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सिंचाई विभाग में प्रोन्नति की बाढ़
पटना / सासाराम। राज्य सरकार नौकरी के साथ सरकारी कर्मचारियों को प्रोन्नति देने के काम में जुट गई है। इस कर्म में प्रशासनिक, पुलिस, समेत अभियंता विभाग में पद उनती थोक भाव से हो रही है। वर्षो से प्रोन्नति की आस लगाए कर्मचारियों को तीन-चार प्रोन्नति एक साथ मिल रही है। जिससे उनके और उनके परिवार में ख़ुशी का माहौल है। वर्षो बाद दिवाली और छठ भारी उल्लास के साथ मनाएँगे।
इसी कर्म में सिंचाई विभाग के लघु सिंचाई विभाग में कार्यरत दर्जनों लिपिक-पत्राचार लिपिक को सीधे प्रोन्नति देकर कार्यालय अधीक्षक में प्रोन्नति दी गई है। सासाराम के लघु सिंचाई विभाग में कार्यरत पत्राचार लिपिक संजय कुमार सिंह को कार्यालय अधीक्षक के पद पर प्रोन्नति मिली है। इस ख़ुशी में विभाग के सभी कर्मचारियों ने फूल माला से लाध दिया और मिठाई खिलाई। इस अवसर पर कार्यालय के सभी सह कर्मियों ने श्री सिंह को बधाई दिया है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
इस अवसर पर बधाई देने वालो में रघुराई कुमार सहायक अभियंता, नीरज कुमार, प्रदीप कुमार ठाकुर, सुबोध कुमार, सागर श्याम, रिपु सुदन, विनय कुमार, सिकेन्द्र कुमार, प्रशांत कुमार, जीतेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, संजीव कुमार आदि प्रमुख कर्मचारी थे। इस अवसर पर पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता अमित कुमार सिंह ने उनके उज्जल भविष्य की कामना की।
पटना -सासाराम /सिंचाई विभाग में प्रोन्नति की बाढ़
पटना -सासाराम /सिंचाई विभाग में प्रोन्नति की बाढ़ | Country Inside News अमित कुमार सिंह की रिपोर्ट/पटना / सासाराम। राज्य सरकार नौकरी के साथ सरकारी कर्मचारियों को प्रोन्नति देने के काम मे...
आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जटिल मुकदमों पर गुफ्तगू करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के सम्मानित अधिवक्ता श्री शेखर कुमार सिंह के साथ...
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम सुनते ही आजादी के पहले का वो समय हमारे मन मस्तिष्क में गोते लगाने लगता है जब हम अंग्रेजों के गुलाम थे। न जाने कितने वीरों ने आजादी के लिए संघर्ष किया और उन्हीं की वजह से हम आजाद भारत में सांसें ले रहे हैं। कितनी भी मुसीबतें क्यों न आईं हों, लेकिन वीर डटे रहे और अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। उन वीरों में सबसे शीर्ष पर नाम आता है बापू का, बापू ने बेपरवाह आजादी के लिए अहिंसा के साथ लड़ाई लड़ी और देश को आजाद होने का दर्जा दिलाया।
बापू का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। उनके आजादी के लिए योगदान को देश कभी भूल नहीं सकता है।
ईश्वर से कुछ मांगने पर
न मिले तो उससे नाराज
ना होना क्योकि ईश्वर
वह नही देता जो आपको
अच्छा लगता है बल्कि
वह देता है जो आपके लिए
अच्छा होता है....
'चंदन की खुशबू, बादलों की फुहार, आप सभी को मुबारक हो हरियाली तीज का त्यौहार' ....। प्राचीन काल से हिन्दू धर्म में तीज का त्यौहार एक खास पर्व माना जाता है। खासकर, तीज सुहागिनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
भगवान विश्वकर्मा जी आप सभी को उन्नति के शिखर पर पहुचाएं और आपके जीवन को सुखी और समृद्ध बनाएं. ध्यान धर कर प्रभु का, सकल सिद्धि मिले, मन से दुविधा दूर हो, अपार शक्ति मिले. सत्य ज्ञान सृष्टी जग हित, धर्ता अतुल तेज तुम्हारो जगमाही, कोई विश्वमही जानत नाही … विश्कर्मा पूजा की शुभकामनाएं.
