Yaduvanshi Kshatraiya King of India

यादवों में एकता स्थापित करना

30/09/2023

यादवों का असली ध्वज गरुड़ ध्वज है जिसका रंग केसरिया है नकि पीतांबर। पीतांबर भगवान महाविष्णु और उनके परम् अवतार श्री कृष्ण महाराज और श्रीराम चंद्र के वस्त्रों का रंग है।
व्याकरण के अनुसार भी पीतांबर एक बहुव्रीहि समास है, "पीला है जिसका अंबर(वस्त्र)" यानी पीले रंग का वस्त्र धारण करने वाले भगवान नारायण या श्री कृष्ण।

वैसे तो सभी रंग अच्छे और अनोखे हैं क्योंकि परमात्मा के बनाएं हैं किंतु यादव अपनी मूल पहचान से परिचित हों क्योंकि किसी भी शास्त्रीय ग्रंथ, पुराण इत्यादि में पौराणिक काल के यादवों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ध्वज का रंग पीला न होकर केसरिया ही लिखा मिला है।

केसरिया ध्वज पर अंकित पक्षीराज गरुड़ यानी बाज़ भगवान महाविष्णु और नारायण पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण के वाहन यानी गरुड़ जी का प्रतीक है साथ ही कई स्थानों पर यह मान्यता है कि यह यादवों की अहिर पदवी को इंगित करता है।

प्राचीन देवगिरी साम्राज्य के यादव सम्राट जो विशुद्ध वैदिक उन्मूलन पर राजकाज चलाते थे, अपने राजकीय प्रतीक के रूप में इन्होंने भी श्रीकृष्ण के मूल केसरिया गरुड़ ध्वज को ही स्वीकार किया था।

29/09/2023

देवगिरी वंश कुलदीपक, यदुवंश गौरव, हिंदु मान रक्षक, राजा हनुमंत प्रताप सिंह जूदेव की नवनिर्मित प्रतिमा का गौरव पट्ट।
सभी साझा करें इस दुर्लभ तस्वीर को।
भगवान शंकर की कृपा से दिग दिगांतर तक इनकी कीर्ति अमर रहे।
#सनातन #देवगिरी #यदुकुल #राजा_हनुमंत_प्रताप_सिंह_जूदेव #रायसेन #नईगढ़िया

27/09/2023

भारतवर्ष के समस्त यदुवंशियों के लिए आमंत्रण पत्र।
27सितंबर को देवगिरी साम्राज्य के प्रमुख उत्तराधिकारियों में से एक यदुवंश के महानायक राजा हनुमंत प्रताप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण होने जा रहा। अतः सभी बंधु भारी मात्रा में प्रतिमा स्थल, ज़िला रायसेन मध्य प्रदेश अवश्य पधारें।
कृष्णवंशी यादव जी श्री नारायणी सेना Hansraj Ahir Nirahua Akhilesh Yadav Tej Pratap Yadav Krishna Pal Singh Yadav Harnath Singh Yadav

महंत मनीराम दास अयोध्या

10/09/2023

रांची में आयोजित 14वीं नेशनल ओपन ताइक्वांडो चैंपियनशिप 2023 में 11 वर्षीय शिवानी राय ने सब-जूनियर वर्ग में गोल्ड मेडल जीता।

जय श्री कृष्ण 🙏

Photos from Yaduvanshi  Kshatraiya King of India's post 09/09/2023

गुप्त राजवंश ( पार्ट -1 )

गुप्त राजवंश लगभग 240-550 ईस्वी के बीच प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था। जिसने संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया। इतिहासकारों द्वारा गुप्त काल को भारत का स्वर्ण युग माना जाता है। गुप्त शासकों ने अपनी राजधानी मगध क्षेत्र के पाटलिपुत्र को बनाई थी।

उत्पत्ति :

गुप्त शब्द गोप का ही रूपांतर है-

गोप शब्द अहीरों के लिए प्राचीन समय से प्रयोग होते आया है। (मौजूदा समय में भी बिहार राज्य में 'गोप पदवी' का इस्तेमाल अहीरों द्वारा ही किया जाता है।) जनसाधारण की बोली में यही गोप शब्द गोप्ता में परिवर्तित हो गया। गोप के अन्य परिवर्तित शब्द गोपव, गोपति, गुप्त, गुप्ती, गोपत्री आदि है।

बिहार में, अभी भी कुछ यादव गुप्त को पदवी या उपनाम के रूप में नहीं बल्कि अपने शाखा/गोत्र के रूप में लिखते हैं । गोप, गुप्त, घोष, गोमी आदि जैसे कई पदवी है, जो आभीरों व उनकी संस्कृति से व्युत्पन्न हुए थे।

धार्मिक ग्रंथों में गुप्त वंश की जाति - भागवत पुराण में गुप्त राजवंश को आभीर कहा गया है।

उत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों का मत -

चौधरी बाबू राम ने अपनी पुस्तक में मगध साम्राज्य के गुप्त शासकों को बिहार के 'गोप जाति' का बताया है।

जेएन सिंह यादव ने गुप्त वंश को आभीरों से संबंधित लिखा है, उनके अनुसार गुप्त शब्द गोप का ही रूपांतर है।

नेपाल और दक्कन में हुई खुदाई में मिले शिलालेखों से पता चला है कि गुप्त प्रत्यय आभीर राजाओं के बीच आम था एवं इतिहासकार डी. आर रेग्मी गुप्त राजवंश को आभीरों से जोड़ते है।

इतिहासकार केपी जायसवाल भी गुप्त राजवंश को आभीरों से संबंधित लिखे

गुप्त राजवंश का नेपाल के आभीर-गुप्त वंश से संबंध -

इतिहासकार डी. आर रेग्मी और केपी जायसवाल लिखते है कि 'गुप्त' प्रत्यय नेपाल के आभीर शासकों के बीच आम था। इन्हें नेपाल में अहीर या गोप या गोपाल कहा जाता है, ये सभी शब्द एक दूसरे के लिए अदल-बदल कर इस्तेमाल किया जाता है, अर्थात पर्याय है।

डॉ केपी जैसवाल का विद्वत्तापूर्ण मत है कि नेपाल का 'आभीर - गुप्त वंश' मगध के 'गुप्त राजवंश' का एक शाखा है। इसी विषय में डी. आर. रेग्मी आगे लिखते है कि इतिहासकारों ने गुप्तों के अहीरों के रूप में जाति भेद के द्वारा स्थिति को और स्पष्ट किया है, जो न केवल दो राजवंशों के बीच पहचान का समर्थन करता है बल्कि साम्राज्यवादी गुप्तों की जाति की प्रकृति की भी पुष्टि करता है।

Continued in Comment Section..!!

