Gyanendra Mishra

I am a social worker cm entrepreneur who believes in restoring lost dignities of the people.

Coordinator- Skill Development 11/06/2024

https://talentadda.com/job/mail-uttar-pradesh-full-time-coordinator-skill-development/

Coordinator- Skill Development Coordinator- Skill Development by mail in Project Management Full Time Uttar PradeshJune 11, 2024₹12,000 - ₹15,000 / monthJob Overview Date PostedJune 11, 2024 Location Uttar Pradesh Offered Salary₹12,000 - ₹15,000 / month Expiration date June 21, 2024 Experience 2 Year Gender Both Industry ...

09/06/2024

Participating as Panelist on Building working defination of Rural development in Kingdom of Saudi Arabia

29/05/2024

बहुत ही सटीक विश्लेषण
*नदी से* - पानी नहीं , रेत चाहिए
*पहाड़ से* - औषधि नहीं , पत्थर चाहिए
*पेड़ से* - छाया नहीं , लकड़ी चाहिए
*खेत से* - अन्न नहीं , नकद फसल चाहिए

*उलीच ली रेत, खोद लिए पत्थर,*
*काट लिए पेड़, तोड़ दी मेड़*

रेत से पक्की सड़क , पत्थर से मकान बनाकर लकड़ी के नक्काशीदार दरवाजे सजाकर,

*अब भटक रहे हैं.....!!*

*सूखे कुओं में झाँकते,*
*रीती नदियाँ ताकते,*
*झाड़ियां खोजते लू के थपेड़ों में,*
*बिना छाया के ही हो जाती सुबह से शाम....!!!*
और गली-गली ढूंढ़ रहे हैं *आक्सीजन*

*फिर भी सब बर्तन खाली l सोने के अंडे के लालच में , मानव ने मुर्गी मार डाली !!!,*

26/05/2024

🔥 नौतपा...? 🔥
*25 मई से 02 जून*

*साल के सबसे गर्म नौ दिनो को नौतपा कहा जाता है। अबकी बार नौतपा 25 मई 2024 से शुरू होकर 02 जून तक रहेगा।*

*25 मई को सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ ही नौतपा का शुभारंभ हो गया। सूर्य 8 जून तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे।*

*सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के प्रथम 9 दिन को नौतपा माना जाता है। इस दौरान सूर्य की किरणें धरती पर सीधी पड़ती हैं। इस समय सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक रहता है। इस कारण से तेज गर्मी पड़ती है।*

*यदि नौतपा के सभी नौ दिन पूरे तपें तो यह अच्छी बारिश के संकेत माने जाते हैं।*

* इस दौरान सूर्य 8 जून तक 23 अंश 40 कला तक रहेंगे।* इसका कारण है कि रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा होता है। सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक माना जाता है जबकि चंद्र शीतलता का प्रतीक होता है। सूर्य जब चंद्रमा के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करते है तो सूर्य इस नक्षत्र को अपने प्रभाव में ले लेता है, इस वजह से ताप अधिक बढ़ जाता है।

धन्यवाद।

आपका दास आपका शुभेक्षु

ज्ञानेंद्र मिश्रा

#motivation #motivationalstatus #social #love #interview #viralshorts 16/05/2024

https://youtube.com/shorts/NzWRGbDsJoU?si=8fnPX85H7HPO-e0X

#motivation #motivationalstatus #social #love #interview #viralshorts https://youtu.be/p_UZ2qKq81M?si=U0B9rq0i3ACti4PwJoin us for a poignant and inspiring episode of "YAADON KA SAFAR," where we delve into the life and work of G...

14/05/2024

गोवर्धन महाराज की जय।

01/05/2024

अलीगढ़ की रहने वाली मारिया आलम उमर एक पढ़ी लिखी महिला है। पति एएमयू में नौकरी करते हैं। खुद एक एनजीओ का भी संचालन करती हैं। वो फर्रुखाबाद की एक रैली में वोट जिहाद की बात करती है। जो मुसलमान बीजेपी को वोट करते हैं उनके हुक्का पानी बंद करने की बात करती हैं। सीएए एनआरसी के नाम पर झूठ फैलाने वालों के मुकद्दमे सलमान खुर्शीद लड़ रहे हैं, यह भी बताती है।
मेरा मानना है शायद इसीलिए ही आम मुसलमान तरक्की नहीं कर पाता क्योंकि कुछ पढ़े लिखे मुसलमान यह नहीं चाहते कि आम मुसलमान अपनी सोच बनाए वो सच और झूठ का फर्क खुद करे, वो अपना वोट और अपनी पार्टी कुछ चुने। बड़ा सवाल यही है कि आखिर कब तक आम लोगों को भाजपा से डराकर उनका वोट लिया जाता रहेगा ?

