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Neha is a Vedic Astrologer, Tarot Reader, vastu , Numerologist, spiritual and religious counselor and also a twinflame advisor , She loves to help her clients when they are in need. Her readings are divine guided and she works according to astrology ethics to bring stability to the lives of the people. However, her main motive is to give you clarity and insight regarding your life and also to empo
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12 November 2023 panchang-
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, अनला संवत्सर विक्रम संवत 2080, शक संवत 1945 (शोभकृत संवत्सर), आश्विन | चतुर्दशी तिथि 02:45 PM तक उपरांत अमावस्या | नक्षत्र स्वाति 02:51 AM तक उपरांत विशाखा | आयुष्मान योग 04:24 PM तक, उसके बाद सौभाग्य योग | करण शकुनि 02:45 PM तक, बाद चतुष्पद 02:55 AM तक, बाद नाग |
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दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 12 नवंबर को दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा के लिए 2 शुभ मुहूर्त होंगे। पहला शुभ मुहूर्त शाम के समय यानी प्रदोष काल में मिलेगा जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त निशिथ काल में होगा।
प्रदोष काल का मुहूर्त
प्रदोष काल 12 नवंबर 2023- सायंकाल 05:11 से 07:39 बजे तक
वृषभ काल (स्थिर लग्न) -05:22 बजे से 07:19 बजे तक
निशीथ काल का शुभ पूजा मुहूर्त
दिवाली का रात को महालक्ष्मी पूजा के लिए यह निशीथ काल मुहूर्त भी अच्छा माना जाता है। निशीथ काल का मुहूर्त 11:39 बजे से रात्रि 12:30 बजे तक रहेगा। जिसकी अवधि लगभग 52 मिनट की हो
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विक्रम संवत - 2080, अनला
शक सम्वत - 1945, शोभकृत
पूर्णिमांत - कार्तिक
अमांत - आश्विन
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तिथि
कृष्ण पक्ष चतुर्दशी - Nov 11 01:58 PM – Nov 12 02:45 PM
कृष्ण पक्ष अमावस्या - Nov 12 02:45 PM – Nov 13 02:57 PM
🌟🌟
नक्षत्र
स्वाति - Nov 12 01:47 AM – Nov 13 02:51 AM
विशाखा - Nov 13 02:51 AM – Nov 14 03:22 AM
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करण
शकुनि - Nov 12 02:26 AM – Nov 12 02:45 PM
चतुष्पद - Nov 12 02:45 PM – Nov 13 02:55 AM
नाग - Nov 13 02:55 AM – Nov 13 02:57 PM
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योग
आयुष्मान - Nov 11 04:58 PM – Nov 12 04:24 PM
सौभाग्य - Nov 12 04:24 PM – Nov 13 03:23 PM
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सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय - 6:42 AM
सूर्यास्त - 5:39 PM
चन्द्रोदय - Nov 12 5:27 AM
चन्द्रास्त - Nov 12 4:57 PM
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अशुभ काल
राहू - 4:17 PM – 5:39 PM
यम गण्ड - 12:10 PM – 1:33 PM
कुलिक - 2:55 PM – 4:17 PM
दुर्मुहूर्त - 04:11 PM – 04:55 PM
वर्ज्यम् - 08:34 AM – 10:12 AM
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शुभ काल
अभिजीत मुहूर्त - 11:49 AM – 12:32 PM
अमृत काल - 05:39 PM – 07:20 PM
ब्रह्म मुहूर्त - 05:06 AM – 05:54 AM
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सूर्या राशि
सूर्य तुला राशि पर है
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चंद्र राशि
चन्द्रमा तुला राशि पर संचार करेगा (पूरा दिन-रात
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चन्द्र मास
अमांत - आश्विन
पूर्णिमांत - कार्तिक
शक संवत (राष्ट्रीय कलैण्डर) - कार्तिक 21, 1945
वैदिक ऋतु - शरद
द्रिक ऋतु - हेमंत
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11:11 portal open - Time to manifest and open your heart chakra.. 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹neha_ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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#11 #1111
