Green Care Society

Green Care Society is a registered Non Government Organization based of Meerut, India. We work for environment and society.

Green Care Society (GCS) was founded on 31 July, 2009. It was under the leadership of Dr Vijay Pandit that the foundations of the organisation were laid down to collectively work for society. We have worked untiringly towards developing a sustainable environment for all by means of grass-root level activities, policy advocacy, mass awareness, community action, field demonstrations amongst other me

30/04/2024

जीवन में कोई भी अवसर हो पौधारोपण कीजिए और प्रत्येक अवसर को यादगार बनाइये .. रोपित किये गये पौधों की देखरेख अवश्य कीजिये ..
अगर आपके पास समय का अभाव है तो हम हैं न .. हम से कहिये हम आपके नाम से पौधे रोपित करेंगे ।
धरती को हरा भरा और प्रदूषणमुक्त रखने के प्रयासों में आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
Please join the 'Mission' ..

हरित धन्यवाद

Dr Vijay Pandit
Green care society of India
Meerut, utter Pradesh
India
Phone +91 8006634266

Photos from Green Care Society's post 31/01/2024

हरियाली सहेजने का सफ़र निरंतर जारी है, हरियाली सहेजने के इस कारवां में आपका भी स्वागत है .. मेरठ - दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर पौधारोपण ।

संपर्क सूत्र
डा विजय पंडित
Green Care Society
080066 34266 भारत

Photos from Green Care Society's post 15/12/2023

हरियाली सहेजने का सफ़र आज भी जारी है इस कारवां में आपका भी स्वागत है ..

संपर्क सूत्र
डा विजय पंडित
Green Care Society
080066 34266 भारत

12/11/2023

Green Deepawali .. Happy Deepawali

16/09/2023

स्कन्द पुराण में एक अद्भुत श्लोक है ..
*अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम्न्यग्रोधमेकम् दश चिञ्चिणीकान्*
*कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्चपञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।*

अश्वत्थः = पीपल
पिचुमन्दः = नीम
न्यग्रोधः = वट वृक्ष
चिञ्चिणी = इमली
कपित्थः =Wood apple
बिल्वः = बेल
आमलकः = आंवला
आम्रः = आम
उप्ति = पेड़/पौधे लगाना

जो भी इन सारे वृक्षों कारोपण करता है उसे कभी भी नर्क का दर्शन नहीं होता है। अर्थात उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पौधारोपण हमारी सनातन संस्कृति का ये विशेष अंग है।
पौधारोपण के साथ साथ रोपित किए गए पौधों की समुचित देखभाल कर हम अपनी धरा को सुरक्षित रखने के लिए अपना योगदान दे सकते हैं।
पृथ्वी पर जीवन के लिए यह महत्वपूर्ण है कि 'ओजोन परत' सुरक्षित रहे इसके लिए सबसे बेहतर उपाय है कि हम अपनी पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों, वनों का संरक्षण व संवर्धन करें ।

#मेरठ #पर्यावरण #गंगाविचारमंच #ग्रीनकेयरसोसायटी #नमामिगंगे #समाचार #ग्रीनकेयरसोसायटी #नमामिगंगे

Photos from Green Care Society's post 05/09/2023

पर्यावरण संरक्षण जन जागरूकता कार्यक्रम ...
अगारपाडा, कोलकाता, पं. बंगाल
#ग्रीनकेयरसोसायटी #नमामिगंगे #पर्यावरण #मेरठ

Photos from Green Care Society's post 30/08/2023

ग्रीन केयर सोसाइटी द्वारा औषधीय पौधों का रोपण व पर्यावरण संरक्षण जन जागरूकता कार्यक्रम
सभी मीडिया बंधुओं का हार्दिक धन्यवाद ..

Admin
Green Care Society
Meerut, India
Email: [email protected]
#पर्यावरण #मेरठ #नमामिगंगे #ग्रीनकेयरसोसायटी

Photos from Green Care Society's post 29/08/2023

पर्यावरण प्रहरी ... ग्रीन केयर सोसायटी, मेरठ,
उत्तर प्रदेश, भारत
Email: [email protected]

