Dardha Bazar

दरधा बाज़ार, एक उभरता हुआ सुपर मार्केट ! एक उभरता हुआ सुपर मार्केट जहाँ आपकी जरूरतों की हर-एक सुविधाएँ उपलब्ध हैं

18/12/2023

बेहतरीन कहानी

https://www.facebook.com/100050185552806/posts/915926056756904/?mibextid=308UXlBs9A8XJry9

#कहानी- ज़रूरतमंद

पार्किंग में कार पार्क करते हुए मानवी ने अपने दिल में एक अनोखे उत्साह का अनुभव किया. अब तक वह नितीश के साथ हुई अपनी तीखी बातचीत की सारी कड़वाहट अपने मन से झटक चुकी थी. “घर में कौन-सी कमी है, मैं स्वयं अच्छा-खासा कमाता हूं. बंगला, कार, ज़मीन-जायदाद सब कुछ तो है.... और मैं वादा करता हूं कि तुम्हें कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दूंगा!” मानवी को नितीश की यह दुहाई एक परंपरागत पति की दुहाई प्रतीत हुई. उफ! ये पुरुष स्त्री को अपने पैरों पर खड़ी होते हुए देख ही नहीं पाते हैं, मानवी ने सोचा. उसे नितीश की इस अपेक्षा से चिढ़ हुई थी. किन्तु सब पुरुष एक जैसे नहीं होते हैं.

अब प्रशांत को ही लो, उसने पहल करते हुए मानवी से कहा था, “भाभी, आप तो वेल-क्वॉलीफाइड हैं, आपको मेरा ऑफ़िस ज्वाइन कर लेना चाहिए.” प्रशांत के मुंह से अपने लिए ‘वेल-क्वॉलीफाइड’ सुन कर मानवी गद्गद् हो उठी थी. नितीश और सास-ससुर कभी मानवी के विचार से सहमत नहीं हुए, जबकि उन्होंने मानवी को एक पढ़ी-लिखी बहू के रूप में ही चुना था.

विवाह के दो महीने बाद जब नितीश अपने कारोबार में व्यस्त हो गया तो मानवी का दिल एक बार फिर अंगड़ाइयां लेने लगा. “सुनिए, आप तो अपने कारोबार में डूबे रहते हैं और मैं घर में बैठी-बैठी बोर हो जाती हूं. अगर मैं कहीं नौकरी कर लूं तो...?” उसने दबे स्वर में नितीश से कहा.

“देखो मानवी, मैंने तुम्हें पहले भी समझाया है कि जब हमारे घर में किसी प्रकार की आर्थिक तंगी नहीं है तो फिर तुम्हें नौकरी करने की क्या आवश्यकता है?” नितीश ने शांत भाव से उत्तर दिया. “प्रश्‍न आर्थिक तंगी या आर्थिक आवश्यकताओं का नहीं है...मैं पढ़ी-लिखी हूं और अपनी पढ़ाई का सदुपयोग करना चाहती हूं... मैं अपने अस्तित्व को महसूस करना चाहती हूं.” मानवी ने झिझकते हुए तर्क दिया. “ये सब तो तुम बिना नौकरी किए भी कर सकती हो. ओ हां, तुम किसी समाज सेवा संगठन से क्यों नहीं जुड़ जाती?” नितीश ने उसे सलाह देते हुए स्वयं अपनी सलाह पर मुहर भी लगा दी, “हां, ये ठीक रहेगा.” “नहीं, ये ठीक नहीं रहेगा!” नितीश के जाने के बाद मानवी मन-ही-मन देर तक कुनमुनाती रही.

उसे उखड़ा-उखड़ा देख कर सासू मां ने प्यार से कारण पूछा. सासू मां की ममता को महसूस करते हुए मानवी ने उनके सामने अपना दिल खोल कर रख दिया. “मांजी, शादी से पहले मैं नौकरी करती थी और उस समय मुझे लगता था कि मेरा अपना भी कोई व्यक्तित्व है...अब शादी के बाद ऐसा लगता है कि मैं उनकी परछाईं मात्र बन कर रह गई हूं....” “तो तुम क्या करना चाहती हो?” सासू मां ने पूछा. “मैं नौकरी करना चाहती हूं.” “क्या यही एकमात्र रास्ता है? यदि कोई और काम...?” “नहीं मांजी!” मानवी ने सासू मां की बात काटते हुए कहा, “मैं और कोई काम नहीं करना चाहती हूं.” “मैं तुम्हारी भावना समझ रही हूं बेटी, लेकिन ज़रा सोचो, क्या तुम्हारा नौकरी करना ऐसा नहीं लगेगा जैसे तुम किसी दूसरे का अधिकार छीन रही हो?” सासू मां ने बड़ा अजीब-सा तर्क दिया.

