Pagla Soren
आपने अधिकार के लड़ाई के लिए जान देने के लिए तैयार।
अपना समाज सुरक्षा के लिए जान देने के लिए भी तैयारl
JOTO KU SAGUN BAHA POROB
ना दुःख है ना ग़म।हम तो किसी से कम नहीं। अपनों ने मेरा हौसला बढ़ाया। दूसरों ने मुझे प्यार दिया।
सीक्रेट 🚭 गुटका,तंबाकू, शराब, से अधिक जानलेवा, प्यार है। इन चीजों से दूर रहें। Ci******es, Gutka to***co, love is more deadly than alcohol, stay away from these things.
मेरी भाई की प्यारी बेटी । My brother's lovely daughter.
Hemanta manjhi : चलो आज इस लड़की की कहानी बताता हूँ। सालों पहले उनके घर जाया करता था मैं उसके पेस्टल रंग की तस्वीरें देखता था, दीवार पर डिजाइन किए गए विभिन्न रंग के फूल देखता था, कहीं नहीं सीखा था मैंने उसकी प्रतिभा देखी, मैंने उसे स्कूल आने के लिए कहा, मैं बनाता हूँ। एक गरीब संताल परिवार की बेटी पैसे की कमी के कारण ड्राइंग करना उसका सपना था। लगभग दो साल मेरे पास आ रहे हैं। पढ़ाई में बहुत ही प्रतिभाशाली छात्र। हाल ही में उनके पिता का निधन एक महीने में भी नहीं हुआ। उस दिल टूटी बच्ची के साथ ऑल बंगाल आर्ट सोसाइटी की कार्यशाला में भाग लिया और उसके चेहरे पर मुस्कान देख लिया। ड्राइंग रतने बना ब्लॉक चैंपियन बहुत खुशी हुई अवार्ड पाकर। पंजाबी पेंटी ने भी बहुत अच्छा किया। लड़की का नाम हेमानी मंडी है सभी इसको आशीर्वाद दे ताकि आने वाले मार्ग सुगम हो |
पैसो से सब कुछ मिलता है पर,
माँ जैसा प्यार कही नही मिलता!❤️❤️❤️
कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है
जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता हैl ❤️❤️
लड़की से प्यार करना मुझे डर लगता है।❤️❤️❤️
क्यों कि लड़की मेकअप में बहुत टाइम लगता है।
लेकिन ब्रेकअप में नहीं 💔💔💔💔
इसलिए मैं अपने संथाल समाज से प्यार करते हैं 🏹🏹🏹🏹
जय संथाल आदिवासी 🏹🏹🏹
1st APRIL को जीतकर मूवी का सॉन्ग रिलीज़ होगी।
AALE ATU REN.....-(&:+🥀🥀🥀
DANGWA KURA......&$") #+--;(☘️☘️☘️☘️
HanHansdak Kurara SagSagen Hembrommbrom Lucky shivlal
बढान का पिक्चर है.... ना भूलें अपने सांस्कृतिक को..... आपके भाई पागला सोरेन....... और मेरा दोस्त गाती.....
