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आयुर्वेद शास्त्र के प्रयोजन 'स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा में उपयोगी
#डाक्टर खोजने की बजाय क्यों न #स्वास्थ्य खोजा जाये वो भी सिर्फ #खाने_और_पकाने की आदतों को बदल कर ?
यहाँ हम केवल पकाने की विधी पर बात करेगें। भारत में पाककला का अद्भुत भंडार है जो स्वास्थ्य और स्वाद दोनों ही दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। चिन्ताजनक है कि हम सभी उसे छोड़ते जा रहे हैं।
खाना पकाने में में किये जाने वाले बर्तनों का चयन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसे हम सभी आधुनिकता और सुविधाजनक लगने के कारण बदलते जा रहे हैं और बीमारियों को निमंत्रण दे चुके हैं। शरीर को अगर नियमित तौर पर पर्याप्त माइक्रो न्यूट्रियंट्स(सूक्ष्म पोषक तत्व) मिलते रहें तो शरीर जल्दी बीमार नहीं पड़ता।
खाना पकाने का सबसे सुरक्षित, उपयुक्त और पवित्र मिट्टी का बर्तन है।
1- मिट्टी के पात्र में पका भोजन अन्य धातु की तुलना में जल्दी खराब नहीं होता।
2- मिट्टी का बर्तन भोजन को पकाता है, सिर्फ गलाता नहीं।
3- मिट्टी के बर्तन में पके खाने के माइक्रो न्यूट्रियंट्स 100% अपने प्राकृतिक रुप में सुरक्षित रहते हैं।
4- मिट्टी के बर्तन में पका भोजन वात पित्त और कफ को सम रखता है अगर शरीर में वात, कफ और पित्त की मात्रा सम है तो रोग होने की संभावना न के बराबर होती है।
मिट्टी के अलावा अगर कोई और धातु उपयुक्त है तो वह है काँसा, इसमें खाना पकाने पर केवल 3% माइक्रो न्यूट्रियंट्स कम होते हैं।
उसके बाद आता है पीतल, इसमें पकाने पर 7% माइक्रो न्यूट्रियंट्स कम होते हैं।
लोहे के बर्तन में आयरन प्रचुर मात्रा में मिलता है इसमें हरे साग-सब्जी बनाया जाना स्वादिष्ट और लाभकारी है।
तांबा को आँच पर नहीं चढ़ाया जाना चाहिए इसका पानी पीना अमृत तुल्य है ये रक्त शुद्धि का सबसे लाभदायक स्रोत है। इसके अलावा ये वात, कफ और पित्त को भी बैलेंस रखने में सहयोगी है।
प्रेशर कुकर सबसे ख़तरनाक होता है इसमें केवल 7% ही माइक्रो न्यूट्रियंट्स बचते हैं यानि कि 93% खत्म हो जाते हैं। अल्युमिनियम जल्दी अवशोषित होने वाली धातु है जिससे खाना मिलकर विषाक्त हो जाता है। अल्युमिनियम, कैल्शियम और आयरन को सोख लेता है जिससे अल्जाइमर, नर्वस सिस्टम और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
नॉन स्टिक में टेफ्लॉन की पर्त चढ़ी होती है जो खतरनाक पॉलिमर प्यूम फीवर को जन्म देती है और वातावरण में खतरनाक गैसों को छोड़ती है अतः ये पक्षियों और मनुष्य दोनों के लिये खतरनाक है।
अगर हमें स्वस्थ रहना है तो भोजन पकाने के तरीकों को तो बदलना ही पड़ेगा.
पोषण को बढ़ाने में करता है मदद: मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने से उनमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज मिल जाते हैं. जिसकी वजह से शरीर को कई प्रकार के पोषण मिलते हैं. पीएच लेवल को मेंटन करने में करता है मदद: अगर आप मिट्टी के बर्तन में खाना पकाते हैं तो यह पीएच लेवल को बैलेंस करने में मदद करती है.