23/08/2023

यदुवंश राष्ट्र राजनायक ठाकुर मर्दनसिंह जयंती 24 अगस्त के दिन ट्विटर पर हैशटैग
#यादव_वीर_ठाकुर_मर्दनसिंह
को सुबह 10बजे से अधिक से अधिक ट्विट कर एकता का परिचय दें।
#यादव_वीर_ठाकुर_मर्दनसिंह
#सनातन

04/08/2023

सरदार जीवाजी राजे गवली का जन्म महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग ज़िले के एक प्रतिष्ठित यादव (गवली) सरदार श्री बाबाजी राव गवली के यहां हुआ। मालू जी और आप दो भाई थे । अखंड स्वराज के प्रतीक मराठा साम्राज्य के पतन के बाद शिवाजी महाराज के नक्शे कदम पर चलने का प्रयास करने वाली पेशवाई हुकूमत में पिता श्रीबाबा जी राव के बाद आप दोनो भाइयों ने भी बतौर सामंत और सरदार अपनी सेवाएं दे पेशवाई हकूक को मजबूती प्रदान की।

वीरता और कूटनीति में माहिर श्री जीवाजी राजे गवली, पेशवा महराज बालाजी बाजीराव के काफ़ी विश्वास पात्र थे।
आपसी तालमेल के आभाव में जब एक मराठा सरदार तुलाजी आंग्रे ने स्वतंत्र शासन की लालसा में पेशवा महाराज से विद्रोह कर दिया तब 1755 और 1756 में हुए सुवर्णदुर्ग और विजयदुर्ग के निर्णायक युद्धों में बतौर पेशवा सेना का प्रतिनिधि रणकौशल और कूटनीति से आंग्रे को संधि समझौते पर मजबूर कर दिया।
बालाजी बाजीराव पेशवा के द्वारा जीवाजी राजे को भेजे खतनामे की नक्ल पोस्ट के तस्वीर में अटैच की गई है। यह ख़त आज भी पुणे के पेशवा दफ्तर में मौजूद है।
पेशवाई हकूक को मजबूती देने में इन्होंने जो भी योगदान दिए उन घटनाओं का "पेशवाइचे दिव्य तेज" नामक किताब में ज़िक्र है।
1758 में जब लुटेरे अहमद शाह अब्दाली की औलाद तैमूर शाह दुर्रानी को श्रीमंत रघुनाथ जी राव पेशवा के नेतृत्व में मराठा सेना ने लाहौर से मार भगाया था इस युद्ध में भी श्रीमंत जीवाजी का जंगजू लश्कर मौजूद था।

और संभवतः 1761पानीपत के तीसरे युद्ध में भी वतन परस्त जीवाजी राजे का लश्कर आतताई अहमद शाह की सेना से बहादुरी से लड़ा था।
मराठा साम्राज्य और पेशवाई हकूक के प्रति आजीवन वफादार रहे श्री जीवाजी के वंशज बाद में जलगांव जिले में चालीसगांव नामक इलाके में जागीर बसा आबाद हुए।

इस महत्वपूर्ण घटना से रूबरू कराने के लिए हमारी टीम श्री विजय सिंह के प्रति आभार प्रकट करती है।
#यदुवंश #अहीर #यादव #आयर #गवली #गोप

21/12/2022

परम वैष्णव महापुरुष श्री अच्युतानंद दास प्रभु:
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योगियों के देश भारत में यूं तो कई भविष्यवक्ता हुए हैं लेकिन 16वीं सदी की शुरुआत में ओड़िसा राज्य में जन्में अच्युदानंद दास के भविष्यवाणियों की खासी चर्चा होती है।
श्री अच्युतानंद का जन्म 16वी सदी की शुरुआत में उत्कल देश यानी उड़ीसा के कटक जिले के तिलकाना गांव के एक संपन्न गोप(यादव) परिवार में हुआ था।

इनके पिताश्री का नाम श्रीदीनबंधु और माता का नाम श्रीमती पद्मावती देवी था।
अध्यात्म, ईश्वर के प्रति गहरी आस्था ये सब इन्हे विरासत में मिला।
इनके दादाश्री गोपीनाथ मोहंती श्री जगन्नाथ पुरी धाम मंदिर में मुंशी थे।

मान्यता के अनुसार इनका जन्म भगवान जगन्नाथ महाप्रभु के आशीर्वाद से हुआ। गर्भ धारण के दौरान इनकी माता को भगवान विष्णु ने स्वप्न में दर्शन देते हुए उनकी सवारी यानी गरुड़ के अंश से उत्पन्न बालक होने का संकेत दिया था।

श्री विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण और राधा के कलयुग में अंशावतार श्री चैतन्य महाप्रभु के साथ गरुड़ जी अच्युतानंद के नाम से जन्म लेते हैं और पंचसखा के नाम से प्रसिद्ध होते हैं।
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ओड़ीसा में वैश्णवों में प्रसिद्ध पांच संत हुए हैं जो महाभागवत श्री चैतन्य महाप्रभु के परम मित्र/सखा, साथी और शिष्य हुए।
इन्हीं पांचों को ओड़ीसा में पंचसखा कहा जाता है जिनके नाम :
(अच्युतानंद दास, अनंत दास, जसवंत दास, जगन्नाथ दास और बलराम दास) जिन्होंने ओडिशा के लोगों के लिए प्राचीन हिंदू संस्कृत ग्रंथों आयुर्वेद, योग, तंत्र, अनुष्ठान, कथा आदि को उड़िया भाषा में ट्रांसलेट किया था।

उपनयन संस्कार के बाद महाभागवत श्री अच्युतानंद दास जब थोड़े से बड़े हुए तो अपने गुरु श्री चैतन्य महाप्रभु की तलाश में बंगाल आए और वहीं पर उनसे दीक्षा ली।

योग विद्या, तंत्र विज्ञान इत्यादि में प्रवीण होकर श्री चैतन्य महाप्रभु के श्रीकृष्ण भक्ति वेदांत और सनातन संस्कृति का प्रचार किया।

