Aakhar
बिहार की भाषाओं का नवमंच
बिना भाषा का कोई समाज नही बनता है। भाषा समाज के एकीकरण का जरिया है। ये बाते प्रभा खेतान फाउंडेशन, मसि इंक और श्री सीमेंट की ओर से होने वाली मासिक कार्यक्रम आखर में बज्जिका की लेखिका डा विद्या चौधरी ने कही जो बी आई ए हॉल पटना में संपन्न हुआ। इसी कड़ी में डा विद्या चौधरी से बातचीत डा सुधा वर्मा ने किया। डा विद्या चौधरी ने बज्जिका भाषा में लिखने की प्रेरणा डा श्याम तिवारी से मिली। उन्होंने बताया कि दस वर्ष की उम्र में हमे बज्जिका भाषा में लिखने का शौक जगना शुरू हुआ। डा विद्या चौधरी ने बताया कि बज्जिका विवाह गीत सबसे पहले लिखा। उन्होंने बज्जिका भाषा में विवाह परंपरागत गीत कते दिन क दिन आहे बाबा दर्शकों को सुनाई। सुधा वर्मा से बातचीत में उन्होंने कहा कि हमारा बज्जिका भाषा में पहली लघु कथा आ हम्मर घर है। जो स्त्री विमर्श पर है। स्त्री के जीवन में क्या त्रासदी है। इस लघु कथा में दर्शाया गया है। उन्होंने बताया कि इस लघु कथा में जो भी कहानी है वो वास्तविकता पर है। आ हम्मर घर लघु कथा में उन्होंने दो मार्मिक कहानी भी दर्शकों को सुनाई। डा विद्या चौधरी ने कहा कि कोई भाषा व्यक्ति के द्वारा उत्पन्न नही हुआ है बल्कि यह प्रकृति प्रदत्त है। उन्होंने बताया कि आदर्श बज्जीकांचल क्षेत्र हाजीपुर,मुजफ्फरपुर , समस्तीपुर है। वर्तमान में बज्जिका साहित्य पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि आजकल बज्जिका भाषा में हर विधा में लोग कलम चला रहे हैं। लघु कथा भी आ रहा है। कविताएं भी लिखी जा रही है। डा विद्या चौधरी बिहार सरकार में पुरातत्व विभाग में कार्यरत रही है। उन्होंने इस क्षेत्र में भी बातचीत की। कार्यक्रम के अंत में अपनी लघु कथा ’आ हम्मर घर?’ से ’शिवकुमारी का बेटा’ शीर्षक नाम से कहानी दर्शकों को सुनाया। इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन मसि इंक की संस्थापक और निदेशक आराधना प्रधान ने किया। इस कार्यक्रम में आदरणीय संजय पासवान, जय प्रकाश, राजेंद्र कुमार चौधरी, उमा शंकर शर्मा आदि लोग उपस्थित थे।
आखर का मक़सद अपनी भाषा अपने लोग है। किसी भी प्रकार से किसी को आहत करना अथवा किसी भाषा का अपमान करना आखर के उसूलों के विपरीत है। जिस भी भाषा में लेखक लिख रहे हैं आखर उन्हें अतिथि के रूप में आमंत्रित करता है। आखर किसी भी प्रकार के भाषायिक मुद्दों अथवा विभाजनकारी षडयंत्रों का हिस्सा कतई नहीं है। एक प्रयास है, करबद्ध अनुरोध है कि इसे विवादरहित रखें।
आप सब सादर आमंत्रित है 🌹🌹
BIA शनिवार, 23 जुलाई,
शाम 5 बजे
आखर की अगली कड़ी में आपका हार्दिक स्वागत है। इस बार हमारी वक्ता होंगी डॉ विद्या चौधरी।
इनका परिचय है -
संक्षिप्त परिचय
• नाम – डॉ. विद्या चौधरी, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय बज्जिका भाषा परिषद्, पटना
• (अवकाशप्राप्त पदाधिकारी, कला, संस्कृति एवं युवा(पुरातत्त्व) विभाग, बिहार सरकार)
• शैक्षणिक योग्यता – एम. ए., प्राचीन भारतीय एवं एशियाई अध्ययन (पुरातत्व), मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, गया.
पी-एच. डी., - “वैशाली जिले के अनान्वेषित एवं अनुत्खनित पुरातात्विक स्थल एवं वहाँ से प्राप्त पुरावशेषों का विश्लेषण”, पटना विश्वविद्यालय, पटना.