“इसमें किसी दूसरे का अधिकार छीनने की कौन-सी बात है? आख़िर मैं जो भी नौकरी हासिल करूंगी, वो मुझे मेरी योग्यता के बल पर मिलेगी.” मानवी ने आश्‍चर्यचकित होते हुए कहा. “खैर, मैं तो यही चाहती हूं कि तुम नौकरी मत करो, लेकिन अगर तुम चाहती ही हो तो कम-से-कम सालभर तो ठहर जाओ, वरना अच्छा नहीं लगेगा कि नई बहू को नौकरी करने जाने दिया जा रहा है.” सासू मां ने मानो हथियार डालते हुए कहा. “ठीक है मांजी! मैं सालभर ठहर जाऊंगी.” मानवी को भी लगा कि बात बढ़ते-बढ़ते बिगड़ जाए इससे अच्छा है कि सालभर वाली बात मान ली जाए.

“मेरी अच्छी बेटी!” सासू मां ने दुलारते हुए कहा था, “तुझे क्या लगता है कि मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं? मैं समाजशास्त्र में पीएचडी हूं.” “क्या?” मानवी चकित रह गई थी. उसे नहीं पता था कि उसकी सासू मां उच्च शिक्षा प्राप्त हैं. “तो फिर आपने नौकरी क्यों नहीं की?” मानवी अपने आश्‍चर्य को छिपा नहीं सकी. “क्योंकि मैंने यह महसूस किया कि वो काम नहीं करना चाहिए, जिससे किसी का अहित हो!” सासू मां ने गोलमाल-सा जवाब दिया. “लेकिन इससे किसी का अहित कैसे हो सकता है?” मानवी को बिलकुल भी समझ में नहीं आया. “अपने इस देश में लाखों ऐसे लोग बेरोज़गार हैं, जिन्हें नौकरी की आवश्यकता है और लाखों ऐसे लोग नौकरी कर रहे हैं, जिनके लिए नौकरी आवश्यकता नहीं केवल एक शग़ल है.

यदि ऐसे लोग अपना मन बहलाने या स़िर्फ ख़ुद को साबित करने के लिए नौकरी का रास्ता छोड़कर कोई और रास्ता अपना लें तो उन लोगों की रोज़ी-रोटी की समस्या हल हो सकती है, जिनके लिए नौकरी जीवन-मरण के समान महत्वपूर्ण है.” सासू मां ने दार्शनिक अंदाज़ में कहा. “लेकिन मांजी!...” मानवी ने उन्हें टोकना चाहा. “छोड़ो इस बात को. बस, एक प्याला गरमा गरम चाय पिला दो.” सासू मां की बात सुन कर न चाहते हुए भी मानवी को बात वहीं समाप्त कर देनी पड़ी. देखते-ही-देखते बारह माह व्यतीत हो गए.

सासू मां भी रिश्तेदारी में बाहर गई हुई थीं. एक दिन उचित अवसर देख कर मानवी ने नितीश से एक बार फिर अनुरोध किया. जैसे कि उसे आशा थी, नितीश ने उसे समझाना चाहा. किन्तु इस बार मानवी नितीश की एक भी बात सुनने को तैयार नहीं हुई. यहां तक कि आज इंटरव्यू के लिए निकलते समय भी दोनों के बीच काफ़ी कहा-सुनी हुई. मानवी नितीश के इस व्यवहार को अनदेखा करते हुए इंटरव्यू के लिए निकल पड़ी. मानवी ने कार पार्क की और सीढ़ियां चढ़ती हुई प्रशांत के द़फ़्तर जा पहुंची. “हैलो मैम? मैं आपके लिए क्या कर सकती हूं?” काउंटर पर बैठी रिसेप्शनिस्ट ने मानवी को टोका. मानवी सीधे प्रशांत के कक्ष की ओर बढ़ी जा रही थी.

रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ सुन कर हड़बड़ाकर बोल उठी, “मैं यहां इंटरव्यू के लिए आई हूं.” “ओह, आपका नाम?” “मानवी” “हूं! आप कृपया उधर सोफे पर प्रतीक्षा कीजिए. आपकी बारी आने पर आपको सूचित कर दिया जाएगा.” रिसेप्शनिस्ट ने मधुर स्वर में मानवी से कहा. “ठीक है.” मानवी को यह आशा नहीं थी कि उसे अन्य लोगों की भांति अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी. सोफे पर बैठते ही मानवी का ध्यान गया उस सहमी-परेशान लड़की पर गया, जो सोफे के दूसरे छोर पर बैठी हुई थी. उसने साधारण-सा सलवार-कुर्ता पहन रखा था.

उसने अपने दोनों हाथों में अपनी फ़ाइल को कुछ इस तरह थाम रखा था जैसे वह उसकी सबसे क़ीमती चीज़ हो. “आप भी इंटरव्यू देने आई हैं?” मानवी ने उस लड़की के निकट सरकते हुए पूछा. “जी!” लड़की ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया. “मैंने समाजशास्त्र में डॉक्टरेट किया है.” मानवी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा. “मैंने भी.” फिर संक्षिप्त उत्तर मिला. “आपने इसके पहले भी कहीं जॉब किया है?” मानवी ने पूछा. “जी हां, वर्ल्ड बैंक और यूनीसेफ के प्रोजेक्ट्स में काम कर चुकी हूं.” लड़की ने सहजता से उत्तर दिया. “ओह! तो फिर इस नौकरी के लिए क्यों?” मानवी ने पूछा.

“वो दोनों अस्थाई नौकरियां थीं.” लड़की मानवी का आशय समझ गई. “आप शादीशुदा हैं?” मानवी ने अचानक व्यक्तिगत प्रश्‍न पूछ डाला. “नहीं.” लड़की ने कहा. “ओह! फिर तो आप शादी होते ही ये नौकरी छोड़ देंगी या फिर आपके ससुरालवाले आपसे नौकरी छुड़वा देंगे.” “हुंह! मेरी शादी होगी भी या नहीं, ये तो मुझे पता नहीं है, लेकिन इतना ज़रूर पता है कि मैं अपने बूढ़े, असहाय माता-पिता का इकलौता सहारा हूं और इसलिए आज मुझे इस नौकरी की अत्यंत आवश्यकता है.” लड़की के स्वर में व्यंग और पीड़ा का मिला-जुला भाव था. “आपके भाई-बहन?” मानवी ने पूछना चाहा. “हैं, लेकिन नहीं के समान. वे सब अपना-अपना घर बसा कर हमसे मुंह मोड़ चुके हैं, लेकिन मैं किसी भी क़ीमत पर अपने माता-पिता को नहीं छोडूंगी. किसी भी क़ीमत पर नहीं!” लड़की भावुक हो उठी.

मानवी समझ नहीं पा रही थी कि उस लड़की को कैसे दिलासा दे. उसी समय लड़की का नाम पुकारा गया. “कुमारी श्‍वेता!” लड़की अपना नाम सुन कर उठ खड़ी हुई और अपनी फ़ाइल को लिए उस कक्ष में चली गई, जहां इंटरव्यू चल रहा था. पांच मिनट बाद श्‍वेता बाहर आई. उसका चेहरा खिला हुआ था. शायद उसका इंटरव्यू सफल रहा था. वह काफ़ी हद तक आश्‍वस्त थी कि यह नौकरी अब उसे मिल ही जाएगी.

अब मानवी को भीतर जाने का संकेत किया गया. मानवी ने अपनी रेशमी साड़ी का पल्ला करीने से संभाला और कक्ष में जा पहुंची. “आइए मानवीजी! प्लीज़ बैठिए.” प्रशांत चहककर बोला. प्रशांत की बगलवाली कुर्सियों पर दो और व्यक्ति बैठे हुए थे. मेज़ के सामने रखी कुर्सी पर मानवी जा बैठी. “आप लोग पूछिए भाई, इनसे जो कुछ पूछना हो.” प्रशांत हंसता हुआ बोला. “आप ही शुरू करिए.” पहला व्यक्ति चापलूसीभरे अंदाज में बोला. “देखिए, मेरी तो ये भाभी लगती हैं, इसलिए मैं तो इनसे यही पूछ सकता हूं कि आज आप डिनर में क्या पकानेवाली हैं?” प्रशांत हो-हो करके हंस पड़ा. वे दोनों व्यक्ति भी सुर-में-सुर मिलाकर हंसने लगे. मानवी को यह सब बड़ा अजीब लगा.

