Pz khan
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Athuna Vas Badora Gaon
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Sam
जैसलमेर
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Roshan Hospital Phalsund Jaisalmer Rajsthan
BE THE ONE WHO GIVES AND NOT THE ONE WHO TAKES �
.
मुसलसल जारी है, मुंझ में ही तामीर मेरी,
कही से बनता हूं तो, कही से बिखर जाता हू।
Sabse mila na kro itni sadgi ke sath ,
Ye dorr alag hai ye log alag hai !
मैं दुश्मन से खुदारी की उम्मीद रखता हु
सर किसी का भी हो कदमों में अच्छा नहीं लगता !!
सुकुन की बाते मत कर गालिब,
तूफानो से लड़ने में मजा ही कुछ और है!!
ज़मीर बेच कर लस्कर के साथ खड़ा होने से ,
ज़मीर बचा कर अकेला खड़ा होना लाख दर्जा बेहतर है।
_ 💫⛳
हवाओं की भी अपनी अजब सियासतें है साहब..
कही बुझी राख भड़का दे तो कहीं जलते चिराग़ बुझा दें
Duniya Ki ' Shai ' Se Dil Lagana ' Maslan ' ,
Eid Ke Din Roza Rakhna !
Pz khan
Bad day's
BUILD BETTER DAY'S
Jis khas ke liye aap khas nahi ,
Use aam kijiye, Qissa tamam kijiye ✨
पर्दा नसीं रहता नही कोई भी उम्र भर
! गालिब!
वक्त की रफ्तार से उतरते है नकाब लोगो के
हमे जमाने से नही ,
अपने इरादों से डर लगता है!,⛳
हमसे नहीं होती टूटे तालुक़ में बहालिया
, हम बदल जाने वालों को मुर्दा तसव्वर करते है
हर शख्स नहीं होता हर शख़्स के क़ाबिल !
हर किसी को अपने लिए परखा नहीं करते !!
ये सोचना ग़लत है की तुम पर नज़र नहीं ,
मशरूफ बहुत हूँ मगर बेख़बर नहीं !
मुझको रहे हयात में लूटने का डर नहीं ,
मैं वो चिराग़ हू जिसे बुझाने का डर नहीं !
Being yaseen
🌱
नतीजों की सोच के फेसले लेना हमारी फितरत नहीं ,
नतीजे हमारे फ़ेसलो से बदल जाया करते है !
NEVER FOLD NEVER BACK DOWN 👀 Sidhu Moose Wala
उड़ जाएँगे एक दिन तस्वीर में रंगो की तरह ,
हम वक़्त की टहनी में बैठे है ,परिंदों की तरह !
हम सायादार पेड़ ज़माने के काम आये
जब सूखने लगे तो जलाने के काम आये
खुली छतो के दिये कब बुझ गये होते ,
कोई तो है जो हवाओ के पर कतरता है !
-वसीम बरेलवी
चले थे जिस ज़ानिब वो रास्ता तमाम हुआ ,
में गुज़रता रहाँ और सफ़र आसमान हुआ
लाख तलवारे बड़ी आती है गर्दन की तरफ़ ,
सर झुकना नहीं आता तो झुकाए कैसे !
EID MUBARAK 💝
शहर-ए-सुख़न में ऐसा कुछ कर इज़्ज़त बन जाए
सब कुछ मिट्टी हो जाता है इज़्ज़त रहती है
और कुछ रोज़ के मेहमाँ है जमाने हम् भी
लग ही जाएँगे किसी रोज़ ठिकाने हम् भी
उम्र का बढ़ना तो दस्तूर-ए-जहाँ है ,
महसूस ना करो तो बढ़ती कहाँ है !
मंज़िल समझ कर बैठ गए जिनको चंद लोग ,
मैं ऐसे रास्तो से गुजरता चला गया !
ना किसी पीर से पूछो, ना फकीर से पूछो,
तुम अपने बारे में अपने ज़मीर से पूछो।
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सिंह नाम रख जग भयो क्षत्रिय भयो ना कोय, वचन के खातिर जे प्राण दियो, उहे क्षत्रिय होये