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Bharatmala Phase-2: पटना-कोलकाता ग्रीन फिल्ड एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा देवघर, 12 घंटे में पूरा होगा नेपाल की राजधानी काठमांडू का सफर
देवघर दुमका और गोड्डा की जनता को नेपाल की राजधानी काठमांडू जाने में 12 घंटा लगेगा। पटना और कोलकाता जाने में दो से तीन घंटा लगेगा। भारत सरकार और बिहार सरकार ने नेपाल से सीधा संपर्क बनाने के लिए हल्दिया बंदरगाह को नेपाल से जोड़ने का निर्णय लिया है।
भारत अपनी आजादी का अमृत उत्सव मना रहा है। झारखंड के सबसे पिछड़े संताल परगना के गोड्डा संसदीय क्षेत्र के लोगों को दो बड़ी सौगात दो ग्रीन फिल्ड एक्सप्रेस वे भारतमाला टू से मिली है। रक्सौल-हल्दिया 695 किमी की सड़क 54 हजार करोड़ की है। पटना-कोलकाता 495 किमी सड़क 21 हजार करोड़ की है। हल्दिया पोर्ट से जुड़ने वाली एक्सप्रेस वे की निविदा निकाली जा चुकी है। पटना-कोलकाता एक्सप्रेस वे को सैंद्धांतिक मंजूरी दी गयी है। सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को अपने आवास पर कहा कि गोड्डा संसदीय क्षेत्र की जनता को दो बड़ी सौगात मिली है। दो ग्रीन फिल्ड एक्सप्रेस वे से यहां के लोगों का पटना, कोलकाता और नेपाल की राजधानी से सीधा संपर्क हो जाएगा।
3 घंटे का होगा पटना-कोलकाता का सफर
देवघर, दुमका और गोड्डा की जनता को नेपाल की राजधानी काठमांडू जाने में 12 घंटा लगेगा। पटना और कोलकाता जाने में दो से तीन घंटा लगेगा। भारत सरकार और बिहार सरकार ने नेपाल से सीधा संपर्क बनाने के लिए हल्दिया बंदरगाह को नेपाल की सीमा रक्सौल से जोड़ने का निर्णय लिया है। इस एक्सप्रेस वे के एलाइनमेंट एरिया में गोड्डा संसदीय क्षेत्र को जोड़ा गया है। रक्सौल से चलने वाला छह लेन वाला पथ बिहार के बांका जिला की सीमा से झारखंड के दुमका जिला के सरैयाहाट, नौनीहाट, दुमका और आसनसोल से जुड़ेगा।
साहिबगंज बंदरगाह से जुड़ेगा गोड्डा-देवघर
भाजपा सांसद दुबे ने बताया कि दूसरा एक्सप्रेस वे जो पटना-कोलकाता वाला है। वह पटना, बिहारशरीफ, सिकंदरा, चकाई से देवघर की सीमा में मधुपुर में प्रवेश करेगा। इसके बाद जामताड़ा, दुर्गापुर, दानकोनी से कोलकाता पहुंच जाएगी। तो गोड्डा साहिबगंज बंदरगाह, हल्दिया बंदरगाह और कोलकाता बंदरगाह से जुड़ जाएगा।
बिहार में पटना एयरपोर्ट, रक्सौल, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर और दरभंगा एयरपोर्ट को डेवलप करने की तैयारी है. एयरपोर्ट के विस्तार के लिए अगले 4-5 सालों में लगभग 20 हजार करोड़ खर्च करने की योजना है
औरंगाबाद-दरभंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए पटना जिले के धनरूआ और फतुहा अंचल में 12 मौजा में कुल 205 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। जिला प्रशासन की तरफ से एचएचआइ को निर्देश दिया गया है कि सरकारी जमीन और रैयती जमीन को लिस्टेड करके उसके हस्तांतरण के लिए सीधे ही यह सूची अपर समाहर्ता के कार्यालय को उपलब्ध कराया जाए। सभी 12 मौजा का थ्रीजी प्रस्ताव एनएचएआइ को भेज दिया गया है। मंगलवार को पटना डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में हुई प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग कमेटी की समीक्षा बैठक में इन सभी बातों की जनकारी दी गई। बैठक मे केंद्र एवं राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर भी पदाधिकारियों से बातचीत की गई।
