Astro Acharya Mordhwaj Sharma

अर्चक ब्रह्मण पुजारी शास्त्री तीर्थपुरोहित - श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तरप्रदेश ।।

11/06/2024

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*लेख:- धूमावती जयंती, 14.06.2024*

*अष्टमी तिथि आरंभ- 13 जून 12:30 pm*
*अष्टमी तिथि समाप्त- 14 जून 12:57 pm*

हिंदु धर्मशास्त्रो के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को धूमावती माता की जयंती मनाई जाती है। वर्ष 2024 मे धूमावती जयंती 14 जून को मनाई जाएगी।

हिंदू धर्म शास्त्रो के अनुसार धूमावती माता को दस महाविद्याओं में से सातवीं देवी माना जाता है। उन्हें देवी दुर्गा का सबसे उग्र रूप भी माना जाता है। इन्हें महाविद्यायों में प्रचंड चंड नायिका अर्थात चंडी रूप धारण करके असुरों का संहार किया था। माना जाता है, कि माता शत्रु विनाश की सबसे बड़ी देवी हैं। मार्कण्डेय पुराण और शिव पुराण के अनुसार उन्होंने ही चंडी रूप धारण करके असुरों का संहार किया था।

धूमावती जयंती के शुभ दिन पर माँ धूमावती की पूजा करने से, भक्तों को उनकी सभी समस्याओं और पापों से मुक्ति मिलती है। धूमावती जयंती के अवसर पर दस महाविद्याओं का भी पूजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार सुहागिन स्त्री धूमावती माता की व्रत-पूजा नहीं करती हैं। वह केवल मात्र मां धूमावती के दर्शन करती हैं। मां धूमावती का दर्शन करने से ही उनके पुत्र और पति की रक्षा होती है।

*मां धूमावती का प्रकाट्य*
मां धूमावती के प्रकाट्य के संबंध मे एक से अधिक कथाएं प्रचलित है।

*प्रथम कथा:-*
मां धूमावती की कथा के अनुसार एक समय मां पार्वती भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर बैठी हुई थी, तभी उन्हे तीव्र भूख का अहसास हुआ, उन्होने भोलेनाथ से इसका निवारण करने को बार-बार क्हा, परंतु महादेव ने इस पर कोई ध्यान नही दिया, तब मां ने महादेव को ही उठाकर निगल लिया, जिससे मां के शरीर से धुँआ निकलने लगा। तब महादेव ने पार्वती मां से कहा आप अपने पति को ही खा गई हो, अब आप विधवा हो गई हो और आज से विधवा का जीवन जिओ और आपकी यह सुंदरता धुंऐ से ढक जाने के कारण आपको धूमावती के नाम से जाना जायेगा।

*द्वितीय कथा:-*
एक अन्य मत के अनुसार (स्वतंत्र-तन्त्र) के अनुसार सती ने पिता दक्ष के यज्ञ मे योग की अग्नि द्वारा अपने आप को भस्म कर दिया तो उस समय जो धुंआ उत्पन्न हुआ उसी से धूमावती मां का प्रकाट्य हुआ अथार्त् उसी से मां प्रकट हुई ।
नारदपाच्चरात्र के अनुसार इन्होंने ही अपने शरीर से उग्रचँडिका को प्रकट किया था, जो सैकड़ों गीदडियो की आवाज करने वाली थी। असुरों के कच्चे मांस का भक्षण करने के कारण इनके अंगो मे रहने वाली शिवाएं तृप्त हुई, और यही इनकी भूख का रहस्य है (यानि असुरो का विनाश करके संसार को भयमुक्त करना)

*मां धूमावती का स्वरूप*
मां का ये रूप वृद्धावस्था वाला तथा कृशकाय है,
माता विवर्ण, चंचल, काले रंग वाली, मैले कपडे धारण करने वाली, खुले बालो वाली, विधवा, कौऐ के झंडे वाले रथ पर आरूढ़, हाथ मे सूप धारण किए (गेंहू छानने की छलनी), जिसमें प्रलय समय समस्त सृष्टि को समेट लेती है। साधना की दृष्टि से देखते है तो "सूप" के लिये कहावत है कि "सार सार को गहि लहे, थोथा देव उडाय" अर्थात् अवगुणों का विसर्जन एवं सद्गुणों का संग्रह करने वाली विद्या है। मां का यह रूप भूख-प्यास से व्याकुल तथा क्रूर आंखों वाला है।

*मां धूमावती की अराधना का महत्व*
मां धूमावती की अराधना से विपत्ति नाश, क्लिष्ट रोगो का नाश, युद्द मे विजय प्राप्त होती है उच्चाटन तथा मारण आदि प्रयोगों के लिए भी मां की पूजा श्रेष्ठ है। मां धूमावती अज्ञानता व प्रदूषणता को भी नाश करने वाली देवी है, इन दोनो को मां ने अपने रूप में समेट लिया है। मां धूमावती अपने भक्तो के पापो को भी क्षय कर देती है। देवी दुःख, दरिद्रता, कलह, पीड़ा की अधिष्ठात्री देवी है अतः इसका आवाहन चिरस्थायी नहीं होता है। साधक को मंत्रादि प्रयोग करते समय यह भाव मन मे रखना चाहिए कि धूमावती देवी कलह, दुःख, दारिद्रता, पीड़ा एवं समस्त विघ्नों को अपने सूप में समेटकर मेरे घर से बाहर जा रही है और मुझे अभय प्रदान कर रही है। इस विद्या का प्रयोग शत्रुनाश के लिये भी किया जाता है। पुरातन काल मे सिद्ध पुरुष इस विद्या के प्रभाव से अपने रूप में परिवर्तन भी कर लेते थे।

*मां धूमावती की पूजन विधि*
1. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. एक वेदी पर कपडा बिछाकर मां धूमावती की प्रतिमा अथवा चित्र स्थापित करके एक जलापूर्ति कलश पर एक नारियल रखकर पूजन आरंभ करे।
3. तत्पश्चात शुद्ध घृत का दीपक प्रज्वलित करें। एक अन्य सरसों के तेल में नील मिलाकर दीपक जलाकर देवी के बांयी तरफ रखकर प्रज्वलित करे।
4. देवी को गंगाजल, पंचामृत व साफ जल से स्नान करवाकर पुष्प, फल आदि अर्पित करके षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। देवी को फूल चढ़ाएं।
5. इस पावन दिन मां धूमावती को लौंग, इलायची, बतासा, नारियल, मिठाई और फल का भोग लगाएं।
7. इस पूजा के उपरांत मां धूमावती के मंत्रों का जाप तथा स्तोत्र इत्यादि का पाठ करने के उपरांत देवी मां की आरती करें।

