Dr. V. Ahmad
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Sultanpur
1335, Near Police Chauki, Shastrinagar
Balkishanpur Chauraha, Haldaur
Dr V. Ahmad ( MD - TB & Chest)
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November is Lung Cancer Awareness Month, a time to shine a light on those affected by this disease. Let's join hands in spreading awareness, fostering support, and inspiring hope. Together, we can make strides towards a future free from lung cancer.
अस्थमा मरीजों को लिए आहार
सुबह और रात को सोने से पहले अदरक और शहद या काली मिर्च के साथ अदरक का सेवन करने से अस्थमा के मरीजों को आराम मिलता है। विटामिन बी6 युक्त आहार भी अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए अच्छा होता है। इसके लिए अपने आहार में अंकुरित अनाज, चिकन, मछली, ब्रेड, साबुत दालें, ओटमील, ब्राउन राइस, अंडे आदि को शामिल कर सकते है।
फेफड़ों में पानी भरने का सबसे अहम कारण है टीबी का इन्फेक्शन है।
फेफड़े के ऊपरी सतह से रिसते पानी को सोखने की क्षमता होती है। इस वजह से पानी रिसने सोखने के बीच एक संतुलन बना रहता है। लकिन कई बार फेफड़े के ऊपरी सतह से पानी रिसने की मात्रा अचानक बहुत बढ़ जाती है। इसलिए फेफड़े के चारों ओर छाती के अन्दर पानी या तरल पदार्थ इकट्ठा होने लगता है। हमारे यहाँ फेफड़ों में पानी भरने का सबसे अहम कारण है टीबी का इन्फेक्शन है। यदि समय रहते टीबी इन्फेक्शन वाले पीले पानी के जमाव को रोका नहीं गया तो फेफड़े के नष्ट होने के साथ गंभीर परिणाम भी हो सकते है।
#अंतरराष्ट्रीय_नर्स_दिवस पर नर्स सेवा से जुडे समस्त कर्मचारियो के संयम, समर्पण व स्नेह को आदरपूर्वक
अचानक वजन घटना- बगैर किसी खास डाइट या वर्कआउट के अचानक से इंसान का वजन घटना सामान्य बात नहीं है. दरअसल यह शरीर के अंदर पनप रहे ट्यूमर के खतरे का एक सिग्नल हो सकता है.
Dr. V. Ahmad
Super Speciality Doctors - Sultanpur
डॉ वी.अहमद (एम.डी - टी बी & चेस्ट)
#प्रत्येक_सोमवार. #सुल्तानपुर में
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Panna Medical Hall
Dr. V. Ahmad
अपने त्याग व शौर्य से जन-जन में स्वाधीनता की अलख जगाने वाले माँ भारती के अमर सपूत, महान क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को उनके बलिदान दिवस कोटि-कोटि नमन ।
🙏🙏
आप सभी का सर्वोच्च बलिदान सभी को राष्ट्र सेवा हेतु सदैव प्रेरित करता रहेगा।
डॉ वी.अहमद (एम.डी - टी बी & चेस्ट)
#प्रत्येक_सोमवार. #सुल्तानपुर में
डॉ वी.अहमद (एम.डी - टी बी & चेस्ट)
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आप सभी को गणतंत्र दिवस एवं बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएंl
जब तक सांस है, तब तक आस है। यह आस मन के लिए ही नहीं, शरीर के लिए भी है। अगर सांस पूरी और अच्छी नहीं आएगी तो तय मानिए कि तंदुरुस्त रहने की आस धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। सांस के लिए हमारे फेफड़ों का स्वस्थ होना जरूरी है।
आइये अपने चेस्ट फिजिशियन #डॉ_वी_अहमद से जानें अपने फेफड़ों को दुरुस्त रखने के लिए क्या कर सकते हैं?