झारखण्ड फिल्म नीति 2016 के नियम 24.5 के तहत विभागीय अधिसूचना संख्या 148, दिनांक
07/03/2019 के आलोक में फिल्म डेवलपमेंट काउंसिल ऑफ झारखण्ड का गठन महामहिम राज्यपाल के आदेश में किया गया है इसको लेकर 15 मार्च 2024 को अधिसूचना जारी की गई इसमें फिल्म डेवलपमेंट काउंसिल ऑफ झारखंड में 24 सदस्यों को मनोनित किया गया जिसमें झारखंड के किसी भी ट्राइब से क्षेत्रीय भाषाओं के निर्माता- निर्देशक व सिने कलाकार को जगह नहीं दिया गया है. इसको लेकर संताल परगना फिल्म एसोसिएशन से जुड़े कलाकारों में रोष है जिसमें निर्माता-निर्देशक ब्लेस एमानुएल टुडू,अजीत टुडू, संतोष टुडू, अभिनेता ईशा राज मुर्मू, अभिनेत्री टीना हेंब्रम, गीतकार मरियम मुर्मू, स्टीफन टुडू, संगीतकार हेमंत कुजूर, लकी संतोष मुर्मू, प्रेम बेसरा, बेनिसन हांसदा, राजीव मुर्मू, आदिवासी क्रांति सेना के केंद्रीय अध्यक्ष सह गीतकार मुकेश आरडीएक्स टुडू के साथ ही साथ कई कलाकारों ने इसपर आपत्ति जताया है. इसमें मुकेश आरडीएक्स टुडू ने कहा कि झारखण्ड में क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए, लेकिन राज्य सरकार द्वारा यहां के कलाकारों को हाशिये पर रखने का काम किया गया है. जिन लोगों को झारखंड की भाषा, संस्कृति के बारे में जानकारी नहीं है वैसे लोगों को यहां के फिल्मों के विकास कार्य को देखने के लिए जिम्मेदारी दी गई है हम सरकार से मांग करते हैं कि जो सदस्य अभी मनोनित किए गए हैं उसको भंग किया जाए और जल्द से जल्द नए सिरे से सदस्य मनोनित किया जाए।
Santali Upcoming A darji Wala
A DARJI WALA Ashok tudu का नया गाना वीडियो बहुत जल्दी आने वाले हैं। आप लोग इताजर में रहै।
इस सिक्के के माध्यम से साफ़ साफ़ साबुत होता है कि संथाल आदिम युग में राज करते थे। लेकिन आज कल संथाल लोगों के उपर राज़ होता है। इस सिक्के के बारे में आपका क्या कहना है कमेंट में लिखे।
कोन कोन JITKAR मूवी को pakur में देखने चाहते हो कमेंट बॉक्स में लिखे। अगर आप देखना चाहते हैं तो जल्दी सिनेमा हॉल में रिलीज़ होगा।
जिस तरह बाबा दिशोम गुरू जी ने संघर्ष किया था उसी तरह आपका भी संघर्ष और विचार दिखाई पड़ रहा है सारे आदिवासी मुकेश दा के साथ मिलकर चलना पड़ेगा
हूल जोहार 🏹🏹🏹🏹 ।
अपने कार्यकाल में बेहतर उपलब्धि के लिए विशाल मरांडी को पुनः दिशोम मांझी के रूप में नियुक्त किया गया।
मौके पर संथाल परगना के विभिन्न जिले के मरांग बुरु अनुयायीगण उपस्थित थे....आगे के विस्तार के लिए पुनः 3 मार्च को सप्ताहित पूजा के बाद मीटिंग आयोजित की गई है।
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Mob - 9801353062
जागो आदिवासी महासभा में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आपके बीज आ रहा है। युवा समाजिक नेता Mukesh RDX TUDU ।
जोहार🙏
एक आदिवासी परिवार को मदद की जरूरत है, मरीज का नाम अभिषेक हेंब्रम है.. उम्र 15 साल जो kidney मरीज हे.. जिसका इलाज J P HOSPITAL में चल रहा है जहाँ लगभग 1 lakh का बिल बन चुका है जो परिजन देने मे असमर्थ है.. परिजन अपने बेल बच कर जमीन गिरवी रख कर बच्चे की इलाज करवा रहे हैं फिर भी पैसे कम पड़ रहा है.. माता जी का अकाउंट नं० दिया जा रहा है.. इस बच्चे की आगे की इलाज के लिए आप सब की मदद की जरूरत है.. आपकी एक छोटी सी सहयोग से बच्चे की मदद हो जाऐगी..सहयोग के लिए माता का BANK ACCOUNT No. निचे दिया गया है..
