Kammu youtuber
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पहाड़ी शादी
पुराना मुहल्ला और नई सोसाइटी हम उस जमाने के पुराने मुहल्लों की जमीं से जुड़े जिंदा लोग हैं जो हर शाम दीपक जलाने के लिए पड़ोसी से दियासलाई की तीलियां मांग लाया करते। मेहमान आने पर पड़ोस की चाची के घर से चाय की कप और बर्तन उधर ले आते। पास वाले घर से डब्बी में सरसों का तेल खत्म होने पर दौड़कर ले आना! कभी नमक तो कभी हल्दी मांगकर लाना तो रोजमर्रा की जिंदगी का मकसद सा हुआ करता । पकी पकाई सब्ज़ी तक मांग लेने और बांटने का रिवाज़ हज़ार झगड़ों के बाद भी बदस्तूर जारी था। बर्तनों पर बकायदा नाम गुदवाए जाते थे। कभी सालों बाद भी नाम देखकर बर्तन वापस ले लिए जाते थे। मांगने की उस प्रथा का कोई जोड़ तोड़ नहीं था। सुबह को हुई घनघोर लड़ाई के बाद शाम को दियासलाई की जरूरत आन पड़ने पर सारी दुश्मनी बिना माचिस जलाए ही जलकर राख हो जाया करती। किसी को कुछ याद नहीं रहता कि सुबह को कौन सा श्राप किसने दिया था। शाम तक जिंदगी फिर से नई होकर अगली सुबह के नए झगड़ों के लिए तैयार हो जाया करती। समान तो क्या बच्चे भी काम आने पर उधार ले लिए जाते। पूरा मोहल्ला सुई- धागों जैसी छोटी छोटी चीजों से जुड़ी हुआ करती थी। हर कोई हर किसी का कर्जदार हुआ करता । हर बच्चा सबका बच्चा हुआ करता और कोई किसी के यहां खाता - पीता बड़ा हो जाया करता । किच किच, काएं कांए के मधुर संगीत से पूरा मुहल्ला बिना डॉल्बी डिजिटल वाले साउंड बॉक्स के दिन रात गुलज़ार हुआ करता । विशेष अवसरों पर कपड़े तक उधर ले हम सज लिया करते । समाजवाद बिना किसी क्रांति के चरम पर हुआ करता ।
यह वो जमाना था जब चीजें सीमित हुआ करती और जरूरतें कम थी मगर फिर भी जिंदगी बेहिसाब और बेमिशाल हुआ करती। अब मुलाकातें वैसी नहीं हुआ करती। बच्चे अब मुहल्ले के पड़ोस वाली चाची के घर खेलने नहीं जाया करते। उनके लिए प्ले स्कूल है और क्रेच है। अब कपड़े मांगे नहीं डोनेट किए जाते हैं। आदमी अब गरीबी वाले दिनों से ऊबकर अमीर हो चुका है और मुहल्ले की किच किच को बाय बाय कर साउंडप्रूफ कमरे में डॉल्बी डिजिटल वाले साउंड का मजा लेता है और बिना बेड से उठे ही वाइस कमांड से एलईडी बल्ब जलाता है। मांगने वाली दरिद्रता अब ख़त्म हो चुकी है और वो पुरानी पीढ़ी भी अब नए अपार्टमेट में आ गयी है......
बनाने दो इन्हें काग़ज़ की कश्ती, कल जब ये बड़े हो जाएँगे, ऑफ़िस के काग़ज़ों में खो जाएँगे, हम-तुम जैसे बन जाएँगे, रहने दो आज मासूम इन्हें कल जब ये बड़े हो जाएँगे ये भी "समझदार" हो जाएँगे
Khaliyatop munsiyari 0 point.।।
दिवाना मे चला....
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