Koytur Gondwana Mandla

सादर सेवा जोहार आप सभी को।

29/05/2024

शुशीला धुर्वे जी के पोस्ट पर मेरी टिप्पणी~

आपकी ये पोस्ट पढ़कर दुख,आश्चर्य, और कोफ़्त हुवा। इसलिए भी हुवा क्योंकि इस पोस्ट को बहुत से लोगों ने शेयर किया है। आपका ये कथन घटिया शब्दों में घटिया पोस्ट है। आप युवाओं के लिए चिंतित हैं ये जायज़ है, चिंतित होने चाहिए, सामाजिक कार्यकर्ता हैं आप। पर इस पोस्ट में भड़ास, फ्रस्टेशन और कुंठा साफ दिखाई दे रहा है। जिन्होंने भी इस पोस्ट को लाइक शेयर किया है और समर्थन किये हैं उनके भीतर भी भड़ास, फ्रस्टेशन और कुंठा है। आप इस तरह, युवाओं को अवेयर नहीं कर सकते, उन्हें नहीं जोड़ सकते। आधुनिकता और ट्रेंड्स को उन तक पहुंचने से नहीं रोक सकते। आप उन पर पहरा भी नहीं डाल सकते। आखिरकार कारपोरेट और कारपोरेट के बनाये ट्रेंड्स जाल को कैसे तोड़ेंगे? क्या ऐसी 4 लाइन के पोस्ट लिखकर तोड़ेंगे!
रचनात्मक बदलाव ऐसे तो नहीं आएगा, ना ही धर्म संस्क्रति सभ्यता के भाषणों और बड़े बड़े आयोजनों, सम्मेलनों से आएगा।
विचारों के आदान प्रदान, स्वास्थ संवाद और रिश्तों के व्यवहारिक ज्ञान पर बातचीत के साथ उम्र के साथ होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तन, पर्सनल हाइजीन और समसामयिक घटनाओं, विचारों पर हर घर,चौक चौराहों सहित सभा,सम्मेलनों, सेमिनारों में बातचीत की परंपरा से बदलाव आता है, पर ये परम्परायें तो कब की खत्म हो चुकी हैं। यहां भी कोई ढंग के डिस्कसन दिखाई नहीं देते। एक ग्रुप हुवा करता था "गोंडवाना फ्रेंड्स" उसमें 2014- 2015 तक बहुत ही knowledgeable discussion हुवा करता था। उस ग्रुप को षडयंत्र पूर्वक किन लोगों ने तोड़ा! ये शायद बहुत कम लोग जानते होंगे। ये अपने ही बीच हैं अपने ही लोग हैं और अब भी सबसे बड़ा ग्रुप होने और सबसे बड़ी विचारधारा होने का दम्भ भरते हैं।
आप लोग संविधान संविधान अधिकार अधिकार की बातें करते हैं, लड़कियों को इसी संविधान ने हक अधिकार दिए हैं। वे अपने समझ के अनुसार उन अधिकारों का प्रयोग करती हैं।
अगर किसी को अपने घर में प्यार और सम्मान नहीं मिलेगा तो वो बाहर ही कहीं ढूंढेगा चुपचाप।। भले ही वो प्यार और सम्मान झूठा ही हो। किसी ने बाहर प्यार और सम्मान पा लिया और अगर वो बालिग है तो उसको करने दो जीने दो ठोकर खाने दो सीखने दो। और सबक लेकर अगर वो वापिस आये तो उसी सम्मान और प्यार के साथ उसका साथ दो उसको साथ लो, सामाजिक बहिष्कार, दंड जैसी फालतू चीजों से कोई सुधार नहीं होता, होता रहा होगा किसी जमाने में अब नही होता। जो पीड़ित है उसका साथ देकर दूसरों को पीड़ित होने से बचाया जा सकता है। फालतू के समाज सेवक मत बनो भाई... सचमुच के समाज सेवक समाज से प्यार करते हैं, समाज का डर नहीं दिखाते समाज से जोड़ते हैं समाज से प्रेम का रिश्ता रखते हैं, आपसी सामंजस्य और सामाजिक सरोकारों का भाव रखते हैं।

27/05/2024

अर्ध नग्न महिलाओं को देख कर 90℅ कौन मजे लेता है......

एक दिन किसी ख़ास अवसर पर महिला सभा का आयोजन किया गया, सभा स्थल पर महिलाओं की संख्या अधिक और पुरुषों की कम थी..!!
मंच पर तकरीबन पच्चीस वर्षीय खुबसूरत युवती, आधुनिक वस्त्रों से सुसज्जित, माइक थामें कोस रही थी पुरुष समाज को..!!

वही पुराना अलाप.... कम और छोटे कपड़ों को जायज, और कुछ भी पहनने की स्वतंत्रता का बचाव करते हुए, पुरुषों की गन्दी सोच और खोटी नीयत का दोष बतला रही थी.!!

तभी अचानक सभा स्थल से...बत्तीस पैंतीस वर्षीय सभ्य, शालीन और आकर्षक से दिखते युवक ने खड़े होकर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति मांगी..!!

अनुमति स्वीकार कर माइक उसके हाथों मे सौप दिया गया .... हाथों में माइक आते ही उसने बोलना शुरु किया..!!

"माताओं, बहनों और भाइयों, मैं आप सबको नही जानता और आप सभी मुझे नहीं जानते कि, आखिर मैं कैसा इंसान हूं..??

लेकिन पहनावे और शक्ल सूरत से मैं आपको कैसा लगता हूँ बदमाश या शरीफ..??

सभास्थल से कई आवाजें गूंज उठीं... पहनावे और बातचीत से तो आप शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो....

बस यही सुनकर, अचानक ही उसने अजीबोगरीब हरकत कर डाली... सिर्फ हाफ पैंट टाइप की अपनी अंडरवियर छोड़ कर के बाक़ी सारे कपड़े मंच पर ही उतार दिये..!!

ये देख कर .... पूरा सभा स्थल आक्रोश से गूंज उठा, मारो-मारो गुंडा है, बदमाश है, बेशर्म है, शर्म नाम की चीज नहीं है इसमें.... मां बहन का लिहाज नहीं है इसको, नीच इंसान है, ये छोड़ना मत इसको....

