AHTV News
Nearby media companies
Chandigarh
Chandigarh 160022
Chandigarh 160002
Chandigarh 141002
Chandigarh
Chandigarh 160002
Chandigarh
Sector-10 A, Chandigarh
Chandigarh
Chandigarh 160003
Arth Parkash, Chandigarh
Chandigarh
Chandigarh 160020
Chandigarh 160002
Chandigarh 160002
Alert Himalaya is a social media platform for those who want to share issues related peoples problem
एक 22-23 साल के नौजवान तुलेश कुमार ने हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में SDM थुनाग विचित्र सिंह के विचित्र ब्यान पर अधिकारी को जिस तरह एक्सपोज़ किया वो सरकारी अधिकारीयों के निकम्मेपन को साफ दिखाता है,
इसके साथ ही वर्तमान सरकार के प्रशासनिक निकम्मेपन को भी दिखाता है, अधिकारी सीधे कह रहा है हाईवे पर बहुत ऐसे मामले मिलते है कोई कुछ नहीं कर रहा है, इसलिए हम भी नहीं कर सकते, औऱ तो औऱ SDM बोले आप करो ये काम यानि अधिकारी तो असहाय है काम करने में वो केवल तन्खवाह के लिए आगे है शर्म भी नहीं ऐसे निकम्मे अधिकारी को वैसे मुद्दा सराज क्षेत्र के भाटकीधार क्षेत्र का था वहां 20 दिन से बरसात के कारण किसान का बैल एक तंग जगह पहाड़ी में फंस गया था, जहाँ बैल को पानी औऱ घास की कमी के कारण मौत के मुँह में सामने सामने भेजनी वाली बात हो रही थी,
ऐसे में युवक बैल को निकालने के लिए प्रशासन से मदद की गुहार लगाता है, लेकिन प्रशासन ने अजीब ब्यान दिया फिर भी स्थानीय युवकों ने हिम्मत करके बैल को बचाया है जो मानवता की अद्भुत मिसाल है,
सरकार को चाहिए ऐसे युवकों को पुरुस्कृत किया जाये, औऱ विचित्र सिंह जैसे निर्दयी अधिकारी को तो ससपेंड कर दिया जाना चाहिए सरकार को तुरंत
🙏
शर्मनाक व हैरानी वाली खबर है "ढहने के कगार पर सालिक राम का मकान,सरकार प्रशासन नहीं ले रहा सुध "
(गरीब परिवार से तालुक रखते है सालिक राम)
-सिरमौर जिला में लगातार हो रही बारिश परेशानी का सबब बनी हुई है। भारी बारिश के कारण जिला में कई स्थानों पर लोगों के आशियाने ढहने की कगार पर है। शिलाई विधानसभा क्षेत्र के डाहर गांव निवासी सालिक राम ने सरकार को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है। सरकार को लिखे गए पत्र में सालिक राम ने कहा है कि बारिश के कारण उनकी गौशाला ढह गई है और मकान को भी खतरा पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा है कि भारी बारिश के कारण मकान की सुरक्षा दीवार ढह गई है और मकान में दरारे आने के कारण गिरने का खतरा पैदा हो गया है। सालिक राम ने सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि वह गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। ऐसे में सरकार व प्रशासन उनकी मदद के लिए आगे आए,लेकिन हैरान करने वाली बात है ये खतरा 6 दिनों से बना हुआ है लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है अब मुख्यमंत्री से ही इस गरीब परिवार को उम्मीद है.
शर्मनाक व हैरानी वाली खबर है "ढहने के कगार पर सालिक राम का मकान,सरकार प्रशासन नहीं ले रहा सुध "
(गरीब परिवार से तालुक रखते है सालिक राम)
-सिरमौर जिला में लगातार हो रही बारिश परेशानी का सबब बनी हुई है। भारी बारिश के कारण जिला में कई स्थानों पर लोगों के आशियाने ढहने की कगार पर है। शिलाई विधानसभा क्षेत्र के डाहर गांव निवासी सालिक राम ने सरकार को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है। सरकार को लिखे गए पत्र में सालिक राम ने कहा है कि बारिश के कारण उनकी गौशाला ढह गई है और मकान को भी खतरा पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा है कि भारी बारिश के कारण मकान की सुरक्षा दीवार ढह गई है और मकान में दरारे आने के कारण गिरने का खतरा पैदा हो गया है। सालिक राम ने सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि वह गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। ऐसे में सरकार व प्रशासन उनकी मदद के लिए आगे आए,लेकिन हैरान करने वाली बात है ये खतरा 6 दिनों से बना हुआ है लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है अब मुख्यमंत्री से ही इस गरीब परिवार को उम्मीद है.
6 दिन बाद लेह से जुड़ी मनाली
फिलहाल एक तरफा वहानों के लिए बहाल हुआ मार्ग
जापान एक ऐसा देश है जहां पर जब भी कोई खाने वाली सामान महंगी हो जाती है तो वहां के लोग उसे खाना ही छोड़ देते हैं। और फिर वह अपने आप सस्ती हो जाती है क्योंकि कोई पूछता ही नहीं उसको।
और हमारा देश! यह ऐसा देश है जहां पर जो सामान ज्यादा महंगा होता है लोग उसे खरीद कर अपने आपको बड़ा महसूस करते हैं। अभी इस समय टमाटर पर चर्चा हो रही है कि टमाटर बहुत महंगा हो गया।
टमाटर बहुत महंगा हो गया रे।
मैं कहता हूं टमाटर खाना ही छोड़ दो अपने आप सस्ता हो जाएगा।
आपको क्या लगता है कि दो-चार 10 दिन टमाटर खाना छोड़ देंगे तो विटामिन की कमी हो जाएगी या फिर आप दुबले हो जाएंगे या फिर आपकी शारीरिक बनावट बदल जाएगी।
एक महीना टमाटर खाना छोड़ दीजिए।
और हां जापान दुनियां का सबसे विकसित देश और औद्योगिकी के मामले में सबसे बड़ा देश ऐसे ही नहीं बना है उसकी सोच बड़ी है।
