Anant Dev
एक जिंदगी है प्यारी सी जिसको देश 🇮🇳 के नाम कर रखा है।
🇮🇳🧡 INDIA💚🇮🇳
"बिखरते सवालों में संवरती हुई सी ज़िन्दगी, बढ़ती मुश्किलों से निखरती हुई सी ज़िन्दगी .. हर मोड़ पर यहां एक नया सफ़र बुनती हुई, फिर कुछ ठोकरों से संभलती हुई सी ज़िन्दगी ... बहुत सोचकर जो राहें चुनी मैंने, उनसे बचते बचाते रुख़ बदलती हुई सी ज़िन्दगी.. कभी मुझे हताश कर यूं मायूस करती हुई, फिर खुशियों से मेहरबां करती हुई ये ज़िन्दगी ... हर रोज़ नए रंगों में घुलती हुई, महकती हुई पल पल में हैरां करती हुई ये zindagi"
✍️ Anant Dev , Anant Dev
बस यही शुभकामनाएं है हमारी
आपके लिए दीपावली के इस पावन
अवसर पर दीपक का प्रकाश हर पल
आपके जीवन में एक नयी रोशनी दे।
दीपवाली की हार्दिक शुभकामनाएं। 🪔❤️
Best wishes to all of you for the beginning of Navratri.
May Shakti Pradayini Maa Durga in all her motherly and worshipable forms bring happiness, prosperity, joy, good fortune and good health in your life.
Government intermediate college Prayagraj Uttar Pradesh India 🇮🇳
शहीद भगत सिंह 🇮🇳🇮🇳
▪️भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को बंगा गाँव, जिला - लायलपुर, पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था।
▪️इनका पालन-पोषण पंजाब के जालंधर ज़िले में संधू जाट किसान परिवार में हुआ।
▪️वर्ष 1923 में भगत सिंह ने नेशनल कॉलेज, लाहौर में प्रवेश लिया, जिसकी स्थापना और प्रबंधन लाला लाजपत राय एवं भाई परमानंद द्वारा किया था।
▪️वर्ष 1924 में भगतसिंह कानपुर में शचिन्द्र नाथ सान्याल द्वारा एक साल पहले शुरू किए गए हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (Hindustan Republican Association) के सदस्य बने तथा एसोसिएशन के मुख्य आयोजक चंद्रशेखर आज़ाद थे।
▪️हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य के रूप में भगत सिंह ने ‘बम का दर्शन’ (Philosophy of the Bomb) को गंभीरता से लेना शुरू किया।
▪️उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ सशस्त्र क्रांति को एकमात्र हथियार माना।
▪️वर्ष 1925 में भगत सिंह लाहौर लौट आए और अगले एक वर्ष के भीतर उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ‘नौजवान भारत सभा’ नामक एक उग्रवादी युवा संगठन का गठन किया।
▪️अप्रैल, 1926 में भगत सिंह ने सोहन सिंह जोश के साथ संपर्क स्थापित किया तथा उनके साथ मिलकर ‘श्रमिक और किसान पार्टी’ की स्थापना की।
▪️दिसम्बर 1928 - राजगुरु के साथ मिलकर जे. पी. सांडर्स को मारकर 'लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लिया।
▪️इनकी प्रमुख रचना ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ ‘ है।
▪️शहादत : 23 मार्च, 1931 लाहौर जेल, पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान)
Kulbhashkar Ashram Krishi Intermediate college Prayagraj Uttar Pradesh India 🇮🇳
Tej Bahadur Sapru hospital campus Prayagraj Uttar Pradesh India 🇮🇳
Remembering the valiant of Kargil conflict who sacrificed his life protecting our motherland captain on his birth anniversary
Mahatma Gandhi paheliyan Prayagraj Uttar Pradesh India.
यहां देश के स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , अमिताभ बच्चन आए थे। यह एक ऐतिहासिक स्थल हैं।
K.P. Ground Prayagraj Uttar Pradesh India 🇮🇳
तोड़े से भी ना टूटे जो ये ऐसा बंधन है...
इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षाबन्धन है..
भाई-बहन के असीम प्रेम एवं स्नेह को समर्पित रक्षाबंधन के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें🌼🌿🙏💐
Public Library prayagraj uttar pradesh India.
राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी प्रयागराज उत्तर प्रदेश इंडिया।
बन गया इतिहास! नीरज चोपड़ा ने बुडापेस्ट में पुरुषों के भाला फेंक फाइनल में 88.17 मीटर के प्रभावशाली थ्रो के साथ विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। यह खिताब हासिल करने वाले पहले भारतीय बनकर उन्होंने हम सभी को गौरवान्वित किया है। बधाई हो! 💐🇮🇳💐
दो शब्द!!!
बहुत साल पहले की बात है की एक नगर में किशन नाम का लकड़हारा (Woodcutter) रहा करता था। वह अपने गुजर बसर के लिए जंगल से लकड़ी काटकर लाता और नगर में बेचता था। इन लकड़ियों को बेचने से लकड़हारे को जो पैसे मिलते थे उससे वह अपने लिए खाना खरीदकर खा लेता था। यह उसकी रोज की दिनचर्या थी।
एक दिन की बात है की जंगल में लकड़हारा एक तेज बहती हुई नदी के पास एक पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काट रहा था। पेड़ से लकड़ी काटते हुए कुल्हाड़ी लकड़हारे के हाथ से छूटकर नदी में जा गिरी।
कुल्हाड़ी ढूंढने के लिए लकड़हारा पेड़ से नीचे उतरा और कुल्हाड़ी ढूढ़ने लगा लेकिन बहुत प्रयास करने के बाद लकड़हारे को उसकी कुल्हाड़ी नहीं मिली। लकड़हारे ने सोचा की नदी में पानी बहुत गहरा है और बहाव भी तेज है। कुल्हाड़ी नदी में पानी के साथ बह गयी होगी।उदास और मायूस होकर लकड़हारा नदी किनारे बैठकर रोने लगा। कुल्हाड़ी खो जाने से लकड़हारा काफी दुखी था। लकड़हारे यह सोचने लगा की उसके पास इतने पैसे भी नहीं हैं की वह नयी कुल्हाड़ी खरीद सके।
जब लकड़हारा दुखी होकर नदी किनारे बैठा हुआ था तब नदी से एक देवता स्वरुप मनुष्य प्रकट हुए और उन्होंने लकड़हारे को आवाज़ लगाई। देवता ने लकड़हारे से पूछा की तुम इतने दुखी क्यों हो और तुम रो क्यों रहे हो। देवता के पूछने पर अपनी कुल्हाड़ी खोने की पूरी कहानी बताई। लकड़हारे की बात सुनकर देवता ने कहा की मैं तुम्हारे लिए कुल्हाड़ी ढूंढकर लाऊंगा ये बात कहकर देवता ने लकड़हारे को उसकी मदद का भरोसा दिलाया।
इसके बाद देवता नदी में समा गए और कुछ देर के बाद नदी से बाहर निकले। लकड़हारे ने देखा की देवता के हाथ में तीन तरह की कुल्हाड़ियाँ हैं। पहली कुल्हाड़ी को दिखाकर जो सोने की बनी हुई थी देवता ने लकड़हारे से पूछा की बताओ क्या यह कुल्हाड़ी तुम्हारी है ? लकड़हारे ने जवाब दिया की नहीं भगवन यह सोने की कुल्हाड़ी मेरी नहीं इसके बाद देवता ने चांदी की कुल्हाड़ी को दिखाते हुए पूछा की क्या यह कुल्हाड़ी तुम्हारी है ?लकड़हारे ने जवाब दिया की नहीं भगवान यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं। इसके बाद लकड़ी से बनी कुल्हाड़ी को दिखाते हुए देवता ने वही प्रश्न दोबारा किया। इस बार लकड़हारे ने जवाब दिया की जी हाँ यह लकड़ी से बनी कुल्हाड़ी मेरी हैं इसी से मैं पेड़ पर बैठकर लकड़ी काट रहा था। लकड़ी काटते समय यह मेरे हाथ से छूटकर नदी में गिर गई थी।
देवता के द्वारा लकड़हारे की ईमानदारी को देखकर बहुत अधिक प्रसन्न हुए। देवता ने कहा की किशन यदि तुम्हारी जगह कोई और होता तो वह लालच में आकर सोने या चांदी की कुल्हाड़ी ले लेता परन्तु तुमने ऐसा नहीं किया। हम तुम्हारी ईमानदारी से बहुत अधिक प्रसन्न हैं।
तुमने पवित्र और सच्चे मन से मेरे द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जवाब दिए तो मैं तुम्हें उपहार के रूप यह तीनों कुल्हाड़ी भेंट करता हूँ। तुम यह तीनों कुल्हाड़ी भेंट स्वरुप अपने पास रख लो। लकड़हारा तीनों कुल्हाड़ी लेकर बहुत खुश था। वह तीनों कुल्हाड़ी लेकर अपने घर चला गया।
कहानी की सीख: उपरोक्त लकड़हारे की कहानी हमें सिखाती है की हमें कभी भी जीवन में ईमानदारी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
Hanuman Mandir civil line Prayagraj Uttar Pradesh.