ये आक्रोशित शोर सुनकर... अचानक वो माइक पर गरज उठा...

"रुको... पहले मेरी बात सुन लो, फिर मार भी लेना , चाहे तो जिंदा जला भी देना मुझको..!!

अभी अभी तो....ये बहन जी कम कपड़े , तंग और बदन नुमाया छोटे-छोटे कपड़ों की पक्ष के साथ साथ स्वतंत्रता की दुहाई देकर गुहार लगाकर..."नीयत और सोच में खोट" बतला रही थी...!!

तब तो आप सभी तालियां बजा-बजाकर सहमति जतला रहे थे..फिर मैंने क्या किया है..??

सिर्फ कपड़ों की स्वतंत्रता ही तो दिखलायी है..!!

"नीयत और सोच" की खोट तो नहीं ना और फिर मैने तो, आप लोगों को... मां बहन और भाई भी कहकर ही संबोधित किया था..फिर मेरे अर्द्ध नग्न होते ही.... आप में से किसी को भी मुझमें "भाई और बेटा" क्यों नहीं नजर आया..??

मेरी नीयत में आप लोगों को खोट कैसे नजर आ गया..??

मुझमें आपको सिर्फ "मर्द" ही क्यों नजर आया? भाई, बेटा, दोस्त क्यों नहीं नजर आया? आप में से तो किसी की "सोच और नीयत" भी खोटी नहीं थी... फिर ऐसा क्यों?? "

सच तो यही है कि..... झूठ बोलते हैं लोग कि...
"वेशभूषा" और "पहनावे" से कोई फर्क नहीं पड़ता

हकीकत तो यही है कि मानवीय स्वभाव है कि किसी को सरेआम बिना "आवरण" के देख लें तो कामुकता जागती है मन में...

रूप, रस, शब्द, गन्ध, स्पर्श ये बहुत प्रभावशाली कारक हैं इनके प्रभाव से “विस्वामित्र” जैसे मुनि के मस्तिष्क में विकार पैदा हो गया था..जबकि उन्होंने सिर्फ रूप कारक के दर्शन किये..आम मनुष्यों की विसात कहाँ..??

दुर्गा शप्तशती के देव्या कवच में श्लोक 38 में भगवती से इन्हीं कारकों से रक्षा करने की प्रार्थना की गई है..
“ #रसे_रुपे_च_गन्धे_च_शब्दे_स्पर्शे_च_योगिनी।
#सत्त्वं_रजस्तमश्चैव_रक्षेन्नारायणी_सदा।।”
रस रूप गंध शब्द स्पर्श इन विषयों का अनुभव करते समय योगिनी देवी रक्षा करें तथा सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण की रक्षा नारायणी देवी करें.!!

आज के समाज की सोच ये है कि अपने घर की बेटियां अपने बदन को ढके या ना ढके लेकिन बहु मुंह छिपाकर घुंघट में रहनी चाहिए आज के समाज में बदन ढकना जरूरी नहीं पर मुंह ढकना जरूरी है।
आज के समाज में घूंघट के लिए कोई जगह नहीं है वैसे ही इन अर्ध नग्न वस्त्रों के लिए भी कोई जगह नहीं है।
🙏आप सभी हमारी पोस्ट से कितना संतुष्ट है अवलोकन जरूर करें
🙏ऐसी ही और दिलचस्प, मर्मस्पर्शी कहानियों के लिए आप हमें फॉलो करके सहयोग करें 🙏 Banwari Lal Meena Thikariya 👏👏👏

🙏धन्यवाद🙏
#अश्लीलता #परिवार #रिश्ते #कहानी #समाज #सभ्यता #प्रभाव #नारी #आधुनिक
#किसान Koytur Gondwana Mandla

25/05/2024

#साथियो
एक बनिया था 5 रुपए की रोटी बेचता था। उसे रोटी की कीमत बढ़ानी थी लेकिन बिना राजा की अनुमति कोई भी अपने दाम नहीं बढ़ा सकता था। लिहाजा राजा के पास बनिया पहुंचा, बोला राजा जी मुझे रोटी का दाम 10 करना है।

राजा बोला तुम 10 नहीं 30 रुपए करो, बनिया बोला महाराज इससे तो हाहाकार मच जाएगा, राजा बोला इसकी चिंता तुम मत करो, तुम 10 रुपए दाम कर दोगे तो मेरे राजा होने का क्या फायदा, तुम अपना फायदा देखो और 30 रुपए दाम कर दो,

अगले दिन बनिये ने रोटी का दाम बढ़ाकर 30 रुपए कर दिया, शहर में हाहाकार मच गया, सभी राजा के पास पहुंचे, बोले महाराज यह बनिया अत्याचार कर रहा है, 5 की रोटी 30 में बेच रहा है,

राजा ने अपने सिपाहियों को बोला उस गुस्ताख बनिए को मेरे दरबार में पेश करो, बनिया जैसे ही दरबार में पहुंचा, राजा ने गुस्से में कहा गुस्ताख तेरी यह मजाल तूने बिना मुझसे पूछे कैसे दाम बढ़ा दिया, यह जनता मेरी है तू इन्हें भूखा मारना चाहता है, राजा ने बनिए को आदेश दिया तुम रोटी कल से आधे दाम में बेचोगे, नहीं तो तुम्हारा सर कलम कर दिया जाएगा,

राजा का आदेश सुनते ही पूरी जनता ने जोर से बोला.... महाराज की जय हो , महाराज की जय हो, महाराज की जय हो।*

*नतीजा सुनिए....*
*अगले दिन से 5 की रोटी 15 में बिकने लगी।*by
*जनता खुश... बनिया खुश... और राजा भी खुश।*