ऐसे जानें, फेफड़ों में है कितना दम
1. Balloon से जांच :*
घर पर अपने फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए गुब्बारे काफी मददगार हैं। इसके लिए किसी भी साइज के बलून ले आएं। बड़े साइज के हों तो बेहतर। गुब्बारे को अपने मुंह से हवा भरकर फुलाएं। हवा भरने के लिए पहले ज्यादा से ज्यादा हवा अपने फेफड़ों में भरें। इसके बाद उसे बलून के अंदर डालें। अगर फूले हुए बलून हों तो उनसे हवा निकालकर उन्हें दोबारा फुला सकते हैं। अगर काफी सारे गुब्बारे फुला चुके हों उन्हें जरूरतमंद बच्चों में बांट दें। इससे बच्चे भी खुश और उनकी खुशी देखकर हम भी खुश। इस बात का भी ध्यान रखें कि बलून को फुलाना तब बंद कर दें जब मुंह या जबड़े में दर्द होने लगे। ऐसा देखा जाता है कि अगर पहले दिन किसी ने एक बलून फुलाया और वह दूसरे दिन 2 फुला लेता है तो यह फेफड़ों की बढ़ती क्षमता को ही बताता है।
2. Three Balls Spirometer से जांच :*
सांस की क्षमता को जांचने और बढ़ाने में 'थ्री बॉल्स स्पाइरोमीटर' का इस्तेमाल भी कारगर है। इसमें एक पाइप होता है और 3 प्लास्टिक की हल्के बॉल। पाइप में फूंक मारनी होती है। अगर किसी के फूंकने से तीनों बॉल ऊपर उठ जाती हैं तो समझें उनके फेफड़ों की क्षमता अच्छी है। अगर 2 बॉल उठ रही हैं तो क्षमता कुछ कम है। अगर 1 ही उठ रही है तो उन्हें अपनी क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। इस मशीन का इस्तेमाल दिन में 2 से 3 बार कर सकते हैं जब तक क्षमता सही न हो जाए।
3. Peak Expiratory Flow Meter से जांच :*
फेफड़ों की क्षमता को मापने के लिए पीईएफआर टेस्ट भी एक अच्छा तरीका है। इसमें भी फूंक मारनी होती है। फूंक मारने के बाद अगर संकेत हरे रंग तक पहुंचता है तो फेफड़ों की स्थिति अच्छी है। अगर पीले रंग तक पहुंचता है तो सुधार की जरूरत है और लाल रंग पर मामला अटकता है तो डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं या फिर धीरे-धीरे यहां बताए हुए तरीकों से फेफड़ों की क्षमता बढ़ा सकते हैं।
4. सांस रोक कर भी जांच करें :*
इनके अलावा सांस रोकने की क्षमता से भी पता चलता है कि फेफड़े कैसा काम कर रहे हैं। अगर कोई शख्स लंबी सांस खींचकर 1 से डेढ़ मिनट तक सांस रोककर रख ले तो यह मान लिया जाता है कि उसके फेफड़ों की क्षमता अच्छी है क्योंकि उसके फेफड़ों ने काफी अच्छी मात्रा में बाहर की हवा को शरीर के भीतर पहुंचाया। यहां इस बात का ध्यान रखें कि अगर कोई 30 सेकंड तक ही अपनी सांस रोक पाता है तो धीरे-धीरे कोशिशों से उसकी क्षमता भी बढ़ जाती है
◆ फेफड़ों की जांच
पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (PFT-Pulmonary Function Test)। यह फेफड़ों की जांच है। इस पर खर्च 300 से 500 रुपये आता है। इस टेस्ट से यह पता चल जाता है कि सांस की नलियां किसी वजह से सिकुड़ी तो नहीं हैं और लंग्स कितनी क्षमता से काम कर रहे हैं।
◆. ऐसे होंगे फेफड़े दमदार
नींद पूरी और खानपान सही हो : हर शख्स के लिए हर दिन 7 से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है। इससे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम करते हैं। जहां तक डाइट की बात है तो कार्बोहाइड्रेट- चावल या रोटी, प्रोटीन- दाल, फैट्स- सरसों का तेल या देसी घी, मिनरल और विटामिन- हरी सब्जियां, फल सभी शामिल हों। इन सभी को हफ्ते में एक बार नहीं, हर दिन खाना है। हमारी हर डाइट में प्रोटीन जरूर शामिल होना चाहिए। इनके अलावा मौसमी फल, सब्जियां भी जरूर खाएं। इन्हें खाने में जरूर शामिल करें। कम से कम हर दिन 1 से 2 कटोरी हरी सब्जियां, जैसे- पालक, सरसों का साग, फूल गोभी आदि और हर दिन 1 से 2 फल जैसे- सेब, संतरा, अनन्नास आदि सुबह नाश्ते के बाद लें। दरअसल, इन सब्जियों और फलों में ओमेगा 3 फैटी एसिड मिलते हैं जो एंटी इन्फ्लामेट्री होते हैं। नॉनवेज खाने वालों के लिए मछली बेहतरीन चीज है। ये लंग्स की क्षमता को बढ़ाते हैं। शरीर में सूजन घटाते हैं। इसमें तुलसी, हल्दी और आंवला भी फायदेमंद है।
डॉ वी.अहमद (एम.डी - टी बी & चेस्ट)
#प्रत्येक_सोमवार. #सुल्तानपुर में
You can reject now, so that you don’t regret tomorrow..
𝐒𝐚𝐲 𝐍𝐨 𝐓𝐨 𝐓𝐨𝐛𝐚𝐜𝐜𝐨!
