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राधे राधे दोस्तों
विवाह में कौन से ग्रह और भाव के कारण होती है देरी rashifal #विवाह में कौन से #ग्रह और #भाव के कारण होती है देरी कुंडली में 12वीं भाव को अर्थात 12वीं भाव में बैठे हुए एक रहे शनि सूर्...
चंद्रमा लग्नेश दोनों ही मजबूत हालत में हो और उनसे दशम भाव में सूर्य बैठा हो तो पिता से धन प्राप्ति के योग बनते हैं
सरकारी काम में यह सरकारी नौकरी में आ रही है समस्या तो रविवार के दिन तो जरूर करें सूर्य देव के मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
शनि के विषय में कुछ रोचक बातें
1.यदि शरीर में विकलांगता है तो जरूर आपकी कुंडली में शनि 12वीं घर में बैठा होगा पीड़ित होकर
2. शनि और केतु यदि पंचम भाव में बैठ जाए तो आपका प्यार कभी भी सफल नहीं हो पाएगा
3.शनि और केतु ग्रह साथ में बैठे हो और लग्नेश को देख रहे हो तो ज्यादातर आपको दवाइयां के साइड इफेक्ट जरूर होते हैं
💐 कैलाश पर्वत और चंद्रमा का रहस्य 💐
कैलाश पर्वत एक अनसुलझा रहस्य, कैलाश पर्वत के इन रहस्यों से नासा भी हैरान हो चुका है।
कैलाश पर्वत, इस एतिहासिक पर्वत को आज तक हम सनातनी भारतीय लोग शिव का निवास स्थान मानते है...शास्त्रों में भी यही लिखा है कि कैलाश पर शिव का वास है...किन्तु वहीं नासा जैसी वैज्ञानिक संस्था के लिए कैलाश एक रहस्यमयी जगह है...नासा के साथ साथ कई रूसी वैज्ञानिकों ने कैलाश पर्वत पर अपनी रिपोर्ट दी है...उन सभी का मानना है कि कैलाश वास्तव में कई #अलौकिक_शक्तियों का केंद्र है...विज्ञान यह दावा तो नहीं करता है कि यहाँ शिव देखे गये हैं किन्तु यह सभी मानते हैं कि, यहाँ पर कई पवित्र शक्तियां जरूर काम कर रही हैं...
✅कैलाश पर्वत के रहस्य
✔️(1) रूस के वैज्ञानिको का ऐसा मानना है कि, कैलाश पर्वत आकाश और धरती के साथ इस तरह से केंद्र में है जहाँ पर चारों दिशाएँ मिल रही हैं...वहीं रूसी विज्ञान का दावा है कि यह स्थान एक्सिस मुंडी है और इसी स्थान पर व्यक्ति अलौकिक शक्तियों से आसानी से संपर्क कर सकता है...धरती पर यह स्थान सबसे अधिक शक्तिशाली स्थान है।
✔️(2) कैलाश पर्वत पर दो झीलें हैं और यह दोनों ही रहस्य बनी हुई हैं...आज तक इनका भी रहस्य कोई खोज नहीं पाया है...एक झील साफ और पवित्र जल की है इसका आकार सूर्य के समान बताया गया है। वहीं दूसरी झील अपवित्र और गंदे जल की है तो इसका आकार चन्द्रमा के समान है।
✔️(3) कैलाश पर्वत का एक रहस्य यह भी बताया जाता है कि जब कैलाश पर बर्फ पिघलती है तो यहाँ से डमरू जैसी आवाज आती है...इसे कई लोगों ने सुना है लेकिन इस रहस्य को आज तक कोई हल नहीं कर पाया है।
✔️(4) कई बार कैलाश पर्वत पर *सात तरह के प्रकाश* आसमान में देखे गये हैं...इस पर नासा का ऐसा मानना है कि यहाँ चुम्बकीय बल है और आसमान से मिलकर वह कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण करता है।
✔️(5) कैलाश पर्वत दुनिया के 4 मुख्य धर्मों का केंद्र माना गया है...यहाँ कई साधू और संत अपने देवों से टेलीपैथी से संपर्क करते हैं...असल में यह आध्यात्मिक संपर्क होता है।
✔️(6) कैलाश पर्वत का सबसे बड़ा रहस्य खुद विज्ञान ने साबित किया है कि यहाँ पर प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहाँ से *ॐ* की आवाजें सुनाई देती हैं।
यह पर्वत स्वयंभू है। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।
ादेव💐💐🙏🙏
ज्योतिष आचार्य आशु त्यागी
088106 24201
