Dr Niraj Kumar Yadav
Dr. Niraj Kumar Yadav
Oculoplastic Surgeon
National President: IMO
MBBS, MS, FICM, FID, NDEP, FIOPS. He championed the rights of the poor & the marginalised.
Dr Niraj Kumar Yadav, popularly known as an Agriculturist, Doctor, Political and Social Worker. Through his life, he has always been the strongest proponent of politics of purpose. Over the years, he has lent his voice to a number of issues but has always remained focused on propagating non-violence, equality and justice. He has imbibed these virtues through a lifelong tryst with Indian politics
पालक की गंभीर बीमारी : न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस
Neurofibromatosis: Oculocutaneous Syndrome
पलक की बीमारी: न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस #lischnodule #cafeaulaitspot #oculoplastics @DrNirajKumarYadav पलक की बीमारी : न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस ...
Pterygium: Etiology
Pathogenesis
Clinical features
Management
Complications
https://youtu.be/MpwGpb3Qbok?si=LppQun9z1CMOWw3d
जिन लोगों की आंखों में नाखूने की समस्या हो वे लोग यह वीडियो अवश्य देखें।
आंखों में नाखूना की समस्या। #pterygium #eyecare #eye #video #oculoplastics @DrNirajKumarYadav आंखों में नाखूना की समस्या। ...
Eyelid Signs in thyroid eye disease
● थायराइड बीमारी की वजह से आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव।
● थायराइड की वजह से आंखों में पैदा होने वाले लक्षण
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यदि आपके बच्चे में आंखों से आंसू आने की समस्या लगातार बनी हुई है तो यह वीडियो अवश्य देखें।
बच्चों में आंसू आने की समस्या। #CNLDO #congenital #lacrimal #duct #obstruction @DrNirajKumarYadav बच्चों में आंसू आने की समस्या। ...
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Blepharophimosis Syndrome (BPES)
https://youtu.be/APxSNedt9R4?si=Aac4JvIC-kF0XLCN
https://youtube.com/?si=vkQ74xAmPP-AfUul
Blepharophimosis syndrome #ptosis #eyes #syndrome #eye #ptosiscorrection @DrNirajKumarYadav Blepharophimosis syndrome ...
थायराइड की बीमारी से आंखों में होने वाली परेशानियों को शुरुआती लक्षणों के आधार पर जाने। जिससे आंखों की रोशनी कम होने तथा आंखों में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
Thyroid associated orbitopathy
https://youtu.be/5QMrJa5IHbg?si=ZpALc8jcz2VncuiZ
Dr Niraj Kumar Yadav
थायराइड आई डिजीज। #thyroid #orbitaldisease #thyroidophthalmopathy #eyediseases @DrNirajKumarYadav थायराइड की बीमारी का आंखों पर दुष्प्रभाव।थायराइड के करण आंखों पर होने वाले लक्षणों को जाने। थायराइड आई डिजीज। (Thyroid...
Retention cyst of eyelid.
Surgical Excision of Eyelid inclusion Cyst.#education #video Surgical Excision of Eyelid inclusion Cyst. Disclaimer: - Under section 107 of the copyright Act 1976, allowance...
बाँझ माँ
कॉलबेल की आवाज़ सुनकर जैसे ही सुबह सुबह शांतनु ने दरवाजा खोला सामने एक पुराना से ब्रीफकेस लिए गांव के मास्टर जी और उनकी बीमार पत्नी खड़ी थीं। मास्टर जी ने चेहरे के हाव भाव से पता लग गया कि उन्हें सामने देख शांतनु को जरा भी खुशी का अहसास न हुआ है।जबरदस्ती चेहरे पर मुस्कुराहट लाने की कोशिश करते हुए बोला "अरे सर आप दोनों बिना कुछ बताए अचानक से चले आये!अंदर आइये।"
मास्टर साहब ब्रीफकेस उठाये अंदर आते हुए बोले" हाँ बेटा, अचानक से ही आना पड़ा मास्टरनी साहब बीमार हैं पिछले कुछ दिनों से तेज फीवर उतर ही नहीं रहा ,काफी कमजोर भी हो गई है।गाँव के डॉक्टर ने AIIMS दिल्ली में अविलंब दिखाने की सलाह दी।अगर तुम आज आफिस से छुट्टी लेकर जरा वहाँ नंबर लगाने में मदद कर सको तो..."