PLZ CONTACT FOR types of INSURANCE
1.🚗 CAR INSURANCE (MOTOR INSURANCE)
2.🍎 APPLE INSURANCE
3. HEALTH INSURANCE
4. Life INSURANCE
5. HOUSE & SHOP INSURANCE
CONTACT
Manish Castro
7876772930
" टांडा बस नाम का टांडा है। वो कहते हैं ना ऊंची दूकान फीखा पकवान। मेरा 5 साल का बेटा था। नितिन नाम था उसका।
यह अप्रैल महीने की बात है "
काँगड़ा जिले के एक साथी Vicky Chaudhary ने अपनी सच्ची दर्द भरी दास्तान fb पर लिखी है हिमाचल में स्वास्थ्य सेवा की पोल खोलता व रोंगटे खडे करने वाला पोस्ट व जानकारी
आप पढ़िए औऱ विचार प्रकट करें फिर किसी विक्की चौधरी को अपना फूल सा बच्चा ना खोना पड़े इसलिए सरकार से अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मांगिये ये जनता का हक है एक लोकतान्त्रिक देश में 🙏
टांडा बस नाम का टांडा है। वो कहते हैं ना ऊंची दूकान फीखा पकवान।😢😢😡😡
👇👇👇
मेरा 5 साल का बेटा था। नितिन नाम था उसका।
यह अप्रैल महीने की बात है बह स्कूल से वापस आया, उसने थोड़ी देर आराम किया। उसके बाद मैंने उसे पढ़ाई करने के लिए बैठा दिया। बह पढ़ाई करते करते थक गया था तो थोड़ी देर मैंने उसे खेलने के लिए आंगन में भेज दिया। पता नहीं कैसे उसने क्यो का बीज निगल लिया, उसको थोड़ी देर खांसी हुई उसके बाद तो नॉर्मल हो गया। रात को उसने खाना खाया और पूरी रात आराम से सोया रहा उसे कोई दिक्कत नहीं हुई।
सुबह उसको हमने स्कूल भेजा और 2:00 बजे स्कूल से वापस आया। उस वक्त भी नॉर्मल ही था लेकिन शाम को उसको बुखार आ गया और हम उसे नगरोटा अस्पताल ले गए हमने अस्पताल वालों को भी यही कहा कि इसने कुछ बीज खा लिया है। उसके बाद इसको दिक्कत हो रही है। लेकिन उन्होंने बोला कि ऐसा कुछ नहीं होता। उन्होंने नॉर्मल सी पेट दर्द की या गैस की दवाई दे दी। अगले दिन मैं और मेरी पत्नी उसे टांडा अस्पताल लेकर गए हमने वहां पर भी यही बोला कि इसने कुछ बीज खा लिया है। उसके बाद इसको प्रॉब्लम हो रही है। टांडा वालों ने भी कुछ खून के सैंपल और पेशाब के सैंपल लिए और कुछ नहीं किया। मैं सोच रहा था कि इसका अगर एक्स-रे हो जाए तो सब कुछ क्लियर हो जाएगा लेकिन उन्होंने एक्स-रे नहीं लिया और जो सैंपल लिए थे उसके आधार पर उन्होंने बोल दिया कि इसको कुछ इंफेक्शन है। मेडिसिन में उन्होने उसे कुछ एंटीबायोटिक और खांसी और बुखार की दवाइयां दे दी बस और बोला 2 दिन बाद फिर दिखा जाना। इन 2 दिनों में भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। 2 दिन बाद हम फिर टांडा गए। अब वहां 2 दिन पहले जो डॉक्टर थी, उसकी जगह कोई और डॉक्टर थे। यह सब बच्चों वाली ओपीडी की बात कर रहा हूं। 11 नंबर या 12 नंबर। अब 2 दिन बाद भी मैंने वहां पर यही डेफिनेशन रखी जो मैंने 2 दिन पहले रखी थी कि इसने कुछ बीज खा लिया है उसके बाद इसको प्रॉब्लम हो रही है।इसको बार-बार शाम के टाइम बुखार आता है। वह सुबह के टाइम इसको बहुत जोर से खांसी होती है। अब उन्होंने भी यही बोला कि जो पिछली दवाई लिखी है उसी को कंटिन्यू रखो और ठीक हो जाएगा। उस दिन भी उन्होंने कोई एक्स-रे कोई सैंपल कोई कुछ नहीं लिया। हम घर वापस आ गए और जो डॉक्टर ने बोला था, उसी को फॉलो करते रहे कि शायद ठीक हो जाएगा। हम उसको वही दवाइयां खिलाते और पिलाते रहे लेकिन उसको कोई फर्क नही पड़ रहा था | बीच बीच में वह थोड़ा ठीक भी हो जाता था लेकिन उसे फिर बुखार और खांसी आनी शुरू हो गई तब हम उसे नगरोटा सिविल अस्पताल ले गए क्योंकि टांडा वाले ठीक से नही देख रहे थे। नगरोटा वालो ने उसे एडमिट कर लिया और इलाज शुरू कर दिया। वह उसे स्टीम बेगेरा दे रहे थे और बुखार के लिए इंजेक्शन लगा रहे थे वहां उसका बुखार ठीक हो गया लेकिन खांसी नही ठीक हो रही थी स्टीम से थोड़ा फर्क पड़ता लेकिन जड़ से नही खत्म हुई। 2 दिन बाद उसे छूटी दे दी गई क्युकी बुखार नही आ रहे थे। जाते जाते उन्होंने एक्स रे ले लिया और बोला की कुछ इंफेक्शन है ठीक हो जायेगा। वायरल खांसी है टाइम लगता ठीक होने में। 2 दिन घर में ठीक रहा लेकिन खांसी ज्यों की त्यों थी।2 दिन बाद फिर से उसे बुखार आने शुरू हो गए हम फिर उसे नगरोटा सिविल अस्पताल ले गए और उन्होंने फिर से उसे एडमिट कर लिया। फिर वही इलाज किया वही स्टीम और वही बुखार का इलाज। एक बात ओर हमने इनको भी यही बोला था कि इसने कुछ बीज खाया है। अच्छा 2 दिन बाद उसे फिर से छुट्टी दे दी गई क्यूंकि बुखार आने बंद हो गए थे और खांसी के लिए वही जवाब कि वायरल खांसी है टाइम लगेगा। एक्सरे भी लिया और बोले की इंफेक्शन है टाइम लगेगा।