DM Astrology
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*FOR GUESTS WHO NEVER COME!*
A few days after the father & mother died, the children opened all the boxes & cupboards they had used. Expensive shirts, saris given by children & grandchildren on special occasions, utensils brought from the Gulf, spoons, bedsheets, curios bought when they went on tour & attars all sat there without being opened or used.
The flawed utensils in the kitchen of the house, the crumpled aluminium utensils, the faded plates for eating, the grey bedsheets in the bedroom all came to mind.
If she was told to take it & use it, she would say, "It's all about taking a drop of water when someone comes up."
Most homes have ceramic items that are stored in glass cupboards on the wall. For whom is all this waiting for?
The tablecloth with small blue flowers is folded to be rolled out when someone comes?
For whom are the shining utensils & glasses sitting motionless?
Do you expect someone to call your name & come into the house?
The ins & outs will disappear one day.
Thoughtful & unexpected guests will also come that day.
Your immobile body may not be able to accommodate the crowds that come to see you in expensive vehicles.
The cupboards & tablecloths that you have kept like gold for distinguished guests for ages will remain in that cupboard.
The edges of the ceramic cup are dusty & dull.
Yellow stains are seen in the folds of the tablecloth.
We need to understand the truth that no bigger guests are coming than us & that there is no bigger celebration than our life.
All the endless waiting is in vain. What we lose is our precious life that God has given us.
Time does not wait for anyone. In an instant, you will all become pictures on the wall. Our deferred hopes will change.
We always need to remember that we are the only ones who can laugh for ourselves.
Like a child who goes to school without good clothes on the day when he is likely to get beaten up, we are afraid of something & put aside our happiness.
We do not laugh today waiting for the good days to come,
It’s just that we don’t realize that a bigger day than today is yet to come.
The moments lost without living will fade away forever.
You do not have to wait for anything !.
Take out the best tablecloth for yourself today & spread it. Put up your new curtains.
Wipe with a damp cloth, the shiny spoons & the best utensils & arrange on the shelf.
Place scented candles on the table.You are the star!
Today is your biggest day ..
Celebrate as much as you can.
This does not mean throwing away money or forgetting duties.
Start living for yourself from this day.
Make a world for yourself with short trips, music, movies & books.
Drink more tea.
One more laugh.
Let the nerves come.
Let the knee hurt.
Let's go ahead & celebrate.
Isn't it life?
May the days to come be more beautiful.Realize that you are the biggest guest in your life & enjoy every day of your life & live till death.
Time will never wait for anyone.Today, & this moment are the only truth.The poet sang,who knows who will be there & what tomorrow will be like?
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Namaste 🙏🏻,
गुरु पूर्णिमा का त्योहार कैसे मनाए।
Dr. Dharmesh Mehta
Jyotishacharya
+91 9821057944
गुरु पूर्णिमा कैसे मनाए । गुरु आशीर्वाद प्राप्ति दिन। Guru Poornima 2024l Dr. Dharmesh Mehta Viewers,Guru Purnima is day to show respect, remembrance and gratitude towards Guru or Mentor. How to ce...
।। सूतक ,पातक निर्णय ।।
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👉हिन्दू धर्म में सूतक और पातक नाम से दो परंपराएं प्रचलित हैं। किसी के भी घर-परिवार में कोई शांत हो जाते हैं या स्वर्ग चला जाता है तो उस परिवार या घर में सूतक लग जाता है। मृतक के जितने भी खून के रिश्ते के बंधु बंधव होते हैं उनक सभी के घरों में सूतक माना जाता है। क्या होता है या सूतक और कितने समय तक का होता है जानिए इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी।
👉क्या होता है सूतक और पातक : --
👉सूतक का संबंध जन्म-मरण के कारण हुई अशुद्धि से है। जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया के दौरान जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाला दोष या पाप प्रायश्चित के रूप में पातक माना जाता है। इस तरह मरण से फैली अशुद्धि से सूतक और दाह संस्कार से हुई हिंसा के दोष या पाप से प्रायश्चित स्वरूप पातक माना जाता है।