PHONE PAY NO. :- 8340235707
जोहर🙏
Tuduz creation के बैनर तले बन रही। संथाली फीचर फिल्म JITKAR. जिनका टेलर रिलीज हो चुकी है। 1 मार्च से मिनी अमर सिनेमा हॉल दुमका में देखने को मिलेगी। एक बार मूवी को जरूर देखें।
तिलका माँझी, (संथाल:ᱵᱟᱵᱟ ᱛᱤᱞᱠᱟᱹ ᱢᱟᱡᱷᱤ) (11 फ़रवरी 1750 - 13 जनवरी 1785) तिलका मांझी उर्फ जबरा पहाड़िया जिन्होंने राजमहल, झारखंड की पहाड़ियों पर ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया। इनमें सबसे लोकप्रिय तिलका मांझी हैं।[1][2]
बाबा तिलका माँझीतिलका मांझी संताल थे या पहाड़िया इसे लेकर विवाद है।[5] आम तौर पर तिलका मांझी को मुर्मू टोटेम का बताते हुए अनेक लेखकों ने उन्हें संताल आदिवासी बताया है। तिलका मांझी के पिता का नाम सुंदरा मुर्मू और माता का नाम पानो मुर्मू थे। सुंदरा मुर्मू तिलकपुर गांव के ग्राम प्रधान (आतु मांझी) थे और तिलका मुर्मू के माता पानो मुर्मू गृहणी थी। उनके पिता और माता के नाम से साफ पता चलता है तिलका मांझी संथाल परिवार में जन्मे एक संथाल आदिवासी समुदाय के थे। तिलका मांझी (मुर्मू) का जन्म 11फरवरी 1750 को हुआ है।
बिहार के सुल्तानगंज, भागलपुर क्षेत्र में पहाड़िया जनजाति के लोगों का भी निवास थे, तिलका मांझी संथाल और उन पहाड़िया जनजाति के बीच में रहकर पले बढ़े हैं, इसीलिए ही कुछ गैर आदिवासी इतिहासकारों को लगता है तिलका मांझी पहाड़िया जनजाति के है। संतालों का लिखित इतिहास अधिक नहीं है लेकिन फिर भी संतालों को याद है अपना गुजारा हुआ इतिहास कितना पुराना है। तिलका मांझी संतालों के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने में कभी पीछे नहीं हटे है। संताल एवं आदिवासी समुदाय में इतिहासकारों की कमी होने के कारण दूसरे जाति समुदाय के इतिहासकारों द्वारा इस संथाल समुदाय के इतिहास को तोड़ मरोड़ा जा रहा है इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है, इसलिए ही तिलका मांझी को पहाड़िया जनजाति के साथ कुछ इतिहासकारों द्वारा जोड़ा जा रहा है जो गलत जानकारी है। मांझी और मुर्मू सरनेम संतालों का है और तिलका, पानो और सुंदरा नाम भी अभी भी संतालों के बीच मौजूद हैं। तिलका मांझी का असली नाम तिलका मुर्मू है जबरा पहाड़िया नहीं। तिलका मांझी संतालो के बीच काफी लोकप्रिय है और उनका पुजा भी किया जाता है लेकिन पहाड़िया जनजाति के लोग तिलका मांझी का पुजा पाठ या कोई अन्य उनके नाम पर समारोह आयोजित नहीं देखने को मिलता है। संथालों के अनेकों लोक गीतों में उनका नाम है। और रही बात इतिहास की तो भारत देश मे सदैव उच्च जाति और पैसे वालों के आगे झुकता रहा है। शुरू में संतालों का स्थाई निवास स्थान नहीं था, स्थाई नहीं होने का कारण संतालों को दूसरे जाति समुदाय के लोगों द्वारा अनेकों स्थानों से भागाया जाता रहा है। झारखंड प्रदेश में सर्वप्रथम गिरिडीह जिला (शिर दिशोम शिखर दिशोम) क्षेत्र में प्रवेश किया। धीरे धीरे जनसंख्या बढ़ने लगे और संतालों का क्षेत्र भी बढ़ने लगे। लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार संताल आदिवासी समुदाय के लोग 1770 के अकाल के कारण 1790 के बाद संताल परगना की तरफ आए और बसे। लेकिन संताल (आगील हापड़ाम कोवा काथा) इतिहास के आधार पर संताल सर्वप्रथम वर्तमान झारखंड के उत्तर पूर्व क्षेत्र तथा वर्तमान बिहार राज्य के दक्षिण क्षेत्र में निवास करते थे। अंग्रेज शासन के पहले संताल अपने को होड़ कहते थे। संतालों के लिए संताल शब्द अंग्रेजों के समय आया है। संताल का मूल शब्द है सांवता. सांवता का अर्थ होता है साथ साथ रहना। कलांतर में इनका शब्द सांवता से सांवताल, सांवतार, संताल, सांतार, सांथाल, संताड़ होने लगा।