महापुरुष अच्युतानंद दास के यूं तो सभी जाति तबके के लोग शिष्य थे लेकिन उन्हें विशेषतः उड़िया गोपाल गुरु यानी उड़ीसा के यादव कुल के लोगों का गुरु कहा जाता है।

इनके द्वारा दीक्षित 12 प्रमुख शिष्यों ने इनकी शिक्षा का प्रचार प्रसार किया।

योग बल और साधना से महान दार्शनिक, योगिराज श्री अच्युतानंद ने ज्योतिष इत्यादि पर हजारों हजार साहित्य रचनाएं की।
कहा जाता है कि उनकी अब तक की सभी भविष्यवाणियां सच हुई हैं।

पश्चिम के विद्वानों ने इन्हे भारत का नास्त्रेदमस की संज्ञा दी।

हालांकि ये संज्ञा बेतुकी है क्योंकि भविष्य ज्ञान, ज्योतिष इत्यादि भारत के प्राचीन विषय हैं।
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भविष्य मालिका ( Bhavishya malika Book) : संत अच्युतानंददास जी ने कई विषयों पर किताबें लिखी है। लोगों का मानना है कि उन्होंने अपनी सभी पुस्तकें अपनी योग शक्ति से लिखी है। कहा जाता है कि उड़ीसा में एक लाख मालिका की पुस्तकें हैं जिनके अलग अलग विषय और नाम हैं। लेकिन इस समय कुछ सैंकड़ों पुस्तकों की ही जानकारी लोगों को है। हालांकि यह सभी पुस्तकें जगन्नाथ पुरी के महंतों के अधिकार में है। कहा जा रहा है कि वे इन पुस्तकों को हर किसी को नहीं दिखाते हैं।


पूर्वजन्म : संत के बारे में कहा जाता है कि उनकी पुस्तक में उनके अनेक जन्मों का विवरण भी है। सतयुग में वे एक महर्षि थे। त्रेता में नल नामक वानर बनकर उन्होंने श्रीराम की सेवा की और द्वापर में सुदामा बनकर उन्होंने श्रीकृष्ण की भक्ति की। वहीं कलयुग में अच्युदानंद दास बनकर श्रीकृष्ण भक्ति के प्रचार में सहयोग किया।
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भविष्यवाणियों के मुख्य बिंदू ( bhavishya malika predictions) : उनकी भविष्यवाणियों में कलयुग में अकाल, युद्ध, विस्फोट, भूचाल, महामारी के साथ ही देशों के भविष्य को लेकर भी भविष्यवाणियां हैं।
> उन्होंने भारत, अमेरिका और रूस को लेकर भी भविष्यवाणी की है। उन्होंने ऐसे संकेत दिए हैं जिससे यह पता चल सके की यह भविष्यवाणियां कब घटित होने वाली है।
>उन्होंने जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी भविष्वाणियों के आधार पर ही विश्व की घटनाओं का उल्लेख किया है। उन्होंने कलयुग के अंत और इस काल में घटने वाली घटनाओं का भी जिक्र किया है। > उन्होंने अपनी पुस्तक में यह भी बताया है कि महाभारत काल के योद्धा कलयुग में किस नाम से जन्म लेकर क्या कार्य करेंगे।
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श्री अच्युतानंद दास की प्रमुख रचनाएं:
उड़िया भाषा में अनुवादित इनकी शून्य संहिता सबसे प्रसिद्ध रचना है।

महापुरुष अच्युतानन्द ने ३६ संहिता, ७८ गीता, २७ हरिबंशादि चरित, १२ उपबंश चरित, १०० पुराण या माळिका की रचना की। इनके अतिरिक्त उन्होने अनेक भजन चौपदी भी लिखे हैं उड़िया भाषा में।
>>प्रमुख पुराण:
हरिबंश, माळिका, आगत-भविष्य माळिका,जाईफुल माळिका, दशपटळ माळिका, कळियुग माळिका.....

>>गीता : गुरुभक्ति गीता, ब्रह्म एकाक्षर गीता, शून्य गीता, कैवर्त्त गीता, कळियुग गीता, गरुड़ गीता, उपदेशचक्र गीता, मणिबन्ध गीता, आदिब्रह्म गीता, आदिलिळा गीता.....

>>संहिता : शून्य संहिता, अणाकार संहिता, बट संहिता, अमरजुमर संहिता, छाया संहिता, अबाड़ संहिता, ज्योति संहिता, अनाहत संहिता, बीज संहिता, ब्रह्म संहिता....

>>टीका : बर्ण टीका, कळ्प टीका, चन्द्रकळ्प टीका, पद्मकळ्प टीका....
इत्यादि।
By :
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29/11/2022

उत्तर प्रदेश का नया केसरी। आजमगढ़ निवासी पहलवान अर्जुन सिंह यादव बने उत्तर प्रदेश केसरी।
गौरतलब है कि जबसे केसरी पुरस्कार आरंभ हुए तबसे उत्तर प्रदेश राज्य केसरी के सभी खिताब अमूमन यादव पहलवानों ने हो जीते।

https://YadukulParichay.oia.bio/YouTube
शुभकामनाएं भूमिपुत्र को।
जय भवानी।

25/11/2022

बिहार रेसलिंग एसोसिएशन द्वारा आयोजित सीनियर बिहार स्टेट कुश्ती चैंपियनशिप-2022 में कटिहार के पहलवान करण यादव ने 'बिहार केसरी', कटिहार के ही प्रिंस यादव ने 'बिहार कुमार' एवं कैमूर के कर्मवीर यादव ने 'बिहार किशोर' का खिताब अपने नाम किया।

सभी पहलवानों को बहुत-बहुत बधाई।
जय श्री कृष्ण 🙏

ब्रज के फाटक यादवों का इतिहास(भाग 2) 20/11/2022

https://PhatakYadav.openinapp.co/itihas

ब्रज के फाटक यादवों का इतिहास(भाग 2) शेरशाह सूरी की भूमि प्रबंधन नीति के बारे में हम सभी ने पढ़ा लेकिन उसे यह नीति

07/11/2022

पूरी दुनिया सूर्या का खेल देख रही है...

सूर्या जैसा कोई दुनिया मे आज तक कोई बैट्समैन हुआ हि नहीं...