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*आज की शुभ तिथि*
*माह आश्विन मासे शुक्लपक्षे *
*तिथि : एकादशी बुधवार*
*विक्रम संवत* 2080 तदनुसार 25 अक्टूबर 2023
आज एकादशी दोपहर 12:32 तक तत्पश्चात द्वादशी
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*आज का विशेष दिन*
पंचक,रवियोग,पंचक,पापाँकुशा एकादशी, पदानाभ द्वादशी, पारण समय 6:41 से 8:55 am
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*सूर्यराशि* तुला
*चंद्रराशि* कुम्भ
*दिशाशूल* उत्तर
*अग्निवास* पृथ्वी
*नक्षत्र* शतभिषा
*ब्रह्म मुहूर्त* 04:58 से 05:49
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*राहुकाल का समय*
दोपहर 12:00 से 01:30 तक रहेगा
*अभिजित मुहूर्त :-*
आज नहीं है
*भद्रा समय*
06:40AM से 12:32PM
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कल प्रदोष व्रत
28 अक्टूबर शरद पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती,
29 अक्टूबर इष्टी,चंद्रग्रहण आंशिक,
*आपका दिन मंगलमय हो आप सदैव प्रसन्न रहें*
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ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।'
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महागौरी स्तोत्र :
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
माता महागौरी ध्यान :
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
माता महागौरी कवच :
ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
इस तरह महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।
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(1) 'ॐ कालरात्र्यै नम:।'
(2) 'ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।'
स्वप्न दर्शन के फल शास्त्रों में कई बतलाए गए हैं। यदि कुफल वाला कोई स्वप्न देखें जिसका फल खराब हो, उसे अच्छा बनाने के लिए स्वप्न देखने के बाद प्रात: एक माला जपने से बुरा फल नष्ट होकर अच्छा फल मिलता है।
(3) 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।'
कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही हो, शत्रु तथा विरोधी कार्य में अड़ंगे डाल रहे हों, उन्हें निम्न मंत्र का जप कर अपने को बाधाओं से मुक्ति दिलाएं।
(4) ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
होम द्रव्य, सरसों, कालीमिर्च, दालचीनी इत्यादि।
भगवती की कृपा, दर्शन तथा वैभव प्राप्ति के लिए जपें- मंत्र
(5) ॐ यदि चापि वरो देयस्त्वयास्माकं महेश्वरि।।
संस्मृता संस्मृता त्वं नो हिंसेथाः परमाऽऽपदः ॐ।
घृत, गुग्गल, जायफलादि की आहुति दें।
(6) ॐ ऐं यश्चमर्त्य: स्तवैरेभि: त्वां स्तोष्यत्यमलानने
तस्य वित्तीर्द्धविभवै: धनदारादि समप्दाम् ऐं ॐ।
पंचमेवा, खीर, पुष्प, फल आदि की आहुति दें। जितने भी मंत्र दिए गए हैं, वे सभी शास्त्रीय तथा कई श्री दुर्गासप्तशती से उद्घृत हैं।
जप का दशांश हवन, का दशांश तर्पण, का दशांश मार्जन, का दशांश ब्राह्मण भोजन तथा कन्या पूजन तथा भोजन कराने से मंत्र सिद्धि होती है।
माता कालरात्रि का उपासना मंत्र
(7) एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
प्रसाद एवं औषधि- नवरात्रि में देवी मां के स्वरूप कालरात्रि माता को गुड़ का भोग प्रिय है।
सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है। इसके अलावा गुड़ का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में खाना सेहत के लिए भी फायदेमंद है।
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🌹🕉🌹पूजन-
- गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके इनकी पूजा करनी चाहिए।
- इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। इन्हें शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है।
- मां को सुगंधित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर होंगी।
- इसके बाद मां के समक्ष उनके मंत्रों का जाप करें।
शीघ्र विवाह के लिए करें मां कात्यायनी की पूजा-
- गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें।