👉जिस तरह घर में बच्चे के जन्म के बाद सूतक लगता है उसी तरह गरुड़ पुराण के अनुसार परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर लगने वाले सूतक को 'पातक' कहते हैं। सूतक और पातक की परिभाषा इससे अलग भी है। जैसे व्यक्ति की मृत्यु होने के पश्चात गोत्रज तथा परिजनों को विशिष्ट कालावधि तक अशुचित्व और अशुद्धि प्राप्त होता है, उसे सूतक कहते हैं। अशुचित्व अर्थात अमंगल और शुद्ध का विपरित अशुद्धि होता है।
👉कब-कब लगता है सूतक : --
👉जन्म काल, ग्रहण काल, स्त्री के मासिक धर्म का काल और मरण काल में सूतक और पातक का विचार किया जाता है। सभी के काल में सूतक के दिन और समय का निर्धारण अलग-अलग होता है।
👉सूतक-पातक का समय : ---
1. 👉मृत व्यक्ति के परिजनों को 10 दिन तथा अंत्यक्रिया करने वाले को 12 से 13 दिन (सपिंडीकरण तक) सूतक पालन कड़ाई से करना होता है। मूलत: यह सूतक काल सवा माह तक चलता है। सवा माह तक कोई किसी के घर नहीं जाता है। सवा माह अर्थात 37 से 40 दिन। 40 दिन में नक्षत्र का एक काल पूर्ण हो जाता है। घर में कोई सूतक (बच्चा जन्म हो) या पातक (कोई मर जाय) हो जाय 40 तक का सूतक या पातक लग जाता है।
2. 👉ऐसा भी कहा जाता है कि सात पीढ़ियों पश्चात 3 दिन का सूतक माना जाता है, लेकिन यह निर्धारित करना कठिन है। मृतक के अन्य परिजन (मामा, भतीजा, बुआ इत्यादि परिजन) कितने दिनों तक सूतक का पालन करें, यह संबंधों पर निर्भर है तथा उसकी जानकारी पंचांग व धर्मशास्त्रों में दी जाती है। लेकिन जिसका संबंध रक्त से है उसे उपर बताए नियमों अनुसार ही चलना होता है।
3. 👉जन्म के बाद नवजात पीढ़ियों को हुई अशुचिता 3 पीढ़ी तक 10 दिन, 4 पीढ़ी तक 10 दिन, 5 पीढ़ी तक 6 दिन गिनी जाती है। एक रसोई में भोजन करने वालों के पीढ़ी नहीं गिनी जाती है। वहां पूरा 10 दिन तक का सूतक होता है। प्रसूति नवजात की मां को 45 दिन का सूतक रहता है। प्रसूति स्थान 1 माह अशुद्ध माना जाता है। इसीलिए कई लोग अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं। पुत्री का पीहर में बच्चे का जन्म में 3 दिन का, ससुराल में जन्म दे तो उन्हें 10 दिन का सूतक रहता है।
4. 👉मरण के अवसर पर दाह संस्कार में इत्यादि में हिंसा होती है। इसमें लगने वाले दोष या पाप के प्रायश्चित के स्वरूप पातक माना जाता है। जिस दिन दाह संस्कार किया जाता है, उस दिन से पातक के दिनों की गणना होती है। न कि मृत्यु के दिन से। अगर किसी घर का सदस्य बाहर है तो जिस दिन उसे सूचना मिलती है उस दिन तक उसके पातक लगता ही है। अगर 12 दिन बाद सूचना मिले तो स्नान मात्र से शुद्धि हो जाती है।
5. 👉अगर परिवार की किसी स्त्री का गर्भपात हुआ है तो जितने माह का हुआ है उतने दिन का ही पातक माना जाएगा। घर का कोई सदस्य मुनि, साध्वी है उसे जन्म मरण का सूतक नहीं लगता है। किंतु उसका ही मरण हो जाने पर उसका एक दिन का पातक लगता है।
6. 👉किसी की शवयात्रा में जाने को एक दिन, मुर्दा छूने को 3 दिन और मुर्दे को कन्धा देने वाले को 8 दिन की अशुद्धि मानी जाती है। घर में कोई आत्मघात करले तो 6 माह का पातक माना जाता है। छह माह तक वहां भोजन और जल ग्रहण नहीं किया जा सकता। वह मंदिर नहीं जाता और ना ही उस घर का द्रव्य मंदिर में चढ़ाया जाता है।
7. 👉इसी तरह घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर 1 दिन का सूतक परंतु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता। बच्चा देने वाली गाय, भैंस और बकरी का दूध, क्रमशः 15 दिन, 10 दिन और 8 दिन तक अशुद्ध रहता है।
👉सूतक-पातक के नियम : --
1. 👉सूतक और पातक में अन्य व्यक्तियों को स्पर्श न करें।
2. 👉कोई भी धर्मकृत्य अथवा मांगलिक कार्य न करें तथा सामाजिक कार्य में भी सहभागी न हों।
3.👉 अन्यों की पंगत में भोजन न करें।
4.👉 किसी के घर न जाएं और ना ही किसी भी प्रकार का भ्रमण करें। घर में ही रहकर नियमों का पालन करें।
5. 👉किसी का जन्म हुआ है तो शुद्धि का ध्यान रखते हुए भगवान का भजन करें और यदि कोई मर गया है तो गरुढ़ पुराण सुनकर समय गुजारें।
6.👉 सूतक या पातक काल समाप्त होने पर स्नान तथा पंचगव्य (गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का मिश्रण) सेवन कर शुद्ध हो जाएं।
7👉. सूतक पातक की अवधि में देव शास्त्र गुरु, पूजन प्राक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती है।
8. 👉जिस व्यक्ति या परिवार के घर में सूतक-पातक रहता है, उस व्यक्ति और परिवार के सभी सदस्यों को कोई छूता भी नहीं है। वहां का अन्न-जल भी ग्रहण नहीं करता है। वह परिवार भी मंदिर सहित किसी के घर नहीं जा सकता है और न किसी का भोगों पानी या प्रसाद नही ग्रहण करना चाहिए ।
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