“आप लोग यदि मुझसे कुछ पूछेंगे नहीं, तो मुझे नौकरी कैसे देंगे?” मानवी ने पूछ ही लिया. “नौकरी तो आपके लिए ही है. क्या मैं आपकी योग्यता नहीं जानता हूं?” प्रशांत ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया. “और वो लड़की श्‍वेता, जिसका इंटरव्यू अभी मुझसे पहले हुआ?” मानवी ने पूछा. “हां, वो भी बहुत योग्य है, लेकिन उसका नंबर आपके बाद आता है.” प्रशांत लापरवाही से बोला. “ओह, यानी मैं नौकरी पक्की समझूं?” मानवी ने ख़ुश होकर पूछा. “हंड्रेड परसेंट पक्की!” प्रशांत ने कहा. “और अब आप हमें मिठाई खिलाइए!” “ज़रूर खिलाऊंगी, लेकिन पहले नितीशजी का मुंह मीठा कराऊंगी.” मानवी ने कहा.

मानवी प्रशांत के द़फ़्तर से निकलकर नितीश से मिलने चल पड़ी. उसने रास्ते में गाड़ी रोक कर नितीश के पसंद की मिठाई ख़रीदी. वह ख़ुश थी. वह अपने मन में एक अनोखी शांति का अनुभव कर रही थी. उसे अपना मन बहुत हल्का लग रहा था. एकदम तनावरहित. “अरे तुम! तुम तो आज इंटरव्यू देने गई थी.” नितीश मानवी को अपने सामने पाकर चौंक उठा. “ये लो मुंह मीठा करो!” कहते हुए मानवी ने मिठाई का एक टुकड़ा नितीश के मुंह की ओर बढ़ाते हुए कहा. “ओह, बधाई! नौकरी मुबारक़ हो!” नितीश ने संयत स्वर में कहा. “ये मिठाई नौकरी मिलने की नहीं, बल्कि नौकरी छोड़ने की है श्रीमानजी!” मानवी ने मुस्कुराते हुए कहा. “क्या मतलब?” नितीश चौंका उठा.

“हां! आज मुझे आपकी और मांजी की बातों का मतलब समझ में आ गया.” “कैसा मतलब?” “यही कि नौकरी ज़रूरतमंद को ही करना चाहिए, टाइमपास करनेवालों को नहीं. मात्र चंद साड़ियों या अपनी फ़िज़ूल जेबख़र्ची के लिए नहीं या फिर स़िर्फ यह दिखाने के लिए भी नहीं कि नौकरी करने में ही स्त्री की स्वतंत्रता निहित है.

ऐसा करनेवाली औरतें न जाने कितने ज़रूरतमंदों का अधिकार छीन लेती हैं. यह मैं आज समझ गई हूं.” मानवी उत्साहित स्वर में बोलती चली गई. उसने नितीश को श्‍वेता के बारे में बताया और अपने इंटरव्यू के बारे में भी, साथ ही यह भी बताया कि उसने रास्ते में ही प्रशांत को फ़ोन करके स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि यदि वह सच्चे अर्थों में संबंध निभाना चाहता है तो उसके बदले उस लड़की को नौकरी दे दे, जो उससे ज़्यादा योग्य है और जिसे इस नौकरी की सबसे अधिक ज़रूरत है.

प्रशांत भी मानवी के इस आग्रह को सुनकर गदगद हो उठा. “आज तक मुझे तुमसे प्यार था, लेकिन आज तुम पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है!” कहते हुए नितीश ने मानवी को अपनी बांहों में भर लिया. “अच्छा-अच्छा, अब आप अपना काम करिए, मैं चली घर.” “घर पर अकेली बोर तो नहीं होगी?” नितीश ने संदेहभरे स्वर में पूछा. “नहीं! अब कभी नहीं!” मानवी ने दृढ़ताभरे स्वर में उत्तर दिया और प्रफुल्लित मन से अपने घर की ओर चल दी.- डॉ. सुश्री

14/12/2023
12/11/2023

विकाश वस्त्रालय, दरधा बाजार, मुज० की तरफ से आप सभी को धनतेरस, दीपावली एवं छठ महापर्व की ढेर सारी शुभकामनायें🙏