हम फिर घर आ गए और उसके बाद उसे बुखार नही आए कभी कभी बीच में हल्का बुखार आ जाता तो दवाई दे देते ठीक हो जाता लेकिन खांसी जैसी कि तैसी थी। अब हम उसे स्कूल भेज देते और अब वो थोड़ा ठीक लग रहा था लेकिन कमजोरी बहुत आ गई थी । हम उसे फल देते उसे जूस देते और खाने में हल्का खाना जैसे दाल का खिचड़ू। जब कभी हमे लगता की आज उसकी सेहत थोड़ी ठीक नही है हम उसे स्कूल नही भेजते और घर में आराम करवा देते। अब उसे खांसी की वजह से उसके छाती में बबल्स बन गए थे। मैं फिर नगरोटा सिविल अस्पताल ले गया बच्चों वाले डॉक्टर के पास उसने उसे देखा और बोला की कभी कभी खांसी की वजह से छाती में हवा बैठ जाती है और बोला की ठीक हो जाएगी और कोई दवाई नही दी। खांसी के लिए बीच में चांद क्लिनिक से भी दवाई ली कि शायद कोई फर्क पड़ जाए। ऐसे ऐसे एक महीने से ऊपर हो गया बुखार तो नही आते थे लेकिन खांसी उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी। एक बार स्कूल से उसकी मैडम का कॉल आया कि वो बहुत खांसी कर रहा है और पेट दर्द बोल रहा आप उसे चेक करवा लो हॉस्पिटल में। अगले दिन हम उसे फिर टांडा हॉस्पिटल ले गए और अब भी वही बोला की इसने कोई बीज खाया है उसके बाद इसे ये प्रॉब्लम आ रही है। हम यहां पहले भी 2 बार आए थे लेकिन उन्होंने ध्यान से हमारी बात नही सुनी। उस दिन कोई लेडी डॉक्टर थी उन्होंने हमारी बात को थोड़ा गौर से सुना और बोला कि इसका एक्सरे करवाओ। एक्सरे हुआ उसने देखा और बोला की जैसे आप बोल रहे हो कि इसने कुछ बीज खाया है तो हमे अब लग रहा है कि इसके फेफड़ों में कुछ अटका है जिसके वजह से इसे बहुत ज्यादा इंफेक्शन हो गया है । बोला कि इसका ईलाज यहां नही होता आप सीधा PGI चले जाओ इसकी Bronchoscopy होगी। इन्होंने सीधा रेफर कर दिया। हम घर वापिस आए और रात को ही चंडीगढ़ निकल गए। सुबह सीधे PGI गए और उनको बोला की हमे टांडा मेडिकल कॉलेज ने रेफर किया है। इन्होंने फटा फट उसका एक्सरे और कुछ खून के सैंपल लिए और बोला की इसको आज ही ऑपरेट करना पड़ेगा क्युकी फेफड़ों में इंफेक्शन बहुत फैल चुका था। सुबह 8 बजे से वो भूखा प्यासा था क्योंकि डॉक्टर ने कुछ भी खाने पिलाने को मना किया था। अच्छा 3 बजे उसे ऑपरेशन थियेटर में ले गए ओर करीब 5 बजे वो ऑपरेशन थियेटर से निकल कर ICU में शिफ्ट कर दिया। अच्छा उन्होंने मुझे वो क्यो का बीज भी निकाल के दिखाया वो बीज जैसे का तैसा था उसका कुछ नही गला था। ICU में उसे रखा गया और बोला की 48 घंटे का इंतजार करो जब तक उसे होश नही आता। हम पूरी आशा लगा के बैठे थे की वो अब उठेगा अब उठेगा लेकिन 48 घंटे के बाद भी वो होश में नही आया। वो अपना ट्रीटमेंट करते रहे दिन में 3-3 बार एक्सरे होते 2-2 घंटे बाद बुखार चेक करते पेशाब चेक करते। 3 दिन निकल गए उसकी कोई हरकत नहीं 4 दिन बाद भी कोई हरकत नहीं। अब हमारी उम्मीद भी धीरे धीरे टूटने लगी अब सिर्फ भगवान पर विश्वास था। वहां पर जितने भी डॉक्टर और नर्स उसको देखने आये वो यही कहते की इतना टाइम बाद क्यो आए। हमने उनको सारी बात बताई की हम इसको पहले दिन ही टांडा हॉस्पपिटल ले गए थे ओर यही बोला की इसने कुछ खाया है उसके बाद इसको ये प्रॉब्लम आ रही है लेकिन वो सिर्फ खांसी और बुखार का इलाज करते रहे। हम तो वही बोल रहे थे जो हमने देखा था बाकी तो डॉक्टर ने देखना था अब हमें क्या पता की सांस वाली नाली में चला गया है हम तो तो यही सोच रहे थे खाने वाली पाइप में गया होगा निकल जायेगा। लेकिन PGI वाले यही बोल रहे थे की और जो वहां पे हिमाचल की नर्स लगी थीं कि ये इनका 15 मिनट का काम है लेकिन अब बच्चे को बहुत टाइम हो गया खाए हुए। सब डॉक्टर और नर्सेज यही बोल रही थी कि इतना बड़ा टांडा मेडिकल कॉलेज है और वो symptem को ट्रैक नही कर पाए। क्या फायदा ऐसे मेडिकल कॉलेज का। पूरे 10 दिन वेंटीलेटर पे रहने के बाद हमारा बच्चा हमे छोड़ कर चला गया। वो उसको बचा लेते अगर हम टाइम पे चले गए होते। टांडा मेडिकल कॉलेज सिर्फ सर्दी जुखाम ठीक कर सकता है। अब ये पहले वाला टांडा मेडिकल कालेज नही रहा। जिसका नाम हुआ करता था। अब मुझे ये समझ में नही आता कि यहां पे गलती किसकी थी हमारी जो पहले दिन से यही रट लगाए थे की इसने कुछ बीज खाया है या टांडा वाले डॉक्टर्स की या नगरोटा वाले डॉक्टर्स की जो यही बोलते रहे की वायरल खांसी है ठीक हो जाएगी। अगर टांडा वाले पहले दिन ही एक्सरे ले लेते जब हम उनके पास गए थे तो हो सकता हमारा बच्चा आज हमारे साथ होता। खैर हम तो अपने बच्चे को खो चुके हैं। मैने ये पोस्ट इसलिए डाला है ताकि किसी ओर को हमारी तरह अपना बच्चा या कोई करीबी ना खोना पड़े। आप अपनी बात ज़रूर कॉमेंट करके बताएं ओर हो सके तो शेयर भी कर दे। 😢😢
धन्यवाद
Accident: शाहरुख खान का हुआ एक्सीडेंट, खून रोकने के लिए करनी पड़ी सर्जरी
AHTV
WELCOMES U ALL
Once again🙏
3 bhk flat and one duplex for sale near chakkar barrier, Shimla,
Full day sunny & valley view, municipal corporation area,non himachali also can buy
Contact for details:- 7353300007
शिमला के नामी डॉक्टर ने की आत्महत्या, पुलिस ने शव लिया कब्जे में, कल होगा पोस्टमार्टम,कृष्णानगर का है मामला, आत्महत्या के कारणों का पता लगा रही पुलिस...शाम सवा पांच बजे की घटना..मृतक की पहचान डॉ. सुरेंद्र के तौर पर हुई है...
शिमला: सैंज में स्थापित हुई पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा...
Contact for trekking, hiking, camping, paragliding over Himachal Pradesh 🪂
& manny more
Road trips
+917876772930
क्यों आवश्यक है समान नागरिक संहिता?