205 एकड़ भूमि का किया गया अधिग्रहण
इस दौरान पदाधिकरियो से योजनाओं की स्थिति और उसके कार्यान्वयन में आ रही समस्याओ को लेकर भी बातचीत की गई। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी ने कहा कि दनियावां बाइपास एनएच 30 ए फतुहा-हरनौत-बाढ़ की परियोजना के तहत आठ गांवों में 63.04 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है तो वहीं रेलवे परियोजनाओं में कुल 45 मौजा की करीब 541 एकड़ भूमि के अधिग्रहण की कार्रवाई की जा रही है। जबकि रामपुर डूमरा टाल परियोजना में छह गांवों की करीब 25 एकड़ जमीन अर्जित कर ली गयी है। दानापुर शिवाला-बिहटा एलिवेटेड रोड परियोजना पर काम शुरू किए जाने के लिए कुल 108.984 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। तो वही, पटना गया-डोभी फोरलेन परियोजना के लिए 31गावो में 466. 13 एकड़ भूमि अर्जित की जा चुकी है।
औरंगाबाद से झारखंड सीमा तक बनेगी बिहार की पहली 6 लेन सड़क, एनएचएआई ने जारी किया टेंडर
बिहार में बनने वाले पहले छह लेन नेशनल हाइवे के निर्माण का रास्ता साफ हो गया। एनएच-दो औरंगाबाद से लेकर बिहार-झारखंड की सीमा चोरडाहा तक बनने वाली इस छह लेन सड़क का टेंडर जारी हो गया। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस सड़क का निर्माण कार्य इसी साल शुरू करने का लक्ष्य तय किया है। दो साल के भीतर निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी चंदन वत्स ने बताया कि औरंगाबाद से चोरडाहा तक की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। दो पैकेज में इस सड़क के निर्माण का टेंडर जारी कर दिया गया है। यह सड़क अभी फोर लेन है। बिहार की यह पहली सड़क है जिसे छह लेन किया जाएगा। इसके निर्माण पर लगभग 1400 करोड़ खर्च होंगे। दो महीने में इस सड़क के टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर काम अवार्ड कर दिया जाएगा।
राजधानी पटना का पहला डबल डेकर ब्रिज बनाने का रास्ता साफ हो चुका है इसको लेकर एजेंसी का भी चयन कर लिया गया है आपको बता दें कि कारगिल चौक से एनआईटी के बीच राजधानी पटना का यह डबल डेकर ब्रिज का निर्माण किया जाएगा जिसकी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है आपको बता दूं कि इसका निर्माण 324 करोड़ की लागत से किया जाएगा।
उधर कारगिल चौक से एनआईटी मोर के बीच बनने वाले डबल डेकर रोड के निर्माण में पटना विश्वविद्यालय के वर्तमान बाउंड्री को विस्तापित करना होगा अशोक राजपथ से लगभग 4 मीटर बाउंड्री के अंदर की जमीन डबल डेकर रोड निर्माण के लिए अधिग्रहण होगा जानकारी के अनुसार पीएमसीएच के जीवक हॉस्पिटल से शुरू होकर पटना कॉलेज सीनेट हॉल केमिस्ट्री ग्राउंड साइंस कॉलेज के वर्तमान बाउंड्री हट जाएगी इसको लेकर पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के साथ पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों की बैठक भी होगी।
आपको बता दूं कि राजधानी पटना का यह पहला डबल डेकर के निर्माण के लिए एजेंसी का भी चयन कर लिया गया है इस डबल डेकर ब्रिज का निर्माण का जिम्मा गाबर कंपनी को दिया गया है यह यह डबल डेकर ब्रिज करीब 2070 मीटर का होगा जोकि ईपीसी मोड पर इसका निर्माण किया जाएगा।
