Braj Mohan Singh
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TV Journalist with News18 Bihar and Jharkhand.
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वंदे मातरम!
2004 और 2024 के चुनाव में क्या मौलिक फर्क है, क्या आप बता सकते हैं?
उस समय वाजपेई सरकार की गुडविल थी, अच्छा काम करने और अच्छा दिखने का नियत था। मैकेनिज्म नहीं था।
2024 में एक सिस्टम है, कई स्तरों पर काम होता है। राजनीतिक स्तर पर और सामाजिक स्तर पर। उसका फॉलो अप भी है।
मैंने यहां तक देखा है कि एक विधान सभा उप चुनाव में भी बड़े गहन स्तर पर डाटा एनालिसिस होता है।
पहले ये संसाधन उपलब्ध नहीं थे।
मसलन किस जाति ने किसको वोट दिया, क्यों दिया। कब कब दिया, सब कुछ उपलब्ध है।
शाइनिंग इंडिया का नारा बुरा नहीं था लेकिन उसके लिए संसाधन उपलब्ध नहीं था।
अब आप पूरे देश भर में घूम जाइए। रोड नेटवर्क, हवाई अड्डों की स्थिति, वंदे भारत जैसे 🚂 ट्रेन, अस्पताल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, हर जगह लोग निवेश करना चाहते हैं।
आज गांव गांव में डीमैट अकाउंट खोल पैसे कमा रहे हैं। आप देखिए कितने करोड़ लोग म्यूचुअल फंड्स में SIP रहे हैं। शायद निवेश के मामले में हम FII से आगे बढ़ गए हैं।
पैसे के लेन देन में पारदर्शिता आई है। ऑनलाइन पेमेंट ने तो रेकॉर्ड ही कायम कर दिया है।
इसमें टेक्नोलॉजी एक मेजर रोल Play कर रहा है।
हम चुनाव के मध्य में हैं लेकिन हमें भारत के भविष्य को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं होना चाहिए।
चिंता एक मात्र यही है कि यहां की गरीब और सुविधाहीन जनता कैसे ज्यादा से ज्यादा इस विकास यात्रा का हिस्सा बने।
नौकरी से ज्यादा कहीं रोजगार सृजित करने में ध्यान दे, क्योंकि नौकरी तो सीमित ही होगी। स्किल सेट्स को अपस्केल करने पर जितनी ऊर्जा लगाएंगे, समाज का स्तर और आगे बढ़ेगा।
भारत की विकास यात्रा पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है।
जो लोग 2004 का चुनाव देख चुके हैं, वो शायद इस अंतर को समझते होंगे।
आप कहेंगे इसमें राजनीति है, इसलिए आप अपने देखने का चश्मा बदल लेंगे। आपका खून नहीं खौलेगा।
हकीकत यही है कि जब स्वाति मालिवाल को थप्पड़ से, लात से और घूसों से मारा जा रहा था, वो पीरियड में थी। दर्द में थी।
इसका जिक्र स्वाति ने अपने एफ़आईआर में किया है।
मुझे महाभारत का वो दृश्य याद आ रहा था, जब द्रोपदी को एक वस्त्र में सभा में घसीट कर लाया गया था। वो भी उस समय राजस्वला थी।
आप जानते ही हैं, एक महिला के अपमान का क्या परिणाम हुआ था। महाभारत में क्या हुआ था?
आप कहेंगे इसमें राजनीति है, इसलिए आप अपने देखने का चश्मा बदल लेंगे। आपका खून नहीं खौलेगा।
हकीकत यही है कि जब स्वाति मालिवाल को थप्पड़ से, लात से और घूसों से मारा जा रहा था, वो पीरियड में थी। दर्द में थी।
इसका जिक्र स्वाति ने अपने एफ़आईआर में किया है।
मुझे महाभारत का वो दृश्य याद आ रहा था, जब द्रोपदी को एक वस्त्र में सभा में घसीट कर लाया गया था। वो भी उस समय राजस्वला थी।
आप जानते ही हैं, एक महिला के अपमान का क्या परिणाम हुआ था। महाभारत में क्या हुआ था?