*नोट - इसका पेट्रोल डीज़ल की क़ीमत और वर्तमान मोदी सरकार से कोई संबंध नही है।

20/05/2024

#सत्यनाशी
आमतौर पर गर्मियों के दिनों में खेतों में मेड पर खुद से उगने वाला यह पौधा बिहार में कई नाम से जाना जाता है। इसके पीले फूल लोगों को खूब आकर्षित करते हैं। गेहूं और सरसों की फसल में यह खुद-ब-खुद उग आता है। भरभार, घमोई सत्यनाशी भट कटेया और न जाने किन-किन नाम से इसे संबोधित किया जाता है।देश के ज्‍यादातर हिस्‍से में अगर किसी को सत्‍यानाशी कहा जाता है तो उसका मतलब काम खराब करने वाले व्‍यक्ति से होता है. ऐसा व्‍यक्ति जो किसी काम का ना हो, जो हर काम बिगाड़ता हो यानी जिसका कोई फायदा ना हो, ऐसे व्‍यक्ति को सत्‍यानाशी कहा जाता है. लेकिन एक पौधा ऐसा भी है, जो कैसी भी जमीन में, कहीं भी उग जाता है और उसका नाम सत्‍यानाशी पौधा है. सतयानाशी पौधे को आपने अक्‍सर सड़क के किनारे, सख्‍त बंजर जमीन में, पथरीली जगहों पर, कड़ाके की धूप वाली जगहों या सूरज की रोशनी ना पहुंचने वाली यानी हर जगह पर देखा हो सकता है.सत्यानाशी पौधे में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं. यह पौधा ज्‍यादातर हिमालयी क्षेत्रों में उगता है. इस पौधे में बहुत ज्‍यादा कांटे होते हैं. इसके पत्ते, शाखाओं, तने और फूलों के आसपास हर जगह कांटे होते हैं. इसके फूल पीले रंग के खिलते हैं, जिनके अंदर बैंगनी रंग के बीज पाए जाते हैं. अमूमन किसी पौधे के फूल और फल तोड़ने पर सफेद रंग के दूध जैसा तरल पदार्थ निकलता है, लेकिन सत्यानाशी के पौधे से फूल तोड़ने पर पीले रंग के दूध जैसा तरल पदार्थ निकलता है. पीले रंग के दूध जैसा पदार्थ निकलने के कारण इसे स्वर्णक्षीर भी कहा जाता है.सत्यानाशी के पौधे को स्‍वर्णक्षीर के अलावा उजर कांटा, प्रिकली पॉपी, कटुपर्णी, मैक्सिन पॉपी समेत कई नामों से पहचाना जाता है. अमूमन किसान इसे बेकार पौधा मानकर काटकर फेंक देते हैं. वहीं, आयुर्वेद में इसे औषधि की तरह इस्तेमाल कर दवाइयां बनाई जाती हैं, जिनसे कई रोगों का इलाज किया जाता है. सत्यानाशी पौधे का हर हिस्‍सा यानी पत्ते, फूल, तना, जड़ और छाल आयुर्वेद में बेहद काम के माने जाते हैं.
Koytur Gondwana Mandla

#किसान #खेत

11/05/2024

बदल जाता है BF का अर्थ, समय के अनुसार
एक नन्हें लड़़के ने नन्हीं लड़की से कहा :-

- I am your BF.! मैं तुम्हारा BF हूं !
- लड़की ने पूछा
- What is BF ?
- लड़का हंसकर बोला...
- BF यानी Best Friend (बेहद अच्छा दोस्त)

कुछ समय बीता, दोनों नवजवान हो गए और लड़की बेहद सुंदर, उस लड़के ने लड़की से फिर कहा :
- I am your BF !!
- लड़की शर्माती सी उसके कंधे पर झुकी और आहिस्ता से पूछा, अब : What is BF?
- लड़का बोला :-
- BF यानी Boy Friend (पुरुष मित्र) ..

कुछ वर्ष के बाद उन्होंने शादी कर ली, उनको प्यारे प्यारे बच्चे हुए, पति मुस्कराया और अपनी पत्नी से बोला :

- I am your BF .!
- पत्नी मुस्कराकर पति से बोली :
- What is BF ? अब BF यानी क्या ?
- पति फिर मुस्कराया और बच्चों की ओर निहारकर बोल पड़ा :-
- आपके बच्चों का पिता (Baby's Father). !!

समय गुज़रता गया दोनों बुजुर्ग हो गए, एक दिन दोनों आंगन में साथ बैठे थे, सूरज की ओर देख रहे थे, बुज़र्ग ने फिर दोहराया :-
- मेरी प्रिय I am your BF .!!
- बुज़र्ग महिला हंस पड़ी, अपने झुर्रियों वाले चेहरे के साथ:
- What is BF ? अब BF यानी क्या ??
बुड्ढा ख़ुशी से हंसा और रहस्यमयी अंदाज में बोल पड़ा :-
- Be Forever .! (हमेशा एक दूजे के लिये)

जब बुजुर्ग जिंदगी की अंतिम सांसें ले रहा था, तब भी बोला :
- I am your BF
- बुढ़िया गम से भरी बोली :
- अब What is BF ..??

- आंखें बंद करते हुए बुजुर्ग बोला :- BF यानी Bye Forever ! (अलविदा हमेशा के लिए)

कुछ दिनों में बुजुर्ग महिला भी पंचतत्व में विलीन हो गई, दीवार पर दोनों की साथ-साथ फोटो लगाई गई और उनके बच्चों ने एक सुन्दर सी बात लिखवाई : -

BF यानी Besides Forever ..!!

पास हूं हमेशा के लिये ..!!