27/10/2023

पैसे वालों को चाहिए नहीं पर बिना पैसे वालों के पास है..
https://www.facebook.com/reel/1023864982095224?fs=e&s=cl&mibextid=h0bNNIvJDl07j6qQ

12/10/2023

एक छोटी सी कहानी, (सोशल मीडिया से)

एक छोटे से शहर में एक गरीब परिवार रहा करता था, जो रोज़ सब्ज़ियाँ ख़रीद और बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट भर रहा था।

मोहन उस परिवार का मुखिया था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और उसका एकमात्र बेटा सोहन था। मोहन रोज़ 50 रुपये की सब्ज़ी ख़रीदकर लाता और उसे 100 रुपये में बेच देता। उन 100 रुपयों में से वह अगले दिन के लिए 50 रुपये सब्ज़ियाँ ख़रीदने के लिए पहले निकालकर रख लेता और फिर बचे हुए 50 रुपये से अपने घर का ख़र्च पूरा करता ।

ऐसे ही उसकी गुज़र बसर चल रही थी। उसे कभी कभी भविष्य की चिंता होती थी कि कभी किसी आकस्मिक खर्च की अगर जरूरत आई, या मंहगाई बढ़ गई तो उसकी व्यवस्था वह कैसे करेगा। वह जब भी कुछ अतिरिक्त पैसे इकट्ठा करता था, कोई न कोई आवश्यकता भी आ जाती थी। ईश्वर की कृपा से कोई विशेष समस्या नहीं आई और ऐसे ही समय गुजरता गया।

एक दिन उसके बेटे का विवाह हो गया। परिवार का खर्च बढ़ गया किंतु आय की व्यवस्था वैसी ही थी। मोहन ने एक दिन अपने बेटे को बुला कर कहा- "बेटा, मैं अब बूढ़ा हो रहा हूँ। तुम चाहो तो जो काम मैं करता आ रहा था, उसे ही संभाल सकते हो या फिर कोई और धंधा करके जीवन चला सकते हो। मेरे धंधे को ही अगर चलाना चाहो तो उसका सबक ले लो कि -
'प्रतिदिन 50 रूपये की सब्ज़ियाँ ले आना और उनको 100 रूपये में बेचना। इतना अवश्य याद रखना कि पहले उन सौ रुपयों में से अगले दिन के धंधे के लिए 50 रूपए निकालने के बाद ही खर्च के लिए रुपए निकालना है। जो भी खर्च करना है वो मुनाफे के पैसे से ही करना है। कभी भी अगले दिन के व्यापार के लिए बचाए जाने वाले पैसे में से कोई खर्च मत करना।'
इसी सबक को याद करके मैंने अपनी जिन्दगी काटी है और तुम्हें भी बता रहा हूं। अब मैं तीर्थाटन में जाऊंगा और लौटने पर अपने गुरु के पास रहूंगा। कभी कोई बहुत बड़ी मुसीबत आ जाए और कुछ समाधान ना मिले तब मेरे पास आना, वरना छोटी मोटी समस्या ख़ुद से ही सुलझा लेना।"

बेटे ने व्यापार का सूत्र समझकर पिता को आश्वस्त किया कि वह उनकी आज्ञा का पालन करता रहेगा। फिर मोहन निश्चिंत होकर अपनी धार्मिक यात्रा पर निकल पड़ा।

अब उसका बेटा भी वैसा ही करता जैसे मोहन ने बताया था। उसकी ज़िंदगी शांति से गुज़रने लगी थी। एक दिन मोहन के बेटे की पत्नी ने रात्रि होने पर उससे मिठाई खाने की इच्छा बताकर ले आने को कहा। मोहन का बेटा सोचने लगा कि अगर मिठाई खरीदनी होगी तो खर्च के रूपये तो आज समाप्त हो चुके हैं। परंतु अब पत्नी ने कुछ खाने को आज कहा है तो उसे पूरा करना भी उसी का दायित्व है। उसने अगले दिन के व्यापार के लिए रखे 50 रुपए में से ही मिठाई ख़रीद लाने की योजना बनाई। उसने सोचा कि 5 रुपये में कुछ नहीं होगा और मिठाई ले आया। उसकी पत्नी बहुत प्रसन्न हुई।