कभी बाहुबली रहे भूमिहार नेता अनंत सिंह से मिलने की तीव्र इच्छा थी। मुझे उनकी हाजिर जवाबी पसंद है इसलिए। देखिये ये इंटरव्यू
Anant Singh Exclusive Interview : बाहुबली नेता अनंत सिंह ने किया बहुत बड़ा खुलासा ! | Bihar News Anant Singh Exclusive Interview : बाहुबली नेता अनंत सिंह ने किया बहुत बड़ा खुलासा ! | Bihar News बिहार ...
ब्रिटिश अखबार गार्डियन ने आज लिखा है भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मारा है।
न्यूज़ 18 के एडिटर इन चीफ़ राहुल जोशी से बात करते हुए सिंह ने दोहराया कि भारत के पास क्षमता है कि वह पाकिस्तान घुसकर आतंकियों को मार सकते हैं।
#पाकिस्तान
'देश से माफी मांगिए', उदयनिधि स्टालिन पर राजनाथ सिंह का हमला, कहा- सनातन धर्म का न जन्म और न अंत Rajnath Singh attack on Udhayanidhi Stalin: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर दिए गए विवादित बयान के लिए हमला बोला ....
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंशवाद की चर्चा कर वैसे लोगों की दुखती रगों को छेड़ दिया जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोकतंत्र के नाम पर सत्ता की मलाई खा रहे हैं. बिहार में पीएम मोदी के कथन पर लालू यादव ने तीखी प्रतिक्रिया की. राजद ने तो बीजेपी के नेता पुत्रों की सूची जारी कर दी, लेकिन इस बहस में उतरने से पहले वंशवाद और परिवारवाद की परिकल्पना को समझना जरूरी है.
#परिवारवाद #गांधी #नेहरू #लोकतंत्र
क्या है मोदी के वंशवाद और परिवारवाद में फर्क, क्यों इस बहस में सभी कूद पड़े हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंशवाद की चर्चा कर वैसे लोगों की दुखती रगों को छेड़ दिया जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोकतंत्र के न.....
कंगना, काँग्रेस नेता और प्रवक्ता बहन सुप्रिया श्रीनेत ने आपको इतना अच्छा स्टार्ट दे दिया है, जिसके लिए आपको उन्हें धन्यवाद कहना चाहिए।
महिलाओं के लेकर उन्होने जो अपनी सोच प्रदर्शित की है, उसी लीड को पकड़कर मैदान में उतर जाइए। बाकी मंडी की जनता देख लेगी।
बहुत बड़ी खबर-
ज़ारी हो गया सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) का नोटिफिकेशन।
बीजेपी के चुनावी मेनिफेस्टो का था हिस्सा।
ध्यान रखें, ये भारत में पहले से रह रहे नागरिकों के लिए बिल्कुल नहीं है।
भारत सरकार ने बिहार के लाल कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान से आभूषित किया।
बाकियों ने पिछड़ों के नाम पर राजनीति की और नरेंद्र मोदी ने कर दिखाया।
इससे पहले बाबा साहब अम्बेडकर को भी सम्मान देने का काम नरेंद्र मोदी ने किया था।
कर्पूरी ने गरीबों के लिए जो किया, उसको आज सच्चा सम्मान मिला है।
पार्टी में अब एक ही खेमा।
नीतीश का खेमा!
#नीतीश #बिहार
Opinion: यत्र, तत्र और सर्वत्र, JDU में आखिर नीतीश कुमार का क्या है मतलब?
Opinion: यत्र, तत्र और सर्वत्र, JDU में आखिर नीतीश कुमार का क्या है मतलब? Opinion: यत्र, तत्र और सर्वत्र, JDU में आखिर नीतीश कुमार का क्या है मतलब?
Black Coffee 🍵 the first thing I need
रामद्रोही अगले चुनाव में साफ हो जायेंगे!
