Om Shreem Brzee

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21/03/2024
01/12/2023

No. 7007059611

17/11/2020
19/09/2020

॥ॐ॥ का जप करते समय 108 प्रकार की विशेष भेदक ध्वनी तरंगे उत्पन्न होती है जो किसी भी प्रकार के शारीरिक व मानसिक घातक रोगों के कारण का समूल विनाश व शारीरिक व मानसिक विकास का मूल कारण है। बौद्धिक विकास व स्मरण शक्ति के विकास में अत्यन्त प्रबल कारण है ।

॥ 108 ॥
यह अद्भुत व चमत्कारी अंक बहुत समय ( काल ) से हमारे ऋषि -मुनियों के नाम के साथ प्रयोग होता रहा है।

★ आइये जाने संख्या 108 का रहस्य ★

स्वरमाला

अ→1 ... आ→2... इ→3 ... ई→4 ... उ→5... ऊ→6 ... ए→7 ... ऐ→8 ओ→9 ... औ→10 ... ऋ→11 ... लृ→12
अं→13 ... अ:→14..
ऋॄ →15.. लॄ →16

व्यंजनमाला

क→1 ... ख→2 ... ग→3 ... घ→4 ...
ङ→5 ... च→6... छ→7 ... ज→8 ...
झ→9... ञ→10 ... ट→11 ... ठ→12 ...
ड→13 ... ढ→14 ... ण→१15 ... त→16 ...
थ→17... द→18 ... ध→19 ... न→20 ...
प→21 ... फ→22 ... ब→23 ... भ→24 ...
म→25 ... य→26 ... र→27 ... ल→28 ...
व→29 ... श→30 ... ष→31 ... स→32 ...
ह→33 ... क्ष→34 ... त्र→35 ... ज्ञ→36 ...
ड़ 37 ... ढ़ ... 38
--~ओ अहं = ब्रह्म ~--
ब्रह्म = ब+र+ह+म =23+27+33+25=108

( 1 )

यह मात्रिकाएँ (16स्वर +38 व्यंजन=54 ) नाभि से आरम्भ होकर ओष्टों तक आती है, इनका एक बार चढ़ाव, दूसरी बार उतार होता है, दोनों बार में वे 108 की संख्या बन जाती हैं। इस प्रकार 108 मंत्र जप से नाभि चक्र से लेकर जिव्हाग्र तक की 108 सूक्ष्म तन्मात्राओं का प्रस्फुरण हो जाता है। अधिक जितना हो सके उतना उत्तम है पर नित्य कम से कम 108 मंत्रों का जप तो करना ही चाहिए ।।

( 2 )

मनुष्य शरीर की ऊँचाई
= यज्ञोपवीत(जनेउ) की परिधि
= ( 4 अँगुलियों) का 27 गुणा होती है।
= 4 × 27 = 108

( 3 )

नक्षत्रों की कुल संख्या = 27
प्रत्येक नक्षत्र के चरण = 4
जप की विशिष्ट संख्या = 108
अर्थात् ॐ मंत्र जप कम से कम 108 बार करना चाहिये ।

( 4 )

एक अद्भुत अनुपातिक रहस्य
★ पृथ्वी से सूर्य की दूरी/ सूर्य का व्यास=108
★ पृथ्वी से चन्द्र की दूरी/ चन्द्र का व्यास=108
अर्थात् मन्त्र जप 108 से कम नहीं करना चाहिये।

( 5 )

हिंसात्मक पापों की संख्या 36 मानी गई है जो मन, वचन व कर्म 3 प्रकार से होते है। अर्थात् 36×3=108। अत: पाप कर्म संस्कार निवृत्ति हेतु किये गये मंत्र जप को कम से कम 108 अवश्य ही करना चाहिये।

( 6 )

सामान्यत: 24 घंटे में एक व्यक्ति 21600 बार सांस लेता है। दिन-रात के 24 घंटों में से 12 घंटे सोने व गृहस्थ कर्तव्य में व्यतीत हो जाते हैं और शेष 12 घंटों में व्यक्ति जो सांस लेता है वह है 10800 बार। इस समय में ईश्वर का ध्यान करना चाहिए । शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर ईश्वर का ध्यान करना चाहिये । इसीलिए 10800 की इसी संख्या के आधार पर जप के लिये 108 की संख्या निर्धारित करते हैं।

( 7 )

एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है। सूर्य वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छःमाह उत्तरायण में रहता है और छः माह
दक्षिणायन में। अत: सूर्य छः माह की एक स्थिति
में 108000 बार कलाएं बदलता है।