* प्रकाशित ग्रंथ - 1. “वैशाली जिला : नवान्वेषित पुरातात्विक स्थल एवं पुरावशेष”, 2008, इम्प्रेसन पब्लिकेशन, सालिमपुर अहरा, कदमकुआँ, पटना .
2. “बज्जिका बिआह संसकार गीत”, 2019, प्रतिभा प्रकाशन, केदारनाथ रोड, मुजफ्फरपुर .
३. “हिन्दीतर लघुकथाएं” , संपादक- डॉ. राम कुमार घोटड़ , 2021 , हिन्दी में अनुवादित बज्जिका भाषा की पांच लघुकथाएं प्रकाशित |
4. “आ हम्मर घर ?” बज्जिका लघुकथा संग्रह |
5. “चीख में चिन्तन”, संपादक- प्रो. नीलू गुप्ता विद्यालंकार, मंजु मिश्रा, विभा रानी श्रीवास्तव; प्रकाशक - श्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित में आलेख प्रकाशित
6. कोरोना काल के बज्जिका कविता संग्रह “दुनिया भेलई उदास”, प्रकाशक-समीक्षा प्रकाशन , मुजफ्फरपुर में तीन बज्जिका कविता प्रकाशित |
7. हिन्दी एवं बज्जिका भाषा में विविध अख़बारों, पत्र-पत्रिकाओं में सैंकड़ों आलेख, गीत, कविता, लघुकथा प्रकाशित |
8. विविध राष्ट्रीय जर्नल्स, पत्र-पत्रिकाओं में शोध- आलेख प्रकाशित |
9 बज्जिका के विविध कार्यक्रमों में सहभागिता , लघुकथा पाठ,
सह-संपादन :- 1.चेचर ग्राम समूह का इतिहास एवं पुरातत्व , 2021
प्रबंध संपादक-2. राष्ट्रीय बज्जिका भाषा परिषद् की वार्षिक पत्रिका,बज्जिका वार्षिकी – 2021 , 2022
संपादक - 3. त्रैमासिक पत्रिका “बज्जिका मंजरी”
० संयोजिका एवं आजीवन सदस्य, अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति, यू. एस. ए., बिहार-झारखण्ड भारत शाखा, पटना
० पटना दूरदर्शन के कार्यक्रम में बज्जिका की प्रस्तुति |
अन्यान्य :
बज्जिका भाषा, साहित्य, संस्कृति, कला के उन्नयन, प्रचार-प्रसार का कार्य |
विविध सम्मान से सम्मानित :
० गुड़ कंडक्ट सम्मान, 1973, विमेंस इंडस्ट्रियल ट्रेंनिंग इंस्टिट्यूट , सालीमपुर अहरा, श्रम एवं नियोजन विभाग, बिहार सरकार, पटना ;
० प्रशस्ति-पत्र सम्मान , वैशाली क्षेत्र के पुरातात्विक स्थलों पर नवीन शोध-कार्य- “नवान्वेषित पुरातात्विक स्थल एवं पुरावशेष “ के लिये, बेलुबग्राम महोत्सव समिति - 2016
० अखिल विश्व गायत्री परिवार, गायत्री शक्ति पीठ, कंकरबाग , पटना द्वारा आयोजित “अभूतपूर्व महिला जागरण सम्मलेन” में सम्मानित, दिनांक-18 अप्रिल, 2017 ;
० मारवाडी युवा मंच द्वारा - मातृशक्ति सम्मान, दिनांक- 17/10/2018 ( दुर्गा-पूजा के अवसर पर )
० इनर व्हील क्लब ऑफ़ पटना सिटी द्वारा धरोहर सम्मान , दिनांक-07/05/2018 ;
० “कला एवं संस्कृति रत्न” सम्मान, साहित्य,कला, संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये , प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना एवं बिहार कुशल प्रोग्राम, 2018 ;
० “प्रशस्ति-पत्र”- सम्मान , भारत विकास परिषद्, पटना सिटी, 2018 ;
० “ हरेन्द्र सिंह विप्लव बज्जिका बिगुल सम्मान “ , बज्जिका में उत्कृष्ट रचना-पाठ , मातृ दिवस, बज्जिका बिगुल मंच, 10 मई, 2020 ;
० “निर्मल मिलिंद बज्जिका बिगुल सम्मान “ , बज्जिका में उत्कृष्ट संस्मरण लेखन , बज्जिका बिगुल मंच, 30 मई, 2020 ;
० “ कोरोना कर्मवीर सम्मान”, 30 मई, 2020 लोकहित सेवा संस्थान , पटना |
० “ पद्मनाभ सृजन सम्मान – 2021” , हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अमूल्य योगदान एवं सर्वश्रेष्ठ लेखनी हेतु, पद्मनाभ साहित्य परिषद्, हाजीपुर, वैशाली, बिहार |
