All India Pasmanda Muslim Mahaz

so that they too can serve the country, the society.

To make the Pasmanda (OBC, ST, SC) Muslims emotionally radically ready for livelihood, social equality, power sharing and to bring them out of backwardness into the mainstream of the country.

13/11/2023
30/09/2023

आपके पास कितनी प्रॉपर्टी है बहन को देने के लिए । घर छोड़कर एक गज एक्स्ट्रा जमीन नहीं होगी । पापा भी नहीं जुगाड़ पाए होंगे ।‌ दलित धन संग्रह ओर प्रोपर्टी अर्जित करने में विश्वास ही नहीं करते थे । करते होते तो उनमें भी मानसिंह ,तानसेन , टोडरमल , बीरबल पैदा होते रहते । जमिंदार होते ।

इसलिए जब दिलीप मंडल रक्षा बंधन के दिन प्रॉपर्टी का नकली विवाद खड़ा करते हैं तो इससे दलितों का कुछ लेना देना नहीं ।‌

रक्षा बंधन कोई पर्व नहीं है । हिंदू धर्म ग्रंथों में इसका कोई जिक्र नहीं है । खासकर हिंदू शक्तिशाली देवताओं में किसी की कोई बहन होती ही नहीं थी । बहन की रक्षा के लिए कोई लड़ाई नहीं हुई । बहन का कंसेप्ट हिंदू धर्मग्रंथ से नदारद है ।‌

भाई - बहन का प्रेम अवर्ण कंसेप्ट है । अपनी बहन के मान - सम्मान का बदला लेने के लिए रावण अपने विरोधी के पत्नी का अपहरण कर लेता है । यह भी गलत था , लेकिन इस भाव को परखा जाए कि उसने बहन के कहने पर ऐसा किया ।

रक्षा बंधन का कोई हिंदू संदर्भ नहीं होने के कारण ही नेशनल टेक्स्ट तक में यह पढ़ाया जाता है कि राजा हिमायुँ को कर्णावती ने रक्षा के लिए राखी भेजी थी ,तब ये यह पर्व की शुरूआत हुआ है ।

वैसे हमारे कल्चर में भाई बहन को लिए दो पर्व है - एक अहुरा - बहुरा और दूसरा पीड़िया ।‌करमा पर्व बिहार और झारखंड में बहुत धूम - धाम ये मनाया जाता है । भैया दूज इन्हीं सब की national replica है ।

भैया दूज का भोजपुरी में जितना सुंदर गीत है हिंदी में नहीं मिलेगा ।

हम हिंदू विरोधी होने का नाटक करते हुए कितने क्यूट लगते हैं ।‌ अपनी अवर्ण संस्कृति को इसी के चपेट में ले लेते हैं ।

वैसे रक्षा बंधन का शूभ महूर्त कैसे निकालते हैं कोई पंडित जी बता देंगे तो बड़ी कृपा होगी ।
Chand Manish

25/09/2023

اصطبل میں ترے اجداد ہوا کرتے تھے
تیری جاگیر سے بو آتی ہے غداری کی
عباس تابش🥀

25/06/2023
12/06/2023

अगर कोई कह रहा है इस्लाम में जाति नहीं है तो वह पसमांदा है। या पसमांदा आन्दोलन विरोधी है

12/06/2023

क्या माडर्न ज़माना था !
मेरे नबी स०अ० वसल्लम का की उस दौर में औरतें कारोबार भी किया करती थी , और हर किस्म का सवाल भी किया करती थी , सदका भी देती थी और मर्द को क्वाम भी मानती थी।
पसंद की शादी भी करती थी हत्ता की खुद निकाह का पैगाम भी भेजती थी।
घर के काम के लिए खुद मुलाजिम भी रखी थी , ज़रा सा शौहर से मसला होता तो फौरन नबी स०अ० वसल्लम से शिकायत करने पहुंच जाती थी ।
वह दौर जिसमें तलाक गुनाह ना था बीवी जुर्म ना थी ।
आह !
कौन कहता है इस्लाम माडर्न दीन नही ।
ज़रा हमारी शानदार रिवायात तो देखो अल्लाह की कसम जुद्दत पसंदी भूल जायेंगे ।

कांपी ।
उर्दू से हिन्दी ।

01/06/2023

तुमने हमेशा माँसाहार का ही विरोध क्यों किया है, शराब के ठेकों का क्यों नहीं........
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शराब, सिगरेट, गुटखा अखाद्य वस्तुएँ हैं l इनको खाने से शरीर को नुकसान पहुंचता है l मीट, मछली, अंडा खाद्य वस्तुएँ हैं l इनको खाने से शरीर का विकास होता है l

तुमने शराब, सिगरेट और गुटखा को घर घर पहुंचाने की ख़ूब कोशिश की है l जबकि सब जानते हैं कि ये मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं l

तुम अच्छी तरह से जानते हो कि इन हानिकारक चीज़ों का बड़ा उपभोक्ता वह ग़रीब वर्ग है जो तुम्हारे द्वारा नीचे घोषित की गई जातियों में आता है l

तुमने कभी भी शराब के ठेकों का विरोध नहीं किया और न ही सिगरेट और गुटखा बनाने वाली फैक्ट्रियों का......