भारत विकास परिषद् शास्त्रीनगर शाखा, पटना (बिहार) के द्वारा राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस अवसर पर अतिथि के रूप में मुझे सम्मानित किया गया।
" कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएँ ।" "मैं इस अवसर पर आयोजकों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और कार्यक्रम की सफलता की कामना करता हूं।
"रक्षाबंधन की खुशी और खुशी हमेशा आपके साथ रहे!" "आपको रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं!" "यह विशेष दिन आपके जीवन में ढेर सारा प्यार, भाग्य और खुशियाँ लेकर आए" "मैं तुम्हें अपनी बहन के रूप में पाकर बहुत भाग्यशाली हूँ।
"अंतरराष्ट्रीय योग दिवस" की हार्दिक बधाई।
आध्यात्मिक उत्कर्ष, आत्मिक शांति और आरोग्यता के प्रदाता 'योग' से पूरी मानवता को जोड़ना ही 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' का उद्देश्य है।
पटना /अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा 1897 के प्रांतीय अधिवेशन में जुटे क्षत्रिय समाज के लोग
पटना /अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा 1897 के प्रांतीय अधिवेशन में जुटे क्षत्रिय समाज के लोग | Country Inside News कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा 1897 के प्रांतीय अधिवेशन में जुटे क्षत्रिय समाज के लोग।स.....
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा 1897 के प्रांतीय अधिवेशन में जुटे क्षत्रिय समाज के लोग।
संख्या बल नही पौरुष के बल पर शासन चलाने की जरूरत : ठाकुर दिनेश प्रताप सिंह
क्षत्रिय समाज एक होकर शसक्त बिहार और शसक्त देश बनायेगे : पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार
पटना: 18 जून रविवार को राजधानी के विद्यापति भवन में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा 1897 के प्रांतीय अधिवेशन में देश भर से जुटे क्षत्रिय समाज के लोगो ने एक होकर अन्याय के खिलाफ लड़ने,और शसक्त देश बनाने की बाते की।
राजधानी के विद्यापति भवन में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रांतीय अधिवेशन में संरक्षक और जम्मू कश्मीर के पूर्व मंत्री गुल चैन सिंह चरक, राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर दिनेश प्रताप सिंह,संरक्षक पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय सिंह पूर्व एमएलसी, महेश्वर सिंह एमएलसी, प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र प्रताप सिंह, महामंत्री विशाल सिंह, अधिवक्ता मंच के अध्यक्ष अमित कुमार सिंह, सुनील सिंह जिलाध्यक्ष पूर्वी चंपारण,अमरेंद्र सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष, गौरव सिंह महामंत्री प्रदेश शिवहर,राजेन्द्र सिंह जिलाध्यक्ष गोपालगंज के साथ साथ देश के कई हिस्सों से आये हुए प्रतिनिधि हुए शामिल।
वही इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर दिनेश प्रताप सिंह ने कहा हमारे कितने महापुरुष है जिनको अपना बनाने की दूसरे समाज के लोगों के द्वारा हो रही है। आज अपने संस्कृति को बचाने की जरूरत है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने समाज के लोगो से आग्रह किया कि आप अपने गावँ में महाराणा प्रताप की मूर्ति लगाइए और जब गावँ के लोग वहां जमा होंगे तो उन्हें अपने महापुरुषों से शक्ति मिलेगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा हमे संख्या को बढाने की नही है क्योंकि संख्या के बल पर नही बल्कि अपने पौरुष के बल पर भगवान राम ने राज किया था। आज यूपी में योगी अपने पौरुष बल पर शासन कर रहे है न कि संख्या बल पर। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा हमारे पास वीर कुंवर सिंह का इतिहास है और इसपर गर्व करने की जरूरत है।