Photos from Green Care Society's post 29/08/2023

ग्रीन केयर सोसायटी द्वारा औषधीय पौधों का रोपण व पर्यावरण जन जागरूकता अभियान।

समस्त भारत व नेपाल में पर्यावरण संरक्षण व साहित्य, कला व संस्कृति के संवर्धन के लिए कार्यरत संस्थान ग्रीन केयर सोसायटी द्वारा आज बागपत रोड स्थित मुकारी गांव में औषधीय पौधों को रोपित किया व गांव के प्राचीन शिव मंदिर में पौधों को वितरित किया गया।
इस अभियान में प्रकृति प्रदत्त औषधीय गुणों वाले पौधों जैसे गिलोय, एलोवेरा, कडीपत्ता, तुलसी आदि पौधों के महत्व को बताए जाने के साथ औषधीय पौधों के प्रयोग से अपने स्वास्थ की रक्षा करने के विषय में जागरूक करने के साथ पीपल, बरगद, जामुन, गिलोय, ऐलोवेरा, शमी व कनेर के पौधों को रोपित किया गया।
आज के कार्यक्रम में ग्रीन केयर सोसायटी की संस्थापक सदस्य पूनम पंडित, शिक्षिका निश्चल शर्मा, मुनीष शर्मा 'बाबी', सुनील दत्त शर्मा एडवोकेट, डा विजय पंडित सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे और रोपित किए गए पौधों की देखभाल करने का संकल्प लिया।
पौधरोपण के साथ ही ग्राम वासीयों को औषधीय गुणों वाले पेड, पौधों, वनस्पतियों सहित प्रकृति के संरक्षण व प्रयोग बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्हें पौधे प्रदान किए। इस अवसर पर डॉ. विजय पंडित ने सभी को प्रकृति से जुड़ने रहने व उत्तम स्वास्थ के लिए जीवन शैली में औषधीय गुणों वाले पौधों व वनस्पतियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रेरित किया ।
आज के कार्यक्रम में सुनील दत्त शर्मा एडवोकेट, डॉ. विजय पंडित, पूनम पंडित, निश्चल शर्मा, मुनीष शर्मा 'बाबी' उपस्थित रहे, ग्रीन केयर सोसायटी की सह संस्थापिका पूनम पंडित ने सभी की उपस्थिति पर आभार जताया ।

ग्रीन केयर सोसायटी
मेरठ, उत्तर प्रदेश
फोन 8006634266

#पर्यावरण #ग्रीनकेयरसोसायटी #नमामिगंगे #मेरठ
#ग्रीनकेयरसोसायटी #नमामिगंगे #पर्यावरण #मेरठ

28/07/2023

पेड पौधे वनस्पतियां पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, शुद्ध प्राणवायु, फल, फूल, औषधि प्रदाता सच्चे मित्र वृक्षों को सदैव हम सदैव नमन करें जो जीवन से लेकर मृत्यु तक साथ निभातें हैं ..
दोस्तों वृक्ष बहूमूल्य हैं इसलिए प्रकृति से सदैव जुड़े रहिए .. सम्मान, संवर्धन और संरक्षण कीजिए .. यकीन मानिए एक सच्चे मित्र की तरह प्रकृति आपके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने देगी ।

Admin
Green care society
Meerut, India
+918006634266
#मेरठ #नमामिगंगे #गंगाविचारमंच #ग्रीनकेयरसोसायटी #पौधारोपण #डाविजयपंडित #पर्यावरण

03/07/2023

ये तश्वीर बहुत कुछ कहती है और सोचने को मजबूर करती है कि पेड़ पौधे वनस्पतियां हमारे लिए क्यों आवश्यक हैं ..

27/06/2023

पेड पौधे वनस्पतियां पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए शुद्ध प्राणवायु, फल, फूल, औषधि प्रदाता सच्चे मित्र वृक्षों को सदैव नमन करें जो हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक हमारा साथ निभातें हैं ..
दोस्तों वृक्ष बहूमूल्य हैं इसलिए प्रकृति से सदैव जुड़े रहिए .. सम्मान, संवर्धन और संरक्षण कीजिए .. यकीन मानिए एक सच्चे मित्र की तरह प्रकृति आपके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने देगी ।

डा विजय पंडित
Green care society
Meerut, India
+918006634266
#मेरठ #नमामिगंगे #गंगाविचारमंच #ग्रीनकेयरसोसायटी #पौधारोपण

Photos from Green Care Society's post 11/06/2023

पृथ्वी पर प्रकृति का अनमोल उपहार औषधीय गुणों से युक्त वनस्पतियों के रूप में हमारे वनों में बिखरा पड़ा है जिसमें एक औषधीय गुणों से भरपूर 'कपूर' है जिसका उपयोग औषधी के साथ साथ पूजा अर्चना करने में भी होता है। प्राकृतिक कपूर एक विशालकाय पेड़ से प्राप्त होता हैं, जोकि औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

