shishpal dall
healthy lifestyle and health advisor
100 साल से ज्यादा एक मलिक बर्दाश्त नहीं करती जमीन....
जब ये मकान बनना शुरू हुआ होगा तो घर वालों ने कितने शौक से बनाया होगा कितनी शिद्दत से इसकी सजावट की होगी । बीवी कहती होगी यहां ये डिज़ाइन बनाना है यहां पर ये दरवाज़ा लगना हैं और यहाँ पर ऐसी खिड़की रखनी है.
आह चले गए ना सब. यहां से सब को जाना है
ज़मीन और मकान के लिए न लड़ा करो मालिको । ज़मीन 100 साल से ऊपर एक मालिक बर्दाश्त नहीं करती है।
मालिक बदलते रहते हैं कमाई की हद तय करो
जीना सीखो एक उम्र के बाद अपनी मर्जी से कही जा भी नही सकोगे। आज खुद के लिए वक्त नहीं निकलता कल कही गिर ना जाओ कही खो ना जाओ नही पापा वहां नही जाना है आकर बीमार पड़ जाओगे। बच्चे भी फिर बहाना लगा देंगे । और अगर गलती से जिद्द कर कर चले भी गए और कही चोट लग गई या बीमार पड गए तो वही बच्चे बहू सो ताने देने लगेंगे हमने तो पहले ही रोका था अब कौन करेगा इनका । बच्चे देखे या इन्हें। अगली बार से ऐसे करेंगे तो मैं नही करूंगी करके बहू भी पल्ला झाड़ लेगी।
जब तक जियो जी भर कर जियो। क्योंकि जिनके लिए जोड़ रहे हो कल वही तुम्हे आराम नही करने देंगे।
उनसे पूछ कर आराम करना होगा।
ये दुनियां एक नाटक है अपना किरदार निभाते चलो तुम इस नाटक का हिस्सा भर हो ।
किसी बेतहाशा कमाने वाले से उसके अंतिम दिनों के समय पूछना क्या मिला जोड़ते जोड़ते सपने मारते मारते जीकर।
वो कहेगा तजुर्बा यही कहता है खुद से_पूछ कर करता हूं तो "ना" मिलती है
ना पूछ कर कर दूं तो मानते नही हो आप ही का ताना।।
ये बाते आम हो जाती है एक उम्र के बाद।
मेरे साथ पढ़ने वाला एक मित्र अचानक से दुबई चला गया और लौट के आया 5 साल बाद हालाकि फेसबुक पर लगभग रोज बात होती रहती थी
फिर भी 5 साल बाद जब वह वापस आया तो हम सभी मित्र मंडली ने उससे पूछा
और बताओ कैसी है अरब की जिंदगी, उसने जो जवाब दिया उसी के भाषा और लहजे में आपके सामने रख रहा हूं
पांच साल हो गये थे सऊदी में काम करते हुए पहला एक साल कर्ज़ उतारना दूसरा तीसरे साल की कमाई बहनों की शादियों की भेंट चढ़ गया । चौथे साल कुछ बचत करके आने की सोचा तो अब्बा की तबियत खराब हो गई फिर नहीं आ सका और अब्बा गुज़र भी गये बूढ़ी अम्मा घर पर अकेली थी लेकिन कोई बचत नहीं तो हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी ।
पांच साल सऊदी में रहने के बाद खाली हाथ घर जाऊं लेकिन अम्मा की ज़िद और बहनों ने भी कहा भैया आ जाओ हमें कुछ नहीं चाइये बस आ जाओ.
कहा तो हिम्मत बढ़ी।कुछ उधार बारी करके टिकट लेके वापस आगया की कोई बड़ी ज़िम्मेदारी तो है नहीं अब यहीं कुछ कर लेंगे ।
आने के दूसरे दिन बहन से मिलने गया बहन भी अब बच्चों वाली हो चुकी थी आते वक्त भांजों के हाथ पर सौ रूपया रख कर वापस हुवा ।
दूसरी बहन के यहाँ पहुंचने पर पास के पैसे भी खत्म हो चुके थे लेकिन उसे ये उम्मीद थी ये बहन जो कुछ ज़्यादा नज़दीक है कुछ नहीं बोलेगी ।
वहां से वापसी होने पर भांजे के हाथ पर कुछ नहीं रख पाया घर पहुंचने पर अम्मा ने बताया की इक बहन का फोन आया था बोली भाई पांच साल बाद सऊदी से आया था मेरे बच्चों के हाथों पर सौ रूपल्ली रख के गया इतना तो हम फकीरों को दे देते हैं।
दूसरी बहन बोली की पांच साल बाद सऊदी से आया था अगर बच्चों के हाथ पर 10 रुपये भी रख देता तो बच्चें कहते मामू आये थे.