यूपी के मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बिहार के लोगो की जमकर तारीफ की और कहा बिहार के लोग काफी समृद्ध हैं, बिहार का एक व्यक्ति अगर संसद में बोलता है तो उसका असर होता है । मंत्री ने कहा फिर से राम राज्य आएगा, जरूरत है एक होकर आने की और अपने राम के वंशज होने पर गर्व करने की। यूपी के मंत्री ने कहा बिहार में कोई न कोई योगी पैदा होगा बिहार को बदलेगा।वही कार्यक्रम पर पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा समाज के बिखराव को रोकना होगा और एक होकर हमलोगों को सामाजिक कार्यो में अधिक लगना होगा। पूर्व राज्य पाल ने कहा हमे अपने क्षत्रिय होने पर गर्व करना चाहिए और अपने संस्कृति को सहेजने की जरूरत है । कार्यक्रम पर महासभा के संरक्षक गुल चैन सिंह चरक ने कहा आज जरूरत है क्षत्रिय समाज को एक होने की जिससे हमारे पूर्वजों ने को देश को आगे बढ़ाने पर अपना बलिदान दिया था उनके बलिदान को सार्थक करे।देश और समाज का विकास तभी सम्भव है जब हम एक होंगे ।प्रांतीय अधिवेशन में देश के कई हिस्सो से आये वक्ताओं ने भी संबोधित किया।
18 जून को होगा पटना में देश भर के क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधियों का जुटान
पटना। राजधानी पटना के होटल सम्राट में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा (1897) के कार्यकारणी की बैठक का आयोजन किया गया। कार्यकारणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर दिनेश प्रताप सिंह,मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार,राष्ट्रीय संरक्षक ठाकुर गुल चैन सिंह चरक पूर्व मंत्री जम्मू कश्मीर, श्री निखिल कुमार पूर्व राज्यपाल, डॉ अजय कुमार सिंह पूर्व एमएलसी, राष्ट्रिय उपाध्यक्ष, रविन्द्र प्रताप सिंह प्रदेश अध्यक्ष, विशाल सिंह राष्ट्रिय कार्यकारणी सदस्य,अधिवक्ता अमित कुमार सहित अध्यक्ष अधिवक्ता मंच आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के कार्यकारणी की बैठक में जहां कई मुद्दों पर चर्चा हुई वही समाज को एकजुट करना और समाज के द्वारा सामाजिक कार्यों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी निभाने, देश और राज्य का विकास करने सहित सभ्यता और संस्कृति को बचाने पर चर्चा की गई।
पूर्व राज्यपाल निखिल प्रसाद सिंह ने कहा कार्यकारणी की बैठक में जहां समाज के बिखरे लोगों को एक मंच पर लाना और एकता में बढ़ोतरी करना वही सामाजिक कार्यों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी निभाना जिससे लोगों का भला हो सके। वही पूर्व राज्यपाल निखिल प्रसाद ने कहा समाज में भिन्नताओं को दूर करने का प्रयास किया जाय।
वही यूपी के मंत्री और् राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर दिनेश प्रताप सिंह ने यह बताया की क्षत्रिय समाज के लोगो को एकजुट करने और अपने संस्कृति को बचाने की कोशिश है। यूपी के मंत्री ठाकुर दिनेश प्रताप सिंह ने रामायण के ऊपर किये जा रहे आपत्तिजनक टिपण्णी पर यह बताया कि समाज मे दो तरह के लोग होते है एक बुरे और एक अच्छे जैसे प्राचीन काल मे भी राक्षस और देवता हुए करते थे।रामायण का विरोध करने वाले भी बुरे लोग है ।रामायण हमारे समाज का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है और भगवान राम ने भी समाज के तमाम लोगो को साथ लेकर चलने का काम किया था।कोर कमिटी की बैठक में सभी लोगो ने अपने विचारों से अवगत कराया।
क्षत्रिय समाज को एकजुट करने के लिए 18 जून को किया जाएगा प्रांतीय अधिवेशन samajक्षत्रिय समाज को एकजुट करने के लिए 18 जून को किया जाएगा प्रांतीय अधिवेशनFollow Us On Website- https://www.citypostlive.com/Foll...
अखिलभारतीयक्षत्रिय महासभा(1897) द्वाराआयोजितअधिवेशन में17,18जून को युवा रोजगारऔर समाज पर बड़ा निर
क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधि युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने सहित अन्य विषयों पर करेंगे चर्चा क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधि युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने सहित अन्य विषयों पर करेंगे चर्चा #...