The Annals of Rural Bengal, Volume 1, 1868 By Sir William Wilson Hunter (page no 219 to 227) में साफ लिखा है कि संताल लोग बीरभूम से आज के सिंहभूम की तरफ निवास करते थे। 1790 के अकाल के समय उनका माइग्रेशन आज के संताल परगना तक हुआ। हंटर ने लिखा है, ‘1792 से संतालों नया इतिहास शुरू होता है’ (पृ. 220)। 1838 तक संताल परगना में संतालों के 40 गांवों के बसने की सूचना हंटर देते हैं जिनमें उनकी कुल आबादी 3000 थी (पृ. 223)। हंटर यह भी बताता है कि 1847 तक मि. वार्ड ने 150 गांवों में करीब एक लाख संतालों को बसाया (पृ. 224)।[6]
1910 में प्रकाशित ‘बंगाल डिस्ट्रिक्ट गजेटियर: संताल परगना’, वोल्यूम 13 में एल.एस.एस. ओ मेली ने लिखा है कि जब मि. वार्ड 1827 में दामिने कोह की सीमा का निर्धारण कर रहा था तो उसे संतालों के 3 गांव पतसुंडा में और 27 गांव बरकोप में मिले थे। वार्ड के अनुसार, ‘ये लोग खुद को सांतार कहते हैं जो सिंहभूम और उधर के इलाके के रहने वाले हैं।’ (पृ. 97) दामिनेकोह में संतालों के बसने का प्रामाणिक विवरण बंगाल डिस्ट्रिक्ट गजेटियर: संताल परगना के पृष्ठ 97 से 99 पर उपलब्ध है।[7]
इसके अतिरिक्त आर. कार्सटेयर्स जो 1885 से 1898 तक संताल परगना का डिप्टी कमिश्नर रहा था, उसने अपने उपन्यास ‘हाड़मा का गांव’ (Harmawak Ato) की शुरुआत ही पहाड़िया लोगों के इलाके में संतालों के बसने के तथ्य से की है। संतालों का अपना इतिहासकारों की कमी के कारण इतिहास को सही सही नहीं लिखा गया है, संताल को पहले अपने आप को होड़ से संबंधित होते थे, अंग्रेजों द्वारा संतालों को जब होड़ से संताल में परिवर्तन किया गया और अपना दस्तावेजों में लिखना प्रारम्भ किया तब के बाद से संतालों का इतिहास देखने को मिलता है।[8]
भारत देश के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी बाबा तिलका मांझी जी कि जयंती पर शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि। देश की आजादी के महानायक।
ढाका में आयोजित सैफ अंडर-19 महिला फुटबॉल प्रतियोगिता जीतने पर भारत की बेटियों को हार्दिक बधाई।
हमारे लिए यह दोहरी खुशी एवं गर्व का पल है क्योंकि भारतीय टीम के कुल 23 सदस्यों में झारखंड की 6 बेटियां शामिल हैं।
जय हिन्द ! 🇮🇳
सेफाली हेंब्रम का यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करे और उन्हें सपोर्ट करे https://youtube.com/?si=GJm-bOvCEDDPZs48
बाबा तिलका मांझी जयंती समारोह में// आपके बीज आ रहे हैं // आदिवासी क्रांति सेना के केंद्रीय अध्यक्ष MUKESH RDX TUDU // जो एक युवा समाजिक नेता हैं। आप सभी का हार्दिक स्वागत है। स्थान: पाकेरबेड़ा, तोपचांची, धनबाद।
13 फरवरी को ट्रैलर आ रहा है....और आपके नजदीकी सिनेमाघरों में 1 मार्च को आ जायेगी।
सभी कोई खूब प्यार दीजिएगा... अब समय आ रहा है संथाली और क्षेत्रीय फिल्म जगत को आगे बढ़ने का।
टीम के सभी कलाकारों और सभी सहयोगियों को शुभकामनाएं एवं बधाई।
सच्ची शिक्षा.....
झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री बने चंपई सोरेन जी।
बहुत बहुत बधाई हो💐
Champai Soren
बार बार की गलती को गलती नहीं बोलते हैं देवसेना !!
उसे जानबूझ कर समाज में जहर उगलना बोलते हैं।
इस तिहाड़ी को किसी भी कीमत पे आदिवासी समाज माफ नहीं करेगा.. इस पर आदिवासी समाज कठोर से कठोर कारवाई करने की मांग करती है।
05 फरवरी 2024 को जामताड़ा जिले के फतेहपुर प्रखंड अंतर्गत बस्ती पालोजोरी, हटिया मैदान में विभिन्न सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों को लेकर आप सबों के समक्ष उपस्थित रहेगें...
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