Palki Sharma Destroys Anti-India Debate With Facts | Palki Sharma Debates At Oxford Union 30/04/2024

All the anti India forces should hear, the clear and loud voice of Palki S Upadhyay at the Oxford. She meticulously shattered all the claims of anti nationalists with her speech. Well done Palki, please accept my Pranam.

Palki Sharma Destroys Anti-India Debate With Facts | Palki Sharma Debates At Oxford Union ****Video Credit- Oxford Union****Renowned Journalist Palki Shrama debates in a debate organized by OXFORD UNION SOCIETY. Topic was: What (or who) is the rig...

Photos from Gyanendra Mishra's post 27/04/2024

अति आवश्यक
अपने संघ कार्यकर्ता उत्तम मुखर्जी के छोटे भाई दिलीप कुमार मुखर्जी गत 17/4/2024 से वृंदावन में राधाकुंज 100 फुटा पर परिक्रमा करते हुए गायब हो गए हैं। दिलीप मुखर्जी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं हैं। वो अपने बारे में थोड़ा बहुत ही बता पाते हैं। मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है अगर आप इस पोस्ट को शेयर कर देंगे तो उत्तम मुखर्जी जी को अपने भाई को खोजने में अवश्य मदद मिल सकेगी।
अधिक जानकारी मेरे मोबाइल नंबर 9837067681 अथवा उत्तम भाई के मोबाइल नंबर 9897756839 पर प्राप्त की जा सकती है।

Photos from Gyanendra Mishra's post 22/04/2024

My version on News18 India on today's rally at Aligarh

22/04/2024

17/04/2024
14/04/2024

बोर्नवीटा को हेल्थ ड्रिंक बता कर बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ लंबे समय से चल रहा है। अभिवाभक ध्यान दें।

09/04/2024

हिंदू नववर्ष: कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है यह दिन
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का यह दिन कई ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं का भी गवाह है। इन घटनाओं से कहीं नई शुरुआत हुई है।

शीत की विदाई के साथ ही ग्रीष्म का आगमन हो चुका है और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही गर्मी धीरे-धीरे अपने शबाब पर आना शुरू हो जाती है। आम के पेड़ों पर बोर और कहीं छोटे-छोटे आमों ने डेरा डाल दिया है। नदी और तालों में जल सिकुड़ने लगा है।

ऐसे में चैत्र नवरात्र की शुरुआत आध्यात्म का चरमोत्कर्ष होता है। देवी आराधना के इन दिनों में भक्त अपनी कामनापूर्ति के लिए कई जतन करते हैं, लेकिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का यह दिन कई ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं का भी गवाह है। इन घटनाओं से कहीं नई शुरुआत हुई तो कभी युग परिवर्तनकारी घटना से इतिहास की धारा बदल गई। नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही खास जानकारियों पर।
1 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 117 साल पहले सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी।
2 रावण वध के बाद अयोध्या लौटने पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ था।

3 शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात नवरात्र का पहला दिन यही है।
4 सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।विक्रम संवत को राजा विक्रमादित्य ने शकों को पराजित करने के बाद 57 ईस्वी पूर्व प्रारंभ किया था।
5 सिखो के द्वितीय गुरु श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस आज है।
6 स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं 'कृणवंतो विश्वमआर्यम' का संदेश दिया।
7 सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल का प्रगटोत्सव इसी दिन हुआ था।
8 ज्येष्ठ पांडुपुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक आज के ही दिन हुआ था।
9 विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना था।
10 वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंध से भरी होती है।
11 शुभ मुहूर्त होने की वजह से किसी भी कार्य का आरंभ इस दिन किया जा सकता है।
12 आंध्र प्रदेश में इसको 'उगादी' यानी युग का प्रारंभ के नाम से भव्यता के साथ मनाया जाता है।
13 महाराष्ट्र में इसको 'गुड़ी पड़वा' के नाम से मनाया जाता है।
14 सिंध प्रांत में इस पर्व को 'चेती चांद' यानी चैत्र का चांद के नाम से मनाते हैं इसलिए सिंध से विभाजन के बाद भारत आए लोग भी भारत में इस पर्व को इसी नाम से मनाते हैं।
15 जम्मू-कश्मीर में इसको 'नवरेह' के नाम से मनाते हैं।