कपूर एक विशालकाय, बहुवर्षायु लगभग सदाबहार वृक्ष है। इसका वृक्ष एशिया के विभिन्न भागों में जैसे भारत, श्रीलंका, चीन, जापान, मलेशिया, कोरिया, नेपाल, ताइवान, इन्डोनेशिया आदि देशों में पाया जाता है।
कपूर के वृक्ष की लम्बाई 50 से 100 फीट तक होती है। इसके सुन्दर, अति सुगन्धित पुष्प और मनमोहक फल तथा पत्तियाँ बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यही कारण है कि कहीं-कहीं, इसे श्रृंगारिक वृक्ष के रुप में भी अपनाया गया है।
पत्तियाँ बड़ी सुन्दर, चिकनी, मोमी, लालीमायुक्त हरापन लिए होती हैं। वसन्त ऋतु में छोटे-छोटे अति सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फल भी बड़े मनमोहक होते हैं।
कपूर वृक्ष की लकड़ियाँ सुन्दर फर्नीचर के काम में भी लायी जाती हैं, जो काफी मजबूत और टिकाऊ होती हैं। इसके पेड़ से प्राप्त लकड़ियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर, तेज ताप पर उबाला जाता है फिर वाष्पीकरण और शीतलीकरण विधि से रवादार कपूर का (crystalline substance) निर्माण होता है। इसके अलावा, इससे अर्क और तेल भी बनाया जाता है, जिसका प्रयोग प्रसाधन एवं औषधी कार्यों में बहुतायत होता है।
आयुर्वेद में इसके अनेक औषधीय प्रयोगों का वर्णन मिलता है। एलोपैथी और होमियोपैथी दवाइयों में भी कपूर का प्रयोग होता है। इसकी तासीर ठंडी है। भारतीय कर्मकांड और तन्त्र में तो कपूर रसाबसा है ही, कपूर की कज्जली और गौघृत से काजल भी बनाया जाता है, जो बड़ा गुणकारी होता है ।
दोस्तों यदि आपके पास भी कपूर वनस्पति से जुडी हुई कोई जानकारी है तो कृपया साझा कीजिएगा।

ग्रीन केयर सोसायटी हाउस
मेरठ, भारत

#ग्रीनकेयरसोसायटी #गंगाविचारमंच #नमामिगंगे #मेरठ

06/06/2023

स्कन्द पुराण में एक अद्भुत श्लोक है ..
*अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम्न्यग्रोधमेकम् दश चिञ्चिणीकान्*
*कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्चपञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।*

अश्वत्थः = पीपल
पिचुमन्दः = नीम
न्यग्रोधः = वट वृक्ष
चिञ्चिणी = इमली
कपित्थः =Wood apple
बिल्वः = बेल
आमलकः = आंवला
आम्रः = आम
उप्ति = पेड़/पौधे लगाना

जो भी इन सारे वृक्षों का वृक्षारोपण करता है उसे कभी भी नर्क का दर्शन नहीं होता है। अर्थात उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। वृक्षारोपण हमारी संस्कृति का ये विशेष अंग है।

#मेरठ #पर्यावरण #गंगाविचारमंच #ग्रीनकेयरसोसायटी #नमामिगंगे #समाचार

23/05/2023

हम सभी शुद्ध प्राणवायु, फल, फूल, औषधि प्रदाता सच्चे मित्र वृक्षों व सभी पेड़, पौधे, वनस्पतियों को सदैव नमन करें जो हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक हमारा साथ निभातें हैं ।

दोस्तों प्रकृति से सदैव जुड़े रहिए .. सम्मान, संवर्धन और संरक्षण कीजिए .. यकीन मानिए एक सच्चे मित्र की तरह प्रकृति आपके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने देगी।
माननीय प्रधानमंत्री जी से सभी प्रेरणा लेते हुए अपने वातावरण को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त रखने के लिए जीवन की अनेक व्यस्तताओं के बावजूद प्रत्येक अवसर पर पौधारोपण अवश्य करना चाहिए।

Green care society
Meerut, India
#ग्रीनकेयरसोसायटी #मेरठ #समाचार #पर्यावरण
#नमामिगंगे #गंगाविचारमंच