*मां धूमावती के महामंत्र*
*ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहाः ॥*
मोती की माला से इस मंत्र का जाप विधिपूर्वक योग्य गुरू के निर्देशन मे ही करे।

*(समाप्त)*
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*आगामी लेख:-*
*1. 12 जून के पंचांग मे "मिथुन सक्रांति" विषय पर लेख।*
*2. 13 जून के पंचांग मे "गंगा दशहरा" विषय पर लेख।*
*3. 14 जून के पंचांग मे "निर्जला एकादशी" विषय पर लेख।*
*4. 15 जून के पंचांग मे "शनि वक्री" विषय पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*मंगलवार, 11.06.2024*
*श्री संवत 2081, कालयुक्त*
*शक संवत् 1946*
*सूर्य अयन- उत्तर दक्षिणायण, उत्तर गोल*
*ऋतुः- वर्षा ग्रीष्म ऋतुः।*
*मास:- ज्येष्ठ मास।*
*पक्ष- शुक्ल पक्ष।*
*तिथि- पंचमी तिथि, 5:27 pm तक।*
*नक्षत्र- अश्लेषा नक्षत्र 11:39 pm तक*
*योग- व्याघात योग, 4:47 pm तक (अशुभ है)*
*करण- बालव करण 5:47 pm तक*
*सूर्योदय- 5:23 am, सूर्यास्त 7:19 pm*
*चंद्रराशि- चंद्र कर्क राशि मे 11:39 pm तक तदोपरान्त सिंह राशि।*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:53 am से 12:49 pm तक*
*राहुकाल- 3:50 pm से 5:35 pm तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- उत्तर दिशा।*

*जून शुभ दिन:-* 11, 12, 13, 16, 19 (सायंकाल 5 उपरांत), 20 (सायंकाल 6 तक), 21 (सायंकाल 7 उपरांत), 22, 24 (दोपहर 12 तक), 25 (सवेरे 9 उपरांत), 26, 27 (सायंकाल 7 तक), 28 (सवेरे 6 उपरांत), 29, 30.
*जून अशुभ दिन:-* 14, 15, १17, 18, 23.

*गण्डमूल आरम्भ:- 10 जून अश्लेषा ऩक्षत्र 9:40 pm से लेकर 12/13 जून मध्यरात्रि मघा नक्षत्र 2:12 am तक गंडमूल रहेगें।* गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।

*सर्वार्थ सिद्ध योग:- 11 जून 5:23 am से 11 जून, 11:39 pm तक* (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
11 जून- स्कन्द षष्ठी। 14 जून- मासिक दुर्गाष्टमी/धूमावती जयन्ती। 15 जून- महेश नवमी/मिथुन संक्रान्ति। 16 जून-गंगा दशहरा। 17 जून-गायत्री जयन्ती/ ईद-उल-जुहा/बकरीद। 18 जून- निर्जला एकादशी/रामलक्ष्मण द्वादशी। 19 जून-प्रदोष व्रत। 21 जून- वट पूर्णिमा व्रत। 22 जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा/कबीरदास जयन्ती। 25 जून-संकष्टी चतुर्थी। 28 जून- कालाष्टमी।
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*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
9129998000

08/06/2024

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*धारावाहिक लेख:- सुख-शांति तथा धन प्राप्ति हेतु उपाय, भाग-4*

28. दीपावली के पांच पर्व होते हैं (धनतेरस, चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया)। पांचों दिन दीपक (चार छोटे, एक बड़ा) जरूर जलाएं। दीपक रखने से पहले खील, चावल रखें तथा उस पर दीपक रखें। धन की वृद्धि सदा बनी रहेगी।

29. एक मुट्ठी अखंडित बासमती चावल को बहते जल में महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए छोड़ने से, धन की वृद्धि बनी रहती है।

30. शनिवार के दिन एक मुठ्ठी काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उतारकर चलते पानी मे प्रवाहित करने से धन हानि बंद हो जायेगी।

31. रोज कार्यस्थल पर जाने से पहले निम्नलिखित मंत्र का एक माला जप करें-
*‘ऊँ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृह धनं पूरय पूरय चिन्तायै दूरय दूरय स्वाहा’’।* इससे व्यवसाय तथा धनागमन में अद्भुत लाभ होगा।

32. लकडी की एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर कच्छप रूपी श्रीयंत्र को स्थापित करके सात कौड़ियों को लक्ष्मी जी के ऊपर से उतारते हुए उनके चरणों में रखें। कौड़ियों को उतारते समय निम्न मंत्र का जाप करें। मंत्र:- *ऊँ श्रीं ह्रीं महालक्ष्मी मम गृह आगच्छ स्थिर फट्’’।।*
इस उपाय से लक्ष्मी जी का घर मे स्थिर निवास रहेगा।

33. शुक्लपक्ष की प्रतिपदा अर्थात पहली तिथि से लेकर पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात को चंद्रोदय के उपरांत केले के पत्ते पर दही-भात (चावल) रखकर चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोग लगाकर बांटे। चंद्रदेव प्रसन्न होकर अकस्मात धन प्रदान करते है।

34. आंवले के फल, गाय के गोबर में, शंख में, कमल में और सफेद वस्त्रों में लक्ष्मी का वास रहता है। इनका प्रयोग करना चाहिए, आंवला सदा घर में रखना चाहिए। धन आने के मार्ग खुलते है।

35. प्रतिदिन दुकान के गल्ले के नीचे काली गुंजा के दाने डालकर निम्न मंत्र का 5 माला जप करें और रोज महालक्ष्मी जी के सामने दीपक जलाएं। व्यवसाय में होने वाली हानि रुक जायेगी।
मंत्र- *‘‘ऊँ ऐं ह्रीं विजय वर दाय देवी मम’’।*

36. कमल के बीज के 108 दाने घी में डुबोकर एक-एक करके अग्नि में लक्ष्मी मंत्र का जाप करते हुए समर्पित करके आहुति देंने से घर की दरिद्रता दूर होती है, तथा धन की प्राप्ति होती है।

37. दुकान के गल्ले में कमल के बीज के साथ प्राणप्रतिष्ठित श्री यंत्र रखकर रोज धूप दीप दिखाने से धन की कमी नहीं रहती।

38. दीपावली की सुबह को गन्ने की जड़ को लाकर रात्रि को लक्ष्मी पूजन में इसकी भी पूजा करने से धन में लाभ मिलता है।