15/03/2024

आठ बरस पहले जिला सरगुजा छत्तीसगढ़ में UNICEF India के प्रोजेक्ट कार्य हेतु ग्राम पंचायत भ्रमण।

07/03/2024

यूपी के दुहाई के आस पास गाजियाबाद की यह तस्वीर देखिए... सबसे नीचे गाजियाबाद–मेरठ रोड है, उसके ऊपर ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे है, इसके ऊपर रैपिड रेल का पुल है और इन सबके बगल से रैपिड/मेट्रो ट्रेन गुजर रही है....
यह है बदलता भारत 🇮🇳

15/02/2024

आंदोलन इसे कहते हैं।

14/02/2024

यह वाली कार खरीदने के लिए कौन सी फसल उगानी पड़ती है ?

09/02/2024

यह कारगुजारियां बहुत सुकून देती हैं ............

08/02/2024

लोहा जितना तपता है |
उतनी ही ताकत भरता है ||
सोने को जितनी आग लगे |
वो उतना प्रखर निखरता है ||
हीरे पर जितनी धार लगे |
वो उतना खूब चमकता है ||
मिट्टी का बर्तन पकता है |
तब धुन पर खूब खनकता है ||
सूरज जैसा बनना है |
तो सूरज जितना जलना होगा ||
नदियों सा आदर पाना है तो |
पर्वत छोर निकलना होगा ||
और हम आदम के बेटे हैं |
क्यों सोचें राह सरल होगा |
कुछ ज्यादा वक्त लगेगा ||
पर संघर्ष जरूर लगेगा |
हर संकट का हल होगा ||
वो आज नहीं तो कल होगा ||

Photos from Gyanendra Mishra's post 23/01/2024

बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे सामाजिक न्याय के पुरोधा कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी १०० वीं जयंती पर मरणोपरांत देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हार्दिक आभार, एवं संपूर्ण समाज को हार्दिक बधाई

Photos from Gyanendra Mishra's post 22/01/2024

प्रभु श्री राम के चरणों में आज के कार्यक्रमों में सहभागिता
1. रघुवीर पुरी स्थित अपने निवास के निकट चाय वितरण
2. शिव पुरी स्थित हनुमान मन्दिर पर सुंदर कांड पाठ
3. रघुवीर पुरी स्थित अखिलेश्वर् महादेव मन्दिर में एल सी डी लगाकर लाइव प्रसारण व भजन कार्यक्रम में सहभागिता

05/01/2024

'सुख' नाम की कोई चीज नहीं है,
यह केवल 'दुखों' की अनुपस्थिति है.
इसी तरह, 'समस्या' नाम की
कोई चीज नहीं है,
यह केवल 'समाधान' के लिए,
एक विचार का अभाव है.
🙏🙏 शुभ प्रभात 🙏🙏