10/05/2023

पीपल, बेल, वट, आंवला व अशोक ये पांचो वृक्ष पंचवटी कहे गये हैं। इन पांच वृक्षों में अद्वितीय औषधीय गुण पाये जाते हैं । आंवला विटामिन सी का सबसे समृद्ध स्त्रोत है एवं शरीर को रोग प्रतिरोधी बनाने की अति महत्वपूर्ण औषधि है।
पीपल, बेल, वट, आंवला व अशोक ये पांचो वृक्ष पंचवटी कहे गये हैं। इनकी स्थापना पांच दिशाओं में करनी चाहिए।
पीपल पूर्व दिशा में, बेल उत्तर दिशा में, वट पश्चिम दिशा में, आंवला दक्षिण दिशा और आग्नये कोण में अशोक की तपस्या के लिए स्थापना करनी चाहिए । पांच वृक्षों के रोपण के पश्चात चार हाथ की सुन्दर वेदी की स्थापना बीच में करनी चाहिए। यह अनन्त फलों को देने वाली व तपस्या का फल देने प्रदान करने वाली है।
पंचवटी का महत्व हम सभी को जानना और दूसरे लोगों को इसके महत्व से परिचित कराना, प्रकृति व वनस्पतियों के संरक्षण संवर्धन के लिए प्रेरित करना भी नैतिक जिम्मेदारी है ।
1 पंचवटी के औषधीय महत्व : इन पांच वृक्षों में अद्वितीय औषधीय गुण है । आंवला विटामिन सी का सबसे समृद्ध स्त्रोत है एवं शरीर को रोग प्रतिरोधी बनाने की महौषधि है।
बरगद का दूध बहुत बलदायी होता है। इसके प्रतिदिन प्रयोग से शरीर का कायाकल्प हो जाता है। पीपल रक्त विकार दूर करने वाला वेदनाशामक एवं शोथहर होता है।
बेल पेट सम्बन्धी बीमारियों का अचूक औषधि है तो अशोक स्त्री विकारों को दूर करने वाला औषधीय वृक्ष है।
बरगद के पेड़ का वैज्ञानिक नाम फिकस बेंगलेंसिस है।
इस वृक्ष समुह में फलों के पकने का समय इस प्रकार निर्धारित है कि किसी न किसी वृक्ष पर वर्ष भर फल विधमान रहता है।
जो मौसमी रोगों के निदान हेतु सरलता से उपलब्ध होता है। गर्मी में जब पाचन सम्बन्धी विकारों की प्रबलता होती है तो बेल है। वर्षाकाल में चर्म रोगों की अधिकता एवं रक्त विकारों में अशोक परिपक्व होता है। शीत ऋतु में शरीर के ताप एवं उर्जा की आवश्यकता को आंवला पूरा करता है।
2 पंचवटी का पर्यावरणीय महत्व बरगद शीतल छाया प्रदान करने वाला एक विशाल वृक्ष है। गर्मी के दिनों में अपरान्ह में जब सुर्य की प्रचन्ड किरणें असह्य गर्मी प्रदान करत हैं एवं तेज लू चलता है, तो पंचवटी में पश्चिम के तरफ स्थित वट वृक्ष सघन छाया उत्पन्न कर पंचवटी को ठंडा करता है।
- पीपल प्रदूषण शोषण करने वाला एवं प्राण वायु उत्पन्न करन वाला सर्वोतम वृक्ष है ।
- अशोक सदाबहार वृक्ष है यह कभी पर्ण रहित नहीं रहता एवं सदैव छाया प्रदान करत है।
- बेल की पत्तियों, काष्ठ एवं फल में तेल ग्रन्थियां होती है जो वातावरण को सुगन्धित रखती हैं।
पछुआ एवं पुरुवा दोनों की तेज हवाओं से वातावरण में धूल की मात्रा बढ़ती है। जिसको पूरब व पश्चिम में स्थित पीपल व बरगद के विशाल वृक्ष अवशोषित कर वातावरण को शुद्ध रखते हैं।
3 पंचवटी का धार्मिक महत्व : बेल पर भगवान शंकर का निवास माना गया है तो पीपल पर विष्णु एवं वट वृक्ष पर ब्रह्मा का। इस प्रकार प्रमुख त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का पंचवटी में निवास है एवं एक ही स्थल पर तीनों के पूजन का लाभ मिलता है।
4 जैव विविधता संरक्षण : पंचवटी में निरन्तर फल उपलब्ध होने से पक्षियों एवं अन्य जीव जन्तुओं के लिए सदैव भोजन उपलब्ध रहता है एवं वे इस पर स्थाई निवास करते हैं। पीपल व बरगद कोमल काष्टीय वृक्ष है जो पक्षियों के घोसला बनाने के उपयुक्त है। हमें संकल्प लेना चाहिये कि अपने जीवनकाल में एक पंचवटी स्थापित जरूर करें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रेरित करें।
अभी भी नहीं संभले तो फिर बहुत देर हो जायेगी और पृथ्वी को आग का गोला बनते देर नहीं लगेगी तो आपसे अपील है कि आज से अभी से शुभ कार्य की शुरूवात करें।
दोस्तों .. किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की खोज करने से बेहतर है कि हम अपनी पृथ्वी को ही सुरक्षित कर रहने योग्य बनाएं ।
हम सभी शुद्ध प्राणवायु, फल, फूल, औषधि प्रदाता सच्चे मित्र वृक्षों व सभी पेड़, पौधे, वनस्पतियों को सदैव नमन करें जो हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक हमारा साथ निभातें हैं ।
दोस्तों प्रकृति से सदैव जुड़े रहिए .. सम्मान, संवर्धन और संरक्षण कीजिए .. यकीन मानिए एक सच्चे मित्र की तरह प्रकृति आपके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने देगी ।

डा विजय पंडित
संस्थापक
ग्रीन केयर सोसायटी हाउस
मेरठ, भारत

#ग्रीनकेयरसोसायटी #मेरठ #समाचार #पर्यावरण
#नमामिगंगे #गंगाविचारमंच

08/05/2023

हम सभी शुद्ध प्राणवायु, फल, फूल, औषधि प्रदाता सच्चे मित्र वृक्षों व सभी पेड़, पौधे, वनस्पतियों को सदैव नमन करें जो हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक हमारा साथ निभातें हैं ..