आजादी के अमृतकाल में समानता की स्थापना के लिये अपूर्व वातावरण बन रहा है, इसके लिये वर्तमान में समान नागरिक कानून की चर्चा बहुत ज्यादा है। यह भारत की बड़ी जरूरत है। समानता एक सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वदेशिक लोकतांत्रिक मूल्य है। इस मूल्य की प्रतिष्ठापना के लिये समान कानून की अपेक्षा है। राष्ट्र का कोई भी व्यक्ति, वर्ग, सम्प्रदाय, जाति जब-तक कानूनी प्रावधानों के भेदभाव को झेलेगा, तब तक राष्ट्रीय एकता, एक राष्ट्र की चेतना जागरण का स्वप्न पूरा नहीं हो सकता। समान नागरिक संहिता दरअसल एक देश एक कानून की अवधारणा पर आधारित है। यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत देश के सभी धर्मों, पंथों और समुदायों के लोगों के लिए एक ही कानून की व्यवस्था का प्रस्ताव है। भारत के विधि आयोग ने 14 जून 2023 को राजनीतिक रूप से अतिसंवेदनशील इस मुद्दे पर देश के तमाम धार्मिक संगठनों से सुझाव 30 दिनों के अंदर आमंत्रित किए हैं। विधि आयोग द्वारा समान नागरिक संहिता को लेकर सुझाव आमंत्रित किए जाने के बाद इस पर बहस एक बार फिर से उग्र रूप से शुरू हो गई है। समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड में संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, उत्तराधिकार, तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एकसमान कानून बनाया जाना है।
समान नागरिक संहिता को लेकर भी एक ऐसा फोबिया बन गया है जिससे देश की सियासत को धर्मों में बांटने की कोशिशें की जा रही हैं। सियासत में ध्रुवीकरण की राजनीति जमकर हो रही है। बेहतर यही होगा कि मुस्लिम समाज अपनी गलतफहमियों को दूर करे। यद्यपि भारतीय संविधान में सभी को अपना धर्म मानने और उसका प्रचार करने की आजादी दी गई है। मजहब भले ही अलग-अलग हों लेकिन देश एक है। ऐसे में यह सवाल उठना भी लाजमी है कि एक देश में अलग-अलग धर्मों के हिसाब से अलग-अलग कानून कैसे औचित्यपूर्ण हो सकते हैं, फिर बवाल क्यों? देश का मुस्लिम भी समाज का एक हिस्सा है, जिसे इसी रूप में प्रस्तुत करने की परिपाटी चलन में आ जाए तो भेद करने वाले विचारों पर लगाम लगाई जा सकती है। लेकिन हमारे देश के कुछ राजनीतिक दलों ने मुसलमानों को ऐसे भ्रम में रखने के लिए प्रेरित किया कि वह भी ऐसा ही चिंतन करने लगा, जबकि सच्चाई यह है कि आज के मुसलमान बाहर से नहीं आए, वे भारत के ही हैं। परिस्थितियों के चलते उनके पूर्वज मुसलमान बन गए। वे सभी स्वभाव से आज भी भारतीय हैं और विचार से सनातनी हैं, लेकिन देश के राजनैतिक दल अपने राजनीतिक लाभ एवं वोट बैंक के चलते मुसलमानों के इस सनातनी भाव को प्रकट करने का अवसर नहीं दे रहे।
भारत विविधताओं से भरा देश है। यहाँ विभिन्न पंथों व पूजा पद्धतियों को मानने वाले लोग रहते हैं। इन सबके शादी करने, बच्चा गोद लेने, जायदाद का बंटवारा करने, तलाक देने व तलाक उपरांत तलाकशुदा महिला के जीवनयापन हेतु गुजारा भत्ता देने आदि के लिए अपने-अपने धर्मानुसार नियम, कायदे व कानून हैं। इन्हीं नियमों, कायदे व कानूनों को पर्सनल लॉ कहते हैं। अंग्रेज जब भारत आए और उन्होंने यह विविधता देखी, तो उस समय उन्हें लगा पूरे देश को सुचारुरूप से चलाने के लिए एक समान नागरिक आचार संहिता बनानी आवश्यक है। जब उन्होंने ऐसा करने की कोशिश की तो हर धर्मों के लोगों ने इसका विरोध किया। ऐसे में उन्होंने लम्बे समय तक यहाँ अपने पांव जमाये रखने के लिए किसी से उलझना ठीक नहीं समझा। इन परिस्थितियों में 1860 में उन्होंने इंडियन पैनल कोड तो लागू किया पर इंडियन सिविल कोड नहीं। यानि एक देश-एक दंड संहिता तो लागू की, लेकिन एक देश-एक नागरिक संहिता लागू करने का जिम्मेदारी एवं साहसपूर्ण काम नहीं किया। उसके बाद बनी सरकारों ने तो अंग्रेजों की सोच एवं नीतियों का ही अनुसरण किया, इसलिये वे भी अपने राजनीतिक हितों के लिये इसे लागू नहीं किया। जबसे नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं उन्होंने साहसिक निर्णय लेते हुए ऐसे राष्ट्रहित के निर्णय लेकर राष्ट्र को नया उजाला एवं सांसें दी है।
आज जबकि भारत विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है, जी-20 देशों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत कर रहा है, भारत की अहिंसा एवं योग को दुनिया ने स्वीकारा है, विश्व योग दिवस एवं विश्व अहिंसा दिवस जैसे आयोजनों की संरचना हुई है। इन सब सकारात्मक स्थितियों को देखते हुए भारत की कानून विषयक विसंगतियों को दूर करना अपेक्षित है। क्योंकि विश्व के कई देशों में समान नागरिक संहिता का पालन में होता है। लेकिन भारत में राजनीतिक फायदे के लिए तुष्टिकरण का ऐसा खेल खेला गया, जो विविधता में एकता एवं वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन को तार-तार कर रहा है। निजी कानूनों के कारण कहीं-कहीं विसंगति के हालात भी पैदा हो रहे हैं। सामुदायिक घटनाओं को भी राजनीतिक दृष्टि से देखा जाता है, घटना को देखने का यह नजरिया वास्तव में वर्ग भेद को बढ़ावा देने वाला है।
वर्तमान में हम देख रहे हैं कि कुछ लोग समान नागरिक कानून का विरोध कर रहे हैं, जबकि मुस्लिम समाज की महिलाएं इस कानून के समर्थन करने के लिए आगे आ रही हैं। 1985 में शाहबानो केस के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड का मामला सुर्खियों में आया था। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के बाद शाहबानो के पूर्व पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि पर्सनल लॉ में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना चाहिए। तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संसद में बिल पास कराया था। इस कानून के समर्थकों का मानना है कि अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के फैसले जल्द होंगे। शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। देश में हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से देश की राजनीति पर भी असर पड़ेगा और राजनीतिक दल वोट बैंक वाली राजनीति नहीं कर सकेंगे और वोटों का धूू्रवीकरण नहीं होगा। समान नागरिक संहिता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में भी सुधार आएगा। कुछ धर्मों के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं। इतना ही नहीं, महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे।
