POOJA INDIA QUEEN
पेज फोलो FOLLOW * 👍 जरूर करे
जब 1991 में मेरी शादी कैप्टन शफीक़ गौरी से हुई तो मेरी उम्र 19 साल थी. उनके अक्सर तबादले होते रहते थे और वो मुझसे लंबे समय के लिए दूर भी रहते थे. शुरुआत में मेरे लिए ये बहुत मुश्किल था. लेकिन वो मुझे समझाते कि सैनिक की पत्नी होना कैसा होता है. उस ज़माने में मोबाइल फ़ोन नहीं होते थे. मैं घंटों फ़ोन के पास बैठकर उनके कॉल का इंतेज़ार किया करती थी.
हम दोनों एक दूसरे को पत्र लिखा करते थे. मेरे पति ये सुनिश्चित किया करते कि मुझे हर दिन एक पत्र प्राप्त हो. मैं उनके लिए छोटे-छोटे नोट लिखा करती और उनकी लगेज में छोटे-छोटे सरप्राइज़ छुपा दिया करती.
अगले कुछ सालों में उनकी पोस्टिंग कुछ बेहद ख़तरनाक इलाक़ों में हुई. उस ज़माने में पंजाब और पूर्वोत्तर ख़तरनाक इलाके हुआ करते थे. उनकी पोस्टिंग त्रिपुरा, श्रीनगर और पंजाब में हो चुकी थी. वो कई दिनों तक घर से बाहर रहते थे. लेकिन तब तक मैंने खुद को मज़बूत कर लिया था. मैं अपनी और बच्चों की देखभाल करने लगी थी.
मैं ये जान गई थी कि उनका पहला प्यार उनका देश है और बीवी और बच्चे दूसरे नंबर पर आते हैं.
1999 में वो श्रीनिगर में फ़ील्ड पोस्टिंग पर थे. वो एक ख़तरनाक इलाक़ा था इसलिए परिवार को साथ रहने की अनुमति नहीं थी. मैं बैंगलुरू में रहने लगी थी.
28 जून 2001 को हमने आख़िरी बार बात की थी. उन्होंने हमारी ख़ैरियत पूछी थी और बताया था कि वो एक सैन्य अभियान में जंगल में हैं. वो बच्चों से बात करना चाहते थे लेकिन वो अपने कज़िन के साथ खेल रहे थे और बहुत शोर शराबा भी था. मैंने उनसे कहा था कि वो बेस पर लौटकर कॉल करें और बच्चों से बात करें. मुझे आज भी अपनी उस बात का अफ़सोस होता है.
एक जुलाई 2001 को शाम करीब साढ़े छह बजे कुछ सैन्य अधिकारी और उनकी पत्नियां हमारे घर आए. अचानक एक महिला ने मुझे बिठाया और बताया कि मेजर गौरी अब नहीं रहे हैं.
वो अपनी बात कह चुकी थीं लेकिन मुझे लगा कि मैंने ग़लत सुना है. शायद कोई ग़लती हुई है. उन्होंने बताया कि वो सुबह से हमसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन फ़ोन लाइनों में दिक्कत की वजह से नहीं कर पाए थे.
ऑपरेशन रक्षक के दौरान चरमपंथियों के साथ हुई आमने-सामने की लड़ाई में मेजर गौरी शहीद हो गए थे. और उनके साथ ही मेरी पूरी दुनिया धराशाई हो गई थी. मेरे इर्द गिर्द जो कुछ भी था नष्ट हो गया था.
वो अंतिम दिन था जब मुझे उनसे कोई पत्र प्राप्त हुआ था. अगले दिन मैं एयरपोर्ट गई, उन्हें अंतिम बार रिसीव करने. इस बार वो एक बक्से में आए, तिरंगे में लिपटे हुए. मैं बहुट रोई. उन्होंने हमेशा मुझसे मज़बूत बने रहने के लिए कहा था. जब हमने अंतिम बार बात की थी तब भी उन्होंने यही कहा था. लेकिन मैंने उनके बिना अपने जीवन की कभी कल्पना ही नहीं की थी.