बिहार में चार नये नेशनल हाईवे के एलाइनमेंट को मंजूरी दी दी गई है। इसके साथ ही सात नये एनएच के निर्माण को लेकर भी अच्छी खबर है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को राष्ट्रीय राज्यमार्ग से जुड़ी परियोजनाओं को लेकर हुई समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने कई अहम निर्देश भी दिए। बैठक के दौरान पथ निर्माण मंत्री नितीन नविन भी मौजूद थे।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहा कि सड़क के आधारभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से जो परियोजनाएं तैयार की गयी हैं, वे बेहतर है। नयी सड़क की मंजूरी से पटना से कोलकाता, दिल्ली और वाराणसी की दूरी कम हो जायेगी और नयी कनेक्टिविटी मिल पायेगी। नये पथों के निर्माण से लोगों को तेज गति से आवागमन में और सहुलियत होगी।
सीएम ने अधिकारियों को नयी सड़कों के निर्माण के साथ-साथ पुरानी सड़कों को भी मेंटेन रखने का और शहरों में सुलभ संपर्कता को बढ़ाने का भी का निर्देश भी दिया। इसके साथ ही सीएम ने सात नये एनएच के निर्माण को लेकर केंद्र को अनुशंसा भेजने का भी निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान मोकामा-मुंगेर फोरलेन पथ के अंतर्गत आने वाले मोकामा से मनोहरपुर होते हुए लखीसराय के दक्षिण से मुंगेर तक ग्रीन फील्ड नये फोरलेन के एलाइनमेंट की मंजूरी मिली है। इस एलाइनमेंट में सरमेरा से मनोहरपुर तक 20 किमी सड़क को भी शामिल किया किया जायेगा। नये फोरलेन एलाइनमेंट वाली सड़क की कुल लंबाई 92 किमी होगी। जब यह सड़क बन जाएगी तब बक्सर से पटना होते हुए मोकामा-मुंगेर के माध्यम से भागलपुर-मिर्जा चौकी तक फोरलेन पथ की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो जाएगी।
बक्सर-वाराणसी ग्रीन फील्ड फोरलेन के तहत पटना से बक्सर के रास्ते वाराणसी तक सुगम आवागमन के मद्देनजर बक्सर-चौसा-वाराणसी नये फोरलेन के एलाइनमेंट पर सहमति मिली है। इस फोरलेन का हिस्सा बिहार में भी है। जिसकी लंबाई 29 किमी है। जबकि इसके 62 किमी हिस्सा उत्तर प्रदेश में आता है। इस सड़क के बन जाने के बाद पटना से वाराणसी दूरी 225 किमी हो जाएगी। उधर पटना-कोलकाता एक्सप्रेस-वे के निर्माण की अनुशंसा भी की गई है। इसका उद्देश्य पटना का कोलकाता से सीधा और सुगम संपर्क हो सकता है।
बिहारवासियों के लिए खुशखबरी:बिहार के रास्ते दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी आने-जाने वालों के लिए बिछेगा सड़कों का जाल, 4 नए प्रोजेक्ट से कम होगी दूरी
बिहार से दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी से सड़क मार्ग से आने वाले यात्रियों को जल्द और सहूलियत मिलेगी। इसके लिए पथ निर्माण विभाग चार नया मेगा प्रोजेक्ट ला रहा। CM नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को बैठक हुई, जिसमें पथ निर्माण विभाग ने अपने कामकाज की जानकारी के साथ-साथ नए प्रोजेक्ट का प्रजेंटेशन दिया।
पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने बताया कि राज्य सरकार के अनुरोध पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने चार परियोजनाओं मोकामा-मुंगेर, मुजफ्फरपुर रिंग रोड, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से बक्सर को जोड़ने और इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड के चौड़ीकरण की मंजूरी दे दी है। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि नए रोड से लोगों को आवागमन में और सहूलियत होगी। दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी तक सड़क मार्ग से भी सफर करने में सुविधा होगी।