"नहीं नहीं ,छुट्टी तो आफिस से मिलना असंभव सा है "बात काटते हुए शांतनु ने कहा ।थोड़ी देर में प्रिया ने भी अनमने ढंग से से दो कप चाय और कुछ बिस्किट उन दोनों बुजुर्गों के सामने टेबल पर रख दिये। सान्या सोकर उठी तो मास्टर जी और उनकी पत्नी को देखकर खूब खुशी से चहकते हुए "दादू दादी"बोलकर उनसे लिपट गयी दरअसल छः महीने पहले जब शांतनु एक सप्ताह के लिए गाँव गया था तो सान्या ज्यादातर मास्टर जी के घर पर ही खेला करती थी।मास्टर जी निःसंतान थे और उनका छोटा सा घर शांतनु के गाँव वाले घर से बिल्कुल सटा था।बूढ़े मास्टर साहब खूब सान्या के साथ खेलते और मास्टरनी साहिबा बूढ़ी होने के बाबजूद दिन भर कुछ न कुछ बनाकर सान्या को खिलातीं रहतीं थीं।बच्चे के साथ वो दोनों भी बच्चे बन गए थे।
गाँव से दिल्ली वापस लौटते वक्त सान्या खूब रोई उसके अपने दादा दादी तो थे नहीं मास्टर जी और मास्टरनी जी में ही सान्या दादा दादी देखती थी।जाते वक्त शांतनु ने घर का पता देते हुए कहा कि "कभी भी दिल्ली आएं तो हमारे घर जरूर आएं बहुत अच्छा लगेगा।" दोनों बुजुर्गों की आँखों से सान्या को जाते देख आँसू गिर रहे थे और जी भर भर आशीर्वाद दे रहे थे।
कुल्ला करने जैसे ही मास्टर जी बेसिन के पास आये प्रिया की आवाज़ सुनाई दी "क्या जरूरत थी तुम्हें इनको अपना पता देने की दोपहर को मेरी सहेलियाँ आती हैं उन्हें क्या जबाब दूँगी और सान्या को अंदर ले आओ कहीं बीमार बुढ़िया मास्टरनी की गोद मे बीमार न पड़ जाए"
शांतनु में कहा "मुझे क्या पता था कि सच में आ जाएँगे रुको किसी तरह इन्हें यहाँ से टरकाता हूँ"
दोनों बुजर्ग यात्रा से थके हारे और भूखे आये थे सोचा था बड़े इत्मीनान से शांतनु के घर चलकर सबके साथ आराम से नाश्ता करेंगे।इस कारण उन्होंने कुछ खाया पिया भी न था। आखिर बचपन में कितनी बार शांतनु ने भी तो हमारे घर खाना खाया है। उन्होंने जैसे अधिकार से उसे उसकी पसंद के घी के आलू पराठे खिलाते थे इतना बड़ा आदमी बन जाने के बाद भी शांतनु उन्हें वैसे ही पराठे खिलायेगा।
" सान्या!!" मम्मी की तेज आवाज सुनकर डरते हुए सान्या अंदर कमरे में चली गयी।थोड़ी देर बाद जैसे ही शांतनु हॉल में उनसे मिलने आया तो देखा चाय बिस्कुट वैसे ही पड़े हैं और वो दोनों जा चुके हैं।
पहली बार दिल्ली आए दोनों बुजुर्ग किसी तरह टैक्सी से AIIMS पहुँचे और भारी भीड़ के बीच थोड़ा सुस्ताने एक जगह जमीन पर बैठ गए ।तभी उनके पास एक काला सा आदमी आया और उनके गाँव का नाम बताते हुए पूछा" आप मास्टर जी और मास्टरनी जी हैं ना।मुझे नहीं पहचाना मैं कल्लू ।आपने मुझे पढ़ाया है।"
मास्टर जी को याद आया "ये बटेसर हरिजन का लड़का कल्लू है बटेसर नाली और मैला साफ करने का काम करता था।कल्लू को हरिजन होने के कारण स्कूल में आने पर गांववालो को ऐतराज था इसलिए मास्टर साहब शाम में एक घंटे कल्लू को चुपचाप उसके घर पढ़ा आया करते थे।"
" मैं इस अस्पताल में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी हूँ।साफ सफाई से लेकर पोस्टमार्टम रूम की सारी जिम्मेवारी मेरी है।"
फिर तुरंत उनका ब्रीफकेस सर पर उठाकर अपने एक रूम वाले छोटे से क्वार्टर में ले गया।रास्ते में अपने साथ काम करने वाले लोगों को खुशी खुशी बता रहा था मेरे रिश्तेदार आये हैं मैं इन्हें घर पहुँचाकर अभी आता हूँ घर पहुँचते ही पत्नी को सारी बात बताई पत्नी ने भी खुशी खुशी तुरंत दोनों के पैर छुए फिर सब मिलकर एक साथ गर्मा गर्म नाश्ता किए।फिर कल्लू की छोटी सी बेटी उन बुजुर्गों के साथ खेलने लगी।
कल्लू बोला "आपलोग आराम करें आज मैं जो कुछ भी हूँ आपकी बदौलत ही हूँ फिर कल्लू अस्पताल में नंबर लगा आया। "कल्लू की माँ नहीं थी बचपन से ही।
मास्टरनी साहब का नंबर आते ही कल्लू हाथ जोड़कर डॉक्टर से बोला "जरा अच्छे से इनका इलाज़ करना डॉक्टर साहब ये मेरी बूढ़ी माई है "सुनकर बूढ़ी माँ ने आशीर्वाद की झड़ियां लगाते हुए अपने काँपते हाथ कल्लू के सर पर रख दिए। वो बांझ औरत आज सचमुच माँ बन गयी थी उसे आज बेटा मिल गया था और उस बिन माँ के कल्लू को भी माँ मिल गयी थी......
वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए बर्बर आतंकी हमले की बरसी पर आज मैं उन सभी शौर्य सपूतों की शहादत को सलाम करता हूं, जिन्होंने देश की सुरक्षा व मां भारती के स्वाभिमान के लिए अपने रक्त की एक-एक बूंद समर्पित कर दी। आंखों को भीगो देने वाले इस अवसर पर आपके साहस, शौर्य व समर्पण पर भारतवर्ष गौरवान्वित है।
शहादत को सलाम!
★ रख हौंसला वो मंजर भी आयेगा.................★
एक ट्रक में मारबल का सामान जा रहा था, उसमे टाईल्स भी थी और भगवान की मूर्ती भी थी।
रास्ते में टाईल्स ने मूर्ती से पूछा भाई ऊपर वाले ने हमारे साथ ऐसा भेद-भाव क्यों किया है?
मूर्ती ने पूछा, कैसा भेद भाव?
टाईल्स ने कहा, तुम भी पत्थर मै भी पत्थर।
तुम भी उसी खान से निकले मै भी।
तुम्हे भी उसी ने ख़रीदा बेचा मुझे भी।
तुम भी मन्दिर में जाओगे, मै भी पर वहां तुम्हारी पूजा होगी और मै पैरो तले रौंदा जाउंगा। ऐसा क्यों?"
मूर्ती ने बड़ी शालीनता से जवाब दिया, तुम्हे जब तराशा गया तब तुमसे दर्द सहन नही हुआ और तुम टूट गये टुकड़ो में बंट गये और मुझे जब तराशा गया तब मैने दर्द सहा, मुझ पर लाखो हथोड़े बरसाये गये, मै रोया नही!
