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मैं प्रभु से कामना करता हूँ कि आपको प्रभु नये साल में सुख , शांति, शक्ति, सम्पति, स्वरुप, संयम, सादगी, सफलता, समृध्दि, साधना, संस्कार, और स्वास्थ्य दे।
नये साल की ढेरों शुभ कामनाओं के साथ आप ओर आपके परिवार को अग्रवाल एकाउंट्स की तरफ से नऐ साल कि हार्दिक शुभ कामनाऐं । 🙏
अग्रवाल एकाउंट्स रतिया
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#शरीर_के_लिए_अमृत_है_त्रिफला_चूर्ण, #बीमारियां_रहेंगी_कोसों_दूर
आयुर्वेद में शरीर के हर मर्ज की दवा है और निरोग शरीर को उम्रभर जवां रखने के लिए भी आप इसका उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए आपको बस रसोई में मौजूद त्रिफला का रोजाना इस्तेमाल करना होगा...
शरीर के रोगों का अगर आयुर्वेदिक उपचार किया जाए तो इससे रोग जड़ से खत्म तो होता ही है साथ इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता. त्रिफला पाउडर ऐसे ही तीन औषधियों(1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है) को मिलाकर बना है जो शरीर को निरोग बनाने में मदद करते हैं.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आयुर्वेदिक दवाओं की किताब, चरक सहिंता में सबसे पहले अध्याय में ही त्रिफला के बारे में उल्लेख किया गया है.
संयमित आहार-विहार के साथ त्रिफला का सेवन करने वाले व्यक्तियों को हृदयरोग,झ उच्च रक्तचाप, मधुमेह, नेत्ररोग, पेट के विकार, मोटापा आदि होने की संभावना नहीं होती। यह कोई 20 प्रकार के प्रमेह, विविध कुष्ठरोग, विषमज्वर व सूजन को नष्ट करता है। अस्थि, केश, दाँत व पाचन-संस्थान को बलवान बनाता है। इसका नियमित सेवन शरीर को निरामय, सक्षम व फुर्तीला बनाता है। यदि गर्म पानी के साथ सोते समय एक चम्मच ले लिया जाए तो क़ब्ज़ नही रहता।
1. पेट के कीड़ो को खत्म करने में त्रिफला पाउडर खाने से आराम मिलता है. यदि शरीर में रिंगवॉर्म या टेपवॉर्म हो जाते हैं तो भी त्रिफला कारगर है. त्रिफला, शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ावा देता है, जो कि किसी भी संक्रमण से लड़ने में सक्षम होती हैं.
2. त्रिफला, सांस संबंधी रोगों में लाभदायक है और इसका नियमित सेवन करने से सांस लेने में होने वाली असुविधा भी दूर हो जाती है.
3. एक अध्ययन में पता चला है कि त्रिफला से कैंसर का इलाज संभव है और इसमें एंटी-कैंसर तत्व पाए गए हैं.
4. यदि किसी आपको को सिरदर्द की समस्या ज्यादा रहती है तो डॉक्टर की सलाह लेकर त्रिफला का नियमित सेवन करना सिरदर्द को कम करने में मददगार होता है.
5. डायबिटीज के उपचार में त्रिफला बहुत प्रभावी है. यह पेनक्रियाज को उत्तेजित करने में मदद करता है, जिससे इंसुलिन पैदा होता है.
6. पाचन समस्याओं को दूर करने में त्रिफला सबसे कारगर दवा है. आंत से जुड़ी समस्याओं में भी इसे खाने से काफी राहत मिलती है.
7. अगर आपके शरीर में खून की कमी हो गई है तो इसका सेवन करने से इस समस्या से भी निजात पाई जा सकती है.
8. मोटापा कम करने के लिए त्रिफला से बेहतर कोई दवा नहीं हैं.
9. त्रिफला में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कि सेल्स के मेटाबॉलिज्म को नियमित रखते हैं.
10. त्रिफला, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे शरीर को बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है.
