भारत के नियम व कानून की जानकारी By- Advocate Ashish srivastav
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नया आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू होगा।
हाल ही में संसद द्वारा तीन नए आपराधिक कानून बिल लाए गए थे जो लोकसभा व राज्यसभा द्वारा पास हो गया और राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति भी मिल गई है लेकिन ये कानून अभी लागू नही हुआ है क्योंकि कोई नया कानून तब तक लागू नहीं होता जब तक कि सरकार उसे गजट में प्रकाशित ना कर दे। ये तीन नए कानून पुराने तीन कानून को प्रतिस्थापित कर देंगे। ये तीनों नए कानून इस प्रकार से है -
1- भारतीय न्याय संहिता (पहले भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता था )
2- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ( पहले आपराधिक प्रकिया संहिता के नाम से जाना जाता था)
3- भारतीय साक्ष्य बिल
आजकल ये जो नया ट्रेंड चला है प्रधानपति, विधायकपति, सांसदपति सुधर जाए ये लोग - HC
सभी नियम व कानून की जननी 'संविधान' आज के ही दिन पहली बार लागू हुआ था।
संविधान दिवस की ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं 🎊 🎊 🎊 🎊 🎊 🎊 🎊
अपराध को कई प्रकार से बांटा गया है उनमें से आज हम एक प्रकार देखेंगे -
1 संज्ञेय अपराध : इस श्रेणी में ऐसे अपराध आते हैं जो CrPC की प्रथम अनुसूची में वर्णित है और ऐसे अपराध जिसमें पुलिस बिना वारंट व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।
2 असंज्ञेय अपराध - ऐसे अपराध जिसमें पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार नही कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय।
सच....
आशीष श्रीवास्तव (अधिवक्ता)
उच्च न्यायालय इलाहाबाद
प्रयागराज
मोबाइल - 9369987875
अगर आपके साथ कोई अपराध घटित होता है तो आपके पास क्या उपचार है -
1- सर्वप्रथम आप नजदीकी थाने मे जाकर उस घटना को रिपोर्ट कर सकते है अगर थानेदार आपकी रिपोर्ट नही लिखता तो...
2- पुलिस अधिक्षक को अपना शिकायत डाक द्वारा भेज सकते हैं।
3- अब इसके बाद भी आपकी शिकायत दर्ज नहीं होती तो
आप मजिस्ट्रेट के यहा जाकर अपना परिवाद दर्ज कराने का आवेदन कर सकते हैं।
Q - भारतीय दंड संहिता 1860 में किन-किन धाराओं में मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान है?
Ans - धारा - 121, 132, 194, 195A, 302, 305, 307(2), 364A, 376A, 376AB, 376DB, 376E, और 396
"Injustice anywhere is a threat to justice everywhere."
Ashish Srivastav (Advocate)
High Court
Allahabad
इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला कि कोई भी व्यक्ति अपना नाम चुनने या बदलने के लिए स्वतंत्र हैं। यह उसका मूल अधिकार है ।
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 498 A से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें।
Important topic.
माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद का बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय। कोई भी व्यक्ति अपना नाम बदल सकता है यह उसका मूल अधिकार है।
आशीष श्रीवास्तव (अधिवक्ता)
उच्च न्यायालय इलाहाबाद
भारतीय कानून हर एक अभियुक्त व्यक्ति को निर्दोष मानकर चलता है। अब जो ये कहता है कि अभियुक्त ने अपराध किया है उसके उपर सबूत का भार होगा कि वह न्यायालय में इस बात का साक्ष्य दे कि जिससे यह सिद्ध हो सके कि इसी अभियुक्त ने अपराध किया है।
भारतीय दंड संहिता 1860 में किसी भी अपराध के लिए कुछ 5 प्रकार के दंड का प्रावधान किया गया है-
1- मृत्युदंड
2- आजीवन कारावास
3- कारावास (साधारण कारावास)
( कठोर कारावास)
( एकांत कारावास)
4- संपत्ति का समपहरण या जब्ती या कुर्की
5- जुर्माना
आजकल आरक्षण को लेकर एक बार फिर माहौल गरम है।
भारत का संविधान सबको बराबर का अधिकार देता है। हमें संविधान के हिसाब से चलना चाहिए।
किसी भी महिला को सिर्फ महिला पुलिस ही गिरफ्तार कर सकता है अर्थात मेल पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकता। किसी भी महिला को शाम 6 बजे के बाद से प्रातः 6 बजे तक में गिरफ्तार नही किया जा सकता है लेकिन अगर महिला ने संज्ञेय अपराध किया है तो पुलिस मजिस्ट्रेट की अनुमति के आधार पर महिला को गिरफ्तार कर सकता है।
IPC धारा-228 A के अनुसार, बलात्कार से पीड़ित किसी महिला का यदि कोई व्यक्ति प्रकटीकरण अर्थात उसके बारे में जानकारी पब्लिक करता हैं तो किसी भांति के कारावास से जिसकी सजा 2 वर्ष तक तथा जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।
सावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 82 यह प्रावधान करती है कि 7 साल से कम आयु का कोई शिशु यदि कोई अपराध करता है तो उसे छमा कर दिया जाएगा अर्थात 7 साल से कम उम्र के शिशु का कार्य अपराध नहीं माना जाएगा।
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