राम से बैर मत पालिए। जिसने पाला, समाज ने नजरों से उतार दिया।
जो कहते थे कि राम काल्पनिक हैं, उनकी क्या दुर्गति हुई।
जिन्होंने राम का विरोध किया, समाज ने उनका तिरस्कार किया।
मुलायम सिंह और मायावती जैसे नेता जनता की नजरों से गिर गए। वीपी सिंह सरीखे नेताओं का क्या हुआ?
बिहार में भी कुछ नेता रामविद्रोह की भूल कर चुके हैं।
राम तो विनयशील हैं, क्षमाशील हैं, वे दंड नहीं देते। वे तो अपने विरोधियों को भी गले लगाते हैं।
रामद्रोहियों को समय सजा देता है।
देश भर में रामलला की प्रतिमा स्थापन की चिरकाल से प्रतीक्षा है।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम भारत की आत्मा हैं।
जो भी प्रभु श्री राम का अनादर करेंगे, वो देखें अगले चुनाव के बाद कहां होंगे?
✓गृह मंत्री अमित शाह की नीतीश बाबू को खरी खरी!
राजनीति में कभी भी किसी भी संभावनाओं को खारिज नहीं किया जाता है। यही राजनीति का असली मजा है।
बहुत दिनों से नीतीश कुमार और बीजेपी के करीब आने की चर्चा चल रही थी।
आज, आखिरकार, उसपर विराम लग गया है।
•मुजफ्फरपुर आए गृह मंत्री अमित शाह के बयानों से ऐसा स्पष्ट होता हुआ प्रतीत हुआ कि अब पुल पार करने वाले सारे रास्ते जला दिए गए हैं।
•अब बस आमना सामना होगा। लोक सभा चुनाव से पहले अब लड़ाई आर पार की है।
•2025 जब होगा तब होगा। देखा जायेगा।
•एक तरह मुस्लिम यादव (माय समीकरण) का खेला
और दूसरी तरफ, चुनौती ओबीसी और ईबीसी के आधार को और अधिक विस्तारित करने की।
अब तेल देखिए और तेल की धार देखिए!
बिहार में अगड़े समाज के लोग 90 के दशक की दुविधाओं से निकल चुका है। वो दौर मैंने देखा था, झेला भी था।
अभी ब्राह्मण बनाम राजपूत करने का प्रपंच चल रहा है। जिसमें कई जातियों के नेता लोग भागीदार हैं। नाम नहीं लूंगा। आप सब समझदार हैं।
युवान अब ये देखें कि अपनी प्रतिभा के बल (बगैर किसी आरक्षण के) पर, वो कहां तक जा सकते हैं।
आप आईआईटी, आईआईएम, आईएएस और टेक्निकल एजुकेशन की तैयारी कीजिए। समय हो तभी सरकारी नौकरी के पीछे भागिए।
हो सकता है कि आपको बिहार से पलायन करना पड़े। जरूरी हो तो मोह माया छोड़कर गृह त्याग कीजिए। कुछ हासिल करने के लिए मातृभूमि का त्याग करना ही पड़ता है।
अमेरिका में बसिए, कनाडा में बसिये, यूरोप जाइए।
पर जातीय नेताओं के जाल में मत फंसिए। इनके पास अकूत संपत्ति है। इनके पास अपने सात पुश्तों के लिए पैसा है। ये यहीं रहेंगे, राज करेंगे।
यहां की राजनीति मटमैली है, ये आपकी प्रतिभा को कुंद कर देगी। दिमाग में जहर भर देगी। 25 से 30 वर्ष के युवाओं ने उस नफ़रत के दौर को नहीं देखा है, अपने बड़ों से बात कीजिए। सब पता चलेगा आपको।
मेरी तो सभी जाति के युवाओं से अपील है कि जातिवादी नेताओं के बहकावे में न आएं और सिर्फ और सिर्फ अपने भविष्य पर ध्यान दें।
सरकारें आती जाती रहती हैं, बिहार में एनडीए सरकार के पतन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साथ साथ नजर आए। देखकर अच्छा लगा।
इसके पहले कई मौकों पर मिलने की संभावनाओं को नीतीश कुमार ने खारिज किया था।
आज मिलना भी हुआ तो कहां?
