सफलता एक्सप्रेस
ok
🙏कवि इकबाल जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा' लिखा, भारत के किस स्थान से संबंधित हैं ?
[RAS/RTS 2003]
[A] दिल्ली
[B] उत्तर प्रदेश
[C] पंजाब
[D] कश्मीर
🙏 पुस्तक 'दि स्टोरी ऑफि दि इन्टीग्रेशन ऑफ द इंडियन स्टेट्स' किसने लिखी ?
[UPSC 2007]
[A] वी. एन. राव
[B] सी. राजगोपालाचारी
[C] कृष्ण मेनन
[D] बी. पी. मेनन
24 जून 2022 Top Today Daily Current Affairs in Hindi
1.हाल ही में प्रवासी घरेलू कामगारों के लिए न्यूनतम आयु में संशोधन किस देश ने किया है ?
उत्तर: श्रीलंका
2.हाल ही में सरकारी स्कूली बच्चों के लिए BYJU के साथ MOU पर हस्ताक्षर किस राज्य ने किया है ?
उत्तर: आंध्रप्रदेश
3.हाल ही में लेखक रुथ ओजेकी ने 2022 का विमेंश प्राइज फार फिक्सन किस देश के लेखक जीता है ?
उत्तर : कनाडा
4.हाल ही में कौन F**A की पहली महिला अध्यक्ष बनीं हैं ?
उत्तर: लिसा स्टालेकर
5.हाल ही में कुश्ती टीम ने अंडर-17 एशियाई चैंपियनशिप किस देश की महिला जीती है ?
उत्तर: भारत
6.हाल ही में UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप मे किसे चुना गया है ?
उत्तर : रुचिरा कंबोज
7.हाल ही में किसे हांकी इंडिया ने FIH महिला हाकी विश्व कप के लिए कप्तान चुना गया है ?
उत्तर: सविता पुनिया
8.हाल ही में कौन सा वन नेशन वन राशन कार्ड लागु करने वाला 36वां राज्य बना है ?
उत्तर: असम
9.हाल ही में कहां प्रधानमंत्री मोदी बी.आर. अम्बेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स का उद्घाटन किया है?
उत्तर : बेंगलौर
10.हाल ही में कहां दुनिया की सबसे बड़ी ताजे पानी की मछली पकड़ी गई है ?
उत्तर: कंबोडिया
नमस्कार दोस्तों !! आप डेली करंट अफेयर पढ़ना चाहते है तो, हमारे फेसबुक पेज "Parvind Study Point" पर भी पढ़ सकते है || हमारे फेसबुक पेज पर स्टडी से सम्बंधित टॉपिक है!
🙏1932 के पूना समझौते के साथ किसका सीधा संबंध था?
[UPSC 2007]
[A] भारतीय महिलायें
[B] भारतीय मजदूर वर्ग
[C] भारतीय कृषक वर्ग
[D] भारतीय दलित वर्ग
🙏 गाँधी जी के निम्नलिखित अनुयायियों में से कौन पेशे से एक शिक्षक थे ?
[UPSC 2008]
[A] ए. एन. सिन्हा
[B] ब्रज किशोर प्रसाद
[C] जे. बी. कृपलानी
[D] राजेन्द्र प्रसाद
🔰हाल ही में विश्व बैंक ने किस राज्य वर्षा आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए 1000 करोड़ कि मंजूरी दी है
✅राजस्थान
✅पश्चिम बंगाल
✅उत्तराखंड
🙏व्यक्तिगत सत्याग्रह में विनोबा भावे को प्रथम सत्याग्रही चुना गया था। दूसरा सत्याग्रही कौन था?
[UPSC 2009]
[A] सरदार वल्लभ भाई पटेल
[B] पं. जवाहर लाल नेहरू
[C] सी. राजगोपालाचारी
[D] डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
🙏गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में कितने वर्ष रहे थे ?