लेकिन मेरी नाक कटा दी ससुराल में खाली हाथ चले गये। मैं अब वहां खड़ा अपने पिछले 5 सालों की कमाई का हिसाब लगा रहा था।
ये सिर्फ एक आदमी की बात नही है बल्कि पैसे कमाने वाले ज्यादातर आदमियों का यही हाल है
आप पैसे कमा रहे हो तो आप को सब कुछ मिलेगा मान सम्मान लेकिन किसी कारण वश आज आप नही कमा रहे तो अब किया मिट्टी में मिल जाता है
मांस का मूल्य
मगध सम्राट बिंन्दुसार ने एक बार अपनी सभा मे पूछा :
देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए
सबसे सस्ती वस्तु क्या है ?
मंत्री परिषद् तथा अन्य सदस्य सोच में पड़ गये ! चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि तो बहुत श्रम के बाद मिलते हैं और वह भी तब, जब प्रकृति का प्रकोप न हो, ऎसी हालत में अन्न तो सस्ता हो ही नहीं सकता !
तब शिकार का शौक पालने वाले एक सामंत ने कहा :
राजन,
सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ मांस है,
इसे पाने मे मेहनत कम लगती है और पौष्टिक वस्तु खाने को मिल जाती है । सभी ने इस बात का समर्थन किया, लेकिन प्रधान मंत्री चाणक्य चुप थे ।
तब सम्राट ने उनसे पूछा :
आपका इस बारे में क्या मत है ?
चाणक्य ने कहा : मैं अपने विचार कल आपके समक्ष रखूंगा !
रात होने पर प्रधानमंत्री उस सामंत के महल पहुंचे, सामन्त ने द्वार खोला, इतनी रात गये प्रधानमंत्री को देखकर घबरा गया ।
प्रधानमंत्री ने कहा :
शाम को महाराज एकाएक बीमार हो गये हैं, राजवैद्य ने कहा है कि किसी बड़े आदमी के हृदय का दो तोला मांस मिल जाए तो राजा के प्राण बच सकते हैं, इसलिए मैं आपके पास आपके हृदय 💓 का सिर्फ दो तोला मांस लेने आया हूं । इसके लिए आप एक लाख स्वर्ण मुद्रायें ले लें ।
यह सुनते ही सामंत के चेहरे का रंग उड़ गया, उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़ कर माफी मांगी और
उल्टे एक लाख स्वर्ण मुद्रायें देकर कहा कि इस धन से वह किसी और सामन्त के हृदय का मांस खरीद लें ।
प्रधानमंत्री बारी-बारी सभी सामंतों, सेनाधिकारियों के यहां पहुंचे और
सभी से उनके हृदय का दो तोला मांस मांगा, लेकिन कोई भी राजी न हुआ, उल्टे सभी ने अपने बचाव के लिये प्रधानमंत्री को एक लाख, दो लाख, पांच लाख तक स्वर्ण मुद्रायें दीं ।
इस प्रकार करीब दो करोड़ स्वर्ण मुद्राओं का संग्रह कर प्रधानमंत्री सवेरा होने से पहले वापस अपने महल पहुंचे और समय पर राजसभा में प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष दो करोड़ स्वर्ण मुद्रायें रख
दीं ।
सम्राट ने पूछा :
यह सब क्या है ?
तब प्रधानमंत्री ने बताया कि दो तोला मांस खरिदने के लिए
इतनी धनराशि इकट्ठी हो गई फिर भी दो तोला मांस नही मिला ।
राजन ! अब आप स्वयं विचार करें कि मांस कितना सस्ता है ?
जीवन अमूल्य है, हम यह न भूलें कि जिस तरह हमें अपनी जान प्यारी है, उसी तरह सभी जीवों को भी अपनी जान उतनी ही प्यारी है। लेकिन वो अपनी जान बचाने मे असमर्थ है।
और मनुष्य अपने प्राण बचाने हेतु हर सम्भव प्रयास कर सकता है । बोलकर, रिझाकर, डराकर, रिश्वत देकर आदि आदि ।
पशु न तो बोल सकते हैं, न ही अपनी व्यथा बता सकते हैं ।
तो क्या बस इसी कारण उनसे जीने का अधिकार छीन लिया जाय ।
शुद्ध आहार, शाकाहार !
मानव आहार, शाकाहार !