मैंने उनकी वर्दी और कपड़ों को एक बक्से में रख दिया. मैंने आठ सालों तक उन कपड़ों को नहीं धोया क्योंकि मैं उन भावनाओं और अहसासों को साथ रहना चाहती थी. उनके पैसे अभी भी उनके वॉलेट में है. मैं आज भी उनके पत्र पढ़ती हूं. मैंने एक मां और एक पिता की भूमिका निभाने की कोशिश की है लेकिन जब मैं बच्चों को अपने माता-पिता के साथ खेलते हुए देखती हूं तो अपने आंसू रोकने की कोशिश करती हूं.
आज मैं कर्नाटक में शहीदों के परिवारों और शहीदों की विधवाओं की बेहतरी के लिए काम करती हूं.
जब मेजर शफीक़ गौरी शहीद हुए तो मेरी उम्र 29 साल थी. लोगों ने मुझसे ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए कहा. लेकिन वो मेरे साथ थे, मेरे साथ हैं और हमेशा रहेंगे.
सलमा शफ़ीक़ गौरी, तस्वीर,
िन्द
#शेयर जरूर करें, ऐसे बहादुरी भरे किस्से!!
"शौर्य साहस का तू चन्दन हैं!
हे मातृभूमि के वीर तुम्हारा वन्दन हैं!!"
बहादुर सेविका POOJA INDIA QUEEN
बहुत समय बाद मिश्री अपने गाँव आई।
अपने गाँव की गलियों को पार करते हुए जब वह गुज़र रही थी तो उसकी आँखों में बचपन का अल्हड़पन औऱ किशोरावस्था की मस्ती नाचने लगी।
वह अपने गाँव आना लगभग बंद कर चुकी थी क्योंकि उसके भाइयों ने उसकी शादी जबरदस्ती किसी ऐसे दूसरे आदमी से करा दी जो उससे उम्र में तीन गुना बड़ा था और जिसके बदले उन्हें मोटी रकम भी मिली ।
बस वह चुपचाप यह शादी निभाती गयी लेकिन आज बरसों बाद जब अपने गाँव बसने आई तो अपने प्रेमी को मिले बिना मन ही नहीं मान रहा था।
उसके पैर खुद-ब-खुद उस दिशा में बढ़ गए जहाँ विष्णु का घर था।
" कोई है? खट- खट -खट ।"
और फिर से दरवाजा खटखटाती है। दरवाजा धक्के से खुल जाता है। भीतर एक खटिया पर बूढा-सा आदमी लेटा हुआ था। वह देखती है यह तो उसका विष्णु ही है ।
"क्या हालत कर दी है? विष्णु पहचाना ?मैं हूँ मिश्री !तुम्हारी मिश्री।"
आज बरसों बाद उसे देखकर विष्णु ने कुछ देर तो पहचाना ही नहीं।
"बरसों बाद गाँव तुम्हारा प्यार ही खींच लाया। मैं तुम्हारी सुध लेने ही आयी हूँ।"
वह केवल उसे ताकता रह गया।
" वर्षों तक हमने एक-दूसरे से कोई संपर्क नहीं रखा ताकि हमारी गृहस्थी में कोई आँच न आए। पर आज जब मैं बिल्कुल अकेली हूँ। मेरा दिल किया कि मरने से पहले तुम से मिल लूँ।" पलंग पर पड़ा विष्णु धीरे धीरे आँखें बन्द करता है ।उसकी हालत बेहद खराब है ।
मिश्री पूछती है," विष्णु तुम्हारे परिवार वाले कहाँ गए? तुम्हारी हालत ऐसी क्यों है ?ऐसी गंदगी में क्यों सोए हो? क्या तुम्हारा काम करने वाला कोई नहीं है ?
"नहीं मिश्री मेरा कोई नहीं है ।माँ और बहन भी समय के साथ साथ छोड़ कर चली गई ।मैंने विवाह नहीं किया मिश्री। तुमसे वादा किया था ना कि मैं तुम्हारे अलावा किसी का हाथ नहीं थामूँगा।
" क्या कह रहे हो विष्णु ?तुमने मुझसे कहा था कि तुम अपनी गृहस्थी में खुश रहना। मैं भी खुश रहूँगा। यह कैसी खुशी है?"