मेरी आँख बनी, कान बने, हाथ बना, पांव बने फिर भी मैं टूटा नही !!
इस तरहा मेरा रूप निखर गया और मै पूजनीय हो गया !!
तुम भी दर्द सहते तो तुम भी पूजे जाते मगर तुम टूट गए और टूटने वाले हमेशा पैरों तले रोंदे जाते है!!
# मोरल #:- भगवान जब आपको तराश रहा हो तो, टूट मत जाना, हिम्मत मत हारना।
अपनी रफ़्तार से आगे बढते जाना, मंजिल जरूर मिलेगी !!
सुन्दर पंक्तियाँ:- मुश्किलें केवल बहतरीन लोगों के हिस्से में ही आती हैं क्योकि वो लोग ही उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं !!
"रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा !
थक कर ना बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफ़िर;
मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा...!!
"सीमा, वो तुम्हारे भैया पूछ रहे थे कि तुम्हारी बिटिया की शादी में अब तो महीना भर भी बाकी नहीं रहा, तुम भात का न्योता देने कब आती हो? जरा बता देती तो हम भी सब तैयारी करके रखें।" फोन पर सीमा से उसकी भाभी ने पूछा।
"भाभी, आपको पता तो है मैं तो बहुत बचपन से ही इन बातों के खिलाफ रही हूँ, मैं कोई भात-वात न्योतने नहीं आऊँगी। जल्दी ही किसी दिन हम दोनों आपके यहाँ शादी का न्योता देने आएँगे। छोटी मोटी रस्मों के अलावा तीन बड़े प्रोग्राम हैं। आप सब अपनी तैयारी करके रखें।"
"तू पागल तो नहीं हो गई है? अब तक तो तेरी इन बातों को हम तेरा बचपना समझते रहे, थोड़ा अक्ल से काम लिया कर। अब तू बच्ची नहीं रह गई है, कुछ दिनों में सास भी बन जाएगी और साल दो साल में नानी भी बन ही जाएगी।" फोन पर ही भाभी भड़क उठी।
"हा हा हा ... भाभी, आप भी ना।" जोर से हँस पड़ी सीमा।
"ये हँसने की बात नहीं है सीरियस होकर सोच, लोग बाग क्या कहेंगे, या हमारी इज़्ज़त का जरा भी ख्याल नहीं तुझे? दुनिया क्या कहेगी कि पाँच-पाँच भाइयों की बहन के भाई भात भरने लायक नहीं रहे क्या?" भाभी ने सवालों की झड़ी लगा दी।
"भाभी, सच बताना क्या पाँचो भाई भात देने की स्थिति में हैं?" बुझी सी आवाज में सीमा ने सवाल किया।
"देख सीमा, किसी की स्थिति हो या ना हो भात में बराबर का हिस्सा तो सभी भाइयों को देना ही होगा। आखिर पिताजी की जायदाद में सभी को बराबर मिला है।" भाभी ने अपना फैसला सुनाया।
"भाभी, माना कि सभी भाइयों को बराबर का हिस्सा मिला है लेकिन वो छोटा भाई, ना जाने जैसे-कैसे उसके घर का खर्च चल रहा है। वो घर की ईंटे फोड़-फोड़कर भात में देगा क्या ?" दुखी सी आवाज में सीमा ने भाभी से सवाल किया।
"अरे ! चलो हम तेरी बात मान भी लें लेकिन हमें परम्पराएँ भी तो निभानी होती हैं। आने वाली पीढ़ियाँ क्या समझेंगी की भात की रस्म क्या होती थी? हमें अपने संस्कार भी बचाये रखने हैं इसलिए सभी रीति-रस्में निभानी चाहिए।" भाभी ने अपनी बात पर जोर दिया।
"भाभी, मैं सोचती थी कि इन सड़े-गले रीति रिवाजों को मैं अपने बच्चों की शादी में खत्म करने की शुरुआत करूँगी लेकिन आपने मुझे सोचने के लिए विवश कर दिया।"
"चलो, मेरी बात का असर तो हुआ तुझ पर, अब बता कब आ रही है भात का न्योता देने? खूब, ठाठ से आना, अपने पूरे कुनबे और अपनी संगी-सहेलियों को भी लाना।" भाभी ने चहकते हुए कहा।
"नहीं, नहीं भाभी, मेरी बेटी की बारात आने से पहले एक बारात हम आपके घर नहीं लेकर आ रहे, बस हम दो तीन लोग आएंगे। वो भी इस शर्त पर जब आप सभी भाई-भाभियाँ मुझसे ये वादा करो कि आप लोग भात की थाली में सिर्फ एक-एक रुपया ही डालेंगे, तब तो मैं भात न्योतने आऊँ वरना नहीं।"
"फिर वही बात, तुमने तो पक्का ही हमारी नाक कटवाने की सोच रखी है।" भाभी की आवाज इस बार बहुत तल्ख थी।
"नहीं भाभी, ऐसा मत सोचो। बस ये सोचो कि ना आपके घर में कोई कमी है और ना ही मेरे घर में । बड़े उँचे परिवारो पर कोई उँगली नहीं उठाता बल्कि इस तरह हम समाज में एक नया संदेश देंगे और कर्ज लेकर बेटी की शादी, छुछक और भात की रस्म निभाने वाले लोगो को एक नई राह दिखाएंगे।"
राष्ट्रीय समाजसेवी परिषद
Rashtriya Samajsevi Parishad Bihar