० “पद्मनाभ हिन्दी गौरव सम्मान-2022”, पद्मनाभ साहित्य परिषद्, हाजीपुर|
०. “पद्मनाभ काव्य श्री सम्मान – 2022”, उत्कृष्ट कवू पाठ हेतु,पद्मनाभ साहित्य परिषद्,हाजीपुर|
० “विद्यावाचस्पति सारस्वत सम्मान”, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर बिहार
० “भारत गौरव” की उपाधि , विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ,भागलपुर |
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और उनसे बातचीत करेंगी साहित्यकार सुधा वर्मा।
इनका परिचय है -
परिचय -
नाम - सुधा वर्मा
शिक्षा - एम ए (द्वय)
अभिरुचि - अभिनय एवं गायन
अभी तक 12 से ऊपर नाटक का लेखन, 6 से ऊपर सीरियल का निर्देशन, 17 से ऊपर टेली फिल्म का निर्देशन, कई एल्बम, विज्ञापन और फीचर फिल्म का निर्देशन।
इस बार आखर बज्जिका में होगा। यह कार्यक्रम 23 जुलाई को शाम 5 बजे से बी.आई.ए हॉल में होगा।
आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
आखर की अगली कड़ी में आपका हार्दिक स्वागत है। इस बार हमारी वक्ता होंगी डॉ विद्या चौधरी और उनसे बातचीत करेंगी साहित्यकार सुधा वर्मा। इस बार आखर बज्जिका में होगा। यह कार्यक्रम 23 जुलाई को शाम 5 बजे से बी.आई.ए हॉल में होगा।
आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
आखर के कार्यक्रम जिसमें भोजपुरी के साहित्यकार गोरख प्रसाद मस्ताना ने शिरकत की थी उसे आप इस लिंक पर जाकर देख सकते है।
https://youtu.be/jUk-MXFUVr8
साहित्य समाज का दर्पण होता है अगर उसमें समाज का दुख, प्रेम, विषाद और प्रतिवाद लिखा जाए। ये बातें प्रभा खेतान फाउंडेशन, मसि इंक और श्री सीमेंट की ओर से होने वाली मासिक कार्यक्रम आखर में भोजपुरी के प्रो गोरख प्रसाद मस्ताना ने कही जो बी आई ए हॉल, पटना में संपन्न हुआ। इस कड़ी में गोरख प्रसाद मस्ताना से बातचीत प्रो दानिश ने की। गोरख प्रसाद मस्ताना ने अपने रचना क्रम के सवाल पर कहा कि भोजपुरी में मेरा लेखन गीतों से शुरुआत हुआ जिसे मैंने स्कूल में ही लिखा था।
उन्होंने भोजपुरी पर बात करते हुए कहा कि चंपारण भोजपुरी की पुरानी जमीन है। हम हई भोजपुरिया पुरबिया हई गीत भोजपुरी की पहचान बनी। उन्होंने कहा कि भोजपुरी में भिखारी ठाकुर भविष्यद्रस्टा रहे। नाटक पर भिखारी ठाकुर के बाद ज्यादा काम नहीं हुआ था तो मैंने नाटक पर काम किया। भिखारी ठाकुर को उनके रचना के चलते ही राहुल संस्कृतायन ने उन्हें भिखारी ठाकुर को शेक्सपियर कहा। आज भी भिखारी ठाकुर द्वारा लिखे गीत चलनी के चालल दूल्हा सबसे ज्यादा गाया जाता है। भोजपुरी भाषा के आंदोलन पर उन्होंने कहा की मैंने भोजपुरी आंदोलन के गीत लिखे जिसे कल्पना ने गया और आज भी वह गीत भोजपुरी का स्वाभिमान बन गया है। भोजपुरी पर बात करते हुए कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। समकालीन समाज का दुख, दर्द, पीड़ा, दुराचार लिखा जाना चाहिए ताकि अपने समय का वह इतिहास बन सके। आज के समय में इस तरह के लेखन की कमी है।
उन्होंने कहा कि मैंने बहुजन समय के अनमोल लोगों को चयनित कर उनपर भोजपुरी भाषा में किताब लिखी जिसमें कबीर, रैदास से लेकर करपुरी ठाकुर तक पर रचना लिखी है। आज के भोजपुरी समाज पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि भोजपुरी में अब अश्लील गीत काफी आने लगे है लेकिन 20 साल पहले ऐसा नहीं था। यह कोपरेट कल्चर के कारण ऐसा हुआ है। पहले भोजपुरी गीत हिंदी फिल्मों में भी संवेदना को दिखाने के लिए व्यक्त किया जाता था।