किंतु उस दिन उसके 55 रुपये खर्च हो गए थे और अब 45 रुपये ही व्यापार के लिए बच पाए थे। वह अगले दिन 45 रुपयों की ही सब्ज़ियाँ ले आया और 90 रुपये में बेच दिया। किंतु 50 रूपए का उसके घर का खर्चा नियमित था, तो अगले दिन के धंधे के लिए केवल 40 रुपये ही बच पाए।

अगले दिन सोहन 40 रुपये की सब्ज़ी लाया, जिसे 80 रुपये में बेचने पर 50 रूपए घर का खर्चा निकालने पर अब 30 रुपये ही बच रहे थे। 30 रुपये देख कर अब सोहन को चिंता होने लगी। वह सोचने लगा कि कल 30 रूपये की सब्ज़ियाँ ला कर 60 की बेचूँगा तो घर का खर्चा 50 रूपये निकालकर केवल 10 रूपये ही बचेंगे।

अब उसे पत्नी को मिठाई खिलाने के लिए अपनी धंधे की राशि खर्च करने का निर्णय लेना गलत लगने लगा। उसने पहले नहीं सोचा था कि केवल 5 रूपये की मिठाई इतनी महँगी पड़ जाएगी।

उसे अपने पिताजी का सबक याद आने लगा कि सबसे पहले सब्ज़ियों को खरीदने के लिए रुपए को अलग रखना, लेकिन उसने तो उसमें से 5 रूपये खर्च कर के गलती कर दी है।
अब आने वाले कल की सोच कर सोहन को नींद नहीं आ रही थी। कोई और उपाय न देखकर उसे फिर अपने पिताजी की कही यह बात भी याद आयी कि जब बहुत बड़ी मुसीबत आए तो मेरे पास आना। रात को ही सोहन अपने पिता से मिलने निकल पड़ा। पिताजी को उसने सारी बात बता दी ।

बेटे की बात सुनकर मोहन पहले तो नाराज़ हुआ फिर बोला- "अब लौटकर घर जा और घर में सबको बोलना कि आज सब मिल कर लक्ष्मी माता का निराहार व्रत रखेंगे, जिससे लक्ष्मी जी की कृपा होगी।"

मोहन के बेटे सोहन ने ऐसा ही किया, और घर जाकर सबको अगले दिन व्रत रखने के लिए कहा। फिर वह 30 रूपए की सब्ज़ियाँ लाया, जो 60 रूपए की बिकी। घर पर सबका व्रत होने से घर का खर्च कुछ नहीं हुआ। अगले दिन वह उन पूरे 60 रुपयों की सब्ज़ियाँ ले आया। अब उन्हें बेचने से 120 रू. की आमदनी हो गई और उसमें से 50 रुपये खर्च निकालने पर भी सोहन के पास 70 रुपये बचे थे। जब उसने इन 70 रुपयों की सब्ज़ियाँ लेकर उन्हें 140 की बेची तो घर का खर्च निकालकर सोहन के पास 90 रुपये बचे थे ! अब सोहन की आमदनी बढ़ती जा रही थी। अब वह मिठाई भी ला सकता था, धीरे धीरे वह बेहतर ज़िंदगी जीने लगा।

इस तरह पिता की सलाह ने सोहन की ज़िंदगी ही बदल दी। असल ज़िंदगी में हर कोई मोहन और सोहन है, अपनी इच्छाओं को मारना ही व्रत है। लोगों को ऐसे ही मिठाई खाने का मन करता है अर्थात गाड़ी, घर, दैनिक आनंद की ज़िंदगी में ज़रूरत के पैसे बिना आमदनी को सोचे ही खर्च कर देते हैं और फिर ज़िंदगी वहीं ठहर जाती है।

'अगर हम कुछ समय के लिए अपनी इच्छाओं को नियंत्रण में कर लें तो आगे की ज़िंदगी बेहतर हो सकती है।'

साभार: Social Media

01/10/2023

महत्वपूर्ण पोस्ट। शेयर जरुर करें।

https://www.facebook.com/reel/3529368177381898?fs=e&s=cl&mibextid=rS40aB7S9Ucbxw6v

29/09/2023

सावधानी ही सुरक्षा है।

28/09/2023

मथुरा में प्लेटफार्म पर चढ़ी ट्रेन, विडियो हुआ वायरल, देखे विडियो
https://fb.watch/nldcABstWw/?mibextid=rS40aB7S9Ucbxw6v

28/09/2023

ये विडियो जरुर देखें।
https://www.facebook.com/100053120732557/posts/830701612043856/?mibextid=rS40aB7S9Ucbxw6v