आज सुबह रानी दुर्गावती चिकित्सा विद्यालय (RDMC) बांदा के नेत्र विभाग की ओपीडी में एक माताजी अपनी आंखों की कुछ समस्या लेकर आई। उनको देखने से लगा कि वह काफी उम्र दराज है। जब उनसे बात की तो पता चला कि उनकी उम्र 97 साल हो गई है। आँखों की जांच करने पर पता चला कि उन्हें दोनों आंखों में मोतियाबिंद की समस्या है। जिसकी वजह से कम दिखाई पड़ रहा है। इसी कारण से वह अपने पोते के साथ अस्पताल आई है। 97 वर्ष के उम्र के इस पड़ाव के बावजूद माता जी अच्छी तरह से बात को सुन रही थी, समझ रही थी और हर प्रश्न का जवाब भी दे रही थी। हमने उनसे कहा कि आपकी आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए मोतियाबिंद का ऑपरेशन करना पड़ेगा। उन्होंने बड़े प्यार से कहा बेटा हमारी उम्र तो अब निकल चुकी है कुछ ऐसी दवाई दे दो जिससे साल दो साल और हम इस दुनिया को देख सके। मेरा ऑपरेशन कराने का मन नहीं है। मैंने प्यार से उन्हें समझाया की माताजी ऑपरेशन से रोशनी बढ़ जाएगी और आपको किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आएगी। दो बातें अपनेपन की जो मन को प्यारी लगती है ऐसी बातें सुनकर मरीज स्वतः ही पिघल जाता है। उसमें जीवन जीने की उत्कंठा जाग उठती है। सर्जन की बस यही प्यार भरी दो बातें ही मरीज का आधा कष्ट खत्म कर देती हैं। मैंने अस्पताल से माता जी को कुछ दवाइयां उपलब्ध कराई। जाते समय उन्होंने स्वयं कहा कि मैं एक-दो सप्ताह बाद आकर मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराऊंगी। उन्होंने हमारे सिर पर हाथ रख कर आत्मीयता से आशीर्वाद दिया और आंखों से खुशी के दो आंसू बह निकले। साथियों यह जिंदगी हमें हर पल कुछ न कुछ नया सिखाती रहती है। जो भी इंसान आप के संपर्क में आता है वह कुछ ना कुछ नई सीख देकर जाता है। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद हमेशा लेते रहिए यही सबसे बड़ा पुण्य का काम है। यह बात सही है कि जैसे-जैसे उम्र ढलती है बुढ़ापा आता है सोचने, समझने, सुनने, देखने तथा जीवन जीने की इच्छा कम होने लगती है। अतः हम सभी लोगों का यह नैतिक दायित्व है कि अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें और उन्हें हर वह चीज उपलब्ध कराएं जिनके वे हकदार हैं। माताजी ने तो आज आशीर्वाद देकर हमारा दिन बना दिया।
Love and Respect ❤💐🇮🇳
(श्री कृष्ण बाललिला)
भगवान ने जब यह देखा कि मैया मेरे अधिक दूध पीने से अपच की आशंका करती है तब वे मुस्करा पड़े और जम्हाई लेने लगे। अब जो जम्हाई लेते समय मैया ने देखा कि मेरे लाला के मुख में तो सम्पूर्ण विश्व है, तब वे आश्चर्यचकित हुयीं और डर भी गयीं।
भगवान ने माता यशोदा को मुख में विश्व के दर्शन क्यों कराए?
भगवान ने सोचा कि जब माता यशोदा मुझसे निश्छल प्रेम कर रही है; अपना हृदयरस (स्नेह) मुझे पिला रही है तो मुझे भी उनसे कुछ छिपाना नहीं चाहिए। माता मुझे सचमुच का बेटा समझती है पर मैं तो अजन्मा ईश्वर हूँ। मुझे उनसे कोई कपट नहीं करना चाहिए। माता मुझे अपना सात्विक दूध पिलाती है तो मुझे भी उनको अपना सत्य स्वरूप दिखा देना चाहिए।
दूसरा कारण यह है– भगवान ने सोचा, मां, तू अकेले मेरी मां नहीं हैं, सारे विश्व की मां है। मेरे साथ सारा विश्व तेरा बेटा है। सभी मेरे पेट के भीतर बैठकर तेरा दूध पी रहे हैं। तो इतने से दूध से क्या अपच होने वाला है? इस प्रकार भगवान की ऐश्वर्य-शक्ति ने यशोदामाता को बालकृष्ण के मुख में पहाड़, द्वीप, नदी, सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी, द्युलोक, भूलोक आदि सब दिखा दिए।
परन्तु ऐश्वर्य-शक्ति से मां की स्नेह-शक्ति अधिक बड़ी होती है। मां ने सोचा कि आज हमारे लाला के मुख में न जाने क्या गड़बड़झाला दिख रहा है। लगता है किसी ने कोई जादू कर दिया है, या लाला का कोई खेल है। लाला के मुख में कोई सृष्टि नहीं है, ये तो निगोड़ी (ब्रजभाषा का शब्द है जो उलाहना देने के लिए प्रयोग करते हैं) मेरी आँखें हैं जो न जाने लाला में क्या-क्या खेल दिखलाती रहती हैं। इसलिए बंद करो इन आँखों को, यह कहकर माता ने अपनी आँखें बन्द कर लीं।
भगवान की ऐश्वर्य-शक्ति हार गयी और मां के प्रेम के कारण परमब्रह्म परमात्मा फिर शिशु बन गए। ऐश्वर्य-शक्ति ईश्वर से प्रेम की परीक्षा के लिए बार-बार आती है पर मां यशोदा का वात्सल्य, स्नेह उसे अपनी दासी बना लेता है।
ब्रजरानी सुत पलना झुलावे।
आछो मुख चुंबत लालन को अति रस मंगल गावे।।
निरखि सुंदर आनन तन फिरफिर ते उर लावे।
श्रीविट्ठल गिरिधर नंदनंदन ब्रजजन के मन भावे।। (कीर्तन पुष्प वाटिका)
माता यशोदा बालकृष्ण को पालने में झुलाने लगीं। वे लाला का मुख चूमकर अति आनन्द में मंगल गीत गाने लगतीं। फिर बालकृष्ण के सुन्दर मुख को देखकर बार-बार हृदय से लगा लेतीं।
