Shri Shyam Lazeez E-Rasoi
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Diksh*t ❤️ Mallika
's ...
17/sep/2023
NishuRaj Resort
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👑 The Crown 👑
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With
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Varun Chhabra 09991800057
Shubham Tuteja 09991865251
सिरसा के मशहूर कैटरर एवं वेडिंग प्लानर क्राउन कैटरर्स एवं वेडिंग प्लानर को दिल्ली के सबसे प्रतिष्ठित आकर एक्सीलेंस अवॉर्ड 2023 में देश भर से आए कैटरर और वेडिंग प्लानर के बीच में सबसे बेहतरीन वेडिंग प्लानर के अवार्ड से सम्मानित किया गया सेलिब्रिटी chef हरपाल सोखी और आकार एक्सीलेंस की ज्यूरी ने मिलकर वरुण छाबड़ा और उनकी टीम क्राउन कैटरर्स की मेहनत और बेहतरीन मेजबानी को की तारीफ करते हुए क्राउन कैटरर्स को सबसे उम्दा वेडिंग प्लानर बताया और वरुण छाबड़ा और शुभम टुटेजा को सम्मानित किया
एक जज अपनी पत्नी को क्यों दे रहे हैं तलाक???।
""रोंगटे खड़े"" कर देने वाली सच्ची घटना।
कल रात एक ऐसा वाकया हुआ जिसने मेरी ज़िन्दगी के कई पहलुओं को छू लिया.
करीब 7 बजे होंगे,
शाम को मोबाइल बजा ।
उठाया तो उधर से रोने की आवाज...
मैंने शांत कराया और पूछा कि भाभीजी आखिर हुआ क्या?
उधर से आवाज़ आई..
आप कहाँ हैं??? और कितनी देर में आ सकते हैं?
मैंने कहा:- "आप परेशानी बताइये"।
और "भाई साहब कहाँ हैं...?माताजी किधर हैं..?" "आखिर हुआ क्या...?"
लेकिन
उधर से केवल एक रट कि "आप आ जाइए", मैंने आश्वाशन दिया कि कम से कम एक घंटा पहुंचने में लगेगा. जैसे तैसे पूरी घबड़ाहट में पहुँचा;
देखा तो भाई साहब [हमारे मित्र जो जज हैं] सामने बैठे हुए हैं;
भाभीजी रोना चीखना कर रही हैं 12 साल का बेटा भी परेशान है; 9 साल की बेटी भी कुछ नहीं कह पा रही है।
मैंने भाई साहब से पूछा कि ""आखिर क्या बात है""*???
""भाई साहब कोई जवाब नहीं दे रहे थे "".
फिर भाभी जी ने कहा ये देखिये *तलाक के पेपर, ये कोर्ट से तैयार करा के लाये हैं, मुझे तलाक देना चाहते हैं,
मैंने पूछा - ये कैसे हो सकता है???. इतनी अच्छी फैमिली है. 2 बच्चे हैं. सब कुछ सेटल्ड है. ""प्रथम दृष्टि में मुझे लगा ये मजाक है"".
लेकिन मैंने बच्चों से पूछा दादी किधर है,
बच्चों ने बताया पापा ने उन्हें 3 दिन पहले नोएडा के वृद्धाश्रम में शिफ्ट कर दिया है.
मैंने घर के नौकर से कहा।
मुझे और भाई साहब को चाय पिलाओ;
कुछ देर में चाय आई. भाई साहब को बहुत कोशिशें कीं चाय पिलाने की.
लेकिन उन्होंने नहीं पी और कुछ ही देर में वो एक "मासूम बच्चे की तरह फूटफूट कर रोने लगे "बोले मैंने 3 दिन से कुछ भी नहीं खाया है. मैं अपनी 61 साल की माँ को कुछ लोगों के हवाले करके आया हूँ.