G 20 के महामंच पर, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के साथ।
ऐसी मुलाकातों का कोई अर्थ नहीं निकालना चाहिए।
पर ऐसी मुलाकातों होनी चाहिए, पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच।
मुझे तो लगता है राहुल गांधी भी भारत में होते तो उनको भी बुलाते तो अच्छा लगता।
पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर एक सामूहिक शक्ति बनते हैं। यही भारत का लोकतांत्रिक चरित्र रहा है। हम भले ही कितने मतभेद रखते हों लेकिन जब भारत के हित की बात आए तो हम एक स्वर में बात करें।
भारत का राजनीतिक विमर्श स्वस्थ होना चाहिए। प्रयास तो करना ही चाहिए। मीडिया का एक वर्ग तो हमेशा स्वाहा स्वाहा करने में लगा ही रहता है।
बात 1998 की है।
लोकसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी और राजग सबसे बड़ा गठबंधन बन कर उभरा था।
अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री नियुक्त किये गये थे।
संसद में विश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही थी।
कांग्रेस और सीपीएम ने मिल कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। दोनों पार्टियों के नेता साथ-साथ बैठे थे और भाजपा-एनडीए के ऊपर तीखे हमले कर रहे थे।
जब कांग्रेस का कोई नेता बोलता तो सीपीएम के नेता मेज थपथपा कर उसका समर्थन करते और जब सीपीएम का कोई नेता बोलता तो कांग्रेस के नेता मेज थपथपा कर उसका समर्थन करते।
एनडीए का कोई वक्ता जब कांग्रेस को निशाने पर ले के बाण छोड़ता, तो उस बाण से कांग्रेस को बचाने के लिए सीपीएम के सांसद ढाल ले कर सामने आ जाते।
अटल बिहारी की सांप्रदायिक सरकार को रोकने के लिए सेक्युलर ताकतें एकजुट हो गईं थीं।
सरकार की तरफ से धुरंधर नेता जॉर्ज फ़र्नान्डीस ने मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा, _"अध्यक्ष महोदय! मैं आपको बताना चाहता हूँ कि कांग्रेस पार्टी के बारे में इस देश के एक बहुत ही महत्वपूर्ण संगठन के क्या विचार हैं।"_
और जॉर्ज ने एक पतली सी पुस्तिका से पढना शुरू किया:
_"Congress party is the fountainhead of corruption...(कांग्रेस सांसदों द्वारा शोर)...The British left and the Congress party replaced them. Over the past 50 years, Congress has established ever new records in corruption. (कांग्रेस सांसदों द्वारा पुनः शोर) Congress ministers have often been found embroiled in several scams, including Mundra scam, Churhat Lottery scam, Bofors scam, Sukhram scam, Harshad Mehta scam, JMM Bribery scam and Hawala, that took place during its regime. Congress has corrupted and misused every institution of the Indian democracy."_
कांग्रेस और कम्युनिस्ट सांसद उत्तेजित हो जाते हैं और लोकसभा अध्यक्ष से मांग करते हैं, _"Speaker sir! Please ask the honourable member to name the source We can't allow him to read from any unnamed document. Please restrain him."_
जॉर्ज फ़र्नान्डिस कहते हैं, _"Please don't get impatient. I'll definitely name the source. But first let me complete what it says. It says, "The Congress party's record on Secularism too has been chequered. At various times in history, Congressi goondas took active part in riots and killed people. 3000 Sikhs were butchered by them on streets of Delhi and prime minister Rajiv Gandhi watched it silently."_
कांग्रेस और कम्युनिस्ट सांसदों द्वारा फिर से शोर।
जॉर्ज कहते हैं, _"Just give me two minutes...and then I'll reveal the source"_
जॉर्ज पुस्तिका से पढ़ना जारी रखते हैं _"Speaker sir, it says, "No country in history has ever progressed with bad governance and excessive corruption as partners. None! The Congress suffers from this twin ailment since decades. Its survival is detrimental to the progress of India. Therefore, in the interest this nation, it's important that Congress party is wiped out from this land for ever."_
कांग्रेस और कम्युनिस्ट सांसदों द्वारा ज़बरदस्त शोर। "Speaker sir! It cannot go on like this. We will not allow him to speak any further if he doesn't give the source he is quoting from."
