूहिक योगाभ्यास के फायदे

शोध कहते हैं कि समूह में योग् या व्यायाम करने से करने वालों में से 75 प्रतिशत अपनी फिटनेस से जुड़े लक्ष्यों को पूरा कर लेते हैं। शायद इसलिए ग्रुप एक्सरसाइज का चलन खूब लोकप्रिय हो रहा है। आइये जानते हैं इसके फायदे

पिछले कुछ समय से सामूहिक व्यायाम योगाभ्यास देश का बड़ा चलन बन कर उभरा है। अलसुबह जहां बुजुर्गों के समूह टहलते, योग करते और लाफिंग योग करते दिख जाते हैं, युवा भी समूह में दौड़ते आंखों में दिख जाते हैं
सामूहिक व्यायाम से संबंधित एक दिलचस्प शोध साल 2013 में भी हुआ। इसके तहत कुछ लोगों को सामूहिक रूप से और कुछ लोगों को अकेले नाव चलाने को कहा गया। शोध में पाया गया कि जो लोग सामूहिक रूप से नाव चला रहे थे, उनमें उत्साह और मनोबल अधिक था। वहीं जो लोग अकेले ही नाव चला रहे थे
जब हम समूह में व्यायाम करते हैं तो आपस में एक-दूसरे से अच्छा करने की स्पर्धा रहती है। इससे हम व्यायाम के हर चरण को अच्छी तरह अंजाम देते हैं। सबसे अच्छा प्रदर्शन करने की होड़ में भी हम अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं।
इसलिए प्रयाग आरोग्यं केंद्र की ओर से प्रत्येक रविवार लखनऊ के अलग-अलग पार्कों में योग जागरूकता अभियान के तहत 111 बार सूर्य नमस्कार का अभ्यास कराया जाता है

रोज कई साथियों के साथ व्यायाम और योग करने के भावनात्मक फायदे भी हैं। हम उनके सुख-दुख से जुड़ते हैं, उनके साथ ही सेहतमंद होने की भावना हमें उत्साहित करती है। हम नए दोस्त बनाते हैं। इसलिए अगर आप भी अकेले खुद को नियमित व्यायाम के लिए प्रेरित नहीं कर पा रहे हैं, तो कुछ ऐसे साथी तलाशिये, जिनके साथ आप ऐसा कर सकें।

Posted By Archna Patel
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29/05/2022

बुद्धि के विकास के लिए प्रज्ञा योग
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15/05/2022

🧘ध्यान योग 🧘

तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम।।
अर्थात- जहां चित्त को लगाया जाए उसी में वृत्ति का एकतार चलना ध्यान है
अध्ययनों से पता चला है कि योग ध्यान से मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र और हमारे इम्यून सिस्टम पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है। योग ध्यान के अभ्यास से हमारे ध्यान को केंद्रित करने, भावनाओं के बारे में अधिक जागरूक होने और भावनाओं एवं विचारों को मन के माध्यम से स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की हमारी क्षमता बढ़ जाती है। इसका व्यक्ति पर मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ता है। योग माइंडफुलनेस, तनाव पैदा करने वाले विचारों और भावनाओं को पहचानने में मदद करता है, जो आगे तनावपूर्ण स्थितियों के लिए हमारे मन और मस्तिष्क को तैयार करता है
अष्टाँगयोग मे धारणा के बाद ध्यान और समाधी का क्रम बताया गया है। लेकिन यहाँ तक पहुँचने के लिए यह अवश्यक है कि हमारा शरीर स्वस्थ हो। शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए योग में शुद्धि क्रियायें बताई गई है।शुद्धि क्रियाओ का पालन करने के बाद अष्टाँगयोग का पालन जरूरी है।
ध्यान के लिए स्थूल शरीर के साथ शुक्ष्म शरीर का स्वस्थ होना भी अवश्यक है। इसके लिए संतुलित आहार और विचारों के शुद्धि जरूरी है।
अष्टाँगयोग मेंं विचारों की शुद्धि के लिए यम - नियम के बारे में बताया गया है। और स्थूल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आसन, तथा प्राणों की पुष्टि के लिए प्राणायाम बताये गये है।
ध्यान साधना के और भी कई प्रकार है।