आपका दिन मँगलमय हो 🙏

25/12/2023

महामना, पंडित मदन मोहन मालवीय: युगपुरुष जो सदियों में जन्म लेते हैं |
25 दिसम्बर
महामना मदन मोहन मालवीय जन्मदिन विशेष |
यूँ तो लोग महामना को बनारस हिन्दू विश्वविध्यालय की स्थापना के लिए जानते हैं | लेकिन मदन मोहन मालवीय वो व्यक्तित्व हैं जिन्होंने देश, सनातन और हिंदुत्व के लिए भी अविस्मरणीय कार्य किया। गंगा जी की सफाई अभियान को उनके हाथों से शुरू किया गया था।
चौरी-चौरा हादसे में, मालवीय जी ने उन भारतीयों का मुकद्दमा लड़ा, जिन्होंने ब्रिटिश पुलिस स्टेशन को जलाया था, जिसमें उन्होंने करीब 150 निर्दोष भारतीयों को जेल, काला पानी और फांसी जैसी सजा से बचाया। लेकिन उनके इस योगदान को इतिहास में उचित स्थान नहीं मिला |
महामना मदन मोहन मालवीय, हिंदुत्व के पूजारी
जब भी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का नाम आता है, सामने पंडित मदन मोहन मालवीय की हिंदुत्व के पुजारी के रूप में भव्य मूर्ति ध्यान में आती है | उनका जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को हुआ था। उनके पिता पंडित ब्रजनाथ अपने परिवार को कथा, वाचन और पूजा के माध्यम से ही पालते थे।
प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, मालवीय जी ने संस्कृत और अंग्रेजी में अध्ययन किया। गरीबी के कारण, उनकी मां ने अपने सोने की हार को गिरवी रखकर उन्हें पढ़ाया। उन्हें यह बहुत बुरा लगता था कि मुस्लिम और ईसाई छात्र अपने धर्म के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, लेकिन हिन्दू इस क्षेत्र में शून्य रहते हैं।
मालवीय जी ने संस्कृत में एम.ए. किया। वह इसके बाद भी अध्ययन करना चाहते थे, लेकिन आर्थिक संकट के कारण, उन्हें शिक्षा को त्यागना पड़ा। यू.पी. के कलंकनकर रियासत के राजा ने उन पर बहुत प्रभाव डाला था। उन्होंने 'हिन्दुस्थान' नामक एक समाचारपत्र निकाला था। उन्होंने मालवीय जी को बुलाया और उन्हें इसका संपादक बना दिया। मालवीय जी ने इस शर्त पर सहमति दी कि राजा साहेब उससे शराब पीकर कभी नहीं बोलेंगे। मालवीय जी के संपादन में, पत्र भारतवर्ष भर में मशहूर हो गया ।
लेकिन एक दिन राजा साहब ने अपनी शर्त तोड़ दी। इसलिए सिद्धांतपरक मालवीय जी ने इस्तीफा दे दिया। राजा साहब ने उससे माफी मांगी, लेकिन मालवीय जी अड़े रहे। विदाई के समय, राजा साहब ने उससे कहा कि उन्हें कानपुर में कानून की पढ़ाई करनी चाहिए और इसका खर्च राजा वहन करेंगें | मालवीय जी ने इसे स्वीकार कर लिया |
कानून के अध्ययन को पूरा करने के बाद, उन्होंने वकालत प्रारंभ की। उन्होंने झूठे मामलों को नहीं लिया और गरीबों के मामलों की मुफ्त में लडें । जिससे, उनकी प्रशंसा अत्यधिक तेजी से फैली ।
उधर हिन्दुस्थान छोड़ने के बाद भी, उनकी पत्रकारिता में रुचि बनी रही। उन्होंने कई समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में स्वतंत्र रूप से लेखन किया। उन्होंने भारतीय यूनियन, भारत, अभ्युदय, सनातन धर्म, लीडर, हिन्दुस्तान टाइम्स आदि कई हिंदी और अंग्रेजी समाचारपत्रों का संपादन भी किया। उन्होंने कई समाचारपत्रों की स्थापना भी की। वह कांग्रेस में भी बहुत सक्रिय थे। और कांग्रेस के अलग अलग समय पर चार बार अध्यक्ष रहे |