Hindustan on X 21/09/2023

बिहार के बक्सर में पीएनबी की शाखा से 19 लाख की लूट। देखें विडियो, कैसे 8 मिनट में लूट को अंजाम दे फरार हो गए लुटेरे

Hindustan on X : बिहार के बक्सर जिले में पीएनबी की शाखा में 19 लाख की लूट, सीसीटीवी फुटेज में दिखे हथियारों से लैस बदमाश

15/09/2023

महत्वपूर्ण सुचना

11/09/2023

अब बिना क्रेडिट कार्ड के भी करें इंस्टेंट डिस्काउंट वाली शॉपिंग… दरधा बाजार के ब्रांड वाउचर्स के साथ…
*****
पायें 10% तक का इंस्टेंट डिस्काउंट ब्रांड वाउचरर्स की खरीदारी पर…
डिस्काउंटेड कीमत पर खरीदें वाउचर और करें अपनी मनपसंद सामानों की खरीदारी…
**फ्लिप्कार्ट, अमेज़न, बुक माय शो, डोमिनोज, मिन्त्रा, ए जिओ, व अन्य ढ़ेरों ब्रांड्स के वाउचरर्स उपलब्ध…
*****
वाउचर की खरीदारी करने या अधिक जानकारी के लिए हमसे मेसेज द्वारा संपर्क करें।
*****
वाउचर डिलीवरी: इंस्टेंट

Photos from Dardha Bazar's post 10/09/2023

ख़बरें

29/08/2023

सावधान रहें, सतर्क रहें
https://fb.watch/mJw2qYrBK7/?mibextid=21dgnx6bkhElzLAo

22/08/2023

यह विडियो जरुर देखें

https://fb.watch/mAeqrp3ww2/?mibextid=21dgnx6bkhElzLAo

11/08/2023

Limited Period Offer.

03/08/2023

https://www.facebook.com/100063693714131/posts/737767001689750/?mibextid=21dgnx6bkhElzLAo

अब भारत में प्रवेश पर नेपाली चार पहिए वाहनों को दूतावास से लेनी होगी अनुमति

•पास मिलने पर ही रक्सौल या अन्य शहरों में कर सकेंगे प्रवेश

रक्सौल।(TOR ) भारत से नेपाल में कहीं जाना होता है तो स्थानीय क्षेत्र के लिए नेपाली कस्टम से इंट्री तथा दूर जाने के लिए प्रतिदिन के हिसाब से भंसार अर्थात निर्धारित टैक्स देकर जाना होता है। अब भारत ने भी सख्त कदम उठाया है, जिसके कारण मंगलवार को भारत-नेपाल सीमा पर उस वक्त नेपाली चार पहिए वाहन संचालकों के बीच अफरातफरी मच गया, जब नेपाल से आने वाली चार पहिया गाड़ियों को कस्टम के द्वारा अचानक रोका जाने लगा। मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय महावाणिज्य दूतावास के द्वारा एक विभागीय पत्र जारी किया गया है, जिसमें रक्सौल के स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ भारतीय कस्टम को यह निर्देश दिया गया है कि नेपाल से आने वाली चार पहिया गाड़ी को भारत में तब ही अंदर आने को प्रवेश मिलेगी, जब उक्त वाहन के स्वामी के द्वारा महावाणिज्य दूतावास या भारतीय दूतावास काठमांडू से आवश्यक जारी कागजात होंगे। हालांकि पहले से रक्सौल तक आने के लिए नेपाली चार पहिया वाहनो को किसी तरह के पास या कागजात की जरूरत नहीं होती थी। अब ऐसे में जब नया नियम सख्ती के साथ लागू किया गया तो सभी चालकों एवं मालिकों के होश उड़ गए और उनके चेहरे पर परेशानी दिखने लगी। उधर नियम जारी होने के बाद मंगलवार को सैकड़ो गाड़ियों को वापस भेज दिया गया है। हालांकि यह नियम नेपाल से आने वाली दो पहिया वाहनो पर लागू नहीं है। दूतावास से जारी पत्र के अनुसार अब नेपाली चार पहिया वाहनो को रक्सौल तक भी आने के लिए पास लेना होगा, जो कि दूतावास से जारी किया जाएगा। अब तक नियमों में ढील के कारण बड़ी संख्या में नेपाली चार पहिया वाहन रक्सौल समेत मोतिहारी, सिवान, गोरखपुर, मुजफ‍्फरपुर और यहां तक पटना और दरभंगा एयरपोर्ट तक भी बिना रोक-टोक के चली जाती थी। जिससे भारत सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता था। इधर इस नियम का नेपाल में विरोध भी शुरू हो गया है। हालांकि यहां के कुछ लोगों का कहना है कि इसमें नेपाल में नियम विरोध करने का कोई मतलब नही निकलता, जब नेपाल में हमारे साथ ऐसा हो सकता है तो उनके साथ भारत में नियम लगाना बुरा कैसे हो सकता है। अगर बॉर्डर खुला है तो दोनो तरफ समान रूप से नियम होने चाहिए।