दोस्तों प्रकृति से सदैव जुड़े रहिए .. सम्मान, संवर्धन और संरक्षण कीजिए .. यकीन मानिए एक सच्चे मित्र की तरह प्रकृति आपके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने देगी ..

गंगा विचार मंच (जनपद मेरठ ईकाई)
Green care society
India
#ग्रीनकेयरसोसायटी #मेरठ #समाचार #पर्यावरण
#नमामिगंगे #गंगाविचारमंच

24/04/2023

Green Care Society
Meerut, India

Photos from Green Care Society's post 20/04/2023

गण्डकी नदी नेपाल और भारत में बहने वाली एक महत्वपूर्ण नदी है जिसे बड़ी गंडक या गंडक भी कहा जाता है। इस नदी को नेपाल में काली गण्डकी नदी पुकारते हैं और शालिग्राम मिलने के कारण से सालिग्रामी या बेलग्रामी और मैदानों में नारायणी और सप्तगण्डकी कहते हैं।
हिमालय पर्वतमाला से नेपाल के देवघाट में त्रिशूली और काली गण्डकी नदियों का संगम होता है और आगे नारायणी नदी बन भैरहवा जिले में त्रिवेणी नाम के कस्बे के पास मैदानों में उतरती है। इसका उद्गम स्थान 7,620 मीटर की ऊँचाई पर हिमालय के धौलागिरी पर्वत पर है।
गण्डकी हिमालय से निकलकर दक्षिण-पश्चिम बहती हुई भारत में प्रवेश करती है। त्रिवेणी पर्वत के पहले इसमें एक सहायक नदी त्रिशूल गंगा मिलती है। यह नदी काफी दूर तक उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्यों के बीच सीमा निर्धारित करती है। उत्तर प्रदेश में यह नदी महराजगंज और कुशीनगर जिलों से होकर बहती हुई एक बड़े इलाके को सिंचित करती है।
बिहार में यह चम्पारण,सारण, और मुजफ्फरपुर जिलों से होकर बहती हुई 765 किलोमीटर की लम्बी और घुमावदार यात्रा के बाद पटना के सम्मुख गंगा में मिल जाती है। इस नदी की कुल लम्बाई लगभग 1310 किलोमीटर है।विगलित हिम द्वारा वर्ष भर पानी मिलते रहने से यह सदा ही बनी रहती है।
वर्षा ऋतु में इसकी बाढ़ समीपवर्ती मैदानों को खतरे में डाल देती है क्योंकि उस समय इसका पाट 2 - 3 मील चौड़ा हो जाता है। बाढ़ से बचने के लिए इसके किनारे बांध बनाए गए हैं। यह नदी मार्ग-परिवर्तन के लिए भी प्रसिद्ध है। त्रिवेणी तथा सारण जिले की नहरें इससे निकाली गई हैं, जिनसे चंपारण और सारण जिले में सिंचाई होती है।
यह बिहार और उत्तर प्रदेश की संयुक्त नदी घाटी परियोजना है। इस परियोजना के अन्तर्गत गंडक नदी पर त्रिवेणी नहर हेड रेगुलेटर के नीचे बिहार के वाल्मीकि नगर में बैराज बनाया गया। इसी बैराज से चार नहरें निकलतीं हैं, जिसमें से दो नहरें भारत में और दो नहर नेपाल में हैं। यहाँ 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है और यहाँ से निकाली गई नहरें चंपारण के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से की सिंचाई करती है।
वाल्मीकि नगर का बैराज 1969 - 70 में बना। इसकी लम्बाई 747.37 मीटर और ऊंचाई 9.81 मीटर है। इस बैराज का आधा भाग नेपाल में है। 256.68 किमी पूर्वी नहर से बिहार के चंपारण, मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिलों के 6.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई होती है। इसी नहर से नेपाल के पर्सा, बर्रा, रौतहट जिला के 42,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। मुख्य पश्चिमी नहर से बिहार के सारण जिले की 4.84 लाख भूमि तथा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर जिलों के 3.44 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। इस नहर से नेपाल के भैरहवा जिले की 16,600 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। 14वें किमी पर 15+ मेगावाट क्षमता का एक जलविद्युत संयंत्र बनाकर नेपाल सरकार को भेट किया गया है। यह नेपाल के तराई क्षेत्र की विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

