Tilheshwar sthan श्री तिल्हेश्वर नाथ शरणम्

Shri Shri 108 Baba Tilheshwar Nath Dham is situated in Sukhpur Supaul Bihar . This is one of the oldest worship place in Koshi devision .

The Maa Parvathi temple is tied up with the main temple, with huge red sacred threads which is unique .

08/11/2023
08/11/2023

🙏🌹🌺🙏

22/10/2023

🌺🙏🌺

22/10/2023

Jai Maa 🌺🌺🙏🙏

09/09/2023

Happy Saturday 🌺🌺🌺🌹🌹🌹🌹

06/08/2023
21/03/2023

भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ।
याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तःस्थमीश्वरम्‌॥ 🌺🌺🌺🌺🙏🙏🙏🙏

Photos from Tilheshwar sthan श्री तिल्हेश्वर नाथ शरणम्'s post 08/03/2023

आप सभी भक्तों को परिवार सहित होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
होली है❤️🙏हर हर महादेव।

Photos from Tilheshwar sthan श्री तिल्हेश्वर नाथ शरणम्'s post 01/01/2023

🙏🌺

25/12/2022

तुलसी सिर्फ पौधा नही आस्था है, विश्वास है, औषधि है और माँ है।

सभी सनातनियो को तुलसी_पूजन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏❤️

Post Credits: Suman Kumar Singh सुमन कुमार सिंह

Photos from Tilheshwar sthan श्री तिल्हेश्वर नाथ शरणम्'s post 12/12/2022

सोमवार को बाबा तिलहेश्वर नाथ का भव्य सृंगार पूजा12 दिसम्बर 2022।हरहर महादेव। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

Photo Credits Shri रामानन्दसिंह सिंह Ji 🙏🙏

Photos from Tilheshwar sthan श्री तिल्हेश्वर नाथ शरणम्'s post 19/11/2022

निर्विरोध बाबा तिलेश्वरअस्थान के सेवा भाव अध्यक्ष चुने जाने पर Shri बंशमनी बाबा को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।🙏🙏🙏🙏🎉🎉🌺🌺🌺

26/10/2022

Har Har Mahadev 🌺🙏🌺

Photos from Tilheshwar sthan श्री तिल्हेश्वर नाथ शरणम्'s post 09/10/2022
03/10/2022

MahaAshtmi Pooja Live

Photos from Tilheshwar sthan श्री तिल्हेश्वर नाथ शरणम्'s post 03/10/2022

On

27/09/2022

"दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।"

तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार एवं संयम की दायिका व मां जगदम्बा की द्वितीय स्वरूपा #माँ_ब्रह्मचारिणी आपको सफलता का आशीर्वाद दें।

मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से आप सभी को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति हो....🙏🙏🙏🚩

19/09/2022

महादेव का दिया कोई छीन नहीं सकता ,,
महादेव का छीना कोई दे नहीं सकता !! 💓💓🙏


🚩🔱🔱महाकाल 🔱🔱🚩

12/06/2022

🌹🙏🏻 #हनुमान_जी_की_पत्नी_के_साथ_दुर्लभ_चित्र...🌹🙏🏻

कहा जाता है कि हनुमान जी के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के बाद घर में चल रहे पति पत्नी के बीच के सारे तनाव खत्म हो जाते हैं।
आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में बना हनुमान जी का यह मंदिर काफी मायनों में खास है। यहां हनुमान जी अपने ब्रह्मचारी रूप में नहीं बल्कि गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान है।

हनुमान जी के सभी भक्त यही मानते आए हैं की वे बाल ब्रह्मचारी थे और वाल्मीकि, कम्भ, सहित किसी भी रामायण और रामचरित मानस में बालाजी के इसी रूप का वर्णन मिलता है। लेकिन पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख है। इसका सबूत है आंध्र प्रदेश के खम्मम ज़िले में बना एक खास मंदिर जो प्रमाण है हनुमान जी की शादी का।

यह मंदिर याद दिलाता है रामदूत के उस चरित्र का जब उन्हें विवाह के बंधन में बंधना पड़ा था। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि भगवान हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी नहीं थे। पवनपुत्र का विवाह भी हुआ था और वो बाल ब्रह्मचारी भी थे।
कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण ही बजरंगबली को सुवर्चला के साथ विवाह बंधन में बंधना पड़ा। दरअसल हनुमान जी ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था।