विष्णु हौले से मुस्कुराते हुए उसका हाथ दबा देता है।
" क्यों तुमने पूरा जीवन अकेलेपन में काट दिया? मुझे एक बार तो मिल कर कह देते ।शायद मैं लौट आती।"
" नहीं मिश्री! मैं नहीं चाहता था कि समाज में तुम्हारी बदनामी हो।लोग तुम्हारे लिए उल्टा-सीधा कहे। मुझे पता था तुम बहुत समझदार हो ।अपना जीवन बहुत अच्छे से व्यतीत कर लोगी। मेरा क्या है? माँ ने बहुत खयाल रखा फिर बहन ने। अब आस-पास के लोगों ने खाना-पीना देकर मेरी इस हालत में भी मेरा साथ दिया । कभी -कभी लगता है वक्त आ गया है।
"नहीं! ऐसा मत कहो। हम अभी डॉ के पास जाएँगे, पूरा इलाज करेंगे।"
"हाँ! लेकिन पिछले 2 दिनों से मेरी ताकत ही नहीं है कि मैं चलकर बाहर जा सकूँ।"
"चलो विष्णु !आओ मैं तुम्हें अपने हाथों से नहला कर तैयार करूँगी।"
यह कहकर धीरे-धीरे मिश्री,विष्णु की बाँह कर पकड़ कर उठाती है और विष्णु के घर के बाहर बने खुले बाथरूम में उसे बड़े प्रेम से नहला कर साफ करती है। दोनों की बूढ़ी ऑंखों में बचपन से लेकर जवानी के सारे दृश्य घूम जाते हैं।
जब दोनों ने बहुत सारा समय एक साथ या इसी तरह बिताया।लड़कपन में एक दूसरे को खूब भिगोया और खेला। क्या होली !क्या दिवाली !सब साथ ही मनती थी।
गाँव वाले फुसफुसाहट करते पर विष्णु की माँ मिश्री को बड़ा पसन्द करती थी।
लेकिन मिश्री के भाइयों को मंजूर नहीं था कि मिश्री किसी दूसरी जात वाले लड़के से घुले-मिले और शादी करें। वह तो बस अपनी बिरादरी का ही वर चाहते थे जो उनको मिश्री के बदले पैसा भी दे और बिरादरी में नाक बिना कटे ये बला टले।
फिर मिश्री से तीन गुनी उम्र वाले आदमी से उसे बाँध दिया। जो दस वर्ष तक भी साथ ना निभा पाया और स्वर्ग सिधार गया।भाइयों ने कभी मुड़ कर न देखा। पिताजी तो बचपन मे ही भगवान को प्यारे हो गए थे। जब वह सोलह की हुई तो माँ भी चल बसी ।वह जीती तो शायद कभी बुलाती।।
मिश्री ने अपने दो बच्चे बड़े किए और उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने लायक बना दिया।
वे उसे अपने साथ रखना चाहते थे।किंतु वह अब आज़ादी चाहती थी। उनका विवाह करने के बाद उसने तय किया कि वह अपने गाँव जाकर रहेगी लेकिन अब विष्णु से मिलने के बाद उसे एहसास हो रहा है कि अब दुनिया कुछ भी कहे ।
बची हुई जिंदगी वह विष्णु के साथ ही बिताएगी।
वह पूछती है,विष्णु!अपनी मिश्री से ब्याह रचाओगे?"
उसने कहा ,"एक शर्त है।"
हाँ! मैं तो सब शर्तें मानने को तैयार हूँ।
बोलो तो?
"तुम मुझे रोज़ ऐसे ही नहलाओगी?"