नेपाल की सभी नदियां भारत के उत्तराखंड , उत्तर प्रदेश, बिहार राज्यों में बहते हुए गंगा में मिल जाती हैं अतः नेपाल की समस्त जलधाराएं गंगा की सहायक नदियां हैं और भारत सरकार की महत्वकांक्षी नमामि गंगे परियोजना को यदि हम 100 % सफल बनाना चाहतें हैं तो नमामि गंगे अभियान में नेपाल की सभी नदियों को शामिल करना होगा और उनकी स्वच्छता सुनिश्चित करते हुए ज़मीनी स्तर पर प्रदूषण मुक्त रखने के उपाय करने होंगे। गंगा नदी तभी पूरी तरह स्वच्छ व प्रदुषण मुक्त हो सकती है जब उसकी सहायक नदियां स्वच्छ होंगी इसके लिए भारत व नेपाल सरकार के साथ हम सभी को अपने अपने स्तर पर योगदान देना होगा।

डॉ विजय पंडित : संयोजक : मेरठ जनपद
गंगा विचार मंच, नमामि गंगे परियोजना
जल शक्ति मंत्रालय,
भारत सरकार
#ग्रीनकेयरसोसायटी #पर्यावरण #मेरठ #समाचार #नमामिगंगे
#गंगाविचारमंच

18/04/2023

जय प्रकृति जय पर्यावरण...............................
जय प्रकृति जय पर्यावरण
रोपित कर पौधे
सुरक्षित रखें
अपना वातावरण

सांसें हो रही हैं कम,
घुट रहा है सभी का दम
आओ न कुछ और पौधे
लगाएं हम ..

देखभाल कर
उन्हें विशाल वृक्ष बनाएं
ऐसे आवश्यक कदम
अब तो उठाएं हम ..

प्रत्येक दिवस को
पर्यावरण दिवस मनाएं
वन महोत्सव भी
हर रोज मनाए हम ..

धरा से प्रदूषण सब मिल
अब मिटायेगें
नीम, पीपल, जामुन, बरगद
हम अब लगायेंगे..

वातावरण को शुद्ध
प्रदूषण मुक्त कर
हम पर्यावरण प्रहरी
सब कहलायेंगे ..

कुछ इस तरह
जिम्मेदारी निभा
अपनी पृथ्वी का ऋण
हम चुकायेगें ..

पेड़ पौधें वनस्पति
मानवता के सच्चे मित्र
जिंदगी के साथ भी
जिंदगी के बाद भी

साथ निभाते
मौन तपस्वी से
दूसरों के लिए जीते
मिट जाते ..

अपनी रहमतों से
सबको लुभाते
आंधी तूफान बारिश पत्थर
सब सहते ..

शुद्ध प्राणवायु
फल फूल औषधि दे
ये हर्षाते
सदैव झुके रहते ..

कितना बेहतर हो
गर हम प्रकृति के प्रदूषण के साथ
मानसिक प्रदूषण भी दूर भगाएं
अच्छे व सच्चें विचारों को अपनाएं ..

आओ प्रकृति को करें नमन
सुरक्षित सघन हों वन उपवन
प्रकृति मित्र बन सदैव सबके काम आएं
सम्मान में इनकी सब हम शीष झुकाए ..

डॉ विजय पंडित
गंगा विचार मंच, नमामि गंगे परियोजना
: ग्रीन केयर सोसायटी
: आयोजक :-
: मेरठ लिटरेचर फेस्टिवल - मेरठ, भारत
: इंडो नेपाल लिटरेचर फेस्टिवल - नेपाल
: फोन +918006634266

17/04/2023

हम सभी शुद्ध प्राणवायु, फल, फूल, औषधि प्रदाता सच्चे मित्र वृक्षों व सभी पेड़, पौधे, वनस्पतियों को सदैव नमन करें जो हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक हमारा साथ निभातें हैं ..

दोस्तों प्रकृति से सदैव जुड़े रहिए .. सम्मान, संवर्धन और संरक्षण कीजिए .. यकीन मानिए एक सच्चे मित्र की तरह प्रकृति आपके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने देगी ..

Green care society
India
#ग्रीनकेयरसोसायटी #मेरठ #समाचार #पर्यावरण

27/03/2023

पेड पौधे वनस्पतियां पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए शुद्ध प्राणवायु, फल, फूल, औषधि प्रदाता सच्चे मित्र वृक्षों को सदैव नमन करें जो हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक हमारा साथ निभातें हैं ..
दोस्तों वृक्ष बहूमूल्य हैं इसलिए प्रकृति से सदैव जुड़े रहिए .. सम्मान, संवर्धन और संरक्षण कीजिए .. यकीन मानिए एक सच्चे मित्र की तरह प्रकृति आपके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने देगी ..