#विटामिन बी12 की कमी से नसें हो जाती हैं बेजान, उठना बैठना भी हो जाता है मुश्किल, तुरंत डाइट में शामिल करें ये चीजें
विटामिन बी 12 की कमी से खून में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होने लगती है जिसका असर शरीर की नस-नस पर होने लगता है
शरीर के बेहतर स्वास्थ्य के लिए हर तरह के विटामिन्स और प्रोटीन की ज़रूरत होती है। एक सेहतमंद शरीर के लिए अन्य विटामिन की तरह विटामिन बी12 भी एक बहुत ही ज़रूरी पोषक तत्व है। यह हमारे शरीर की रेड ब्लड सेल्स और डीएनए को बनाने में अहम रोल अदा करता है। आपको जानकार हैरानी होगी लेकिन शरीर में विटामिन बी12 की कमी से नसें अकड़ने लगती हैं और हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं। दरअसल हमारे दिमाग में माइलिन नामक पदार्थ को विटामिन बी12 बनाता है। माइलिन नसों की सुरक्षा करता है और उन्हें डैमेज होने से बचाता है। ऐसे में अगर शरीर में बी12 की कमी होगी तो माइलिन नहीं बन पाएगा और फिर नसों बेजान और कमजोर हो जाएंगी। अगर आपके साथ भी अक्सर ऐसा होता है तो इस स्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें वरना कई सारी बीमारियां आपकी बॉडी को घेर लेंगी। इसलिए अपने शरीर में विटामिन बी12 बनाए रखने के लिए उन चीज़ों का सेवन करना होगा जिनमें विटामिन बी-12 पाया जाता है
विटामिन बी12 की कमी के लक्षण
हमेशा थकान या कमजोर महसूस करना
जल्दी भूख ना लगना
उल्टी, मितली जैसा महसूस होना
वजन का लगातार घटना
जीभ या मुंह में दर्द
स्किन का पीला होना
इन फूड्स से विटामिन बी12 की कमी होगी पूरी
अगर आप विटामिन बी12 की कमी पूरा करना चाहते हैं तो अपनी डाइट में इन कुछ फूड्स को शामिल करें। दूध, दही, अंडा, डेयरी प्रोडक्ट, साबुत अनाज, चुकंदर, आलू, मशरूम, फोर्टिफाइड ब्रेकफास्ट सेरिएल, सीजनल हरी सब्जियां, ताजे फलों से विटामिन बी 12 प्राप्त किया जा सकता है। साबुत अनाज से न सिर्फ विटामिन बी 12 की प्राप्ति की जा सकती है बल्कि इससे प्रोटीन, फाइबर, हेल्दी फैट सहित कई तरह के पोषक तत्वों को प्राप्त किया जा सकता है।
साभार: पूनम यादव
BAMS/BHMS/BUMS/BNYS पाठ्यक्रमों में सत्र 2022-23 में प्रवेश हेतु कॉउंसलिंग रेजिस्ट्रेशन की सूचना
जंक फ़ूड के खतरे
जींस के द्वारा अगली पीढ़ी को दे रहे मर्ज
क्या आप अपनी आने वाली पीढ़ी को ये ही उपहार देने वाले है??