वाकई नंबर 1

बैट्समैन कि पारी याद रखी जाती है, इनकी एक एक गेंद कि हिटिंग अपने आप मे क्रिकेट का एक अध्याय है...

फाटक गोत्र के यदुवंशियों का इतिहास।(भाग 1) 05/11/2022

https://FatakYadav.oia.bio/itihas

फाटक गोत्र के यदुवंशियों का इतिहास।(भाग 1) आज की पेशकश आधारित है ब्रज में पाए जाने वाले यदुवंश के एक प्रतापी गोत्र फाटक

26/10/2022

घमंड तोड़ इंद्र का, प्रकृति का महत्व समझाया
तर्जनी उंगली पर श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया

गोवर्धन पूजा के इस पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार को ढेरों शुभकामनाएं।

Photos from Yaduvanshi  Kshatraiya King of India's post 10/10/2022

भारत देश में आज का सबसे बुरा दिन विनम्र श्रद्धांजलि नमन 😭🙏
देश की सबसे बड़ी शख्सियत मुलायम सिंह यादव हमारे बीच नहीं रहे
जन्म 22 नवंबर 1939
मृत्यु 10 अक्टूबर 2022
रक्षा मंत्री (1996-1998)
तीन बार मुख्यमंत्री रहे (1989-1991)(1993-1995)(2003-2007)
आठ बार के विधानसभा सदस्य ( 1967,1974,1977,1985,1989,1991,1993,1996)
सात बार लोकसभा सदस्य रहे (1996,1998,1999,2004,2009,2014,2019)

Photos from Yaduvanshi  Kshatraiya King of India's post 05/10/2022

दुनिया की सबसे भव्य शाही विजयदशमी मैसूर यादव राजवंश द्वारा आयोजित होता है। पेश है इस वर्ष की कुछ झलकियां।
जय यदुवंश

यदुकुल की शस्त्र पूजन परंपरा। विजयदशमी 05/10/2022

यदुवंशीयो की शस्त्र पूजन
जय यादव

यदुकुल की शस्त्र पूजन परंपरा। विजयदशमी

जलीलपुर घराने में शस्त्र पूजन की पुरानी झलकियां। 29/09/2022

यादव वंश का एक नन्हा कुंवर शस्त्र पूजन करते हुए, जरूर देखें। जय यदुवंशी क्षत्रिय।

जलीलपुर घराने में शस्त्र पूजन की पुरानी झलकियां।

यदुकुल का चंद्र ध्वज और अन्य वैदिक जानकारी। 18/09/2022

यदुकुल बैदिक जानकारी

यदुकुल का चंद्र ध्वज और अन्य वैदिक जानकारी। आज के विडियो में हम आपको हमारे पुश्तैनी निवास पर खासतौर से हमारे द्वारा निर्मित यदुकुल के प्राचीन परचम यानी चंद्र ...

28/08/2022

+++ जब हाजी पीर पर, चढ़ गये वीर अहीर +++
आज के ही दिन 28 अगस्त 1965 को हाजी पीर के रण-खेतों में वीर अहीरों का जंगी नारा " दादा किशन की जय" गूँजा और दिन-दहाड़े हाजी पीर पर चढ़ गये थे छोरे अहीरों के i अजेय हाजी पीर पर वीर अहीर , अपने सरदार सूबेदार राव अर्जुन सिंह जी और सूबेदार राव श्रीचंद सिंह जी की ललकार पर पाकिस्तानी फौज के पठानों पर चढ़ गये थे और सुबह 10 बजे खून से लथपथ यदुवंशियों ने हाजी पीर की पर तिरंगा फ़हरा दिया था i रण-बँके अहीरों ने शहादत दी ,राव उमराव सिंह जी सुरजनवास "वीर चक्र" जैसे मर्दों ने 1965 की जंग के सबसे अहम मोर्चे को अपने खून से रंग दिया i जब सिक्खों,डोगरों,जाटों से हाजी पीर का मोर्चा न टूटा, तो मेजर रंजीत सिंह दयाल ने अपने अहीरों को ललकारा , उस भीषण चढाई पर ,कीचड़ में सने भीगे हुए अहीर दिन-दहाड़े हाजी पीर पर पाकिस्तानी पठानों पर चढ़ गये , गुत्थम-गुत्था की आमने-सामने की लड़ाई में पठान भाग खड़े हुए i फिर वो अपने बाकी पलटनों को बुला लाये और हाजी-पीर को हिन्दुस्तान से वापिस लेने के लिए हमले-पर हमले करते रहे ,लेकिन अहीर डटे रहे i मुट्ठी भर अहीर उस मोर्चे पर खून से लथपथ घायल अवस्था में हर पाकिस्तानी हमले को तोड़ते रहे और दुश्मन को तबाह कर दिया i 1947 के बाद उड़ी-पुंछ मार्ग फिर से खुल गया था i इस विजय ने हिंदुस्तान की फतेह के रास्ते खोल दिए i आज हर जगह पर हाजी पीर फतेह का फोटो है , लेकिन देखिये दुर्भाग्य , मेरी मर्द कौम का कहीं जिक्र नहीं है i जब तक पृथक अहीर रेजिमेंट न होगी , तब तक अहीर-शौर्य को इतिहास के पन्नों में उचित स्थान नहीं मिलेगा i आज हाज़ी पीर शौर्य-दिवस पर सूबेदार राव अर्जुन सिंह जी "गढ़ी बोलनी" और उसके मर्द अहीरों को शत-शत नमन i

II वीर भोग्या वसुंधरा II

II राष्ट्र-सेवा हमारा जन्मसिद्ध धर्म है -- अहीर रेजिमेंट राष्ट्र-रक्षा हेतु बलिदान के लिए II

(फोटो में हाजी पीर पर वीर अहीर तिरंगा लहराते हुए )

जय श्री कृष्णा ✊
जय यदुवंशम ✊

23/08/2022

उप्र के जिला संभल की यदुवंशी क्षत्रानी मनीषा सिंह Facebook की नई जनरल मैनेजर बनी हैं।

19/08/2022

यदुवंश शिरोमणि कुल भुषण भगवान् परब्रम्ह वासुदेव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाये।