पिछले साल से मेरे घर में उनके लिए इतनी मुसीबतें हो गईं कि पत्नी (भाभीजी) ने कसम खा ली. कि ""मैं माँ जी का ध्यान नहीं रख सकती"" ना तो ये उनसे बात करती थी
और ना ही मेरे बच्चे बात करते थे. *रोज़ मेरे कोर्ट से आने के बाद माँ खूब रोती थी. नौकर तक भी *अपनी मनमानी से व्यवहार करते थे
माँ ने 10 दिन पहले बोल दिया.. बेटा तू मुझे ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट कर दे.
मैंने बहुत कोशिशें कीं पूरी फैमिली को समझाने की, लेकिन किसी ने माँ से सीधे मुँह बात नहीं की.
जब मैं 2 साल का था तब पापा की मृत्यु हो गई थी दूसरों के घरों में काम करके ""मुझे पढ़ाया. मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं जज हूँ"". लोग बताते हैं माँ कभी दूसरों के घरों में काम करते वक़्त भी मुझे अकेला नहीं छोड़ती थीं.
उस माँ को मैं ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट करके आया हूँ। पिछले 3 दिनों से
मैं अपनी माँ के एक-एक दुःख को याद करके तड़प रहा हूँ,जो उसने केवल मेरे लिए उठाये।
मुझे आज भी याद है जब..
""मैं 10th की परीक्षा में अपीयर होने वाला था. माँ मेरे साथ रात रात भर बैठी रहती"".
एक बार माँ को बहुत फीवर हुआ मैं तभी स्कूल से आया था. उसका शरीर गर्म था, तप रहा था. मैंने कहा *माँ तुझे फीवर है हँसते हुए बोली अभी खाना बना रही थी इसलिए गर्म है।
लोगों से उधार माँग कर मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी तक पढ़ाया. मुझे ट्यूशन तक नहीं पढ़ाने देती थीं कि कहीं मेरा टाइम ख़राब ना हो जाए.
कहते-कहते रोने लगे..और बोले--""जब ऐसी माँ के हम नहीं हो सके तो हम अपने बीबी और बच्चों के क्या होंगे"".
हम जिनके शरीर के टुकड़े हैं,आज हम उनको ऐसे लोगों के हवाले कर आये, ""जो उनकी आदत, उनकी बीमारी, उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते"",
जब मैं ऐसी माँ के लिए कुछ नहीं कर सकता तो "मैं किसी और के लिए भला क्या कर सकता हूँ".
आज़ादी अगर इतनी प्यारी है और माँ इतनी बोझ लग रही हैं, तो मैं पूरी आज़ादी देना चाहता हूँ
जब मैं बिना बाप के पल गया तो ये बच्चे भी पल जाएंगे. इसीलिए मैं तलाक देना चाहता हूँ।
सारी प्रॉपर्टी इन लोगों के हवाले* करके उस ओल्ड ऐज होम में रहूँगा. कम से कम मैं माँ के साथ रह तो सकता हूँ।
और अगर इतना सब कुछ कर के ""माँ आश्रम में रहने के लिए मजबूर है"", तो एक दिन मुझे भी आखिर जाना ही पड़ेगा.
माँ के साथ रहते-रहते आदत भी हो जायेगी. माँ की तरह तकलीफ तो नहीं होगी.
जितना बोलते उससे भी ज्यादा रो रहे थे।
बातें करते करते रात के 12:30 हो गए।
मैंने भाभीजी के चेहरे को देखा.
उनके भाव भी प्रायश्चित्त और ग्लानि से भरे हुए थे; मैंने ड्राईवर से कहा अभी हम लोग नोएडा जाएंगे।
भाभीजी और बच्चे हम सारे लोग नोएडा पहुँचे.
बहुत ज़्यादा रिक्वेस्ट करने पर गेट खुला। भाई साहब ने उस गेटकीपर के पैर पकड़ लिए, बोले मेरी माँ है, मैं उसको लेने आया हूँ,
चौकीदार ने कहा क्या करते हो साहब,
भाई साहब ने कहा मैं जज हूँ,
उस चौकीदार ने कहा:-
""जहाँ सारे सबूत सामने हैं तब तो आप अपनी माँ के साथ न्याय नहीं कर पाये,
औरों के साथ क्या न्याय करते होंगे साहब"।
इतना कहकर हम लोगों को वहीं रोककर वह अन्दर चला गया.