क्यों.....
क्योंकि ये सब तुम्हारे वर्ग के लोगों की हैं........

तुमने हमेशा माँसाहार का विरोध किया है..........
क्यों....
क्योंकि तुम अच्छी तरह से जानते हो कि इससे उन पशुपालकों को रोजगार मिलता है जो तुम्हारी बनाई जातिव्यवस्था में नीचे रखे गए हैं...........

इस बात को अगर जो नहीं समझ पा रहे हैं तो ये वे लोग हैं जिन्हें तुमने इंसान भी नहीं समझा है.......

Shailendra Fleming cp by Waqar Ahmad

29/05/2023

हक़ीक़त पर मबनी पोस्ट जो खानदान के घमण्ड में डूबे पागलों के मुंह पर एक झन्नाटेदार तमाचे से कम नहीं है///
#हलाल रिश्ते के इंतेज़ार में बैठी बूढ़ी होती #औरत की फरियाद....

मेरी उमर इस वक़्त 35 साल हैं मेरी अभी तक शादी नहीं हुयी क्योंकि हमारे खानदान की रसम हैं कि खानदान से बाहर रिश्ता करना नींच हरकत हैं.
खानदान के बड़े बूढ़े जब आपस में बैठते हैं तो बड़े फ़ख़्रिया अंदाज़ से कहतें हैं कि सात पुश्तों से अब तक हम नें कभी ख़ानदान से बाहर रिश्ता नहीं किया.

उम्र के पैंतीसवें साल में पहुंची हूं अब तक मेरे लिए ख़ानदान से कोई रिश्ता नहीं आया जब कि गैर खानदानो से कई एक रिश्ते आये लेकिन मजाल हैं कि मेरे वालिदैन या भाइयों नें किसी से हाँ भी किया हो.

मेरे दिली जज़्बात कभी उस हद तक चले जाते हैं कि मैं रातों में चीख़ - चीख़ कर आसमान सर पर उठाऊँ और दहाड़े मार मार कर वालिदैन से कहूं कि मेरा गुजारा नहीं हो रहा ख़ुदारा मेरी शादी करा दें, अगरचा किसी काले कलूटे चोर से ही सही लेकिन हया और शर्म की वज़ह से चुप हो जाती हूं.

मैं अंदर से घुट -घुट कर ज़िंदा नआश (लाश) बन गयीं हूं. शादी बियाह वो तक़रीबात में जब अपनी हमजोलियों को उन के शौहरों के साथ हँसते मुस्कुराते देखती हूं तो दिल से दर्दों की टीसें उठती हैं....... या ख़ुदा ऐसे पढ़ें लिखें जाहिल माँ बाप किसी को न देंना जो अपनी खानदान के रीत वो रस्म को निभाकर अपने बच्चों की ज़िन्दगियाँ बर्बाद कर दें.

कभी ख़्याल आता हैं कि घर से भाग कर किसी के साथ मुंह काला कर के वापस आकर वालिदैन के सामने ख़ड़ी हो जाऊँ कि लो अब अच्छी तरह निभाओ अपने सात पुश्तों का रसम.

कभी ख़्याल आता हैं कि घर से भाग जाऊँ और
किसी से कहूं मुझे बीवी बना लो लेकिन फ़िर ख़्याल आता हैं कि अगर किसी बुरे इंसान के हत्थे चढ़ गयीं तो मेरा क्या बनेगा.

मेरे दर्द को मस्जिद का मौलवी साहब भी जुमे के खुतबे में बयान नहीं करता.....

ऐ मौलवी साहब ज़रा आप भी सुन लें... रात को जब अब्बा हुज़ूर और अम्मा एक कमरे में सो रहें होते हैं, भाई अपने अपने कमरे में भाभियों के साथ आराम कर रहें होते हैं, तब मुझ पर क्या गुज़रती तब सिर्फ़ मैं अकेली ही जानती हूं.

ऐ हाकिम-ए-वक़्त! तू भी सुन ले फ़ारूक़-ए-आज़म के ज़माने में रात के वक़्त जब एक औरत नें दर्द के साथ ये अशआर पढ़ें, जिन का मफ़हूम ये था.....

(अगर ख़ुदा का डर और क़यामत में हिसाब देने का डर न होता तो आज रात इस चारपाई के कोनो में हलचल होती) मतलब मैं किसी के साथ कुछ कर रही होती. फ़ारूक़-ए-आज़म नें जब ये अशआर सुने तो तड़प उठे और हर शौहर के नाम ये हुक्म नामा ज़ारी किया कि कोई भी शौहर अपनी बीवी से तीन महीने से ज्यादा दूर न रहें.