जब भी हिन्दू धर्म में कोई संकट आता, मालवीय जी तुरंत वहां पहुंचते थे। हरिद्वार में, जब ब्रिटिश हुकूमत ने हर की पौड़ी पर मुख्यधारा के बजाय बांध से पानी छोड़ने का साजिश रची, तो मालवीय जी ने भारी प्रतिकार करके अंग्रेजों को झुकाया। सनातन धर्म के प्रति अपने प्रेम के कारण, उन्होंने हजारों हरिजन भाइयों को ॐ नमः शिवाय और गायत्री मंत्र से परिचित कराया। उनका जीवन हिंदी की सेवा और गाय की सुरक्षा में निवास करता था। उन्होंने लाला लाजपत राय और स्वामी श्रद्धानंद के साथ ‘हिन्दू महासभा' की स्थापना भी की।
अगस्त 1946 में, जब मुस्लिम लीग ने पूर्वोत्तर भारत में ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ के नाम पर नरसंहार किया, मालवीय जी बीमार बिस्तर पर थे। वो वहां हिन्दू स्त्रीयों पर अत्याचार के बारे में सुनकर रो पड़े । इस स्थिति में, उनकी मृत्यु 12 नवंबर 1946 को हो गई। अपने शरीर को छोड़ने से पहले, उन्होंने हिन्दुओं को अपना अंतिम संदेश दिया था, जो बहुत दु:खद था।
19वीं सदी के गुलाम भारत में, महामना ने यह तथ्य समझा कि राजनीतिक स्वतंत्रता का अर्थ होगा जब हम प्रगतिशील और सांस्कृतिक युवा बना सकेंगे। इसके लिए एक विश्व-स्तरीय विश्वविद्यालय आवश्यक था, लेकिन यह कैसे बनाया जा सकता था? उनके पास धन नहीं था, वे किसी करोड़पति परिवार में पैदा नहीं हुए थे। विश्वविध्यालय के धन एकत्रीकरण एक दुरूह कार्य था। इससे पूर्व इंडिया कंपनी के राज ने हमारी पारंपरिक शिक्षा की कमर तोड़ दी थी।
यह 1906 की बात है। त्रिवेणी संगम में कुम्भ मेला हुआ था। पंडित मालवीय जी ने बीएचयू स्थापित करने का निर्णय लिया था। मालवीय लोगों को यही बात बताते हुए मेले में घूम रहे थे। लोग उन्हें सुनते ज़रूर थे, लेकिन प्रतिक्रिया नहीं करते थे। कुछ लोग बिना सुने ही चले जाते थे। लेकिन एक माताजी पर मालवीय के शब्दों ने अद्भुत प्रभाव डाला । माताजी ने पास आकर अपना बटुआ खोला और मालवीय जी के हाथ में एक पैसा डाला। बोली - बेटा, यह खर्च का बचा हुआ है, ले लो । मालवीय ने उस एक पैसे को बहुत देर तक देखा, फिर यही से उन्हें विश्वविध्यालय के लिए दान एकत्रीकरण की प्रेरणा प्राप्त हुई | इसी विचार के आधार पर, एक ऐसा संस्थान स्थापित हुआ, जिसकी कीर्ति आज भी फ़ैल रही है।
मालवीय जी ने देशभर में दान के लिए अपनी यात्रा प्रारंभ की। उन्होंने देशभर में घूमकर धन जुटाना शुरू किया। पेशावर से कन्याकुमारी तक बिना थके हुए, महामना ने उस समय में 1.64 करोड़ रुपये का दान इकट्ठा किया। उन्होंने हैदराबाद और रामपुर जैसे मुस्लिम प्रांतों के नवाबों को भी नहीं छोड़ा। इसलिए लोग उन्हें दुनिया का अद्वितीय भिक्षु कहते थे।
एक और रोचक बात यह है कि जब मालवीय बीएचयू का सपना देख रहे थे, तब एनी बेसेंट भी एक विश्वविद्यालय की योजना पर काम कर रही थीं, साथ ही दरभंगा के महाराज रामेश्वर सिंह भी काशी में शारदा विद्यापीठ स्थापित करने में शामिल थे। इन तीन विश्वविद्यालयों की योजनाएँ टकरा रही थीं। आखिरकार, मालवीय ने उन दोनों से बातचीत की और उन्हें बीएचयू की स्थापना में सहयोग करने के लिए मनाया ।
इस परिणामस्वरूप, बीएचयू सोसायटी की स्थापना 15 दिसम्बर 1911 को हुई, जिसमें महाराज दरभंगा को अध्यक्ष के रूप में, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य वकील सुंदरलाल को सचिव के रूप में, महाराज प्रभुनारायण सिंह, मालवीय और एनी बेसेंट को सम्माननीय सदस्यों के रूप में नियुक्त किया गया था। उस समय के शिक्षा मंत्री सर हारकोर्ट बटलर की पहल पर, 1915 में हिन्दू विश्वविद्यालय अधिनियम को केंद्रीय सभा द्वारा पारित किया गया, जिसे तत्काल ही उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंज ने मंजूरी दी।