संविधान निर्माताओं की मंशा थी कि अलग-अलग धर्म के लिए अलग-अलग कानूनों के बजाय सभी नागरिकों के लिए धर्म जाति भाषा क्षेत्र और लिंग निरपेक्ष एक ‘भारतीय नागरिक संहिता’ लागू होना चाहिए। लेकिन भारत में जब भी समान नागरिक संहिता की बात उठती है तो उसका इस आधार पर विरोध किया जाता है इसके आधार पर वर्ग विशेष को निशाना बनाने की कोशिश है। इसके विरोध में तरह-तरह के कुतर्क दिए जाने लगे हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की मानें तो समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग की पहल मोदी सरकार के धू्रवीकरण का एजेंडा है। क्या वह यह कहना चाहते हैं कि संविधान निर्माताओं ने धू्रवीकरण के किसी एजेंडे के तहत ही अनुच्छेद 44 में यह लिखा था कि देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है? कांग्रेस को इस प्रश्न पर विचार करने के साथ ही इस पर शर्मिंदा होना चाहिए कि स्वतंत्रता के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने के बाद भी वह समान नागरिक संहिता के मामले में संविधान निर्माताओं की इच्छा का पालन नहीं कर सकी।
अगर हम यह चिंतन भारतीय भाव से करेंगे तो स्वाभाविक रूप से यही दिखाई देगा कि समान नागरिक कानून देश और समाज के विकास का महत्वपूर्ण आधार बनेगा। अगर इसे हिन्दू मुस्लिम के संकुचित भाव से देखेंगे तो खामी न होने के बाद भी खामियां दिखाई देंगी। मौजूदा सरकार पूरे देश में हर नागरिक को समान अधिकार देने के पक्ष में है। वह पुरुष हो या महिला। हिंदू हो या मुसलमान या किसी दूसरे मजहब को मानने वाले नागरिक। ऐसा होगा तभी देश में सामाजिक समरसता की स्थापना संभव हो सकेगी। लोक राज्य, स्वराज्य, सुराज्य, रामराज्य का सुनहरा स्वप्न भेदपूर्ण कानून व्यवस्था की नींव पर कैसे साकार होगा? यहां तो सब अपना-अपना साम्राज्य खड़ा करने में लगे हैं।
डॉ मामराज पुंडीर
प्रान्त महामंत्री
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ
हिमाचल प्रदेश
जिस सोशल मीडिया की आप निर्मिति होते हैं, आपका वाइरलत्व, आपकी लोकप्रियता, आपके लातादाद फॉलोअर्स और फ़ैन्स : वही उलट कर आपके ट्रोल भी हो जाते हैं, आपके मीम बनाने लगते हैं,आपको गालियाँ पड़ने लगती हैं - यह हम मुंतशिर प्रकरण में देख रहे हैं। यह बात अलग है कि इस निसलड़े , थेथर मंच पर गालियों से भी फ़ायदा ही होता है। बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा ! ट्रेंडिंग तो हैं।
मुंतशिर को देखते सुनते लगता है कि यह छोटे शहरों, कस्बों के स्कूली डिबेटर्स, सिर चढ़े मॉनिटर्स, हेडबॉय जैसा व्यक्तित्व है जो ब्लेज़र पहन कर मंच पर इतराते हुए खामखाह सेल्फ़ इम्पॉर्टन्स के शो ऑफ़ में इधर से उधर घूमते रहते हैं। इन्हें मुँहजोरी का अभ्यास होता है जिसे ये अपनी वक्तृत्व कला समझते हैं। ये तालियों के ज़हर से विषाक्त हो चुके मंचीय प्राणी हैं। इन्हीं तालियों की वासना में ये हनुमान के मुँह में सड़कछाप , वह भी इसी सोशल मीडिया से चुराया हुआ,संवाद रख देते हैं और तर्क करते हैं कि बेइज्जती तो रावण की हुई। इन्हें यह भी नहीं पता कि गरिमा के जिस स्तर पर हमारे पुराण रचे गए हैं वहाँ खलनायक भी हलकट ज़ुबान नहीं बोलते, तो 'बुद्धिमताम् वरिष्ठम ' कहे जाने वाले हनुमान इस तरह की छपरी भाषा कैसे बोलेंगे ! हनुमान को निरा कॉमिक कैरेक्टर मानने वाले इस मनबढ़ मूर्ख के लिए यही सज़ा उपयुक्त होगी कि इसे एक कमरे में मुँह पर टेप चिपका कर बंद कर दिया जाए और उस कमरे में 'आदिपुरुष' लूप में चलती रहे: डॉयलॉग भी तेरे, स्टोरी भी तेरी, काली काली लंका भी तेरी, और फ़िल्म तेरे ... की !
मुंतशिर एक टाइप हैं जो उनके दुर्योग से एक्सपोज़ हो गए हैं। वे हमारे हलकट युग के प्रतिनिधि स्वर हैं। वे बड़े मंचों पर सम्मानित होते हैं।उनके इंटरव्यू लिए जाते हैं। साहित्योत्सवों में उनके साथ सेल्फ़ी लेने वालों की भीड़ जमा हो जाती है। वे कभी बंद गले का सूट पहन कर आते हैं , कभी गमछा लपेट कर। युवा उनके पीछे दौड़ते हैं।
वे सेलिब्रिटी हैं। वे रोल मॉडल हैं। वे आदर्श हैं।
वे एक तालीखोर युग की सम्मानित बीमारी हैं।
# आशुतोष दुबे
https://youtu.be/zfIlHkT1I5U
Like share subscribe
भेड पालक की जिंदगी देखनें में सरल लगता है लेकिन होता इतना सरल नही #kinnaurvalley भेड पालक की जिंदगी देखनें में सरल लगता हैं लेकिन होता इतना सरल नहीं बहुत कुछ इनसे सीखने को मिलता हैं इनके कठिन श्रम ...
63 वर्षीय वजुर्ग लापता
पटड़ीघाट : उपमंडल वल्ह के रूप लाल (63) पुत्र कन्हिया लाल गांव छज्वाण खाबू डा सारध्वार सब तहसील रिवालसर जिनकी मानशिक स्थिति ठीक न होने के कारण पिछले रविवार सुबह अपने घर से बिना बताए चले गए हैं । और परिवार के सदस्यों के ढूढ़ने के बाद न मिलने पर परिवार के सदस्यों ने पुलिस चौकी रिवालसर में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है रूप लाल के पुत्र मणि शर्मा ने लोगो से गुहार लगाई है कि जिस भी व्यक्ति को इनके बारे में कोई भी जानकारी है तो व 9872984793 पर सूचित करें ।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=677386601071582&id=100064007436697&mibextid=Nif5oz
सामाजिक विषय -: रिकांग पिओ अस्पताल और रामपुर अस्पताल में कान के डॉक्टर नहीं ..
बीते कई सालों से किन्नौर में डॉक्टरों की कमी रही है
लेकिन वर्तमान में नई सरकार आनें से अस्पतालों में धीरे धीरे डॉक्टर व अन्य सुविधाओं की भरपाई होती जा रही हैं।
लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत हैं किन्नौर के पिओ भावानगर या टापरी कहीं भी स्पेशलिस्ट कान के डॉक्टर नहीं होनें से यहां के मरीजों को दिक्कत हो रही हैं।
यहां तक कि रामपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में भी कान के डॉक्टर नहीं हैं। राम पुर अस्पताल में 14 नंबर केबिन में कान के मरीज तो देखतें ही हैं लेकिन मरीज एक दम स्वास्थ्य नहीं हो रहें
लोगों को मजबूरन इलाज के लिये शिमला सोलन जाना पड़ रहा हैं।
सरकार से जनता अपील कर रही है कि किन्नौर या रामपुर अस्पताल में कान के स्पेशलिस्ट डॉ जल्द उपलब्ध करवाया जाये जिस से लोगों को इस स्वास्थ्य का लाभ भी मिलें।
Kinnaur Ab Tak
https://youtu.be/sRd2emgy9yU
Like share subscribe
भावा नगर मांग रोड टेम्पररी कालोनी से गरान्घ तक का आज शुरुवात हुआ है #news भावा नगर मांग रोड टेम्पररी कालोनी से गरान्घ तक का आज शुरुवात हुआ हैं इस रोड के खुलने से सुंगरा थानंग के बीच में बसें...
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=673714338105475&id=100064007436697&mibextid=Nif5oz
सामाजिक विषय -: क्या किन्नौर के पंचायतों में चुनें हुवे महिला प्रधान पंचायत चलाने में सक्षम नहीं होते है आखिर क्यों पंचायत के सारे कामों में उप प्रधान की अहम भूमिकाः होती है ??