जय श्री कृष्ण 🙏
जय यदुवंश⚔️

18/08/2022

स्व.कोमल यादव पहलवान (पक्की बाग अखाडा, गोरखपुर)....🙏🙏

गोरखपुर के कोमल पहलवान ने भारत भीम जनार्दन सिंह यादव पहलवान,शिव मूरत पहलवान,उत्तर प्रदेश केसरी रामचंद्र यादव ,बजरंगी दास जैसे नामी पहलवानो से कुश्ती लड़कर अपने आप को साबित किया।

आल ईन्डिया रेलवे चैम्पीयनशिप मे कई बार गोल्ड..1972-75।

अपने दौर में इनके रोचक मुकाबलों में से एक था दिल्ली के एक जाट पहलवान मुरारी लाल के विरुद्ध जो उन दिनों दिल्ली केसरी और भारत कुमार जीत चुका था।

मुरारी लाल को उन दिनों उत्तर प्रांत में कोई भी पहलवान हराना तो दूर की बात उसके खिलाफ 7_8 मिनट से ज्यादा टिक नहीं पाते थे और इसी बात पर उसे अपनी पहलवानी पर गुरुर आ गया था।

इसी एवज में उसका सामना गोरखपुर के नामचीन पहलवान कोमल यादव से हुआ।

इस दंगल में पहलवान कोमल यादव ने मुरारी लाल का गुरुर तोड़ते हुए हवा टाइट कर दी थी।
इस मैच के बाद से मुरारी लाल पक्का भक्त हो गया था कोमल पहलवान का।

कोमल पहलवान ने नेशनल रेशलिन्ग चैम्पीयनशिप मे भी पदक हासिल किया था(74किलो भार वर्ग ) ......🙏

15/08/2022

शाहबाद(डोमराव)

सन् 1942 के 16 अगस्त को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दरम्यान डुमरांव में गोली कांड की घटना घटित हुई थी। एक ही स्थान पर ब्रिटिश हुकूमत के जुल्मी दारोगा देवनाथ सिंह के आदेश पर गोली काण्ड को अंजाम दिया गाय।
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भारत छोड़ो आंदोलन में डोमराव के बीरो ने बढ़ चढ़कर हिसा लिया क्रांतिकारी कपिलमुनी की सहादत के बाद क्रांतिकारी बेकाबु हो चुके थे जगह जगह प्रदर्शन होने प्रदर्शन धीरे धीरे हिसंक होते गया पुलिश थाने फूक दिये गये, रेल पटरियां उखाड़ फेंकी गईं इस हिंसक झड़प के कई गोरे सैनिकि मारे गये औऱ गोली कांड में कई क्रांतिकारी भी सहीद हुऐ।
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नावानगर अंचल क्षेत्र के आथर निवासी शिवपूजन नट, रामेश्वर पांडेय, शिवपूजन राम, चंगन अहीर, तपेश्वर पांडेय, विश्वनाथ अहीर एवं दुलार लोहार सन् 42 के 19 अगस्त को आथर में ब्रिटिश पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ के दरम्यान भारत माता की बलिवेदी पर चढ़ गए।

डुमरांव अंचल क्षेत्र के नावाडेरा गांव के साधुशरण अहीर ,रामाधार अहीर,सन् 42 के 20 अगस्त को ब्रिटिश काल के कमांडेंट मिस्टर इलियट के नेतृत्व में हुए फायरिंग के दरम्यान देश की आजादी के लिए बलिदान हो गए।
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इसलिए बक्सर डुमरांव में जश्न-ए-आजादी 16 अगस्त को भी मनायी जाती है।

जय यादव जय माधव

13/08/2022

मल्ल केसरी श्री मनोहर पहलवान..
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भगवान शंकर की नगरी काशी को मल्लयुद्ध की कला के लिए पहचाना जाता है।

बनारसी यादव पहलवानों को : ढाक, सखी, काला जंग और मुल्तानी दाव के लिए जाना जाता है।

विशेषकर मुल्तानी दांव के लिए ख्यात बनारसी पहलवानों में : श्री मनोहर पहलवान, सुमेर पहलवान, बाबुल पहलवान को महारथ हासिल थी इसमें।

आज हम काशी के नामचीन "गुरू गया सेठ व्यायामशाला" के कुश्ती गुरु प्रशिक्षक, अहर्निश सेवा व्रती श्री मनोहर पहलवान जी की स्मृतियों पर रोशनी डालते हैं।

मनोहर पहलवान जी का मल्ल्युद्ध/पहलवानी से जन्मजात रिश्ता है।

वाराणसी जनपद के उगापुर चंद्रावती गांव के कृषक स्व श्री बाबूनन्दन सिंह यादव के कनिष्ठ पुत्र मनोहर को पहलवानी का हुनर विरासत में प्राप्त हुआ यादव होने के नाते।

कुश्ती के पितामह या जनक ही एक तरह से यादव हैं जिन्होंने इसे युद्ध कला के रूप में विकसित किया था महाभारत काल मे।

आपके दो बड़े भाई स्व श्री बाबू बनारसी यादव और स्व मन्नू पहलवान भी कुश्ती के बड़े पहलवान थे।

जबकि सबसे बड़े भाई स्व बाबू काशीनाथ यादव वीररस लोकगीत बिरहा के प्रतिष्ठित गायक/लेखक थे।

बिरहा/वीरहा सुनने और गाने की परम्परा असल में पुराने समय के यादवों में शौक था।
इसमें यादव कौम के जांबाज़ लड़ाका क्षत्रिय पूर्वजों के शौर्य का बखान किया जाता था।

एक जमाने में बिरहा गायकी समूह में बिरहा सम्राट श्री काशी-बुल्लू यादव की जोड़ी काफी प्रसिद्ध थी।

खैर..!! यहाँ हम मनोहर पहलवान की चर्चा कर रहे हैं। सो बता दें कि वर्ष 1973 से लगायत 1987 तक मनोहर पहलवान ने कुश्ती कला के क्षेत्र में बनारस का नाम रोशन किया।

कई बार जूनियर, सीनियर वर्ग में आल इंडिया स्कूल गेम्स, नेशनल चैम्पियनशिप, रेलवे चैम्पियनशिप का प्रथम, द्वितीय खिताब जीतने वाले श्री मनोहर ने 1978 में बनारस केसरी, 1981 में उत्तर प्रदेश केसरी और 1987 में मुम्बई महापौर केसरी का भी खिताब जीता।

1982-83 में मनोहर पहलवान ने विश्व रेलवे कुश्ती तथा पेरिस में आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेकर भारत का गौरव बढ़ाया!