टीबी से बचने के उपाय
दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहती है, तो लापरवाही न बरतें बल्कि समय रहते किसी अच्छे Pulmonologist से संपर्क करें।
अगर आपको पता है कि किसी व्यक्ति को टीबी है तो जितना हो सके उससे दूरी बना कर रखें। क्योंकि ये एक तरह का संक्रमित रोग है।
अगर आपके आस-पास कोई बहुत देर तक खांस रहा है, तो उससे सावधान होकर तुरंत अलग हट जाएं।
अगर आप किसी टीबी के मरीज मिलने जा रहे हैं, तो वापिस घर आकर अच्छी तरह हाथ—मुंह धोकर कुल्ला कर लें।
इस रोग से बचाव के लिए पौष्टिक आहार लें। ऐसे आहार जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन्स, मिनेरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर हों। क्योंकि पौष्टिक आहार हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं।
अगर आपको अधिक समय से खांसी है, तो बलगम की जांच जरूर करा लें या डॉक्टर के पास जाकर संबंधित टेस्ट कराएं।
टीबी के मरीज को मास्क पहनकर रखना चाहिए। ताकि सामने वाले का आपके छींकने या फिर खांसने से रोग न फैलें। वहीं सामान्य व्यक्ति को भी उस वक्त सावधान हो जाना चाहिए जब उनके सामने कोई इस तरह की हरकत कर रहा हो।
मरीज को जगह जगह नहीं बल्कि किसी एक पॉलिथीन में थूकना चाहिए।
मरीज को पब्लिक चीजों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। ताकि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसकी चपेट में न आए।
#ओपीडी #सुल्तानपुर #प्रत्येक_सोमवार
अस्थमा से राहत दिलाए विटामिन-सी युक्त चीजें
अस्थमा के मरीजों को विटामिन सी से युक्त आहार ग्रहण करना चाहिए। दरअसल, विटामिन सी में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सिडेंट पाया जाता है, जो फेफड़ों को मजबूत बनाने के साथ-साथ उन्हें सुरक्षित भी बनाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ दूर होती है। विटामिन सी के लिए संतरा, ब्रोकली और कीवी का सेवन किया जा सकता है।यदि आप इस समस्या से काफी परेशान है तो इस नंबर पर 8318094181 , 9696291737 फ़ोन कर सकते है।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
पूर्ण समर्पण भावना और कर्तव्यनिष्ठा से मानवीय सेवा का कार्य कर रहे नर्सिंगकर्मियों का समाज और देश सदैव ऋणी रहेगा। कोरोना संकटकाल में जिन विषम परिस्थितियों में चिकित्साकर्मियों ने कोरोना योद्धा के रूप में कार्य किया, यह देश उसे कभी नहीं भूल पायेगा।
#विश्व_अस्थमा_दिवस.
डरे नहीं, जागरूक बने !
आइये इस दिवस पर अस्थमा रोग के प्रति जागरूक बने एवं अपने गाँव, परिवार के सदस्यों को भी जागरूक करे।
#सुल्तानपुर
डॉ वी.अहमद (एम.डी - टी बी & चेस्ट)
#प्रत्येक_सोमवार. #सुल्तानपुर में
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पोस्ट कोविड पल्मोनरी फाइब्रोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें कोविड संक्रमण के कारण फेफड़ों के नाजुक हिस्सों को नुकसान पहुंचता है और फेफड़ोें में झिल्ली बन जाती है। फेफड़े कम एक्टिव रह जाते है जिससे ऑक्सीजन और कार्बन-डाइऑक्साइड एक्सचेंज होना कम हो जाता है। अगर सही तरह से इलाज न हो तो जिंदगी भर फेफड़ों संबंधी परेशानी रह सकती है। जो मरीज मोटापा, फेफड़ों की बीमारी, डायबिटीज इत्यादि से पीड़ित होने के अलावा कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके है और लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रह चुके हैं, उन्हें पल्मोनरी फाइब्रोसिस का खतरा ज्यादा है। यह समस्या ज्यादातर 60 साल से अधिक आयु के मरीजों (जो कोविड पश्चात् नेगेटिव हो चुके है) में देखने को मिलती है लेकिन युवा मरीजों में भी हो सकती है।
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Let us Reaffirm Pledge to End T.B.
क्षय रोग का उपचार संभव है।
आइए, आज 'विश्व क्षय रोग दिवस' के अवसर पर हम सब इस रोग के उन्मूलन हेतु संकल्पित हों एवं जन-जन को इस बीमारी के प्रति जागरूक कर 'क्षय रोग मुक्त' भारत की संकल्पना को साकार करें।
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M. G. S Chauraha
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Orthopaedic surgeon MS Orthopaedics (Dr. RPGMC HP) MBBS (GSVM COLLEGE KANPUR)