मोकामा-मुंगेर फोर लेन की लंबाई 92 KM होगी
मोकामा-मुंगेर फोर लेन पथ के अन्तर्गत मोकामा से मनोहरपुर होते हुए लखीसराय के दक्षिण से मुंगेर तक ग्रीन फील्ड नए फोर लेन के एलाइनमेंट की मंजूरी मिली है। इसमें सरमेरा से मनोहरपुर तक 20 KM लम्बा पथ भी शामिल रहेगा। सड़क की कुल लम्बाई 92 KM होगी। इसके बन जाने से बक्सर से पटना होते हुए मोकामा-मुंगेर के माध्यम से भागलपुर-मिर्जा चौकी तक फोर लेन पथ मिल जाएगा।
मुजफ्फरपुर रिंग रोड की कुल लम्बाई लगभग 40 KM होगी
बरौनी-मुजफ्फरपुर फोर लेन पथ के अन्तर्गत बरौनी-बछवाड़ा -दलसिंह सराय-मुसरी धरारी के रास्ते मुजफ्फरपुर तक वर्तमान पथ के फोर लेन चौड़ीकरण की सहमति मिली है। मुजफ्फरपुर शहर में यातायात की सुगमता के उद्देश्य से मुजफ्फरपुर शहर के रिंग रोड के एलाइनमेंट की भी मंजूरी मिली है। मुजफ्फरपुर-बरौनी पथ को मुजफ्फरपुर-हाजीपुर पथ से 5KM लम्बे बाईपास पथ से जोड़ा जाएगा। इसी प्रकार मुजफ्फरपुर-बरौनी पथ को मुजफ्फरपुर-दरभंगा ईस्ट-वेस्ट कोरिडोर से 11 KM लम्बे बाईपास पथ से जोड़ा जाएगा।
साथ ही मुजफ्फरपुर-बाईपास को ईस्ट-वेस्ट कोरिडोर में 1.6 KM लम्बे पथ से जोड़ा जाएगा। मुजफ्फरपुर शहर में प्रवेश करने वाले सभी राष्ट्रीय राजमार्ग आपस में मुजफ्फरपुर रिंग रोड के माध्यम से जुड़ जाएंगे। मुजफ्फरपुर रिंग रोड की कुल लम्बाई लगभग 40 KM होगी। यह बन जाने से मुजफ्फरपुर शहर में जाम की समस्या काफी हद तक कम जो जाएगी और शहर का सभी दिशाओं में फैलाव हो सकेगा।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है
बक्सर-हैदरिया फोर लेन के निर्माण के अन्तर्गत लखनऊ से हैदरिया तक पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से बक्सर को जोड़ने के लिए 17 KM संपर्क रोड फोर लेन बनेगा। इसके बन जाने से लोगों को राजधानी पटना की दिल्ली तक 4/6 लेन मिल जाएगी। बक्सर-वाराणसी ग्रीन फील्ड फोर लेन पथ के अन्तर्गत पटना से बक्सर के रास्ते वाराणसी तक आसान यात्रा के लिए बक्सर-चौसा-वाराणसी नया फोर लेन बनेगा। इस एलाइनमेंट का 29 KM हिस्सा बिहार में पड़ता है और 62 KM हिस्सा उत्तर प्रदेश में पड़ता है। इसके बन जाने से पटना से वाराणसी तक की दूरी मात्र 225 KM रह जाएगी, जो पटना-मोहनियां-वाराणसी रोड की तुलना में लगभग 30 KM कम होगी।
इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड का चौड़ीकरण हो रहा है
भारतमाला-2 में नए पथों के निर्माण के प्रस्ताव को शामिल करने लिए भारत सरकार को अनुशंसा भेजने का निर्णय लिया है। इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड के चौड़ीकरण के अन्तर्गत इंडो-नेपाल बॉर्डर 552 KM लम्बा टू लेन बन रहा है। इसमें लगभग दो-तिहाई राशि राज्य सरकार की और एक-तिहाई भारत सरकार दे रही है।
भविष्य में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highway Authority of India) की ओर से किए जा रहे की सड़क निर्माण में क्वालिटी को लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी. एनएचएआई (NHAI) देश में पहली बार क्वालिटी को मॉनिटर करने के लिए मशीन कंट्रोल टेक्नोलॉजी (Machine Control Technology) का इस्तेमाल करने जा रहा है. इस नई तकनीक का इस्तेमाल लखनऊ-कानपुर ग्रीनफील्ड हाईवे में किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट पर जल्द काम शुरू होने जा रहा है.