हार्ट अटैक -: भारत में 3000 साल पहले एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे। नाम था महाऋषि वागवट जी उन्होंने एक पुस्तक लिखी, जिसका नाम है, अष्टांग हृदयम Astang hrudayam इस पुस्तक में उन्होंने बीमारियों को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखें थे। यह उनमें से ही एक सूत्र है। वागवट जी लिखते हैं कि कभी भी हृदय को घात हो रहा है मतलब दिल की नलियों मे blockage होना शुरू हो रहा है तो इसका मतलब है कि रक्त blood में acidity अम्लता बढ़ी हुई है अम्लता आप समझते हैं, जिसको अँग्रेजी में कहते हैं acidity अम्लता दो तरह की होती है एक होती है पेट की अम्लता और एक होती है रक्त blood की अम्लता आपके पेट में अम्लता जब बढ़ती है तो आप कहेंगे पेट में जलन सी हो रही है, खट्टी खट्टी डकार आ रही हैं , मुंह से पानी निकल रहा है और अगर ये अम्लता acidity और बढ़ जाये तो hyperacidity होगी और यही पेट की अम्लता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त में आती है तो रक्त अम्लता blood acidity होती है और जब blood में acidity बढ़ती है तो ये अम्लीय रक्त blood दिल की नलियों में से निकल नहीं पाती और नलियों में blockage कर देता है तभी heart attack होता है इसके बिना heart attack नहीं होता और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं क्योंकि इसका इलाज सबसे सरल है ! इलाज क्या है ? वागवट जी लिखते हैं कि जब रक्त (blood) में अम्लता (acidity) बढ़ गई है तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो क्षारीय हैं आप जानते हैं दो तरह की चीजें होती हैं अम्लीय और क्षारीय ! acidic and alkaline अब अम्ल और क्षार को मिला दो तो क्या होता है ? acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है ? neutral होता है सब जानते हैं तो वागवट जी लिखते हैं कि रक्त की अम्लता बढ़ी हुई है तो क्षारीय (alkaline) चीजें खाओ ! तो रक्त की अम्लता (acidity) neutral हो जाएगी ! और रक्त में अम्लता neutral हो गई ! तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं ! ये है सारी कहानी ! अब आप पूछेंगे कि ऐसी कौन सी चीजें हैं जो क्षारीय हैं और हम खायें ? आपके रसोई घर में ऐसी बहुत सी चीजें है जो क्षारीय हैं जिन्हें आप खायें तो कभी heart attack न आए और अगर आ गया है तो दुबारा न आए यह हम सब जानते हैं कि सबसे ज्यादा क्षारीय चीज क्या हैं और सब घर मे आसानी से उपलब्ध रहती हैं, तो वह है लौकी जिसे दुधी भी कहते हैं English में इसे कहते हैं bottle gourd जिसे आप सब्जी के रूप में खाते हैं ! इससे ज्यादा कोई क्षारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लौकी का रस निकाल-निकाल कर पियो या कच्ची लौकी खायो वागवट जी कहते हैं रक्त की अम्लता कम करने की सबसे ज्यादा ताकत लौकी में ही है तो आप लौकी के रस का सेवन करें, कितना सेवन करें ? रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो कब पिये ? सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते हैं या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते हैं इस लौकी के रस को आप और ज्यादा क्षारीय बना सकते हैं इसमें 7 से 10 पत्ते तुलसी के डाल लो तुलसी बहुत क्षारीय है इसके साथ आप पुदीने के 7 से 10 पत्ते मिला सकते हैं पुदीना भी बहुत क्षारीय है इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ये भी बहुत क्षारीय है लेकिन याद रखें नमक काला या सेंधा ही डाले वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है तो आप इस लौकी के जूस का सेवन जरूर करें 2 से 3 महीने की अवधि में आपकी सारी heart की blockage को ठीक कर देगा 21 वें दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी घर में ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा और आपका अनमोल शरीर और लाखों रुपए आपरेशन के बच जाएँगे आपने पूरी पोस्ट पढ़ी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद। सनातन धर्म सर्वश्रेष्ठ है🙏❤
राधे राधे गोविंदा 🙏🚩
