Sant Pravar Shri Vigyandeo Ji Maharaj
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जो श्रेष्ठ #साधक होते हैं वो #मन की चाल को समझते हैं...
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
#आत्मज्ञान की विस्मृति ही हमारे #दुःखों का कारण है...
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
मैं और मेरा के भाव से ऊपर उठाता है #यज्ञ
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
#स्वर्वेद_महामंदिर_धाम पर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया #भारतीय_नववर्ष
सद्गुरु सदाफल देव विहंगम योग संस्थान द्वारा आयोजित विश्वव्यापी स्वर्वेद यात्रा में देश के 20 राज्यों में 227 स्थानों पर भव्य एवं दिव्य ‘स्वर्वेद यात्रा’ निकाली गई।
इसी क्रम में स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित सद्गुरु सदाफल देव आप्त वैदिक गुरुकुलम के छात्रों एवं आचार्यों के द्वारा विहंगम स्वर्वेद यात्रा निकाली गयी। जिसमें गुरुकुल के लगभग दो सौ बच्चों सहित आश्रम वासियों ने विहंगम योग के प्रमुख सैद्धांतिक महाग्रंथ ‘स्वर्वेद’ को सरमाथे रखकर तरयाँ से, डुबकियां होते हुए स्वर्वेद महामंदिर धाम पहुंचे।
इस अवसर पर स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज की दिव्य मूर्ति पर प्राकृतिक लौंग और इलायची से निर्मित माला अर्पित किया। साथ ही अबीर और गुलाल चढ़ाकर इस नव वर्ष पर सबके सांसारिक एवं आध्यात्मिक उत्कर्ष की कामना की और उपस्थित सभी भक्तों ने एक दूसरे के साथ गुलाल-अबीर और फूलों की होली खेली। संत प्रवर श्री ने सबको नववर्ष की शुभकामनाएं दी।
भारतीय नववर्ष के इस पावन अवसर पर उपस्थित भक्त शिष्यों को संबोधित करते हुए संत प्रवर श्री कहा कि यह भारतीय नववर्ष सृष्टि का प्रारंभिक दिवस है। हमसब भारतीय नववर्ष पर अपनी संस्कृति, जो धर्म से लेकर मोक्ष की यात्रा कराती है, जो विश्व की आदि संस्कृति, विश्ववारा संस्कृति है, उसके प्रति नतमस्तक हो रहे हैं। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की चतुःसूत्री ही भारतीय संस्कृति का आधार है।
महाराज जी ने कहा कि भारत मे रहकर , भारत की हवाओं में श्वांस लेकर हम अपनी संस्कृति, अपनी परम्पराओं से अलग होकर नहीं रह सकते हैं। हमसब ऋषियों की संतान हैं, उनके पदचिन्हों पर अपने को निरंतर गतिमान रखना यही भारतीयता है।
नववर्ष को शास्त्रीय भाषा मे नवसंवत्सर कहते हैं। नववर्ष सर्वत्र नवीनता का ही संचार कर रहा है। यह नवीनता हमें नई ऊर्जा प्रदान करती है।
7 अप्रैल 2024 को सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज के पावन सान्निध्य में #नासिक की धरती पर #महाराष्ट्र संत समाज (विहंगम योग) के लिए विशेष रूप से आयोजित एक दिवसीय #प्रचारक_मंत्रणा_संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस संगोष्ठी में #मुंबई, #पुणे, #नासिक, #नागपुर, #यवतमान, #अहमदनगर, #संभाजीनगर आदि स्थानों से विहंगम योग के प्रचारकगण सम्मिलित हुए।
#संगोष्ठी कुल चार सत्रों में संचालित हुई और #प्रचार संबंधी अनेक बिंदुओं पर परस्पर विमर्श हुआ। अंतिम सत्र में सभी प्रचारकों ने सेवा हेतु संकल्प लिया और #संत_प्रवर_श्री द्वारा उन्हें #प्रचारक_मंत्रणा_संगोष्ठी में प्रतिभागी बनने का #प्रमाणपत्र एवं #प्रचार_सामग्री रखने हेतु एक झोला(bag) भी प्रदान किया गया। #गौसेवा तथा आवासीय #गुरुकुल की निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था को आर्थिक रूप से सहयोग देने हेतु अनेक गणमान्यों ने बड़ा संकल्प भी लिया।
चतुर्थ एवं #संकल्प सत्र के पश्चात सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज के मुखारबिंद से सभी ने #स्वर्वेद_कथामृत का रसास्वादन किया। संत प्रवर श्री ने सभी को ध्यान–साधना का संक्षिप्त अभ्यास भी करवाया और कहा कि इस प्रचारक मंत्रणा संगोष्ठी में #नासिक आकर उन्हें बहुत ही प्रसन्नता हुई।
संपूर्ण आयोजन में निःसंदेह व्यवस्था की कुशलता एवं भव्यता बहुत ही प्रभावशाली रही जहां संत प्रवर श्री की दिव्य उपस्थिति में #आध्यात्मिक संगोष्ठी होने से वहां सतत एक अलौकिक दिव्यता भी प्रकट हो रही थी।
#देव दुर्लभ है ये #मानव जीवन...