चिंतनीय, विचारणीय
*"भादवे का घी"*
भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है।
जिसे हम घास कहते हैं, वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ *औषधियाँ* हैं।
इनमें धामन जो कि गायों को अति प्रिय होता है, खेतों और मार्गों के किनारे उगा हुआ साफ सुथरा, ताकतवर चारा होता है।
सेवण एक और घास है जो गुच्छों के रूप में होता है। इसी प्रकार गंठिया भी एक ठोस खड़ है। मुरट, भूरट,बेकर, कण्टी, ग्रामणा, मखणी, कूरी, झेर्णीया,सनावड़ी, चिड़की का खेत, हाडे का खेत, लम्प, आदि वनस्पतियां इन दिनों पक कर लहलहाने लगती हैं।
यदि समय पर वर्षा हुई है तो पड़त भूमि पर रोहिणी नक्षत्र की तप्त से संतृप्त उर्वरकों से ये घास ऐसे बढ़ती है मानो कोई विस्फोट हो रहा है।
इनमें विचरण करती गायें, पूंछ हिलाकर चरती रहती हैं। उनके सहारे सहारे सफेद बगुले भी इतराते हुए चलते हैं। यह बड़ा ही स्वर्गिक दृश्य होता है।
इन जड़ी बूटियों पर जब दो शुक्ल पक्ष गुजर जाते हैं तो चंद्रमा का अमृत इनमें समा जाता है। आश्चर्यजनक रूप से इनकी गुणवत्ता बहुत बढ़ जाती है।
कम से कम 2 कोस चलकर, घूमते हुए गायें इन्हें चरकर, शाम को आकर बैठ जाती है।
रात भर जुगाली करती हैं।
अमृत रस को अपने दुग्ध में परिवर्तित करती हैं।
यह दूध भी अत्यंत गुणकारी होता है।
इससे बने दही को जब मथा जाता है तो पीलापन लिए नवनीत निकलता है।
5से 7 दिनों में एकत्र मक्खन को गर्म करके, घी बनाया जाता है।
इसे ही *भादवे_का_घी* कहते हैं।
इसमें अतिशय पीलापन होता है। ढक्कन खोलते ही 100 मीटर दूर तक इसकी मादक सुगन्ध हवा में तैरने लगती है।
बस,,,, मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है।
ज्यादा है तो खा लो, कम है तो नाक में चुपड़ लो। हाथों में लगा है तो चेहरे पर मल दो। बालों में लगा लो।
दूध में डालकर पी जाओ।
सब्जी या चूरमे के साथ जीम लो।
बुजुर्ग है तो घुटनों और तलुओं पर मालिश कर लो।
इसमें अलग से कुछ भी नहीं मिलाना। सारी औषधियों का सर्वोत्तम सत्व तो आ गया!!
इस घी से हवन, देवपूजन और श्राद्ध करने से अखिल पर्यावरण, देवता और पितर तृप्त हो जाते हैं।
कभी सारे मारवाड़ में इस घी की धाक थी।
इसका सेवन करने वाली एक विश्नोई महिला 5 वर्ष के उग्र सांड की पिछली टांग पकड़ लेती और वह चूं भी नहीं कर पाता था।
मेरे प्रत्यक्ष की घटना में एक व्यक्ति ने एक रुपये के सिक्के को मात्र उँगुली और अंगूठे से मोड़कर दोहरा कर दिया था!!
आधुनिक विज्ञान तो घी को वसा के रूप में परिभाषित करता है। उसे भैंस का घी भी वैसा ही नजर आता है। वनस्पति घी, डालडा और चर्बी में भी अंतर नहीं पता उसे।
लेकिन पारखी लोग तो यह तक पता कर देते थे कि यह फलां गाय का घी है!!
*यही वह घी था जिसके कारण युवा जोड़े दिन भर कठोर परिश्रम करने के बाद, रात भर रतिक्रीड़ा करने के बावजूद, बिलकुल नहीं थकते थे (वात्स्यायन)!*
इसमें *स्वर्ण* की मात्रा इतनी रहती थी, जिससे सर कटने पर भी धड़ लड़ते रहते थे!!
बाड़मेर जिले के *गूंगा गांव* में घी की मंडी थी। वहाँ सारे मरुस्थल का अतिरिक्त घी बिकने आता था जिसके परिवहन का कार्य बाळदिये भाट करते थे। वे अपने करपृष्ठ पर एक बूंद घी लगा कर सूंघ कर उसका परीक्षण कर दिया करते थे।
इसे घड़ों में या घोड़े के चर्म से बने विशाल मर्तबानों में इकट्ठा किया जाता था जिन्हें "दबी" कहते थे।
घी की गुणवत्ता तब और बढ़ जाती, यदि गाय पैदल चलते हुए स्वयं गौचर में चरती थी, तालाब का पानी पीती, जिसमें प्रचुर विटामिन डी होता है और मिट्टी के बर्तनों में बिलौना किया जाता हो।
वही गायें, वही भादवा और वही घास,,,, आज भी है। इस महान रहस्य को जानते हुए भी यदि यह व्यवस्था भंग हो गई तो किसे दोष दें।
#टमाटर :इम्युनिटी बढ़ाता है, कैंसर से बचाता है
#कम्फर्ट फ़ूड से हार्ट अटैक का 33% तक खतरा ज्यादा
फल सब्जियां 30% घटाती हैं
#सेहतमंद #बुढ़ापा आपकी नींद, भोजन और वजन पर निर्भर
WHO stress management guide helps people recognize the physical signs of stress e.g.