Nice Forwarded Post..
Probably You May Like It..
Then Forward to your
"BF" Means to "Beautiful Friends" 🙏

21/04/2024

#गोंडवाना_के_सगाजनों
पहांदी पारी कुपार लिंगो ने हजारों साल पहले गोंड सगा बिडार को कोयापुनेम को एक दर्शन स्वरूप में बता चुके हैं उसे आज पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है जानने मानने की आवश्यकता है!!!
आजकल कई जगह देखा व सुना जा रहा है कि गोंड सगा बिडार के लोग पहांदी पारी कुपार लिंगो के बताए कोयापुनेम दर्शन को सम विषम कुलचिन्ह और नातगोत व्यवस्था को भूलते जा रहे हैं!
यानी प्रकृति के नियम के विरुद्ध जा रहे हैं मतलब अंत की ओर जा रहे हैं!!
पहांदी पारी कुपार लिंगो के द्वारा किये गए उद्घोष कोयापुनेम बनाम प्राकृतिक विधि विधान को आज और कल भी कोई चुनौती नहीं दे सकता!!!
सभी 750 गोत के सगाजनों को समर्पित

19/04/2024

वोट ही हमारे पास एक ऐसी ताकत है जो हमें, हमारे अधिकार दिला सकती है कृपया अपना अनमोल वोट ऐसे व्यक्ति को दें जो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आपका हक अधिकार दिलाने की बात करें,
आपका और आपके बच्चों का 5 साल सुरक्षित कर सके,
अपना वोट ऐसे व्यक्ति को कभी मत देना जो जाति धर्म की बात करता है क्योंकि धर्म से पेट नहीं भरता पेट भरता है रोटी से, रोजगार से,
🌹सुप्रभात🌹
🙏🏻जोहार🙏🏻

13/04/2024

#प्रकृति केआगे विज्ञान फैल हैं-__क्या अद्भुत खोज है! वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि चींटियाँ सर्दियों के लिए आवश्यक अनाज और बीज इकट्ठा करने के बाद उन बीजों को अपने घोंसलों में जमा करने से पहले आधा कर देती हैं क्योंकि आधा तोड़ने से वे बारिश और सबसे सही अंकुरण स्थितियों के बावजूद अंकुरित नहीं हो पाते हैं। लेकिन वैज्ञानिक तब दंग रह गए जब उन्होंने पाया कि चींटियों के घोंसलों में रखे धनिया के बीज 2 टुकड़ों की बजाय 4 टुकड़ों में टूट गए थे! प्रयोगशाला अनुसंधान के बाद, वैज्ञानिकों ने पाया कि धनिया का बीज दो भागों में विभाजित होने के बाद भी अंकुरित हो जाता है, लेकिन चार भागों में विभाजित होने के बाद यह अंकुरित नहीं होगा! तो ये छोटे छोटे जीव यह सब कैसे जानते हैं? मनुष्य बहुत कम जानता है, दूसरे जीवों से सीखने के लिए बहुत कुछ है✍️✍️

25/03/2024

Preparing for JEE & NEET??

āŋyoŋę įŋţŗęşţ çoŋţāçţ mę ƒoŗ ŗęgįşţŗāţįoŋ

Enrol now & Boost your JEE/NEET preparations with Udaan 2.0!!

Registration Date Extended: 31st March, 2024

For more information, write us on [email protected]

25/03/2024

*विचारणीय*
💐
*आओ चलें, प्रकृति की ओर...*
💐
ऋषि कपूर - कैन्सर
सोनाली बेंद्रे - कैंसर
अजय देवगन - लिट्राल अपिकोंडिलितिस
(कंधे की गंभीर बीमारी)
इरफान खान - कैंसर
मनीषा कोइराला - कैंसर
युवराज सिंह - कैंसर
सैफ अली खान - हृदय घात
रितिक रोशन - ब्रेन क्लोट
अनुराग बासु - खून का कैंसर
मुमताज - ब्रेस्ट कैंसर
शाहरुख खान - 8 सर्जरी
(घुटना, कोहनी, कंधा आदि)
ताहिरा कश्यप (आयुष्मान खुराना की पत्नी) - कैंसर
राकेश रोशन - गले का कैंसर
लीसा राय - कैंसर
राजेश खन्ना - कैंसर,
विनोद खन्ना - कैंसर
नरगिस - कैंसर
फिरोज खान - कैंसर
टोम अल्टर - कैंसर...

ये वो लोग हैं या थे
जिनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है/थी ।
खाना हमेशा डाइटीशियन/ डॉक्टर की सलाह से खाते है/ थे ।
दूध भी ऐसी गाय या भैंस का पीते हैं
जो AC में रहती है और बिसलेरी का पानी पीती है जिम भी जाते हैं ।

रेगुलर शरीर के सारे टेस्ट करवाते हैं
सबके पास अपने हाई क्वालिफाइड डॉक्टर हैं ।
अब सवाल उठता है कि आखिर
अपने शरीर की इतनी देखभाल के बावजूद भी इन्हें इतनी गंभीर बीमारी अचानक कैसे हो गई ।
क्योंकि ये प्राक्रतिक चीजों का इस्तेमाल बहुत कम करते थे/ हैं ।
या मान लो बिल्कुल भी नहीं करते
जैसा हमें प्रकृति ने दिया है ,
उसे उसी रूप में ग्रहण करो वो कभी नुकसान नहीं देगा।
कितनी भी फ्रूटी पी लो ,
वो शरीर को आम के गुण नहीं दे सकती ।
अगर हम इस धरती को प्रदूषित ना करते
तो धरती से निकला पानी बोतल बन्द पानी से लाख गुण अच्छा था।

आप एक बच्चे को जन्म से ऐसे स्थान पर रखिए जहां एक भी कीटाणु ना हो।
बड़ा होने से बाद उसे सामान्य जगह पर रहने के लिए छोड़ दो,
वो बच्चा एक सामान्य सा बुखार भी नहीं झेल पाएगा ।
क्योंकि उसके शरीर का तंत्रिका तंत्र कीटाणुओ से लड़ने के लिए विकसित ही नहीं हो पाया।
कंपनियों ने लोगो को इतना डरा रखा है,मानो एक दिन साबुन से न नहाओगे तो तुम्हे कीटाणु घेर लेंगे और शाम तक पक्का मर जाओगे।
समझ नहीं आता हम कहां जी रहे है।
एक दूसरे से हाथ मिलाने के बाद लोग
सेनिटाइजर लगाते हुए देखते हैं हम।

इंसान सोच रहा है- पैसों के दम पर हम जिंदगी जियेंगे।
आपने कभी गौर किया है
पिज़्ज़ा बर्गर वाले शहर के लोगों की
एक बुखार में धरती घूमने लगती है।
और वहीं दूध दही छाछ के शौकीन
गांव के बुजुर्ग लोगों का वही बुखार बिना दवाई के ठीक हो जाता है।
क्योंकि उनकी डॉक्टर प्रकृति है।
क्योंकि वे पहले से ही सादा खाना खाते आए है।
प्राकृतिक चीजों को अपनाओ!