*(समाप्त)*
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*आगामी लेख:-*
*1. कल 6 जून से 9 जून के पंचांग मे चार भागो मे "सुख-शांति तथा धन प्राप्ति हेतु उपाय" विषय पर धारावाहिक लेख।*
*2. 10 जून के पंचांग मे "विनायक चतुर्थी" विषय पर लेख।*
*3. 11 जून के पंचांग मे "धूमावती जयंती" विषय पर लेख।*
*4. 12 जून के पंचांग मे "मिथुन सक्रांति" विषय पर लेख।*
*5. 13 जून के पंचांग मे "गंगा दशहरा" विषय पर लेख।*
*6. 14 जून के पंचांग मे "निर्जला एकादशी" विषय पर लेख।*
*7. 15 जून के पंचांग मे "शनि वक्री" विषय पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*रविवार, 9.06.2024*
*श्री संवत 2081, कालयुक्त*
*शक संवत् 1946*
*सूर्य अयन- उत्तर दक्षिणायण, उत्तर गोल*
*ऋतुः- वर्षा ग्रीष्म ऋतुः।*
*मास:- ज्येष्ठ मास।*
*पक्ष- शुक्ल पक्ष।*
*तिथि- तृतीया तिथि, 8:44 pm तक।*
*नक्षत्र- पुनर्वसु नक्षत्र 8:20 pm तक*
*योग- वृद्धि योग, 5:21 pm तक (शुभ है)*
*करण- गर करण 3:44 am तक*
*सूर्योदय- 5:23 am, सूर्यास्त 7:18 pm*
*चंद्रराशि- चंद्र मिथुन राशि मे 2:07 pm तक तदोपरान्त कर्क राशि।*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:53 am से 12:48 pm तक*
*राहुकाल- 5:34 pm से 7:10 pm तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- पश्चिम दिशा।*

*जून शुभ दिन:-* 9, 10 (दोपहर 4 उपरांत), 11, 12, 13, 16, 19 (सायंकाल 5 उपरांत), 20 (सायंकाल 6 तक), 21 (सायंकाल 7 उपरांत), 22, 24 (दोपहर 12 तक), 25 (सवेरे 9 उपरांत), 26, 27 (सायंकाल 7 तक), 28 (सवेरे 6 उपरांत), 29, 30.
*जून अशुभ दिन:-* 14, 15, १17, 18, 23.

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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
9 जून-महाराणा प्रताप जयन्ती। 10 जून- विनायक चतुर्थी। 11 जून- स्कन्द षष्ठी। 14 जून- मासिक दुर्गाष्टमी/धूमावती जयन्ती। 15 जून- महेश नवमी/मिथुन संक्रान्ति। 16 जून-गंगा दशहरा। 17 जून-गायत्री जयन्ती/ ईद-उल-जुहा/बकरीद। 18 जून- निर्जला एकादशी/रामलक्ष्मण द्वादशी। 19 जून-प्रदोष व्रत। 21 जून- वट पूर्णिमा व्रत। 22 जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा/कबीरदास जयन्ती। 25 जून-संकष्टी चतुर्थी। 28 जून- कालाष्टमी।
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*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश श*
9648023364
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06/06/2024

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*धारावाहिक लेख:- सुख-शांति तथा धन प्राप्ति हेतु उपाय, भाग-2*

1. ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी गणेश और धन की देवी लक्ष्मी हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेश-लक्ष्मी यंत्र लाकर विधिपूर्वक उसकी प्राण-प्रतिष्ठा कर घर के मंदिर मे उसकी स्थापना करके प्रतिदिन इनकी पूजा करने से घर में धन-सम्पत्ति की कमी नहीं रहती है।

2. शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार को ‘श्री यंत्र’ और ‘कुबेर यंत्र’ की विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा करके प्रतिदिन इनकी पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

3. लक्ष्मी जी पूजा में 11 कौड़ियां लक्ष्मी पर चढ़ाकर अगले दिन कौड़ियों को लाल रूमाल या लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखने से धन में वृद्धि होती है।

4. लगातार इक्कीस वृहस्पतिवार, पति-पत्नी प्रातः स्नान करने के उपरांत विष्णु मंदिर में एक साथ जाएं और वहां लक्ष्मी जी को कमलगट्टे की माला तथा नारायण भगवान को वैजयंती माला चढ़ाकर, जलेबी का भोग लगाकर अधिक से अधिक संख्या मे बांटे तो सुख-समृद्धि मे वृद्धि होती जायेगी तथा धन की कमी नहीं रहेगी।

5. लक्ष्मी पूजन के समय लक्ष्मी को कमल अर्पित करके और कमल गट्टे की माला से जाप लक्ष्मी जी के एकाक्षर मंत्र का जाप करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है, जिससे घर मे लक्ष्मी का वास होता है।

6. शुक्रवार के दिन शंख तथा श्रीयंत्र का पूजन करने से धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।

7. शुक्रवार के दिन पूजा के बाद अपामार्ग की जड़ दाईं भुजा में बांधने से आर्थिक समस्याएं समाप्त होंगी।

8. शुक्रवार के दिन तांबे के कलश मे जल भरकर रसोई घर में कपड़े से ढँककर रखने से घर में बरकत और खुशहाली रहेगी।

9. दीपावली के दिन इमली के पेड़ की टहनी काटकर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान में रखने से धन में वृद्धि होगी।

10. दीपावली के दिन सायंकाल को बरगद की जटा में गांठ लगा देंने से अचानक धन मिलता है, धन मिलने के बाद उस गांठ को खोल देंना चाहिए।

11. वृहस्पतिवार तथा शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल, चीनी, दूध और काले तिल मिलाकर डालकर, तिल के तेल का दीया जाकर उसकी सात परिक्रमा करने से तमाम संकट कट जाते है, तथा आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।

12. यदि पैसा कहीं फंस गया हो तो दीपावली के दिन प्रातःकाल जल में लाल मिर्च के 21 बीज डालकर सूर्य को अर्पित करने से फंसा हुआ पैसा निकल आता हो।

*(क्रमशः)*
*लेख के तृतीय भाग मे कल अन्य उपाय।*
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*आगामी लेख:-*
*1. कल 6 जून से 9 जून के पंचांग मे चार भागो मे "सुख-शांति तथा धन प्राप्ति हेतु उपाय" विषय पर धारावाहिक लेख।*
*2. 10 जून के पंचांग मे "विनायक चतुर्थी" विषय पर लेख।*
*3. 11 जून के पंचांग मे "धूमावती जयंती" विषय पर लेख।*
*4. 12 जून के पंचांग मे "मिथुन सक्रांति" विषय पर लेख।*
*5. 13 जून के पंचांग मे "गंगा दशहरा" विषय पर लेख।*
*6. 14 जून के पंचांग मे "निर्जला एकादशी" विषय पर लेख।*
*7. 15 जून के पंचांग मे "शनि वक्री" विषय पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*शुक्रवार, 7.06.2024*
*श्री संवत 2081, कालयुक्त*
*शक संवत् 1946*
*सूर्य अयन- उत्तर दक्षिणायण, उत्तर गोल*
*ऋतुः- वर्षा ग्रीष्म ऋतुः।*
*मास:- ज्येष्ठ मास।*
*पक्ष- शुक्ल पक्ष।*
*तिथि- प्रतिपदा तिथि, 4:44 pm तक।*
*नक्षत्र- मृगशिरा नक्षत्र 7:43 pm तक*
*योग- शूल योग, 8:05 pm तक (अशुभ है)*
*करण- बव करण 4:44 am तक*
*सूर्योदय- 5:23 am, सूर्यास्त 7:18 pm*
*चंद्रराशि- चंद्र वृष राशि मे 7:56 am तक तदोपरान्त मिथुन राशि।*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:52 am से 12:48 pm तक*
*राहुकाल- 10:56 am से 12:20 pm तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- दक्षिण दिशा।*