"Ok, Ok" जॉर्ज कहते हैं, "There is more to read. But since our friends from Congress and CPM are so desperate to know the source, let me tell you what I am reading from...
_...I'm reading from the Manifesto of CPI(M) issued just before these Lok Sabha elections."_
सदन में सन्नाटा... कांग्रेस और सीपीएम के सांसद बगलें झाँकने लगते हैं..
जॉर्ज गरजे, _"क्यों, साँप सूंघ गया? बोलती बंद हो गई? बड़ा बोल रहे थे, we want to know the source, we want to know the source. सोर्स का नाम सुनते ही लकवा मार गया?...खुद पर शर्म आ रही है? आनी भी चाहिए...My friends from the Left! Either you don't read your own manifesto or you don't mean a word of it. In either case, you should be ashamed of yourselves. In the name of secularism, you have joined hands with Congress that has broken all records in corruption. I urge you to introspect to determine your future course of action. And if you do not mend your ways, your party will become history, sooner rather than later."_
शाम को बोरिंग रोड पर निकलता हूं तो लगता है कि फैक्ट्री से नन्हें मजदूर अपने कंधों पर बैग लटकाए तेज-तेज कदमों से
आगे बढ़ रहे हैं।
उनके कंधों पर दुनिया भर का बोझ है.
पटना ट्यूशन फैक्ट्री बन चुका है.
आखिर कैसे सुधरेगी #बिहार की शिक्षा व्यवस्था?
OPINION: सजा देना काफी नहीं, अच्छे शिक्षकों को पुरस्कृत क्यों नहीं करते? Education in Bihar: वर्तमान सरकार स्कूली शिक्षा को लेकर बहुत प्रयोग कर रही है. हर दिन शिक्षकों की हाजिरी लगाई जा रही है. देर से आ....
मणिपुर की समस्या का मूल डॉ. राकेश कुमार Rakesh Kumar के शब्दों में -
मणिपुर
_________
मणिपुर जल रहा है और इस आग के केंद्र में हैं दो समुदाय, मैती और कुकी। मैती और कुकी के बीच तनाव जारी है, हिंसा, मारकाट उफ़ान पर है। राजनीति भी चल रही है।
लिहाजा मणिपुर की पृष्ठभूमि को समझना जरूरी है।
मणिपुर में मैती और 34 जनजातियां अरसे से साथ रह रही हैं। मणिपुर एक पर्वतीय इलाका है। मैदानी इलाके के 10 प्रतिशत में मैती और 90 प्रतिशत पहाड़ी इलाके में जनजातियां रहती हैं।
●
मणिपुर की कहानी में एक निर्णायक मोड़ वहां आता है। जब 18वीं शताब्दी में राजा पामहैबा वैष्णव बन गए थे। इसके बाद ज्यादातर मैती लोग वैष्णव हो गए। साल 1891 में अग्रेज़ों ने मणिपुर को हरा दिया।
1945 में यह राज्य दूसरे विश्व युद्ध का गवाह बना। इस युद्ध के बाद महाराजा बोधचन्द्र की लीडरशिप में मणिपुर एक्ट, 1947 बना। इस एक्ट के ज़रिए लोकतांत्रिक पहलुओं को अपनाया गया।
●
साल 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तो उस वक़्त मणिपुर स्वयं में एक आज़ाद इलाका था और उसका स्वयं का एक संविधान था।
साल 1949 में भारत सरकार और मणिपुर के महाराजा बोधचन्द्र के बीच एक संधि हुई और इस संधि के तहत मणिपुर का भारत में विलय हुआ। साल 1956 में मणिपुर को केन्द्रशासित प्रदेश बनाया गया। साल 1972 में मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और साथ ही 34 जनजातियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता मिली।