1978 में मनोहर यादव को पूर्वी रेलवे का कोच नियुक्त किया गया। तब से लगातार 2005 तक इनके कुशल निर्देशन में पूर्व रेलवे के अगणित पहलवानों ने अनेको राश्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय स्तर के खिताब जीते।

1995 में आपके ही नेतृत्व में पूर्व रेलवे ने आल इंडिया रेलवे चैम्पियनशिप पर कब्जा जमाया।

वर्ष 1978 से ही शहरी क्षेत्र में जी टी रोड कज्जाकपुरा के पास स्थित गुरू गया सेठ अखाड़े को पुनर्जीवन प्रदान करने वाले मनोहर जी ने 2014 में रेलवे से सेवानिवृत्त होने के पश्चात अपना सम्पूर्ण जीवन कुश्ती कला के विकास हेतु समर्पित कर दिया है।

यह मनोहर पहलवान की ही देन है कि आज के परिवेश में भले ही बनारस शहर के तमाम अखाड़े बन्द हो चुके हैं लेकिन गुरु गया सेठ अखाड़ा पहलवानो से गुलजार रहता है।

इस अखाड़े में 100 पहलवानो की मौजूदगी हमेशा बनी रहती है। यह मनोहर पहलवान के तपस्चर्या का प्रतिफल है।

मनोहर पहलवान के निर्देशन में कुश्ती कला का प्रशिक्षण ले रहे सैकड़ों पहलवानो ने राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खिताब हासिल किया। जिसमे श्री जमना यादव पहलवान ने विश्व कैडेट कुश्ती में कांस्य पदक, सुनिल यादव ने विश्व जूनियर कुश्ती में रजत पदक, एवं कई और पहलवानों ने अंतर राष्ट्रीय स्तर पर अपना जलवा दिखाया है।

वर्ष 2019 में मनोहर पहलवान के शागिर्द गोविंद यादव ने जूनियर एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप थाईलैण्ड में तृतीय स्थान प्राप्त कर देश का मान बढ़ाया।

कुश्ती कला के मर्मज्ञ गोवर्धन दास महरोत्रा ने मनोहर पहलवान को पूर्वांचल के गुरु हनुमान की संज्ञा दी।

तो प्रख्यात प्रशिक्षक बनारसी पाण्डेय ने मनोहर पहलवान के गुरु गया सेठ अखाड़े को पहलवानी की नर्सरी कहा है, तो वहीं प्रसिद्ध कवि एवं कुश्ती कमेंटेटर लाल जी उर्फ झगड़ू भईया ने मनोहर पहलवान को "पहलवानों का मसीहा" के नाम से उद्घोष किया।

मनोहर पहलवान ने अपना जीवन कुश्ती को समर्पित कर दिया...

मनोहर पहलवान उत्तर प्रदेश के कुश्ती टीम के मुख्य कोच भी रहे हैं।

परन्तु दुखद यह है कि इस तरह की तमाम उपलब्धियों के बावजूद मल्ल्योधाओ की धरती पूर्वांचल और बनारसी कुश्ती पहलवानी के इस पर्याय पहचान को हर शासनकाल में उपेक्षा ही मिली है।

अब तक प्रदेश और भारत सरकार की ओर से कुश्ती के इस आधुनिक द्रोणाचार्य को किसी तरह का सम्मान हांसिल नही हुआ है कारण है इनका भारत के पारंपरिक कुश्ती जैसे कला से जुड़ाव जिसमे क्रिकेट, बॉक्सिंग जैसी तड़क भड़क नही है नतीजन सरकार की यह नीति काशी की उपेक्षा को ही दर्शाती है।

बहरहाल आज स्वयं देश के प्रधानमंत्री काशी के सांसद हैं, तो हमारा निवेदन है कि काशी के गुरु हनुमान मनोहर पहलवान को पदम पुरस्कार से नवाजा जाए।

इससे समूचे कुश्ती जगत का मान बढ़ेगा।

आज विश्व पटल पर खेलों के महासमर में 135 करोड़ की जनसंख्या वाला देश भारत फिसड्डी साबित हुआ क्योंकि यहां के पारंपरिक खेलों: कुश्ती, तलवारबाजी, घुड़सवारी, तीरंदाज़ी, भाला फेंक जिसके जनक ही हम भारतीय थे, इन खेलों को बढ़ावा ना देना है।

11/08/2022

उत्तरप्रदेश केसरी भोरिक यादव
कौड़ी राम निवासी (गोरखपुर )भोरिक यादव ,को उत्तरप्रदेश केसरी ,राष्ट्रीय चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त है। 1983 में भोरिक पहलवान ने कर्ण कुमार खिताब जीता था।

Photos from Yaduvanshi  Kshatraiya King of India's post 07/08/2022

आप हैं कुश्ती के मंझे हुए पहलवान श्रीमान जयनारायण सिंह यदुवंशी। इन्होंने छत्तीसगढ केसरी, छत्तीसगढ़ भीम, सहित दर्जनों बड़े खिताब जीते कुश्ती के दंगल में अभी वर्तमान में छत्तीसगढ़ पुलिस में कार्यरत होने के नाते लंबे अरसे से छत्तीसगढ़ में ही रहते हैं साथ ही कोच भी हैं, ड्यूटी से समय मिलने के बाद अखाड़े में ज़ोर अजमाइश करते हैं और युवाओं को ट्रेनिंग भी देते हैं।

बनारस के यादवों की संस्कृति (भाग 2) 06/08/2022

https://youtu.be/-0lOwg-MgiA

बनारस के यादवों की संस्कृति (भाग 2) यह वीडियो बनारस के यादवों की सीरीज का 2 भाग है। इसमें बनारस की संस्कृति निर्माण में यादवों की भूमिका इत्यादि पर रौश....