अन्दर से एक महिला आई जो वार्डन थी.
उसने बड़े कातर शब्दों में कहा:-
"2 बजे रात को आप लोग ले जाके कहीं मार दें, तो
मैं अपने ईश्वर को क्या जबाब दूंगी..?"
मैंने सिस्टर से कहा आप विश्वास करिये. ये लोग *बहुत बड़े पश्चाताप में जी रहे हैं।
अंत में किसी तरह उनके कमरे में ले गईं. कमरे में जो दृश्य था, उसको कहने की स्थिति में मैं नहीं हूँ।
केवल एक फ़ोटो जिसमें पूरी फैमिली है और वो भी माँ जी के बगल में, जैसे किसी बच्चे को सुला रखा है.
मुझे देखीं तो उनको लगा कि बात न खुल जाए
लेकिन जब मैंने कहा हम लोग आप को लेने आये हैं, तो पूरी फैमिली एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगी
आसपास के कमरों में और भी बुजुर्ग थे सब लोग जाग कर बाहर तक ही आ गए.
उनकी भी आँखें नम थीं
कुछ समय के बाद चलने की तैयारी हुई. पूरे आश्रम के लोग बाहर तक आये. किसी तरह हम लोग आश्रम के लोगों को छोड़ पाये.
सब लोग इस आशा से देख रहे थे कि शायद उनको भी कोई लेने आए, रास्ते भर बच्चे और भाभी जी तो शान्त रहे......
लेकिन भाई साहब और माताजी एक दूसरे की भावनाओं को अपने पुराने रिश्ते पर बिठा रहे थे।घर आते-आते करीब 3:45 हो गया.
भाभीजी भी अपनी ख़ुशी की चाबी कहाँ है; ये समझ गई थी।
मैं भी चल दिया. लेकिन *रास्ते भर वो सारी बातें और दृश्य घूमते रहे*.
""माँ केवल माँ है""
उसको मरने से पहले ना मारें.
माँ हमारी ताकत है उसे बेसहारा न होने दें , अगर वह कमज़ोर हो गई तो हमारी संस्कृति की ""रीढ़ कमज़ोर"" हो जाएगी , बिना रीढ़ का समाज कैसा होता है किसी से छुपा नहीं
अगर आपकी परिचित परिवार में ऐसी कोई समस्या हो तो उसको ये जरूर पढ़ायें, बात को प्रभावी ढंग से समझायें , कुछ भी करें लेकिन हमारी जननी को बेसहारा बेघर न होने दें, अगर माँ की आँख से आँसू गिर गए तो "ये क़र्ज़ कई जन्मों तक रहेगा", यकीन मानना सब होगा तुम्हारे पास पर ""सुकून नहीं होगा"" , सुकून सिर्फ माँ के आँचल में होता है उस आँचल को बिखरने मत देना।
इस मार्मिक दास्तान को खुद भी पढ़िये और अपने बच्चों को भी पढ़ाइये ताकि पश्चाताप न करना पड़े।🙏🚩
*विनम्र निवेदन* 🙏
खाटूश्यामजी के सभी व्यापारीयो से विनम्र निवेदन है कि धूप का प्रकोप बहुत ज्यादा हो रहा है । तापमान 45-46° रहता है । बाबा श्याम के भक्त इस तापमान में भी बाबा के दर्शनों के लिए खाटू आ रहे है । इससे कहीं ना कहीं आपके व्यापार में भी वृद्धि हो रही होगी । लेकिन इस चिलचिलाती धूप में सड़कों के गरम रहने से भक्त नंगे पाँव उछलते हुये आते हे। इसलिए आप कृपा करके अपनी-अपनी दुकानों के सामने 10×10 की कालीन बिछवाये और पानी पीने के लिए 1-1 पानी का केन रखवा दे ।
सेवा का मौका घर बैठे मिला है इसका लाभ जरूर उठाये।
#जयश्रीश्याम 🙏🙏🙏🙏
❤️🙏👑
🙏 जय श्री श्याम 🙏
🙏 Jai Shree Ram 🙏
🙏 Jai Shree Balaji Maharaj Ki Jai 🙏
सालासर धाम हनुमानजी का जाग्रत स्थान
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राजस्थान में बालाजी के नाम से विख्यात हनुमान जी के अनेक प्रसिद्ध मन्दिर हैं जिनमें सालासर के चमत्कारी श्री बालाजी मन्दिर का विशेष महत्व है।