❗️Headache
❗️Neck & shoulder pain
❗️Upset stomach
❗️Heavy chest, etc.
Advice for coping with stress https://bit.ly/WHOStressManagement
#आयुर्वेदोमृतानां
#अंतरराष्ट्रीय_योग_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
आयुर्वेदोमृतानां #
।। जय श्री नाथ जी ।।
परम पूज्य बाबाजी #श्री शेर नाथ जी महाराज की 30 वीं #पुण्यतिथि पर शत शत नमन
@मेरे पैतृक गाँव रूकनसर
#श्रीशेरनाथजी आश्रम #रुकनसर #रामगढ़ शेखावाटी
गर्मियों में बहुत लाभदायक है #गुलकंद ( )
गुलाब के फूल की पत्तियों से बनाया जाता है और इसे गुलाब (ROSE) का जैम (Jam) भी कहते हैं इसे खाने से शरीर की सारी #गर्मी दूर हो जाती है और दिमाग (Brain) तेज़ होता है और #कब्ज के रोग को दूर करने के लिए तो दादी-नानी इस नुस्खे को आजमाती रहती हैं और यह बहुत अच्छा माउथ फ्रेशनर (Mouth freshener) भी है तो फिर आज हम आपको गुलकंद (gulkand) बनाना बताते हैं…
आवश्यक सामग्री
ताजी गुलाब की पंखुड़ियां =250 ग्राम
पिसी हुई मिश्री या फिर बुरा = 500 ग्राम
छोटी इलायची =एक छोटा चम्मच पिसी हुई
सौंफ =एक छोटा चम्मच पिसी हुई
विधि
सबसे पहले एक कांच के बड़े से बर्तन में एक परत गुलाब की पंखुड़ियों की डालें और अब इस पर थोड़ी सी मिश्री डालें और इसके बाद दोबारा से एक परत गुलाब की पंखुड़ियों की रखें और फिर थोड़ी सी मिश्री डालें और मिश्री के ऊपर इलायची और सौंफ डाल दें|
और इसके बाद बची हुई गुलाब की पंखुड़ियों और मिश्री को कांच के बर्तन में डाल दे और फिर ढक्कन बंद करके धूप में 8 से 10 दिन तक रखे|
धूप में रखने से मिश्री जो पानी छोड़ेगी गुलाब की पंखुड़ियां उसी पानी में गलेंगी जब सारी सामग्री एक सार हो जाए तो फिर इसका प्रयोग करें, और इसके बाद बची हुई गुलाब की पंखुड़ियों और मिश्री को कांच के बर्तन में डाल दे और फिर ढक्कन बंद करके धूप में 8 से 10 दिन तक रखे|
धूप में रखने से मिश्री जो पानी छोड़ेगी गुलाब की पंखुड़ियां उसी पानी में गलेंगी जब सारी सामग्री एक सार हो जाए तो फिर इसका प्रयोग करें
आप चाहे तो इसके 1 चमच्च में 250 mg या दो चुटकी #प्रवालपिष्टि मिलाकर भी ले सकते है यह आपको गर्मी से होने वाली समस्त विकारों को दूर करने में समर्थ है
चाइनीज़ फ़ूड में काम आने वाला
* #अजीनोमोटो*
"दिमाग़ को पागल करने का मसाला"
*शादी-ब्याह* *दावतों* में भूल कर भी हलवाई को ना देवें !
आजकल व्यंजनों में, खासकर चायनीज वैरायटी में,
एक सफेद पाउडर या क्रिस्टल के रूप में
*मोनो सोडियम ग्लुटामेट* (M.S.G.) नामक रसायन
जिसे दुनिया *अजीनोमोटो* के नाम से जानती है,
का प्रयोग बहुत बढ़ गया है,
बिना यह जाने कि यह वास्तव में क्या है?