विज्ञान के द्वारा लैब में तैयार, या प्रोसेस किया डिब्बा बंद भोजन, पेय आदि... और फ्लोर मिलों से पैक आटा दालें मशालें आदि हर एक वस्तु शरीर के लिए नुकसानदायक है !

पैसे से आप कुछ समय के लिए स्वास्थ्य हो सकते हैं परंतु हमेशा खुश नहीं रह सकते हैं ।

आइए_फ़िर_से_चलें...
प्रकृति_की_ओर... 🙏🏻

आओ चलें घरेलु_चक्की मिक्सर और सिलबट्टे की ओर...
बाजरे और मोठ की ओर...

🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾

25/03/2024

अगर गुलाब का फूल प्रेम की निशानी है तो, परसा के फूल आदिवासियो के विद्रोह की निशानी है !! ये परसा (पलाश) के फूल नहीं
इस मौसम के सीने की आग है!
इस आग का राग ही फाग हैं.!! हमारी पहचान गुलाब के फूल से नहीं. हमारी पहचान परसा के फूल से है !!
जंगल की आग परसा के फूल गाएंगे आज फाग जब झूमेगा पूरा गांव तो खतम हो जाएगा कोयतूर साल का अंतिम दिन और शुरू होगा हमारा नया साल
जोहार
जय पुरखा
जय आदिवासी

22/03/2024

अभी तक जो मैंने इतिहास पढ़ा है बहुत कम रानियां हुई जिन्होंने सती होने के बजाए युद्ध को चुना
1-रानी दुर्गावती(दलपत शाह)
2-रानी फूलकुंवर(राजा रघुनाथ शाह )
3-महारानी हिराई आत्राम
4-रानी कमलापति,गिन्नौरगढ़
5-अवंति बाई लोधी
6-लक्ष्मीबाई
आपको और किसी रानी की जानकारी हो तो शेयर करें
Koytur Gondwana Mandla

21/03/2024

Knowing the shelf life and maximum designed speed of your tires is crucial for a safe driving experience.

Did you know that the speed rating for each tire is indicated by a letter on the tire wall, ranging from L to H?

Additionally, the tire's shelf life is indicated by a four-digit number on the wall, with the first two digits indicating the week of manufacture and the last two indicating the year. It's important to note that a tire's validity is typically two to three years from the date of manufacture.

Therefore, it's crucial to ensure that your tires can withstand the pressure of high speeds to avoid accidents.

Many tire explosions occur due to increased speed, and this can be prevented by checking the letter indicated on your tires. Each wheel or tire has a certain speed rating, with the letter L meaning a maximum speed of 120 km/h and the letter H meaning above 210 km/h.

The letter L means a maximum speed of 120 km.
.. And the letter M means 130 km.
And the letter N means 140 km
And the letter P means 150 km.
And the letter Q means 160 km.
The letter R means 170 km.
And the letter H means above 210 km.

Stay safe on the road by being aware of your tire's maximum designed speed and shelf life.

12/03/2024

#साथियो
गूलर/डूमर/ऊमर/तोया : जिसे हम सब फालतू समझते हैं वह प्रकृति के हर प्राणी के लिए बेहद जरूरी चीज है।

विवाह में रस्म अदायगी से लेकर आयुर्वेद के पन्नो तक फैला गूलर का हर भाग की अपनी उपयोगिता हैं।
गांव के लोग कुएं की खुदाई गूलर के छाये में करना बेहतर समझते थे ।

ऐसा करने से पानी औषधीय गुणों से समाहित हो जाता था । गांव का हर बचपन का गूलर के फूल से कोई न कोई कनेक्शन ज़रुर होता है।

कहते हैं गूलर का फूल जिस चीज में डालो वह खत्म ही नहीं होती ।अब बाल मन की कल्पना, कौतूहल और लालच बचपने को गूलर के छांव मे घंटो टकटकी लगाए रहता।
भरपूर प्रयास के बाद आज तक फूल न दिखा किसी को।दिखे भी कैसे यह तो फल में ही निपट जाता हैं।
बहरहाल गूलर का हर भाग बेहद फायदेमंद हैं। कच्चा फल हरे रंग का होता है जबकी पकने के बाद लाल हो जाता है।

गूलर में फाइटोकेमिकल्‍स (Phytochemicals) होते हैं जो रोगों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। गूलर का उपयोग मांसपेशीय दर्द, मुंह के स्वस्थ्य में, फोड़े ठीक करने में , घाव भरने , बवासीर के इलाज आदि में किया जाता है। गूलर में एंटी-डायबिटिक, एंटीऑक्‍सीडेंट, एंटी-अस्थमैटिक, एंटी-अल्सर, एंटी-डायरियल और एंटी-पायरेरिक गुण होते हैं। इसके फलों के रस का उपयोग कर हिचकी (Hiccup) का इलाज किया जाता है।
गूलर हर किसी को लगाना चाहिए।लाखो किट पतंग के लिए यह बहुत फायदेमंद हैं ।