05/08/2022

गोरखपुर के तीनो यादव पहलवानों को बधाई 💐🇮🇳

1.भगत सिंह यादव को गोरखपुर केसरी बनने पर बधाई 🔥
2.अनिल यादव गोरखपुर कुमार पुरस्कार 🔥
3.जनार्दन यादव को गोरखपुर वीर अभिमन्यु पुरस्कार 🔥
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"यादव है भाई" ....⚔️🇮🇳
पहलवानी और देशभक्ति ख़ून में है💪🏼🚩

जय यदुवंश 💪🏼🚩

03/08/2022

उत्तर प्रदेश केसरी, पूर्वांचल केसरी तथा नेशनल फेडरेशन कप में गोल्ड मेडल विजेता लालजी यादव पहलवान --

उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी के गांव नारायण पुर थाना चौबेपुर में श्री राम जन्म यादव एवं श्रीमती विमला देवी परिवार में लालाजी यादव का जन्म दिनांक 1988 में हुआ।

14/15 साल की अल्प आयु में बलदेव नगर नारायण पुर थाना चौबेपुर में श्री सोम्मन, शोभनाथ पहलवान उस्ताद के अखाड़े से पहलवानी की शुरुआत की।

लालजी बाल अवस्था में अखाड़े की मिट्टी में लोटने लगे और पढ़ाई भी करते रहे, यहां गांव के अखाड़े में पहलवानी की शुरुआत की और कुश्ती के गुर सोमनाथ पहलवान जी ने सिखाए।

लालजी यादव पहलवान अपने गांव में शोभनाथ उस्ताद से कुश्ती 4/5 साल तक सिखते रहे और कुश्तियां लड़ते रहे फिर दिल्ली के गुरू हनुमान अखाड़ा में कुश्ती के ज़ोहर सिखने चले गए।

2010 के लगभग दिल्ली के गुरू हनुमान अखाड़ा में कुश्ती कोच श्री महासिंह राव जी ने लालजी यादव पहलवान को कुश्ती के गुर सिखाए।

दिल्ली गुरु हनुमान अखाड़ा में 3/4 साल रहें और यहां से फिर नेशनल चैंपियनशिप और दंगली कुश्तियां लड़ी।

आगरा में टारायल दिया, रेलवे की भर्ती के लिए ट्रायल के दौरान दो दिल्ली के तथा एक पंजाब के पहलवान को हराकर 2012 में आगरा में टी,टी,आइ, रेलवे में नोकरी ज्वाइन की।

6 साल तक आगरा में रेलवे में कार्यरत रहे, फिर अभी मुगलसराय स्टेशन पर बदली हुई और अब वर्तमान में मुगल सराय स्टेशन पर सेवा दें रहें हैं।
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लालजी यादव पहलवान का कुश्ती सफ़र :-

1. 2008 में उत्तरप्रदेश स्टेट, रेसलिंग चैंपियनशिप में प्रथम
2. 2008 में नेशनल चैंपियनशिप रोहतक में कांस्य पदक
3. 2011/12 में आल इंडिया रेलवे कुश्ती में कांस्य पदक
4. 2011 में आल इंडिया रेसलिंग चैंपियनशिप प्रथम
5. 2010 में पुवाॅचंल केसरी खिताब मुकाबले में भाग लिया और धर्मेन्द्र राय पहलवान रेलवे डी,एल,डब्ल्यू को हराकर पूर्वांचल केसरी खिताब अपने नाम किया।
6. 2014/15 में रेलवे स्पोटस प्रमोशन बोर्ड में कांस्य पदक जीता
7. 2014 में नेशनल फेडरेशन कप में भाग लिया और गोल्ड मेडल जीता।
8. 2016 में यूपी केसरी खिताब मुकाबले मे मथुरा के फरह में हनुमान पहलवान, जयसिंह पहलवान, बिरेंदर पहलवान को के दंगल में हराकर यूपी केसरी का खिताब अपने नाम किया।
9. 2015 आल इंडिया युनिवर्सिटी चेम्पियन शिप - रोहतक में कांस्य पदक जीता।
10. गुलबर्गा, कर्नाटक में कांस्य पदक जीता
11. पुरी (उड़ीसा) में जुनियर नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

वर्ष 2015 में उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले में सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में पाकिस्तान के 7 पहलवान ने भाग लिया था, उसमें दुसरे नम्बर की कुश्ती लालजी यादव पहलवान की पाक के पहलवान से हुई थी तब लालजी पहलवान ने पाक के पहलवान को परास्त कर दर्शकों का दिल जीत लिया था।
============××××

© - पवन कु. राय
जय श्री कृष्ण ।। 🙏

03/08/2022

प्रद्योत राजवंश
अवंति महाजनपद के अभीर :

प्रद्योत वंश भारत का एक प्राचीन राजवंश था, जिसने उज्जैन को राजधानी बना अवंति महाजनपद पर शासन किया था जो भारूकच्छ से कौशाम्बी तक के क्षेत्र में फैला हुआ था। कुछ पुराणों के अनुसार इस वंश के 5 शासकों ने 138 वर्षों तक शासन किया था।

प्रद्योत राजाओं ने इस वंश को प्रद्योत नाम प्रद्योत महासेन से मिली है जो इस राजवंश के पहले शासक थे।

उत्पत्ति :
प्रद्योत वंश को लेकर इतिहासकारों का एक ही मत है, वो ये मानते है कि प्रद्योत वंश के शासक अभीर जाति से थे।

● इतिहासकार डी. आर भंडारकर ने भी अपने पुस्तक इंडियन कल्चर में इस बात की पुष्टि की है।
● इसकी पुष्टि शूद्रक ने मृच्छकटिकम् में भी किया है।

इतिहास :
शुरुआती इतिहास की बात करें तो इस वंश का पहले शासक प्रद्योत महासेन थे, जो पुलिका के पुत्र थे। पुलिका ने ही अवंति के राजा को मारकर अपने पुत्र को उज्जैन के सिंहासन पर बिठाया था।

उस काल में प्रद्योत महासेन को उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली शासक में से एक माना जाता था। मगध के राजा बिम्बिसार इनके समकालीन थे, जिनके साथ प्रद्योत का अच्छा संबंध था हालांकि अजातशत्रु के राजा बनते ही मगध व अवंति के बीच का संघर्ष शुरू हुआ जो मगध के हर्यंका वंश के खत्म होने के बाद भी शिसुनाग वंश के साथ चला।

प्रद्योत महासेन ने वज्जिका राज्य की राजकुमारी शिवा से विवाह किया था जो राजा चेटक की पुत्री थी। प्रद्योत ने 23 वर्षों तक शासन किया, इनके दो पुत्र थे गोपाल एवं पालक।