22/06/2020

First Chakra (Red or Root)
13 23 251 to optimize and balance the energy of the base or 'root' chakra (red)10 010 5856 for chronic root chakra blockage/inability to ground to Gaia

Second Chakra (Orange or Navel)

54 28 131 to optimize and balance the energy of the second or 'sacral' chakra (orange)

Third Chakra (Yellow or Solar Plexus)

80 03 011 to optimize and balance the energy of the third or 'solar plexus' chakra (yellow)

Fourth Chakra (Green or Heart)

54 56 821 to optimize and balance the energy of the fourth or 'heart' chakra (green)88 76 543 for opening the heart chakra when it is closed--good for low self-esteem, lack of self-love, poor self-acceptance, and deep injuries on a soul-level. It will not resolve karmic imbalance but it supports the healing process greatly. Use with permission from your Higher Self or Inner Guidance for you, and also with permission on a soul level if used to help heal another.

Fifth Chakra (Blue or Throat)

77 74 089 to optimize and balance the energy of the fifth or 'throat' chakra (blue)88 26 789 for opening the throat chakra for better communication ability (use only with the permission from your Higher Self and intuitive guide each time it is used--there is risk of a side effect of energy 'jam' that might need to be released by a Reiki Master in the person who uses it without this permission. It is powerful, this code.)

Sixth Chakra (Indigo or Pituitary)

82 88 133 to optimize and balance the energy of the sixth or 'third eye' chakra (indigo)

Seventh Chakra (White or Crown)

10 01 688 to optimize and balance the energy of the seventh or 'crown' chakra (white)

Higher Chakras (Silver, Gold or Master Chakra)

34 50 824 to optimize and balance the energy of the master chakra (all)

All Chakras At Once

56 51 521 to cleanse and balance the chakras--open and heal them. (the whole set)

20/06/2020

नौ साल बाद एक बार फिर साल के सबसे बड़े दिन यानी 21 जून को सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। इस सूर्यग्रहण की खास बात इस दिन रविवार होना है। शास्त्रों के मतानुसार रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव को ही समर्पित होता है। इन विविध संयोगों के बीच कोरोना काल में कल 21 जून को यह सूर्यग्रहण लगेगा। यह भी एक विचित्र संयोग है कि जून महीने में दूसरी बार ग्रहण पड़ेगा। इसी महीने की 5 तारीख को चन्द्रग्रहण लग चुका है, इसलिए इस सूर्यग्रहण की घटना को दुर्लभ खगोलीय घटना माना जा रहा है। यह सूर्यग्रहण कोरोना काल में लग रहा है, इसलिए यह मानव जीवन के लिए कल्याणकारी नहीं। यह कई प्रकार की दैवीय आपदा आने का संकेत दे रहा है। व्यक्तिगत तौर पर देखें तो यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र और मिथुन राशि में घटित होगा। मिथुन राशि के साथ-साथ कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए भी परेशानी वाला रह सकता है। इन राशि वालों को सावधानी बरतने की जरूरत है।

सूर्य ग्रहण के समय राशियों पर यह होगा प्रभाव -

मेष - समय लाभदायक रहेगा । इस समय आप ॐ नमो भगवते वासुदेवायः का जप करें।

वृष - समय अनुकूल नहीं है। इस समय आप ॐ गं गणपतये नमः का जप करें।

मिथुन - मानसिक परेशानी। इस समय आप ॐ घृणी सूर्याय नमः का जप करें।

कर्क - आर्थिक क्षति। इस समय आप ॐ नमः शिवाय का जप करें।

सिंह - समय लाभकारी है। इस समय आप गायत्री मंत्र का जप करें।

कन्या - समय अनुकूल है। इस समय आप आप ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै का जप करें।

तुला - मानसिक तनाव हो सकता है। इस समय आप ॐ नमः शिवाय का जप करें।

वृश्चिक - समय कष्टकारी हैं। इस समय आप हनुमान चालीसा का पाठ करें।

धनु - पीड़ादायक समय हैं। इस समय आप ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें।

मकर - लाभकारी समय हैं। इस समय आप हनुमान चालीसा का पाठ करें।

कुम्भ - समय अनुकूल नहीं है। इस समय आप बजरंग बाण का पाठ करें।

मीन - समय अनुकूल है। इस समय आप गायत्री मंत्र का जप करें।

ग्रहण के दौरान क्‍या करें एवं क्‍या ना करें -

1. ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। हालांकि ग्रहण के नियम का यह नियम बच्चों, बीमार लोगों और बुजुर्गों पर लागू नहीं होता।

2. सूतक काल के दौरान किसी भी तरह का नया काम या शुभ कार्य करने से परहेज करना चाहिए। घर मकान का निर्माण, वाहन की खरीदारी या शादी-विवाह की तैयारियों के बारे में ना सोचें।

