Mandeep Singh Bhadouria
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Mandi Dabwali
Sapuriya Rod
Vpo Moujdin
JUST SERVING HUMANITY
भई , भाई तो भाई ही होता है ।परिवार के साथ जीवन और संघर्ष में जीत तो निश्चित ही होती है।
👼👼
माटी के लाल 😂😂😂😂 मस्ती में।
तुम साथ ना दो मेरा , चलना मुझे आता है ।
हर आग से वाक़िफ़ हूँ , जलना मुझे आता है ।।
तदबीर के हाथों से , तक़दीर बनानी है ।
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है ।।
Live Peacefully...... Together
Jai Shri Krishna doston ❤️♥️❤️♥️
Many Many Happy Returns of the Day DEAR ,
Happy birthday my Better Half
संघर्ष के सफ़र का सबसे विश्वसनीय साथी ।
हर पथ ,हर पल ,एक घूँट ,सफलता पक्की ।
हर हर महादेव दोस्तों !
आत्ममंथन कर ,घमंड छोड़ ,
सत्कर्म कर प्यारे ।
अभी कुछ कर नहीं रहा और बाद में कुछ कर नहीं पाएगा ।
वक़्त की क़दर कर,रास्तों पर उतर,मंज़िल तभी तो पाएगा ।।
आप सभी के आशीर्वाद और प्रेम के सहारे मात्र से जीवन ख़ुशी से व्यतीत हो रहा है। हमारी ख़ुशियों में ख़ुश होने व संघर्ष में साथ देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
“महादेव”के आदेशानुसार कार्य करते रहेंगे।
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पापा - आपने ही तो दुनिया दिखाई है
HAPPY FATHER’s DAY
"कहाँ जा रही है ,बहू ?"..स्कूटी की चाबी उठाती हुई पृथा से सास ने पूछा.
"मम्मी की तरफ जा रही थी अम्माजी"
"अभी परसों ही तो गई थी"
"हाँ पर आज पापा की तबियत ठीक नही है, उन्हें डॉ को दिखाने ले जाना है"
"ऊहं!" "ये तो रोज का हो गया है" ,"एक फोन आया और ये चल दी", "बहाना चाहिए पीहर जाने का "सास ने जाते जाते पृथा को सुनाते हुए कहा.."हम तो पछता गए भई " "बिना भाई की बहन से शादी करके" "सोचा था ,चलो बिना भाई की बहन है ,तो क्या हुआ कोई तो इसे भी ब्याहेगा"
"अरे !" "जब लड़की के बिना काम ही नही चल रहा,तो ब्याह ही क्यूं किया"..ये सुनकर पृथा के तन बदन में आग लग गई ,दरवाज़े से ही लौट आई ओर बोली ,"ये सब तो आप लोगो को पहले ही से पता था ना आम्मा जी ,कि मेरे भाई नही है" "और माफ करना" "इसमें एहसान की क्या बात हुई ,आपको भी तो पढ़ी लिखी कमाऊ बहु मिली है।"
"लो !" "अब तो ये अपनी नोकरी औऱ पैसों की भी धौंस दिखाने लगी।"
"अजी सुनते हैं ,देवू के पिताजी" सास बहू की खटपट सुनकर बाहर से आते हुए ससुर जी को देखकर सास बोली।
"पिताजी मेरा ये मतलब नही था ","अम्माजी ने बात ही ऐसी की, कि मेरेे भी मुँह से भी निकल गया " पृथा ने स्पष्ट किया।
ससुर जी ने कुछ नहीं कहा और अखबार पढ़ने लगे
"लो!"" कुछ नहीं कहा " "लड़के को पैदा करो " "रात रात भर जागो " " गंदगी साफ करो" "पढ़ाओ लिखाओ" "शादी करो " "और बहुओं से ये सब सुनो "
"कोई लिहाज ही नही रहा छोटे बड़े का ",सास ने आखिरी अस्त्र फेंका ओर पल्लू से आंखे पोछने लगी बात बढ़ती देख देवाशीष बाहर आ गया," ये सब क्या हो रहा है अम्मा।"
"अपनी चहेती से ही पूछ ले।"
"तुम अंदर चलो" लगभग खीचते हुए वह पृथा को कमरे में ले गया
"ये सब क्या है! पृथा..अब ये रोज की बात हो गई है।"
"मैने क्या किया है देव बात अम्मा जी ने ही शुरू की है "
"क्या उन्हें नही पता था कि मेरे कोई भाई नही है?" "इसलिए मुझे तो अपने मम्मी पापा को संभालना ही पड़ेगा ,"पृथा ने रूआंसी होकर कहा..!