●
यहां एक दिलचस्प मुद्दा और है और वो यह कि मणिपुर में कुछ समुदाय ऐसे हैं। जो स्वयं को न कुकी मानते हैं और न नगा। यहां इस्लाम मानने वाले भी हैं, जिन्हें मैती पांगल कहा जाता है। जैन समुदाय भी यहां हैं।
याद रहे नगा और मैती समुदाय को ही मणिपुर का मूल निवासी समुदाय माना जाता है। कुकी लोगों का मणिपुर में आगमन 1844 में शुरू हुआ। म्यांमार से आकर यहाँ कुकी बसे हैं और बसते रहें हैं। कुकी लोग अपने लिए अलग स्थान और प्रशासन चाहते हैं।
चूड़चंदपुर पर कुकी अपना दावा ठोकते रहें हैं पर वहाँ के मूल निवासियों का मानना हैं कि इसे मैती महाराज चूड़ाचंद के नाम पर स्थापित किया गया था, बसाया गया था। गौरतलब है कि इस इलाके से मैती लोगों को ही भगाया गया।
●
तीन मई, 2023 को मैती और कुकी के बीच साम्प्रदायिक हिंसा शुरू तब हुई, जब "आल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन" ने मैती लोगों को जनजाति का दर्जा देने की पहल के खिलाफ रैली निकाली। मामला तब और बिगड़ा जब चूड़चंदपुर की रैली के दौरान हथियारबंद लोग शामिल हो गए।
इस घटना के पीछे एक मुद्दा और है और वो यह कि इस हिंसा की वजह राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण और वन रक्षा के लिए उठाए गए कदमों के साथ अफीम की खेती के विरुद्ध चलाया गया अभियान है।
10 कुकी विधायक अलग प्रशासनिक व्यवस्था की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि मैती सम्पन्न है और सरकारी नौकरियों में भी वह सही संख्याबल के साथ हैं। लेकिन सच यह भी है कि कुकी भी सरकारी नौकरियों में उत्तम संख्याबल के साथ हैं।
मणिपुर में अफ़ीम, ड्रग्स का धंधा भी उफ़ान पर है। कुकी लोग अफीम की खेती करते हैं। कुकी उग्रवादी संगठन म्यामांर से हेरोइन का धंधा करने के लिए सीमावर्ती शहर मोरे पर कब्ज़ा करना चाहता है। म्यांमार का चिन नेशनल आर्मी उग्रवादी समूह भी अफीम की खेती करता है। इंफाल के कुकी इलाके में ड्रग्स बनाने वाली लैब मिली है।
एक उग्रवादी समूह अलग कुकी होमलैंड का सपना देख रहा हैं।
लिहाजा मारकाट जारी है। कम्युनिस्ट द्वारा ऐसे मुद्दों को प्लानिंग और सहायता दोनों दी जाती है इसमें सन्देह नहीं। विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर केंद्र सरकार को अस्थिर करना चाहता है और 2024 नज़दीक है। अन्य राज्यों से भी हिंसा की खबरें जरूर आएगी।
Dr. Rakesh Kumar
नोट:- (इस लेख के तथ्य मणिपुर विश्वविद्यालय में Associate Professor डॉ एलांगबम विजयलक्ष्मी के न्यूजपेपर आर्टिकल से लिये गए हैं।)
पता चला बंगाल के पंचायत चुनाव में TMC ने अच्छी खासी जीत हासिल की है।
बीजेपी ने भी अपनी पकड़ बनाई है।
लेकिन इन रिजल्ट्स का कोई मतलब, जहां गृह युद्ध जैसी स्थिति हो?
चुनाव होने के पहले और कई दिन बाद तक खून खराबा चल ही रहा हो?
इस खून से सने रिजल्ट्स का ममता क्या करेंगी?