3. ग्रहण का सूतक काल लगने के बाद नुकीली चीजों का इस्तेमाल करना अशुभ माना जाता है। सूतक के दौरान कैंची, चाकू, कांटा या सुई जैसी धारदार और नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने से बचें।

4. सूतक लगने के बाद मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। सूतक के दौरान पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए और भगवान की मूर्तियों को हाथ से स्पर्श भी नहीं करना चाहिए।

5. ग्रहण का सूतक काल लगने के बाद प्रकृति ज्यादा संवेदनशील हो जाती है। यही कारण है कि इस दौरान पेड़, पौधों और पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। हालांकि तुलसी के पत्तों को पहले ही तोड़कर रख लें और पानी में भीगने दें। सूतक लगने के बाद यदि किसी को खाना परोसें भी तो उसमें तुलसी का पत्ता जरूर डालें।

6. ग्रहण के पश्चात स्नान दान करके भोजन करें।

08/06/2020

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06/06/2020

श्री गणेशाय नमः

धार्मिक कार्य में मौली क्यों बांधते हैं आओ जानें कथा

येन बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल।।

मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था। इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है, ‍जबकि देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था। मौली को हर हिन्दू बांधता है। इसे मूलत: रक्षा सूत्र कहते हैं।

मौली का अर्थ : 👇🏽👇🏽

'मौली' का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर'। मौली का तात्पर्य सिर से भी है। मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। मौली के भी प्रकार हैं। शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान है इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है।

मौली बांधने का मंत्र : 👇🏽👇🏽

‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’

कैसी होती है मौली? : 👇🏽👇🏽

मौली कच्चे धागे (सूत) से बनाई जाती है जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं- लाल, पीला और हरा, लेकिन कभी-कभी यह 5 धागों की भी बनती है जिसमें नीला और सफेद भी होता है। 3 और 5 का मतलब कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव।

मौली बांधने के नियम : 👇🏽

शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है।

कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।

मौली कहीं पर भी बांधें, एक बात का हमेशा ध्यान रहे कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए व इसके बांधने में वैदिक विधि का प्रयोग करना चाहिए।

कब बांधी जाती है मौली? : 👇🏽

पर्व-त्योहार के अलावा किसी अन्य दिन कलावा बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है।

हर मंगलवार और शनिवार को पुरानी मौली को उतारकर नई मौली बांधना उचित माना गया है। उतारी हुई पुरानी मौली को पीपल के वृक्ष के पास रख दें या किसी बहते हुए जल में बहा दें।

प्रतिवर्ष की संक्रांति के दिन, यज्ञ की शुरुआत में, कोई इच्छित कार्य के प्रारंभ में, मांगलिक कार्य, विवाह आदि हिन्दू संस्कारों के दौरान मौली बांधी जाती है।

क्यों बांधते हैं मौली? : 👇🏽👇🏽

मौली को धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है।

किसी अच्छे कार्य की शुरुआत में संकल्प के लिए भी बांधते हैं।

किसी देवी या देवता के मंदिर में मन्नत के लिए भी बांधते हैं।

मौली बांधने के 3 कारण हैं- पहला आध्यात्मिक, दूसरा चिकित्सीय और तीसरा मनोवैज्ञानिक।

किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय या नई वस्तु खरीदने पर हम उसे मौली बांधते हैं ताकि वह हमारे जीवन में शुभता प्रदान करे।

हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है।
इसके अलावा पालतू पशुओं में हमारे गाय, बैल और भैंस को भी पड़वा, गोवर्धन और होली के दिन मौली बांधी जाती है।

मौली करती है रक्षा : मौली को कलाई में बांधने पर कलावा या उप मणिबंध करते हैं। हाथ के मूल में 3 रेखाएं होती हैं जिनको मणिबंध कहते हैं। भाग्य व जीवनरेखा का उद्गम स्थल भी मणिबंध ही है। इन तीनों रेखाओं में दैहिक, दैविक व भौतिक जैसे त्रिविध तापों को देने व मुक्त करने की शक्ति रहती है।

इन मणिबंधों के नाम शिव, विष्णु व ब्रह्मा हैं। इसी तरह शक्ति, लक्ष्मी व सरस्वती का भी यहां साक्षात वास रहता है। जब हम कलावा का मंत्र रक्षा हेतु पढ़कर कलाई में बांधते हैं तो यह तीन धागों का सूत्र त्रिदेवों व त्रिशक्तियों को समर्पित हो जाता है जिससे रक्षा-सूत्र धारण करने वाले प्राणी की सब प्रकार से रक्षा होती है। इस रक्षा-सूत्र को संकल्पपूर्वक बांधने से व्यक्ति पर मारण, मोहन, विद्वेषण, उच्चाटन, भूत-प्रेत और जादू-टोने का असर नहीं होता।