Green care society
Meerut, India
+918006634266

28/01/2023

हम सभी शुद्ध प्राणवायु, फल, फूल, औषधि प्रदाता सच्चे मित्र वृक्षों व सभी पेड़, पौधे, वनस्पतियों को सदैव नमन करें जो हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक हमारा साथ निभातें हैं ..
दोस्तों प्रकृति से सदैव जुड़े रहिए .. सम्मान, संवर्धन और संरक्षण कीजिए .. यकीन मानिए एक सच्चे मित्र की तरह प्रकृति आपके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने देगी ..

Green care society
Meerut, India

Photos from Green Care Society's post 06/01/2023

कुछ सामाजिक माफिया वर्षो से नदियों की मलिनता दूर कर रहें हैं .... कागजो पर .. और इस काम में मंत्री - सन्तरी और प्रशासन भी इन्ही माफियाओ के साथ मिलकर नित नए उत्सव मना रहे हैं .. मेरी नज़र में ये सब हमारी नदियों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं ।

" नदियों की मलिनता दूर करने के नाम पर ये सामाजिक माफिया अपनी और अपनों की मलिनता दूर कर रहे हैं "

अगर वास्तव में नदियां - प्रकृति - पर्यावरण बचाना चाहते हो तो समाज के जिम्मेदार लोगो को चित्रकारी - मेले - ठेले छोड़ कर ज़मीनी स्तर पर काम करने होंगे ...
उत्तर प्रदेश में "काली नदी " नाम की दो नदियाँ हैं। पूर्वी काली नदी मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा तथा फर्रुखाबाद जिलों में होकर बहती है। इसका उद्गम मुजफ्फरनगर जिले में है जहाँ यह 'नागन' के नाम से विख्यात है।
लेकिन आज ये नदी केवल एक गन्दा नाला बन - शहरो का सीवर - उद्योगों का प्रदूषित जल लेकर बहने का असफल प्रयास करती हैं .... यह नदी कन्नौज में सारा का सारा प्रदूषित जल - सीवर गंगा नदी में उड़ेल देती हैं । एक समय ये नदी वर्ष भर इसमें शुद्ध जल लिए बहती थी । यहाँ इसे काली नदी कहते हैं जो 'कालिंदी' का पारसी लेखकों द्वारा प्रयुक्त अपभ्रंश रूप है। यहाँ पर इसकी दिशा दक्षिण के बजाय दक्षिण-पूर्व हो जाती है। इसी ओर चलती हुई काली नदी कन्नौज से कुछ पहले ही गंगा में मिल जाती है।
बुलंदशहर से एटा तक काली नदी में वर्षा तथा नहर से इतना अधिक जल प्राप्त होता था कि पहले यह भाग बाढ़ग्रस्त हो जाता था .... काली नदी की कुल लंबाई ४६० किमी है।
पश्चिमी काली नदी उत्तर प्रदेश के सहारनुपर जिले में शिवालिक से २५ किमी दक्षिण से निकलकर दक्षिण-पश्चिम तथा दक्षिण की ओर सहारनपुर तथा मुजफ्फरनगर जिलों में बहती है। मेरठ जिले की उत्तरी सीमा पर यह हिंडन नदी में समा जाती हैं। मुख्य व बडी नदियों की सफाई के अभियानों की सफलता इस पर निर्भर करती है कि नदियों की जो सहायक नदियां हैं उनकी स्वच्छता भी सुनिश्चित की जाए।

( चित्र - काली नदी - बुलंदशहर ) मेरठ मण्डल , उत्तर प्रदेश

Admin
Green CARE Society
India
Phone - +91 8006634266

31/10/2022

बेहिसाब बढ़ती जनसंख्या के कारण असंतुलित विकास कार्यो के कारण सबसे ज्यादा नुकसान प्रकृति - पर्यावरण को हो रहा है ..... जिसके वजह से ग्लोबल वार्मिंग - जल वायु असंतुलन - मौसम चक्र परिवर्तन पूरे विश्व व्यापी समस्या हम सबके सामने है , इससे निपटने के लिए सबको सामूहिक कदम उठाने होंगे और ज़मीनी स्तर पर पूरी ईमानदारी के साथ पौधारोपण के साथ पेड़ - पौधों प्रकृति की रक्षा करनी होगी ।
इसके लिए ग्रीन केयर सोसाइटी समस्त भारत व नेपाल में ' मिशन ग्रीन अर्थ ' अभियान संचालित कर रही है जिसके अंतर्गत भारत व नेपाल में निरंतर पौधारोपण - जन जागरूकता के कार्यक्रम संचालित जा रहें हैं !
ग्रीन केयर सोसाइटी... हरियाली को बचाने के लिए "मिशन ग्रीन अर्थ" के अंतर्गत निरंतर - हर अवसर पर पौधारोपण करती है ....
इस अभियान को "मिशन ग्रीन अर्थ" नाम दिया गया है क्योकि ग्रीन केयर सोसायटी संस्था शहर - प्रदेश तक ही सिमित न रह कर देश की सीमाओ के पार भी काम कर रही है और पूरी विश्व को अपना कार्य क्षेत्र बनाने का हौसला - स्वप्न रखती है ।
आज जल वायु असंतुलन - मौसम चक्र में परिवर्तन - ग्लोबल वार्मिंग अब एक पूरी दुनिआ की बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है, इस समस्या से निपटने के लिए - पर्यावरण , प्रकृति , अपनी नदियों के प्रति सभी को - प्रत्येक पृथ्वी वासी को जागरूक व् संवेदनशील बनाने के लिए पर्यावरण शिक्षा - साथ में पौधारोपण करना और अन्य सभी को इसके लिए प्रेरित करना हमारा एक मात्र लक्ष्य है ।