[MPPSC 2010]
[A] 26 वर्ष
[B] 21 वर्ष
[C] 16 वर्ष
[D] 15 वर्ष
🙏 वर्ष 1928 में 'हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन' (एच. एस. आर. ए.) की स्थापना कहाँ हुई थी?
[UPPSC 2008]
[A] कानपुर में
[B] दिल्ली में
[C] इलाहाबाद में
[D] लाहौर में
🙏 हंटर आयोग की नियुक्ति की गई थी
[UPSC 2001]
[A] काल कोठरी घटना के बाद
[B] जालियांवाला बाग हत्याकांड के बाद
[C] 1857 के विद्रोह के बाद
[D] बंगाल के विभाजन के बाद
🙏महात्मा गाँधी ने भारत में अपना पहला जनभाषण कहाँ दिया था ?
[UPPCS (M) 2015]
[A] बम्बई में
[B] लखनऊ में
[C] चंपारण में
[D] वाराणसी में
Like
राज्यपाल का पद गाड़ी के पांचवें पहिए के समान बन कर रह गया था
a. नेहरू युग
b. इंदिरा युग
c. राजीव गाँधी युग
d. वी• पी• सिंह युग
https://t.me/safaltaexpres
Important facts
बांका के दिग्विजय, दिग्विजय का बांका...
जिसके लिए बरबस ही आँखों से बूंदें टपक पड़ी थी, वही तो दिग्विजय थे। आज 24 जून है और आज का दिन हम बांका वासियों के लिए न भूलने वाला दिन है। बांका के विकास की रफ़्तार तो इस 24 जून ने धीमा करने का काम किया था। 24 जून 2010 दिन गुरुवार को संध्या समय एक खबर ने बांका में खलबली मचा दी। सहसा किसी को विश्वास ही नहीं हो पा रहा था। कोई इसे अफवाह तो कोई बेबुनियाद पर आधारित बता रहा था। लेकिन जो सत्य था उसपर इतनी आसानी से बांका विश्वास नहीं कर पा रहा था। किसी को यकीन भी नहीं था की ऐसा कुछ होगा। इसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। और जिस अकल्पनीय बात ने बांका को अंदर तक हिला दिया वह थी बाबू दिग्विजय सिंह "दादा" का इहलोक गमन। हर किसी को स्तब्ध कर देने वाली इस खबर पर बच्चे से लेकर बूढ़े तक हिल गए थे। बांका की जनता की आँखों में स्वतः बूंदें टपक पड़ी थी। एक ही बात बांका की फ़िज़ाओं में गूंज रही थी कि "दादा" नहीं रहे। जी हां, बांका के लोग दिग्विजय बाबू को "दादा" ही कहते थे। बांका में रेल की सिटी उस दिन भी बजी थी लेकिन इस सिटी को बजवाने वाला इसे अब कभी नहीं सुन पायेगा यह यकीन करना थोड़ा कठिन था। होनी को कौन टाल सकता है और यही बांका के साथ भी हुआ।
आखिर बांका क्यों दादा को आज भी उतना ही प्यार करता है। यकीन मानिये, बांका की फ़िज़ाओं में उनकी बातें आज भी गूंजती और घूमती हैं। इसमें सबसे प्रासांगिक होगा 2009 के लोकसभा चुनाव की चर्चा, जिसने बांका के दिग्विजय प्रेम को पूरी दुनिया के सामने लाकर रखा था। इस चुनाव से पहले जाॅर्ज फर्नांडिस नेपथ्य में धकेल दिए गये थे और नीतीश-शरद की जोड़ी जाॅर्ज गुट को हासिये पर धकेलने की हर संभव कोशिश में लगी थी। कहते हैं न सत्ता में कब कौन यार बन जाए यह किसी को पता नहीं होता। एक संभावना होती है और उसी के सहारे समीकरणों को तराजू पर तौलकर दोस्ती या दुश्मनी निभाने की शुरुआत हो जाती है। जाॅर्ज भूलने की बीमारी से ग्रसित हो चुके थे और शायद नीतीश अब तैयार थे पार्टी पर अपने पकड़ को और मजबूत करने के अभियान में। लेकिन नीतीश के इस अभियान में एक