फंड्स इकठ्ठा हो गए थे। अब चिंता यह थी कि भूमि कैसे प्राप्त की जाए। उन्होंने काशी नरेश से सहायता लेने का विचार किया। काशी नरेश का गंगा में स्नान करने का समय था। घाट पहुंचे। काशी नरेश स्नान करके बाहर आए, मालवीय जी ने ज़मीन मांगी। काशी नरेश हंसते हुए बोले - मैं ज़मीन दूंगा, लेकिन एक शर्त के साथ। शर्त यह है कि सूर्य अस्त होने तक, जितनी ज़मीन तुम पैदल चलकर मापोगे, वही मिलेगी। मालवीय जी अड़ियाल थे। मालवीय ने ज़मीन को मापना शुरू किया।
14 जनवरी 1916 को, वसंत पंचमी के अवसर पर, काशी नरेश से, गंगा के पश्चिम किनारे पर भूमि मिली थी | पंडित मालवीय ने 4 फरवरी 1916 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की नींव रखने में सफलता प्राप्त की। रामनगर के समतल पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया गया। उस समारोह में महात्मा गांधी भी आए थे।
आज यह एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है। इसके पास दो कैम्पस हैं। मुख्य कैम्पस 1300 एकड़ ज़मीन में है जो काशी के राजा ने दान किया था। दूसरा कैम्पस मिर्ज़ापुर ज़िले के बरकछा में है, जो 2700 एकड़ में फैला हुआ है। 75 से ज़्यादा हॉस्टल्स में 35 हजार से ज़्यादा छात्र ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। यहां तीन-चार दर्जन देशों के छात्र भी पढ़ाई कर रहे हैं।
गुलाम भारत में इतने व्यापक दृष्टिकोण वाले नेता उंगलियों के अंगूठों से भी कम थे। मालवीय जी एक राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, और एक बैरिस्टर थे, लेकिन ये उनके बहुरूपी व्यक्तित्व के कुछेक पहलुओं थे। अगर इन सभी रंगों को मिलाया जाए, तो मालवीय जी के व्यक्तित्व का ऐसा इंद्रधनुष बनता है, जो अपने जीवनकाल में तो प्रकाश फैलाता ही है, और यह आज भी भारतीयों को प्रकाशित कर रहा है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय इसका एक जीवंत उदाहरण है।
इसे कैसे किया गया, इसे केवल इस कहानी से ही अनुमान लगाया जा सकेगा। हैदराबाद के निज़ाम बहुत कंजूस थे। उन्होंने अपने परिवार सदस्यों को भी आवश्यक खर्च नहीं दिया, इस परिस्थिति में उनसे दान लेने की सोचना भी साहसपूर्ण था।
इस प्रेरणा, संघर्ष और ऐसी ही लड़ाई के बीच, उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की नींव रखी। इसके लिए यह आवश्यक था कि वहां शीर्ष विषय-विशेषज्ञों को पदस्थ किया जाए। उस समय शिक्षा इतनी व्यापक नहीं थी। कुछ भारतीय विद्वान थे और वे भी अपने भूमि छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। मालवीय जी ने बहुत मेहनत के साथ भारत और विदेश के दाताओं को विद्यार्थी बनाने के रूप में मनाया। उन्होंने पूरी तरह से oriental studies से लेकर mining तक के विभिन्न क्षेत्रों में विभाग स्थापित किए। यह एक ऐसा अद्वितीय विश्वविद्यालय था, जहां विदेशी प्रोफेसर टाई पहनकर इंजीनियरिंग या विज्ञान सिखाते थे, जबकि Oriental Studies के संस्थान प्रमुख भारतीय वस्त्रों में पढ़ाते थे | मालवीय जी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को सच्चे शब्दों में 'सर्वविद्या की राजधानी' बनाया था |

12/11/2023

#शुभदीपावली

28/09/2023

वसुधा का नेता कौन हुआ?
भूखण्ड-विजेता कौन हुआ?

अतुलित यश क्रेता कौन हुआ?
नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ?

जिसने न कभी आराम किया,
विघ्नों में रहकर नाम किया।

रामधारी सिंह दिनकर

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Aligarh, 202001

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Aligarh Properties Center Aligarh Properties Center
Aligarh, 202001

Ankur Mittal National President ABVM Ankur Mittal National President ABVM
Aligarh

राष्ट्रीय अध्यक्ष

DISTT. Human Rights Aligarh DISTT. Human Rights Aligarh
Qwarsi
Aligarh, 202001

AIPMM - All India Pasmanda Muslim Mahaz AIPMM - All India Pasmanda Muslim Mahaz
Aligarh, 202001

इस पेज का मकसद पसमांदा जातियों की समस्याओं और सवालों को सामने लाना है।

Vipresh Rana Official Vipresh Rana Official
Aligarh

राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव अखंड हिन्दू महासंघ भारत