माता की इच्छा श्रीकृष्ण के शीघ्र बड़े होने की है। वे कहती हैं–‘नान्हरिया गोपाल लाल, तू बेगि बड़ो किन होहि।’ अर्थात् हे नन्हें गोपाललाल ! तू कब जल्दी से बड़ा होगा। यशोदामाता कभी प्रार्थना करती हैं–’हे भगवान ! मेरा वह दिन कब आयेगा जब मैं अपने लाल को बकैयाँ (घुटनों के बल) चलते देखूंगी, कब दूध की दंतुलियां देखकर मेरे नेत्र शीतल होंगे, इसकी तोतली बोली सुनकर कब कानों में अमृत बहेगा।’ माता का मनोरथ पूरा भी हो गया। श्रीकृष्ण बोलने भी लगे, बकैयां चलने लगे और फिर खड़े होकर चलने भी लगे। माता यशोदा और श्रीकृष्ण में होड़ लगी रहती। माता यशोदा का वात्सल्य जितना उमड़ता, उससे सौगुना श्रीकृष्ण लीलामाधुर्य बिखेर देते फिर श्रीकृष्ण की उस लीलामाधुरी को देखकर माता यशोदा का वात्सल्यसिन्धु सहस्त्रगुना उछाल मारता तो श्रीकृष्ण की लीला लक्षगुना चमक उठती। इस तरह माता यशोदा का वात्सल्य अनन्त, असीम व अपार हो गया। उसमें डूबी माता यशोदा सब कुछ भूल गयीं। उनके नेत्रों में हर समय केवल श्रीकृष्ण ही नाचते रहते थे। कब दिन हुआ, कब रात्रि हो गई, उन्हें कुछ भान ही नहीं रहता।वे हर समय अपने लाला की भावसमाधि में ही मग्न रहतीं। ऐसा लगता था मानो श्रीकृष्ण कह रहे हों–
‘जगत की स्त्रियों, देखो ! यदि तुममें से कोई मुझ परब्रह्म पुरुषोत्तम को अपना पुत्र बनाना चाहे तो मैं पुत्र भी बन सकता हूँ पर पुत्र बनाकर कैसे प्यार किया जाता है, कैसे वात्सल्यभाव से मुझे भजा जाता है, इसकी शिक्षा तुम्हें माता यशोदा से लेनी होगी।’
ग्बाल-बाल जब श्रीकृष्ण को चिढ़ाते हैं कि तुम यशोदाजी के पुत्र नहीं हो, तुम तो काले हो और माता यशोदा तो गोरी हैं; तुम्हें तो माता ने मोल लिया है, तो वे श्रीकृष्ण को समझाती हैं कि मैं गायों की सौगन्ध खाकर कहती हूँ कि मैं ही तेरी मां हूँ और तू मेरा बेटा है–
🌷जयश्रीकृष्ण
इंडियन मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन (IMO) देश के कोने कोने में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने को लेकर अनेक प्रयास कर रहा है। लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। बहुउद्देशीय स्वास्थ्य शिविरो के आयोजन के माध्यम से विशेष रूप से ग्रामीण अंचल और सुदूर तथा दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य के प्रति आईएमओ प्रमुखता से जागरूक कर रहा है। आइए हम सब लोग मिलकर भारत को बीमारी मुक्त गौरवशाली राष्ट्र बनाएं।
एक गर्भवती स्त्री ने अपने पति से कहा "आप क्या आशा करते हैं लडका होगा या लडकी" ?
पति- अगर हमारा लड़का होता है तो मैं उसे गणित पढाऊगा, हम खेलने जाएंगे, मैं उसे मछली पकडना सिखाऊगा।
पत्नी -"अगर लड़की हुई तो "?
पति- अगर हमारी लड़की होगी तो मुझे उसे कुछ सिखाने की जरूरत ही नही होगी क्योंकि, उन सभी में से एक होगी। वह सब कुछ मुझे दोबारा सिखाएगी कैसे पहनना, कैसे खाना, क्या कहना या नही कहना। एक तरह से वो मेरी दूसरी मां होगी। वो मुझे अपना हीरो समझेगी। चाहे मैं उसके लिए कुछ खास करू या ना करू। जब भी मै उसे किसी चीज़ के लिए मना करूंगा तो मुझे समझेगी। वो हमेशा अपने पति की मुझसे तुलना करेगी। यह मायने नही रखता कि वह कितने भी साल की हो पर वो हमेशा चाहेगी की मै उसे अपनी baby doll की तरह प्यार करूं। वो मेरे लिए संसार से लडेगी जब कोई मुझे दुःख देगा वो उसे कभी माफ नहीं करेगी।
पत्नी - कहने का मतलब है कि आपकी बेटी वो सब करेगी जो आपका बेटा नहीं कर पाएगा।
पति- नहीं नहीं क्या पता मेरा बेटा भी ऐसा ही करेगा पर वो सीखेगा। परंतु बेटी इन गुणों के साथ पैदा होगी। किसी बेटी का पिता होना हर व्यक्ति के लिए गर्व की बात है।
पत्नी - पर वो हमेशा हमारे साथ नही रहेगी।
पति- हां, पर हम हमेशा उसके दिल में रहेंगे।
इससे कोई फर्क नही पडेगा चाहे वो कही भी जाए।
बेटियाँ परी होती हैं। जो सदा बिना शर्त के प्यार और देखभाल के लिए जन्म लेती है।
आज रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज बांदा में नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष एवं इंडियन मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन (IMO) उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष डॉ आकाश श्रीवास्तव जी के जन्म दिन के शुभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विभाग के कर्मचारियों एवं चिकित्सकों के साथ सम्मिलित होने का अवसर मिला। आप सभी लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार।
हमारी कोशिश आप का सहयोग!