*अजीनोमोटो* नाम तो असल में इसे बनाने वाली मूल चायनीज कम्पनी का है !
यह एक ऐसा रसायन है, जिसके जीभ पर स्पर्श के बाद जीभ भ्रमित हो जाती है और मस्तिष्क को झूठे संदेश भेजने लगती है।
जिस सें *सड़ा-गला* या *बेस्वाद* खाना भी अच्छा महसूस होता है।
इस रसायन के प्रयोग से शरीर के अंगों-उपांगों और मस्तिष्क के बीच *न्यूरोंस* का नैटवर्क बाधित हो जाता है, जिसके दूरगामी दुष्परिणाम होते हैं।
चिकित्सकों के अनुसार *अजीनोमोटो* के प्रयोग से
1-एलर्जी,
2-पेट में अफारा,
3-सिरदर्द,
4-सीने में जलन,
5-बाॅडीे टिश्यूज में सूजन,
6-माइग्रेन आदि हो सकते है।
*अजीनोमोटो* से होने वाले रोग इतने व्यापक हो गये हैं कि अब इन्हें ‘*चाइनीज रेस्टोरेंट सिंड्रोम* कहा जाता है। दीर्घकाल में *मस्तिष्काघात* (Brain Hemorrhage)
हो सकता है जिसकी वजह से *लकवा* होता है।
अमेरिका आदि बहुत से देशों में *अजीनोमोटो* पर प्रतिबंध है।
न जाने
*फूड सेफ्टी एण्ड स्टैन्डर्ड अथाॅरिटी आॅफ इंडिया’* ने भारत में *अजीनोमोटो* को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया है?
*सुरक्षित खाद्य अभियान* ("Safe Food Abhiyan")
की पाठकों से जोरदार अपील है कि दावतों में हलवाई द्वारा मंगाये जाने पर उसे *अजीनोमोटो* लाकर ना देवें। हलवाई कहेगा कि चाट में मजा नहीं आयेगा,
फिर भी इसका पूर्ण बहिष्कार करें।
कुछ भी हो (AFTER ALL) दावत खाने वाले आपके *प्रियजन* हैं, आपके यहां दावत खाकर वे बीमार नही पड़ने चाहिए !
जब आपने बाकि सारा बढ़िया सामान लाकर दिया है तो लोगों को *अजीनोमोटो* के बिना भी खाने में, चाट में पूरा मजा आयेगा, आप निश्चिंत रहें।
*अजीनोमोटो* तो *हलवाई की अयोग्यता* को छिपाने व होटलों, ढाबों, कैटरर्स, स्ट्रीट फूड वैंडर्स द्वारा सड़े-गले सामान को आपके *दिमाग* को पागल बनाकर स्वादिष्ट महसूस कराने के लिए डाला जाता है।
क्या *हलवाई की अयोग्यता* का दंड अपने *प्रियजनों*
को देंगे ????