प्रयागराज हनुमान मंदिर सिविल लाइंस उत्तर प्रदेश।
नाम : अग्नेसे गोंकशी बोंजशियु।
जन्म : 27 अगस्त, 1910 युगोस्लाविया।
पिता : द्रना बोयाजु। (कॅथ्लिक)
माता : निकोला बोयाजु।
मृत्यु : 5 सितम्बर, 1997
प्रारंभिक जीवन :
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब मसेदोनिया में) में हुआ। उनके पिता निकोला बोयाजू एक साधारण व्यवसायी थे। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। जब वह मात्र आठ साल की थीं तभी उनके पिता परलोक सिधार गए, जिसके बाद उनके लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी उनकी माता द्राना बोयाजू के ऊपर आ गयी। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं।
उनके जन्म के समय उनकी बड़ी बहन की उम्र 7 साल और भाई की उम्र 2 साल थी, बाकी दो बच्चे बचपन में ही गुजर गए थे। वह एक सुन्दर, अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं। पढाई के साथ-साथ, गाना उन्हें बेहद पसंद था। वह और उनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य गायिका थीं। ऐसा माना जाता है की जब वह मात्र बारह साल की थीं तभी उन्हें ये अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी और 18 साल की उम्र में उन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया।
Basic English Grammar by Anant Sir
YouTube channel https://youtube.com/.educationwithanantsir?si=OcHrOTLp2LY47oW-
मेरा गांव
मेरा गांव मेरा शहर मेरा देश मेरा प्रदेश इंडिया 🇮🇳
Prayagraj Uttar Pradesh India
प्रयागराज उत्तर प्रदेश इंडिया।
Chandrayaan 3 : चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ भारत ने रचा इतिहास ✨🎉 congratulations Team
ISRO - Indian Space Research Organisation
केंद्रीय राज्य पुस्तकालय प्रयागराज उत्तर प्रदेश
Central State library Prayagraj Uttar Pradesh
जेब में रखा पेन कोई मांग ले,हम लोग देने में हिचकिचाते है.ये बेटी वाले क्या जिगर रखते है,जो कलेजे का टुकड़ा सौंप देते है!!
और बेशर्म है वो लोग जो इतनी कीमती चीज लेने के बाद भी कीमत मांगते है!!
Use of has have and had
Has have and had का प्रयोग
भारत ही एक ऐसा देश है जिसका झंडा प्रकृति में बनता है....
✍️ Anant Dev
मेरा गांव मेरा देश 🇮🇳
Indian Village
छुट्टी का दिन गांव, घर , खेत और परिवार ।
ADGPI - Indian Army
Indian Air Force
Indian Navy
Azad park Prayagraj Uttar Pradesh India.
Independence day 🇮🇳
भारत माता की जय🇮🇳
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।😊
Kulbhashkar Ashram krishi postgraduate college prayagraj uttar pradesh.
एक फौजी के रुतबे से बड़ा कोई और रुतबा नहीं होता, वर्दी की शान से बड़ी कोई और शान नहीं होती, और अपने देश से बड़ा कोई धर्म नहीं होता ।
हर घर तिरंगा.
🇮🇳🇮🇳🇮🇳
मंजिल मिल ही जाएगी भटक
कर ही सही गुमराह तो वो है जो
घर से निकले ही नहीं ...!!
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