"वो सब ठीक है " "पर वो मेरी मां हैं" "बड़ी मुश्किल से पाला है उन्होंने मुझे" " माता पिता का कर्ज उनकी सेवा से ही उतारा जा सकता है " "सेवा न सही ,तुम उनसे जरा अदब से बात किया करो।"
"अच्छा !" "बाहर हुई सारी बात चीत में तुम्हें मेरी बेअदबी कहाँ नजर आई..तुम्हें ये नौकरी वाली बात नहीं कहनी चाहिए थी..हो सकता है मेरे बात करने का तरीका गलत हो पर बात सही है देव और माफ करना..ये सब त्याग उन्होंने तुम्हारे लिए किया है मेरे लिए नहीं ..अगर उन्हें मेरा सम्मान ओर समर्पण चाहिए तो मुझे भी थोड़ी इज्जत देनी होगी..स्कूटी की चाबी ओर पर्स उठाते हुए प्रथा बोली।
"अब कहाँ जा रही हो ",कमरे से बाहर जाती हुई पृथा से देवाशीष ने पूछा..जिन्होंने मेरी गंदगी धोई है, मेरे लिए रात रात भर जागे है,मुझे नौकरी लायक बनाया है ,उनका कर्ज उतारने " पृथा ने गर्व से ऊँची आवाज में कहा और स्कूटी स्टार्ट कर चल दी..!!
गहरायी से सोचो !
आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ??
अनीता अल्वारेज, अमेरिका की एक पेशेवर तैराक हैं, जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान परफॉर्म करने के लिए स्विमिंग पूल में जैसे ही छलांग लगाई, वो छलांग लगाते ही पानी के अंदर बेहोश हो गई, जहाँ पूरी भीड़ सिर्फ़ जीत और हार के बारे में सोच रही थी वहीं उसकी कोच एंड्रिया ने जब देखा कि अनीता एक नियत समय से ज़्यादा देर तक पानी के अंदर है,
एंड्रिया पल भर के लिए सब कुछ भूल गई कि वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता चल रही है, एक पल भी व्यर्थ ना करते हुए एंड्रिया ने चलती प्रतियोगिता में ही स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी, वहाँ मौजूद हज़ारों लोग कुछ समझ पाते तब तक एंड्रिया पानी के अंदर अनीता के पास थी, एंड्रिया ने देखा कि अनीता स्विमिंग पूल में पानी के अंदर बेहोश पड़ी है, ऐसी हालत में ना हाथ पैर चला सकती ना मदद माँग सकती,
एंड्रिया ने अनीता को बाहर निकाला मौजूद हज़ारों लोग सन्न रह गए, एंड्रिया ने अनीता को तो बचा लिया....................
लेकिन हम सबकी ज़िंदगी में बहुत बड़ा सवाल छोड़ दिया! इस दुनियाँ में ना जाने कितने लोग हमारी ज़िंदगी से जुड़े हैं कितनों से रोज़ मिलते भी होंगे, जो इंसान हर किसी से अपने मन की बात नहीं कह पाता कि असल ज़िंदगी में वह कहीं डूब रहा है, वह किसी तकलीफ़ से गुज़र रहा है , वह किसी बात को लेक़र ज़िंदगी से परेशान हो रहा है, लेकिन बता नहीं पा रहा है।
जब इंसान किसी को अपने मन की व्यथा, अपनी परेशानी नहीं बता पाता तो मानसिक तनाव इतना बढ़ जाता है कि वह ख़ुद को पूरी दुनियाँ से अलग़ कर लेता है, सबकी नज़रों से दूर एकांत में ख़ुद को चारदीवारी में क़ैद कर लेता है।
ये वक़्त ऐसा होता है कि तब इंसान डूब रहा होता है , उसका मोह ख़त्म हो चुका होता है , ना किसी से बात चीत ना किसी से मिलना जुलना , ये स्थिति इंसान के लिए सबसे ख़तरनाक होती है, जब इंसान अपने डूबने के दौर से गुज़र रहा होता है , तब बाक़ी सब दर्शकों की भाँति अपनी ज़िंदगी में व्यस्त होते हैं किसी को ख़्याल ना होता कि एक इंसान किसी बड़ी परेशानी में है।