विषय गंभीर है ध्यान से जानें भारत सरकार नें महिलाओं को हर फील्ड में आरक्षण इस लिये दिया ताकी महिला सक्षम बनें अपना निर्णय स्वयं ले सके किसी के दबाव में ना आयें।
इस लिये आज के दशक में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं राजनीति में भी सक्रिय दिखे जा सकते है हम सभी जानते है हमारे देश में महिला प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी नें बागडोर संभाल कर देश का नेतृत्व किया।
और आज राष्ट्रपति भी महिला है इस से जाहिर होता है भारत देश में महिलाओं कों विशेष स्थान व दर्जा दिया जाता है।
तो क्या हमारे किन्नौर के महिलाएं राजनति में सक्षम है कि वे स्वयं निर्णय ले सके मुझे किन्नौर के अन्य पंचायतों में तों ज्यादा पता नहीं लेकिन मेरे पंचायत में निडर निर्भीक लेडी प्रधान श्रीमती कांता डेरयान जी हैं
अब तक दूसरी बार पंचायत का नृतत्व कर रही है।
लेकिन कहीं ना कहीं वे यहां पुरुष समाज में पंचायत चलाने में असमर्थ हैं ऐसा दिख रहा है और कठोर निर्णय लेनें में सक्षम वे नहीं दिखे ऐसा क्यू पता नहीं ?
हालांकि सरकारी योजनाओं कों लेकर उनका सारा काम
सही है लोगों के निजी व गैर निजी कार्य को जल्द निपटारा करते है लेकिन कुछ निर्णय ऐसे है जहां प्रधान
बहुत पीछे दिखते है और उप प्रधान बहुत आगे
इस से मुझे जाहिर होता है शायद किन्नौर में जहां जहां लेडी प्रधान है वहां उप प्रधान हावी हैं।
ये कितना सत्य हैं पता नहीं लेकिन मेरे पास एक उधाहरण हैं। बीते कुछ सालों में टापरी में समर फेस्टिवल मनाये जा रहें हैं तब के प्रधान श्री वीर सिंह डेरयान और उप प्रधान श्री तेजिंद्र जी थे उन्होंने इस मेलें में एक नया रूप दे कर जिला स्तर के बराबर इस मैले कों पहुंचाया तब के पंचायत इस काम कों गांव के लोकल लोगों को ही दे कर उन्हें रोजगार देती थी मेला जहां भी होता हैं वह कहीं ना कहीं लोगों के रोजगार से जुड़ा होता हैं।
लेकिन कोविड के बाद जब दूसरी पंचायत आई तों यहां लेडी रिजर्वेशन रहा और चगांव से श्रीमती कांता देवी पुनः प्रधान चुनी गई।
लेकिन जब उनकी बारी में समर फेस्टिवल का आयोजन आया तो यहां सारा काम उप प्रधान को करते देखा उनको निर्णय लेते देखा उस वक्त इस मेलें कों ओपन
टेंडर करवा कर बाहरी लोगों को देनें का निर्णय किया फिर हमनें लड झगड़ कर सबसे कम रेट जिसका था उसके रेट में काम करने को कहां और हमनें किया भी
लेकिन इस बार के समर फेस्टिवल में पंचायत नें
बिलकुल ही अलग निर्णय लिया ना टेंडर करवाया ना गांव के किसी व्यक्ति को काम दिया और मेलें में अपनी मन मर्जी कर पंचायत के बाहर काम दिया।
ये उधाहरण इस लिये दे रहा हूँ अगर यहां लेडी प्रधान सक्षम होती तो शायद निर्णय गांव के पक्ष में होता और रोजगार गांव के लोगों कों मिलता वैसे भी महिलाएं पहले घर को अहमियत देती हैं।
पंचायत एक घर हैं और जो चुनें जाते हैं वे हमारे माय बाप होते हैं हम उनके दिशा निर्देश से गांव के विकास कार्यों में भाग लेते हैं।
लेकिन यहां उप प्रधान पूरा हावी दिखता हैं क्या यहां मेरा लेख सार्थक हैं कि किन्नौर में चुनें हुवे महिलाएं
कठोर निर्णय लेनें में सक्षम नहीं
प्रतिक्रियां जरूर करें।
राम भगत नेगी
Kinnaur Ab Tak
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=673229971487245&id=100064007436697&mibextid=Nif5oz
वॉल्वो सेवाएं लो
आरामदायक सफर करना हो
शिमला चंडीगढ़ जाना हो
5बजे शाम टापरी से यह निकलेगी
आराम दायक सफर करवा कर
आपको मंजिल तक पहुंचाएगी
माननीय केबिनेट मंत्री
श्री जगत सिंह नेगी आज हरी
झंडी दिखा कर इसे रवाना करेगें
जन संबोधन कर इसे
जनता को समर्पित करेगें
वॉल्वो में किराया थोड़ा ज्यादा होगा
हवाई जहाज जैसे सफर महसूस होगा
गर्मियों में ठंडक और सर्दीयों में गर्म
स्वचालित ऐसी लगा होगा
सरकार का धन्यवाद करना तो बनता है
जो जनता को इतनी बड़ी सौगात जो दिया
समय के साथ अब किन्नौर बदल रहा
मंत्री महोदय का आशीर्वाद जो पड़ रहा
कोटि कोटि नमन जनहित कार्य के लिये
स्वरचित
राम भगत नेगी
किन्नौर हिमाचल प्रदेश
094182 32143
Kinnaur Ab Tak
2 से 5 तक समर फेस्टिवल में चयन किये गये गायक गायिका समर फेस्टिवल चगांव पंचायत का बनाया गया मेला और इसमें स्टार कलाकार पहाड़ी भी बुलाए गये है इस मेलें कों रंगारंग बनाने के लिये बेहतर कलाकार बुलाए गये हैं।
लेकिन हमारा उधेश्य यही होना चाहिये पहली प्राथमिकता में नवोदित गायक गायिका को भी मौका मिलें और पहली प्राथमिकता में पंचायत के आसपास के हो।
कलाकार कोई छोटा बड़ा नहीं होता बस सिर्फ मंच देनें का प्रयास होना चाहिये। ग्राम पंचायत चगांव इस आयोजन कों सिर्फ गीत संगीत तक ही रखना चाहती हैं इसमें बहुत कुछ नया कर सकते थे मेलें कों आकर्षित बनाने के लिये।
गीत संगीत से हट कर भी
Kinnaur Ab Tak
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=672803641529878&id=100064007436697&mibextid=Nif5oz
सामाजिक विषय -: क्या JSW के बाईन्डर प्रवाहित क्षत्रों के पंचायतों में काम करेगें विषय गंभीर ध्यान से पढ़े और प्रतिक्रिया करें ??