ऐ हाकिम-ए-वक़्त.
ऐ मेरे अब्बा हुज़ूर.
ऐ मेरे मुल्क के मुफ़्ती-ए-आज़म.
ऐ मेरे मोहल्ले के मस्जिद के ईमाम साहब.
ऐ मेरे शहर के पीर साहब.
मैं किस के हाथों अपना लहू तलाश करूँ.
कौन मेरे दर्द को समझेगा...?
मेरी 35 साल की उमर गुज़र गयीं, लेकिन मेरे अब्बा का अब भी वही रट हैं कि मैं अपने बच्ची की शादी खानदान से बाहर हरगिज़ नहीं करूँगा.

ऐ ख़ुदा तू गवाह रहना बे शक तूने मेरे लिए बहुत से अच्छे रिश्ते भेजें लेकिन मेरे घर वालों नें वह रिश्ते वह रिश्ते ख़ुद ही ठुकरा दिए अब कुछ साल बाद मेरा अब्बा तस्बीह पकड़ कर यही कहेगा कि बच्ची का नसीब ही ऐसा था.

ऐ लोगों मुझे बताओ कोई शख्स तैयार खाना न खाये और बोले तक़दीर में ऐसा था तो वह पागल हैं या अक़्लमंद.

अल्लाह पाक़ निवाले मुंह में डलवाये क्या.....??
यूँ इस मिसाल को सामने रख़ कर सोचें कि मेरे और मेरे जैसी कई औरों के लिए अल्लाह नें अच्छे रिश्ते भेजें लेकिन वालिदैन नें या बाज़ नें ख़ुद ही ठुकरा दिए, अब कहतें फ़िरते हैं नसीब ही में ही नहीं था तो क्या करें/// सौजन्य कश्मीरा शाह चतुर्वेदी 🙏🙏🙏

26/05/2023

چند برس پرانی بات ہے‘ ایک امریکی نو مسلم نے قرآن مجید سے حقوق العباد سے متعلق اللہ تعالیٰ کے 100 احکامات جمع کیے‘ یہ احکامات پوری دنیا میں پھیلے مسلم اسکالرز کو بھجوائے اور پھر ان سے نہایت معصومانہ سا سوال کیا ’’ہم مسلمان اللہ تعالیٰ کے ان احکامات پر عمل کیوں نہیں کرتے‘‘ مسلم اسکالرز کے پاس اس معصومانہ سوال کا کوئی جواب نہیں تھا.

مجھے چند دن قبل ایک دوست نے یہ احکامات ’’فارورڈ‘‘ کر دیے‘ میں نے پڑھے اور میں بڑی دیر تک اپنے آپ سے پوچھتا رہا ’’ہمارے رب نے ہمیں قرآن مجید کے ذریعے یہ احکامات دے رکھے ہیں‘ ہم میں سے کتنے لوگ ہیں جو اللہ تعالیٰ کے ان احکامات پر پورا اترتے ہیں‘‘ میں یہ احکامات سو نمبر کا پرچہ سمجھ کرترجمہ کر رہا ہوں اور میں یہ آپ کے سامنے رکھ رہا ہوں‘ آپ پہلے یہ پرچہ حل کریں‘ پھر خود اس کی مارکنگ کریں‘ پھر اپنے پاس یا فیل ہونے کا فیصلہ کریں اور آخر میں یہ سوچیں ہم قیامت کے دن کیا منہ لے کر اپنے رب کے سامنے پیش ہوں گے‘ آپ کا یہ جواب فیصلہ کرے گا ہم کتنے مسلمان ہیں۔

اللہ تعالیٰ نے فرمایا!