*जून शुभ दिन:-* 8, 9, 10 (दोपहर 4 उपरांत), 11, 12, 13, 16, 19 (सायंकाल 5 उपरांत), 20 (सायंकाल 6 तक), 21 (सायंकाल 7 उपरांत), 22, 24 (दोपहर 12 तक), 25 (सवेरे 9 उपरांत), 26, 27 (सायंकाल 7 तक), 28 (सवेरे 6 उपरांत), 29, 30.
*जून अशुभ दिन:-* 7, 14, 15, १17, 18, 23.

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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
9 जून-महाराणा प्रताप जयन्ती। 10 जून- विनायक चतुर्थी। 11 जून- स्कन्द षष्ठी। 14 जून- मासिक दुर्गाष्टमी/धूमावती जयन्ती। 15 जून- महेश नवमी/मिथुन संक्रान्ति। 16 जून-गंगा दशहरा। 17 जून-गायत्री जयन्ती/ ईद-उल-जुहा/बकरीद। 18 जून- निर्जला एकादशी/रामलक्ष्मण द्वादशी। 19 जून-प्रदोष व्रत। 21 जून- वट पूर्णिमा व्रत। 22 जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा/कबीरदास जयन्ती। 25 जून-संकष्टी चतुर्थी। 28 जून- कालाष्टमी।
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*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
9129998000

05/06/2024

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*धारावाहिक लेख:- सुख-शांति तथा धन प्राप्ति हेतु उपाय, भाग-1*

1. शुक्रवार को स्नानादि के उपरांत, घर के मंदिर मे बैठकर हल्दी, चन्दन तथा केसर के घोल से एक छोटे से सफेद कागज पर "ऊँ" तथा दूसरे कागज पर "श्री" लिख ले, यह सब करते तथा लिखते हुए "ऊं तथा श्री" का उच्चारण करते रहना चाहिए। तत्पश्चात इन्हें लकडी की चौकी पर रखकर धूप-दीप प्रज्वलित करके इनका पूजन करने के बाद ग्यारह-२ बार "पुरूष सूक्त" तथा "श्री सूक्त" का पाठ करे, तत्पश्चात इन्हें मुख्यद्वार के दोनों और लगा दे।

इस प्रक्रिया को शुक्रवार को करते हुए पुराने कागजों को प्रवाह करके उनकी जगह नयें कागज लगा दे।
श्रद्धा पूर्वक ऐसा करते रहनें से शीघ्र ही दिन फिरने लग जाते हैं, उन्नति-तरक्की के द्वार खुलने लगते है, घर मे धन का निर्विघ्न आगमन होने लगता हैं। घर मे सब कुछ व्यवस्थित रूप से चलने लगता है।

2. लगातार सोलह शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को मालपुआ का भोग लगाकर उसे सुहागिन स्त्रिओ, कन्याओं तथा गरीबों में बांटने से चढ़ा हुआ कर्जा उतरना शुरू हो उतर जाता है, यानि धन का आगमन होने लगता है, तथा रूके हुए कार्य बनने लगते हैं।

3. बुधवार, सकंट चतुर्थी तथा भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को प्रातःकाल हाथी को गन्ना खिलाने से सकंटो से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति किसी भी प्रकार के बंधन से मुक्त होकर भयमुक्त जीवन जीता है ।

4. प्रत्येक माह सक्रांति के दिन किसी भी धर्मस्थान (गुरूद्वारा-मंदिर इत्यादि) मे भण्डारे हेतु 108 किलो गेहूं (आटा), 27 किलो आलू, तथा 9 किलो सीताफल का दान देने का नियम बना ले। ऐसा नियमित रूप से करते रहने से घर तथा कार्य मे बरकत पडने लगती हैं, घर तथा व्यवसायिक स्थल के सदस्यों मे आपसी तालमेल तथा लगाव बढता है। नकारात्मकता दूर होती हैं, तथा धन का आगमन होने लगता है।

5. शनिवार शाम के समय को काली हल्दी, सिंदूर तथा गुग्गुल की धूप से काली माता की पूजा के बाद निम्नलिखित मंत्र का ग्यारह माला का जाप करने के उपरांत चांदी के दो सिक्के के साथ लाल कपड़े में लपेटकर धन के स्थान पर रखें तो आर्थिक समस्याएं समाप्त होने लगती हैं, तथा धन का आगमन होने लगता है। ऐसा कष्ट समाप्त होने या लगातार ग्यारह महीने तक अवश्य करना चाहिए ।

*मंत्र:-*
*काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।*
*सर्वनन्दकरि देवी नारायणी नमोऽस्तुते ॥*

6. सुबह-शाम घर मे पूजन के बाद आरती के समय घंटी बजाने तथा शंख ध्वनि करनें से घर से नकारात्मकता का निष्कासन होता है, दरिद्रता जाती रहती है, तथा घर मे लक्ष्मी का वास होता है।

*(क्रमशः)*
*लेख के द्वितीय भाग मे कल अन्य उपाय।*
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*आगामी लेख:-*
*1. कल 6 जून से 9 जून के पंचांग मे चार भागो मे "सुख-शांति तथा धन प्राप्ति हेतु उपाय" विषय पर धारावाहिक लेख।*
*2. 10 जून के पंचांग मे "विनायक चतुर्थी" विषय पर लेख।*
*3. 11 जून के पंचांग मे "धूमावती जयंती" विषय पर लेख।*
*4. 12 जून के पंचांग मे "मिथुन सक्रांति" विषय पर लेख।*
*5. 13 जून के पंचांग मे "गंगा दशहरा" विषय पर लेख।*
*6. 14 जून के पंचांग मे "निर्जला एकादशी" विषय पर लेख।*
*7. 15 जून के पंचांग मे "शनि वक्री" विषय पर लेख।*
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☀️