हनुमान, सूर्य से अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। सूर्य कहीं रुक नहीं सकते थे इसलिए हनुमान जी को सारा दिन भगवान सूर्य के रथ के साथ साथ उड़ना पड़ता और भगवान सूर्य उन्हें तरह-तरह की विद्याओं का ज्ञान देते। लेकिन हनुमान जी को ज्ञान देते समय सूर्य के सामने एक दिन धर्मसंकट खड़ा हो गया।

कुल 9 तरह की विद्या में से हनुमान जी को उनके गुरु ने पांच तरह की विद्या तो सिखा दी लेकिन बची चार तरह की विद्या और ज्ञान ऐसे थे जो केवल किसी विवाहित को ही सिखाए जा सकते थे।
हनुमान जी पूरी शिक्षा लेने का प्रण कर चुके थे और इससे कम पर वो मानने को राजी नहीं थे। इधर भगवान सूर्य के सामने संकट था कि वह धर्म के अनुशासन के कारण किसी अविवाहित को कुछ विशेष विद्याएं नहीं सिखला सकते
थे।
ऐसी स्थिति में सूर्य देव ने हनुमान जी को विवाह की सलाह दी। और अपने प्रण को पूरा करने के लिए हनुमान जी भी विवाह सूत्र में बंधकर शिक्षा ग्रहण करने को तैयार हो गए। लेकिन हनुमान जी के लिए दुल्हन कौन हो और कहां से वह मिलेगी इसे लेकर सभी चिंतित थे।

सूर्य देव ने अपनी परम तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला को हनुमान जी के साथ शादी के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूर्ण की और सुवर्चला सदा के लिए अपनी तपस्या में रत हो गई।
इस तरह हनुमान जी भले ही शादी के बंधन में बंध गए हो लेकिन शारीरिक रूप से वे आज भी एक ब्रह्मचारी ही हैं।
पाराशर संहिता में तो लिखा गया है की खुद सूर्यदेव ने इस शादी पर यह कहा की – यह शादी ब्रह्मांड के कल्याण के लिए ही हुई है और इससे हनुमान जी का ब्रह्मचर्य भी प्रभावित नहीं हुआ।🕉️📿🔱🙏

30/05/2022

"तीव्र वैराग्य किसे कहते हैं,

किसी देश में एक बार वर्षा कम हुई। किसान नालियाँ काट-काटकर दूर से पानी लाते थे। एक किसान बडा़ हठी था। उसने एक दिन शपथ ली कि जब पानी न आने लगे, नहर से नाली का योग न हो जाए, तब तक बराबर नाली खोदूँगा। इधर नहाने का समय हुआ। उसकी स्त्री ने लड़की को उसे बुलाने भेजा। लड़की बोली, 'पिताजी, दोपहर हो गयी, चलो तुमको माँ बुलाती है। 'उसने कहा, तू चल, हमें अभी काम है।' दोपहर ढल गयी, पर वह काम पर हटा रहा। नहाने का नाम न लिया। तब उसकी स्त्री खेत में जाकर बोली, 'नहाओगे कि नहीं? रोटियाँ ठण्डी हो रही हैं। तुम तो हर काम में हठ करते हो। काम कल करना या भोजन के बाद करना।' गालियाँ देता हुआ कुदाल उठाकर किसना स्त्री को मारने दौडा़ बोला, 'तेरी बुद्धि मारी गयी है क्या? देखती नहीं कि पानी नहीं बरसता; खेती का काम सब पडा़ है; अब की बार लड़के-बच्चे क्या खाएँगे? सब को भूखों मरना होगा। हमने यही ठान लिया है कि खेत में पहले पानी लायेंगे, नहाने-खाने की बात पीछे होगी।' मामला टेढा़ देखकर उसकी स्त्री वहाँ से लौट पडी़। किसान ने दिनभर जी तोड़ मेहनत करके शाम के समय नहर के साथ नाली का योग कर दिया। फिर एक किनारे बैठकर देखने लगा, किस तरह नहर पानी खेत में 'कलकल' स्वर से बहता हुआ आ रहा है, तब उसका मन शान्ति और आनन्द से भर गया। घर पहुँचकर उसने स्त्री को बुलाकर कहा, 'ले आ अब डोल और रस्सी।' स्नान भोजन करके निश्चिन्त करके निश्चिन्त होकर फिर वह सुख से खुर्राटे लेने लगा। जिद यह है और यही तीव्र वैराग्य की उपमा है।
"खेत में पानी लाने के लिए एक और किसान गया था। उसकी स्त्री जब गयी और बोली, 'धूप बहुत हो गयी, चलो अब, इतना काम नहीं करते', तब वह चुपचाप कुदाल एक ओर रखकर बोला, 'अच्छा, तू कहती है तो चलो।' वह किसान खेत में पानी न ला सका। यह मन्द वैराग्य की उपमा है।
" हठ बिना जैसे किसान खेत में पानी नहीं ला सकता, वैसे ही मनुष्य ईश्वरदर्शन नहीं कर सकता।"