10/03/2024

सभी जनजाति ST जाती के भाई और बहनों से गुजारिश है, कि अपने परिवार में एक मीटिंग करके माता पिता बच्चो को समझाये कि ये जरूर करे। ऐसा करने से हमारा आदिवासी आगे बड़ेगा, विकास करेगा।
(1) नेता ST चुनिये।
(2) वकील ST चुनिए।
(3)इंजीनियर ST चुनिए।
(4) सी, ए, ST चुनिए।
(5 ) सब्जी वाला ST चुनिए।
(6) मोबाइल रिचार्ज ST चुनिए।
(7) मेडिकल स्टोर ST चुनिए।
( 8) दूध डेरी ST चुनिए।
(9) प्रिटिंग प्रेस ST चुनिए।
(10) दूध वाला ST चुनिए।
(11) स्टेशनरी स्टोर ST चुनिए।
(12) कपड़े की दुकान ST चुनिए।
(13) इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान ST चुनिए
(14) कृषि सेवा केंद्र ST चुनिए।
(15) ट्रेवल बुकिंग ST चुनिए।
(16) फ्लोर मिल ST चुनिए।
(17) किराना दुकान ST चुनिए
(18) हार्डवेयर दुकान St चुनिए।
(19) Xerox सेंटर ST चुनिए।
(20) होटल ST चुनिए ।
(21) सब्जी और फल वाला ST चुनिए।
(22) राजमिस्त्री ST चुनिए।
(23) मिठाई की दुकान ST चुनिए।
(24,)ट्रेक्टर, ट्रक, कार बस ,ऑटो ,के लिए ST चुनिए
(25)कुछ भी मैकेनिक ST चुनिए।
(26) और सभी चीजों के व्यापारी ST चुनिए। चाहे कुछ मंहगी ही क्यों न हो।
आप देश और आने वाली पीढ़ी के इतना तो कर सकते हैं।
यही हम सब का हथियार है।सब काम सरकार पर मत छोड़ो।
कुछ तो हमें भी करना चाहिए।
तभी हम आदिवासी आगे बड़ पाएंगे।
ST को एक ऐसी सोच रखना चाहिए क्यों की एक छोटी सोच , छोटी सी सुरूवात आगे चल के बड़ी सोच को जन्म देती है।
एक बार कड़ी से कड़ी मिला के तो देखिए । एक दिन हम परिवर्तन न दिखे तो कहिएगा।
नोट: हर 10 आदिवासी को ये जरूर मैसेज करे।
धन्यवाद ,जोहर,
जय आदिवासी 🙏🙏
हमारे लोग पहले बिजनेस में चाहिए 2से 3 साल के अंदर में बदलाव आना शुरू हो जाएगा जो हमारे सामाजिक कार्यकर्ता युवा आदिवासी सभी बेरोजगार हैं अभी ऐसा काम कर सकते हैं फिर बिजनेसमैन होने के बाद क्या क्या नहीं कर सकते है भारत का सबसे अमीर आदमी पहले बेरोजगार हुआ करता था एक काम करके आज अपना बिजनेस चला रहे है और सरकार क़ो भी चला रहा है आप भी जानते हो और मैं भी इसलिए हम अपना बिजनेस को इमानदारी से करो समाज भी सुधरेगा और परिवार भी सुधरेगा अब रुकने की जरूरत नहीं है सभी के सभी युवा साथी अपना खुद का बिजनेस करें फिर देखो क्या होता है!!
जय सेवा जोहार 🙏
Koytur Gondwana Mandla

09/03/2024

अनुसूचित क्षेत्र पाँचवीं अनुसूची - पेसा क़ानून .. केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय सचिव ने मान प्रधान मंत्री जी के पेसा क़ानून को ज़मीन पर लागू करने के विजन को किया प्रस्तुत ..
- लक्ष्मण राज सिंह मरकाम , अपर सचिव मुख्यमंत्री

02/03/2024

#साथियो
गोंडी भाषा के संक्षिप्त शब्द "संभु"' शब्द का विस्तारित शब्द " सयुंग भुईंग" है ,जिसका हिंदी भाषा में अनुवाद "सयुंग= पांच , भुईंग = धरती के खंड, अर्थात पांच खण्ड धरती का समूह = गण्डवाना धरती= गोंडवाना भूभाग= गोंडवाना लैंड है। यहां गोंडी भाषा के शब्द "गण्ड " का हिंदी भाषा में अनुवाद " पांच का समूह" होता है।

कालांतर में, "गण्ड" इस शब्द से ही गोण्ड या गोंड शब्द बना है तथा इसी शब्द से ,गण्डराज्य और फिर गण्डराज्य से गणराज्य और गणतंत्र शब्द बने हुए हैं।इस तरह से गोंडी शब्द " संभु शेक
" का हिंदी भाषा में अनुवाद " पांच खण्ड धरती का राजा" होता है,( शेक=राजा)।

"संभु शेक" इस तरह से किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं है। राजा को सम्मान के साथ " मादाऊ" कहने की परंपरा रही है। "मादाऊ" भी गोंडी भाषा का शब्द है, जिसका हिंदी भाषा में अनुवाद" हमारा पिता' या हम सभी का पिता" होता है।

मादाऊ= मा+दाऊ, जिसमें, मा का हिंदी अर्थ " हमारा" और "दाऊ का हिंदी अर्थ " पिता" होता है। इस तरह से "मादाऊ" शब्द का हिंदी भाषा में अनुवाद, हमारा पिता या प्रजा पालक होता है।

और इस तरह से गोंडी के शब्द " संभु शेक मादाऊ" का हिंदी भाषा में अनुवाद " पांच खण्ड धरती के राजा, हमारे पिता" या "पांच खण्ड धरती के राजा/प्रजापालक" होता है।
स्पष्ट है कि यह ( संभु मादाऊ) किसी व्यक्ति विशेष का नाम न होकर " पांच खण्ड धरती के राजा" की उपाधि है। कोयामर्री द्वीप समूह ( गोंडवाना धरती समूह)/ गोंडवाना भूखंड के 88 संभु मादाऊ द्वारा "पेन्कमेढ़ी कोट" राजधानी केंद्र ( सत्ता ता पुड़ा) से राजपाट संभाल चुके होने का गोंडी गण्ड गाथाओं में उल्लेख मिलता हैं!