*जय श्री राम*
*कल का पंचांग🌹🌹🌹*
*वृहस्पतिवार, 6.06.2024*
*श्री संवत 2081, कालयुक्त*
*शक संवत् 1946*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, उत्तर गोल*
*ऋतुः- ग्रीष्म ऋतुः।*
*मास:- ज्येष्ठ मास।*
*पक्ष- कृष्ण पक्ष।*
*तिथि- अमावस्या तिथि, 6:07 pm तक।*
*नक्षत्र- रोहिणी नक्षत्र 8:16 pm तक*
*योग- धृति योग, 10:09 pm तक (अशुभ है)*
*करण- चतुष्पाद करण 6:58 am तक*
*सूर्योदय- 5:23 am, सूर्यास्त 7:17 pm*
*चंद्रराशि- चंद्र वृष राशि मे।*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:52 am से 12:48 pm तक*
*राहुकाल- 2:04 pm से 3:49 pm तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- दक्षिण दिशा।*

*जून शुभ दिन:-* 8, 9, 10 (दोपहर 4 उपरांत), 11, 12, 13, 16, 19 (सायंकाल 5 उपरांत), 20 (सायंकाल 6 तक), 21 (सायंकाल 7 उपरांत), 22, 24 (दोपहर 12 तक), 25 (सवेरे 9 उपरांत), 26, 27 (सायंकाल 7 तक), 28 (सवेरे 6 उपरांत), 29, 30.
*जून अशुभ दिन:-* 6, 7, 14, 15, १17, 18, 23.

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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
6 जून-ज्येष्ठ अमावस्या/दर्श-भावुका अमावस्या/शनि जयन्ती/वट सावित्री व्रत/रोहिणी व्रत। 9 जून-महाराणा प्रताप जयन्ती। 10 जून- विनायक चतुर्थी। 11 जून- स्कन्द षष्ठी। 14 जून- मासिक दुर्गाष्टमी/धूमावती जयन्ती। 15 जून- महेश नवमी/मिथुन संक्रान्ति। 16 जून-गंगा दशहरा। 17 जून-गायत्री जयन्ती/ ईद-उल-जुहा/बकरीद। 18 जून- निर्जला एकादशी/रामलक्ष्मण द्वादशी। 19 जून-प्रदोष व्रत। 21 जून- वट पूर्णिमा व्रत। 22 जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा/कबीरदास जयन्ती। 25 जून-संकष्टी चतुर्थी। 28 जून- कालाष्टमी।
______________________

*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
9129998000

04/06/2024

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*लेख:-घर से नकारात्मकता हटाने का सरल प्रयोग:-*

घर या कारोबार में बरकत न हो, अथवा एक के बाद एक मुसीबत आ जातीं हो, घर-परिवार के सदस्यों मे आपसी संबंधो मे कटुता या द्वेष की भावना आती जा रही हो, इस प्रकार की नकारात्मकता से घर को बचना अति आवश्यक हो जाता है, इसके लिए एक सरल सा उपाय अत्यंत कारगर सिद्ध होता है

इस नकारात्मकता को हटाने के लिए घर के सभी सदस्य प्रतिदिन एकत्र होकर घी, चावल, काले तिल, जौ, गुड़, कपूर, गूगल, चंदन-चूरा इन आठ चीजों का मिश्रण बना के गाय के गोबर के कंडे पर ५-५ आहुतियाँ दें ।

कुछ ही दिन तक लगातार इस प्रयोग को करने से आपके घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है, स्वास्थ्य के विकार ठीक हो जाते है, आर्थिक स्थिति भी अच्छी होगी । कामों तथा धन मे बरकत पडने लगती हैं तथा अन्य उपद्रव भी शांत हो जाते हैं ।

*(समाप्त)*
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*आगामी लेख:-*
*1. कल 6 जून से 9 जून के पंचांग मे चार भागो मे "सुख-शांति तथा धन प्राप्ति हेतु उपाय" विषय पर धारावाहिक लेख।*
*2. 10 जून के पंचांग मे "विनायक चतुर्थी" विषय पर लेख।*
*3. 11 जून के पंचांग मे "धूमावती जयंती" विषय पर लेख।*
*4. 12 जून के पंचांग मे "मिथुन सक्रांति" विषय पर लेख।*
*5. 13 जून के पंचांग मे "गंगा दशहरा" विषय पर लेख।*
*6. 14 जून के पंचांग मे "निर्जला एकादशी" विषय पर लेख।*
*7. 15 जून के पंचांग मे "शनि वक्री" विषय पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*बुधवार, 5.06.2024*
*श्री संवत 2081, कालयुक्त*
*शक संवत् 1946*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, उत्तर गोल*
*ऋतुः- ग्रीष्म ऋतुः।*
*मास:- ज्येष्ठ मास।*
*पक्ष- कृष्ण पक्ष।*
*तिथि- चतुर्दशी तिथि, 7:54 pm तक।*
*नक्षत्र- कृतिका नक्षत्र 9:16 pm तक*
*योग- सुकर्मा योग, 6 जून 12:36 am तक (शुभ है)*
*करण- विष्टि करण 8:56 am तक*
*सूर्योदय- 5:23 am, सूर्यास्त 7:17 pm*
*चंद्रराशि- चंद्र वृष राशि मे।*
*अभिजित् नक्षत्र- कोई नही*
*राहुकाल- 12:12 pm से 2:04 pm तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- उत्तर दिशा।*

*जून शुभ दिन:-* 8, 9, 10 (दोपहर 4 उपरांत), 11, 12, 13, 16, 19 (सायंकाल 5 उपरांत), 20 (सायंकाल 6 तक), 21 (सायंकाल 7 उपरांत), 22, 24 (दोपहर 12 तक), 25 (सवेरे 9 उपरांत), 26, 27 (सायंकाल 7 तक), 28 (सवेरे 6 उपरांत), 29, 30.
*जून अशुभ दिन:-* 5, 6, 7, 14, 15, १17, 18, 23.