राम कृष्ण परमहंस

( रामकृष्ण वचनामृत से )

27/05/2022

⚛️ आत्मवत सर्वभूतेषु ⚛️
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गले का कैंसर था। पानी भी भीतर जाना मुश्किल हो गया, भोजन भी जाना मुश्किल हो गया। तो विवेकानंद ने एक दिन अपने गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस से कहा कि " आप माँ काली से अपने लिए प्रार्थना क्यों नही करते ? क्षणभर की बात है, आप कह दें, और गला ठीक हो जाएगा ! तो रामकृष्ण हंसते रहते , कुछ बोलते नहीं। एक दिन बहुत आग्रह किया तो रामकृष्ण परमहंस ने कहा - " तू समझता नहीं है रे नरेन्द्र। जो अपना किया है, उसका निपटारा कर लेना जरूरी है। नहीं तो उसके निपटारे के लिए फिर से आना पड़ेगा। तो जो हो रहा है, उसे हो जाने देना उचित है। उसमें कोई भी बाधा डालनी उचित नहीं है।" तो विवेकानंद बोले - " इतना ना सही , इतना ही कह दें कम से कम कि गला इस योग्य तो रहे कि जीते जी पानी जा सके, भोजन किया जा सके ! हमें बड़ा असह्य कष्ट होता है, आपकी यह दशा देखकर । " तो रामकृष्ण परमहंस बोले "आज मैं कहूंगा। "

जब सुबह वे उठे, तो जोर जोर से हंसने लगे और बोले - " आज तो बड़ा मजा आया । तू कहता था ना, माँ से कह दो । मैंने कहा माँ से, तो मां बोली -" इसी गले से क्या कोई ठेका ले रखा है ? दूसरों के गलों से भोजन करने में तुझे क्या तकलीफ है ? "

हँसते हुए रामकृष्ण बोले -" तेरी बातों में आकर मुझे भी बुद्धू बनना पड़ा ! नाहक तू मेरे पीछे पड़ा था ना । और यह बात सच है, जाहिर है, इसी गले का क्या ठेका है ? तो आज से जब तू भोजन करे, समझना कि मैं तेरे गले से भोजन कर रहा हू। फिर रामकृष्ण बहुत हंसते रहे उस दिन, दिन भर। डाक्टर आए और उन्होंने कहा, आप हंस रहे हैं ? और शरीर की अवस्था ऐसी है कि इससे ज्यादा पीड़ा की स्थिति नहीं हो सकती ! रामकृष्ण ने कहा - " हंस रहा हूं इससे कि मेरी बुद्धि को क्या हो गया कि मुझे खुद खयाल न आया कि सभी गले अपने ही हैं। सभी गलों से अब मैं भोजन करूंगा ! अब इस एक गले की क्या जिद करनी है !"
कितनी ही विकट परिस्थिति क्यों न हो, संत कभी अपने लिए नहीं मांगते, साधू कभी अपने लिए नही मांगते, जो अपने लिए माँगा तो उनका संतत्व ख़त्म हो जाता है । वो रंक को राजा और राजा को रंक बना देते है लेकिन खुद भिक्षुक बने रहते है ।

जब आत्मा का विश्वात्मा के साथ तादात्म्य हो जाता है तो फिर अपना - पराया कुछ नही रहता, इसलिए संत को अपने लिए मांगने की जरूरत नहीं क्योंकि उन्हें कभी किसी वस्तु का अभाव ही नहीं होता !