63 किमी लंबे हाईवे में होगा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
सड़क निर्माण में कई बार क्वालिटी को लेकर शिकायत सुनने में आती है. हालांकि, निर्माण एजेंसी मैन्युअल तरीके से क्वालिटी को मॉनिटर करती हैं. इस तरह की समस्या से छुटकारा पाने के लिए नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया अब देश में पहली बार मशीन कंट्रोल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने जा रहा है. निर्माणाधीन 63 किलोमीटर लंबे लखनऊ-कानपुर हाईवे में इसका इस्तेमाल किया जाएगा. एनएचएआई ने इस नई तकनीक को टेंडर की शर्तों में जोड़ दिया है. अब वही ठेकेदार इस प्रोजेक्ट पर काम कर सकेगा, जिसके पास यह तकनीक होगी. अधिकारियों के अनुसार सितंबर 2021 तक इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा.
इस तरह काम करेगी मशीन कंट्रोल टेक्नोलॉजी
मशीन कंट्रोल टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा होगा कि अब हाईवे निर्माण कार्य की गुणवत्ता तय मानक के अनुसार ही होगी. कई बार मानक पूरे नहीं होने के कारण सड़क जल्द टूट जाती है. इस तकनीक के इस्तेमाल से इस तरह की शिकायतें नहीं होंगी. इस टेक्नोलॉजी में निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली मशीनों और वाहनों पर सेंसर लगाए जाएंगे. सड़क निर्माण के लिए तय मानक सिस्टम में फीड कर दिए जाएंगे. ये सेंसर एनएचएआई मुख्यालय से जुड़े होंगे. निर्माण के दौरान मुख्यालय तक तभी मैसेज पहुंचेगा,जब तय मानक के अनुसार काम होगा. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं कि किसी निर्माणाधीन रोड पर 10 बार रोलर चलाना है. अगर ठेकेदार 9 बार रोलर चलावाता है तो मुख्यालय में मैसेज नहीं पहुंचेगा. इसलिए गुणवत्ता के मानक पूरे करना अनिवार्य होगा.
प्रयागराज-बनारस के बीच गंगा किनारे बनेगा एक्सप्रेस-वे, प्राथमिक सर्वे पूरा, जमीन अधिग्रहण होगा शुरू
प्रयागराज-वाराणसी एक्सप्रेस-वे के काम में प्राथमिक सर्वे का काम पूरा हो चुका है। यूपीडा अब रूट के गांव चिह्नित कर सीमांकन करेगा। अधिग्रहण वाले गांवों के किसानों से सहमति के आधार पर प्रशासन जमीन लेगा।
विस्तार
पहाड़ से निर्मल गंगा के मैदान में उतरने के साथ ही उसके समानांतर वाराणसी तक एक्सप्रेस-वे की योजना अब मूर्त रूप लेने लगी है। हरिद्वार से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस-वे को आगे वाराणसी तक लाने के लिए गंगा किनारे के गांवों को सहारा लिया जाएगा।
प्रयागराज से वाराणसी के बीच का प्राथमिक सर्वे पूरा कर लिया गया है। अब अधिग्रहण वाले गांवों के किसानों से सहमति के लिए प्रशासन खुली बैठक करेगा। फिलहाल इसी सप्ताह यूपीडा के अधिकारियों की वाराणसी प्रशासन के साथ समन्वय बैठक के बाद आगे की रूपरेखा तय होगी।
गंगा एक्सप्रेस-वे को रामनगर मल्टीमॉडल टर्मिनल से जोड़ने के लिए दो विकल्प तैयार किए गए हैं। इसमें चुनार होते हुए रामनगर तक गंगा एक्सप्रेस-वे के समापन के साथ ही दूसरा विकल्प अखरी चौराहे पर एनएच-2 से मिलेगा। दोनों जगहों का सर्वे कराया जा चुका है। प्रयागराज से वाराणसी के बीच नया रूट बनाने की तैयारी है।