1 گفتگو کے دوران بدتمیزی نہ کیا کرو
2 غصے کو قابو میں رکھو
3 دوسروں کے ساتھ بھلائی کرو‘
4 تکبر نہ کرو‘
5 دوسروں کی غلطیاں معاف کر دیا کرو
6 لوگوں کے ساتھ آہستہ بولا کرو‘
7 اپنی آواز نیچی رکھا کرو
8 دوسروں کا مذاق نہ اڑایا کرو‘ 9 والدین کی خدمت کیا کرو‘
10 منہ سے والدین کی توہین کا ایک لفظ نہ نکالو‘
11 والدین کی اجازت کے بغیر ان کے کمرے میں داخل نہ ہوا کرو‘
12 حساب لکھ لیا کرو‘
13 کسی کی اندھا دھند تقلید نہ کرو‘
14 اگر مقروض مشکل وقت سے گزر رہا ہو تو اسے ادائیگی کے لیے مزید وقت دے دیا کرو‘
15 سود نہ کھاؤ‘
16 رشوت نہ لو‘
17 وعدہ نہ توڑو‘
18 دوسروں پر اعتماد کیا کرو‘
19 سچ میں جھوٹ نہ ملایاکرو‘
20 لوگوں کے درمیان انصاف قائم کیا کرو‘
21 انصاف کے لیے مضبوطی سے کھڑے ہو جایا کرو‘
22 مرنے والوں کی دولت خاندان کے تمام ارکان میں تقسیم کیاکرو
23 خواتین بھی وراثت میں حصہ دار ہیں,
24 یتیموں کی جائیداد پر قبضہ نہ کرو‘
25یتیموں کی حفاظت کرو‘
26 دوسروں کا مال بلا ضرورت خرچ نہ کرو,
27 لوگوں کے درمیان صلح کراؤ‘
28 بدگمانی سے بچو‘
29 غیبت نہ کرو‘
30 جاسوسی نہ کرو‘
31 خیرات کیا کرو‘
32 غرباء کو کھانا کھلایا کرو‘
33 ضرورت مندوں کو تلاش کر کے ان کی مدد کیا کرو‘
34 فضول خرچی نہ کیا کرو‘
35 خیرات کر کے جتلایا نہ کرو‘
36 مہمانوں کی عزت کیاکرو‘
37 نیکی پہلے خود کرو اور پھر دوسروں کو تلقین کرو‘
38 زمین پر برائی نہ پھیلایا کرو‘
39 لوگوں کو مسجدوں میں داخلے سے نہ روکو‘
40 صرف ان کے ساتھ لڑو جو تمہارے ساتھ لڑیں‘
41 جنگ کے دوران جنگ کے آداب کا خیال رکھو‘
42 جنگ کے دوران پیٹھ نہ دکھاؤ‘
43 مذہب میں کوئی سختی نہیں
44 تمام انبیاء پر ایمان لاؤ‘
45 حیض کے دنوں میں مباشرت نہ کرو‘
46 طلاق کی صورت میں مائیں اپنے شیر خوار بچوں کو دودھ پلائیں دو سال اور اس مدت کا نان نفقہ شوھر ادا کرے - عام حالات میں دودھ پلانے کی کوئی مدت مقرر نہیں جب تک آتا ھے بچہ پی سکتا ھے
47 جنسی بدکاری سے بچو‘
48 حکمرانوں کو میرٹ پر منتخب کرو,
49 کسی پر اس کی ہمت سے زیادہ بوجھ نہ ڈالو‘
50 نفاق سے بچو‘
51 کائنات کی تخلیق اور عجائب کے بارے میں گہرائی سے غور کرو‘
52 عورتیں اور مرد اپنے اعمال کا برابر حصہ پائیں گے,
53 منتخب خونی رشتوں میں شادی نہ کرو
54 مرد کو خاندان کا سربراہ ہونا چاہیے‘
55 بخیل نہ بنو‘
56 حسد نہ کرو,
57 ایک دوسرے کو قتل نہ کرو‘
58 فریب (فریبی) کی وکالت نہ کرو‘
59 گناہ اور شدت میں دوسروں کے ساتھ تعاون نہ کرو‘
60 نیکی میں ایک دوسری کی مدد کرو‘
61 اکثریت سچ کی کسوٹی نہیں ہوتی‘
62 صحیح راستے پر رہو‘
63 جرائم کی سزا دے کر مثال قائم کرو‘
64 گناہ اور ناانصافی کے خلاف جدوجہد کرتے رہو‘
65 مردہ جانور‘ خون اور سور کا گوشت حرام ہے‘
66 شراب اور دوسری منشیات سے پرہیز کرو‘
67 جواء نہ کھیلو‘
68 ہیرا پھیری نہ کرو‘
69 چغلی نہ کھاؤ،
70 کھاؤ اور پیو لیکن اصراف نہ کرو‘
71 نماز کے وقت اچھے کپڑے پہنو‘
72 آپ سے جو لوگ مدد اور تحفظ مانگیں ان کی حفاظت کرو‘ انھیں مدد دو‘
73 طہارت قائم رکھو‘
74 اللہ کی رحمت سے کبھی مایوس نہ ہو‘
75 اللہ نادانستگی میں کی جانے والی غلطیاں معاف کر دیتا ہے‘
76 لوگوں کو دانائی اور اچھی ہدایت کے ساتھ اللہ کی طرف بلاؤ‘
77 کوئی شخص کسی کے گناہوں کا بوجھ نہیں اٹھائے گا‘
78 غربت کے خوف سے اپنے بچوں کو قتل نہ کرو‘
79 جس کے بارے میں علم نہ ہو اس کا پیچھا نہ کرو‘
80 پوشیدہ چیزوں سے دور رہا کرو (کھوج نہ لگاؤ)‘
81 اجازت کے بغیر دوسروں کے گھروں میں داخل نہ ہو‘
82 اللہ اپنی ذات پر یقین رکھنے والوں کی حفاظت کرتا ہے‘
83 زمین پرعاجزی کے ساتھ چلو‘
84 دنیا سے اپنے حصے کا کام مکمل کر کے جاؤ‘
85 اللہ کی ذات کے ساتھ کسی کو شریک نہ کرو,
86 ہم جنس پرستی میں نہ پڑو‘
87 صحیح(سچ) کا ساتھ دو‘ غلط سے پرہیز کرو‘
88 زمین پر ڈھٹائی سے نہ چلو‘
89 عورتیں اپنی زینت کی نمائش نہ کریں‘
90 اللہ شرک کے سوا تمام گناہ معاف کر دیتا ہے‘
91 اللہ کی رحمت سے مایوس نہ ہو‘
92 برائی کو اچھائی سے ختم کرو‘
93 فیصلے مشاورت کے ساتھ کیا کرو‘
94 تم میں وہ زیادہ معزز ہے جو زیادہ پرہیزگار ہے‘
95 مذہب میں رہبانیت نہیں‘
96 اللہ علم والوں کو مقدم رکھتا ہے‘
97 غیر مسلموں کے ساتھ مہربانی اور اخلاق کے ساتھ پیش آؤ‘
98 خود کو لالچ سے بچاؤ‘
99 اللہ سے معافی مانگو‘ یہ معاف کرنے اور رحم کرنے والا ہے
100 ’’جو شخص دست سوال دراز کرے اسے انکار نہ کرو‘‘۔