अगर इंसान कुछ दिन के लिए ग़ायब हो जाए तो पहले तो लोगों को ख़्याल नहीं आएगा, अगर कुछ को आ भी जाए तो लोग यही सोचेंगे, पहले कितनी बात होती थी अब वो बदल गया है या फिर उसे घमंड हो गया है या अब तो बड़ा आदमी बन गया है इसलिए बात नहीं करता, जब वो बात नहीं करता तो हम क्यों करें ! या फिर ये सोच लेते हैं कि अब दिखाई ना देता तो वो अपनी ज़िंदगी में मस्त है इसलिए नहीं दिखाई देता।
अनीता पेशेवर तैराक होते हुए डूब सकती है तो कोई भी अपनी ज़िंदगी में बुरे दौर से गुज़र सकता है, ये समझना ज़रूरी है लेकिन उन लोगों से हट कर कोई एक इंसान ऐसा भी होगा जो आपकी मनोस्थिति तुरंत भाँप लेगा, उसे बिना कुछ बताये सब पता चल जाएगा, आपकी ज़िंदगी के हर पहलू पर हमेशा नज़र रखेगा , थोड़ा सा भी परेशान हुए वो आपकी परेशानी आकर पूछने लगेगा, आपके बेहवियर को पहचान लेगा , आपको हौसला देगा आपको सकारात्मक बनायेगा और एंड्रिया की तरह कोच बन कर आपकी ज़िंदगी को बचा लेगा।
(हम सबको ऐसे कोच की ज़रूरत पड़ती है)
ऐसा कोच कोई भी हो सकता है, आपका कोई दोस्त, आपका कोई हितैषी, आपका कोई रिश्तेदार, आपका कोई चाहने वाला, आपका भाई -बहन, माँ-पापा, कोई भी, जो बिना बताये आपके भावों को पढ़ ले और तुरंत एक्शन ले !
भारत में सेवा करने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को इंग्लैंड लौटने पर सार्वजनिक पद/जिम्मेदारी नहीं दी जाती थी। तर्क यह था कि उन्होंने एक गुलाम राष्ट्र पर शासन किया है जिसकी वजह से उनके दृष्टिकोण और व्यवहार में फर्क आ गया होगा। अगर उनको यहां ऐसी जिम्मेदारी दी जाए, तो वह आजाद ब्रिटिश नागरिकों के साथ भी उसी तरह से ही व्यवहार करेंगे। इस बात को समझने के लिए नीचे दिया गया वाकया जरूर पढ़ें...
एक ब्रिटिश महिला जिसका पति ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में एक सिविल सेवा अधिकारी था। महिला ने अपने जीवन के कई साल भारत के विभिन्न हिस्सों में बिताए, अपनी वापसी पर उन्होंने अपने संस्मरणों पर आधारित एक सुंदर पुस्तक लिखी।
महिला ने लिखा कि जब मेरे पति एक जिले के डिप्टी कमिश्नर थे तो मेरा बेटा करीब चार साल का था और मेरी बेटी एक साल की थी। डिप्टी कलेक्टर को मिलने वाली कई एकड़ में बनी एक हवेली में रहते थे। सैकड़ों लोग डीसी के घर और परिवार की सेवा में लगे रहते थे। हर दिन पार्टियां होती थीं, जिले के बड़े जमींदार हमें अपने शिकार कार्यक्रमों में आमंत्रित करने में गर्व महसूस करते थे और हम जिसके पास जाते थे, वह इसे सम्मान मानता था। हमारी शान और शौकत ऐसी थी कि ब्रिटेन में महारानी और शाही परिवार भी मुश्किल से मिलती होगी।
ट्रेन यात्रा के दौरान डिप्टी कमिश्नर के परिवार के लिए नवाबी ठाट से लैस एक आलीशान कंपार्टमेंट आरक्षित किया जाता था। जब हम ट्रेन में चढ़ते तो सफेद कपड़े वाला ड्राइवर दोनों हाथ बांधकर हमारे सामने खड़ा हो जाता और यात्रा शुरू करने की अनुमति मांगता। अनुमति मिलने के बाद ही ट्रेन चलने लगती।