पटना। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा 1897 द्वारा 17 जून को कोर कमिटी की बैठक तथा 18 जून को प्रांतीय अधिवेशन का आयोजन किया जाएगा।
अधिवेशन में देश भर से क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधि जुटेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर दिनेश प्रताप सिंह, मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, राष्ट्रीय संरक्षण ठाकुर गुलचेंन सिंह चरक पूर्व मंत्री जम्मू कश्मीर, श्री निखिल कुमार पूर्व राज्यपाल, डॉ अजय कुमार सिंह पूर्व एमएलसी,विजय कुमार सिंह एमएलसी,महेश्वर सिंह एमएलसी, नीरज बबलू बिजेपी विधायक, रविन्द्र प्रताप सिंह प्रदेश अध्यक्ष, अमित कुमार सिंह अधिवक्ता, बिहार प्रदेश अधिवक्ता मंच के अध्यक्ष एवं अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे।
आज हुए प्रेसवार्ता में प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र प्रताप सिंह,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अजय कुमार सिंघ पुर्व एमएलसी, अमित कुमार सिंह अधिवक्ता, बिहार प्रदेश अधिवक्ता मंच के अध्यक्ष, बिट्टू कुमार सिंह प्रदेश अध्यक्ष युवा क्षत्रिय महासभा ,सुनील सिंह अध्यक्ष पूर्वी चंपारण क्षेत्र,उमेश कुमार सिंह समाजसेवी ।अधिवेशन में समाज के लोगो को जोड़ने,युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने सहित कई विषयो पर सम्पूर्ण रूप से चर्चा की गई।
बिहार के गया जिले में, विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु का चरण चिह्न ऋषि मरीची की पत्नी माता धर्मवत्ता की शिला पर है। राक्षस गयासुर को स्थिर करने के लिए धर्मपुरी से माता धर्मवत्ता शिला को लाया गया था, जिसे गयासुर पर रख भगवान विष्णु ने अपने दाहिने पैर से दबाया। इसके बाद शिला पर भगवान के चरण चिह्न है। बता दें कि विश्व में विष्णुपद ही एक ऐसा स्थान है, जहां भगवान विष्णु के चरण का साक्षात दर्शन कर सकते हैं। 18वीं शताब्दी में हुआ था जीर्णोद्धार...
यहां चरण के स्पर्श से ही मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं। वहीं यह मंदिर सोने को कसने वाला पत्थर कसौटी से बना है, जिसे जिले के अतरी प्रखंड के पत्थरकट्टी से लाया गया था। इस मंदिर की ऊंचाई करीब सौ फीट है। सभा मंडप में 44 पीलर हैं। 54 वेदियों में से 19 वेदी विष्णपुद में ही हैं, जहां पर पितरों के मुक्ति के लिए पिंडदान होता है। यहां सालों भर पिंडदान होता है।
अरण्य वन बना सीताकुंड
विष्णुपद मंदिर के ठीक सामने फल्गु नदी के पूर्वी तट पर स्थित है सीताकुंड। यहां स्वयं माता सीता ने महाराज दशरथ का पिंडदान किया था। प्रबंधकारिणी समिति के सचिव गजाधरलाल पाठक ने बताया कि पौराणिक काल में यह स्थल अरण्य वन जंगल के नाम से प्रसिद्ध था। भगवान श्रीराम, माता सीता के साथ महाराज दशरथ का पिंडदान करने आए थे, जहां माता सीता ने महाराज दशरथ को बालू फल्गु जल से पिंड अर्पित किया था, जिसके बाद से यहां बालू से बने पिंड देने का महत्व है।
18वीं शताब्दी में महारानी अहिल्याबाई ने मंदिर का कराया था जीर्णोद्वार
विष्णुपद मंदिर के शीर्ष पर 50 किलो सोने का कलश और 50 किलो सोने की ध्वजा लगी है। गर्भगृह में 50 किलो चांदी का छत्र और 50 किलो चांदी का अष्टपहल है, जिसके अंदर भगवान विष्णु की चरण पादुका विराजमान है। इसके अलावे गर्भगृह का पूर्वी द्वार चांदी से बना है। वहीं भगवान विष्णु के चरण की लंबाई करीब 40 सेंटीमीटर है। बता दें कि 18 वीं शताब्दी में महारानी अहिल्याबाई ने मंदिर का जीर्णोद्वार कराया था। पर यहां भगवान विष्णु का चरण सतयुग काल से ही है।
मुंबई में अपनी गायिकी से धूम मचा रहे, सुविख्यात भजन और ग़ज़ल गायक सत्यम आनंदजी ने अपनी जादूई आवाज़ से, बिहार की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में संगीत की पीयूष-वाहिनी सरिता बहा दी। उन्होंने अपने मधुर भजनों और दिलकश ग़ज़लों से साहित्याकारों और श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया।
पटना / पटना हाईकोर्ट ने दिया पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के आरोपी को जमानत
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एक 25 वर्षीय युवा कथावाचक बिहार राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध होता कि अब भी इस देश की सबसे बड़ी शक्ति उसका धर्म है। किसी युवक को देखने के लिए पूरा राज्य दौड़ पड़े, तो आश्चर्य होता है। मनोसामाजिक दृष्टि से धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सबसे बड़ा 'चमत्कार' है।
वह दस लाख की भीड़ किसी एक जाति की भीड़ नहीं है, उसमें सभी हैं। यह वही बिहार है जहां हर वस्तु को जाति के चश्मे से देखने की ही परम्परा सी बन गयी है। उस टूटे हुए बिहार को एक युवक पहली बार में इतना बांध देता है, तो यह विश्वास दृढ़ होता है कि हमें बांधना असम्भव नहीं। राजनीति हमें कितना भी तोड़े, धर्म हमें जोड़ ही लेगा...