اللہ تعالیٰ کے یہ سو احکامات حقوق العباد ہیں‘ ہم جب تک سو نمبروں کے اس پرچے میں پاس نہیں ہوتے ہم اس وقت تک مسلمان ہو سکتے ہیں اور نہ ہی اللہ کا قرب حاصل کر سکتے ہیں خواہ ہم پوری زندگی سجدے میں گزار دیں یا پھر خانہ کعبہ کی چوکھٹ پر جان دے دیں‘ آپ یہ پرچہ چل کریں‘ مارکنگ کریں اور اپنے گریڈز کا فیصلہ خود کر لیں۔

20/05/2023

शिक्षा जरूरी नहीं कि हमेशा वैज्ञानिक चेतना का ही प्रसार करे. कभी कभी यह प्रतिगामी सोच के प्रसार का भी माध्यम बन जाती है. हिटलर के समय का जर्मनी तत्कालीन विश्व में सबसे अधिक शिक्षित था लेकिन शिक्षित जर्मनी ने अपना नेता बनाया हिटलर को जबकि उसी समय अशिक्षित भारत के नेता थे गांधी और डॉ. आंबेडकर जैसे लोग.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ज्यादातर सरसंघचालक उच्च शिक्षित प्रोफेसर और डॉक्टर होते आए हैं. आरएसएस की स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने की, जो डॉक्टर थे. इसके पहले सरसंघचालक लक्ष्मण वासुदेव परांजपे भी डॉक्टर थे. दूसरे सरसंघचालक एम एस गोलवलकर बीएचयू में जूलॉजी के प्रोफेसर थे. तीसरे सरसंघचालक मधुकर दत्तात्रेय देवरस एलएलबी डिग्री होल्डर थे. चौथे सरसंघचालक राजेन्द्र सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फिजिक्स के प्रोफेसर थे और अपने समय में न्यूक्लियर फिजिक्स के एक्सपर्ट थे. पांचवें सरसंघचालक के एस सुदर्शन जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से टेलिकम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग स्नातक थे. वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत वेटेरिनरी साइंस और एनिमल हसबेंडरी में स्नातक हैं.

स्पष्ट है कि व्यक्ति की शैक्षणिक डिग्री या तकनीकी योग्यता कभी भी उसके प्रगतिशील होने का पैमाना नहीं है.
Manoj Abhigyan