उन्होंने अपनी रचना एकलव्य पर कहा कि समाज आजतक एकलव्य को हीरो और द्रोणाचार्य को विलेन मनता है लेकिन ऐसा नहीं था। द्रोणाचार्य अपने को विलेन साबित कर अपने शिष्य का नाम अमर कर दिए। यह सवाल आज भी भोजपुरी शिक्षा में पूछी जाती है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी में सारी विधाओं पर गीत है लेकिन छठ के खरना पर गीत नहीं है इसीलिए मैंने खरना पर भी गीत लिखे। अंत में उन्होंने अपनी लिखे गीतों को गाया।
इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन मसि इंक की संस्थापक और निदेशक आराधना प्रधान ने किया।
इस कार्यक्रम में मधुरेश नारायण, सिद्धेश्वर, यशवंत मिश्रा, अरुण नारायण, कासिफ युनुस, मुकुल वर्मा आदि लोग उपस्थित थे।
भोजपुरी के गीत गाते हुए गोरख प्रसाद "मस्ताना"
आखर का आगामी कार्यक्रम 24 जून (कल) को शाम 5 बजे से भोजपुरी में होगा जिसमें हमारे वक्ता हैं डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना और उनसे बातचीत करेंगे मो. दानीश।
यह कार्यक्रम बी आई ए हॉल, छज्जुबाग पटना में होगा।
आप सादर आमंत्रित हैं।
आखर का आगामी कार्यक्रम 24 जून को भोजपुरी में होगा जिसमें हमारे वक्ता हैं डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना और उनसे बातचीत करेंगे मो. दानीश।
यह कार्यक्रम बी आई ए हॉल, छज्जुबाग पटना में होगा।
आप सादर आमंत्रित हैं।
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Aakhar (Bhojpuri)
Date - 24.06.2022
Place - B.I.A Hall, Patna
कविता कोई दैनिक क्रिया नहीं है कि आप इसे दिवस विशेष की तरह मानते है, यह सतत प्रक्रिया है। ये बातें प्रभा खेतान फाउंडेशन, मसि इंक और श्री सीमेंट की ओर से होने वाली मासिक कार्यक्रम आखर में युवा कवि गुंजन श्री ने कही।
कार्यक्रम के शुरुआत में युवा मैथिली साहित्यकार प्रिय रंजन झा ने गुंजन श्री से पूछा कि आपने साहित्य की ओर कब आकर्षित हुए इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मेरे घर में मेरे पिता पढ़ने के बहुत शौकीन रहे तो उन्हीं की किताबों को पढ़ते हुए साहित्य को समझा जाना इस बारे में उन्होंने कहा कि साहित्य का मेरा सफर वेद प्रकाश शर्मा की गल्प से लेकर हुआ जो आगे बढ़कर हजारी प्रसाद द्विवेदी की किताब "पुनर्नवा" तक पहुंची। उन्होंने अपने लेखन कर्म के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 2011 में स्मारिका में पहली कविता छपी थी। लेकिन गंभीर लेखन और समझदारी 2016 से आई। इसमें हरे कृष्ण झा का सबसे ज्यादा योगदान रहा। मैथिली के समकालीन में कविता की समझदारी को लेकर उन्होंने कहा कि हमारे उम्र के लोग कम कविता बुझते हैं। कविता कोई दैनिक क्रिया नहीं है यह संवेदना की बात है इसे बनने में समय लगता है। आप देखिए मैथिली साहित्य में लोग आज भी उसी तरीके से लिख रहे है जैसे 100 साल पहले का लेखन था जिसे हमें और इस पीढ़ी को बदलना है। जब आप किसी कविता को पढ़ते है तो यह देखिए कि कविता क्यों अच्छी लगी या क्यों न अच्छी लगी इससे ही आप कविता को समझ सकते है। उन्होंने अपने प्रिय कवि पर बात करते हुए कहा कि मुझे मंगरेश डबराल, विनोद शुक्ल, अज्ञेय आदि की कविता पसंद है। वहीं मैथिली में हरे कृष्ण झा, यात्री, अजीत आजाद आदि पसंद हैं। साहित्य लेखन पर उन्होंने कहा कि इसमें सबसे जुड़ा जरूरत धैर्य की है। प्रसिद्ध कवि रांके ने कहा है कि लेखक की जिम्मेदारी है कि पाठक के मनस्थिति को विकसित करे।