एक बार जब हम यात्रा के लिए ट्रेन में सवार हुए, तो परंपरा के अनुसार, ड्राइवर आया और अनुमति मांगी। इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती, मेरे बेटे का किसी कारण से मूड खराब था। उसने ड्राइवर को गाड़ी न चलाने को कहा। ड्राइवर ने हुक्म बजा लाते हुए कहा, जो हुक्म छोटे सरकार। कुछ देर बाद स्टेशन मास्टर समेत पूरा स्टाफ इकट्ठा हो गया और मेरे चार साल के बेटे से भीख मांगने लगा, लेकिन उसने ट्रेन को चलाने से मना कर दिया। आखिरकार, बड़ी मुश्किल से, मैंने अपने बेटे को कई चॉकलेट के वादे पर ट्रेन चलाने के लिए राजी किया और यात्रा शुरू हुई।
कुछ महीने बाद, वह महिला अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने यूके लौट आई। वह जहाज से लंदन पहुंचे, उनकी रिहाइश वेल्स में एक काउंटी में थी जिसके लिए उन्हें ट्रेन से यात्रा करनी थी। वह महिला स्टेशन पर एक बेंच पर अपनी बेटी और बेटे को बैठाकर टिकट लेने चली गई। लंबी कतार के कारण बहुत देर हो चुकी थी, जिससे उस महिला का बेटा बहुत परेशान हो गया था। जब वह ट्रेन में चढ़े तो आलीशान कंपाउंड की जगह फर्स्ट क्लास की सीटें देखकर उस बच्चे को फिर गुस्सा आ गया।
ट्रेन ने समय पर यात्रा शुरू की तो वह बच्चा लगातार चीखने-चिल्लाने लगा। वह ज़ोर से कह रहा था, "यह कैसा उल्लू का पट्ठा ड्राइवर है। उसने हमारी अनुमति के बिना ट्रेन चलाना शुरू कर दी है। मैं पापा को बोल कर इसे जूते लगवा लूंगा।" महिला को बच्चे को यह समझाना मुश्किल हो रहा था कि यह उसके पिता का जिला नहीं है, यह एक स्वतंत्र देश है। यहां डिप्टी कमिश्नर जैसा तीसरे दर्जे का सरकारी अफसर तो क्या प्रधानमंत्री और राजा को भी यह अख्तियार नहीं है कि वह लोगों को अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए अपमानित कर सके।
आज भले ही हमने अंग्रेजों को खदेड़ दिया है लेकिन हमने गुलामी को अभी तक देश बदर नहीं किया। आज भी कई अधिकारी, एसपी, मंत्री, सलाहकार और राजनेता अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए आम लोगों को घंटों सड़कों पर परेशान करते हैं।
प्रोटोकॉल आम जनता की सुविधा के लिए होना चाहिए, ना कि उनके लिए परेशानी का कारण।
So Lucky Boy …Getting Care,Love,Discipline,Vision from elder sisters ……
Mahadev bless u for enlightenment…..
Grow and Spread the same….
जय श्री कृष्णा दोस्तों। आप सभी का दिन भी सर्वश्रेष्ठ हो ।
लगन लगाओ , मगन रहो ।।।।।।।
ताइवान के लोग भारतीयों से नफरत करते हैं क्यों...? जानना जरूरी है!
ताइवान में करीब एक वर्ष बिताने पर एक भारतीय महानुभाव की कई लोगों से दोस्ती हो चुकी थी, परंतु फिर भी उन्हें लगा कि वहाँ के लोग उनसे कुछ दूरी बनाकर रखते हैं, वहाँ के किसी दोस्त ने कभी उन्हें अपने घर चाय के लिए तक नहीं बुलाया था...?
उन्हें यह बात बहुत अखर रही थी अतः आखिरकार उन्होंने एक करीबी दोस्त से पूछ ही लिया...?
थोड़ी टालमटोल करने के बाद उसने जो बताया, उसे सुनकर उस भारतीय महानुभाव के तो होश ही उड़ गए।
ताइवान वाले दोस्त ने पूछा, “200 वर्ष राज करने के लिए कितने ब्रिटिश भारत में रहे...?”
भारतीय महानुभाव ने कहा कि लगभग “10,000 रहे होंगे!”
तो फिर 32 करोड़ लोगों को यातनाएँ किसने दीं? वह आपके अपने ही तो लोग थे न...?