दोनों ज़ोर-ज़ोर से हँसते हैं।
फिर क्या था ।उनका अनोखा प्यार उस मोड़ पर आ मिला जहाँ लोग जीने की उम्मीद ही छोड़ देते है।
INDIAN POOJA INDIA QUEEN
Pooja Gurjar Queen 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
पति ने पत्नी को किसी बात पर तीन थप्पड़ जड़ दिए, पत्नी ने इसके जवाब में अपना सैंडिल पति की तरफ़ फेंका, सैंडिल का एक सिरा पति के सिर को छूता हुआ निकल गया।
मामला रफा-दफा हो भी जाता, लेकिन पति ने इसे अपनी तौहिनी समझी, रिश्तेदारों ने मामला और पेचीदा बना दिया, न सिर्फ़ पेचीदा बल्कि संगीन, सब रिश्तेदारों ने इसे खानदान की नाक कटना कहा, यह भी कहा कि पति को सैडिल मारने वाली औरत न वफादार होती है न पतिव्रता।
इसे घर में रखना, अपने शरीर में मियादी बुखार पालते रहने जैसा है। कुछ रिश्तेदारों ने यह भी पश्चाताप जाहिर किया कि ऐसी औरतों का भ्रूण ही समाप्त कर देना चाहिए।
बुरी बातें चक्रवृत्ति ब्याज की तरह बढ़ती है, सो दोनों तरफ खूब आरोप उछाले गए। ऐसा लगता था जैसे दोनों पक्षों के लोग आरोपों का वॉलीबॉल खेल रहे हैं। लड़के ने लड़की के बारे में और लड़की ने लड़के के बारे में कई असुविधाजनक बातें कही।
मुकदमा दर्ज कराया गया। पति ने पत्नी की चरित्रहीनता का तो पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। छह साल तक शादीशुदा जीवन बीताने और एक बच्ची के माता-पिता होने के बाद आज दोनों में तलाक हो गया।
पति-पत्नी के हाथ में तलाक के काग़ज़ों की प्रति थी।
दोनों चुप थे, दोनों शांत, दोनों निर्विकार।
मुकदमा दो साल तक चला था। दो साल से पत्नी अलग रह रही थी और पति अलग, मुकदमे की सुनवाई पर दोनों को आना होता। दोनों एक दूसरे को देखते जैसे चकमक पत्थर आपस में रगड़ खा गए हों।
दोनों गुस्से में होते। दोनों में बदले की भावना का आवेश होता। दोनों के साथ रिश्तेदार होते जिनकी हमदर्दियों में ज़रा-ज़रा विस्फोटक पदार्थ भी छुपा होता।
लेकिन कुछ महीने पहले जब पति-पत्नी कोर्ट में दाखिल होते तो एक-दूसरे को देख कर मुँह फेर लेते। जैसे जानबूझ कर एक-दूसरे की उपेक्षा कर रहे हों, वकील औऱ रिश्तेदार दोनों के साथ होते।
दोनों को अच्छा-खासा सबक सिखाया जाता कि उन्हें क्या कहना है। दोनों वही कहते। कई बार दोनों के वक्तव्य बदलने लगते। वो फिर सँभल जाते।
अंत में वही हुआ जो सब चाहते थे यानी तलाक ................
पहले रिश्तेदारों की फौज साथ होती थी, आज थोड़े से रिश्तेदार साथ थे। दोनों तरफ के रिश्तेदार खुश थे, वकील खुश थे, माता-पिता भी खुश थे।
तलाकशुदा पत्नी चुप थी और पति खामोश था।
यह महज़ इत्तेफाक ही था कि दोनों पक्षों के रिश्तेदार एक ही टी-स्टॉल पर बैठे , कोल्ड ड्रिंक्स लिया।
यह भी महज़ इत्तेफाक ही था कि तलाकशुदा पति-पत्नी एक ही मेज़ के आमने-सामने जा बैठे।
लकड़ी की बेंच और वो दोनों .......
''कांग्रेच्यूलेशन .... आप जो चाहते थे वही हुआ ....'' स्त्री ने कहा।
''तुम्हें भी बधाई ..... तुमने भी तो तलाक दे कर जीत हासिल की ....'' पुरुष बोला।
''तलाक क्या जीत का प्रतीक होता है????'' स्त्री ने पूछा।
''तुम बताओ?''
पुरुष के पूछने पर स्त्री ने जवाब नहीं दिया, वो चुपचाप बैठी रही, फिर बोली, ''तुमने मुझे चरित्रहीन कहा था....