भक्तियोग--भक्ति साधना है।
कर्मयोग--कर्म साधना है।
उसी प्रकार एक संगीतकार के लिए 'संगीत', नृतक के लिए 'नृत्य', कलाकार के लिए 'कला' तथा विद्यार्थी के लिये 'अध्ययन' एक साधना है।
ध्यान का अर्थ सावधानी भी है। दैनिक जीवन मे हम कोई भी कार्य करते है जैसे कि गाड़ी चलाते हैं ऑफिस में काम करते है या किसी मशीन पर काम करते है, हमे ध्यान की अवश्यकता है। इसके लिए मन का एकाग्र होना जरूरी है। यदि मन की एकाग्रता नही है तो वह कार्य बे-ध्यानी से किया जायेगा। और उस कार्य मे सफलता मिलनी कठिन है।
ध्यान योग अष्टाँगयोग का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह हमारे जीवन को प्रभावित करता है। यदि शरीर और मन अस्वस्थ होगा तो ध्यान में बाधाएं उत्पन्न होंगी, इसलिए पहले शरीर और मन को स्वस्थ रखना आवश्यक है इसके लिए आसन और प्राणायाम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
आंख बंद करके बैठ जाना ध्यान नहीं है। किसी मूर्ति का स्मरण करना भी ध्यान नहीं है। माला जपना भी ध्यान नहीं है। अक्सर यह कहा जाता है कि पांच मिनट के लिए ईश्वर का ध्यान करो यह भी ध्यान नहीं, स्मरण है। ध्यान है क्रियाओं से मुक्ति। विचारों से मुक्ति।
हमारे पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतना ही हम अपने आप को उनके साथ व्यस्त पाते हैं और उन स्थितियों के बारे में चिंता करते हैं जो मौजूद ही नहीं हैं।
हमारे मन में एक साथ असंख्य कल्पना और विचार चलते रहते हैं। इससे मन-मस्तिष्क में कोलाहल-सा बना रहता है। हम नहीं चाहते हैं फिर भी यह चलता रहता है। आप लगातार सोच-सोचकर स्वयं को कम और कमजोर करते जा रहे हैं। ध्यान अनावश्यक कल्पना व विचारों को मन से हटाकर शुद्ध और निर्मल मौन में चले जाना है।
ध्यान जैसे-जैसे गहराता है व्यक्ति साक्षी भाव में स्थित होने लगता है। उस पर किसी भी भाव, कल्पना और विचारों का क्षण मात्र भी प्रभाव नहीं पड़ता। मन और मस्तिष्क का मौन हो जाना ही ध्यान का प्राथमिक स्वरूप है।
ध्यान पर यूं तो समय समय पर शोध होते रहे हैं। शोध में ध्यान के मानसिक और शारीरिक महत्व और उपयोगिता को उजागर किया जाता रहा है, लेकिन हाल ही में पूर्व पेनीसिल्‍वेनिया विश्विविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा कराई गए एक शोध में ध्यान व योग से व्यक्तित्व के विकास की बात मानी गई है।
इस शोध में शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि किस तरह से ध्यान द्वारा मस्तिष्क को तीन चरणों में एकाग्रचित किया जा सकता है। साथ ही सक्रिय रहते हुए मस्तिष्‍क को प्रत्येक बिंदु पर क्रियाशील बनाया जा सकता है।
इस शोध के दौरान प्रतिभागियों को एक महीने तक 30 मिनट की ध्यान की अवस्था में रखा गया। एक महीने के पश्चात उनके मस्तिष्क की क्रियाओं को मापा गया और उनकी मानसिक गतिविधियों का निरीक्षण किया गया।
इस शोध के निष्कर्ष स्वरूप इन प्रतिभागियों के मस्तिष्क और व्यवहार में काफी सकारात्मक परिवर्तन सामने आए। इस शोध का विस्तृत निष्कर्ष ‘कॉग्नीटिव, इफेक्ट्स एंड बिहेवियरल न्यूरोसाइंस’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि ध्यान करने के लिए किसी पहाड़ियां गुफा में जाने की जरूरत नहीं है ध्यान का नाम सुनते ही कुछ लोग ऐसी ही धारणा बना लेते हैं
जब हम नियमित ध्यान करते हैं तो विचारों द्वारा खपत होने वाली ऊर्जा बच जाती है।
जिससे हम दोबारा तरोताजा महसूस करते हैं इसलिए अपनी दिनचर्या में ध्यान को जरूर शामिल करें

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मानव जीवन में योग का महत्वआइये जानते हैं जीवन में योग का महत्व आपके मन में एक प्रश्न बार-बार आता होगा की हम योग क्यों कर...
जिस किसी योग साधक को सर्टिफिकेट ,डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर ,200 hours Teachers Training Course मे प्रवेश लेने हो 20 जूलाई ...

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