जनरल डायर ने जब "फायर" कहा था... तब 1300 निहत्थे लोगों पर गोलियाँ किसने दागी थीं? उस समय ब्रिटिश सेना तो वहाँ थी ही नहीं!
क्यों एक भी बंदूकधारी (सब के सब भारतीय) पीछे मुड़कर जनरल डायर को नहीं मार पाया...?
फिर उसने उन भारतीय महानुभाव से कहा, आप यह बताओ कि कितने मुगल भारत आए थे? उन्होंने कितने वर्ष तक भारत पर राज किया? और भारत को गुलाम बनाकर रखा! और आपके अपने ही लोगों को धर्म परिवर्तन करवाकर आप के ही खिलाफ खड़ा कर दिया!
जोकि 'कुछ' पैसे के लालच में, अपनों पर ही अत्याचार करने लगे! अपनों के साथ ही दुराचार करने लगे…!!
तो मित्र, आपके अपने ही लोग, कुछ पैसे के लिए, अपने ही लोगों को सदियों से मार रहे हैं...? आपके इस स्वार्थी धोखेबाज, दगाबाज, मतलबपरस्त, 'दुश्मनों से यारी और अपने भाईयों से गद्दारी'😢
इस प्रकार के व्यवहार एवं इस प्रकार की मानसिकता के लिए, हम भारतीय लोगों से सख्त नफ़रत करते हैं!
इसीलिए हमारी यही कोशिश रहती है कि यथासंभव, हम भारतीयों से सरोकार नहीं रखते...? उसने बताया कि, जब ब्रिटिश हांगकांग में आए तब एक भी व्यक्ति उनकी सेना में भरती नहीं हुआ क्योंकि उन्हें अपने ही लोगों के विरुद्ध लड़ना गवारा नहीं था...?
यह भारतीयों का दोगला चरित्र है, कि अधिकाँश भारतीय हर वक्त, बिना सोचे समझे, पूरी तरह बिकने के लिए तैयार रहते हैं...? और आज भी भारत में यही चल रहा है।
विरोध हो या कोई और मुद्दा, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में और खुद के फायदों वाली गतिविधियों में भारत के लोग आज भी, राष्ट्र हित को हमेशा दोयम स्थान देते हैं, आप लोगों के लिए "मैं और मेरा परिवार" पहले रहता है "समाज और देश" जाए भाड़ में...?
अपनी मौज के अनुसार कार्य करें ।
दिन लंबे हो गये हैं।
हल्का भोजन,पर्याप्त पानी व रोज़ व्यायाम करें ।
स्वस्थ रहें , मस्त रहें ।
अपने पापा का नूर है “नूर”(6yrs,F).हम सबकी की दुआ है आपके जीवन के नूर के लिए ।
Happy Nurses Day
Happy Nurses Day everyone……
……….जायज़ जंग…………
सत्य-असत्य की जंग तब तक चलती रहेगी जब तक छोटी से छोटी ग़लत बात पर समाज अपनी ठोस प्रतिक्रिया व साथ बिना स्वार्थ के देना शुरू नहीं करता।
ज़ख़्म का सही इलाज, सही समय पर करवाने को ज़िम्मेदारी कहते हैं,
जब ज़ख़्म नासूर बन जाए तो ऑपरेशन करवाना ज़िम्मेदारी नहीं मजबूरी कहलाती है ।
जो बीज़ डाला या उगने दिया ,फसल तो काटनी बनती है ।
समाज के ख़तरों (खरपतवारों) को दूरदर्शिता से पहचान कर
अतिशीघ्र जड़ से सफ़ाई में अपना योगदान देना अतिअवश्यक है वरना आने वाली कुपोषित फसल पर रोने का सौभाग्य भी आपको ही मिलने वाला है ।
सोशल मीडिया के सभी महान ज्ञानी योद्धाओं को समर्पित
सभी भाइयों को दिल की गहराइयों से..ईद मुबारक ।
आज 13 अप्रैल है , जलियाँवाला बाग ।।
जीवन की जद्दोज़हद में ,दिमाग़ से निकाल कर दिमाग़ ख़राब ना कर लेना ।
सबसे अनमोल है आज़ाद देश ।
ज़िम्मेदारी के साथ देश के भविष्य को सर्वप्रथम रखें । जय हिन्द ।
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