आयातित तर्कों के दम पर कितना भी बवंडर बतिया लें, पर यह सत्य है कि इस देश को केवल और केवल धर्म एक करता है। कश्मीर से कन्याकुमारी के मध्य हजार संस्कृतियां निवास करती हैं। भाषाएं अलग हैं, परंपराएं अलग हैं, विचार अलग हैं, दृष्टि अलग है, भौगोलिक स्थिति अलग है, परिस्थितियां अलग हैं, फिर भी हम एक राष्ट्र हैं तो केवल और केवल धर्म के कारण! धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उसी धर्म की डोर से सबको बांध रहे हैं।
कुछ लोग उनके चमत्कारी होने को लेकर उनकी आलोचना करते हैं। तार्किक रूप से चमत्कारों पर अविश्वास सहज है। एक महाविपन्न परिवार से निकला व्यक्ति यदि युवा अवस्था में ही देश के सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल हो जाता है, तो इस चमत्कार पर पूरी श्रद्धा है !
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने समय के मुद्दों पर स्पष्ट बोलते हैं, यह उनकी शक्ति है। नवजागृत हिन्दू चेतना को अपने संतों से जिस बात का असंतोष था कि वे हमारे विषयों पर बोलते क्यों नहीं, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उस असन्तोष को शांत कर रहे हैं। यह कम सुखद नहीं है।
कुछ लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को रोकने के दावे कर रहे थे। यह सर्वविदित तथ्य है कि उन्हें ईश्वर रोके तो रोके, अब अन्य कोई नहीं रोक सकेगा... धीरेंद्र समय की मांग हैं। यह समय ही धीरेंद्र शास्त्री का है।
यह भारत के पुनर्जागरण का कालखंड है, अब हर क्षेत्र से योद्धा नायक निकलेंगे। राजनीति, धर्म, अर्थ, विज्ञान, रक्षा... हर क्षेत्र नव-चन्द्रगुप्तों की आभा से जगमगायेगा। देर है, अँधेर नहीं...!
जय श्री राम 🚩🚩
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी महाराज के दरबार में भक्तो का विशाल जनसैलाब उमड़ा...
जनकल्याण की ओर युवा अधिवक्ताओं का बढ़ते कदम
'एक राष्ट्र-एक राष्ट्र भाषा' के लिए संघर्ष के संकल्प के साथ संपन्न हुआ साहित्य सम्मेलन का ४२वाँ महाधिवेशन
विधान सभा के अध्यक्ष ने कहा- संस्कृति की रक्षा और विकास मेन साहित्य की बड़ी भूमिका,
दी गई उच्च मानद उपाधि 'विद्या-वारिधि', सम्मानित हुई ४८ साहित्यिक विभूतियाँ ।
पटना, ७ मई। 'एक राष्ट्र और एक राष्ट्रभाषा' के लिए संघर्ष के संकल्प के साथ बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय ४२वाँ महाधिवेशन भव्यता के साथ संपन्न हो गया। सृजन के नव-उत्साह, सम्मान और अलंकरण लेकर विदा हुए, प्रतिभागी साहित्यकार।
समापन-सह-सम्मान समारोह के उद्घाटन कर्ता और बिहार विधान सभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि अपनी संस्कृति और उसकी चेतना की रक्षा एवं विकास में साहित्य की सबसे बड़ी भूमिका है। भरत की स्वतंत्रता के आंदोलन में साहित्यकारों की बड़ी भूमिका रही। साहित्यकारों की महिमा महान है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह माता-पिता की सेवा से हमें संस्कार और आशीर्वाद प्राप्त होता है, उसी भावना के साथ हमें साहित्य की सेवा करनी चाहिए।इससे देश को मजबूती प्राप्त होगी। इस अवसर पर, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने, श्री चौधरी को, सम्मेलन की उच्च मानद उपाधि 'विद्या-वाचस्पति' से विभूषित किया। विधान सभाध्यक्ष ने सम्मेलन द्वारा महाधिवेशन में दिए जाने वाले नामित अलंकरणों से ४७ साहित्यिक विभूतियों को सम्मानित किया।