#डॉ_कलाम_राष्ट्रीय_समाजसेवीपाठशाला नगला छत्ते, इटावा पाठशाला प्रभारी श्री संतोष राजपूत जी समाजसेवी द्वारा परिषद के तत्वाधान में समस्त ग्राम वासियों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का प्रवधान व वृद्धजनों कम्बल वितरण किये जा रहे हैं। राष्ट्रीय समाजसेवी परिषद (RSP) के द्वारा इस तरह की पाठशालाऐ आने वाले समय में देश की प्रत्येक ग्राम सभाओं में संचालित की जाएंगी। इन पाठशालाओं में समाज के गरीब तथा जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षण तथा जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा।
राष्ट्रीय समाजसेवी परिषद
एक दिन की बात है लड़की की माँ खूब परेशान होकर अपने पति को बोली की एक तो हमारा एक समय का खाना पूरा नहीं होता और बेटी दिन ब दिन बड़ी होती जा रही है गरीबी की हालत में इसकी शादी कैसे करेंगे ?
बाप भी विचार में पड़ गया दोनों ने दिल पर पत्थर रख कर एक फैसला किया की कल बेटी को मार कर गाड़ देंगे।
दूसरे दिन का सूरज निकला, माँ ने लड़की को खूब लाड प्यार किया, अच्छे से नहलाया, बार - बार उसका सर चूमने लगी। यह सब देख कर लड़की बोली : माँ मुझे कही दूर भेज रहे हो क्या ? वर्ना आज तक आपने मुझे ऐसे कभी प्यार नहीं किया। माँ केवल चुप रही और रोने लगी, तभी उसका बाप हाथ में फावड़ा और चाकू लेकर आया। माँ ने लड़की को सीने से लगाकर बाप के साथ रवाना कर दिया। रास्ते में चलते - चलते बाप के पैर में कांटा चुभ गया। बाप एक दम से नीचे बैठ गया। बेटी से देखा नहीं गया उसने तुरंत कांटा निकालकर फटी चुनरी का एक हिस्सा पैर पर बांध दिया।
बाप बेटी दोनों एक जंगल में पहुचे बाप फावड़ा लेकर एक गढ्ढा खोदने लगा। बेटी सामने बैठे - बेठे देख रही थी। थोड़ी देर बाद गर्मी के कारण बाप को पसीना आने लगा।
बेटी बाप के पास गयी और पसीना पोछने के लिए अपनी चुनरी दी। बाप ने धक्का देकर बोला तू दूर जाकर बैठ।थोड़ी देर बाद जब बाप गढ्ढा खोदते - खोदते थक गया।
बेटी दूर से बैठे -बैठे देख रही थी, जब उसको लगा की पिताजी शायद थक गये तो पास आकर बोली पिताजी आप थक गये है। लाओ फावड़ा में खोद देती हु आप थोडा आराम कर लो। मुझसे आप की तकलीफ नहीं देखी जाती। यह सुनकर बाप ने अपनी बेटी को गले लगा लिया, उसकी आँखों में आंसू की नदियां बहने लगी, उसका दिल पसीज गया।
बाप बोला : बेटा मुझे माफ़ कर दे, यह गढ्ढा में तेरे लिए ही खोद रहा था। और तू मेरी चिंता करती है, अब जो होगा सो होगा तू हमेशा मेरे कलेजा का टुकड़ा बन कर रहेगी मैं खूब मेहनत करूँगा और तेरी शादी धूम धाम से करूँगा।
सारांश : बेटी तो भगवान की अनमोल भेंट
है, इसलिए कहते हैं.....
#बेटा_भाग्य_से_मिलता_है_और_बेटी_सौभाग्य_से।।
कल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय समाजसेवी परिषद (RSP) के तत्वावधान में संचालित "डॉ कलाम राष्ट्रीय समाजसेवी पाठशाला" में परिषद के पदाधिकारियों के द्वारा बापू जी की पुण्यतिथि (शहीद दिवस) के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में परिषद के पदाधिकारियों तथा पाठशाला के नन्हे-मुन्ने बच्चों के द्वारा बापू जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इसके साथ ही उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों तथा स्वतंत्रता आंदोलन के समय किए गए प्रयासों को याद किया गया। डॉ कलाम राष्ट्रीय समाजसेवी पाठशाला आने वाले समय में देश की हर ग्राम सभाओं में संचालित की जाएगी तथा इस पाठशाला के माध्यम से क्षेत्रीय स्तर पर गरीब तथा जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षा के साथ-साथ उनमें जीवन के उच्च मानदंडों को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। यही बच्चे आगे चलकर भारत के भविष्य निर्माता बनेंगे और उच्च मानदंडों के साथ ही एक सशक्त और गौरवशाली राष्ट्र का निर्माण करेंगे।
राष्ट्रीय समाजसेवी परिषद
Rashtriya Samajsevi chhatra Parishad-RSCP
राष्ट्रपिता की पुण्यतिथि पर सादर नमन। वे आमजन को देश की आजादी के लिए संकल्पित होने व आत्मनिर्भर बनने को प्रेरित करते थे। उनका जीवन मानवता की सेवा का वह संदेश है जो सदैव प्रासंगिक रहेगा।आज विश्व उनकी शिक्षाओं को आत्मसात कर रहा है जोकि कल्याण का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
आज के दिन हम उन महान स्वतंत्रता सेनानियों और वीर सैनिकों का भी नमन करते हैं जिन्होंने मां भारती की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी अमर गाथा आने वाली पीढ़ियों को देश सेवा के लिए प्रेरित करती रहेंगी।
सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर महात्मा गांधी जी ने न सिर्फ देश को आजादी दिलाई बल्कि देश को विकास और खुशहाली के रास्ते पर खड़ा किया। उनके द्वारा एक ऐसा संदेश दिया कि बड़े से बड़े संकट को भी सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए खत्म किया जा सकता है।
~ डॉ नीरज कुमार यादव
परिषद प्रमुख (RSP)
🚩सत्संग का आदर करो प्यारे और खुद को पहचानों आप क्या हो और क्या कर रहे हो ?🚩
एक भिखारी था । उसने सम्राट होने के लिए कमर कसी । चौराहे पर अपनी फटी-पुरानी चादर बिछा दी, अपनी हाँडी रख दी और सुबह-दोपहर-शाम भीख माँगना शुरू कर दिया क्योंकि उसे सम्राट होना था । भीख माँगकर भी भला कोई सम्राट हो सकता है ? किंतु उसे इस बात का पता नहीं था ।
भीख माँगते-माँगते वह बूढ़ा हो गया और मौत ने दस्तक दी । मौत तो किसी को नहीं छोड़ती । वह बूढ़ा भी मर गया । लोगों ने उसकी हाँडी फेंक दी, सड़े-गले बिस्तर नदी में बहा दिये, जमीन गंदी हो गयी थी तो सफाई करने के लिए थोड़ी खुदाई की । खुदाई करने पर लोगों को वहाँ बहुत बड़ा खजाना गड़ा हुआ मिला ।
तब लोगों ने कहा : 'कितना अभागा था ! जीवनभर भीख माँगता रहा । जहाँ बैठा था अगर वहीं जरा-सी खुदाई करता तो सम्राट हो जाता !'