88( अट्टासी) को गोंडी भाषा में " अरूंग-अरूं" कहा जाता है। 88 संभु मादाऊ में से हर एक को सेवा जौहर करने के लिए गोंडी भाषा में आज भी "
" अरूंग-अरूं,वरूल-वरूल, संभु मादाऊ ना, सेवा! सेवा!! कहा जाता है।

वरूल-वरूल का हिंदी भाषा में अनुवाद " हर एक को" या हर- हर को" होता है। हिंदी भाषियों ने इस वाक्य को बिगाड़कर " बोलो हर-हर महादेव" कर दिया है। "मादाऊ" शब्द का उच्चारण भी पूरी तरह से बिगाड़ कर " महादेव" कर दिया है। फिर " मादाऊ" शब्द को" महादेव करके तोड़-मरोड़ ही नहीं दिया बल्कि अर्थ का अनर्थ भी कर दिया और संदर्भ ही पूरी तरह से बदल दिया है।

"हिंदी शब्द/ नाम "महादेव" को व्यक्तिवाचक बनाकर, ब्राह्मण धर्म शास्त्रों के , भोलेनाथ, शिव, शंकर, महेश पशुपति, रूद्र, नाम के देवता (भगवान) का समानार्थी बना दिया। और गले में सांप लिपटे हुए,कमर पर बाघचर्म लपेटे हुए,भांग-धतूरे, के नशे में चूर, त्रिशूल पकड़े हुए, इस तरह की उसकी तस्वीर की कल्पना करके उस तरह की मूर्ति भी बना दी।
यह कोयापुनेम मुठवापेन संस्कृति को हड़पने की या ब्राह्मणीकरण करने की नाकाम कोशिश को उजागर करता है।कोयामर्री भूईं के कोयतोर्क को यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि कोयतोर्क के "अरूंग-अरूं संभु मादाऊ" अलग है, और उनका " ब्राह्मण धर्म शास्त्रों में उल्लेखित " महादेव ,भोलेनाथ, शिव ,शंकर, महेश ,पशुपति, रूद्र -- इत्यादि से और उसकी पौराणिक कथाओं से कोई संबंध नहीं है।

[ संदर्भ स्रोत: (१)कोयापुनेम मुठवा डॉ मोतीरावेन-छतिरावेन कंगाली नागपुर ( महाराष्ट्र) का शोध ग्रंथ " कोयापुनेम:पहांदी पारी कुपार लिंगों दर्शन(२) गोंडी भाषा की वाचिक प्रचलित परंपरा.]
*कोयापुनेम मुठवा पेन ता, सेवा! सेवा!! अरूंग-अरूं, वरूल-वरूल संभु मादाऊ ना, सेवा! सेवा!!*

01/03/2024

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01/03/2024

हल्दी रस्म या फिजूल खर्ची

अमीरों के चक्कर में बेचारा गरीब पिस रहा है 🤔

आज कल ग्रामीण परिवेश में होने वाली शादियों में एक नई रस्म का जन्म हुआ है हल्दी रस्म।

हल्दी रस्म के दौरान हजारों रूपये खर्च कर के विशेष डेकोरेशन किया जाता है, उस दिन दूल्हा या दुल्हन विशेष पीत (पीले) वस्त्र धारण करते हैं। साल 2020 से पूर्व इस हल्दी रस्म का प्रचलन ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं पर भी देखने को नहीं मिलता था, लेकिन पिछले साल दो-तीन साल से इसका प्रचलन बहुत तेजी से ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ा है।

पहले हल्दी की रस्म के पीछे कोई दिखावा नहीं होता था, बल्कि तार्किकता होती थी। पहले ग्रामीण क्षेत्रों में आज की तरह साबुन व शैम्पू नहीं थे और ना ही ब्यूटी पार्लर था। इसलिए हल्दी के उबटन से घिसघिस कर दूल्हे-दुल्हन के चेहरे व शरीर से मृत चमड़ी और मेल को हटाने, चेहरे को मुलायम और चमकदार बनाने के लिए हल्दी, चंदन, आटा, दूध से तैयार उबटन का प्रयोग करते थे। ताकि दूल्हा-दुल्हन सुंदर लगे। इस काम की जिम्मेदारी घर-परिवार की महिलाओं की थी। लेकिन आजकल की हल्दी रस्म मोडिफाइड, दिखावटी और मंहगी हो गई है। जिसमें हजारों रूपये खर्च कर डेकोरेशन किया जाता है। महंगे पीले वस्त्र पहने जाते है। दूल्हा दुल्हन के घर जाता है और पूरे वातावरण, कार्यक्रम को पीताम्बरी बनाने के भरसक प्रयास किये जाते हैं। यह पीला ड्रामा घर के मुखिया के माथे पर तनाव की लकीरें खींचता है जिससे चिंतामय पसीना टपकता है।

पुराने समय में जहां कच्ची छतों के नीचे पक्के इरादों के साथ दूल्हा-दुल्हन बिना किसी दिखावे के फेरे लेकर अपना जीवन आनंद के साथ शुरू करते थे, लेकिन आज पक्के इरादे कम और दिखावा और बनावटीपन ज्यादा होने लगा है।

आजकल देखने में आ रहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक रूप से असक्षम परिवार के लड़के भी इस शहरी बनावटीपन में शामिल होकर परिवार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ा रहे है। क्योंकि उन्हें अपने छुट भईए नेताओं, वन साइड हेयर कटिंग वाले या लम्बे बालों वाले सिगरेट का धुंआ उड़ाते दोस्तों को अपना ठरका दिखाना होता है। इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि के लिए रील बनानी है। बेटे के रील बनाने के चक्कर में बाप की कर्ज़ उतरने में ही रेल बन जाती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे घरों में फिजूल खर्ची में पैसा पानी की तरह बहाया जाता है जिनके मां-बाप ने हाड़-तोड़ मेहनत और पसीने की कमाई से पाई-पाई जोड़ कर मकान का ढांचा खड़ा किया लेकिन ये नवयौवन लड़के-लड़कियां बिना समझे अपने मां-बाप की हैसियत से विपरीत जाकर अनावश्यक खर्चा करते हैं।

जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हो उन परिवारों के बच्चों को मां-बाप से जिद्द करके इस तरह की फिजूल खर्ची नहीं करवानी चाहिए। आजकल काफी जगह यह भी देखने को मिलता है कि बच्चे (जिनकी शादी है) मां-बाप से कहते है आप कुछ नहीं जानते, आपको समझ नहीं है, आपकी सोच वही पुरानी अनपढ़ों वाली रहेगी, यह कहते हुए अपने माता-पिता को गंवारू, पिछड़ा, थे तो बौझ्अ बरगा हो कहते हैं। मैं जब भी यह सुनता हूं सोचने को विवश हो जाता हूं, पांव अस्थिर हो जाते हैं। बड़ी चिंता होती हैं कि मेरा युवा व छोटा भाई-बहिन किस दिशा में जा रहे हैं।