08/05/2023

فلسطین کا زوال
اور امام مہدی کا ظہور
اینٹی دجال
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حال ہی میں ایک بات مشہور ہوئی کہ دنیا کے نقشے سے فلسطین کو غائب کر دیا گیا ہے اور اب کچھ لوگوں کو تجسس ہو چلا ہے کہ امام مہدی کب یا کونسے سال آئیں گے اور ان باکس میں بھی مجھے نا صرف یہ نقشے دکھائے جا رہے ہیں بلکہ سوال بھی پوچھے جا رہے ہیں کہ یہ سب کیا ہے ۔
پہلی بات تو یہ ہے کہ ہٹلر کے برپا کئیے گئے ہولو کاسٹ نامی ڈرامے کی وجہ سے جس دن یہودیوں کو فلسطینی عربوں نے اپنی زمینیں بیچ کر انکو یروشلم فلسطین میں پناہ دی اور بعد میں انہی لوگوں نے مسلح ہو کر انہی فلسطینیوں کو مار مار کر وہاں سے نکالنا شروع کر دیا تھا اور خود قابض ہو کر بیٹھ گئے تھے اور پھر جب مسلمان عرب ممالک انہی یہودیوں کے خلاف اکٹھے ہوئے ان سے فلسطین کو آزاد کروانے کیلئے تو مصر کے سوشلسٹ کیمونسٹ سربراہ و صدر جمال عبدالناصر نے یہ نعرہ لگا دیا کہ ہم فرعون کی اولاد ہیں اور یہ یہودی موسی علیہ اسلام کے بیٹے تو اب ہمارے پاس موقع ہے ان سے اس ہجرت کا بدلہ لینے کا جو انہوں نے فرعون کے دور میں یروشلم فلسطین کی طرف کی تھی اور فرعون کو پانی میں غرق ہونا پڑا تھا اب ہمارے پاس ان سے اپنے باپ کا بدلہ لینے کا پورا موقع ہے اس کے اس نعرے نے اللہ کی غیرت کو للکارا جس کے نتیجے میں عرب یہ لڑائی یہودیوں سے بری طرح نا صرف ہارے بلکہ گولان ہائٹس بھی یہودیوں نے انکے ہاتھوں سے چھین لیئے تو فلسطین و یروشلم اسی وقت اس دنیا کے نقشے سے ختم ہو چکا تھا کیونکہ بعد میں کوئی ایسی تحریک بیدار نہیں ہوئی جو فلسطین کو یہودیوں کے قبضے سے چھڑانے کیلئے کوئی عملی اقدام کرتی بلکہ آج تک پیدا ہی نہیں ہو سکی ۔
اب ایسا ہے کہ تھرڈ ٹیمپل ہیکل سلیمانی کو دوبارہ قائم کرنے کیلئے مسجد اقصی کو سخت ترین خطرہ پیدا ہو چکا ہے اسکی سرنگیں وہ پہلے ہی کھود کر اسکو آن دی رسک بتا چکے ہیں کوئی بھی پیدا ہونے والا زلزلے کا جھٹکا اس مسجد کو گرا سکتا ہے یا پھر یہ لوگ خود بھی بدمعاشی کے زور پر اسکو دھماکے سے گرا سکتے ہیںں اور اگر اللہ نا کرے وہ ایسا کر بھی گزرتے ہیں تو کیا ہو گا کوئی کیا اکھاڑ لے گا انکا کیونکہ انکے پاس تو سند ہے نا وہ جو چاہے کرتے پھریں اور مسلمانوں میں کوئی بھی ایک ایسا ملک سرے سے ہی نہیں ہے جو ان حیوانوں کا مقابلہ کر سکے مسجد اقصی کی شہادت پر بھی ہم صرف مذمتیں کریں گے اور کچھ جذباتی گانے بنا کر اسرائیل سے بدلا لینے کی کوشش کریں گے اور ویسے بھی سنن ابو داود کی حدیث میں تو یہ ہے کہ بیت المقدس کی آبادی مدینہ کی ویرانی ہو گی اور مدینہ کی ویرانی سے بڑی جنگ کا آغاز ہو گا اور بڑی جنگ کا آغاز قسطنطنیہ کی فتح ہو گی اور قسطنطنیہ کی فتح دجال کے خروج کی وجہ بنے گی ۔
اب بیت المقدس میں تو ہر طرف سے آباد کاریاں ہو رہی ہیں اور عربوں کی صورت حال بھی سب کے سامنے ہے کبھی وہاں معاشی بحران پیدا ہو جاتے ہیں اور لوگوں کو بھاگنا پڑتا ہے اور اب تو کرونا مرونا نے ہی کہیں کا نہیں چھوڑا کبھی طواف بند تو کبھی حج بند اور مسجد نبوی صلی اللہ علیہ وسلم بھی بند اور اسی حدیث کے آگے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ مدینہ کی ویرانی اس حد تک جائے گی کہ کسی مسجد کے اندر کوئی کتا داخل ہو گا تو اسکو روکنے والا کوئی نہیں ہو گا اور وہ مسجد کے ستون پر پیشاب کرے گا اور مدینہ کے پھلوں کو کوئی انسان نہیں کھائے گا تو صحابہ کرام رضی اللہ عنہم نے پوچھا یا رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم تو ان پھلوں کو کون کھائے گا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ انکو درندے اور پرندے یعنی حیوانات کھائیں گے کرونا مرونا کے چھوڑے گئے شوشے نے جہاں اتنا بڑا دنیاوی بحران کھڑا کر دیا کہ مسلمانوں نے اپنی مسجدوں میں ہی جانا چھوڑ دیا اس سے بھی اس حدیث کی صداقت کا پتا چلتا ہے کہ اگر یہ دنیاوی بحران ایک بار برپا کیا جا سکتا ہے تو دوسری بار پیدا کئے گئے ایسے ہی کسی بحران کی شدت کیا ہو گی سوچ سکتے ہو ؟ یہ بیان سے باہر ہے تو اگر مدینہ کی کسی مسجد میں کوئی کتا بھی داخل ہو گیا ہو تو ہمیں کیا پتا یا ہو بھی جائے گا تو بھی ہمیں کیا پتا چلے گا خیر جو ہونا ہے وہ تو ہو کر ہی رہے گا اور مدینہ کی ویرانی میں مزید اضافہ ہوتا چلا جائے گا ۔
اب آتے ہیں اسی حدیث میں بیان کی جانے والی بڑی جنگ کی طرف میں نے کچھ عرصہ پہلے بھی اپنی ایک پوسٹ میں بتایا تھا کہ جب تک مسجد اقصی کی شہادت نہیں ہوتی تیسری جنگ عظیم کا اعلان آفیشل لیول پر نہیں کیا جا سکتا ویسے تو یہ جنگ انہی علاقوں میں لڑی جا رہی ہے جہاں سے اس بڑی جنگ کا آغاز ہونے والا ہے لیکن ابھی پوری دنیا اس جنگ کے لپیٹے میں نہیں آئی لیکن جب ان لوگوں نے سوچ لیا کہ اب گریٹر اسرائیل کو بڑھاوا دینے اور جنگ کو شروع کرنے کا وقت آ گیا ہے تو اس دن مسجد اقصی کو شہید کر دیا جائے گا اور پھر مسلمانوں کیخلاف ایک بڑی جنگ کا آغاز کر دیا جائے گا اب کون کون اس جنگ میں کودے گا یہ تو میں نہیں جانتا لیکن مسلمانوں کیخلاف عالمی سطح پر کوئی جنگ چھیڑ دی جائے اور وہ جنگ کسی مسلمانوں کے عالمی راہنما کے بغیر لڑی جائے ایسا کبھی نہیں ہو سکتا اور مسلمانوں کے وہ عالمی راہنماء یا نجات دہندہ اور کوئی نہیں امام مہدی ہی ہونگے ۔
اور امام مہدی کے ظہور کیلئے ضروری ہے کہ پہلے سفیانی نامی بندے کا ظہور جو کہ دمشق کی گود سے نکلے گا پہلے وہ نجات دہندہ کی شکل میں سامنے آئے گا اسکے بعد وہ ایکدم اپنا شرافت کا چولا اتار پھینکے گا ۔
اس موضوع کو سمجھنے والے مفکرین کا کہنا ہے کہ ہو سکتا ہے موجودہ حکمران بشار الاسد کو مار دیا جائے یا ہٹا دیا جائے اور کسی ایسی شخصیت کو سامنے لایا جائے جو کہ وہاں امن برپا کرنے میں اہم کردار ادا کرے اور جب دنیا اسکے کردار سے متاثر ہو جائے تو وہ کسی بات پر غضب ناک ہو کر بے دریغ قتل و غارت گری شروع کر دے ۔
اور اسکی وجہ احادیث میں یہ بیان کی گئی ہے کہ وہ سفیانی کسی مسجد کے منبر پر بیٹھا ہو گا اور پوری مجلس اسکے سامنے ہو گی کہ ایکدم کہیں سے کوئی عورت نمودار ہو گی اور اسکی ران پر بیٹھ جائے گی جس پر ایک آدمی آٹھ کر اسکی اس حرکت پر سخت برہم ہو گا اور اسکو ایسا کرنے پر شرم دلائے گا اور مسجد کے تقدس کا احترام کرنے کا کہے گا جسکی وجہ سے سفیانی نا صرف اس بندے کو مار دے گا بلکہ مسلمانوں کیخلاف جنگ کا اعلان کر دے گا اور بے دریغ قتل و غارت گری کرے گا
دوسری وجہ
حجاز یعنی سعودیہ کے کسی امیر کی موت اور اسکی موت پر اسکے بیٹوں کے درمیان ہونے والی لڑائی اور سعودیہ میں ہونے والی مزید قتل و غارت اور دہشت گردی یہ امام مہدی کے ظہور کی بہت خاص نشانی احادیث میں بیان کی گئی ہے جب تک یہ نشانی بھی پوری نہیں ہوتی کچھ بھی کہنا قبل از وقت اور بیکار ہے یاد رہے بلکہ اچھی طرح یاد رہے کہ جب تک امام مہدی کا ظہور نہیں ہوتا تیسری جنگ عظیم میں شدت نہیں آئے گی اور تیسری جنگ عظیم کیلئے ضروری ہے کہ مسجد اقصی کو شہید کر دیا جائے ہاں اس لحاظ سے اس حدیث کی پہلی یہ دو باتیں بہت اہم ہیں لیکن یہ کب ہو گا اسکی سب سے خاص نشانی میں اوپر بتا چکا ہوں کہ سعودیہ کے حالات سخت خراب ہونگے حج کا موقع ہو گا وہاں کے امیر کی موت ہو چکی ہو گی اور اسکے بیٹوں میں اسکی امارت کو لیکر سخت جھگڑا ہو رہا ہو گا کہ اب نیا امیر