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एक लीडर का काम हैं कि वह अपने लोगों को ज
राजेश कुमार मिश्रा [ तारापुर विधानसभा ]
प्रभुुदयाल सागर, मेयर उम्मीदवार- मुंगेर नगर निगम।
अपने आदर्शपूर्ण जीवन से काल के कपाल पर स्वर्णाक्षरों से सदैव के लिए अंकित हो चुके पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को जयंती पर सादर नमन।
#सदैव_अटल
बिहार चुनाव में जीतने वाले इकलौते डॉक्टर विधायक को जानिए। डॉ संजीव कुमार जी परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक हैं। डॉ संजीव कुमार जी बिहार में युवाओं के बीच सबसे ...
बिहार चुनाव में जीतने वाले इकलौते डॉक्टर विधायक को जानिए। डॉ संजीव कुमार जी परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक हैं। डॉ संजीव कुमार जी बिहार में युवाओं के बीच सबसे ...
आजादी के बाद भारतीय राजनीति का एक दौर नेताओं की बुद्धिमता और उनकी सादगी व महानता का ही साक्षी रहा है। ऐसे कई नेता हुए जो अपनी सादगी, सहजता और जनता से जुड़ाव के चलते न केवल क्षेत्र विशेष की जनता के बीच लोकप्रिय हो गए, बल्कि उनके सरल आचरण की छाप और छाया लंबे समय तक जनता के मन पर छाई रही।
महज सादगी से बिहार में छा गया 'गोपालगंज का ये लाल',
वह बहुत ही उदार व सरल ह्रदय के नेता माने जाते हैं।समाज के हर वर्ग की मानवता को भी जगाया हैं।अपने परिश्रम और निस्वार्थ सेवाभाव से गोपालगंज जिले के विकास में अहम योगदान दिया। महिलाओं को शॉल, साड़ी, पुरुषों को कंबल और बच्चों को पढ़ाई का सामान देते हैं. विधायक ने इलाके में नली-गली का काम तो कराया ही है. रोड भी बनवा दी है किसी तरह की समस्या नहीं रह गयी है.
गोपालगंज की कुचायकोट से पांच बार से अमरेंद्र पांडेय जी उर्फ पप्पू पांडेय जी विधायक हैं. वैसे तो अमरेंद्र पांडेय जी को बाहुबली कहा जाता है, लेकिन इलाके में इनका खासा क्रेज है. क्षेत्र के लोग इन्हें काम की वजह से बाहुबली कहे जाने की बात कहते हैं. इनका कहना है कि भले ही कोई आरोप लगें, लेकिन हमारे विधायक जी क्षेत्र में इतना काम करते हैं, जिससे हम लोग इन्हें बाहुबली कहते हैं।
https://youtu.be/cEmzIeoA7tw
गोपालगंज की कुचायकोट से पांच बार से अमरेंद्र पांडेय जी उर्फ पप्पू पांडेय जी विधायक हैं। आजादी के बाद भारतीय राजनीति का एक दौर नेताओं की बुद्धिमता और उनकी सादगी व महानता का ही साक्षी रहा है। ऐसे कई नेता हु...