मौली बांधने का आध्यात्मिक रहस्य... 👇🏽👇🏽

आध्यात्मिक पक्ष :
शास्त्रों का ऐसा मत है कि मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से रक्षा तथा शिव की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है। इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति एवं सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है।

यह मौली किसी देवी या देवता के नाम पर भी बांधी जाती है जिससे संकटों और विपत्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है। यह मंदिरों में मन्नत के लिए भी बांधी जाती है।

इसमें संकल्प निहित होता है। मौली बांधकर किए गए संकल्प का उल्लंघन करना अनुचित और संकट में डालने वाला सिद्ध हो सकता है। यदि आपने किसी देवी या देवता के नाम की यह मौली बांधी है तो उसकी पवित्रता का ध्यान रखना भी जरूरी हो जाता है।

चिकित्सीय पक्ष : प्राचीनकाल से ही कलाई, पैर, कमर और गले में भी मौली बांधे जाने की परंपरा के ‍चिकित्सीय लाभ भी हैं। शरीर विज्ञान के अनुसार इससे त्रिदोष अर्थात वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। पुराने वैद्य और घर-परिवार के बुजुर्ग लोग हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में मौली का उपयोग करते थे, जो शरीर के लिए लाभकारी था। ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिए मौली बांधना हितकर बताया गया है।

हाथ में बांधे जाने का लाभ : शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है अतः यहां मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। उसकी ऊर्जा का ज्यादा क्षय नहीं होता है। शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है।

कमर पर बांधी गई मौली : कमर पर बांधी गई मौली के संबंध में विद्वान लोग कहते हैं कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है और कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है। यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।

मनोवैज्ञानिक लाभ : मौली बांधने से उसके पवित्र और शक्तिशाली बंधन होने का अहसास होता रहता है और इससे मन में शांति और पवित्रता बनी रहती है। व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं आते और वह गलत रास्तों पर नहीं भटकता है। कई मौकों पर इससे व्यक्ति गलत कार्य करने से बच जाता है*

06/06/2020

(सर्व कल्याण)👉फिरोजा बहुत सारे लोगों ने सलमान खान की कलाई में इसे देखा होगा

👉ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए या फिर उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए ज्योतिष शास्त्र द्वारा विभिन्न प्रकार के रत्न प्रदान किए गए हैं। यह रत्न हमारे जीवन को सुधारने और यहां तक कि कई रोगों से लड़ने में भी सहायक सिद्ध होते हैं। फिरोजा भी ऐसे ही प्रभावशाली लेकिन कम मुल्यवान रत्नों में से एक है। फिरोजा नीला और हरा-नीला रंग का सेमीप्रीसियस स्‍टोन होता है। इस रत्‍न को ज्‍योतिषीय रेमिडी के तौर पर कई लोगों द्वारा इस्‍तेमाल किया जाता है।

👉 वे लोग जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो, उन्हें फिरोजा रत्न धारण करना चाहिए। यह बृहस्पति ग्रह को मजबूती प्रदान करता है। यह गुरू के अच्‍छे फल जैसे मान-सम्‍मान, धन, अच्‍छी सेहत और शिक्षा देने वाला रत्‍न है। धनु और मीन राशि (चंद्र राशि) वालों को जरूर पहनना चाहिए।
👉जिनकी कुंडली में राहु या केतु का कोई भी दोष हो, उस दोष को शांत करने का रामबाण उपाय है फिरोजा रत्न।
👉 इसकी दूसरी खासियत यह है कि यह प्रेम संबंधों को सुधारने के काम आता है। यदि प्रेमी-प्रेमिका के बीच परेशानी चल रही हो या पति-पत्नी में कोई अनबन हो, तो फिरोजा रत्न के प्रयोग से दो अंगूठियां बनवाएं और शुभ मुहूर्त में एक-दूसरे को पहनाएं। यह रत्न धीरे-धीरे रिश्ते सुधार देता है।
इसके अलावा यदि किसी मित्र के साथ या परिवार के किसी सदस्य के साथ मतभेद चल रहे हों तो उन्हें फिरोजा रत्न किसी भी रूप में बनवाकर भेंट कर दें। रिश्ते पहले की तरह अच्छे हो जाएंगे।
👉फिरोजा की अगली खासियत यह है कि यह रत्न कई तरह के रोगों को काटने का काम करता है, विशेष रूप से दिल से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने के लिए इस रत्न का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए और गुर्दे संबंधी रोगों से भी निजात दिलाता है यह रत्न। जिन्हें रक्तचाप (उच्च या कम) जैसी कोई भी दिक्कत रहती हो और उसका इलाज सफल नहीं हो रहा है, उन्हें भी कुंडली के विषलेषण के बाद फिरोजा रत्न धारण करना उपयुक्त रहता है।
👉यह रत्न बुरी नजर से भी व्यक्ति की रक्षा करता है।
👉फिरोजा रत्न को पहनने वाले के भीतर आत्म विश्वास बढ़ता है। यह रत्न उसके आसपास की बुरी ऊर्जा को दूर कर उसे सकारात्मक सोच प्रदान करता है। इतना ही नहीं, इस रत्न को पहनने वाले भूत-प्रेत जैसी बुरी शक्तियों से भी बचे रहते हैं।
👉पढ़ने-लिखने के क्षेत्र से संबंधित लोग और वकीलों के लिए यह रत्‍न अच्‍छे फल देने वाला माना जाता है। लीवर, गुर्दे और मोटापे से संबंधि‍त रोगों से बचाव में फिरोजा बहुत फायदेमंद होता है। गुरू के अच्‍छे प्रभाव जैसे बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य, सामाजिक सम्‍मान का बढ़ना, सफलता, आराम और जीवन में सफलता प्राप्‍त होती है।