अगर ये लेख आपको अच्छा लगे तो हर व्यक्ति तक जरुर भेजे।
देनहार कोई और है, कर कर लंबे हाथ🙏
उस दिन सबेरे 6 बजे मैं अपने शहर से
दूसरे शहर जाने के लिए निकली,
मैं रेलवे स्टेशन पहुंची ,
पर देरी से पहुचने कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी,
मेरे पास 9.30 की ट्रेन के आलावा कोई चारा नही था,
मैंने सोचा कही नाश्ता कर लिया जाए,
बहुत जोर की भूख लगी थी
मैं होटल की ओर जा रही थी।
अचानक रास्ते में मेरी नजर फुटपाथ पर बैठे
दो बच्चों पर पड़ी,
दोनों लगभग 10-12 साल के रहे होंगे
बच्चों की हालत बहुत खराब हो चुकी थी।
कमजोरी के कारण अस्थिपिंजर
साफ दिखाई दे रहे थे,
वे भूखे लग रहे थे।
छोटा बच्चा बड़े को खाने के बारे में कह रहा था,
बड़ा उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था,
मैं अचानक रुक गई दौड़ती भागती जिंदगी में
पैर ठहर से गये।
उनको को देख मेरा मन भर आया ,
सोचा इन्हें कुछ पैसे दे दिए जाए,
मैंने उन्हें ५ रु दे कर आगे बढ़ गई।
तुरंत मेरे मन में एक विचार आया कितनी कंजूस हूं मैं,
५ रु क्या खाएंगे ये चाय तक ढंग से न मिलेगी,
स्वयं पर शर्म आयी और वापस लौटी।
मैंने बच्चों से कहा,कुछ खाओगे ?
बच्चे थोड़े असमंजस में पड़े मैंने कहा
बेटा मैं नाश्ता करने जा रही हूं,
तुम भी कर लो,
वे दोनों भूख थे तुरंत तैयार हो गए।
उनके कपड़े गंदे होने के कारण होटल वाले ने
उनको डांट दिया और भगाने लगा,
मैंने कहा भाई साहब उन्हें जो खाना है
वो उन्हें दो पैसे मैं दूंगी।
होटल वाले ने आश्चर्य से मेरी ओर देखा..
उसकी आँखों में उसके बर्ताव के लिए
शर्म साफ दिखाई दी।
बच्चों ने नाश्ता मिठाई व् लस्सी मांगी।
सेल्फ सर्विस के कारण मैंने नाश्ता बच्चों को
लेकर दिया बच्चे जब खाने लगे,
उनके चेहरे की ख़ुशी देखने वाली थी,
मैंने बच्चों को कहा बेटा अब जो मैंने तुम्हे पैसे दिए है उसमे 1 रु का शैम्पू ले कर हैण्ड पम्प के पास नहा लेना।
और फिर दोपहर शाम का खाना पास के मन्दिर में चलने वाले लंगर में खा लेना, और मैं नाश्ते के पैसे दे कर फिर अपनी दौड़ती दिनचर्या की ओर निकल गई।
वहा आसपास के लोग बड़े सम्मान के साथ देख रहे थे होटल वाले के शब्द आदर मे परिवर्तित हो चुके थे।
मैं स्टेशन की ओर निकली, थोडा मन भारी लग रहा था मन उनके बारे में सोच कर दुखी हो रहा था।
रास्ते में मंदिर आया मैंने मंदिर की ओर देखा और कहा ,"हे भगवान," आप कहा हो ? इन बच्चों की ये हालत ये भूख देख आप कैसे चुप बैठ सकते है।
दूसरे ही क्षण मेरे मन में विचार आया,
पुत्री अभी तक जो उन्हें नाश्ता दे रहा था वो कौन था?
क्या तुम्हें लगता है तुमने वह सब अपनी सोच से किया।
मैं स्तब्ध हो गई, मेरे सारे प्रश्न समाप्त हो गए
ऐसा लगा जैसे मैंने ईश्वर से बात की हो।
मुझे समझ आ चुका था हम निमित्त मात्र है,
उसकी लीला अपरंपार है,
भगवान हमे किसी की मदद करने तब ही भेजता है
जब वह हमे उस काम के लायक समझता है,
किसी की मदद को मना करना वैसा ही है
जैसे भगवान के काम को मना करना।
खुद में ईश्वर को देखना ही ध्यान है,
दुसरो में ईश्वर को देखना प्रेम है,
ईश्वर को सब में और सब में ईश्वर को देखना ज्ञान है
Golden milk ......