समर फेस्टिवल टापरी जिसे गांव के पूर्व प्रधान श्री वीर सिंह डेरयान व तेजिंद्र उप प्रधान नें इस लिये अनुमति दी गई थी इसे से गांव वालों का रोजगार मिलें।
लेकिन बीते साल तक यह मेला टेंडर प्रक्रिया से चला था गांव के व्यक्ति राम भगत नें लड झगड़ कर यह मेला गांव के लोगों कों मिलें ऐसा एक संकेत दे कर वापिस सबसे छीन कर स्वयं किया जो लो रेट में टेंडर लगा था तब यह मेला 90हजार में मिला जिसमें टेंट साउंड स्टेज vip चेयर सामान्य चेयर संचालक boys गर्ल्स गाड़ी किराया आदि लिया और मैले कों चलाया भी।
लेकिन इस बार टेंट डीजे साउंड और संचालक का काम गांव के बहार देनें से JSW कंपनी शोलटू पर एल सवालिया निशान बन गया है।
क्या भविष्य में गांव के सामाजिक काम अब गांव के बेरोजगार युवक को ना मिल कर अब JSW कंपनी अपने वाईन्डर कों देगी।
अगर इस समर फेस्टिवल की तरह गांव के सारे काम युवाओं कों दर किनार कर कंपनी ऐसे ही काम करती है तो भविष्य में बेरोजगार युवकों का क्या होगा।
जब इस विषय पर मैंने कंपनियों के अधिकारियों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया टापरी समर फेस्टिवल के लिये स्पॉन्सर की बात चगांव पंचायत से बात आई और उन्होंने 40 हजार का टेंट का सहयोग लिया और किसी व्यक्ति के acc में डालने कों कहा उन्हें कंपनी के किसी निजी व्यक्ति कों काम देनें को कहा उन्होंने कहा हमें यह पता नहीं वह व्यक्ति हमारा बाइन्डर है या स्थानीय प्रवाहित क्षेत्र से आता है या नहीं इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई।
बस उनसे स्पांसर करने कों कहा और किसी वक्ती के खाते में 40 हजार पैसें डालने कों कहा उन्होंने डाला।
साउंड का भी पंचायत नें 50 हजार राजन साउंड को बिना टेंडर से एडवांस भेंज दिया इस तरह 90 हजार का टेंट साउंड तो बुक हो गया अब ऑर्केस्ट्रा का मुझे पता नहीं कितने का गया मंच संचालक का पता नहीं कितना दे रहें गायक गायिका का पता नहीं कितने का बुक है लेकिन जहां इस काम कों 90 हजार में साउंड टेंट डीजे ऑर्केस्ट्रा संचालक चेयर vip चेयर स्टेज डेकोरेशन गाडिया आदि का काम ओपन टेंडर में दिया जाता था गुप्त टेंडर में खुलेआम कर लूट कौन मचा रहा
स्थानीय कंपनी JSW या स्थानीय पंचायत
यह गंभीर विषय
Kinnaur Ab Tak
समय आ गया है की हिमाचल की सुंदरता से राज्य को आर्थिक लाभ मिले। हिमाचल को Film Capital बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।Tourism के इलावा Film Capital बनने से राज्य को ना सिर्फ़ आर्थिक लाभ होगा बल्कि यहाँ के कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौक़ा मिलेगा |
:ओशीन शर्मा
AB+Blood की जरूरत
IGMC शिमला
मोबाईल नंबर 8219313194 ward 57 नाम संतोष कुमारी 5th floor casualty
आईये मदद करें।।
नाम - अक्षित
कल सुबह 8:30 बजे से गायब है। क्वाटर से काॅलेज के लिए निकला था लेकिन 8:40 के बाद से फोन स्विच ऑफ है। बहुतकनिकी महाविद्यालय सुंदरनगर का छात्र है। कृपया कर ढूँढने में करें मदद। अगर कुछ पता चलता है तो इसके पिता दुर्गा दास से सम्पर्क कर सकते हैं। उनका नम्बर है 9817317061
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=671231728353736&id=100064007436697&mibextid=Nif5oz
सामाजिक विषय - चगांव पंचायत में ऐसा कौन व्यक्ति हैं जो गांव के युवाओं के हित ना सोच कर बाहर के कलाकारों और टेंट डीजे वालों को प्रोत्साहन करता हैं।
पंचायत में प्रतिनिधि वोट से पहले तो घर-घर जा कर विकास का नारा दे कर वोट मांगता हैं और जीत कर व सत्ता प्राप्त तो करता हैं और बाद में अपनी मन मर्जी चलाने लगते हैं।
टापरी मेला जिसे सूझ-बूझ से पूर्व प्रधान श्री वीर सिंह डेरायान और उप प्रधान श्री तेजिन्दर नें चलाया था
वह इस लिये की उस से स्थानीय पंचायतों को रोजगार मिलें और फिर समर फेस्टिवल नाम दे कर इस में कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच भी बना।
जब पहली बार मुझे उसका जिम्मा सौंपा मैंने स्वयं इस मेलें को बेहतर बनाने के लिये ट्रॉफी भी स्पांसर किया तब इस मेलें में छोटे भाई राम प्रकाश और मैंने सारा ट्रॉफी स्पांसर कर पंचायत के कार्यो में योगदान किया और जितना बजट मुझे काम का मिला उस बजट में बेहतर करने की कोशिश की।
उसके बाद कोविड आता हैं नई पंचायतें नये प्रधान श्रीमती कांता देवी और राजेश जी आयें गांव में इनका योगदान कितना हैं कैसे हैं पता नहीं लेकिन पिछली बार मेलें में नया कानून बनाया जबकी मेलें में स्थानीय गांव के टेंट डीजे वालों को टेंडर करवाना चाहिये इन्होंने ओपन टेंडर करवाया।
लेकिन यहां उप प्रधान श्री राजेश नेगी नया खून नया जोश कुछ करने की चाहता लेकिन सच कहूँ तो जितना बेहतर हम इस मेलें को कर सकते हैं उतना नहीं पंचायत प्रतिनिधियों को चाहिये गांव के जमीन और पंडाल से पैसें आ रहें हैं मेला करवाने के लिये भीड़ इक्कट्ठा करवाने के लिये वह पैसा गांव के लोगों के उपर खर्च करना चाहिये
राजेश उप प्रधान जो अपने आप को एक एक्टिव प्रधान समझते हैं बहुत ही कर्मठ समझते हैं उन्होंने
पिछली बार मेलें में ऑर्केस्ट्रा की नींव रखी मैं शुरू से ही टापरी मेलें में ऑर्केस्ट्रा का खिलाफ रहा इस लिये कि यह मेला हमारी सांस्कृतिक और विरासत से जुड़ा नहीं हैं यह मेला भीड़ इक्कट्ठा करने के लिये ही हैं सांस्कृतिक विरासत के साथ जुड़ा होता तो ऑर्केस्ट्रा अच्छा भी लगता यहां मेरे विचार से ऑर्केस्ट्रा में लगने वाला पैसें 40/50 हजार रुपये को हम अपने गांव के वरिष्ठ सेनिकों को सम्मान कर सकते हैं गांव में बेहतर काम करने वालें महिला मंडल युवक मंडल को सम्मान कर सकते हैं। पंचायत में काम कर रहें वार्ड सदस्य जो सबसे बेहतर काम कर रहें हैं उनको सम्माम कर सकते हैं। स्थानीय स्कूलों में 10th और 12 वी के बच्चें जिन्होंने अच्छे नंबर लाये हैं उन्हें सम्मान कर सकते हैं।
स्थानीय स्कूलों में बेहतर अध्यापक जो बच्चों को रात दिन बच्चों को शिक्षा दे रहा हैं हम उन्हें सम्मान कर सकते इस ऑर्केस्ट्रा के बचत से बच्चों के एकल गायन समूह गायन प्रस्तुत कर उन्हें इनाम दे सकते हैं। इस ऑर्केस्ट्रा के बचत से हम गांव के लेखक लेखिका जो गीत गज़ल कविता लिखते हैं उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये इनाम दे सकते गांव में हमारे कुछ युवक ब्लड डोनेशन संस्था चलाते हैं उनको सम्मान कर सकते हैं
गांव में बहुत से कल्ब खेल खेलकर बड़े बड़े ट्रॉफियां ला कर गांव का मान बड़ा रहें हैं हम उनका समान कर सकते हैं।
गांव के बच्चों में पेंटिंग प्रतियोगता भाषण प्रतियोगता करवा कर उन्हें इनाम दे सकते हैं। गांव में बहुत सारे युवा युवतियां कवि कवयित्री हैं उनको मंच दे कर उन्हें सम्मान कर सकते
और समाज में बेहतर काम करने वाले युवक युवतियां को सम्मान कर सकते हैं लेकिम हम इस मेलें को सिर्फ गीत संगीत से ही जोड़ते। कोई नया नहीं होता बस फालतू खर्चे का मेला हो रहा और वह भी गांव के बाहर ले लोगों पर लुटाया जा रहा।
चलो पिछली बार ऑर्केस्ट्रा लाया दिखाया अच्छी बात तब भी मैंने कम बजट में बेहतर करने की कोशिश की उस वक्त मुझ से कहा गया जब तक पंचायत में हम हैं तब तक यह मेला आपके पास होगी। पर इस बार मेरे साथ खेल खेला गया ?