आजकल के साहित्य के विवेचना अपर उन्होंने कहा कि साहित्य में आलोचना बहुत महत्वपूर्ण योगदान रखती है। आलोचना ही लेखक की रचना को महान बनती है। पाठकीय क्रिया, आलोचना, समीक्षा सब अलग अलग चीजें है लेकिन आज सभी लोग सभी कुछ करने लगे है। आज के समय में समकालीन युवा लेखक आत्ममुग्धा से ग्रसित है और यह सब सोशल मीडिया के कारण तेजी से बढ़ा है।
मैथिली के भविष्य पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे इस भाषा का भविष्य सबसे उज्ज्वल नजर आ रहा है। आप देखिए हिंदी, अंग्रेजी को छोड़कर एकमात्र मैथिली भाषा ही है जिसमें अभी 300 से ज्यादा लेखक सक्रिय है। उन्होंने अपने आगामी योजनाओं के बारे में बात करते हुए कहा कि फिलहाल कविता ही लिख रहा हूं बाकी एक कथा है जो प्रेम प्रसंग पर लिखना है। उपन्यास भी लिखना है लेकिन अभी संभव नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी एक कविता "जानकी" और हरे कृष्ण झा की कविता का पाठ किया।
इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन मसि इंक की संस्थापक और निदेशक आराधना प्रधान ने किया।
इस कार्यक्रम में कथाकार अशोक, रामानंद झा रमन, उमेश मिश्रा, विवेकानंद झा, धीरेंद्र कुमार झा आदि लोग उपस्थित थे।
आखर में अपने प्रिय कवि हरे कृष्ण झा की कविता पढ़ते हुए गुंजन श्री।
आखर के कार्यक्रम में अपनी कविता का पाठ करते हुए युवा साहित्यकार गुंजन श्री।
आखर शुरू
आगामी आखर।
इस बार मैथिली में कार्यक्रम होगा जिसमें वक्ता होंगे युवा साहित्यकार गुंजन श्री और उनसे बातचीत करेंगे प्रिय रंजन झा।
यह कार्यक्रम आज 27 मई 2022 को विद्यापति भवन, पटना में शाम 4 बजे से होगा, आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
आगामी आखर।
इस बार मैथिली में कार्यक्रम होगा जिसमें वक्ता होंगे युवा साहित्यकार गुंजन श्री और उनसे बातचीत करेंगे प्रिय रंजन झा।
यह कार्यक्रम 27 मई 2022 को विद्यापति भवन, पटना में शाम 4 बजे से होगा, आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
आगामी आखर।
इस बार मैथिली में कार्यक्रम होगा जिसमें वक्ता होंगे युवा साहित्यकार गुंजन श्री और उनसे बातचीत करेंगे प्रिय रंजन झा।
यह कार्यक्रम 27 मई 2022 को विद्यापति भवन, पटना में शाम 4 बजे से होगा, आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
इस बार आखर (मैथिली) के कार्यक्रम की सूचना।
गिरमिटिया समाज ने भोजपुरी की सारी विधाओं को जिया है। ये बातें प्रभा खेतान फाउंडेशन, मसि इंक और श्री सीमेंट की ओर से होने वाली मासिक कार्यक्रम आखर में सरनामी - भोजपुरी भाषा के मशहूर गायक और कवि राज मोहन ने कही।
कार्यक्रम के शुरुआत में ही पत्रकार निराला बिदेसिया ने कहा कि आखर लोकभाषा के लिए काम करने वाला संस्थान आज अपना 5 साल पूर्ण कर लिया। निराला से बात करते हुए कहा कि राज मोहन अपने कार्यक्रमों को लेकर सूरीनाम, फ्रैंच, गुयाना, दक्षिण अफ्रीका, भारत सहित कई यूरोपीय देशों की यात्रा की लेकिन बिहार में कार्यक्रम को लेकर पहली बार आना हुआ है। इसे पहले वो बिहार आए थे लेकिन गीत, गजल और अपनी कविता की प्रस्तुति पहली बार की। उन्होंने गिरमिटिया मजदूर के गीतों