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
31 मार्च 2024 को #दंडकवन_आश्रम का प्रांगण विहंगम योग के प्रचार सेवा की दिव्य ऊर्जा से स्पंदित हो उठा जब सुपूज्य #संत_प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज की पावन उपस्थिति में समस्त गुजरात राज्य के प्रचारकगण एक दिवसीय प्रचारक मंत्रणा संगोष्ठी में सोत्साह उपस्थित हुए।
संगोष्ठी के प्रथम एवं द्वितीय दोनों सत्रों में सुपूज्य संत प्रवर श्री की निरंतर उपस्थिति रही।
संगोष्ठी का मूल विषय था कि कैसे प्रचारकगण प्रतिदिन सेवा हेतु समयदान देने के प्रति सक्रिय हों तथा स्वर्वेद महामंदिर धाम एवं सद्गुरु मूर्ति सेवा से नवउपदेशित व समाज के प्रमुख लोगों को जोड़ा जाए।
प्रचारक मंत्रणा संगोष्ठी का समापन संत प्रवर श्री के संक्षिप्त आशीर्वचन से हुआ जहां सभी प्रचारनवृंद ने व्यक्तिगत तथा संत समाज ने सामूहिक भाव से सेवा हेतु संकल्प फार्म भर कर संकल्प लिया।
संकल्पित सभी प्रचारकों को संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने प्रचार सामग्री को रखने हेतु एक प्रचार–थैली(प्रचारक का झोला) प्रदान की जिसे प्राप्तकर सभी में एक अद्भुत उल्लास अनुभूत हो रहा था।
उक्त संगोष्ठी के पश्चात आश्रम के प्रांगण में सभी अध्यात्म प्रेमियों को स्वर्वेद कथा का आनंद लाभ भी प्राप्त हुआ।
#योगी ही उपयोगी है...
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
#अहंकार जीवन के पतन का कारण है...
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
फाल्गुन #पूर्णिमा से चैत्र मास कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि तक प्रायः #रंगोत्सत्व मनाया जाता है। पंचमी तिथि को पारंपरिक तरीके से रंग और गुलाल खेलते हैं जिसे रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है। रंगों के इस पावन पर्व पर आज चैत्र कृष्ण चतुर्थी को #स्वर्वेद_महामन्दिर_धाम के पावन प्रांगण में #अध्यात्म प्रेमियों ने उत्सव का अभूतपूर्व आनंद लिया जब सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज ने सद्गुरु #सदाफलदेव जी महाराज की दिव्य मूर्ति को शंखध्वनि और मंत्रोच्चारण के पावन स्वर के साथ #प्राकृतिक लौंग और इलायची से निर्मित माला पहनाया। तत्पश्चात #आध्यात्मिक_भजनों के मधुर गूंज के बीच भक्त, शिष्य एवं #सद्गुरु चरण अनुरागियों ने सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज के #पदांबुजों में गुलाल–अबीर अर्पित कर #आशिर्वाद प्राप्त किया।
रंगों के त्योहार पर विशेष रूप से आप्त गुरुकुलम के विद्यार्थियों का उत्साह तब दूना हो गया जब संत प्रवर श्री ने अपने हस्तकमल से सभी पर #गुलाल उड़ाया और वातावरण में #अलौकिक स्पंदन भर दिया।
इस अवसर पर संत प्रवर श्री ने कहा कि #होली का पर्व जीवन में उल्लास, उमंग, प्रेम और सौहार्द लेकर आता है।
#आध्यात्मिक ज्ञान के रंगों में रंगना ही वास्तविक #होली है। ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कलह, कपट को मिटाकर श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों के साथ #जीवन को रंगना ही #होली पर्व का वास्तविक संदेश है।
सबसे बड़ी #सेवा क्या है ?