हमनें मेलें में इस बार नया करना हैं इतना बजट हैं आप क्या कर सकते हो नया ऐसा कुछ नहीं मुझसे पूछा गया मैंने उप प्रधान को बीते एक हफ्ता पहले मेस्ज किया कोई रिप्लाय नहीं आई।
और मैंने इस मेलें के लिये इस बार बहुत सी नई प्लान की थी जिससे इस मेलें को लोग देश विदेश तक तारीफ करते लेकिन कहते हैं ना जब पंचायत में कोई होशियार और चतुर निकले उस पंचायत का कभी भला नहीं हो सकता।
लेकिन यहां कोई तो हैं पंचायत में हैं जो नहीं चाहता टापरी मेला राम भगत ना करें पूरी की पूरी कोरम नें किसी एक की बात कैसे सुना समझ से परे हैं।
पंचायत मैं बैठें कोई भी बुधीजीव नहीं था जो ये समझ सके इस मेलें का आयोजन स्थानीय लोगों को ही दे कर करवाएं भले ही राम भगत को हटाए लेकिन मेरे गांव के किसी को तो देतें।
इस स्टाल को लगाने के पीछे पूर्व प्रधान श्री वीरसिंह डेरयान और उप प्रधान श्री तेजिन्दर नेगी नें यही सोच कर लगाया होगा यहां गांव के लोगों को रोजगार मिलें
मुझे यहां राजन साउंड कपिल टेंट से कोई शिकायत नहीं
पंचायत से हैं आखिर पंचायत के भीतर के लोग भी बहुत हैं टेंट डीजे वाले तो पंचायत में भी बहुत हैं तो आखिर गांव से बाहर जानें की नौबत कैसे आई और क्यों आई क्या इस से पहले के मेलें नहीं हुवे क्या भीड़ इक्कठे नहीं हुवे या मेला फ्लॉप रहा।
ऐसा कौन व्यक्ति हैं पंचायत के भीतर जो पूरी की पूरी पंचायत को भ्रमित करने वाला कोई तो हैं जो इसमें गांव के लोगों के साथ 420 कर रहा
गांव के युवकों को रोजगार नहीं देना चाहता आखिर बाहर के लोगों को रोजगार देना मतलब कहीं यह मेला कमीशन से जुड़ा तो नहीं क्यों की लोकल व्यक्ति से कमीशन नहीं ले सकता बाहर के कलाकारों ज्यादा महत्व रखा गया कितने में बाहर के कलाकारों को इस मेलें में बुलाया जा रहा। कहीं उसमें भी कमीशन तो नहीं जुड़ा हैं। कोई तो हैं जहां कोई हमारे पंचायत को कोई भ्रमित कर रहा।
टेंट कितने का दिया गया साउंड कितने का दिया गया
ऑर्केस्ट्रा कितने का दिया गया कलाकार गांव से कितने उनका रेट कितना हैं बाहर के कलाकार को कितना पिछली बार 90 हजार में टेंट ऑर्केस्ट्रा साउंड स्टेज और संचालक गाड़ियां किराया था
था इस बार इन सब को कितने का और क्या गांव का कोई सक्षम नहीं था जिसे पंचायत नें बाहर से बुलाया
उप प्रधान कहता टेंट स्पॉन्सर हैं तो कंपनी नें टेंट ही स्पॉन्सर कैसे किया हमें घुमाया किया जा रहा और मिली भगत से गांव वालों को गुमराह किया जा रहा मेलें आयोजन में हमें बुलाया क्यों नहीं हमसे पूछा क्यों नहीं आप सक्षम हो हमें इस बार ऐसा करना हैं इतना बचत हैं कंपनी स्पांसर में पैसा या चेक देती हैं। टेंट नहीं
भीतर ही भीतर सारा खेल खेला गया अपनों चाहते के लिये और कहीं ना कहीं कमीशन के लिये किसी नें तो यह खेल रचा हैं।
हमारे गांव में बहुत सारे व्हाट्सअप पटल में मेलें से संबंधित प्रधान उप प्रधान नें कोई सूचना नहीं दी जबकी चगांव में सड़क निर्माण के दौरान बार बार लोगों को सूचित किया जा रहा था।
लेकिन मेलें से संबंधित कोई विज्ञापन और सूचना गांव के व्हाट्सअप ग्रुप में नहीं दिखा इस से जाहिर था यह मेला पंचायत में प्री प्लान से टाई किया था गांव के भीतर किसी को ना दे कर बाहर को दे
जिसके बदले में शायद कहीं ना कहीं किसी को इसमें कुछ मिल रहा था आखिर कौन हैं इसकी तह तक हम जरूर जायेंगे और इस खेल को रचनें वालें कहानी कार का जरूर पर्दा फास करेगें वो चाहे पंचायत प्रधान हो या उप प्रधान या बीडीसी या गांव का कोई अन्य सलाहकार जो पंचायत को राय देता हो।
राम भगत नेगी
Kinnaur Ab Tak
Click here to claim your Sponsored Listing.
proressive voices
A platform all progressive and minority voices.......
Videos (show all)
Category
Contact the business
Telephone
Website
Address
Ghumarwin
174023
Ghumarwin
Ghumarwin
अपने क्षेत्र की खबर, कार्यक्रम कवर या विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें 7018410757
NEAR DAKRI CHOWK GHUMARWIN
Ghumarwin, 174021
देखें कहलूर NEWS चैनल की लाइव खबरें एवं लाइव अपडेट