02/08/2023

https://www.facebook.com/100064440231764/posts/670291921795476/?mibextid=21dgnx6bkhElzLAo

पटना में लगे CCTV कैमरा लगातार ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर नजर रखे हुए है।
इसी क्रम में CCTV कैमरा और HHD मशीन से जुलाई महीने में कुल (61,585) 61 हजार 5 सौ 85 वाहनों पर कुल (रु 6,81,60,100) 6 करोड़ 81 लाख 60 हजार 1 सौ रुपए की राशि का चालान काटा गया।
चालान के डर से नहीं ज़िंदगी की सुरक्षा के लिए ट्रैफिक नियमों का पालन करें।

Home Department, Govt. of Bihar Information & Public Relations Department, Government of Bihar Patna Police

29/07/2023

ऑनलाइन लोन एप्स से लोन लेने वाले एक बार ये विडियो जरुर देखें।

https://fb.watch/m4GxD69NY2/?mibextid=21dgnx6bkhElzLAo

25/07/2023

लंच के बाद आना...😅

https://fb.watch/l-A69T1lxc/?mibextid=21dgnx6bkhElzLAo

24/07/2023

ऑनलाइन गेमिंग व गैंबलिंग एप्स से दूर रहें। जालसाजों से सावधान रहें।

Want your organization to be the top-listed Government Service in Muzaffarpur?
Click here to claim your Sponsored Listing.

Videos (show all)

अलर्ट: सूबे में 3 दिन तक लू की चेतावनी जारी। राज्य के अधिकतर जिलों में तापमान 40° के आसपास। गुरुवार को मुजफ्फरपुर जिले म...
😂

Category

Website

Address


Dardha Bazar
Muzaffarpur
843119

Other Landmarks in Muzaffarpur (show all)
Mithila Samrajya Mithila Samrajya
Muzaffarpur

जय भारतवर्ष जय मिथिला��

Thikaha Bajar Thikaha Bajar
Thikaha, Motipur SH 86
Muzaffarpur, 843124

Saraiyan Road SH 86, Thikhan Bazar

Belpakauna Panchayat Belpakauna Panchayat
Belpakauna Panchayat
Muzaffarpur, 843321

Welcome To Belpakauna Panchayat

Muzaffarpur Local Muzaffarpur Local
Muzaffarpur

Naam Hi Kafi Hai.

Phulwariya Chowk Phulwariya Chowk
Muzaffarpur

Official page of Phulwariya Chowk.

Fulwariya Chowk Fulwariya Chowk
Persuaninath, Fulwariya Chowk, Motipur
Muzaffarpur, 843127

Body House-best gym in muzaffarpur Body House-best gym in muzaffarpur
Near/kolhua Chowk, (bairiya Bus Stop)
Muzaffarpur, 843108

best gym in muzaffarpur (BODY-HOUSE) for fans of body-building.

Fatehpur-Gaya Fatehpur-Gaya
Fatehpur, Gaya
Muzaffarpur, 824232

Near by to Gaya District City. Block town. Very charming Place.

Minapur Muz Minapur Muz
Minapur
Muzaffarpur, 843128

Minapur is an assembly constituency in Muz affarpur district in the Indian state of Bihar.For More

Kurhani Kurhani
Kurhani
Muzaffarpur, 844120

For more information https://en.m.wikipedia.org/wiki/Kurhani_(Vidhan_Sabha_constituency)

Mohjamma best Village of India Mohjamma best Village of India
Mohjamma
Muzaffarpur, 843107

Mohjamma is the best village in India. Myself Naveen kumar Singh is proud of my own village. Mojamm

Fans of Muzaffarpur Fans of Muzaffarpur
Kalambagh Road
Muzaffarpur, 842002