इस तरह की फिजूलखर्ची वाली रस्म को रोकने के समाचार पढ़ कर खुशी होती है लेकिन अपने घर, परिवार, समाज, गांव में ऐसे कार्यक्रम में शरीक होकर लुत्फ उठा रहे हैं, फोटो खिंचवाकर स्टेटस लगा रहे हैं।

01/03/2024

एलोपैथी, आयुष , वेटनरी डिग्रीधारी चिकित्सक ही अपने नाम के आगे "डॉक्टर" लिख सकते है। बाकी नहीं।

27/02/2024

#पुरखा देवदार पेड़...
अगर कभी आप देहरादून के फारेस्ट रिसर्च म्यूजियम (एफआरआई) में जाएं तो पेड़ के तने की यह फांक आपका ध्यान जरूर खींचेगी। मैं पहली बार कोई 1996 में गया था। तभी मैंने इसे देखा था। अभी हाल ही में ट्विटर पर किसी ने यह तस्वीर साझा कि तो याद तुरंत ताजा हो गई।

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के बालचा टौंस वन क्षेत्र में देवदार के इस पेड़ ने अपना जीवन जिया था। इस पेड़ का जन्म सन 1215 में यानी कुतुबमीनार के निर्माण काल में हुआ रहा होगा। जबकि, इसकी मौत 1919 में यानी जलियांवाला बाग के समय हुई होगी। इस पेड़ की उम्र 704 साल आंकी गई है। इसकी मोटाई का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि इसके अर्धव्यास की लंबाई 140 सेंटी मीटर है। सात सौ साल का जीवन जीने वाले इस पेड़ ने अपने जीवनकाल में बहुत सारी ऐतिहासिक घटनाओं का सामना किया होगा। मुगलों के आगमन से लेकर देश के अंग्रेजों का गुलाम बनने जैसी तमाम घटनाएं इसके जीवनकाल में हुई थीं।

म्यूजियम में रखी गई पेड़ के तने की इस फांक में बड़ी ही खूबसूरती से उन घटनाओं को दर्शाया गया है जो उस पेड़ के जीवनकाल में घटी रही होंगी। आप जानते ही हैं कि पेड़ों के तने में पड़ने वाले वार्षिक वलय या एनुअल रिंग से किसी भी पेड़ की आयु की गणना की जाती है। इन्हीं वलयों के आधार पर उस समय घटनाओं का संकेत लगाया गया है।

लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात। सात सौ सालों के इस जीवन में इस पेड़ ने न जाने कितने टन कार्बन डाई आक्साइड का अवशोषण किया होगा। जो आज भी इसके तने में जमा है। आज जब हम लाखों तरीके से कार्बन पैदा कर रहे हैं। तब ऐसे पेड़ों की अहमियत कितनी बढ़ जाती है।

क्या आज हम ऐसे वृक्षों-दरख्तों की कल्पना कर सकते हैं जो अपनी पूरी जिंदगी जीने के बाद मरें। उन्हें वक्त से पहले ही मार न दिया जाता हो।

अपने आस-पास देखिए। शायद ही कोई ऐसा दरख्त दिखाई पड़े....

#जंगलकथा #जंगलमन

16/02/2024

#कुछ_मेरिट_कल_भी_व्यापम_की_तरह_थी

"कुछ जन्म और वंश से महान हुए
कुछ ने कर्मों और आचरण से महानता हासिल की
और कुछ पर महानता बलात् थोप दी गई।"
#विलियम_शेक्सपीअर

16/02/2024

*जीवन बदलने वाले अवसर बार-बार नहीं आते लेकिन हम उस अवसर आने पे भी बहाने बनाते है क्या बहाना..??*
*▪️1- मेरे पास पैसा नहीं है.?*
*▪️2- मेरे पास समय नहीं है.?*
*▪️3- मुझे सबूत दिखाओ.?*
*▪️4- देख लेता हूँ.?*
*▪️5- यह एक धोखा है.?*
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08/02/2024

फिल्मों में तो इन्हे किसी ने पसंद नही किया । जिनका नाम ही
राम हो वो भी हवा में उड़ते है ।
एक काल्पनिक नाटक की वजह से पूजा जाता है ।
इस खुशी को छोड़े कोन ।

रामायण में ऐसा कोन सा जीवन दर्शन है । जो हर स्कूल में
अनिवार्य लगती हो ।
जिसमे लड़ाई झगडे के अलावा कुछ नही है ।

महिलाओं का अपमान होता हो । सिर्फ सीता सूर्पनखा का
ही नही हुआ ।
मंदोदरी का भी हुआ जिसके पूरे परिवार को मार दिया
वो विभीषण जैसे गद्दार से ब्याह कर लेगी ।
जबकि सतियो उसका भी नाम आदर से लिया जाता है ।
या छुपाया गया मंददोरी चरित्र हीन स्त्री थी ।

लेकिन यह भी सच है चरित्र हीन मां पिता कभी संतानों
को नही मरते देखना चाहते ।

प्रजा बगावत न कर दे तलवार की नोक पर लगता है ।

जीवन दर्शन पढ़ना है । कलाम को पढ़े एडिसन कार्ल मार्क्स
दसरथ मांझी ।
फूले पेरियार अमेडकर पढ़े इनसे बड़ा जीवन दर्शन दूसरा
क्या मिलेगा जिनको पढ़ने से दिमाग हिल जाता है ।

केसे षड्यंत्र से मानव से भगवान बनने की कोशिश निचले दर्जे
के लोगो ने की ।

अगर इन लोगो ने अपने अपने विषयो को लेकर अपने क्षेत्रों में
क्रांति न की होती क्या बदलाव आता ।

भारत में मिश्रित अर्थ व्यवस्था का सुझाव यूं ही नही उभरा होगा ।

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