*सर्वार्थ सिद्ध योग:- 4 जून 10:35 am से 6 जून, 5:23 am तक* (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
6 जून-ज्येष्ठ अमावस्या/दर्श-भावुका अमावस्या/शनि जयन्ती/वट सावित्री व्रत/रोहिणी व्रत। 9 जून-महाराणा प्रताप जयन्ती। 10 जून- विनायक चतुर्थी। 11 जून- स्कन्द षष्ठी। 14 जून- मासिक दुर्गाष्टमी/धूमावती जयन्ती। 15 जून- महेश नवमी/मिथुन संक्रान्ति। 16 जून-गंगा दशहरा। 17 जून-गायत्री जयन्ती/ ईद-उल-जुहा/बकरीद। 18 जून- निर्जला एकादशी/रामलक्ष्मण द्वादशी। 19 जून-प्रदोष व्रत। 21 जून- वट पूर्णिमा व्रत। 22 जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा/कबीरदास जयन्ती। 25 जून-संकष्टी चतुर्थी। 28 जून- कालाष्टमी।
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*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
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03/06/2024

☀️

*लेख:- ज्येष्ठ अमावस्या (6.06.2024)*

*अमावस्या तिथि आरंभ:- 5 जून 7:54 pm*
*अमावस्या तिथि समाप्त:- 6 जून 6:07 pm*

अमावस्या के दिन ब्रह्माण्ड मे विशिष्ट प्रकार की तरंगों का निष्कासन होता है, जिससे विशिष्ट प्रकार के कार्यों का निष्पादन सफलतापूर्वक किया जा सकता है, जैसे पितरो की सदगति, पितृदोष निवारण, पिंड़दान, तर्पण, कालसर्प योग निवारण अनुष्ठान, पापो का क्षय करके पुण्य प्राप्त करना, स्नान-दान, जप-अनुष्ठान, सिद्धि प्राप्ति करने हेतू अवसर, मारण, मोह, अभिचारक कर्म करने का सर्वोत्तम दिन-समय होता है, अमावस्या ।

*इसमे भी यदि अमावस्या ज्येष्ठ मास की अमावस्या हो तो इसे कहते हैं "सोने पे सुहागा" अर्थात ज्येष्ठ मास की अमावस्या वाले दिन ही "शनि जयंती" तथा "वट सावित्री" का पर्व मनाया जाता है, तीन-२ बडे पर्व एक ही दिन होने की वजह से ज्येष्ठ अमावस्या तथा इस दिन का महत्व तथा पुण्य प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है ।*

वर्ष के प्रत्येक अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का महत्व है। किन्तु ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जंयती होने के कारण अमावस्या का यह दिन विशेष फलदायी हो जाता है ।

शास्त्रो मे ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष माहात्म्य (महत्व) क्हा गया है, अत्यंत पवित्र दिन होने की वजह से इस एक दिन विभिन्न पुण्य कर्म करके अपने मनोरथो को पूर्ण कर सकते है ।

चंद्रमा मन का स्वामी है। यह मनोबल बढ़ाने और पितरों का अनुग्रह प्राप्त कराने में सबसे ज्यादा सहायक होता है। सूर्य की सहस्र किरणों में प्रमुख "अमा नाम की किरण", अमावस्या के दिन यह किरण चन्द्रमा में निवास करती है, अमावस्या को इसलिए भी अक्षय फल देने वाली माना जाता है।

सूर्य तथा चंद्रमा जब एक ही राशि में आते हैं, तब अमावस्या होती है । अमावस्या को किए गए पूजा पाठ, अनुष्ठान विशेष रूप से पितरों के लिए हैं।
शास्त्रो मे कहा गया है, कि अमावस्या को उत्पन्न (जन्म लिया) बालक पितृ होता है।

*ज्येष्ठ अमावस्या पर किए जाने वाले कार्य :-*

*1. गंगा स्नान या पवित्र नदी स्नान ।*
*2. व्रत तथा भगवान शिव का पूजन ।*
*3. पीपल पूजन*
*4. तुलसी पूजन*
*5. पितृ तर्पण या पिंडदान ।*
*6. ब्राह्मण भोजन ।*
*7. दान तथा पुण्य कार्य ।*

*ज्येष्ठ अमावस्या के अन्य उपाय :-*
1. जिन व्यक्तियों के जीवन मे किसी भी वजह से धन की कमी बनी रहती है, वह विधिपूर्वक आज के दिन से निंरतर सूर्यदेव को जल दे तो धनाभाव शीघ्र समाप्त होगा ।

2. ज्येष्ठ अमावस्या को 108 बार तुलसी की परिक्रमा करने से विवाहित जीवन की परेशानियां समाप्त होकर दाम्पत्य जीवन मे मिठास आती है, सुहाग बना रहता है ।

3. इस दिन पीपल की पूजा करने से भाग्य की वृद्धि होती है, स्त्रियों के पति की आयु बढती है,
यदि पीपल पूजन के बाद गरीबो को भोजन करवाया जाये तो कार्यसिद्धि, सफलता, यश तथा धन मिलता है ।

4. इस दिन यदि कमजोर मानसिक स्थिति वाले, क्रोध करने वाले, या Depression वाले लोग चितकबरी गाय को दही-चावल खिलाये तो उन्हे मानसिक शांति मिलती है ।

5. नौकरी- व्यापार, संतान संबंधी या विवाह संबंधी परेशानियो के निवारण के लिए पीपल की वृक्ष की पूजा मे जनेऊ अर्पित करने के बाद दूसरा जनेऊ विष्णु जी के नाम से वही चढाये, फिर वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करे, प्रत्येक परिक्रमा पूरी होने पर दूध से बनी मिठाई का एक पीस अर्पित करे तथा हर परिक्रमा के साथ निम्नलिखित मंत्र का जाप करे ।

*।। ॐनमो भगवते वासुदेवाय ।।*

108 परिक्रमा पूरी होने के बाद विष्णु जी से अपने जाने-अनजाने मे किये अपराध के लिए क्षमा मांगकर अपने मनोरथ या इच्छा को कहे ( मांगे ), श्रद्धापूर्वक की गयी पूजा तथा कामना अवश्य पूर्ण होगी । अधिक से अधिक पुण्य अर्जित करने का स्वर्णिम अवसर है, ज्येष्ठ अमावस्या । इस दिन प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार कम या अधिक मात्रा में धर्म-कर्म से संबंधित कार्य अवश्य करने चाहिए ।

*(समाप्त)*
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*आगामी लेख:-*
*1. 4 जून के पंचांग मे "ज्येष्ठ अमावस्या" विषय पर लेख।*
*2. कल 5 जून के पंचांग मे "भगवान शिव तथा पार्वती माता की पुत्री अशोक सुंदरी" विषय पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*मंगलवार, 4.06.2024*
*श्री संवत 2081, कालयुक्त*
*शक संवत् 1946*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, उत्तर गोल*
*ऋतुः- ग्रीष्म ऋतुः।*
*मास:- ज्येष्ठ मास।*
*पक्ष- कृष्ण पक्ष।*
*तिथि- त्रयोदशी तिथि, 10:01 pm तक।*
*नक्षत्र- भरणी नक्षत्र 10:35 pm तक*
*योग- शोभन योग, 6:12 am तक (शुभ है)*
*करण- गर करण 11:08 am तक*
*सूर्योदय- 5:23 am, सूर्यास्त 7:16 pm*
*चंद्रराशि- चंद्र मेष राशि मे 5 जून 4:14 am तक तदोपरान्त वृष राशि।*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:52 am से 12:47 pm तक*
*राहुकाल- 3:48 pm से 5:32 pm तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- उत्तर दिशा।*