12. रात को सोते वक्त 5 ग्राम (एक चम्मच भर) त्रिफला चूर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होती है।
13. त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लें इससे कब्ज दूर होती है।
14. इसके सेवन से नेत्रज्योति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।
सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण साफ़ मिट्टी के बर्तन में भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी लें। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, इसे सुबह पी लें। इस पानी से आँखें भी धो ले। मुँह के छाले व आँखों की जलन कुछ ही समय में ठीक हो जायेंगे।
शाम को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगो दे सुबह मसल कर नितार कर इस जल से आँखों को धोने से नेत्रों की ज्योति बढती है।
एक चम्मच बारीख त्रिफला चूर्ण, गाय का घी10 ग्राम व शहद 5 ग्राम एक साथ मिलाकर नियमित सेवन करने से आँखों का मोतियाबिंद, काँचबिंदु, दृष्टि दोष आदि नेत्ररोग दूर होते हैं। और बुढ़ापे तक आँखों की रोशनी अचल रहती है।
त्रिफला के चूर्ण को गौमूत्र के साथ लेने से अफारा, उदर शूल, प्लीहा वृद्धि आदि अनेकों तरह के पेट के रोग दूर हो जाते हैं।
त्रिफला शरीर के आंतरिक अंगों की देखभाल कर सकता है, त्रिफला की तीनों जड़ीबूटियां आंतरिक सफाई को बढ़ावा देती हैं।
चर्मरोगों में (दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुंसी आदि) सुबह-शाम 6 से 8 ग्राम त्रिफला चूर्ण लेना चाहिए।
एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास ताजे पानी में दो- तीन घंटे के लिए भिगो दे, इस पानी को घूंट भर मुंह में थोड़ी देर के लिए डाल कर अच्छे से कई बार घुमाये और इसे निकाल दे। कभी कभार त्रिफला चूर्ण से मंजन भी करें इससे मुँह आने की बीमारी, मुंह के छाले ठीक होंगे, अरूचि मिटेगी और मुख की दुर्गन्ध भी दूर होगी।
त्रिफला, हल्दी, चिरायता, नीम के भीतर की छाल और गिलोय इन सबको मिला कर मिश्रण को आधा किलो पानी में जब तक पकाएँ कि पानी आधा रह जाए और इसे छानकर कुछ दिन तक सुबह शाम गुड या शक्कर के साथ सेवन करने से सिर दर्द कि समस्या दूर हो जाती है।
त्रिफला एंटिसेप्टिक की तरह से भी काम करता है। इस का काढ़ा बनाकर घाव धोने से घाव जल्दी भर जाते है।
त्रिफला पाचन और भूख को बढ़ाने वाला और लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने वाला है।
मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर ले। त्रिफला चूर्ण पानी में उबालकर, शहद मिलाकर पीने से चरबी कम होती है।
त्रिफला का सेवन मूत्र-संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में बहुत लाभकारी है। प्रमेह आदि में शहद के साथ त्रिफला लेने से अत्यंत लाभ होता है।
त्रिफला की राख शहद में मिलाकर गरमी से हुए त्वचा के चकतों पर लगाने से राहत मिलती है।
5 ग्राम त्रिफला पानी के साथ लेने से जीर्ण ज्वर के रोग ठीक होते है।
5 ग्राम त्रिफला चूर्ण गोमूत्र या शहद के साथ एक माह तक लेने से कामला रोग मिट जाता है।
टॉन्सिल्स के रोगी को त्रिफला के पानी से बार-बार गरारे करवायें।
त्रिफला दुर्बलता का नास करता है और स्मृति को बढाता है। दुर्बलता का नास करने के लिए हरड़, बहेडा, आँवला, घी और शक्कर मिला कर खाना चाहिए।
त्रिफला, तिल का तेल और शहद समान मात्रा में मिलाकर इस मिश्रण कि 10 ग्राम मात्रा हर रोज गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट, मासिक धर्म और दमे की तकलीफे दूर होती है इसे महीने भर लेने से शरीर का सुद्धिकरन हो जाता है और यदि 3 महीने तक नियमित सेवन करने से चेहरे पर कांती आ जाती है।
त्रिफला, शहद और घृतकुमारी तीनो को मिला कर जो रसायन बनता है वह सप्त धातु पोषक होता है। त्रिफला रसायन कल्प त्रिदोषनाशक, इंद्रिय बलवर्धक विशेषकर नेत्रों के लिए हितकर, वृद्धावस्था को रोकने वाला व मेधाशक्ति बढ़ाने वाला है। दृष्टि दोष, रतौंधी (रात को दिखाई न देना), मोतियाबिंद, काँचबिंदु आदि नेत्ररोगों से रक्षा होती है और बाल काले, घने व मजबूत हो जाते हैं।
डेढ़ माह तक इस रसायन का सेवन करने से स्मृति, बुद्धि, बल व वीर्य में वृद्धि होती है।
* #त्रिफला_से_कायाकल्प*
1.एक वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर चुस्त होता है।
2.दो वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर निरोगी हो जाता हैं।
3.तीन वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति बढ जाती है।
4.चार वर्ष तक नियमित सेवन करने से त्वचा कोमल व सुंदर हो जाती है।
5.पांच वर्ष तक नियमित सेवन करने से बुद्धि का विकास होकर कुशाग्र हो जाती है।
6.छः वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर शक्ति में पर्याप्त वृद्धि होती है।
7.सात वर्ष तक नियमित सेवन करने से बाल फिर से सफ़ेद से काले हो जाते हैं।
8.आठ वर्ष तक नियमित सेवन करने से वृद्धाव्स्था से पुन: योवन लोट आता है।
9.नौ वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति कुशाग्र हो जाती है और सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु भी आसानी से दिखाई देने लगती हैं।
10.दस वर्ष तक नियमित सेवन करने से वाणी मधुर हो जाती है यानी गले में सरस्वती का वास हो जाता है।
11.ग्यारह वर्ष तक नियमित सेवन करने से वचन सिद्धि प्राप्त हो जाती है अर्थात व्यक्ति जो भी बोले सत्य हो जाती है।
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