अभिमंत्रित कर इस रत्न को धारण करने वाले किसी भी व्यक्ति पर इस रत्न का कोई भी साईड इफैक्ट नहीं देखा गया है, इसलिए इसे कोई भी लग्न-राशी का व्यक्ति धारण कर सकता है।

06/06/2020

सुलेमानी हकीक पत्थर के लाभ :

सुलेमानी हकीक को सुलेमानी पत्थर इसलिए कहा जाता है क्योकि ये एक बेहद चमत्कारी नगीना है और इस कारण से इसको सुलेमानी पत्थर के नाम से जाना जाता है । सफेद रंग के डोरे से युक्त काले रंग के पत्थर को सुलेमानी पत्थर कहा जाता है।

काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव करता है ।

शनि, राहु और केतु तीनो ग्रहो का एक रामबाण ईलाज है सुलेमानी पत्थर । जिन लोगो को शनि, राहु या केतु की दशा चल रही है वो लोग सुलेमानी पत्थर को पहन सकते है और लाभ प्राप्त कर सकते है ।

नौकरी और व्यवसाय में आ रही अड़चनो को दूर करता है ।
सुलेमानी हकीक पत्थर को कोई भी व्यक्ति (स्त्री , पुरुष और बच्चा ) धारण कर सकता है व इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है ।

सुलेमानी हकीक को कोई भी राशि का व्यक्ति धारण कर सकता है और लाभ प्राप्त कर सकता है ।
सुलेमानी हकीक को धारण करने के बाद लोग आपकी तरफ आकर्षित होने लगते है और आपको महत्त्व देने लगते है ।

सुलेमानी हकीक एक ऐसा चमत्कारी पत्थर है जो आपको लोगो की बुरी नजर से बचा कर रखता है । आपका व्यवसाय काला जादू या टोना - टोटका की वजह से मंदा चल रहा है तो सुलेमानी हकीक पत्थर उसका काट कर देता है और व्यवसाय में बढ़ोतरी होती है ।
अगर घर में बरकत नही होती है तो बरकत होने लगती है |
अगर आपके शत्रु ज़्यादा है या आपका शत्रु आपको परेशान करता है या आप पर जादू टोना करवाता है तो आपका उसके किए हुए जादू टोना से बचाव करता है और आपके शत्रु को परास्त करता है | आपका शत्रु आपके सामने शक्तिहीन हो जाता है |
अगर आपकी सेहत सही नही रहती है आप बार बार बीमार होते है तो आपको सुलेमानी हकीक धारण करना चाहिए उस से आपकी सेहत में काफ़ी अच्छा सुधार होगा |
सुलेमानी हकीक राहु, केतु और शनि द्वारा आ रही बाधाओ को दूर करता है और व्यक्ति को सफलता मिलने लगती है |

06/06/2020

जादुई पत्थर सुलेमानी हकीक अथवा सालीग्राम पत्थर)

बार-बार पूछा जाता था... कि सुलेमानी हकीक का वैदिक नाम भी तो होगा.... तो आज हम इस पत्थर की वैदिक पहचान भी लिख रहे हैं... इसी पत्थर से... असली धारीवाले "सालीग्राम" का निर्माण होता है या यूँ भी कह सकते हैं कि प्राकृतिक तौर पर सालीग्राम की आकृती न लेने पर इसी पत्थर को सुलेमानी हकीक के नाम से जाना जाता है।.