- मां के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें पीले फूल अर्पित करें।
- इसके बाद 3 गांठ हल्दी की भी चढ़ाएं।
- मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें।
"कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।"
- हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।
- मां कात्यायनी को शहद अर्पित करें।
- अगर ये शहद चांदी के या मिटटी के पात्र में अर्पित किया जाए तो ज्यादा उत्तम होगा।
मंत्र-
माता कात्यायनी का चित्र या यंत्र सामने रखकर रक्तपुष्प से पूजन करें। यदि चित्र में यंत्र उपलब्ध न हो तो देवी माता दुर्गाजी का चित्र रखकर निम्न मंत्र की 51 माला नित्य जपें, मनोवांछित प्राप्ति होगी। साथ ही ऐश्वर्य प्राप्ति होगी।
मंत्र - 'ॐ ह्रीं नम:।।'
चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
मंत्र - ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
देवी का प्रसाद- कात्यायनी की साधना एवं भक्ति करने वालों को मां की प्रसन्नता के लिए शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए। या फिर शहद का अलग से भोग भी लगा सकते हैं।
मां शक्ति के नवदुर्गा स्वरूपों में मां कात्यायनी देवी को छठा रूप माना गया है। मां कात्यायनी देवी के आशीर्वाद से विवाह के योग बनते हैं साथ ही वैवाहिक जीवन में भी खुशियां प्राप्त होती हैं।
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मां स्कंदमाता का मंत्र
मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां की आराधना की जाती है।
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
संतान प्राप्ति हेतु जपें स्कन्द माता का मंत्र
पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी स्कन्द माता हैं। जिन व्यक्तियों को संतानाभाव हो, वे माता की पूजन-अर्चन तथा मंत्र जप कर लाभ उठा सकते हैं। मंत्र अत्यंत सरल है -
'ॐ स्कन्दमात्रै नम:।।'
इसके अतिरिक्त इस मंत्र से भी मां की आराधना की जाती है:
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ध्यान
वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढाचतुर्भुजास्कन्धमातायशस्वनीम्
धवलवर्णाविशुद्ध चक्रस्थितांपंचम दुर्गा त्रिनेत्राम।
अभय पदमयुग्म करांदक्षिण उरूपुत्रधरामभजेम्
पटाम्बरपरिधानाकृदुहज्ञसयानानालंकारभूषिताम्।
मंजीर हार केयूर किंकिणिरत्नकुण्डलधारिणीम।।
प्रभुल्लवंदनापल्लवाधरांकांत कपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांजारूत्रिवलींनितम्बनीम्घ् स्तोत्र
नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्।
समग्रतत्वसागर अपरमपार पारगहराम्
शिप्रभांसमुल्वलांस्फुरच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्कराजगतप्रदीप्तभास्कराम्
महेन्द्रकश्यपाद्दचतांसनत्कुमारसंस्तुताम्।
सुरासेरेन्द्रवन्दितांयथार्थनिर्मलादभुताम्
मुमुक्षुभिद्दवचिन्तितांविशेषतत्वमूचिताम्।
नानालंकारभूषितांकृगेन्द्रवाहनाग्रताम्।।
सुशुद्धतत्वातोषणांत्रिवेदमारभषणाम्।
सुधाद्दमककौपकारिणीसुरेन्द्रवैरिघातिनीम्
शुभांपुष्पमालिनीसुवर्णकल्पशाखिनीम्।
तमोअन्कारयामिनीशिवस्वभावकामिनीम्
सहस्त्रसूर्यराजिकांधनच्जयोग्रकारिकाम्।
सुशुद्धकाल कन्दलांसुभृडकृन्दमच्जुलाम्
प्रजायिनीप्रजावती नमामिमातरंसतीम्।
स्वकर्मधारणेगतिंहरिप्रयच्छपार्वतीम्
इनन्तशक्तिकान्तिदांयशोथमुक्तिदाम्।
पुनरूपुनर्जगद्धितांनमाम्यहंसुराद्दचताम्
जयेश्वरित्रिलाचनेप्रसीददेवि पाहिमाम्
कवच
ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयंपातुसा देवी कातिकययुताघ्
श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।
सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदाघ्
वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतुघ्
इन्द्राणी भैरवी चौवासितांगीचसंहारिणी।
सर्वदापातुमां देवी चान्यान्यासुहि दिक्षवैघ्
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neha_
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पंचांग- 18 अक्टूब 2023
विक्रम संवत - 2080, अनला
शक सम्वत - 1945, शोभकृत
पूर्णिमांत - आश्विन