एक्सप्रेस-वे के लिए नए सिरे से जमीन अधिग्रहित की जाएगी। प्रयागराज से भदोही, मिर्जापुर होते हुए गंगा एक्सप्रेस वे को रामनगर के मल्टी मोडल टर्मिनल तक पहुंचाया जाएगा। इसमें मिर्जापुर के करीब 43 गांव, भदोही और वाराणसी के भी 30-30 गांव शामिल हैं। गंगा एक्सप्रेस-वे चुनार के बाद वाराणसी में प्रवेश कर सकती है। कछवां होते हुए चुनार के बाद वाराणसी के करीब 33 गांवों से होकर रामनगर तक यह सिक्सलेन सड़क पहुंच सकती है।
सबसे ज्यादा मिर्जापुर जिले की लेंगे जमीन
पिछले दिनों यूपीडा के अधिकारियों ने वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही जिला प्रशासन से प्रस्तावित मार्गों के आसपास की जमीनों का ब्यौरा मांगा है। इसमें जमीनों की प्रकृति, क्षेत्रफल, मूल्यांकन आदि की रिपोर्ट तैयार की जानी है। अधिकारियों के मुताबिक इसमें सबसे ज्यादा मिर्जापुर जिले की जमीन ली जाएगी।
प्रयागराज से वाराणसी के बीच 150 किलोमीटर की होगी दूरी
गंगा एक्सप्रेस-वे के बन जाने से अब प्रयागराज से वाराणसी के बीच की दूरी 150 किलोमीटर हो जाएगी। शासन की मंशा है कि गंगा एक्सप्रेस-वे को वाराणसी के साथ-साथ गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, चंदौली समेत पूर्वांचल के ज्यादातर जिलों को जोड़ा जाए। इसके साथ ही बिहार से लिंक करने की भी संभावना तलाशी जाए। रामनगर तक प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे को अब रिंग रोड तक विस्तार देने की भी तैयारी शुरू हो गई है।
गंगा एक्सप्रेस के सर्वे और वर्तमान स्थिति के लिए यूपीडा के अधिकारियों की बैठक भी इसी सप्ताह बुलाई गई है। अब तक की गई कार्यों की समीक्षा की जाएगी।
बिहार से झारखण्ड जाना होगा आसान 1300 करोड़ की लागत से बनेगा छह लेन का जीटी रोड़
सड़क की छह लेन परियोजना से जुड़े एनएचएआई(NHAI) के डीजीएम स्तर के एक अधिकारी ने बताया कि 1300 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के तहत जीटी रोड के शेरघाटी स्ट्रेच में औरंगाबाद के बनिया से लेकर बाराचट्टी के चोरदाहा तक करीब 70 किमी लम्बी सड़क का चौड़ीकरण होना है। शेरघाटी खंड में छह लेन की इस परियोजना को दो भागों में क्रमश: 30 व 40 किमी की लंबाई में बांटकर टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जानी है। शेरघाटी से बनिया तक 30 किमी लंबे हिस्से के निर्माण पर 600 करोड़ खर्च होगा।
जबकि शेरघाटी से बाराचट्टी के चोरदाहा वाले 40 किमी लम्बे हिस्से पर 700 करोड़ खर्च होंगे। एनएचएआई के अधिकारी का कहना है कि शेरघाटी से बाराचट्टी वाले हिस्से में चौड़ीकरण का काम शुरू करने के पूर्व सड़क किनारे की तमाम संरचनाओं को हटा दिया गया है। यदि सब ठीक रहा तो चंद हफ्तों में सड़क निर्माण का काम शुरू हो जाएगा।
अधिकारी के मुताबिक समूचे स्ट्रेच में सड़क के दोनों ओर 169 सम्पर्क सड़कें जीटी रोड से मिलेंगी, जिनके 50 मीटर लम्बे भाग का निर्माण परियोजना के तहत किया जाएगा। सड़क चौड़ीकरण की इस परियोजना में 14 बड़े पुलों के साथ 30 छोटे पुलों का भी निर्माण किया जाना है। बता दें कि जीटी रोड की सिक्स लेन परियोजना को लेकर शेरघाटी, डोभी और बाराचट्टी आदि इलाके में सड़क किनारे के मकानों, भवनों को कुछ महीने पहले ही तोड़ा जा चुका है।
