भूमध्य भारत ज्योतिष अनुसंधान केंद्र
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Akharaghat
Before Mithanpura Crossing
Skmch Over Bridge Ke Bagal Me in Front Muzaffarpur
ज्योतिश ,वास्तुशास्त्र ,हस्तरेखा ,जन्?
!! नवरात्रि में माता का स्नान सामग्री !!
!! नवरात्रि में माता का भोग !!
ंगबली ुमान
!! आप समस्त देशवासियों को
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं !!
#रामनवमी
!! समस्त देशवासियों को नव वर्ष की
हार्दिक शुभकामनाएं !!
!! होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!
!! HAPPY HOLI !!
#महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि के महासंयोग में प्राप्त करें महादेव का
आशीर्वाद ।
महादेव शिव को समर्पित महाशिवरात्रि पर्व इस वर्ष महासंयोग लेकर आ रहा है। महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि (1 मार्च) को मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म विशेष महत्व है । सौभाग्य, समृद्धि, धन प्राप्ति, रोग मुक्ति और शांति प्राप्ति हेतु महाशिवरात्रि का व्रत रखें ।
महाशिवरात्रि के शुभ योग में किये गए पूजा-अर्चना, जप, दान आदि का फल कई गुना होता है ।
महाशिवरात्रि को महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र ऊँ नमः शिवाय और शिव पुराण का पाठ कर विशेष लाभ प्राप्त करें ।
भगवान शिव का पूजा करते वक्त बेलपत्र , दूध, शहद, दही, शक्कर, भांग, धतूरा, पुष्प, इत्र, गंगाजल, और गन्ने का रस आदि अर्पित करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं ।
महाशिवरात्रि के शुभ योग में #रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व है ।
इच्छित लाभ हेतु विभिन्न सामग्री से महादेव शिव का अभिषेक करें :-
🎪 जल - से रुद्राभिषेक करने पर वर्षा और तेज ज्वर
शांत होता है।
🎪 शकर मिले दूध से - रुद्राभिषेक करने पर जड़बुद्धि
वाला भी विद्वान और सद्बुद्धि हो जाता है।
🎪 दही - से रुद्राभिषेक करने से भवन-वाहन और ऐश्वर्य
प्राप्त होता है।
🎪गन्ने के रस - से रुद्राभिषेक करने से लक्ष्मी प्राप्ति और
दूर्योग नष्ट होता है ।
🎪शहद - शहर से रुद्राभिषेक करने से बीमारी दूर एवं
पाप क्षय होता है एवं धन वृद्धि होता है।
🎪 शकर मिश्रित जल से - अभिषेक करने पर पुत्र की
कामना पूर्ण होती है।
🎪 गोदुग्ध से - रुद्राभिषेक संतान प्राप्ति के लिए करें।
रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान और
आरोग्यता प्राप्त होती है।
🎪 तीर्थ के जल से - रुद्राभिषेक करने पर मोक्ष की
प्राप्ति होती है।
🎪 इत्र मिले जल से - रूद्राभिषेक करने से बीमारी नष्ट
होती है।
🎪 शीतल जल/ गंगाजल से - रुद्राभिषेक ज्वर की शांति
हेतु करें।
🎪 घृत की धारा से - रुद्राभिषेक ( सहस्रनाम मंत्रों का
उच्चारण करते हुए) करने पर वंश का विस्तार
होता है।
🎪 सरसों के तेल से - अभिषेक करने पर शत्रु और रोग
पराजित होता है।
🎪शहद के द्वारा - अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक)
दूर हो जाती है।
🎪कुशोदक - से रुद्राभिषेक करने पर असाध्य रोगों शांत
होता है।
।।। हरि ऊँ नमः शिवाय ।।।
।।। हर हर महादेव ।।।
।।। महाकाल हम सभी पर कृपा बनाए रखें ।।।
आप सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस
की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
यह मात्र संयोग है या प्रयोग। सारे सनातन विरोधी एक ही मंच पे।
सनातनी होने तब भी अग्नि परीक्षा का विरोध नहीं किया था और आज भी विरोध नहीं कर रहा । हमेशा नुकसान सनातन धर्म का ही हुआ है । आइए हम सब मिलकर सनातन धर्म की रक्षा करें । धर्म की अग्नि परीक्षा का बहिष्कार करें ।
धर्म परिवर्तन का खेल अब बिहार में भी जोरों शोरों से शुरू है। आइए हम सब इसका विरोध करें।
।। जय जय सीताराम ।।
Har har Mahadev
!! हर हर महादेव !!
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
–राष्ट्रकवि रामधारीसिंह दिनकर
#श्री_शनिदेव_चालीसा
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।
हिय माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई।
मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।
मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति-मति बौराई।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।
चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।
पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।
बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो।
युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।
लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
!! Jay Shani Dev Maharaj !!
!! जय शनिदेव महाराज !!
!! दर्शन करें उज्जैन महाकाल लोक !!
!! जय महाकाल !!
!! ॐ नमः शिवाय !!
1. बीज मंत्र-
ॐ शं शनैश्चराय नम:
2. श्री शनि व्यासविरचित मंत्र-
ॐ नीलांजन समाभासम्। रविपुत्रम यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्डसंभूतम। तम् नमामि शनैश्चरम्।।
3. तंत्रोक्त मंत्र-
ॐ प्रां. प्रीं. प्रौ. स: शनैश्चराय नम:।
!! जय शनिदेव महाराज !!
!! हर हर महादेव !!
!! ईश्वर शरणागत का कल्याण करें !!
मानव शरीर पर मंत्रों का विशेष प्रभाव हेतु बनाया गया विशेष भवन !!
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!! जय महाकाल !!
महाकाल मंदिर में पूजन , जप करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ !!
!! जय महाकाल !!
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