बडी़ बाधा या कहा जाए तो चट्टान की तरह खड़े थे गिद्धौर घराने के दिग्विजय, चंद्रशेखर के समाजवादी दिग्विजय। टिकट वितरण की घोषणा होने वाली थी। हवा में यह बात फैलायी गयी कि जाॅर्ज फर्नांडिस का मुज्जफरपुर और दिग्विजय सिंह का बांका से टिकट काटा जाएगा। जाॅर्ज की खराब सेहत तो दिग्विजय के राज्यसभा सदस्य होने के कारण यह फैसला हो रहा है। जबकि शरद यादव भी राज्यसभा के ही सदस्य थे। दरअसल उस समय नीतीश कुमार जनता दल यूनाइटेड के सबसे बडे़ छत्रप बनने को बेचैन थे और यह रास्ता उनको सबसे मुफीद लगा। और आखिरकार हुआ भी वही जो नीतीश ने चाहा। जाॅर्ज और दिग्विजय सिंह का टिकट काट दिया गया। लेकिन दिग्विजय सिंह तो ऐलान कर चुके थे बांका से चुनाव लड़ने की। समता पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे दिग्विजय अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ने जा रहे थे। यह राजनीतिक लडा़ई उनके लिए सबसे अहम साबित होने वाली थी। नीतीश और शरद की जोडी़ अपने पहले कदम पर खुश थे लेकिन शायद यहां नीतीश और शरद की जोड़ी ने गलत आंकलन कर लिया। कहीं न कहीं चूक हो गयी। जाॅर्ज कमजोर पड़ चुके थे और अब इस लडा़ई जिसे आत्मसम्मान की लडा़ई भी कहा गया दिग्विजय और बांका मुख्य केन्द्र में थे। दिग्विजय को बांका प्रेम खींच लाया। उस वक्त बिहार में एनडीए की सरकार थी और नीतीश इसके मुखिया थे। नीतीश आश्वस्त थे कि बांका में निर्दलीय दिग्विजय को आसानी से शिकस्त दे देंगे। लेकिन लडा़ई उतनी भी आसान नहीं थी और नहीं थी आसान वह राह जहां दिग्विजय ने अपने खास शख्सियत की बदौलत एक अलग जमीन तैयार की थी।
बहुतों ने दिग्विजय को सलाह दिया कि आप एक बार नीतीश कुमार से जाकर मिल लीजिए, वो सुलह कर लेंगे। लेकिन वादे और इरादे के पक्के दिग्विजय ने इससे साफ इंकार कर दिया। दिग्विजय सिंह का कहना था कि पार्टी का संस्थापक सदस्य हूं और एक टिकट के लिए नीतीश के दरबार में हाजिरी नहीं लगाऊंगा। यह मेरे आत्मसम्मान के खिलाफ हूं। यह सत्ता और सम्मान की लडा़ई है और दिग्विजय सत्ता के लिए सम्मान से समझौता नहीं कर सकता। यह दिग्विजय की कमाई हुई पूंजी थी। बांका पर उनके विश्वास की यह पूंजी थी। सिद्धांत को परिभाषित करने की हिम्मत करते हो तो सिद्धांत को बताने की भी हिम्मत भी जिगर में होनी चाहिए। और बांका इस सम्मान की लड़ाई में मेरा साथ जरूर देगा। ऐसा विश्वास तभी होता है जब आप किसी को अपना समझते हैं। और दिग्विजय और बांका के रिश्ते में यही अपनापन था।
बांका अब नया अखाडा़ था जहां से बिहार के राजनीति में एक नया आयाम आने की पूरी संभावना बन रही थी। दिग्विजय सिंह निर्दलीय चुनाव मैदान में थे। नगाडा छाप समाजवादी दिग्विजय का चुनाव चिन्ह था। बांका की जनता उनके साथ थी। उनके चुनाव नामांकन में उमडी़ भीड़ ने नीतीश कुमार के पेशानी पर बल ला दिया था। शायद अब उनको अंदाज लगने लगा था कि दिग्विजय सिंह की पूंजी बहुत बडी़ थी। बांका की जनता रूपी पूंजी उनके साथ थी। जातिगत राजनीति को कायरों का सहारा बताने वाले दिग्विजय