बलिया : जनपद तीन एक्सप्रेस-वे से जुड़ने जा रहा है। बलिया को पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे से जोड़ने के लिए 30 किमी लंबा लिक एक्सप्रेस-वे बन रहा है। इसके अलावा गाजीपुर से बलिया के मांझी घाट तक 118 किमी लंबा ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे की संस्तुति दी गई है। इसी तरह बक्सर से वाराणसी तक करीब 120 किमी लंबा नया ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे प्रस्तावित है। इससे बलिया के भरौली को जोड़ा जाएगा। तीनों एक्सप्रेस वे से बहुत जल्द बलिया से वाराणसी, लखनऊ, पटना या दिल्ली की राह आसान हो जाएगी। बलिया लिक एक्सप्रेस-वे से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पकड़कर लखनऊ तक पहुंचा जा सकता है।
बलिया लिक एक्सप्रेसवे
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-731 लखनऊ-सुल्तानपुर रोड (ग्राम-चांदसराय) से शुरू होकर बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ होते हुए गाजीपुर (ग्राम-हैदरिया) में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-31 पर खत्म होता है। यहां से बलिया लिक एक्सप्रेस वे की लंबाई करीब 30 किलोमीटर होगी। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि यह एक्सप्रेस वे बलिया शहर से लगभग 10 किमी दूर एनएच-31 पर ही खत्म होगा।
बक्सर-वाराणसी-ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे
बलिया के भरौली व बिहार के बक्सर से वाराणसी तक बनने वाला यह ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे 120 किमी का होगा। बलिया शहर से वाराणसी की दूरी लगभग 180 किमी है। यह एक्सप्रेसवे बन जाने के बाद वाराणसी जाने में भी यहां के लोगों को अभी के मुताबिक आधा समय लगेगा। इसका डीपीआर बनाने का काम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने कार्यदायी एजेंसी एचईसी लिमिटेड कंपनी को सौंपा है।
गाजीपुर › ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू
गाजीपुर के रास्ते बलिया होकर बिहार के मांझीघाट तक बनने वाला ग्रीन फिल्ड एक्सप्रेस-वे जंगीपुर में प्रगति की राह खोलेगा। जंगीपुर से होकर मुहम्मदाबाद होते हुए जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के साथ जोड़े जाने की संभावना है तो बिहार के रिविलगंज बाइपास से जुड़ेगा। इसके लिए सरकार की ओर से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, साथ ही इसे जोड़े जाने के लिए हाईवे पर स्थानों का चिह्नांकन भी शुरू हो गया है।
जिले के दो तहसील सदर और मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र में पड़ने वाले भूमि अधिग्रहण का कार्य भी शुरू हो गया है, जो अक्टूबर माह तक पूर्ण कर लिया जाएगा। करीब 118 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे के लिए धनराशि का आवंटन किया गया है। वाराणसी-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से जंगीपुर के पास इस एक्सप्रेस-वे को जोड़ा जाएगा। जंगीपुर से करीब 14 किमी आगे इसे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से इसे जोड़ दिया जाएगा। भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू भी हो गई है। आगामी सितंबर में टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने के साथ ही दिसम्बर में कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