PLEASE JOIN US ....

।। वृक्षम् शरणम् गच्छामि: ।।

ग्रीन केयर सोसायटी संस्थान
मेरठ, भारत
+91-9412538409, 8006634266

23/10/2022

दीपावली पर सभी ने अपने अपने घरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों आदि की सफाई तो बहुत अच्छे से कर ली है लेकिन हमारी नदियों, झीलों व जल स्रोतों को स्वच्छ होने का इंतजार है ..
सरकारी नीतियों व कार्यप्रणाली पर नदी माफियाओं का कब्जा बेहद चिंताजनक है .. आईए हम सभी साधारण जन संकल्प लें कि अपनी जलधाराओं को प्रदूषणमुक्त रखेंगे और नदियों की स्वच्छता के लिए हर संभव प्रयास करेंगे ।



#जलसंचय
#नमामिगंगे
#मेरठ
#उत्तरप्रदेश

26/09/2022

उत्तर भारत में पिछले कई दिनों से लगातार बारिश के कारण से हर शहर में जल भराव देखने को मिला है .. वर्षाजल नालों में बहकर पूरी तरह बर्बाद हो रहा है जबकि हम बेहतर जल प्रबंधन से बरसात की हर एक बूंद सहेज सकते हैं
आवश्यकता है दृढ इच्छाशक्ति की, सकारात्मक सोच और रचनात्मक कार्यों की ..
अगर वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक से वर्षाजल को जमीन में संरक्षित किया जाएं तो हम जल भराव, जाम, गंदगी व अनेक बिमारियों से बच सकते हैं, साथ ही वर्षाजल की हर एक बूंद को सहेजा जा सकता है ।




#मेरठ
#जलसंचय

13/09/2022

हम सभी शुद्ध प्राणवायु, फल, फूल, औषधि प्रदाता सच्चे मित्र वृक्षों व सभी पेड़, पौधे, वनस्पतियों को सदैव नमन करें जो हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक हमारा साथ निभातें हैं ..

दोस्तों प्रकृति से सदैव जुड़े रहिए .. सम्मान, संवर्धन और संरक्षण कीजिए .. यकीन मानिए एक सच्चे मित्र की तरह प्रकृति आपके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने देगी ..

Green care society
India

09/08/2022

पानी की हर एक बूंद कीमती है आज से ही जलसंचय शुरू कीजिए ऐसा न हो कि बहुत देर हो जाए ..
जल ही जीवन है .. जल संचय जीवन संचय ।

Green CARE Society
Meerut, India
Phone :-
+918006634266 भारत
+9779829422803 नेपाल

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Our Story

Green Care Society (GCS) was founded on 31 July, 2009. It was under the leadership of Dr Vijay Pandit that the foundations of the organisation were laid down to collectively work for the society.

Since its inception, we have worked untiringly towards developing a sustainable environment for all by means of grass-root level activities, policy advocacy, public awareness, community outreach programs, field demonstrations, seminars and workshops amongst other medium.

Our primary causes are the conservation of our environment and the preservation and promotion of our sociocultural values. We fulfil these aims through our many events and projects that include awareness campaigns, community outreach programs and projects such as Mission Green Earth and Meerut Literary Festival.

At Green Care Society, we believe that a sustainable change can only happen when it reaches the roots of the society and therefore we 'work from below' and address the societal roots. We do this through means of grass-root level activities, policy advocacy, awareness campaigns, community outreach programs, field demonstrations, seminars and workshops, amongst other mediums.

We also believe that it is the youth that is the true catalyst in bringing any change and they are therefore at the core of our work philosophy. We actively engage with the youth through schools, colleges and universities, and also tie-up with youth organisations to reach out to them and make them an integral part of our work.

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