सिंह जिन्हें बांका आज भी दादा कहती है पूरे रौ में आ चुके थे। वो बार-बार कहते थे कि "दिग्विजय सिंह लाख बार चुनाव हारना पसंद करेगा लेकिन जाति के नाम पर कभी वोट नहीं मांगेगा"। यह दिग्विजय की राजनीति थी जिसकी जडे़ं गहराई तक थी। यह दिग्विजय का बांका पर भरोसा था। बांका नगाडा की गूंज में गूंजायमान होने लगा था। और गूंजायमान हो रही थी हर वह उदासीन गलियां जहां कितने अरमान छिपे थे। बांका ने अपने दादा के आत्मसम्मान की लडा़ई खुद की सम्मान की लडा़ई में तब्दील कर लिया था। स्वाभिमानी व्यक्ति हमेशा कद्र पाता है और दादा ने यह साबित कर दिया था। नीतीश कुमार कामयाब नहीं हो सके। यहां उनकी राजनीतिक समझ को मुंह की खानी पडी़। दादा ने 28 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव अपने नाम कर लिया था। बांका की गलियों में नगाडा-नगाडा बज रहा था। दिग्विजय की राजनीति को बांका की जनता ने अपना भरपूर समर्थन दिया था। बांका की जनता को दिग्विजय की यह बात बहुत पसंद आई कि "जिन्दगी में सभी काम करना, कभी पद और सम्मान के साथ समझौता नहीं करना"। नगाडा और नीतीश की लडा़ई में नगाडा बज गया और नीतीश को मुंह की खानी पड़ी। बांका ने दिग्विजय को सिरमौर बना दिया।
आज भी बांका की राजनीति में दिवंगत दिग्विजय सिंह उतने ही चर्चित हैं जितने पहले थे। शारीरिक रूप से बांका से जरूर दूर हैं लेकिन लोगों के दिलों पर अभी भी उनकी दस्तक है। हर साल 24 जून बांका के लिए अजीब राजनीतिक ख़ामोशी लेकर आता है। आज बांका एक अदद विकास की तलाश में भटक रहा है। जनता की सुनने वाले की, उससे संवाद करने वाले की घोर कमी है। दादा जहां भी होंगे अपने बांका की इस स्थिति पर जरूर चिंतित होते होंगे। काश! आप अगर होते तो बांका की विकास की गूंज पूरी दुनिया को सुनाई देती। जनता की बातों पर जरूर गौर किया जाता। आज भी जब रेल की सिटी बजती है तो बांका के जेहन में आपका मुस्कुराता हुआ चेहरा सामने आ जाता है। यकीन है आप जहाँ भी होंगे बांका की बेहतरी के लिए प्रयासरत होंगे। आप बहुत जल्दी चले गए यह बात हमेशा सालती है। पुण्यतिथि पर आपको प्रणाम करता हूँ। बांका आज भी आपकी राह ताकता है दादा। आज भी....शत् शत् नमन 🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
UNO(संयुक्त राष्ट्र संध) को यह नाम किसने दिया था
a. विल्सन
b. बुलफोड़
c. रूज़वेल्ट
d. चर्चिल
https://t.me/safaltaexpres
Click here to claim your Sponsored Listing.
Category
Website
Address
800006
Patna
800006
Patna, 800001
It relaxes and refreshes tired or knotted muscles. It increases blood circulation. It stimulates deep circulation, both of blood and lymph which helps your body to heal..
Patna, 800001
Type of massage by profession Trainer masseur ( Male) Swedish massage Deep tissue massage Rel
Patna, 800001
https://www.youtube.com/@bittulalyadav1233 मेरा youtube पर आपका स्वागतम है 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🫵🫵