अच्छा हुआ.... अब तुम्हारा चरित्रहीन स्त्री से पीछा छूटा।''
''वो मेरी गलती थी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था'' पुरुष बोला।
''मैंने बहुत मानसिक तनाव झेली है'', स्त्री की आवाज़ सपाट थी न दुःख, न गुस्सा।
''जानता हूँ पुरुष इसी हथियार से स्त्री पर वार करता है, जो स्त्री के मन और आत्मा को लहू-लुहान कर देता है... तुम बहुत उज्ज्वल हो। मुझे तुम्हारे बारे में ऐसी गंदी बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे बेहद अफ़सोस है, '' पुरुष ने कहा।
स्त्री चुप रही, उसने एक बार पुरुष को देखा।
कुछ पल चुप रहने के बाद पुरुष ने गहरी साँस ली और कहा, ''तुमने भी तो मुझे दहेज का लोभी कहा था।''
''गलत कहा था''.... पुरुष की ओऱ देखती हुई स्त्री बोली।
कुछ देर चुप रही फिर बोली, ''मैं कोई और आरोप लगाती लेकिन मैं नहीं...''
प्लास्टिक के कप में चाय आ गई।
स्त्री ने चाय उठाई, चाय ज़रा-सी छलकी। गर्म चाय स्त्री के हाथ पर गिरी।
स्सी... की आवाज़ निकली।
पुरुष के गले में उसी क्षण 'ओह' की आवाज़ निकली। स्त्री ने पुरुष को देखा। पुरुष स्त्री को देखे जा रहा था।
''तुम्हारा कमर दर्द कैसा है?''
''ऐसा ही है कभी वोवरॉन तो कभी काम्बीफ्लेम,'' स्त्री ने बात खत्म करनी चाही।
''तुम एक्सरसाइज भी तो नहीं करती।'' पुरुष ने कहा तो स्त्री फीकी हँसी हँस दी।
''तुम्हारे अस्थमा की क्या कंडीशन है... फिर अटैक तो नहीं पड़े????'' स्त्री ने पूछा।
''अस्थमा।डॉक्टर सूरी ने स्ट्रेन... मेंटल स्ट्रेस कम करने को कहा है, '' पुरुष ने जानकारी दी।
स्त्री ने पुरुष को देखा, देखती रही एकटक। जैसे पुरुष के चेहरे पर छपे तनाव को पढ़ रही हो।
''इनहेलर तो लेते रहते हो न?'' स्त्री ने पुरुष के चेहरे से नज़रें हटाईं और पूछा।
''हाँ, लेता रहता हूँ। आज लाना याद नहीं रहा, '' पुरुष ने कहा।
''तभी आज तुम्हारी साँस उखड़ी-उखड़ी-सी है, '' स्त्री ने हमदर्द लहजे में कहा।
''हाँ, कुछ इस वजह से और कुछ...'' पुरुष कहते-कहते रुक गया।
''कुछ... कुछ तनाव के कारण,'' स्त्री ने बात पूरी की।
पुरुष कुछ सोचता रहा, फिर बोला, ''तुम्हें चार लाख रुपए देने हैं और छह हज़ार रुपए महीना भी।''
''हाँ... फिर?'' स्त्री ने पूछा।
''वसुंधरा में फ्लैट है... तुम्हें तो पता है। मैं उसे तुम्हारे नाम कर देता हूँ। चार लाख रुपए फिलहाल मेरे पास नहीं है।'' पुरुष ने अपने मन की बात कही।
''वसुंधरा वाले फ्लैट की कीमत तो बीस लाख रुपए होगी??? मुझे सिर्फ चार लाख रुपए चाहिए....'' स्त्री ने स्पष्ट किया।
''बिटिया बड़ी होगी... सौ खर्च होते हैं....'' पुरुष ने कहा।
''वो तो तुम छह हज़ार रुपए महीना मुझे देते रहोगे,'' स्त्री बोली।
''हाँ, ज़रूर दूँगा।''
''चार लाख अगर तुम्हारे पास नहीं है तो मुझे मत देना,'' स्त्री ने कहा।
उसके स्वर में पुराने संबंधों की गर्द थी।
पुरुष उसका चेहरा देखता रहा....