के इतिहास पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जो आप गीत त्रिनिनाद, आदि जगहों पर को लोग अंग्रेज के साथ गए उनके गीतों में पॉप कल्चर आपको ज्यादा दिखेगा वहीं जो फिजी, सुरीमान गए वहां के गीत में दर्द दिखेगा। गिरमिटिया मजदूर के स्त्री पक्ष अपर उन्होंने कहा कि वहां स्त्रियां ज्यादा मजबूत रही है। क्योंकि स्त्रियां पुरुष की अनुपात के मुताबिक कम थी। इसीलिए कई बार उनके 3 या 4 पति होते थे। वो घर के फैसले लेने में सक्षम थी।
राज मोहन ने वहां के प्रवासी समाज के बारे में बताया कि जाति व्यवस्था तो यहां से जाते ही समाप्त होने लगी थी। जब पहली बार लोग अपनी माटी छोड़कर जा रहे थे तो करीब 40000 हजार की संख्या थी उनकी लेकिन इसमें से करीब 8000 जहाज पर ही मर गए तो उनमें जाति का दंभ खत्म हो गया था।
इस मौके अपर राज मोहन ने दो मुट्ठी जैसे गीत गाए। रैलिया बैरन का भाव के बारे में उन्होंने कहा कि यह गीत हमारा इतिहास रहा है जब हम यहां से अपने लोगों से बिछड़कर गए उसका दुख है यह गाना। अंत में उन्होंने कहा कि इतना जगह देने के लिए आप सभी का धन्यवाद।
इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन मसि इंक की संस्थापक और निदेशक आराधना प्रधान ने किया।
इस कार्यक्रम में ऋषिकेश सुलभ, पृथ्वी राज सिंह, रत्नेश्वर सिंह, यशवंत मिश्रा आदि लोग उपस्थित थे।
आखर के अगिला कार्यक्रम में रउआ लोग के स्वागत बा। अबकी के आखर भोजपुरी में होइ जेकरा में हमनी के मुख्य वक्ता रहीहें नीदरलैंड निवासी अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी गायक राज मोहन आ उनका से बातचीत करीहें वरिष्ठ पत्रकार निराला विदेसिया ।
ई कार्यक्रम 20 अप्रैल 2022 के 5 बजे साँझ के बी आई ए हॉल छज्जुबाग, पटना में होइ। ए कार्यक्रम में रउआ सभे सादर आमंत्रित बानी।
आखर के आगामी कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। इस बार आखर भोजपुरी में होगा, जिसमें हमारे वक्ता होंगे राज मोहन और उनसे बातचीत करेंगे निराला बिदेसिया। यह कार्यक्रम 20 अप्रैल को शाम 5 बजे से बीआईए हॉल छज्जुबाग, पटना में होगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
आखर के आगामी कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। इस बार आखर भोजपुरी में होगा, जिसमें हमारे वक्ता होंगे राज मोहन और उनसे बातचीत करेंगे निराला बिदेसिया। यह कार्यक्रम 20 अप्रैल को शाम 5 बजे से बीआईए हॉल छज्जुबाग, पटना में होगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
कविता में कवि को जनता के पक्ष में खड़ा रहना चाहिए। ये बातें प्रभा खेतान फाउंडेशन, मसि इंक और श्री सीमेंट की ओर से होने वाली मासिक कार्यक्रम आखर में कवि, साहित्यकार, कथाकार अजीत आजाद ने कही।
कार्यक्रम के शुरुआत में ही मैथिली असिस्टेंट प्रो डॉ निक्की प्रियदर्शी ने अजीत आजाद से पूछा कि आपने कविता की शुरुआत कब की इसपर उन्होंने कहा कि कविता की शुरुआत से पहले कथा लिखी मैंने। कथा की शुरुआत मैथिली साहित्य में "सगर राइत दीप जड़े" के आयोजन से की। आज वहा से जो साहित्य कर्म चला मेरा उससे आजतक 7 कविता संग्रह और कई कथा लिखी। अभी तक 1000 से ऊपर कविता लिखे है तो उसमें अच्छी कविता और खराब कविता को कैसे अलग करते है इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो सहचर्य है जो हमें अपने ऊपर की पीढ़ी से मिली है इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शुरू में हमारा लिखा हुआ जीवकांत जी पढ़ते थे और कहते थे की बहुत अच्छा है फिर बहुत धीरे से उस लिखे हुए गजल को फाड़ देते थे उस समय बुरा लगता था लेकिन आज लग रहा है कि वो अच्छा किए। 