सालासर राजस्थान प्रान्त के चुरू जिले की सुजानगढ़ तहसील में स्थित है। सुजानगढ़ से लगभग 25 किलोमीटर दूर मरूस्थल कटीलों के बीच सालासर का परम.पावन क्षेत्र स्थित है। सालासर के कण.कण में श्री बालाजी विद्यमान हैं। श्री बालाजी मन्दिर सालासरए राजस्थानी शैली में निर्मित एक भव्य एवं विशाल मन्दिर है।
सालासर में स्थापित सिद्धपीठ बालाजी की प्रतिमा आसोटा गांव के एक खेत में प्रकट हुई थी। बालाजी के परम भक्त मोहनदास जी को हल चलाते समय इस प्रतिमा के प्रथम दर्शन हुए थे। तत्पश्चात भक्त श्री मोहनदास द्वाराए श्री बालाजी महाराज की दिव्य प्रेरणा सेए आज से लगभग 253 वर्ष पूर्वए विक्रमी सम्वत् 1811 ;इघ् सन 1754श्रावन शुक्ल नवमी शनिवार को श्री बालाजी के श्रीविग्रह की प्रतिष्ठा सालासर के परम पावन क्षेत्र में हुई।
भक्त मोहनदास जी एवं उनकी बहन कान्ही बाई ने अनन्य भक्ति भाव से बालाजी की सेवा अर्चना की और बालाजी के साक्षात् दर्शन प्राप्त किए। कहते हैं कि श्री बालाजी एवं मोहनदास जी आपस में वार्तालाप करते थे।
मन्दिर में श्री बालाजी की भव्य प्रतिमा सोने के सिंहासन पर विराजमान है। इसके ऊपरी भाग में श्री राम दरबार है तथा निचले भाग में श्री राम चरणों में दाढ़ी.मूंछ से सुशोभित हनुमान जी श्री बालाजी के रूप में विराजमान हैं। मुख्य प्रतिमा शालिग्राम पत्थर की है जिसे गेरूए रंग और सोने से सजाया गया है। बालाजी का यह रूप अद्भुतए आकर्षक एवं प्रभावशाली हैं। प्रतिमा के चारों तरफ सोने से सजावट की गई हैं और सोने का रत्न जडि़त भव्य मुकुट चढ़ाया गया है। प्रतिमा पर लगभग 5 किलोग्राम सोने से निर्मित स्वर्ण छत्र भी सुशोभित है।
प्रतिष्ठा के समय से ही मन्दिर के अंदर अखण्ड दीप प्रज्वलित हैं। मन्दिर परिसर के अन्दर प्राचीन कुएं का लवण मुक्त जल आरोग्यवर्धक है। श्रद्धालुए यहां स्नान कर अनेक रोगों से छुटकारा पाते हैं। मन्दिर के अन्दर स्थित प्राचीण धूणां आज भी जल रहा है।
शुरू में जाटी वृक्ष के पास एक छोटा सा मन्दिर था। श्री बालाजी महाराज की अनुकम्पा से आज यहां विशाल स्वर्ण निर्मित मन्दिर है। जांटी का वृक्ष आज भी मौजूद हैं जिस पर भक्तजन नारियल एवं ध्वजा चढ़ाते हैं तथा लाल धागे बांधकर मन्नत मांगते हैं। मन्दिर के ऊपर स्थापित भारतीय संस्कृति की झलक देने वाली लाल ध्वजाएं अनवरत रूप से लहराती रहती हैं।
श्री बालाजी मन्दिर से पहले लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर श्री अंजनी माता का मन्दिर है। अंजनी माता का यह मंदिर भव्य एवं प्रतिमा स्वर्ग निर्मित हैं। मन्दिर की शोभा भव्य एवं वातावरण सात्विक है। सालासर आने वाले सभी भक्जतन सबसे पहले श्री अंजनी माता मन्दिर में पूजा.अर्चना करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं।
तत्पश्चात भक्तजन श्री बालाजी मन्दिर की तरफ प्रस्थान करते हैं। कुछ विशिष्ट भक्तजन पेट के बल चलते हुए मन्दिर तक पहुंचते हैं। पैदल चलकर आने वाले यात्री हाथों में लाल घ्वजा लेकर चलते हैं।