कितनी सह्रदय और कितनी सुंदर लग रही थी सामने बैठी स्त्री जो कभी उसकी पत्नी हुआ करती थी।
स्त्री पुरुष को देख रही थी और सोच रही थी, ''कितना सरल स्वभाव का है यह पुरुष, जो कभी उसका पति हुआ करता था। कितना प्यार करता था उससे...
एक बार हरिद्वार में जब वह गंगा में स्नान कर रही थी तो उसके हाथ से जंजीर छूट गई। फिर पागलों की तरह वह बचाने चला आया था उसे। खुद तैरना नहीं आता था लाट साहब को और मुझे बचाने की कोशिशें करता रहा था... कितना अच्छा है... मैं ही खोट निकालती रही...''
पुरुष एकटक स्त्री को देख रहा था और सोच रहा था, ''कितना ध्यान रखती थी, स्टीम के लिए पानी उबाल कर जग में डाल देती। उसके लिए हमेशा इनहेलर खरीद कर लाती, सेरेटाइड आक्यूहेलर बहुत महँगा था। हर महीने कंजूसी करती, पैसे बचाती, और आक्यूहेलर खरीद लाती। दूसरों की बीमारी की कौन परवाह करता है? ये करती थी परवाह! कभी जाहिर भी नहीं होने देती थी। कितनी संवेदना थी इसमें। मैं अपनी मर्दानगी के नशे में रहा। काश, जो मैं इसके जज़्बे को समझ पाता।''
दोनों चुप थे, बेहद चुप।
दुनिया भर की आवाज़ों से मुक्त हो कर, खामोश।
दोनों भीगी आँखों से एक दूसरे को देखते रहे....
''मुझे एक बात कहनी है, '' उसकी आवाज़ में झिझक थी।
''कहो, '' स्त्री ने सजल आँखों से उसे देखा।
''डरता हूँ,'' पुरुष ने कहा।
''डरो मत। हो सकता है तुम्हारी बात मेरे मन की बात हो,'' स्त्री ने कहा।
''तुम बहुत याद आती रही,'' पुरुष बोला।
''तुम भी,'' स्त्री ने कहा।
''मैं तुम्हें अब भी प्रेम करता हूँ।''
''मैं भी.'' स्त्री ने कहा।
दोनों की आँखें कुछ ज़्यादा ही सजल हो गई थीं।
दोनों की आवाज़ जज़्बाती और चेहरे मासूम।
''क्या हम दोनों जीवन को नया मोड़ नहीं दे सकते?'' पुरुष ने पूछा।
''कौन-सा मोड़?''
''हम फिर से साथ-साथ रहने लगें... एक साथ... पति-पत्नी बन कर... बहुत अच्छे दोस्त बन कर।''
''ये पेपर?'' स्त्री ने पूछा।
''फाड़ देते हैं।'' पुरुष ने कहा औऱ अपने हाथ से तलाक के काग़ज़ात फाड़ दिए। फिर स्त्री ने भी वही किया। दोनों उठ खड़े हुए। एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर मुस्कराए। दोनों पक्षों के रिश्तेदार हैरान-परेशान थे। दोनों पति-पत्नी हाथ में हाथ डाले घर की तरफ चले गए। घर जो सिर्फ और सिर्फ पति-पत्नी का था ।।
पति पत्नी में प्यार और तकरार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जरा सी बात पर कोई ऐसा फैसला न लें कि आपको जिंदगी भर अफसोस हो ।।
Pooja Gurjar Queen
POOJA INDIA QUEEN
⛲🏆
#कटु_सत्य.
कुछ पढ़ी लिखी लडकियां ही ज्यादातर कोर्ट का चक्कर इसलिए लगा रहीं हैं...क्योंकि, उनसे घर का काम नहीं होता है ? पढ़ी लिखी लडकियां इसलिए भी एकाकी जीवन में रह रहीं हैं, क्योंकि, उनकी उसी व्यक्ति से पटरी नहीं खा रही है जिनके साथ अग्नि के सात फेरे लिए हुए हैं ?
क्योंकि उनकी शिक्षा उनको सामंजस्य बैठाना नहीं सिखाती, सास ससुर की सेवा का भाव नहीं सिखाती ?