*जून शुभ दिन:-* 8, 9, 10 (दोपहर 4 उपरांत), 11, 12, 13, 16, 19 (सायंकाल 5 उपरांत), 20 (सायंकाल 6 तक), 21 (सायंकाल 7 उपरांत), 22, 24 (दोपहर 12 तक), 25 (सवेरे 9 उपरांत), 26, 27 (सायंकाल 7 तक), 28 (सवेरे 6 उपरांत), 29, 30.
*जून अशुभ दिन:-* 4, 5, 6, 7, 14, 15, १17, 18, 23.
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
4 जून- प्रदोष व्रत/ मासिक शिवरात्रि। 6 जून-ज्येष्ठ अमावस्या/दर्श-भावुका अमावस्या/शनि जयन्ती/वट सावित्री व्रत/रोहिणी व्रत। 9 जून-महाराणा प्रताप जयन्ती। 10 जून- विनायक चतुर्थी। 11 जून- स्कन्द षष्ठी। 14 जून- मासिक दुर्गाष्टमी/धूमावती जयन्ती। 15 जून- महेश नवमी/मिथुन संक्रान्ति। 16 जून-गंगा दशहरा। 17 जून-गायत्री जयन्ती/ ईद-उल-जुहा/बकरीद। 18 जून- निर्जला एकादशी/रामलक्ष्मण द्वादशी। 19 जून-प्रदोष व्रत। 21 जून- वट पूर्णिमा व्रत। 22 जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा/कबीरदास जयन्ती। 25 जून-संकष्टी चतुर्थी। 28 जून- कालाष्टमी।
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*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
9129998000

02/06/2024

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*लेख:- शनि जंयती (6 जून 2024)*

*अमावस्या तिथि आरंभ- 5 जून 7:54 pm*
*अमावस्या तिथि समाप्त- 6 जून 6:07 pm*

हिन्दु धर्म ग्रंथों के अनुसार "ज्येष्ठ अमावस्या" के दिन न्याय के देवता शनि देव का जन्म हुआ था।
पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण उत्तर भारत में शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या को ही मनाई जाती है। अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार यह तारीख वर्ष 2024 मे 6 जून को मनाई जायेगी।

वहीं इसके विपरीत दक्षिणी भारत के अमावस्यांत पंचांग के अनुसार शनि जयंती वैशाख अमावस्या को मनाई जाती है।

संयोगवश उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती के साथ-साथ वटसावित्री व्रत भी रखा जाता है। इस प्रकार 6 जून को, यानि एक ही दिन में तीन बड़े पर्व पड़ रहें है, जिससे इन तीनों ही पर्वो का महत्व और अधिक हो जाता है।

वर्ष के प्रत्येक अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का अत्यंत महत्व है। किन्तु ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री पूजा एवम शनि जंयती दो बडे पर्व होने से अमावस्या का यह दिन विशेष फलदायी हो जाता है ।

*शनि जन्म:-*
शनि जन्म के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं ।

सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ कुछ समय पश्चात उन्हें तीन संतानो के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई । विवाह के उपरांत कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ निर्वाह किया परंतु संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं उनके लिए सूर्य का तेज सहन कर पाना मुश्किल होता जा रहा था . इसी वजह से संज्ञा ने अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़ कर वहां से चली चली गईं. कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ ।

शनि के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं। इनका वर्ण कृष्ण है तथा गिद्ध इनका वाहन है । फलित ज्योतिष के अनुसार शनि को अशुभ माना जाता है व 9 ग्रहों में शनि का स्थान सातवां है। ये एक राशि में तीस महीने तक रहते हैं तथा यह मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने जाते हैं ।

शनि देव को काला या कृष्ण वर्ण का बताया जाता है इसलिए इन्हें काला रंग अधिक प्रिय है. शनि देव काले वस्त्रों में सुशोभित हैं। जन्म के समय से ही शनि देव श्याम वर्ण, लंबे शरीर, बड़ी आंखों वाले और बड़े केशों वाले थे । यह न्याय के देवता हैं, शनिदेव योगी, तपस्या में लीन और हमेशा दूसरों की सहायता करने वाले होते हैं ।

शनि ग्रह को न्याय का देवता या दण्डाधिकारी कहा जाता है यह जीवों को अच्छे तथा बुरे सभी कर्मों का फल प्रदान करते हैं। शनिदेव बहुत ही न्यायप्रिय हैं।

यदि मनुष्य किसी से धोखा-धड़ी नहीं करते, किसी के साथ अन्याय नहीं करते, किसी पर कोई जुल्म या अत्याचार नहीं करते, अर्थात जो मनुष्य बुरे कामों में संलिप्त नहीं हैं, अर्थात वह मनुष्य जो सन्मार्ग पर चलते है, उन मनुष्यों को शनिदेव से घबराने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि शनिदेव उन मनुष्यों को कोई कष्ट नहीं देते। परंतु जो व्यक्ति चरित्रहीन, बुरे कर्मो मे लिप्त तथा पाश्विक प्रवृत्ति के होते है, उन्हे शनिदेव कठोर दण्ड देते है, तब इनके कोप से देव, दानव तथा मनुष्य कोई भी बच नही पाता।

*शनि जयंती पूजा का महत्व:-*
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनिदेव के कोप से ग्रसित मनुष्यो तथा अन्य सभी मनुष्यों को भी शनिकृपा पाने के लिए शनि देव की पूजा करनी चाहिए। इससे शनि दोष से मुक्ति मिलती है।

जो व्यक्ति शनि की ढैय्या या साढेसाती से पीड़ित होते हैं, शनिजयंती के दिन शनि पूजा के द्वारा अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

*शनि जयंती पूजा:-*

*शनिदेव पूजन के कुछ सामान्य नियम :-*
1. 6 जून सूर्योदय से पहले शरीर पर सरसों का तेल लगाकर स्नान करे ।

2. तत्पश्चात पंचदेव तथा नवग्रह के पूजन के उपरांत शनिदेव के निमित्त विधि-विधान से पूजा पाठ तथा व्रत किया जाता है ।

3. शनि पूजा या दर्शन से पहले हनुमान जी के पूजन दर्शन भी जरूर करने चाहिये।

4. तत्पश्चात शनिदेव की लोहे की मूर्ति या काले संगमरमर की मूर्ति स्थापित करें या मंदिर जाकर वहां स्थापित मूर्ति का सरसों के तेल से अभिषेक करे तथा षोड्शोपचार पूजन करें, यदि व्रत रखना हो तो व्रत का संकल्प करे।