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जितना अधिक #सत्संग होगा,
हमारी गति उतनी #आध्यात्मिक होगी...
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#सृष्टि क्यों बनी है ?
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#संसार में तीन वस्तुएँ अत्यन्त दुर्लभ हैं..
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अधिक से अधिक #आत्मकल्याण का ही चिन्तन करना है...
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हमारे #पूर्वजों का संदेश...
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
अन्तरात्मा में प्रेम-रस की धारा ही #भक्ति है...
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
मन की शक्ति को पहचानें...
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
#भारतीय_संस्कृति_मंत्रालय एवं रामचंद्र मिशन (heartfulness) के संयुक्त तत्वधान में 14 से 17 मार्च तक एक भव्य विश्व आध्यात्मिक महोत्सव (Global Spirituality Mahotsav) का आयोजन हैदराबाद के कान्हा शांति वनम में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
इस महोत्सव में सुपूज्य #संत_प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज को विश्व शांति को प्रसारित करते आध्यात्मिक गुरु के रूप में सादर निमंत्रण दिया गया था, जिसे स्वीकार कर संत प्रवर श्री ने वहां तीन दिवस तक अपनी उपस्थिति दर्ज की।
अनेक #अध्यात्म प्रेमियों ने संत प्रवर श्री का दर्शन लाभ लिया और परस्पर संवाद से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान भी पाया।
प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के रिपोर्टरों ने संत प्रवर श्री से इस #आध्यात्मिक महोत्सव पर संदेश की इच्छा जताई तो संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने कहा कि आंतरिक शांति से ही विश्व शांति का मार्ग प्रशस्त होता है। ध्यान द्वारा मानव मन को शांत करके ही सामाजिक शांति, वैश्विक शांति की पृष्ठभूमि तैयार हो सकती है। संत प्रवर श्री ने यह भी कहा कि यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत का आध्यात्मिक मिलन है।
#स्वर्वेद_महामंदिर
आज स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के कर कमलों द्वारा महर्षि सद्गुरु सदाफल देव समाधि धाम मन्दिर, गंगातट, छतनाग घाट, झूंसी, प्रयागराज में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ #विहंगम_योग के प्रणेता अनंत श्री सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज के पावन समाधि स्थल पर एक भव्य एवं दिव्य मन्दिर बनाने के निमित्त भूमि पूजन किया गया। संत प्रवर श्री के पावन निर्देशन में समाधि धाम मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हो चुका है । आप सभी को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि बंशी पहाड़पुर, बयाना, भरतपुर, राजस्थान की पहाड़ियों से प्राप्त जिन गुलाबी सैंड स्टोन पत्थरों के द्वारा अयोध्या में #श्रीराम_मन्दिर और वाराणसी में #स्वर्वेद_महामंदिर धाम का निर्माण हुआ है उन्हीं गुलाबी सैंड स्टोन पत्थरों के द्वारा इस दिव्य समाधि धाम मन्दिर का भी निर्माण किया जायेगा। पिछले एक सप्ताह से इन पत्थरों पर नक्कासी का कार्य प्रारम्भ भी हो चुका है।
#सेवा
of
प्रथम परम्परा सद्गुरु आचार्य श्री धर्मचंद्र देव जी महाराज की 105वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर चल रहे त्रिदिवसीय जय स्वर्वेद कथा के द्वितीय दिवस की झलकियां ।
महर्षि सदाफल देव आश्रम
कटार, वडीहा, डेहरी ऑन सोन
7 मार्च 2024
#दिव्यवाणी
of
प्रथम परंपरा सद्गुरू आचार्य श्री धर्मचंद्रदेव जी महाराज की 105वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर त्रिदिवसीय ्वर्वेद_कथा
प्रथम परम्परा सद्गुरु आचार्य श्री धर्मचंद्र देव जी महाराज की 105वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर त्रिदिवसीय जय स्वर्वेद कथा का मंगलमय शुभारंभ ।
#सेवा
#आत्मविस्मृति ही दु:खों का कारण है...
सुपूज्य संत प्रवर श्री #विज्ञानदेव जी महाराज की #दिव्यवाणी की दिव्यधारा
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