श्री बालाजी की दैनिक परम्परागत भोग तथा भक्त श्री मोहनदास जी के वशंजों द्वारा की जाती है। बालाजी के भोग में प्रायरू चूरमाए लड्डूए पेड़े आदि चढ़ाए जाते हैं। परम्परागत रोट और खिचड़ा भी श्री बालाजी के भोग में सम्मिलित हैं। श्री बालाजी महाराज की जप तथा कीर्तन आदि यहां निरन्तर चलते रहते हैं।
श्री बालाजी महाराज की कृपा से भक्तजनों की मनोकामनाओं की पूर्ति के उपरांत यहां ध्वजा नारियल तथा छत्र आदि भेंट किए जाते हैं। कुछ श्रद्धावान भक्त सवामणीए भण्डारा आदि अर्पित करते हैं। सवामणी का प्रचलन यहां सबसे ज्यादा है।
देश.विदेश से भक्तगण श्री बालाजी के दर्शनार्थ सालासर आते हैं। मंगलवार तथा शानिवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है। चैत्र मास अप्रैल और आश्विन मास अक्टूबर की पूर्णिमाओं पर यहां विशाल मेला लगता है जो काफी दिनों तक चलता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती हैं। पैदल चलकर भी लाखों श्रद्धालु आते है। राजस्थान के अलावा पंजाबए हरियाणाए दिल्ली सहित पूरे भारतवर्ष से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
क्या होती है सवामणीरू. सवामणी श्री बालाजी महाराज को अर्पित की जाने वाले सवामण लगभग 50 किलोग्राम भोग सामग्री होती है। यह भोग सामग्री एक ही प्रकार की होती है जो लड्डूए पेड़ाए बर्फीए चूरमा होते हैं परंतु ज्यादातर सवामणी बेसन के लडड्ओं की होती हैं। भोग के उपरान्त सवामणी को भक्तों में वितरण करना होता है।
*जय श्री बालाजी*
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❤️ अभी अभी के दर्शन ☺️
🙏 जय श्री श्याम 🙏
Jai shree shyam ◆आवश्यक सूचना◆....."खुला हुआ है खुला रहेगा"❤️❤️....जय श्री श्याम.... .
🙏 हर हर शंभू... शंभू... शिव महादेव... शंभू... 🙏
🙏 Jai Shree Shyam 🙏
🙏 बोलो ❤️ हारे के सहारे ❤️ की जय 🙏
🙏 बोलो ❤️ श्याम प्यारे ❤️ की जय 🙏
🙏 जय श्री श्याम 🙏
श्याम बगीची, सिरसा में हुआ बाबा जी का चमत्कार
बाबा के हंसते हुए स्वरूप के भक्तों को साक्षात दर्शन
जय श्री श्याम जी...
शीश के दानी की जय...
लीले के असवार की जय...
🙏🙏🙏🙏
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Saturday | 9am - 11pm |
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Opp. JCD, Near Petrol Pump, Barnala Road
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Near Sadar Thana, New Housing Board Colony, Barnala Road
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Cafe Arabia A family Restaurant Veg & Non Veg Restaurant
G3P4+5M5, M. C Ward Number/4, D C Colony
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Kharian
Sirsa, 125076
is page me jiwan se haar maan chuke logon ke sath sukh dukh samjha karne ka paryash kiya gaya hai.jiwan me har kisi se jitta ja satka h siwa kismat ke kuki mukdaar jisko harana cha...