जय माँ काली !

11/04/2022

Photos from Tilheshwar sthan श्री तिल्हेश्वर नाथ शरणम्'s post 18/03/2022

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स्वयंभू बाबा तिल्हेश्वरनाथ

सुपौल जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी की दूरी पर सुखपुर स्थित तिल्हेश्वर नाथ महादेव की महिमा निराली है। तिल्हेश्वर स्थान के संबंध में कई रोचक घटना एवं जनश्रुतियां सुनीसुनायी जाती है। ग्रामीणों का मानना है कि मंदिर उंचे टीले पर बनाया गया था। अत: टिलेश्वर कहलाया जो कालांतर में तिलेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। परंतु क्षेत्र के लोगों के द्वारातिलेश्वर, तिलकेश्वर आदि नामों से भी पुकारा जाता है। मंदिर की स्थापना भी इसके प्राचीनतम होने की पुष्टि करता है। वर्तमान शिवलिंग जमीन के तल से लगभग दस फीट की गहराईमें है। मंदिर स्थित शिवलिंग के संबंध में कहा जाता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है। कहा जाता है कि पहले यह क्षेत्र घने जंगलों से आच्छादित था और क्षेत्र के चरवाहे गाय चराया करतेथे। किसी स्थान विशेष पर गाय स्वत: दूध देने लगती थी। निरंतर ऐसा होते देख चरवाहों ने मिलकर उक्त स्थल की सफाई की और आसपास के गांव वालों को बताया। उक्त स्थल कीखुदाई की गई और शिवलिंग प्रकट हुआ। वैसे तो प्रत्येक दिन यहां शिवभक्तों की भीड़ जमा होती है। लेकिन रविवार और सोमवार को यहां जलाभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है।

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🙏🙏🙏Jai Mahakaal 🙏🙏🙏🙏
Har Har Mahadev 🌺🙏🌺
MahaAshtmi Pooja Live
कोरोना वायरस के मद्देनजर 22 मार्च को होने वाली एक दिवसीय जनता कर्फ्यू

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Sukhpur
Supaul
852130

Other Hindu Temples in Supaul (show all)
महंत कुशेश्वर दास महंत कुशेश्वर दास
Supaul, 852131

श्री श्री १०८ राधा कृष्ण राम जानकी ठाकुरबारी मंदिर 🌷कटैया🌷 ⛳(पिपरा,सुपौल)⛳

Motipur mithila Yuva shakti Motipur mithila Yuva shakti
Durga Mandir Motipur
Supaul, 852215

श्री श्री 108 माँ दुर्गा मंदिर मोतीपुर.�

SARIF BOY 2121 SARIF BOY 2121
Supaul, 852131

hello friends profile me aaye ho to follow kar dijiye �

Hii Hii
Supaul

Reshm devi Reshm devi
Kali Mandir Milan Marriage Palace Ward Number 17
Supaul, 852131

Bulet babu Bulet babu
Pipra Bajar
Supaul, 852139

।। जय श्री राम।। 🚩 जय हिंदू धर्म 🚩 ।।सत्य सनातन धर्म।। 🚩 राम राज्य 🚩

बाबा सवेंश्वरनाथ मंदिर मुंगरार बैरिया मंच सुपौल बाबा सवेंश्वरनाथ मंदिर मुंगरार बैरिया मंच सुपौल
Mungrar, Bairiya Manch Supaul
Supaul, 852131

This is the famous temple of modern age

Vishnu Dham, Ganpatganj, Supaul - Bihar Vishnu Dham, Ganpatganj, Supaul - Bihar
SRI VARADRAJA PERUMAL DEVASTHANAM, Ganpatganj, Supaul(Bihar)
Supaul, 852109

Its a recently built Vishnu temple in Supaul district Bihar/India. Temple structures, designs are very similar to South Indian temple.

JAI SREE RAM JAI SREE RAM
Mahaddipur
Supaul