समारोह के मुख्य अतिथि और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा सी पी ठाकुर ने कहा कि साहित्य सम्मेलन ने उन हिंदी-सेवियों को आज सम्मानित किया है, जो पूरी तन्मयता से हिन्दी भाषा और साहित्य की सेवा कर रहे हैं। इससे अनय साहित्यकारों को प्रेरणा मिलेगी।
पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और विधान पार्षद डा संजय पासवान ने कहा कि महाधिवेशन के माध्यम से साहित्य सम्मेलन पूरे देश से जुड़ता है और देश को जोड़ता है। साहित्य को इसीलिए जोड़ने का मध्यम मानता है। साहित्य वही है जो सबको जोड़े, तोड़े नहीं।
इस अवसर पर सम्मेलन की ओर से अध्यक्ष ने यह प्रस्ताव रखा कि "भारत की स्वतंत्रता के ७५ वर्ष व्यतीत हो जाने के पश्चात भी देश की कोई एक भाषा का राष्ट्र-भाषा घोषित नहीं होना, समस्त भारतीयों के लिए वैश्विक-लज्जा का विषय है। इस हेतु यह महाधिवेशन 'एक राष्ट्र, एक राष्ट्रभाषा और एक राष्ट्र-लिपि' हो इसकी मांग भारत सरकार से करताहै। जब तक हिन्दी देश की राष्ट्र-भाषा और 'देव नागरी' राष्ट्र-लिपि नही घोषित होती, तबतक साहित्य सम्मेलन और देश के सभी हिन्दी-सेवी और हिन्दी-प्रेमी संघर्षरत रहेंगे।"
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कार्यसमिति और स्वागत समिति के सभी अधिकारियों और सदस्यों के प्रति आभार प्रकट किया, जिनके अथक और अनवरत श्रम से यह महाधिवेशन भव्य रूप में संपन्न हुआ। उन्होंने सभी प्रतिभागी साहित्यकारों से महाधिवेशन में लिए गए संकल्पों की पूर्ति हेतु, नई ऊर्जा के साथ सन्नद्ध होने का आह्वान किया।
समापन समारोह के पूर्व महाधिवेशन के दो वैचारिक-सत्र और एक विराट कवि-सम्मेलन भी संपन्न हुआ। आज का प्रथम और महाधिवेशन का तृतीय वैचारिक सत्र का विषय था- “एक राष्ट्र, एक राष्ट्र-भाषा और एक राष्ट्र-लिपि"। मुख्य वक्ता के रूप में अपना व्याख्यान देते हुए, भरत सरकार की हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य वीरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि भारत का मूल संविधान अंग्रेज़ी में लिखा गया। यही बड़ी भूल थी। हम आज भी हिन्दी की बात तो कर्ते हैं, किंतु हिंदी में बात नहीं करते। इस देश की एक राष्ट्रभाषा हो एक लिपि हो, यह तो आवश्यक है ही,किंतु इस हेतु हमें संघर्ष करना होगा। इसके पूर्व विषय प्रवेश करते हुए, सम्मेलन के प्रधानमंत्री दा शिववंश पाण्डेय ने कहा कि, स्वतंत्रता की लदाई में हिन्दी की प्रमुख भूमिका थी। लेकिन संविधान-निर्माण के समय, वोट की राजनीति आरंभ हो गई।
राणा अवधेश की अध्यक्षता में आयोजित इस सत्र में, डा सुमेधा पाठक तथा सागरिका राय ने भी अपना पत्र प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत पूर्व जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो बागेश्वरी नन्दन सिंह ने, धन्यवाद-ज्ञापन पुस्तकालय मंत्री ई अशोक कुमार तथा मंच-संचालन डा ध्रुव कुमार ने किया।
आज के अंतिम और चौथे सत्र, जिसका विषय "'भारत की वैश्विक दृष्टि और 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा" थी, का उद्घाटन बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष डा विजय प्रकाश ने किया। उन्होंने कहा कि विश्व के अनय राष्ट्रों की दृष्टि अपने प्रभुत्व-विस्तार की रही है, जबकि भारत की दृष्टि प्रेम और सद्भाव के विस्तार की है। भारत में संबंधों का भी अपना विशाल-कोश है। हम मनुष्यों तो क्या पशु-पक्षियों, पेड़पौंधों, नदियों पर्वतों से भी संबंध जोड़ लेते हैं। भारत की यही वैश्विक दृष्टि उसकी 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा का सूत्र है। यही दृष्ट, युद्ध की कगार पर खड़े विश्व को सन्मार्ग पर ला सकती है। ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोरापुट के कुलपति प्रो चक्रधर त्रिपाठी की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस सत्र में डा हेम राज मीणा, डा जंग बहादुर पाण्डेय, डा सीमा रानी तथा सारण जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष ब्रजेंद्र कुमार सिंहा ने भी अपने पत्र प्रस्तुत किए। अतिथियों का स्वागत संगठन मंत्री दा शालिनी पाण्डेय ने, धन्यवाद-ज्ञापन प्रबंधमंत्री कृष्णरंजन सिंह ने तथा मंच का संचालन कुमार अनुपम ने किया।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ कवि मृत्युंजय मिश्र 'करुणेश' की अध्यक्षता में एक भव्य कवि-सम्मेलन का भी आयोजन हुआ, जिसका उद्घाटन 'बिहार-गीत' के रचनाकार और हिन्दी प्रगति समिति, बिहार के अध्यक्ष कवि सत्यनारायण ने किया। चर्चित कवयित्री आराधना प्रसाद, डा विनोद कुमार सिंहा, डा नीलिमा वर्मा, पंकज कुमार वसंत, विद्या चौधरी, महेश कुमार मधुकर, आरपी घायल, दा सुरेश सिंह शौर्य, सावित्री सुमन,रंजना लता, शमा कौसर 'शमा', डा नीतू चौहान, प्रो छोटेलाल गुप्ता, डा सुनील कुमार उपाध्याय, राश दादा राश आदि कुल ७७ कवियों और कवयित्रियों ने इस विराट कवि सम्मेलन को यादगार बना दिया। कवियों का स्वागत वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर ने तथा धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन की लोकभाषा मंत्री डा पुष्पा जमुआर ने किया।
आज निम्नलिखित विदुषियों और विद्वानों को किया गया सम्मानित;-
क्रम संख्या एवं नाम : अलंकरण का नाम :संपर्क संख्या
श्री ज्वाला सांध्यपुष्प : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' स्मृति सम्मान
श्री सुरेश कुमार चौबे : गोपाल सिंह 'नेपाली' स्मृति सम्मान
डा राजू प्रसाद नीलोत्पल ऋतुकल्प : रामवृक्ष बेनीपुरी स्मृति सम्मान
श्री केशव मोहन पाण्डेय : केदार नाथ मिश्र 'प्रभात' सम्मान
श्री रवि रंजन : डा लक्ष्मी नारायण 'सुधांशु' स्मृति सम्मान
डा ऐनुल बरौलवी : पं मोहन लाल महतो 'वियोगी' सम्मान
श्री रवीन्द्र कुमार रतन : बाबा नागार्जुन सम्मान
श्री अमित कुमार दीक्षित : आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री सम्मान
डा पल्लवी कौशिक गुंजन : बच्चन देवी साहित्य साधना सम्मान
श्री श्यामल श्रीवास्तव : डा कुमार विमल सम्मान
डा हरेराम सिंह : कविवर पोद्दार रामावतार 'अरुण' सम्मान
श्री सुदर्शन प्रसाद राय : राम गोपाल शर्मा 'रूद्र' स्मृति सम्मान
डा अरविंद अंशुमान : महाकवि आरसी प्रसाद सिंह सम्मान
श्री ब्रज भूषण मिश्र : कलक्टर सिंह 'केशरी' स्मृति सम्मान
श्री ज़फ़र हबीबी : डा श्यामनंदन किशोर स्मृति सम्मान
डा राजीव सिंह : प्रो मथुरा प्रसाद दीक्षित स्मृति सम्मान
श्री देवेंद्र प्रसाद शर्मा : रामधारी प्रसाद विशारद सम्मान
डा नम्रता प्रकाश : कुमारी राधा स्मृति सम्मान
श्री हरि नारायण गुप्त : पं राम दयाल पांडेय सम्मान
डा ओम् प्रकाश पाण्डेय : अंगकोकिल डा परमानन्द पाण्डेय सम्मान
डा जनार्दन सिंह : आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव स्मृति सम्मान
श्री विनोद कुमार 'विक्की' : हास्य रसावतार पं जगन्नाथ प्र चतुर्वेदी सम्मान
डा गौरव रंजन : डा राम प्रसाद सिंह लोक-साहित्य सम्मान
श्री अरुण कुमार पासवान : पं प्रफुल्ल चंद्र ओझा 'मुक्त' सम्मान
श्रीमती निग़ार आरा : चतुर्वेदी प्रतिभा मिश्र साहित्य साधना सम्मान
श्री द्वारिका राय सुबोध : पं हंस कुमार तिवारी स्मृति सम्मान
श्री पप्पू मिश्र 'पुष्प' : पं रामचंद्र भारद्वाज स्मृति सम्मान