( इसी पत्थर को,.... विषेश पिंडाकार रूप लेने पर असली "सालीग्राम" भी कहा जाता है... जिसको हिंदू धर्म में ... तुलसी के साथ पूजने पर मनोकामना पूर्ती का सहज साधन माना जाता है और जिस घर के आँगन में तुलसी के गमले में इस पत्थर के एक या तीन धारी वाले "सालीग्राम" रखे हों और नित्य पूजन होता हो....

वहाँ स्वयं लक्ष्मी व नारायण निवास करते हैं।)---- आज हमने इस रत्न की वैदिक पहचान भी बताने की कठिन खोज भी पूर्ण कर दी है माँ भैरवी की कृपा से।। उपाध्याय भोपाल।।


कई समस्याओं का सस्ता और मजबूत उपाय... जो नहीं होने देता वाल भी बाँका।।*

ऐसा पत्थर जो जादुई शक्ती जैसा असर देता है। अकेला शनि , राहु , केतु के दुष्प्रभाव और जीवन की विभिन्न प्रकार की बाधाओं जैसे तंत्र, मंत्र, अभिचारिक टोटके, और प्रेतादि प्रकोप से रक्षा करे। तथा दुर्घटना में कर देता है प्राणरक्षा ।।

शास्त्रो में 84 रत्नों और 9 मणियों का वर्णन मिलता है जिसमें से सुलेमानी रत्न मनुष्य के लिए प्राकृति की अनुपम भेंट है। यह रत्न ऐसा रत्न है जो तीन ग्रहों शनि , राहु और केतु के दोष दूर करता है इसके अतिरिक्त यदि आप पर कोई तंत्र क्रिया (जादू-टोना) किया गया है तो यह उसके प्रभाव को भी दूर करता है ।

सुलेमानी हकीक के चमत्कारी और अदभुत लाभ

1⃣सुलेमानी हकीक जो आपको लोगो की बुरी नजर से बचा कर रखता है ।
2⃣आपका व्यवसाय काला जादू या टोना - टोटका की वजह से मंदा चल रहा है तो सुलेमानी हकीक पत्थर उसका काट कर देता है और व्यवसाय में बढ़ोतरी होती है ।
3⃣अगर पूर्ण प्रयास के बाद भी घर की उन्नती में बाधाऐं आ रही हैं तो उन्नती के रास्ते खुलने लगते हैं |
4⃣अज्ञात शत्रु आपको परेशान कर रहे हैं या कोई तंत्र-क्रिया आप पर करवा रहे हैं तो आपका उसके की हुई क्रिया से आपका बचाव करते हुऐ आपके शत्रु को परास्त करता है | उस शत्रु को आपके सामने शक्तिहीन बनाता है |
5⃣अगर आपकी सेहत सही नही रहती है या आपके परिवार में बार-बार कोई बीमार रहता है और दवाऐं भी बेअसर हो रहीं हैं तो उसको सुलेमानी हकीक धारण करवाइऐ उस से सेहत में शीध्र ही काफ़ी अच्छा सुधार होगा ।

6⃣सुलेमानी हकीक राहु, केतु और शनि द्वारा आ रही बाधाओ को दूर करता है और व्यक्ति को सफलता मिलने लगती है

7⃣काला जादू ख़त्म करता है और बुरी नज़र से बचाव करता है... (यहाँ तक मूठ या दिनारी जैसी तंत्र क्रियाओं से भी बचा लेता है) |

8⃣नौकरी, तरक्की, और व्यवसाय में आ रही अनावस्यक अड़चनो को दूर करता है ।

9⃣सुलेमानी हकीक को धारण करने के बाद लोग आपकी तरफ आकर्षित होने लगते है औ आपको महत्त्व देने लगते है ।|

🔟ये पत्थर दुर्घटनाओं में भी स्वयं टूटकर .. पहनने वाले के प्राणों की रक्षा करता है... इस पत्थर पर.. सर का वाल या सूंती वस्त्र भी नहीं जलता है.. कितनी भी आग जलाई जाऐ।।


पहनने की बिधी

आपको सुलेमानी हकीक शनिवार को, दाहिने हाथ की मध्यमा (सबसे बड़ी) उंगली में धारण करना है व पंचधातु या चाँदी की अंगूठी में बनबाना है | अगर इसको गले में पंचधातु के लॉकेट में धारण कर सकते है तो बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं । "परंतु सही से प्राणप्रतिष्ठित ही पहनना चाहिऐ तो पूर्ण लाभ देता है।"