अमांत - आश्विन
तिथि
शुक्ल पक्ष चतुर्थी- अक्टूबर 18 01:26 AM- अक्टूबर 19 01:12 AM
शुक्ल पक्ष पंचमी- अक्टूबर 19 01:12 AM- अक्टूबर 20 12:31 AM
नक्षत्र
अनुराधा - अक्टूबर 17 08:31 PM- अक्टूबर 18 09:00 PM
ज्येष्ठा - अक्टूबर 18 09:00 PM- अक्टूबर 19 09:03 PM
योग
आयुष्मान - अक्टूबर 17 09:21 AM- अक्टूबर 18 08:18 AM
सौभाग्य - अक्टूबर 18 08:18 AM- अक्टूबर 19 06:54 AM
सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय - 6:27 AM
सूर्यास्त - 5:45 PM
चन्द्रोदय - अक्टूबर 18 9:41 AM
चन्द्रास्त - अक्टूबर 18 8:04 PM
अशुभ काल
राहू - 12:06 PM- 1:30 PM
यम गण्ड - 7:52 AM- 9:16 AM
गुलिक - 10:41 AM- 12:06 PM
दुर्मुहूर्त - 11:43 AM- 12:28 PM
वर्ज्यम् - 02:37 AM- 04:13 AM
शुभ योग
अमृतसिद्धि योग - अक्टूबर 18 06:27 AM - अक्टूबर 18 09:00 PM (अनुराधा और बुधवार)
सर्वार्थसिद्धि योग - अक्टूबर 18 06:27 AM - अक्टूबर 18 09:00 PM (अनुराधा और बुधवार)
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श्लोक-
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
सरल मंत्र- 'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।'
मां कूष्मांडा की उपासना का मंत्र-
देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है- कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
मंत्र: या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
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#2023
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पंचांग- 17 अक्टूबर 2023
विक्रम संवत - 2080, अनला
शक सम्वत - 1945, शोभकृत
पूर्णिमांत - आश्विन
अमांत - आश्विन
तिथि
शुक्ल पक्ष तृतीया- अक्टूबर 17 01:13 AM- अक्टूबर 18 01:26 AM
शुक्ल पक्ष चतुर्थी- अक्टूबर 18 01:26 AM- अक्टूबर 19 01:12 AM
नक्षत्र
विशाखा - अक्टूबर 16 07:35 PM- अक्टूबर 17 08:31 PM
अनुराधा - अक्टूबर 17 08:31 PM- अक्टूबर 18 09:00 PM
योग
प्रीति - अक्टूबर 16 10:03 AM- अक्टूबर 17 09:21 AM
आयुष्मान - अक्टूबर 17 09:21 AM- अक्टूबर 18 08:18 AM
सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय - 6:26 AM
सूर्यास्त - 5:46 PM
चन्द्रोदय - अक्टूबर 17 8:38 AM
चन्द्रास्त - अक्टूबर 17 7:21 PM
अशुभ काल
राहू - 2:56 PM- 4:21 PM
यम गण्ड - 9:16 AM- 10:41 AM
गुलिक - 12:06 PM- 1:31 PM
दुर्मुहूर्त - 08:42 AM- 09:28 AM, 10:50 PM- 11:41 PM
वर्ज्यम् - 12:36 AM- 02:14 AM
शुभ काल
अभिजीत मुहूर्त - 11:43 AM- 12:29 PM
अमृत काल - 11:22 AM- 01:02 PM
ब्रह्म मुहूर्त - 04:50 AM- 05:38 AM
शुभ योग
अमृतसिद्धि योग - अक्टूबर 18 06:27 AM - अक्टूबर 18 09:00 PM (अनुराधा और बुधवार)
सर्वार्थसिद्धि योग - अक्टूबर 18 06:27 AM - अक्टूबर 18 09:00 PM (अनुराधा और बुधवार)
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मंत्र: ॐ एं ह्रीं क्लीं
माता चंद्रघंटा का उपासना मंत्र:-
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
महामंत्र -
‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:‘
ये मां का महामंत्र है जिसे पूजा पाठ के दौरान जपना होता है।
मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है- ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’
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#2023
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पंचांग- 16 अक्टूबर 2023
विक्रम संवत- 2080, अनला
शक सम्वत- 1945, शोभकृत
पूर्णिमांत- आश्विन
अमांत- भाद्रपद
तिथि
कृष्ण पक्ष द्वितीया - 01:13 ए एम, अक्टूबर 17 तक
नक्षत्र
स्वाती - 07:35 पी एम तक
योग
विष्कम्भ - 10:04 ए एम तक
सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय- 6:21 ए एम
सूर्यास्त- 5:51 पी एम
चन्द्रास्त- 7:39 ए एम
चन्द्रोदय- 6:45 पी एम
अशुभ काल
राहू- 07:48 ए एम से 09:14 ए एम
यम गण्ड- 10:40 ए एम से 12:07 पी एम
गुलिक- 10:40 ए एम से 12:07 पी एम
दुर्मुहूर्त- 12:29 पी एम से 01:15 पी एम, 02:47 पी एम से 03:33 पी एम
शुभ काल