1994 में मैने पहली कविता लिखी और आज 27 साल हो गए है लेखन कर्म में फिर जाकर आज इस मंच और बैठा हूं। कविता में वाद पर उन्होंने कहा कि कविता में वाद एक धारा में बंद जाता है जबकि कविता का काम जनता के पक्ष का होना है और सरकार का विरोध। यह आपको तय करना है कि आप किस तरफ खड़े है। आज दुनिया में कवि को मानवता के कारण यूक्रेन के साथ खड़ा होना चाहिए। हमलोग ने नंदीग्राम का विरोध किया था लेकिन माणिक सरकार का समर्थन। अगर आप किसी विचारधारा में होते तो ऐसा नहीं कर पाते। उन्होंने अपनी कविता संग्रह "गाम से बहरायत गाम" के संदर्भ के बारे में कहा कि यह हजार साल की यात्रा है। गाम अब शहर होते जा रहे है। हम सभी बस मजदूर मंडी बनकर रह गए है। हमारे पास गाम ही है तो गाम को ही लिखेंगे यही हमारी पूंजी है। वंचित लोगों की % सबसे ज्यादा गाम में ही पाया जाता है। इसीलिए उनकी ज्यादा से ज्यादा बात करेंगे तो गाम को लिखेंगे ही। मैंने मैथिली में मृत्यु पर मैथिली में कविता लिखी है। मैंने अपने आस्वाद के समय पर मृत्यु पर कविता लिखी है। हम 52 वर्ष की उम्र में "मृत्यु थिक विचार" लिखे। उसके बाद मैने अपनी पहचान अपने जड़ की ओर देखा। बड़े लेखक पहले बनाए हुए सांचा तोड़ते है। नागार्जुन इसका उदाहरण है। मैथिली साहित्य में मैथिली कविता नहीं है, मतलब कविता में मिथिला नहीं है।
वैश्विक जगत पर मिथिला का विस्तार पर उन्होंने कहा कि मैथिली अब दरभंगा, मधुबनी से निकलकर पटना, दिल्ली और कई शहरों से होते हुए अमेरिका और कई देशों में जा पहुंचा है।
इसके बाद उन्होंने अपनी एक कविता का पाठ किया।
इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन मसि इंक की संस्थापक और निदेशक आराधना प्रधान ने किया।
इस कार्यक्रम में कथाकार अशोक, पद्मश्री उषा किरण खान, उमेश मिश्रा, किशोर केशव, पंकज श्रीआदि लोग उपस्थित थे।
आखर के कार्यक्रम में कविता पढ़ते हुए अजीत आजाद।
आखर के आगामी कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। इस बार आखर मैथिली में होगा, जिसमें हमारे वक्ता होंगे अजीत आजाद और उनसे बातचीत करेंगी डॉ निक्की प्रियदर्शी। यह कार्यक्रम 25 मार्च (आज) को शाम 5 बजे से विद्यापति भवन, पटना में होगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
आखर के आगामी कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। इस बार आखर मैथिली में होगा, जिसमें हमारे वक्ता होंगे अजीत आजाद और उनसे बातचीत करेंगी डॉ निक्की प्रियदर्शी। यह कार्यक्रम 25 मार्च को शाम 5 बजे से विद्यापति भवन, पटना में होगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
आखर के आगामी कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। इस बार आखर मैथिली में होगा, जिसमें हमारे वक्ता होंगे अजीत आजाद और उनसे बातचीत करेंगी डॉ निक्की प्रियदर्शी। यह कार्यक्रम 25 मार्च को शाम 5 बजे से विद्यापति भवन, पटना में होगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
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