नकली विज्ञान ने हमसे 400 प्रकार के टमाटर छीन कर हमें एक अंडे के आकार का टमाटर जो बिल्कुल गुणहीन है चिपका दिया ।
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आजकल आपने देखा होगा कि बाजार में मिलने वाले अधिकतर फल और सब्जियों में स्वाद बिल्कुल नहीं होता । लेकिन दिखने में वह एकदम लाजवाब होगी जैसे कि जामुन ,टमाटर । हाइब्रिड बीज से तैयार होने वाली जामुन इतनी मोटी मोटी ,गोलमटोल होती हैं कि देखते ही खाने के लिये मुहं में पानी आ जाता है । औऱ देशी जामुन बेचारी देखने में बिल्कुल पतली सी । एक कोने में दुबक कर पड़ी रहती कि कोई हम गरीब का भी मोल डाल दे । लेकिन जब आप hybird जामुन को खायो तो स्वाद बिल्कुल फीका फीका सा बेस्वाद सा होता है। हाइब्रिड मोटी मोटी जामुन गले में एक अजीब तरह की खुश्की करती है । खाने के बाद आपको पानी पीना पड़ता है । दूसरी और देशी जामुन मुहं में रखते सार ही रस घोल देती है ।आनंद आ जाता है कोई गले में खारिश नहीं होती । देशी जामुन जिनकी किस्मत और समझ अच्छी हो कभी कभार मिल जाती है ।
आज का दूसरा मुद्दा है टमाटर । अंग्रेजी टमाटर देखने में अंडे जैसे लगते हैं इसलिये मैं इनको अंडे वाले टमाटर कहता हूं । यह अंडे वाले टमाटर खाने में देशी टमाटरों (जोकि बिल्कुल गोल होते हैं ) के मुकाबले बिल्कुल असरदार और स्वादिष्ट नही होते । देशी टमाटर जहाँ एक पड़ेगा और सब्जी में रस घोल देगा ।अंडे वाले हाइब्रिड टमाटर तीन पड़ेंगे और सब्जी की ऐसी तैसी कर देंगे वो अलग ।
कैसे हाइब्रिड गेंहू में कैसे ग्लूटामेट की मात्रा अधिक होती है जिससे आजकल तथाकथित विकसित देश अमेरिका जिसकी 25% जनसंख्या मुधमेह नामक रोग से ग्रसित है । दूसरी और देशी गेहूं जैसे शरबती में ग्लूटामेट की मात्रा संतुलित मात्रा में होती है ।
यह लेख लिखने का उद्देश्य है कि आप भी ना केवल जैविक बल्कि भगवान की बनाये हुए फल सब्ज़ियां अनाज ही खरीदें क्योंकि इंसान गलती कर सकता है भगवान नहीं । कुदरती बीजों द्वारा उत्पन्न फल सब्जियां ही आपके स्वास्थ्य के लिये उत्तम हैं ।
मैं Dr. Dipali ,
मै यह कह रही हूँ कि इस भीषण ठंड में जिनकी आयु 45 वर्ष से अधिक है, उन्हें रात में 10 बजे सोने के बाद, जब भी बिस्तर से उठें, तब आप एकदम से ना उठें। क्योंकि ठंड के कारण शरीर का ब्लड गाढ़ा हो जाता है तो वह धीरे धीरे कार्य करने के कारण पूरी तरह हार्ट में नहीं पहुँच पाता और शरीर छूट जाता है। इसी कारण से सर्दी के महीनों में 40 वर्ष के आस पास के लोग या 40 वर्ष से ऊपर के लोगों की हृदयगति रुकने से दुर्घटनाए अत्यधिक होती पाई गई हैं, इसलिए हमें सावधानी अत्यधिक बरतने की आवश्यकता है। यही सुझाव मैं भी देता हूं।*
*साढ़े तीन मिनिट: मेरी सलाह!*
डॉ. विजय सिंह राजपूत
जनरल फिजीशियन
*जिन्हें सुबह या रात में सोते समय पेशाब करने जाना पड़ता हैं उनके लिए विशेष सूचना!!*
हर एक व्यक्ति को इसी साढ़े तीन मिनिट में सावधानी बरतनी चाहिए।
*यह इतना महत्व पूर्ण क्यों है?*
यही साढ़े तीन मिनिट अकस्मात होने वाली मौतों की संख्या कम कर सकते हैं।
जब जब ऐसी घटनाएं हुई हैं, परिणाम स्वरूप तंदुरुस्त व्यक्ति भी रात में ही मृत पाया गये हैं।
ऐसे लोगों के बारे में हम कहते हैं, कि कल ही हमने इनसे बात की थी। ऐसा अचानक क्या हुआ? यह कैसे मर गया?