प्रद्योत के बाद उनके पुत्र छोटे पुत्र पालक राजा बने, जो अपने पिता की तरह ही एक शक्तिशाली शासक थे, इन्होंने अपने शासनकाल में कौशाम्बी के राजा उदयिन को मारकर उसके राज्य को अवंति साम्राज्य में मिला लिया था। जिसके बाद अवंति की सीमा मगध राज्य तक पहुँच चुकी थी। इन्होंने कुल 25 वर्षों तक शासन किया।

पालक के बाद 2 अन्य राजाओं का वर्णन है जो उनके बाद राज्य को संभाला। पहला उनका पुत्र विशाखायुपा था जो महिष्मती के कुछ बाहरी हिस्सों पर शासन किया और दूसरा गोपाल के पुत्र आर्यक थे जिन्होंने पालक के मृत्यु के तुरंत बाद अवंती साम्राज्य के सिंहासन पर विद्रोह के बाद कब्जा कर लिया था।

विशाखायूप और आर्यक समकालीन थे। संभवतः उस दौरान अवंति दो भागों में बंटा हुआ था और सबसे बड़े हिस्से पर गोपाल पुत्र आर्यक का शासन था।

अगले राजा नंदिवर्धन हुए, जो इस वंश के आखिरी शासक थे। मगध राजा शिशुनाग के हाथों इनकी हार हुई और इस तरह से अवंति व मगध के बीच 100 वर्षों से भी अधिक समय से चलती आ रही संघर्ष प्रद्योत राजवंश के हार के साथ खत्म हुई।

राजाओं की सूची :
1. प्रद्योत महासेन
2. पालक
3. विशाखायुपा
4. आर्यक
5. नंदिवर्धन

=================++++

प्रद्योत वंश के मुख्य राजाओं पर भविष्य में अलग से विस्तृत पोस्ट डाला जाएगा।

Post by -

Sources :
1. Malwa Through Ages
2. The Journal of Bihar Research society
3. Indian Culture : Journal of Indian Research Institute, Volume 1, Issue 2
4. Mrcchakatika, the little clay cart: A drama in ten acts attributed to King Sudrak, Volume 23

29/07/2022

जमुई, बिहार की सीमा कुमारी यादव ने नीदरलैंड में आयोजित वर्ल्ड पुलिस शूटिंग चैंपियनशिप में कुल 4 मेडल (2 सिल्वर व 2 ब्रोंज मेडल) जीता है।

वर्ल्ड पुलिस शूटिंग चैंपियनशिप में 50 मीटर राइफल शूटिंग प्रोन इवेंट में डबल मेंडल एक सिल्वर और एवं एक कांस्य और 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन इवेंट में डबल मेंडल एक सिल्वर एवम एक कांस्य लेकर जमुई बिहार ही नहीं पूरे देश का नाम रौशन किया है।

बहन सीमा जी का जन्म स्थान बरहट प्रखंड के पंचायत डाढ़ा ग्राम सुडियाबदार है तथा वह स्व० सिताराम यादव जी की सुपुत्री व लालपुर (खैरा) निवासी हरिओम यादव जी के धर्मपत्नी हैं।

सीमा कुमारी यादव जी को बधाई।
जय श्री कृष्ण ।। 🙏

#अहीर_रेजिमेंट_हक़_है_हमारा ❤

27/07/2022

अमर सहीद विद्यानंद यादव

भोजपुर जिला के संदेश थाना अंतर्गत पनपुरा गांव के रहने वाले थे विद्यानंद यादव। अभि शहीद का परिवार हजारीबाग में रह रहा है.

थार-जुबैर के पहाड़ियों पर बिहार रेजिमेंट के प्रथम बटालियन को जिम्मेवारी मिली थी कि नियंत्रण करे। इसी बटालियन में विद्यानंद सिंह भी थे। शुरुआत के दिनों में लगा कि घुसपैठिये हैं पर बाद में सेना को इस तरह के सबूत मिले कि ये पाकिस्तानी सैनिक है जो घुसपैठियों के नाम पर भारत के अमन चैन को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।विद्यानंद यादव ने युद्ध मे अदम्य साहस का परिचय दिया कई पाकिस्तानी सैनिको को मौत के घाट उतारा

कारगिल चौक पटना में कारगिल युद्ध स्मारक पर सबका नाम अंकित है। पांचवें नम्बर पर विद्यानंद सिंह का नाम अंकित है। विद्या भवन में भी शहीद विद्यानंद के बारे में शिलापट पर अंकित है। युद्ध के इतिहास में विद्यानंद सिंह ने भोजपुर जिला के नाम को रौशन किया है।

नागालैंड में पराक्रम दिखाने के लिए मिला था वीर चक्र, पत्नी बाेलीं-पति की शहादत पर गर्व है।
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कारगिल में सरहद की सुरक्षा के क्रम में विद्यानंद अल्फा कंपनी की ओर से लड़ रहे थे। वर्ष 1991 में नागा उग्रवादियों पर सैन्य कार्रवाई मैं अहम भूमिका के लिए वीर चक्र उन्हें प्राप्त हुआ था। वे 21 मई को अपने बटालियन के साथ कारगिल गए थे। कारगिल में इन्हें जिस स्थान पर तैनात किया गया था ,वहां लगातार बमबारी हो रही थी। 17000 फीट ऊपर पर्वत से पाकिस्तानी घुसपैठियों के साथ विद्यानंद सिंह सीधा मुकाबला कर रहे थे।
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वहां भौगोलिक परिस्थिति जवानों के लिए काफी प्रतिकूल थी। रात दिन एक कर वे अपने साथियों के साथ दुश्मनों को खदेड़ कर अपने चौकियों पर कब्जा कर रहे थे, इसी बीच 6-7 जून की रात घुसपैठियों के साथ गोलीबारी में वे शहीद हो गए थे।

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जय यादव जय माधव

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वीर आल्हा ऊदल
वीर यदुवंशी योद्धा आल्हा जी की जयंती पर 25मई को ट्विटर रखा गया है सभी जरूर 50ट्वीट करे यदुवंशी एकता प
जय द्वारकाधीश 🙏🙏
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भगवान श्री कृष्ण का वंश हूं यदुवंश का अंश हूं राजतिलक की करो तैयारी आ रहे हैं पीताम्बर धारी
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