Bihar Diary
बिहार में विहार करें.....
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अचार का नक्शा : भारत में अचार का इतिहास कितना पुराना है, यह कोई नहीं जानता। लेकिन हाँ, 2400 BC में मोहन जोदड़ो सभ्यता में अचार जरूर बनाया जाता था। यहां के मूल निवासी खाने को अधिक दिनों तक खाने लायक बनाए रखने के लिए, उसे नमक या तेल में डूबोकर रखते थे। भारत के हर घर में अचार मिलना एक सामान्य सी बात है। यहाँ, खाने की विभिन्नता से तो हम सभी वाकिफ हैं, तो अचार में भी विभिन्नता होना स्वाभाविक है। तो आज हम आपके लिए लाए हैं, अचार मैप ऑफ़ इंडिया।
अगर हमसे कोई अचार का प्रकार या नाम छूट गया हो तो हमें कमेंट कर जरूर बताईये।
बिहार में पर्यटन स्थल को विकसित करने के लिए राज्य सरकार एक के बाद एक योजना बना रही है। इसी कड़ी में बोधगयाके समीप सिलौंजा में पर्यटन का नया आकर्षण केंद्र बनाने के उद्देश्य से सेवेन वंडर्स ऑफ द वर्ल्ड की प्रतिकृति बनाने का निर्णय लिया गया है। पर्यटन विभाग ने इसके निर्माण के लिए 14.85 करोड़ रुपये राशि की प्रशासनिक स्वीकृति भी दे दी। 24 माह में पूर्ण किया जाएगा रेप्लिका का निर्माण : इस योजना के तहत गीजा के पिरामिड, ताजमहल, चीन की दीवार सहित सात सेवेन वंडर्स ऑफ द वर्ल्ड की प्रतिमूर्ति का निर्माण तथा अन्य पर्यटकीय संरचनाओं का बनाने का कार्य पूर्ण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि संरचनाओं के निर्माण के तहत सिलौंजा सेवेन वंडर्स पर्यटन स्थल का आधारभूत विकास कार्यका निर्माण कार्य किया जाना है. इस योजना की कार्यकारी एजेंसी वन प्रमंडल गया होगी।
बिहार में पटना के टोल प्लाजा पर ई-डिटेक्शन सिस्टम स्टार्ट : 18 दिनों में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की गाड़ी समेत 12 हजार का कटा चालान, अपडेट रखें गाड़ी के डॉक्यूमेंट्स।
गया जंक्शन रेलवे स्टेशन भारतीय राज्य बिहार के गया जिले और मगध डिवीजन के मुख्यालय गया शहर में सेवा देने वाला एक जंक्शन स्टेशन है। गया पूर्व मध्य रेलवे जोन के पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे डिवीजन में है । हावड़ा और नई दिल्ली को जोड़ने वाली ग्रैंड कॉर्ड रेल-लाइन गया से होकर गुजरती है। यह दिल्ली की तरफ पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन और हावड़ा की तरफ धनबाद जंक्शन के बीच स्थित है। यह 24°48′13″N 84°59′57″E पर स्थित है । इसकी ऊंचाई 117 मीटर (384 फीट) है । गया अधिकांश राज्यों से रेल नेटवर्क के माध्यम से जुड़ा हुआ है । बहुत कम ट्रेनें यहां नहीं रुकती हैं- सियालदह दुरंतो, भुवनेश्वर दुरंतो, झारखंड संपर्क क्रांति और ओडिशा संपर्क क्रांति । शहर में दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं: गया जंक्शन और मानपुर जंक्शन। गया पटना , जहानाबाद , बिहारशरीफ, राजगीर , इस्लामपुर, नवादा, डेहरी ऑन सोन से दैनिक यात्री और एक्सप्रेस ट्रेन सेवाओं के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है ।
भारत का सबसे पुराना हिन्दू मंदिर , मुंडेश्वरी मंदिर : कैमूर , बिहार । मुंडेश्वरी मंदिर भारत के बिहार राज्य का सबसे पुराना हिंदू मंदिर है, जो सोन नदी के पास कैमूर पठार के मुंडेश्वरी पहाड़ियों पर 608 फीट की ऊंचाई पर रामगढ़ गांव में स्थित है। मुंडेश्वरी पहाड़ियों में स्थित माँ मुंडेश्वरी देवी मंदिर भगवान शिव और शक्ति को समर्पित है। मंदिर में गणेश, सूर्य और विष्णु देवता भी हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अनुसार मंदिर का निर्माण 108 ईस्वी