अभिजीत मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:30 पी एम
ब्रह्म मुहूर्त- 04:41 ए एम से 05:31 ए एम
गोधूलि मुहूर्त- 5:51 पी एम से 06:16 पी एम
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# #2023
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श्लोक
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु| देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||
ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
1. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।
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#2023
Jai mata di
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वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
अर्थात- देवी वृषभ पर विराजित हैं। शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है। नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए।
स्तोत्र पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
ध्यान मंत्र
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
मंत्र - ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
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#2023
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#2023
पंचांग- 13 अक्टूबर 2023
विक्रम संवत- 2080, अनला
शक सम्वत- 1945, शोभकृत
पूर्णिमांत- आश्विन
अमांत- भाद्रपद
तिथि
कृष्ण पक्ष चतुर्दशी- अक्टूबर 12 07:54 PM- अक्टूबर 13 09:51 PM
नक्षत्र
उत्तर फाल्गुनी- अक्टूबर 12 11:36 AM- अक्टूबर 13 02:11 PM
योग
ब्रह्म- अक्टूबर 12 09:30 AM- अक्टूबर 13 10:05 AM
सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय- 6:20 AM
सूर्यास्त- 5:54 PM
चन्द्रोदय- 5:46 AM
चन्द्रास्त- 5:16 PM
अशुभ काल
राहू- 10:40 ए एम से 12:07 पी एम
यम गण्ड- 3:01 पी एम से 04:27 पी एम
गुलिक- 7:47 ए एम से 09:14 ए एम
दुर्मुहूर्त- 08:39 ए एम से 09:25 ए एम, 12:30 पी एम से 01:17 पी एम
वर्ज्यम्- 11:21 पी एम से 01:06 ए एम
शुभ काल
अभिजीत मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:30 पी एम
ब्रह्म मुहूर्त- 04:47 AM- 05:35 AM
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पंचांग- 12 अक्टूबर 2023
विक्रम संवत- 2080, अनला
शक सम्वत- 1945, शोभकृत
पूर्णिमांत- आश्विन
अमांत- भाद्रपद
तिथि
कृष्ण पक्ष त्रयोदशी- अक्टूबर 11 05:37 PM- अक्टूबर 12 07:54 PM
कृष्ण पक्ष चतुर्दशी- अक्टूबर 12 07:54 PM- अक्टूबर 13 09:51 PM
नक्षत्र
पूर्व फाल्गुनी- अक्टूबर 11 08:45 AM- अक्टूबर 12 11:36 AM
उत्तर फाल्गुनी- अक्टूबर 12 11:36 AM- अक्टूबर 13 02:11 PM
योग
शुक्ल- अक्टूबर 11 08:42 AM- अक्टूबर 12 09:30 AM
ब्रह्म- अक्टूबर 12 09:30 AM- अक्टूबर 13 10:05 AM
सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय- 6:23 AM
सूर्यास्त- 5:51 PM
चन्द्रोदय- अक्टूबर 12 4:00 AM
चन्द्रास्त- अक्टूबर 12 4:49 PM
अशुभ काल
राहू- 1:33 PM- 2:59 PM
यम गण्ड- 6:23 AM- 7:49 AM
गुलिक- 9:15 AM- 10:41 AM
दुर्मुहूर्त- 10:13 AM- 10:58 AM, 02:47 PM- 03:33 PM
वर्ज्यम्- 07:34 PM- 09:21 PM
शुभ काल
अभिजीत मुहूर्त- 11:44 AM- 12:30 PM
अमृत काल- None
ब्रह्म मुहूर्त- 04:47 AM- 05:35 AM
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पंचांग- 11 अक्टूबर 2023
विक्रम संवत - 2080, अनला
शक सम्वत - 1945, शोभकृत
पूर्णिमांत - आश्विन
अमांत - भाद्रपद
तिथि
द्वादशी- 05:37 PM तक
नक्षत्र
मघा - 8.45 तक
योग
शुभ- 08:42 AM
सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय - 06:20 AM
सूर्यास्त - 05:57 PM
चन्द्रोदय - 04:01 AM
चन्द्रास्त - 04:23 PM
अशुभ काल
राहू - 12:08 पी एम से 01:36 पी एम
यम गण्ड - 07:47 ए एम से 09:14 ए एम
गुलिक -10:41 ए एम से 12:08 पी एम
दुर्मुहूर्त - 11:45 ए एम से 12:32 पी एम
शुभ काल
अमृत काल - 04:26 ए एम, अक्टूबर 12 से 06:14 ए एम, अक्टूबर 12
ब्रह्म मुहूर्त - 04:41 ए एम से 05:30 ए एम
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