ऐसे ही हम जीवनभर बाहर की चीजों की भीख माँगते रहते हैं किन्तु जरा-सा भीतर गोता मारें , ईश्वर को पाने के लिए ध्यान का जरा-सा अभ्यास करें तो *उस आत्मखजाने को भी पा सकते हैं , जो हमारे अंदर ही छुपा हुआ है।*
🙏🏻जय श्री कृष्णा 🙏🏻
एक ध्वज लिये हुए, एक प्रण किये हुए,
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
“मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।”
अपने प्राणों की आहुति देकर सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रवाद की भावना को जागृत कर स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले पंजाब केसरी “लाला लाजपत राय” जी की जयंती पर शत्-शत् नमन। आपके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों का राष्ट्र हमेशा कृतज्ञ रहेगा। 💐💐
आज गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर राष्ट्रीय समाजसेवी परिषद (RSP) के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद में डॉ कलाम राष्ट्रीय समाजसेवी पाठशाला का विधिवत शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से देश के ग्रामीण अंचल के गरीब तथा जरूरतमंद बच्चों को उनके गांव में ही शिक्षित, जागरूक तथा स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जाएगा। आने वाले समय में इस प्रकार की समाजसेवी पाठशालाएं देश के हर गांव में संचालित की जाएंगी। इन पाठशालाओं में बच्चों को पठन-पाठन सामग्री परिषद की ओर से निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही साथ उन्हें कैरियर मोटिवेशन और अन्य प्रकार के प्रशिक्षण भी समय-समय पर दिए जाएंगे। आज के कार्यक्रम में उपस्थित सभी समाजसेवी पदाधिकारियों को बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार।
राष्ट्रीय समाजसेवी परिषद
गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर रेलवे (NTPC) भर्ती में हुए भ्रष्टाचार को लेकर नौजवान छात्रों का शांतिपूर्ण आंदोलन जो कि बिहार के बक्सर से शुरू हुआ अब यह आंदोलन बिहार के विभिन्न जनपदों में फैलता जा रहा है। रेलवे की भर्ती में धांधली तथा अनेक विसंगतियां को लेकर यह प्रतियोगी विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर धरना दे रहे हैं। इनके आंदोलन को बलपूर्वक हटाने के बजाय रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड में एक स्थाई और पारदर्शी नीति बनाकर इन प्रतियोगी छात्रों को विश्वास में लेना आवश्यक है। क्योंकि आंदोलन के दमनकारी तरीके से इसकी व्यापकता तथा छात्रों में निराशा और हताशा के भाव बढ़ने लगते हैं। इस समय युवाओं में बेरोजगारी का आलम इस कदर है कि यदि आंदोलन को समय पर ना रोका गया तो यह क्षेत्रीय से प्रदेश स्तर और फिर पूरे देश में फैल सकता है।
"जितना पिछले 10 साल में रोजगार नहीं दिया गया, उससे अधिक योगी सरकार ने दिया...
पहले सिर्फ 7 lac श्रमिक लाभार्थी और 5 साल में 1 cr...
पहले सिर्फ 34 lac मजदूरों का पंजीयन और 5 साल में 1.30 cr..."