*सुरक्षित खाद्य अभियान*(Safe Food Abhiyan)द्वारा
" #विज्ञान_प्रगति’ मई-2017"में छपी सामग्री पर आधारित।
आयुर्वेदोमृतानां
विटामिन बी-12 की कमी करें दूर
आसान टिप्स
#गर्मियों में #लू से बचने का रामबाण है कच्चा प्याज
#प्याज गर्मियों के मौसम में बहुत गुणकारी माना जाता है। दरअसल प्याज में एंटी-एलर्जिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं। इसके अलावा प्याज में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी6, बी-कॉम्प्लेक्स और विटामिन-सी भी पाया जाता है। गर्मियों के दिनों में प्याज को डाइट में शामिल करने से शरीर को ठंडक मिलती है। गर्मियों में लू के साथ इंफेक्शन से भी बचा जा सकता है।
शरीर होता है ठंडा
प्याज की तासीर ठंडी होती है इसलिए गर्मियों में प्याज का सेवन करने से शरीर को ठंडक मिलती है। गर्मियों में प्याज खाने से शरीर का टेम्प्रेचर नॉर्मल बना रहता है और बीमारियां भी कम होती हैं।
गर्मियों में लू से बचता है शरीर
गर्मियों के मौसम में लू से बचने के लिए आप अपनी डाइट में प्याज को जरूर शामिल करें। प्याज में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो गर्मी और लू से बचाने में मदद करते हैं। गर्मियों में प्याज खाने से गर्मी भी कम लगती है और डिहाईड्रेशन भी नहीं होता।
डायबिटीज में फायदेमंद
डायबिटीज रोगियों के लिए प्याज का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। सफेद प्याज में पाए जाने वाले कुछ तत्व जैसे क्वेर्सिटिन और सल्फर एंटी डायबिटिक हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद करते हैं।
Post from Ayurveda info page
आयुर्वेद की चरक संहिता में पहले से बताया है कि
त्रीणि द्रव्याणि न अति भुंजीत पिप्पली क्षार लवणस्तथा ( चरक )
#पिप्पली, #क्षार व #लवण का अधिक प्रयोग नहीं करें
आयुर्वेदोअमृताणाम
4 मिनट का ध्यान नकारात्मक विचारों के उपद्रव को दूर करता है
आयुष UG मोप अप राउंड
Next 25 years will be of AYUSH: Modi, PM of India
क्या हम सोना पाने की चाह में हीरा तो नही खो रहे है...
गरीबों का फ्रिज #घड़े या #मटके का #पानी #स्वास्थ्य के लिहाज से #अमृत होता है, लेकिन इसे ऐसे ही अमृत नहीं बोलते, बल्कि वास्तव में घड़े का पानी सेहत के लिहाज से बहुत फायदेमंद है, इसके फायदों को जानकर घड़े का पानी पीना शुरू कर देंगे आप।
#गर्मी के दिन में #प्यास बुझाने के लिए लोग ठंडा पानी पीते हैं. पानी ठंडा करने के लिए ज्यादातर लोग फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं लेकिन कुछ लोग जो अपने शहर से दूर किराए पर कमरा लेकर रहते हैं या जो #फ्रिज खरीदना अफोर्ड नहीं कर सकते उनके लिए तो मिट्टी का बना मटका ही देसी फ्रिज का काम करता है. मटके से सोंधी महक के पानी के कहने ही क्या हैं? इस पानी में जहां काफी स्वाद होता है वहीं स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह बेहद अच्छा माना जाता है...आइए जानते हैं #मटके_के_पानी के फायदे:
1:- अमृत है घड़े का पानी
पीढ़ियों से, भारतीय घरों में पानी स्टोर करने के लिए मिट्टी के बर्तन यानी घड़े का इस्तेमाल किया जाता है। आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो इन्हीं मिट्टी से बने बर्तनो में पानी पीते है। ऐसे लोगों का मानना है कि मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू के कारण घड़े का पानी पीने का आनंद और इसका लाभ अलग है। दरअसल, #मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी के बर्तनों में पानी रखा जाए, तो उसमें मिट्टी के गुण आ जाते हैं। इसलिए घड़े में रखा पानी हमें #स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
2:- #चयापचय को बढ़ावा
नियमित रूप से घड़े का पानी पीने से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। प्लास्टिक की बोतलों में पानी स्टोर करने से, उसमें प्लास्टिक से अशुद्धियां इकट्ठी हो जाती है और वह पानी को अशुद्ध कर देता है। साथ ही यह भी पाया गया है कि घड़े में पानी स्टोर करने से शरीर में #टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है।