ससुराल में एक मर्यादित जीवन में रहना नहीं सिखाती,
और सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात... अधिकतर पढ़ी लिखी लड़कियां... शायद अब लडकियां रही ही नहीं ? वे हर मामले में सबको सबक सिखाने की होड़ में लगी हुई हैं...शायद उनके अंदर की लड़की समाप्त हो चुकी है ?
पत्नी अब पति के लिए पत्नी नहीं अपितु एक जेलर, उसका मालिक बनने की होड़ में रहती है ? वह स्वयं के दोषों को अपनी ही गलतियों के कारण बढ़ा रही है ? ईर्ष्या, द्वेष, शक, कर्कश बोलना, चिंतन न करना, सामाजिकता से न रहना आदि बहुत से दोषों के कारण वह अपने ही परिवार को नष्ट कर रही हैं, जाने अनजाने अपने ही पति, बच्चों, परिवार, संबंधियों के हृदय में अपने लिए नफरत बो रही हैं ?
कानून के ढुलमुल रवैये , नए नए असामजिक नियमों के कारण, लिव इन में रहना, अवैध संबंध, समलैंगिता आदि ने और भी ज्यादा बेड़ा गर्क किया हुआ है....✍️
#आधुनिकता #फैशन #जीवन
पोस्ट मे कुछ सच्चाई होतो ⚡शेयर👈 जरूर करे
आपके विचार क्या.है इस पोस्ट के बारे मे कमेन्ट मे जरूर बताए
आपका हमारे पेज पर POOJA INDIA QUEEN पर दिल से स्वागत है 🌲
महात्मा गांधी/अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के लिए सहायक अध्यापक, लेवल - प्रथम व सहायक अध्यापक, लेवल - द्वितीय (अंग्रेजी/विज्ञान-गणित) पदों पर प्रक्रियाधीन भर्ती हेतु विज्ञापित पदों के अधिकतम 2 गुना संख्या तक अभ्यर्थियों की दस्तावेज सत्यापन हेतु सूची जारी कर दी गई है।
अपने हिस्से की क़िस्मत अपने हाथों से ही गढ़ लेंगे,
धीरे-धीरे ही सही मगर थोड़ा बहुत हम भी पढ़ लेंगे.
शादी विवाह में जिनको गरीब समझ कर बुलाया नहीं जाता.
वही लोग अक्सर अंतिम यात्रा में सबसे पहले पहुंचते हैं ।
🌲🌴🌲
#शेयर
#शेयर करे
गरीब आदमी सोचता है,
अमीर आदमी बहुत सुखी होंगे,
लेकिन सच में अमीर आदमी गरीब
आदमी से भी ज्यादा दुखी होते हैं,
गरीब आदमी को तो केवल पेट की चिंता होती है,
लेकिन अमीर आदमी हजारों चिंताओं से घिरा रहता है+
🙏आओ प्रकृति से जुडें🙏
जहाँ घोड़े पानी पी रहे हैं, वहीं पानी पिएं क्योंकि वह पानी शुद्ध होता है। घोड़े कभी भी दूषित पानी नहीं पीते।
अपना बिस्तर वहीं लगाएं जहां बिल्ली सोती है,क्योंकि उसे शांति पसंद है।
जिस भी फल को कीड़े ने छुआ है लेकिन उसमें प्रवेश नहीं किया है वह खाएं क्योंकि कीड़ा हमेशा पके फल की तलाश में रहता है।
और जहाँ छछूँदर बिल खोदे, वहीं पेड़ लगाओ, क्योंकि वह भूमि उपजाऊ है।
अपना घर बनाओ वहां जहाँ साँप अपने आप को गर्म करने के लिए बैठता है, क्योंकि वह स्थिर भूमि है जो गिरती नहीं है।
उस जगह पर पानी को खोजने के लिए खुदाई करें जहां पक्षी गर्मी से छिपते हैं। पक्षी जहां भी खड़े होते हैं, पानी छिप जाता है।
और सो जाओ पक्षियों के कलरव के साथ और पक्षियों के साथ जागो - यह सफलता की खोज है।
सब्जियाँ ज्यादा खाएं-आपके पास मजबूत पैर और जंगल के जानवरों की तरह प्रतिरोधी दिल होगा।
जब भी आपको समय मिले तैरें तब आपको ऐसा लगेगा जैसे आप पानी में मछली की तरह जमीन पर हैं।
जितना हो सके आकाश की ओर देखें आपके विचार शुद्ध,उज्ज्वल और नीति और निर्णय स्पष्ट होते जाएंगे।
शांत और मौन रहो तुम्हारे हृदय में शांति छा जाएगी, और तुम्हारी आत्मा को शांति और सुकुन मिलेगा ।
🙏🌲शेयर करे 🌴🌲
🌴🌲🌳💝😥 माँ 😥
💗🌴माँ🌴💗
माँ ममता की मूरत होती है।
माँ देवी का रुप होती है।
माँ के आंचल मे ही सारी खुशिया समाहित है।
माँ का प्यार ही, सच्चा प्यार है।
माँ बिना जीवन अधुरा है।
माँ जीवन की खुशिया है।
माँ , ईश्वर का सबसे बडा उपहार है।
माँ के चरणो मे ही संसार बसा है।
🌳🌲🌴
यह दुनियाँ का सबसे खरबपति नासिर अल-खराफी की दौलत जो मरने के बाद बाद वह छोड़कर गए....