श्री रामनाथ सिंह 'रमा' : रामेश्वर सिंह काश्यप स्मृति सम्मान
डा विनोद कुमार सिन्हा : प्राचार्य मनोरंजन प्रसाद सिन्हा स्मृति सम्मान
श्री राहूल राज : प्रो सीताराम सिंह 'दीन' स्मृति सम्मान
श्री नागेंद्र कुमार केशरी : डा शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव स्मृति सम्मान
श्री दिलशाद नज़मी : पीर मुहम्मद मुनिस स्मृति सम्मान
डा उमेश कुमार : महकवि काशीनाथ पाण्डेय स्मृति सम्मान
डा अजय कुमार : डा रवीन्द्र राजहँस स्मृति सम्मान
श्री बबन सिंह : पं छविनाथ पांडेय स्मृति सम्मान
श्री विकास सोलंकी : डा धर्मेन्द्र ब्रह्मचारी शास्त्री स्मृति सम्मान
पं सत्यनारायण चतुर्वेदी : राष्ट्रभाषा प्रहरी नृपेंद्रनाथ गुप्त स्मृति सम्मान
डा सुनील चंपारणी : साहित्य-सारथी बलभद्र कल्याण स्मृति सम्मान
श्री अरविंद अकेला : डा नरेश पाण्डेय 'चकोर' स्मृति सम्मान
डा रत्ना पुरकायस्था : डा वीणा श्रीवास्तव स्मृति सम्मान
श्रीमती कश्मीरा सिंह : डा ललितांशुमयी स्मृति सम्मान
श्रीमती सुधा पाण्डेय : डा शांति जैन स्मृति सम्मान
डा पुष्पा कुमारी : विदुषी गिरिजा वर्णवाल स्मृति सम्मान
श्रीमती मिन्नी मिश्रा : विदुषी अनुपमानाथ स्मृति सम्मान
डा सोनम सिंह : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान
श्रीमती राजकांता राज : साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान
श्री देवेंद्र नाथ शुक्ल : महकवि काशीनाथ पांडेय स्मृति सम्मान
श्री आलोक रंजन : साहित्य सम्मेलन युवा साहित्यकार सम्मान
४२वाँ महाधिवेशन के समापन समारोह में, बिहार विधान सभा के अध्यक्ष श्री अवध बिहारी चौधरी जी के साथ तस्वीर...
स्वर्णिम परिणय सूत्र में बंधने के बाद 11 वर्ष आज आपसबों के आशीर्वाद से हस्ते खेलते गुजर गए। इस दौरान प्रकृति ने हम दोनो के बाग में दो फूल भी खिलाए हैं। इस स्वर्णिम अवसर पर हम लोग आपके आशीर्वाद, शुभ वचन, प्यार से अभिभूत हो कर हम लोग आपका अभिनन्दन करते हैं और तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं।
हमारे लोगों ने प्यार से अभिभूत हो कर जो संदेश भेजा है उसके लिए चरण स्पर्श, प्रणाम, नमस्कार करते हैं और आपके प्रति विशेष आभारी हैं।
मेरे बड़े पुत्र अमृत राज सिंह, 9 वसंत को पार कर आज 10 में वर्ष में प्रवेश कर गया।
भगवान के साथ ही बड़े जनों का आशीर्वाद के साथ माता पिता और परिजनों का आशीर्वाद भी सदा बना रहा और बना रहेगा।
इसी कामना के साथ अमृत राज ने अपने माता-पिता के साथ पूरी सादगी के साथ अपना जन्मदिन आज मनाया। समय के नजाकत के कारण अधिकांश लोग आशीर्वाद देने नही पहुंच पाए। वे सभी लोगो ने अमृत को सहपाठियों ने मोबाइल पर ही शुभकामना दी जबकि गुरु जनों और बड़ो ने आशीर्वाद के साथ शुभकामना संदेश दिया।
अमृत राज के जन्मदिन पर जिन लोगो ने आशीर्वाद भेजा है और भेज रहे हैं उन लोगो के प्रति आभार प्रकट करता हूँ और स्नेह बनाए रखने का आकांक्षी हुँ।
पटना हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के महासचिव पद पर श्री जय शंकर प्रसाद सिंह की जीत हासिल हुई है। इसके लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
पटना हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर बड़े भाई श्री शैलेंद्र कुमार सिंह की जीत हासिल हुई है। इसके लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। आशा है कि हाईकोर्ट में अधिवक्ताओं की कई समस्याएं अब दूर होगी और मुकदमों के लगे अंबार से लोगों को निजात मिलेगी।
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