3:- पानी में #पीएच का संतुलन
घड़े का पानी पीने का एक और लाभ यह भी है कि इसमें मिट्टी में #क्षारीय गुण विद्यमान होते है। क्षारीय पानी की अम्लता के साथ प्रभावित होकर, उचित पीएच संतुलन प्रदान करता है। इस पानी को पीने से #एसिडिटी पर अंकुश लगाने और पेट के दर्द से राहत प्रदान पाने में मदद मिलती हैं।
4:- #गले को ठीक रखे
आमतौर पर हमें गर्मियों में ठंडा पानी पीने की तलब होती है और हम फ्रीज़ से ठंडा पानी ले कर पीते हैं। ठंडा पानी हम पी तो लेते हैं लेकिन बहुत ज्यादा ठंडा होने के कारण यह गले और शरीर के अंगों को एक दम से ठंडा कर शरीर पर बहुत बुरा प्रभावित करता है। गले की कोशिकाओं का ताप अचानक गिर जाता है जिस कारण व्याधियां उत्पन्न होती है। गले का पकने और ग्रंथियों में सूजन आने लगती है और शुरू होता है शरीर की क्रियाओं का बिगड़ना। जबकि घडें को पानी गले पर सूदिंग प्रभाव देता है।
5:- #गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद
गर्भवती को फ्रिज में रखे, बेहद ठंडे पानी को पीने की सलाह नहीं दी जाती। उनसे कहा जाता है कि वे घड़े या सुराही का पानी पिएं। इनमें रखा पानी न सिर्फ उनकी सेहत के लिए अच्छा होता है, बल्कि पानी में मिट्टी का सौंधापन बस जाने के कारण गर्भवती को बहुत अच्छा लगता है।
6:- #वात को नियंत्रित करे
गर्मियों में लोग फ्रिज का या बर्फ का पानी पीते है, इसकी तासीर गर्म होती है। यह वात भी बढाता है। बर्फीला पानी पीने से कब्ज हो जाती है तथा अक्सर गला खराब हो जाता है। मटके का पानी बहुत अधिक ठंडा ना होने से वात नहीं बढाता, इसका पानी संतुष्टि देता है। मटके को रंगने के लिए गेरू का इस्तेमाल होता है जो गर्मी में शीतलता प्रदान करता है। मटके के पानी से कब्ज ,गला ख़राब होना आदि रोग नहीं होते।
7:- #विषैले पदार्थ सोखने की शक्ति
मिटटी में शुद्धि करने का गुण होता है यह सभी विषैले पदार्थ सोख लेती है तथा पानी में सभी जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाती है। इसमें पानी सही तापमान पर रहता है, ना बहुत अधिक ठंडा ना गर्म।
8:- कैसे ठंडा रहता है पानी
मिट्टी के बने मटके में सूक्ष्म छिद्र होते हैं। ये छिद्र इतने सूक्ष्म होते हैं कि इन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर निर्भर करता है। जितना ज्यादा वाष्पीकरण होगा, उतना ही ज्यादा पानी भी ठंडा होगा। इन सूक्ष्म छिद्रों द्वारा मटके का पानी बाहर निकलता रहता है। गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उड़ जाता है। वाष्प बनने के लिए गर्मी यह मटके के पानी से लेता है। इस पूरी प्रक्रिया में मटके का तापमान कम हो जाता है और पानी ठंडा रहता है।
9. रोज मटके का पानी पीने से शरीर की रोग #प्रतिरोधक क्षमता ( #इम्युनिटी पॉवर) मजबूत होती है
#कैसे_करें_मटके_की_देखभाल
1. हर सप्ताह में दो बार मटका गुनगुने पानी से साफ़ करें. मटके की सफाई के बाद इसमें फ्रेश पानी भरें.
2. मटके को एक स्टैंड कर रखें ताकि ये बहुत ज्यादा हिले नहीं
3. किसी सफ़ेद कॉटन के कपडे को गीला कर मटके का मुंह बांध कर रखें ताकि इसमें मिट्टी के कण प्रवेश न कर सकें. हो सके तो इसे ढंकने के लिए मिट्टी के ढक्कन का इस्तेमाल करें
🙏
डॉ. महेश कुमार दाधीच
प्रोफेसर, (द्रव्यगुण) आयुर्वेद,
प्रिंसिपल व डीन आयुर्वेद
एम.एस.एम. आयुर्वेद संस्थान,
बीपीएस महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां, सोनीपत, हरियाणा (भारत)
एवं वनौषधि आयाम प्रमुख
आरोग्य भारती, हरियाणा प्रान्त तथा
फ़ेसबुक पेज एडमिन (आयुर्वेदा इन्फो) - https://www.facebook.com/Ayurvedainformation
(द्रव्यगुणं) - https://www.facebook.com/Dravyagunam
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