ज्योतिषाचार्य आशु त्यागी
राधे-राधे आप सभी को यह कुंडली में आपको शेयर कर रही हूं इसमें देखिए यह गुर्दे में पथरी की रोग से ग्रसित है जो पथरी का पता चला था जिसमें मैं दशा अंतर्दशा भी लिख रही हूं 2022 अप्रैल के महीने में पता चला अब योग देख लेते हैं कि गुर्दे में पथरी की योग्य क्या होती है
1. जन्म लग्न या चंद्र लग्न में मंगल, शनि या राहु, मूत्राशय के विकार का कारण बनता है। कुंडली में यह विशेष ग्रह स्थिति मूत्र संबंधी समस्याओं के साथ यौन विकारों का भी कारण बनती है।
2. यदि सूर्य, मंगल, शुक्र और सप्तम भाव पीड़ित हों तो यह स्थिति गुर्दे की पथरी के रूप में गुर्दे की समस्या देती है। इस योग में मूल शर्त यह है कि सप्तम भाव और शुक्र दोनों पीड़ित स्थिति में हों और सूर्य और मंगल भी पीड़ित स्थिति में हों।
3. जब मंगल, शनि या राहु जन्म लग्न में या चंद्र लग्न में हों तो जातक को कम उम्र में ही बिस्तर गीला करना और बार-बार पेशाब आना (बहुमूत्र) जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह स्थिति आगे चलकर किडनी (मूत्र प्रणाली) से संबंधित कई अन्य समस्याओं को जन्म दे सकती है। यदि ये तीन (या दो भी) पाप ग्रह सप्तम भाव में स्थित हों तो यह स्थिति भी वैसी ही समस्याएं देती है। मूत्राशय (मूत्रशय) को 7वें से 8वें भाव के बीच स्थित माना जाता है।
परामर्श
4. यदि 5वें, 6वें या 7वें भाव में सूर्य या मंगल हो तो आसानी से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जातक को गुर्दे से संबंधित समस्याएं होंगी। यदि अष्टम भाव भी पाप ग्रहों से युक्त हो तो भी गुर्दे की समस्या होने की संभावना होती है।
5. यदि बुध सूर्य के साथ धनु या मीन राशि में स्थित हो तो गुर्दे की समस्याओं की संभावना बहुत अधिक होती है। कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि यह स्थिति पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह बहुत सामान्य है (क्योंकि यह बहुत सी कुंडलियों में आसानी से संभव है)। वे कहते हैं कि राहु का अशुभ पहलू भी होना चाहिए।
6. सप्तम भाव में जल राशि में स्थित सूर्य, मंगल, शनि या राहु निश्चित रूप से गुर्दे की समस्या देते हैं।
7. यदि 6वें, 7वें और 12वें भाव के स्वामी युति में हों और उन पर शनि की पूर्ण दृष्टि हो, तो जातक निश्चित रूप से गुर्दे के रोगों से पीड़ित होगा।
यह कुछ लोग होते हैं गुर्दे संबंधी रोगों के लिए जिसमें से इनकी कुंडली में छठे सातवें और बारहवें भाव का स्वामी की यूती और यहां लग्नेश छठे भाव का स्वामी और पंचम भाव का स्वामी जो के गुर्दे का होता है वहां पीड़ित होकर बैठे हुए हैं अर्थात चंद्र भी यहां पर पीड़ित है केतु के द्वारा और जिस समय में दशा चल रही थी 12वीं भाव में बैठे गुरु की दशा जोकि अष्टम भाव का स्वामी भी है और ११ भाव का स्वामी भी है जो रोग को बढ़ाने वाला भाव होता है
और शुक्र ग्रह जो के गुर्दे में पथरी के लिए भी माना जाता है जैसे शुक्र: इस ग्रह के प्रभावी होने पर मधुमेह, पित्ताशय या गुर्दे में पथरी, मूत्रकृच्छ, प्रमेह, अन्य गुह्यस्थान के रोग, मोतियाबिन्द आदि रोगों को झेलना पड़ेता है।
जब से गुरु की दशा शुक्र का प्रवेश हुआ तभी से इनको पथरी बनने आरंभ हो गई थी सूर्य में किसी प्रकार से दर्द को सहन किया लेकिन चंद्र मंगल आते आते इनको रसौली और पथरी का दोनों का ही पता चल गया क्योंकि शनि की दृष्टि भी चौथे भाव पर जहां पर युति हो रही है सभी ग्रहों की वहीं पर पड़ रही है शनि की दसवीं दृष्टि
इसी प्रकार से मैंने इनको उपाय बताएं और अब इनको आराम आने लगा है यदि आपके पास भी इसी प्रकार से संबंधित कुंडलियां है तो मुझे जरूर शेयर करें गुर्दे से संबंधित और पथरी से संबंधित रोगों से संबंधित कुंडलियां जरूर शेयर करें हम उन पर भी विचार करेंगे और आपके समस्याओं का निवारण करने की कोशिश करेंगे
