Ad.shamsen Gupta
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आलोचना सुलोचना दो ऐसे शब्द हैं जो आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा भी देते हैं और अपनी गलतियों को सुधारने के लिए विचार करने का अवसर देते हैं
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एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट जितना जल्दी हो सके सरकार को लागू कर देना चाहिए दिन प्रतिदिन अधिवक्ताओं के साथ हो रहे घटनाओं को न तो सरकार रोक पा रही है और ना ही स्थानीय प्रशासन हमारी मांग है एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो
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वकील के साथ मारपीट के बहुचर्चित मामले में कोर्ट ने आठ दारोगा पर संज्ञान लिया है. फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट विजय कुमार ने इन सभी दरोगा के ऊपर कई धाराओं में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने इस मामले में धारा 149, 323, 325, 354 B, 426, 504 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है
बिहार के पूर्णिया (Purnia) में कोर्ट ने वकील के साथ मारपीट के बहुचर्चित मामले में आठ दारोगा पर संज्ञान लिया है. फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट विजय कुमार ने इन सभी दरोगा के ऊपर कई धाराओं में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने का आदेश दिया है. पीड़ित वकील शाहिदुल हक ने बताया कि उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ किशनगंज थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी जिसमें 17 जुलाई, 2021 को किशनगंज की महिला थाना प्रभारी बिना सर्च वारंट के उनके माधोपाड़ा स्थित घर में घुस आई थी और यहां उनके और उनके परिजनों के साथ बदतमीजी की थी. सर्च वारंट की मांग किए जाने पर वो लोग वापस लौट गए और सहायक खजांची थाने में जाकर झूठी प्राथमिकी दर्ज करवा दी.
इसके बाद रात में सहायक थाना प्रभारी, किशनगंज थाना प्रभारी, मरंगा थाना प्रभारी समेत 40 से 50 पुलिसकर्मी उनके घर में घुस गए थे. इन सभी पुलिसकर्मियों ने उन लोगों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया. उनकी बेटी बेटा, पत्नी सबके साथ मारपीट की गयी. इसके बाद उन्हें और उनकी पत्नी व बेटा-बेटी को घसीटते हुए थाना ले जाया गया. बाद में कोर्ट के द्वारा उन्हें बरी कर दिया गया. इसके बाद बार काउन्सिल की टीम भी पूर्णिया पहुंची और आईजी व एसपी से मुलाकात कर इस मामले में कार्रवाई की मांग की. लेकिन पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने कोर्ट मैं प्राथमिकी दर्ज करवाई.
वहीं, वकील शाहिदुल हक के वकील गौतम वर्मा ने कहा कि सीजेएम ने इस मामले को फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के कोर्ट में भेज दिया है. शनिवार को इस मामले में फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट विजय कुमार ने आठ दारोगा पर संज्ञान लिया है जिसमें मुख्य रुप से तत्कालीन सहायक खजांची थाना प्रभारी संजय कुमार सिंह, किशनगंज महिला थाना प्रभारी पुष्पलता कुमारी, मरंगा थाना प्रभारी मिथिलेश कुमार, दारोगा सुबोध चौधरी, आनंद कुमार, प्रेम शंकर सिंह, अब्दुल मन्नान और गुलाम सरवर के खिलाफ संज्ञान लिया है. कोर्ट ने इस मामले में धारा 149, 323, 325, 354 B, 426, 504
Landlord Tenant Case: मकान का किराया न देना क्राइम है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
Non Payment Of House Rent – किराएदार (Tenant) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-403 (बेईमानी से संपत्ति का उपयोग करना) व 415 (धोखा देना) की धाराओं में केस दर्ज हुआ था। वहीं इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट Allahabad High Court ने याचिकाकर्ता की अर्जी पर राहत देने से मना किया था और दर्ज केस खारिज करने से मना कर दिया था।
सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने कहा है कि किराएदार की ओर से किराया न देना सिविल विवाद का मामला है ये आपराधिक मामला नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किराएदार किराया नहीं देता तो इसके लिए आईपीसी की धारा के तहत केस नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार के खिलाफ दर्ज केस खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की।
शीर्ष न्यायलय में नीतू सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी का मामला आया था। किराएदार के खिलाफ आईपीसी की धारा-403 व धारा-415 के तहत प्राथमिकी दर्ज किया गया था।
हाई कोर्ट ने नहीं दी थी राहत-
सुप्रीम कोर्ट में नीतू सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी का मामला आया था। किराएदार के खिलाफ IPC की धारा-403 (बेईमानी से संपत्ति का उपयोग करना) व 415 (धोखा देना) की धाराओं में केस दर्ज हुआ था। वहीं इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने याचिकाकर्ता की अर्जी पर राहत देने से मना किया था और दर्ज केस खारिज करने से मना कर दिया था। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया।
‘कानूनी कार्रवाई संभव पर IPC के तहत नहीं दर्ज हो सकता केस’-
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि किराया पेमेंट न करना सिविल नेचर का विवाद है। सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर (FIR) खारिज करते हुए कहा कि किराया पेमेंट न करना सिविल विवाद है। यह आपराधिक मामला नहीं बनता है। मकान मालिक ने किराएदार पर उक्त आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज कराया था।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने कहा की ये मामला आईपीसी के तहत केस का नहीं बनता है। ऐसे में एफआईआर खारिज की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किराएदार के खिलाफ पेंडिंग किराए का एरियर और मकान खाली करने संबंधित विवाद का निपटारा सिविल कार्यवाही के तहत होगी।
केस टाइटल – नीतू सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी
केस नंबर – स्पेशल लीव
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