अंतिम तस्वीर ध्यान से जरूर देखें..
पूरे फेसबुक पर मां ही मां छाई है,
तो फिर वृद्धा आश्रम में किसकी मां आई है
😭😭
"महत्वपूर्ण कडी....
बेटे बहु के कमरे से आ रही आवाजो से बुजुर्ग मां कि नींद खुल गई ....
बेटा कह रहा था उसे मुम्बई मे नौकरी मिल गई है मगर हम तीनो ( मे और तुम और मां )वहाँ नहीं रह पायेंगे.. कयोकि कमरा छोटा है ओर दोनो जगह का किराया मे दे नही सकता तो कयो ना मां को वृद्ध आश्रम मे छोड़ दे... बुजुर्ग मां भीगी आँखें लिए सोचने लगी ....अभी साल भी नहीं हुआ बेटे कि शादी को ओर बहु ने उसपर अपना रंग चढा दिया ....
इस बात के जबाब मे बहु कया कहेगी ....वो तो खुश ही होगी उसके मन की जो पूरी हो रही है ....
हे भगवान....
मगर पति की बात सुनकर पत्नी बोली -नही मां ओर मैं यही रहेंगे मै पढी लिखी हूं बच्चो को टयुशन पढाकर इतना तो कमा लूगी कि मेरा ओर मां का गुजारा हो जाऐ और आपने ही तो बताया था की मां ने आपको लोगों के घरों मे काम करके पढाया था सोचो अगर मां भी आपको किसी अनाथ आश्रम मे छोड़ कर अपना जीवन शुरू करती तो आज आप कहा होते ...और फिर जब आप वहाँ सेटल होकर बडा कमरा ले ले तो हमें भी बुला लेना वैसे भी मां उस वृक्ष के समान होती हे जो सिर्फ छाया ही नही फल भी देता है मां कि आँखों मे आँसू थे उसे भी समझ आ रहा था कि उसे बहु मे एक बहुत अच्छी बेटी मिली है ....
दोस्तों कहानी का भाव यही है सास बहु का रिश्ता भी मां बेटी का रिश्ता है दोस्तों अगर दोनों तरफ से प्रेम और सम्मान देने की कोशिश हो तो सचमुच ये रिश्ता बेहद प्यारा है जो घरों को परिवार को जोड़ने मे महत्वपूर्ण कडी है ...
एक सुन्दर और प्ररेणादायक रचना...
POOJA INDIA QUEEN
Pooja Gurjar Queen
Click here to claim your Sponsored Listing.
Videos (show all)
Category
Contact the public figure
Website
Address
Rajib Gandhi Nagar
Kota
Help people togiving proven roadmap forhealthy fulfillingrelationshipswith yourself,others&universe❤
Kota
Kota
I am an IBC and TMC and RAC member at Bada business private limited by Doctor Vivek Bindra.
Main Road Landmark City Kunhari
Kota, 324008
Managing Director at BeWise Classes Kota