Ganga Expressway होगा भारत का दूसरा सबसे बड़ा महामार्ग,
जानिए पूरी डिटेल
Ganga Expressway: भारत को जल्द ही उसका दूसरा सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे मिल जाएगा। नया गंगा एक्सप्रेसवे (Ganga Expressway) उत्तर प्रदेश के बीचों बीच से गुजरेगा और राज्य के कुछ अहम शहरों को जोड़ेगा।
राज्य सरकार ने हाल ही में इस एक्सप्रेस से जुड़ी जानकारियां दी थी और दावा किया था कि इस नए हाइवे पूरा करने के लिए 80 फीसदी से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण पूरा हो चुका है।
इस महामार्ग परियोजना की पूरी लागत 36,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है और इस पर इसी साल के सितंबर महीने से काम भी शुरू हो जाएगा।
देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे Ganga Expressway पर 120 की रफ्तार से दौड़ेंगी गाड़ियां, जानिए 10 बड़ी बातें
जानिए कुछ खास बातें
- उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक, गंगगा एक्सप्रेसवे की लंबाई की करीब 594 किलो मीटर होगी।
- यह एक्सप्रेसवे मेरठ जिले में N.H. 334 से शुरू होकर प्रयागराज जिले में बॉयपास (NH-2 ) पर खत्म होगा।
-यह महामार्ग मेरठ (Meerut), हापुड़ (Hapur), बुलंदशहर (Bulandshahar), अमरोहा (Amroha), संभल (Sambhal), बदायूं (Badaun), शाहजहांपुर (Shahjahanpur), हरदोई (Hardoi), उन्नाव (Unnao), राय बरेली (Rai Bareli), प्रतापगढ़ (Pratapgarh) और प्रयागराज (Prayagraj) शहरों को जोड़ेगा।
- इसके अलावा इस एक्सप्रेसवे से करीब 519 गांव जुड़ेंगे।
- एक बार जब ये एक्सप्रेसवे बनकर शुरू हो जाएगा तो दिल्ली और प्रयागराज की दूरी 10-11 घंटे मे पूरी होती है। वो सिर्फ 6-7 घंटे में हो सकेगी।
फीचर्स
- यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह से एक्सेस कंट्रोल्ड (access-controlled) होगा। यानी कहीं से भी आप अपना वाहन लेकर नहीं घुस सकते हैं। खास टोल प्लाजा से ही इस एक्सप्रेसवे में वाहनों के आने-जाने की अनुमति होगी। इसके दो मेन टोल प्लाजा होंगे। पहला मेरठ में होगा। दूसरा प्रयाग राज में होगा। इसके अलावा 15 और रैंप टोल प्लाजा बनाए जाएंगे।
- इस एक्सप्रेस वे पर चलने वाली गाड़ियों की स्पीड 120 किमी प्रति घंटा होगी। जो भारत में सबसे ज्यादा है।
एक्सप्रसेव की चौडा़ई 6 लेन की होगी। इसको 8 लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। पूरा स्ट्रक्चर कंकरीट से बनेगा। इस एक्सप्रेसवे की चौड़ाई 120 मीटर होगी।
- इस एक्सप्रेसवे के गांव से लगे किनारे-किनारे 3.75 मीटर की सर्विस रोड (फुटपाथ) भी बनाई जाएगी। ताकि इस एक्सप्रेसवे से सटे हुए गांव के लोगों को आने-जाने में परेशानी ना हो। यह फुटपाथ सिर्फ गांवों के पास ही बनाए जाएंगे।
- इस एक्सप्रेस वे में एक एयरस्ट्रिप (airstrip) भी बनाई जाएगी। जिससे कि एयरफोर्स के प्लेन इमरजेंसी में लैंडिंग कर सकें। यह एयरसट्रिप सुल्तानपुर जिले में बनाया जाएगा।
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