भारत की जल सीमाओं के सजग प्रहरी, अदम्य साहस और निष्ठा से देश की सेवा में समर्पित सभी भारतीय नौ-सैनिकों एवं देशवासियों को #नौसेना_दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
राजीव कुमार बेगूसराय-खगड़िया के स्थानीय निकाय से विधान परिषद के भावी प्रत्याशी हैं।बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामानंद सिंह के पुत्र सह परबत्ता विधायक डॉ संजीव कुमार के बड़े भाई हैं।
लालू प्रसाद यादव बिहार राज्य के राजनेता व राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष हैं। वे 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें 2004 से 2009 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में रेल मन्त्री का कार्यभार सौंपा गया।
नितीश कुमार समाजवादी राजनीतिज्ञों की श्रेणी से संबंध रखते हैं।इन्होंने राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, वी.पी सिंह जैसे राजनैतिक दिग्गजों की देख-रेख में राजनीति के सभी पक्षों को ध्यान से समझा है। नितीश कुमार ने वर्ष 1974 से 1977 तक चले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई।नितीश कुमार अनुराग सिन्हा के पुत्र और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के करीबी थे।उन्होंने सबसे पहले वर्ष 1985 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बिहार विधानसभा में प्रदार्पण किया।वर्ष 1987 में नितीश कुमार युवा लोक दल के अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद वर्ष 1989 में वह बिहार में जनता दल इकाई के महासचिव और नौवीं लोकसभा के सदस्य बनाए गए। लोकसभा में अपने पहले कार्यकाल के दौरान नितीश कुमार केन्द्रीय राज्य मंत्री बनाए गए।उन्हें भूतल परिवहन और रेलवे मंत्रालय का भार सौंपा गया। लेकिन गैसल में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा से दिया और कृषि मंत्री बने। वर्ष 1991 में नितीश कुमार दोबारा लोकसभा के लिए चुने गए और साथ ही राष्ट्रीय स्तर के महासचिव बनाए गए। उन्होंने लगातार वर्ष 1989 से 2004 तक बाढ़ निवाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीता। वर्ष 2001 से 2004 के बीच एनडीए की सरकार के कार्यकाल के दौरान नितीश कुमार ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर रेल मंत्रालय संभाला। वर्ष 2004 में नितीश कुमार ने नालंदा और बाढ़ दोनों जगहों से चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें नालंदा निर्वाचन क्षेत्र में तो जीत प्राप्त हुई लेकिन वह अपने पारंपरिक क्षेत्र बाढ़ में हार गए।नितीश कुमार तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बनाए गए।पहली बार मार्च 2000 में वह मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए लेकिन बहुमत साबित ना कर पाने के कारण केवल 7 दिनों में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन जब वर्ष 2005 में लालू यादव के पंद्रह वर्ष से चले आ रहे एकाधिकार को समाप्त कर नितीश कुमार ने एनडीए गठबंधन को बिहार विधानसभा चुनाव में जीत दिलवाई तब उन्हें ही प्रदेश का मुख्यमंत्री निर्वाचित किया गया।
हर भारतीय नागरिक के लिए हर साल 26 नवंबर का दिन बेहद खास होता है। दरअसल यही वह दिन है जब देश की संविधान सभा ने मौजूदा संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य में हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं। हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
26 नवंबर, 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। हालांकि इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था।
कब और क्यों लिया गया संविधान दिवस मनाने का फैसला
साल 2015 में संविधान के निर्माता डॉ. आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिवस को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था। संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसके कई हिस्से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिये गये हैं। इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों, सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है। विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का क्या काम है, उनकी देश को चलाने में क्या भूमिका है, इन सभी बातों का जिक्र संविधान में है।
कैसी दिखती है मूल प्रति
- 16 इंच चौड़ी है संविधान की मूल प्रति
- 22 इंच लंबे चर्मपत्र शीटों पर लिखी गई है
- 251 पृष्ठ शामिल थे इस पांडुलिपि में
कितने दिन में हुआ तैयार
पूरा संविधान तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह 18 दिन लगे थे। यह 26 नवंबर, 1949 को पूरा हुआ था। 26 जनवरी, 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ था।
- संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी थी। ये बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई है। इसके हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया था।
साल 2008 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर एक आतंकवादी हमला हुआ था, जिसने भारत समेत पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। आज ही के दिन यानी 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था। एक तरह से करीब साठ घंटे तक मुंबई बंधक बन चुकी थी। इस आतंकी हमले को आज 12 साल हो गए हैं मगर यह भारत के इतिहास का वो काला दिन है जिसे कोई भूल नहीं सकता। हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मुंबई हमले को याद करके आज भी लोगों को दिल दहल उठता है।
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