-:विषेश:-

सुलेमानी हकीक को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता हैं।
ध्यान रखें ये पत्थर असली और त्रुटि रहित हो।

( अगर सुलेमानी हकीक को पंचधातु या चाँदी में बनाकर.... शनी, राहु, केतु के मंत्र या देवी मंत्र के जाप और हवन द्वारा अभिमंत्रित कर दिया जाय तो अदभुत परिणाम मिलते हैं। )


✅अमावस्या को विषेश योग में "सुलेमानी पत्थर" को प्राण प्रतिष्ठित करने का खास योग बनता है...।।

06/06/2020

Anahata – Discover How To Love Yourself By Healing Your Heart Chakra

The heart chakra or Anahata is the fourth primary chakra located on the human body.

It’s also called the chakra of the soul.

Located in the center of the chest, Anahata chakra coordinates the feelings of pure and unconditional love, compassion, self-trust, and forgiveness.

The meaning of Anahata originates in Sanskrit and it generally translates as “The Unbeaten”, or “The Unstruck”.

What’s The Meaning Of Anahata

Although the chakras exist in the energetic realms, the meaning of Anahata has a very deep significance, here on Earth: No matter how hard your past experiences were, and how much you got hurt, there is a place of purity and inner strength within.

This Divine energy manifests and spreads itself through Anahata and then to all the other chakras.

There is indeed some confusion among spiritual practitioners that Svadhishthana is the energy center of the soul. Others suggest that Anahata is the place where the soul resides.

Truth to be told, the soul or the Divine spark, is spread throughout our body from the cellular level and all the way to the heart. And yes, the heart incorporates most of this Divine spark.

The soul holds within its essence all the positive Divine programs that each one of us is “entitled” to have in this life. It’s important to keep the Anahata chakra clean and harmonious because it will also help heal the soul within us.

In a way, we can consider Anahata the “seat” of the higher self, just as we have Muladhara the seat of Kundalini.

The concept of living in, or through the heart, means that if we center our mind and our true-self within the field of the heart.

We become whole.

There will be no more separation of the mind, soul, and spirit. If all humanity would be able to live like this, the world would be literally unrecognizable, in a positive way.

Whether we choose to manifest anger and hate or compassion and forgiveness, Anahata’s role is to help us in our spiritual evolution. We are the ones who decide what to manifest through it.

Whatever we choose to express, it affects all the other energy centers and the rest of our body. This can equally happen in a positive as well as a negative manner.

Where Is Anahata Chakra Located And The Significance Of Its Color
Anahata chakra is located in the center of the chest, next to the heart.

It has symmetric back-projection located between the lungs and the shoulder blades.

NOTE: Each of our organs has a smaller chakra, therefore do not confuse Anahata with the energy center of the heart itself. They do have similar attributes but they are two separate chakras.

Its color is bright green with a fiery pink center and represents the perfect harmony between nature and life. Through the Anahata chakra, these elements are in permanent connection with peace and happiness.

Heart Chakra Symbol

The main element of the heart chakra is air.

The heart chakra is made up of 12 petals, each one representing either a quality or a negative aspect that needs to be conquered.

The 12 negative parts that need to be transformed are longing, arrogance, anxiety, fraud, lust, indecision, incompetence, discrimination, defiance, repentance, impartiality and vain hope.

Through spiritual growth, these have to transmute into the 12, positive and divine qualities: harmony, understanding, love, peace, empathy, bliss, clarity, purity, unity, compassion, forgiveness, and kindness.

There are also two interconnected triangles forming a hexagram.

The triangle that points down, represents the connection with the three lower chakras, while the triangle pointing up represents the connection with the superior chakras.

This indicates that the heart chakra is right in the middle of the spiritual ascension towards higher consciousness.

The heart chakra keeps a perfect balance between the two realms of energy and matter.

In Hindu philosophy, the hexagram represents a symbol for combining two of the most powerful balanced energies: female and male.

The concept indicates their passing through the consciousness in perfect harmony and devotion, becoming one whole being.

The Functions Of The Heart Chakra
At A Physical Level

The heart chakra governs the circulatory system and influences the health of the heart.

It is responsible for the well-being of the thymus gland which is considered to be the “youth gland”.

An active thymus gland gives you the ability to enjoy all the beautiful things in life so perhaps we should pay more attention to this one!

The heart chakra coordinates the functions of the lungs and the respiratory system.

It also influences the health of your skin.

For women, Anahata helps to keep the breasts healthy. Let’s not forget that they have their own small energy centers that govern the ability to offer affection and love.