में किया गया था और यह 1915 से संरक्षित स्मारक है। मुंडेश्वरी मंदिर नागर शैली के मंदिर वास्तुकला का सबसे पुराना उदाहरण है। इस मंदिर की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यहां बिना खून-खराबे के बकरों की बलि दी जाती है। साथ ही, आप अपनी निगाहें मां की मूर्ति पर ज्यादा देर तक नहीं टिका सकते। इसी मंदिर परिसर में एक पंचमुखी शिवलिंग भी है, जो दिन में तीन बार रंग बदलता है। इस मंदिर को शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है और इसके बारे में कई बातें प्रसिद्ध हैं, जो इसके अनूठे धार्मिक महत्व को दर्शाती हैं। यहां कई ऐसे रहस्य हैं, जिन्हें अब तक कोई नहीं जान पाया है। यहां मिले शिलालेख के अनुसार, यह मंदिर लगभग 389 ईस्वी पूर्व का है, जो दर्शाता है कि यह सबसे पुराना मंदिर है।
बिहार के 18 शहरों में निजी FM Radio शुरू करने की मंजूरी केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दे दी है। पूरे भारत मे 234 नए शहरों का चयन किया गया है। बिहार में बेतिया, बगहा, मोतिहारी, सिवान, छपरा, आदि शहरों का नाम इस सूची में शामिल हैं। सरकार के इस पहल से बिहार में स्थानीय संस्कृति, मनोरंजन और सूचना के प्रसार में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इनमें आरा (3), औरंगाबाद (3), बेगूसराय (3), बगहा (3), बेतिया (3), भागलपुर (4), बिहार शरीफ (3), छपरा (3), दरभंगा (3), गया (4), किशनगंज (3), मोतिहारी (3), मुंगेर (3), पूर्णिया (4), सहरसा (3), सासाराम (3), सीतामढ़ी (3) और सीवान (3) शामिल है
भागलपुर जिला के कहलगांव के ओरियप गांव में बांस के घने जंगलों के बीच बासरी देवी के मंदिर के सामने स्थित मंदिर में स्थापित है एक ऐसा शिवलिंग जिसके बारे में मान्यता है कि ये आपरूपी अपने स्थान पर घूमते रहते हैं।
सिटी सेंटर पटना शहर का सबसे बड़ा मॉल है। यह मॉल छह लाख स्क्वायर फीट में फैला हुआ है।
सासाराम : बिहार का वह ऐतिहासिक नगर जो शेरसाह सूरी के गौरवसाली अतीत को अपने अंदर समेटे हुए हैं। यहां स्थित है शेरसाह सूरी का मकबरा जो एक ऐतिहासिक धरोहर और वास्तुकला की उत्कृष्टता का अद्वितीय उदाहरण है। शेर शाह सूरी, जिन्होंने भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया, उनके मकबरे का निर्माण उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र के द्वारा कराया गया था। यह मकबरा बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में स्थित है और इसे उनकी शाही भव्यता का प्रतीक माना जाता है।
मां मुंडेश्वरी वन्य प्राणी ईको पार्क के प्रथम भाग में पहले से खुदे एक तालाब का बुद्ध सरोवर के रूप में जिर्णोद्धार कराया गया है एवं इसमें फव्वारे लगाये गये हैं। इसी भाग में वृक्षों के विभान्न भावों को प्रदर्शित करते हुए तरूण तरंग बनाया गया है। इस भाग में डायनासोर, बाघ, शेर, चितल, कृष्ण मृग, - मगरमच्छ, गौर, कंगारू एवं अन्य बच्चों को अच्छे लगने वाले जानवरों की प्रतिमाये लगाई गई है। इसमें एक मसरूम चौराहा का निर्माण भी कराया गया है। यह बेहद मनोरम है।
सावधान !! बिहार में टोल पर गाड़ी लेकर निकलने के पहले सभी दस्तावेज ठीक कर लें। एक हफ्ते में टोल प्लाजा पर ‘ई-डिटेक्शन’ के माध्यम 9.49 करोड़ रुपये के ई-चालान किए गए हैं। ये चालान टोल प्लाजा पर लगाए गए एकदम नए ई डिक्टेशन सिस्टम के बाद काटे गए। यानी अगर आप बिहार में गाड़ी लेकर सड़क पर निकल रहे हैं तो अपने वाहन के साथ सभी कागजात भी दुरुस्त रखेँ।
महाबोधि मन्दिर । बोधगया
पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर की पहचान है नैवेद्यम लड्डू। कहते हैं, इस नैवेद्यम का स्वाद जिसने एक बार चखा, वह उसे जीवनभर नहीं भूलता। पटना आने पर नैवेद्यम का स्वाद ज़रूर चखें ।
बिहार में दर्शनीय स्थल : बुद्धा स्मृति पार्क । पटना
दरभंगा क़िले का हवाई दृश्य
महाबोधि मंदिर । बोधगया
महावीर मंदिर । पटना
बिहार डायरी की ओर से आप सभी को श्री कृष्णा जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
मखाना : मिथिला के प्रसिद्ध मखान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
उत्पादन : बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में मखाना का सार्वाधिक उत्पादन होता है। मखाना के कुल उत्पादन का 88% बिहार में होता है।
अनुसंधान : 28 फ़रवरी 2002 को दरभंगा के निकट बासुदेवपुर में राष्ट्रीय मखाना शोध केंद्र की स्थापना की गयी। दरभंगा में स्थित यह अनुसंधान केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्य करता है। दलदली क्षेत्र में उगनेवाला यह पोषक भोज्य उत्पाद के विकाश एवं अनुसंधान की प्रबल संभावनाएँ है।
मखाना एक लो कैलोरी हेल्दी फूड है और भारत के लगभग हर हिस्से में यह खाया जाता है । लेकिन अधिकांश लोगों को शायद मालूम नहीं है कि मखाना बनता कैसे है। बिहार के मिथिलांचल में भारत का अधिकांश मखाना पैदा किया जाता है।
मखानो की खेती उथले पानी वाले तालाबो में की जाती है और बिहार में मिथिलांचल में ही मखाने की सबसे ज्यादा खेती होती है, पुरे देश का करीब 80% मखाना बिहार में ही उगाया जाता है |
“कुरूपा अखरोट” नाम की एक घास के बीज को ही उबाल कर और फिर इसे भून कर मखाना बनाया जाता है |
मखाने का सबसे बड़ा लाभ यह है की इसे उगाने के लिए खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होता इसीलिए इसे आर्गेनिक भोजन भी कहा जाता है |
मखानो को फोक्स्नट अथवा प्रिकली लिली, जिसका मतलब होता है कांटे युक्त लिली भी कहते है क्योंकि इसमें छोटे छोटे कांटे भी होते है |
मखाना की खेती भारत के अलावा चीन, रूस, जापान और कोरिया में भी की जाती है |
मणिपुर के कुछ इलाको में इसकी जड़ और पत्तो के डंठलो की भी सब्जी बनाई जाती है |
अपने औषधीय गुणों के कारण अमेरिकन हर्बल फ़ूड एसोसिएशन ने मखाने को क्लास वन फ़ूड का दर्जा दिया हुआ है |
मखाने में एंटीओक्सीडेंट होते है, जिस कारण चेहरे पर झुर्रिया नहीं पढ़ती और बढती उम्र का असर चेहरे पर नज़र नहीं आता। मखाना खाने से वजन पर नियंत्रण होता है क्योंकि इसमें फैट की मात्रा बहुत ही कम होती है और इसीलिए यह वजन कम करने में सहायक है । मखाना में फाइबर की मात्र ज्यादा होती है जिस कारण कब्ज की समस्या नहीं होती और पाचन क्रिया सही रहती है |
मखाना के सेवन से हार्ट प्रॉब्लम में भी लाभ मिलता है क्योकि इसमें कोलेस्ट्रोल लेवल बहुत कम होता है जिससे हार्ट प्रॉब्लम से आप बचे रहते हैं | मखाने के नियमित सेवन से शुगर में भी लाभ होता है और आप डायबिटीज से बचे रहते है |मखाना खाने से शरीर में टोक्सिन्स दूर होते है और आपको मिलती है किडनी की समस्या से राहत। रोज कुछ मात्र में मखाना खाने से शरीर में कैल्शियम की कमी दूर होती है जिससे हड्डियां मजबूत होती है और जोड़ो के दर्द में भी आराम मिलता है। मखाने में पोटेशियम की अधिक मात्रा होती है जिस कारण BP कण्ट्रोल में रहता है । मखाना में पानी की मात्रा अधिक होती है जिस कारण त्वचा में नमी बनी रहती है और चेहरे में चमक बरकरार रहती है।
बिहार के बांका जिले में स्थित मंदार पर्वत की धार्मिक महत्वता के बारे में क्या आप जानते हैं??