ज्योतिषाचार्य आशु त्यागी
Live 22_2023
नवरात्रि के पावन अवसर पर दुर्गा सप्तशती की पाठ से जुड़कर अपने सभी दुखों से मुक्ति प्राप्त करें यह लाइफ चलेगी पूजा आप ज्यादा से ज्यादा छोड़ सकते हैं
जाने कैसे सूर्य ग्रह आपको बना रहा है धनवान यदि कुंडली में है वासी योग जाने कैसे #सूर्य #ग्रह आपको बना रहा है धनवान यदि कुंडली में है वासी योग
यदि सरकारी नौकरी के लिए कोशिश कर रहे हैं तो अपनी कुंडली में वेसी योग जरूर देखें यदि सरकारी नौकरी के लिए कोशिश कर रहे हैं तो अपनी कुंडली में वेसी योग जरूर देखें
कार्तिक माह में घी के दीपक का महत्व
घी का दीपक चढ़ाने के फायदे।
कार्तिक मास में घी का दीपक चढ़ाने की महिमा, निम्नलिखित संदर्भ स्कंद पुराण (भगवान ब्रह्मा और ऋषि नारद के बीच की बातचीत) से हैं, यदि कोई कार्तिक के महीने में दामोदर को घी का दीपक अर्पित करता है, तो उसके कई हजारों और लाखों जन्मों के पाप नाश। भले ही मंत्रों का जाप न किया जाए, कोई पवित्र कार्य नहीं किया गया हो और कोई पवित्रता न रखी गई हो, कार्तिक के महीने में दीपक चढ़ाने से सब कुछ सही हो जाता है। कार्तिक मास में भगवान केशव को दीप अर्पित करना सभी यज्ञों को करने और सभी पवित्र नदियों में स्नान करने के समान है। कार्तिक मास में जब कोई व्यक्ति भगवान केशव को दीप चढ़ाकर प्रसन्न करता है, तो भगवान की कृपा से परिवार के सभी पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
समयसूचक AM और PM का उदगम
भारत ही था। पर हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है :
AM : एंटी मेरिडियन (ante meridian)
PM : पोस्ट मेरिडियन (post meridian)
एंटी यानि पहले, लेकिन किसके?
पोस्ट यानि बाद में, लेकिन किसके?
यह कभी साफ नहीं किया गया, क्योंकि यह चुराये गये शब्द का लघुतम रूप था।
अध्ययन करने से ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को अपनी आंधियों में उड़ा दिया और अब, सब कुछ साफ-साफ दृष्टिगत है।
कैसे?
देखिये...
AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य Aarohanam Martandasya
PM = पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasya
----------------------------
सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसीको गौण कर दिया। अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस 'मतलब' को नहीं इंगित करते जो कि वास्तव में है।
आरोहणम् मार्तण्डस्य Arohanam Martandasaya यानि सूर्य का आरोहण (चढ़ाव)।
पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasaya यानि सूर्य का ढलाव।
दिन के बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है - 'आरोहनम मार्तण्डस्य' (AM)।
बारह के बाद सूर्य का अवसान/ ढलाव होता है - 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)।
पश्चिम के प्रभाव में रमे हुए और पश्चिमी शिक्षा पाए कुछ लोगों को भ्रम हुआ कि समस्त वैज्ञानिकता पश्चिम जगत की देन है।
यदि #अश्वनी #नक्षत्र है और चंद्रमा के ऊपर #सूर्य की पूर्ण दृष्टि है
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12वीं स्थान का मंगल वृश्चिक राशि का ??
12वीं स्थान का मंगल वृश्चिक राशि में वृश्चिक राशि जल तत्व राशि है और मंगल अग्नि तत्व है अपनी ही राशि में है समस्या तो देगा लेकिन थोड़ी कम देगा हेल्थ पॉइंट ऑफ यू से देखा जाए तो जल से संबंधित समस्या हॉस्पिटल में जाने की नौबत आ जाती है उसकी दशा अंतर्दशा में वैसे शिक्षा के पॉइंट ऑफ यू से विदेश जाने का भी योग बन जाता है और ग्रहों की सिचुएशन भी देखी जाती है
सातवें भाव में बैठा हुआ सूर्य शनि दांपत्य सुख में हमेशा कमी देता है
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