मौर्य जी पाला बदलने के बाद भी बीजेपी प्रेम अभी छोड़ नहीं पा रहे हैं 🤔
लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव "चुनाव" के आयोजन के दायित्व को चुनाव आयोग ने प्रारंभ से ही सजगता और निष्पक्षता से निभाया है। चुनावों को समावेशी, सुगम और सहभागी बनाने में चुनाव आयोग अग्रणी रहा है। Election Commission of India के स्थापना दिवस पर आयोग के अधिकारियों-कर्मचारियों और देश के मतदाताओं को बधाई। स्मरण करवाता है कि प्रत्येक मत अमूल्य है, जो देश का भविष्य निर्धारित करता है। मतदान राष्ट्र के प्रति हमारा कर्तव्य है, जिसका हमें निष्ठापूर्वक निर्वहन करना चाहिए। #राष्ट्रीय_मतदाता_दिवस पर हम स्वतंत्र निष्पक्ष जागरूक रहकर देशहित में मतदान का संकल्प दोहराएं। आज के इस कोरोना काल खंड में जहां पर चुनाव प्रचार प्रसार का मुख्य माध्यम प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा सोशल मीडिया है। और उसमें भी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रमुखता से अपनी भागीदारी निभा रहा है। यदि हम इस माध्यम की प्रचार निष्पक्षता की बात करें तो इसमें भी बड़ी स्पष्टता से दो धड़ा दिखता है। लेकिन इसके लिए आपको सर्वप्रथम निष्पक्ष होना जरूरी है। निष्पक्षता से मेरा तात्पर्य यह है कि यदि आप गैर राजनीतिक होकर बिना किसी राजनीतिक पार्टी की विचारधारा के प्रभाव में आए डिजिटल मीडिया या यूं कहें कि वर्तमान समय के तमाम पत्रकारों की पत्रकारिता की निष्पक्ष समीक्षा करें तो आपको बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगा कि जहां एक और तथाकथित राष्ट्रवादी विचारधारा तथा राष्ट्रवाद को मुख्य मुद्दा बनाते हुए गोदी मीडिया बीजेपी तथा उसके नेताओं का महिमामंडन करती है। यह लोग गांधी का विरोध करते-करते कब गोडसे का समर्थन करने लगते हैं इन्हें स्वयं भी पता नहीं चल पाता। वहीं दूसरी ओर लुटियंस मीडिया गांधीवादी, नेहरूवादी, अंबेडकरवादी, जिन्नावादी, समाजवादी, नमाजवादी, परिवारवादी और ना जाने कितने वादियों की बात करती है। इतना ही नहीं ये दोनों मीडिया धडो में कोई दूध का धुला नहीं है जिसको जिधर से आर्थिक संरक्षण मिलता है वह उसी विचारधारा का महिमामंडन करने लगता है। यह एक दूसरे का विरोध करते-करते इस स्तर तक पहुंच जाते हैं कि देश की आम जनता तथा देश की एकता और अखंडता पर चोट पहुंचाने में भी इन्हें कोई गुरेज नहीं होता। इन सभी राजनीतिक पार्टियों और विचारधाराओं से इतर इस बार समाजसेवी पार्टी ऑफ इंडिया (SPI) देश की लोकतांत्रिक प्रणाली का हिस्सा बनने जा रही है। एसपीआई राष्ट्रवाद, विकासवाद तथा सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर चलकर देश के सर्व समाज का विकास करने के लिए संकल्पित है।
Samajsevi Party of India: SPI
"समय का फेर"
एक कारोबारी सेठ सुबह सुबह जल्दबाजी में घर से बाहर निकल कर ऑफिस जाने के लिए कार का दरवाजा खोल कर जैसे ही बैठने जाता है,
उसका पाँव गाड़ी के नीचे बैठे कुत्ते
की पूँछ पर पड़ जाता है।
दर्द से बिलबिलाकर अचानक हुए इस वार को घात समझ वह कुत्ता उसे जोर से काट खाता है।
गुस्से में आकर सेठ आसपास पड़े 10-12 पत्थर कुत्ते की ओर फेंक मारता है पर भाग्य से एक भी पत्थर उसे नहीं लगता है और वह कुत्ता भाग जाता है।
जैसे तैसे सेठजी अपना इलाज करवाकर
ऑफिस पहुँचते हैं जहां उन्होंने अपने
मातहत मैनेजर्स की बैठक बुलाई होती है।
यहाँ अनचाहे ही कुत्ते पर आया उनका सारा गुस्सा उन बिचारे प्रबन्धकों पर उतर जाता है।
वे प्रबन्धक भी मीटिंग से बाहर आते ही
एक दूसरे पर भड़क जाते हैं -
बॉस ने बगैर किसी वाजिब कारण के डांट जो दिया था।
अब दिन भर वे लोग ऑफिस में अपने
नीचे काम करने वालों पर अपनी खीज निकलते हैं –
ऐसे करते करते आखिरकार सभी का
गुस्सा अंत में ऑफिस के चपरासी पर निकलता है
जो मन ही मन बड़बड़ाते हुए
भुनभुनाते हुए घर चला जाता है।
घंटी की आवाज़ सुन कर उसकी
पत्नी दरवाजा खोलती है और
हमेशा की तरह पूछती है
“आज फिर देर हो गई आने में.............”
वो लगभग चीखते हुए कहता है
“मै क्या ऑफिस कंचे खेलने जाता हूँ ?
काम करता हूँ, दिमाग मत खराब करो मेरा,
पहले से ही पका हुआ हूँ,
चलो खाना परोसो”
अब गुस्सा होने की बारी पत्नी की थी,
रसोई मे काम करते वक़्त बीच बीच में
आने पर वह पति का गुस्सा
अपने बच्चे पर उतारते हुए उसे
जमा के तीन चार थप्पड़ रसीद कर देती है।
अब बेचारा बच्चा जाए तो जाये कहाँ,
घर का ऐसा बिगड़ा माहौल देख,
बिना कारण अपनी माँ की मार खाकर
वह रोते रोते बाहर का रुख करता है,
एक पत्थर उठाता है और
सामने जा रहे कुत्ते को पूरी
ताकत से दे मारता है।
कुत्ता फिर बिलबिलाता है .........................
दोस्तों ये वही सुबह वाला कुत्ता था !!!
अरे भई उसको उसके काटे के बदले ये
पत्थर तो पड़ना ही था
केवल समय का फेर था और सेठ जी
की जगह इस बच्चे से पड़ना था !!!
उसका कार्मिक चक्र तो पूरा होना ही था ना !!!
इसलिए मित्र यदि कोई आपको कष्ट पहुचाये,
चोट पहुंचाए और आप उसका कुछ ना कर पाएँ,
तो निश्चिंत रहें,
उसे उस के किये की सजा मिल के ही रहेगी,
जो किसी को भी चोट पहुंचाएगा,
उसको उसके किये की सजा मिलना निश्चित है,
कब होगा
किसके हाथों होगा
ये केवल ऊपरवाला जानता है
पर होगा ज़रूर ,
अरे भई ये तो सृष्टी का नियम है !!!
राधे राधे जी
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The best way to describe myself would be to say that I was brought up in an environment that upheld simplicity and hard work, and always taught me to respect age and experience.