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बी.पी.मंडल की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन।
बिहार के चार शहरों में चलनेवाली मेट्रो रेल मेड इन बिहार होगा। बिहार के जमालपुर रेल कारखाने में मेट्रो रेल का निर्माण किया जायेगा। जमालपुर रेल कारखाने में बनी मेट्रो का परिचालन बिहार के दरभंगा समेत चार शहरों में करने की योजना है। मुजफ्फरपुर, गया, दरभंगा और भागलपुर में मेट्रो रेल सेवाएं शुरू हो रही हैं। इतना ही नहीं सब कुछ ठीक रहा तो पटना मेट्रो के मेंटनेंस का काम भी जमालपुर रेल कारखाने को मिल सकता है। मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी हैं।
राजकुमार शुक्ल : चम्पारण के माटी के लाल, चम्पारण सत्याग्रह के रचवइया माँ भारती के अमर सपूत राजकुमार शुक्ल जी के जयंती प आखर परिवार उहां के बेर बेर नमन क रहल बा ।
जन्म - 23 अगस्त 1875
पुण्यतिथि : 20 मई 1929
राजकुमार शुकुल जी के जनम, बिहार के चंपारण के मुरली भराहवा गांव में भइल रहे । इहां के 1908 में दसहरा के बेरि बेतिया के लौरिया, पिपरहिया, लौकरिया, जोगापट्टी, लोहिआरिया, कुड़ियाकोठी आदि जगहन/गांवन के किसानन के एकजुट क के अंग्रेजन के खिलाफ / नील के खेती के खिलाफ आवाज उठवनी आ खेती बन करवा देले रहनी । अंग्रेजन इहाँ प केस क के जेल में बंद क देहलन स । नीले के खेती के बंद करे खातिर किसानन के आवाज बनि के इहां के जगह जगह पैरवी करत रहनी ।
शुकुल जी रहनी त बहुत सीधा-सादा बाकिर धुन के पक्का रहनी । बिहार में अलग अलग जगह आयोजित होखे वाला कांग्रेस के अधिवेसन में इहां के शामिल होत रहनी आ अंग्रेजन के खिलाफ नील के खेती के ले के किसानन के आपन बात राखत रहनी ।
इहां के किसानन के समस्या आ संघर्ष के राष्ट्रीय स्तर प मुद्दा बनावे के कोशिश कइनी जवना के शुरुवात 'बिहारी' अखबार के अलावा, गणेश शंकर विद्यार्थी के संपादन वाला 'प्रताप' में चंपारण के किसानन के मुद्दा छपल । आ एहि घरी इहां के गांधी के आगमन आ प्रभाव के बारे में मालूम चलल । फेरु त शुकुल जी के एकमात्र उद्देश्य इहे रहे कि गांधी जी के चंपारण ले के आवल जवना से किसानन के समस्या आ अंग्रेजन के अत्याचार, से निजात मिले ।
26 से 30 दिसम्बर 1916 के लखनऊ में कांग्रेस के सम्मेलन रहे । राजकुमार शुकुल जी ओह सम्मेलन में चहुंप के गांधी जी से चंपारण आवे के निहोरा कइनी । बाकिर गांधी जी शुकुल जी से बहुत प्रभावित ना रहनी आ गांधी जी, शुकुल जी से कुछ बहाना बना के निकल गइनी । फेरु शुकुल जी अहमदाबाद चहुंपनी आ चंपारण आवे के जिद्द करे लगनी । त गांधी जी कहनी कि उहां के 7 अप्रैल के कलकत्ता जा रहल बानी । ओहिजा भेंट होखे ।
10 अप्रैल 1917 के बांकीपुर आ फेरु मुजफ्फरपुर होत 15 अप्रैल 1917 के गांधी जी चंपारण के माटी प आपन गोड़ रखनी जहाँ किसानन के हजूम रहे । असल में मुजफ्फरपुर से ले के चंपारण तकले गांधी जी के आगमन से हर जगहा भीड़ जुट गइल रहे ।
20 मई 1929 के राजकुमार शुकुल जी के निधन हो गइल बाकिर शुकुल जी अपना अंतिम यात्रा प जाए से पहिले चंपारण के माटी से किसानन के नील के समस्या से मुक्ति दिया चुकल रहले आ मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा बना चुकल रहले ।
भोजपुरिया माटी के एह वीर सपूल के जयंती प बिहार डायरी बेर बेर नमन क रहल बा !
आसमान में ऐसे भी तारे हैं, जिनका नाम हमारे भारतीय वैज्ञानिकों पर रखा गया है। आज National Space Day पर जानिए, उन सितारों के बारे में जिनका नाम महान भारतीयों के नाम पर रखा गया है।
कोल्हुआ : वैशाली
वीरायतन, नालंदा का एक ऐतिहासिक धरोहर है जहाँ 24 तीर्थंकरों के जीवन का अनूठा चित्रण देखने को मिलता है।
कोल्हुआ । वैशाली
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