इसका मुख्य कारण यह है कि रात मे जब भी हम मूत्र विसर्जन के लिए जाते हैं, तब अचनाक या ताबड़तोब उठते हैं, परिणाम स्वरूप मस्तिष्क तक रक्त नही पहुॅ॑चता है।
यह साढ़े तीन मिनिट बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
मध्य रात्रि जब हम पेशाब करने उठते हैं तो हमारा ईसीजी का पैटर्न बदल सकता है। इसका कारण यह है, कि अचानक खड़े होने पर मस्तिष्क को रक्त नहीं पहुॅ॑च पाता और हमारे हृदय की क्रिया बंद हो जाती है।
साढ़े तीन मिनिट का प्रयास एक उत्तम उपाय है।
1. *नींद से उठते समय आधा मिनिट गद्दे पर लेटे हुए रहिए।*
2. *अगले आधा मिनिट गद्दे पर बैठिये।*
3. *अगले अढ़ाई मिनट पैर को गद्दे के नीचे झूलते छोड़िये।*
साढ़े तीन मिनिट के बाद आपका मस्तिष्क बिना खून का नहीं रहेगा और हृदय की क्रिया भी बंद नहीं होगी! इससे अचानक होने वाली मौतें भी कम होंगी।
आपके प्रियजनों को लाभ हो अतएव सजग करने हेतु अवश्य प्रसारित करें।
*धन्यवाद!!*
🙏निवेदन एवं आग्रह 🙏
आपको सिर्फ अपनो में 10 लोगो को ये मैसेज फॉरवर्ड करना है और वो 10 लोग भी दूसरे 10 लोगों को फॉरवर्ड करें ।
बस आपको तो एक कड़ी जोड़नी है देखते ही देखते सिर्फ आठ steps में पूरा देश जुड़ जायेगा। —
अच्छा लगे तो कृपया सभी मित्रों के साथ शेयर करें --🙏🙏
बेरोजगार युवाओं के लिए जरूरी सूचना:
6 महीने में आप बाइक के मैकेनिक बन सकते हो ।
6 महीने में आप कार के मैकेनिक बन सकते हो ।
6 महीने में आप साइकिल के मकैनिक बन सकते हो ।
6 महीने में आप मधुमक्खी पालन सीख सकते हो ।
6 महीने में आप दर्जी का काम सीख सकते हो ।
6 महीने में आप डेयरी फार्मिंग सीख सकते हो ।
6 महीने में आप हलवाई का काम सीख सकते हो ।
6 महीने में आप घर की इलेक्ट्रिक वायरिंग सीख सकते हो ।
6 महीने में आप घर का प्लंबर का कार्य सीख सकते हो ।
6 महीने में आप मोबाइल रिपेयरिंग सीख सकते हो ।
6 महीने में आप दरवाजे बनाना सीख सकते हो ।
6 महीने में आप वेल्डिंग का काम सीख सकते हो ।
6 महीने में आप मिट्टी के बर्तन बनाना सीख सकते हो ।
6 महीने में आप योगासन सीख सकते हो ।
6 महीने में आप मशरूम की खेती का काम सीख सकते हो ।
6 महीने में आप बाल काटना सीख सकते हो ।
मात्र 6 माह में..........आप ऐसे ही बहुत से
"स्वरोजगार कुशलतापूर्वक सीख सकते हो"
जो आपके परिवार को
भूखा नहीं सोने देगा।
आज भारत में सबसे अधिक दुखी....
वे लोग हैं...?
जो बहुत अधिक पढ़ लिखकर बेरोजगार हैं।
उच्च शिक्षा पाकर भी
अगर आप रोजगार के रूप में
केवल नौकरी पाने की राह में बैठे हैं..?
तो शिक्षित होने का कोई अर्थ नहीं।
रोजगार के लिए
आपका अधिक पढ़ा लिखा होना
कोई मायने नहीं रखता
यह आपकी इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है,
कि आप किसी के नौकर बनना पसन्द करते हैं
या स्वयं के कारोबार के स्वतन्त्र मालिक।
भारत में 90% रोजगार
वे लोग कर रहे हैं
जो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं।
10% रोजगार के रूप में
केवल नौकरी की चाहत में
पढ़े लिखे लोगों के बीच मारामारी है। नेट्वर्क मार्केटिंग इससे बडा सभी के लिए एक दूसरा अवसर हो सकता है जरूर अपने जान पहचान से सम्पर्क कर या मुझे काल करें -: 9828939915
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