आज विश्व जनसंख्या दिवस है। सभी भारतीयों को बहुत बधाई। खासकर यूपी और बिहारवालों को। बधाई को अन्यथा मत लीजिएगा।
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भारत का भविष्य सुरक्षित रखना है तो जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना बहुत जरूरी है।
मोदी सरकार से उम्मीद है कि वो ऐसा कानून लाएगी, क्योंकि पिछली सरकारें मुस्लिम वोट बैंक के डर से ऐसा करने से डरती रही।
राजीव गांधी ने तो मुस्लिम महिला शाहबानो पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला ही पलट कर रख दिया था कि कहीं मुस्लिम मतदाता नाराज न हो जाय।
इंदिरा गांधी के समय भी जनसंख्या नियंत्रण के ऊपर बहुत भाषण लिखे गए लेकिन हकीकत में हुआ कुछ नहीं। संजय गांधी अपने जल्दबाजी में लाए गैर कानूनी तरीकों की वजह से बदनाम भी हुए।
भारत की आबादी आजादी के समय में 40 करोड़ थी जो बढ़कर 140 करोड़ पार कर गई।
आज बिहार और उत्तर प्रदेश में देश की एक तिहाई आबादी निवास करती है। (25करोड़+15 करोड़=40 करोड़)
कुछ लोग कहेंगे कि ज्यादा आबादी होना गलत नहीं है।
आज बिहार से करोड़ों की संख्या में लोग मजदूर बनकर पलायन कर गए हैं। दरअसल कोई भी सरकार हो उसको इन मुद्दों से कुछ लेना देना नहीं होता। नेताओं को सिर्फ एक चीज दिखती है वो है कुर्सी।
बाकी देश और समाज मुफलिसी में जिए या मरे, अपनी बला से।
रिक्शा चलाए, हाड़तोड़ मजदूरी करे, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है।
अब तक हम न गरीबी खत्म कर सके ना भुखमरी। अभी भी लगभग 18% लोग निरक्षर हैं।
लोगों के हाथों में काम नहीं है, है भी तो किस तरह का?
2047 तक हम विकसित देश बनने का सपना देख रहे हैं लेकिन आबादी को रोकने के प्रयास नाकाफी हैं, खासकर बिहार और यूपी में।
यही दो प्रदेश हैं जहां से लोगों का पलायन सबसे ज्यादा होता है। जनसंख्या स्थिरीकरण जब होगा तब होगा लेकिन सवाल उठता है कि हम क्या लोगों को इज्जत की जिंदगी दे पा रहे हैं?
वोट बैंक पर नजर रखने वालों के लिए बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कोई मुद्दा है ही नहीं।
इसलिए फिलहाल बधाई स्वीकार कीजिए।
पश्चिम #बंगाल के पंचायत चुनाव में लोकतंत्र की हत्या हो रही है।
ममता दीदी चुनावी हिंसा का पर्याय बन चुकी हैं।
मेरी आंखों के सामने 1990 का दशक चलचित्र की तरह चल रहा है, जब बैलट बॉक्स की लूट होती थी।
बिहार में हर तरफ अराजकता और हिंसा का दौर था, आज का बंगाल हुबहू वैसा ही है।
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अगर बीजेपी और अकाली दल के बीच कोई गठबंधन होता है तो बीजेपी को कम से कम 50 % सीट का दावा करना चाहिए।
वो समय कुछ और था जब अकाली दल ग्रामीण पंजाब पर अपनी पकड़ होने की बात करता था, अब सब कुछ बदल गया है।
पंथक वोट पर आम आदमी पार्टी का भी उतना ही कब्जा है जितना अकाली दल का।
कहना ये सही होगा कि "आप" ने शहरी और ग्रामीण वोट बैंक के अंतर ही पाट दिया है।
दोनों दलों के पास मौका होगा कि वो फिर से पंजाब को शांति, भाईचारा और तरक्की के रास्ते पर ले जाएँ, जो रास्ता अकाली दल के सरपरस्त बादल साहब ने दिखाया था।
क्या समान नागरिक संहिता सिर्फ हिंदुओं के लिए है या ये सबके लिए है?
सब कहते थे संविधान में बड़ा विश्वास है, अब क्या हो रहा है! अभी से न नुकुर?
बराबरी चाहते हैं तो भारतीय संविधान को अक्षरशः लागू करना होगा।
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