Emotional And Energetic Level

The heart chakra is responsible for the healthy flow of compassion, love, forgiveness, gratitude, and joy towards every moment and living being in your life.

It represents the beginning of a spiritual journey where you learn how to be one with your higher-self. This depicts the Divine energy (the Divine soul) that contains all the positive traits we deserve to have in this life.

For certain spiritual practices such as divining, Anahata chakra generates the energy field of telluric informational contact.

When it functions correctly you have a natural and intuitive ability to offer and receive love and respect. At that point, you tend to easily forgive and forget with no hard feelings.

When the thymus gland is open, and together with the heart chakra, you begin to feel gratitude, the joy of life, and trust within yourself and others.

Through the manifested affection you will learn how to love and forgive yourself.

Perhaps this is the first step in a healthy spiritual evolution.

Bear in mind that this doesn’t refer to the narcissistic love, but rather to having respect for yourself.

Love, as balanced energy, is strong and gentle at the same time.

When the heart chakra is in balance, you can get a glimpse of what unconditional love and compassion truly mean.

Heart Chakra Frequency

You can find online tones, meditations, and music with the 528Hz and 341.5Hz frequencies. Apparently, these are the main parameters that stimulate the activation of the heart chakra.

I’m sure there are more examples out there, so feel free to open your heart and see with which one you resonate with.

What Causes Heart Chakra Blockages

There are quite a few signs that signal the bad functioning of the heart chakra.

These can be arterial hypo and hypertension, hostility, and paranoia.

Heart issues generally mean that at a deep, emotional level we have issues with offering and receiving love.

At an emotional level, a blocked heart chakra will create the inability to offer and receive forgiveness and affection.

Not having the will to open yourself to dear ones from an emotional point of view will cause the heart chakra to block for some time.

Feelings like excessive jealousy and loneliness are also strong factors for blocking the heart chakra.

A person having the illusion of constant betrayal has a clear imbalance at this level.

A good indicator for a blocked heart and solar plexus chakra is the desire to emotionally manipulate others.

This has a deeply negative emotional root that needs to be healed in order for Anahata to function correctly.

How To Open Your Heart Chakra In Connection With Someone

One of the easiest ways of opening your heart chakra is to slowly start offering more attention and patience to the people around you.

By listening to what people have to say, you will eventually offer a response in accordance with their issue.

This will later create empathy, which will then transform into caring for someone.

In return, all these steps will help you generate more affection and compassion for the people you come in contact with.

Keep in mind that this can be a slow process but with amazingly positive results.

A healthy heart chakra means a higher vibration and a better flow of healing energy.

There are many types of meditations out there that are very useful, but what I really recommend is Reiki.

Systems like Karuna Reiki have specific meditations and symbols that guide you to open your heart chakra.

Also, placing your palms each day for 10 minutes can do wonders. (more on Reiki hand positions here)

Not only this technique will facilitate the Anahata chakra to function correctly but the universal energy will cleanse your soul as well.

Therefore, through Reiki, you receive multiple benefits at once.

What Are Some Of The Symptoms You Might Experience When Activating Anahata
Symptoms for an open heart chakra can include:

Feeling considerably more joyful than before;
Having more empathy with the people around you;
Fewer hours needed for resting;
Having the desire to emotionally open more to people;
Feeling the need to travel and meet more people;
Having more affection for everyone around you;
An ability to easily get over issues and forget them;
Forgiving becomes much easier;
In a relationship, the desire to offer more affection than before;

8 Affirmation To Help Heal Your Heart Chakra

I am compassionate;
I open my heart to anyone who deserves it;
I am peaceful and centered;
I love myself and everyone else in a harmonious way;
I forgive myself and others;
I respect myself and others;
I am in balance with everything!;
I trust in the healing power of love;

The Essential Oils And Stones That Work Best For Anahata Chakra

Anahata Aromatherapy

Oils from rosewood, lavender, jasmine, geranium, orange, and tangerine are very useful for stimulating the senses of the heart chakra.

Crystals And Stones

Emerald, amazonite, green aventurine, green Flourite, green calcite, malachite, moss agate, pink quartz, pink tourmaline, green jade.

It’s important to have these cleansed on salt for 24 hours. After that, you can take one or as many stones as you like and place them next to your heart chakra.

Use your hand to send energy filtered out through those stones. You will receive a feeling of warmth and relaxation.

Chromotherapy

Visualizing as the heart chakra becomes flooded with bright green and pink light all over. This will nourish and cleanse the heart chakra deep down to its spiritual core.

Music Therapy

Gregorian chants, sacred music or classic music resonate best with the heart chakra.

Anahata also resonates with the beej seed mantra “YAM”.

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