5. शनिदेव के पूजन मे उनको नीले फूल, शमी के पत्ते, काले तिल, सरसों का तेल आदि अर्पित करना चाहिए, उसके बाद शनि चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में शनि देव की आरती करें।

6. तत्पश्चात शनिदेव के मंत्र का जाप, शनि चालीसा तथा स्तोत्र इत्यादि का श्रद्धापूर्वक पाठ करने के उपरांत अंत में शनि देव की आरती करना चाहिए।

7. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का अत्यंत महत्व है, अतः देवपूजन तथा पितृपूजन के उपरांत पीपल पूजन भी अवश्य करना चाहिए।

*शनिजयंती के कृत्य तथा अकृत्य कर्म:-*
1. शनि जयंती या शनि पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।

2. इस दिन यात्रा को भी स्थगित कर देना चाहिये।

3. किसी जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को तेल में बने खाद्य पदार्थों का सेवन करवाना चाहिये।

4. गाय और कुत्तों को भी तेल में बने पदार्थ खिलाने चाहिये।

5. बुजूर्गों व जरुरतमंद की सेवा और सहायता भी करनी चाहिये।

6. शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर को देखते समय उनकी आंखो में नहीं देखना चाहिए ।

7. शनिदेव पूजा अथवा व्रत पूर्ण होने के बाद पूजा सामग्री सहित शनिदेव से संबंधित वस्तुओं का दान करें ।

8. शनि की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु तिल ,उड़द, कालीमिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए ।

9. शनि के लिए दान में दी जाने वाली वस्तुएं जैसे काले कपडे, जामुन, काली उडद, काले जूते, तिल, लोहा, तेल, आदि वस्तुओं को शनि के निमित्त डकौत (शनिचरी) को, या हरिजन को दान करे ।

10. इस दिन किसी का अपमान अथवा अनादर न करें, साथ ही कटु भाषा का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

11. अमावस्या के दिन श्रौर कर्म अर्थात बाल- नाखून इत्यादि नहीं काटने चाहिए।

शनि जयंती के अवसर पर शनिदेव के निमित्त विधि-विधान से पूजा पाठ तथा व्रत के साथ
शनिदेव के निम्नलिखित किसी भी स्तोत्र अथवा महामंत्र का जाप करना चाहिए।

*शनिमंत्र:-*

*शनिदेव की कृपा पाने हेतु शनि एकाक्षरी मंत्र :-*

*॥ ॐ शं शनैश्चराय नमः ॥*

*शनिकृपा पाने हेतु अन्य सरल परंतु शक्तिशाली मंत्र :-*
1. *॥ ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥*
2. *॥ ॐ मंदाय नमः ॥*
3. *॥ ॐ सूर्यपुत्राय नमः ॥*
4. *॥ ॐ शनिश्चराय नम:।।*

*शनिकृपा पाने हेतु प्रभावशाली मंत्र :-*
*सूर्यपुत्रो दीर्घदेही विशालाक्षः शिवप्रियः।*
*मंदाचाराः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः॥*

*शांति पाने हेतु शनिमंत्र :-*
*॥ ॐ श्री शनिदेवायः शांति भवः ॥*

*परम पावन शनि वेदमंत्र:-*
*शंनो देवीरभीष्टय आपो भवन्तु पीतये*
*शं योरभिस्त्रवन्तु नः ॐ शं शनैश्चराय नमः ॥*

*शनि गायत्री मंत्र:-*
*ॐ भगभवाय विदमहे मृत्यु रूपाय धीमहि।*
*तन्नो शौरि: प्रचोदयात।*

*(समाप्त)*
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*आगामी लेख:-*
*1. 3 जून के पंचांग मे "शनि जयंती" विषय पर लेख।*
*2. 4 जून के पंचांग मे "ज्येष्ठ अमावस्या" विषय पर लेख।*
*3. 5 जून के पंचांग मे "भगवान शिव तथा पार्वती माता की पुत्री अशोक सुंदरी" विषय पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*सोमवार, 3.06.2024*
*श्री संवत 2081, कालयुक्त*
*शक संवत् 1946*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, उत्तर गोल*
*ऋतुः- ग्रीष्म ऋतुः।*
*मास:- ज्येष्ठ मास।*
*पक्ष- कृष्ण पक्ष।*
*तिथि- द्वादशी तिथि, 4 जून 12:18 am तक।*
*नक्षत्र- अश्विनी नक्षत्र 4 जून 12:05 am तक*
*योग- सौभाग्य योग, 9:11 am तक (शुभ है)*
*करण- कौलव करण 1:29 pm तक*
*सूर्योदय- 5:23 am, सूर्यास्त 7:16 pm*
*चंद्रराशि- चंद्र मेष राशि मे।*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:52 am से 12:47 pm तक*
*राहुकाल- 7:07 am से 8:51 am तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- पूर्व दिशा।*

*जून शुभ दिन:-* 3, 8, 9, 10 (दोपहर 4 उपरांत), 11, 12, 13, 16, 19 (सायंकाल 5 उपरांत), 20 (सायंकाल 6 तक), 21 (सायंकाल 7 उपरांत), 22, 24 (दोपहर 12 तक), 25 (सवेरे 9 उपरांत), 26, 27 (सायंकाल 7 तक), 28 (सवेरे 6 उपरांत), 29, 30.
*जून अशुभ दिन:-* 4, 5, 6, 7, 14, 15, १17, 18, 23.

*गण्डमूल आरम्भ:- 2 जून रेवती ऩक्षत्र 3:16 am से लेकर 3/4 जून मध्यरात्रि अश्विनी नक्षत्र 00:05 am तक गंडमूल रहेगें।* गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
_________________________

*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
4 जून- प्रदोष व्रत/ मासिक शिवरात्रि। 6 जून-ज्येष्ठ अमावस्या/दर्श-भावुका अमावस्या/शनि जयन्ती/वट सावित्री व्रत/रोहिणी व्रत। 9 जून-महाराणा प्रताप जयन्ती। 10 जून- विनायक चतुर्थी। 11 जून- स्कन्द षष्ठी। 14 जून- मासिक दुर्गाष्टमी/धूमावती जयन्ती। 15 जून- महेश नवमी/मिथुन संक्रान्ति। 16 जून-गंगा दशहरा। 17 जून-गायत्री जयन्ती/ ईद-उल-जुहा/बकरीद। 18 जून- निर्जला एकादशी/रामलक्ष्मण द्वादशी। 19 जून-प्रदोष व्रत। 21 जून- वट पूर्णिमा व्रत। 22 जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा/कबीरदास जयन्ती। 25 जून-संकष्टी चतुर्थी। 28 जून- कालाष्टमी।
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
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