یا بادشاہ کون بنے گا خونریزی اور قتل و غارت کا دور دورہ ہو رہا ہو گا لاشیں گر رہی ہونگی اور دہشت گردوں کی آمد کی گردان جاری ہو گی اور یہ کہا جا رہا ہو گا کہ دہشت گردوں کا بڑا کمانڈر اس وقت خانہ کعبہ میں چھپا بیٹھا ہے جسکو پکڑنے کیلئے جوائنٹ فورسز روانہ ہو چکی ہیں بعد میں اللہ اس لشکر کو مکہ اور مدینہ کے درمیان ایک بیداء نامی جگہ میں دھنسا دے گا اور دجالی میڈیا اس بات کو بھی چھپائے گا باقی علماء و محققین کا کہنا ہے کہ جب ایسا پروپیگنڈہ ہو رہا ہو تو ایمان والے سمجھ جائیں کہ امام مہدی کا ظہور ہو چکا ہے ۔
تین چار سال پہلے اگر سعودیہ کے حالات کا جائزہ لیا جائے تو وہاں کی عوام کی بغاوت اور ہونے والے پے در پے دھماکے بھی سامنے آ چکے ہیں وقتی طور پر تو انکو کنٹرول کر لیا گیا لیکن آنے والے وقت میں یہ حالات کیا رخ اختیار کرتے ہیں وہ بھی نظر آ جائے گا ۔
باقی سفیانی کی حکومت کی مدت نو ماہ یا کئی روایات میں ڈیڑھ سال تک بیان ہوئی ہے اور اسکے خروج کے کچھ مہینوں بعد ہی امام مہدی کا ظہور ہو جائے گا ۔
لیکن اندازے لگانے اور سروے کرنے سے پرہیز کریں کیونکہ اسکا صحیح مقام و وقت صرف اللہ کو ہی معلوم ہے اور کوئی نہیں جان سکتا ۔
اور رہی بات قسطنطنیہ کی فتح کی تو لاکھ ترکی کو اسلام کا نجات دہندہ سمجھ لو لیکن یہ حدیث بری طرح ہمارے دعووں کی نفی کر رہی ہے کہ قسطنطنیہ یعنی استنبول جو کہ دروازہ ہے عیسائیت کی دنیا کے کھلنے کا اسکو ایک بار پھر فتح کیا جائے گا یعنی ترکی اسلام سے کوسوں دور ہے خیر اسکو دوبارہ فتح مجاہدین کریں گے اور اسکی فتح ہی دجال کے غضب کو بھڑکا دے گی کیونکہ اسکے ساتھ پوری مغربیت بھی اسلام کے لپیٹے میں آ جائے گی اور ویسے بھی ایک خاصی طویل حدیث باب الملاحم کی میں پہلے بھی لکھ چکا ہوں جس میں وہائٹ ہاوس جس کو قصر أبيض یعنی سفید محل کہا گیا ہے امریکہ کا اسکی فتح کی پیشن گوئی موجود ہے اور یہ وہ فتوحات ہونگی مسلمانوں کی جو خود بخود ہی دجال کے غضب کو اور بھی بھڑکا دیں گی ۔
یہ تمام واقعات ایسے ہیں جنکو جھٹلانا ممکن نہیں ہے ہاں البتہ یہ میں سمجھتا ہوں کہ بھولی بھالی عوام کو یہ پوسٹ تھوڑی سی ہضم نا ہو لیکن جو حقائق ہیں انکو حقیقت کے آئینے میں ہی دیکھنا چاہئیے کسی خواب و خیال میں نہیں رہنا چاہئیے کیونکہ علامات پوری ہوتی جا رہی ہیں اور شدید ترین خطرات سر پر منڈلا رہے ہیں اور ہم ابھی تک خواب خرگوش میں مزے سے سوئے ہوئے ہیں اور لگتا ہے کہ سوئے ہی رہیں گے جب تک اللہ ہم جیسی نافرمان قوم کو ختم کر کے اپنے وہ بندے نہیں لے آتا جن سے اسکو محبت ہو گی اور جس سے وہ محبت کرتے ہونگے مومنین کیلئے نرم اور کافروں کیلئے سخت ہونگے اور اللہ کی راہ میں جہاد کرنے والے ہونگے بے شک اللہ بڑی کشائش رکھنے والا ہے ( سورة المائدة ) ۔ یا ہو سکتا ہے ہمیں ہی خواب خرگوش سے جگا کر ہدایت دے دے اور اللہ کرے کہ ایسا ہی ہو ۔
( میری ذاتی رائے سے اختلاف ہو سکتا ہے لیکن جو کچھ بھی میں نے لکھا ہے وہ سب احادیث کے تناظر میں لکھا ہے اگر کسی کو بات ہضم نا ہو تو بہتر ہے خاموش رہے ) حياك الله ۔
دعا ہے کہ اللہ ہمیں حق کو سمجھنے کی توفیق عطا فرمائے اور دجال و شیطان کے شر اور فتنوں سے بچائے اور اپنی حفظ و امان میں رکھے اور زندگی اور موت ایمان اور شان والی عطا کرے اور حقیقت کا سامنا کرنے کی توفیق عطا فرمائے اور خوش فہمیوں سے بچائے آمین ۔
و آخر الدعوانا أن الحمد لله رب العالمين ۔

New World Order ..........................

04/05/2023

पसमांदा आंदोलन पर सवाल किया जाता है कि यह सिर्फ अशराफो की आलोचना करता है। पूछा जाता है कि आपने पसमांदा के लिए कितने स्कूल खोल दिये ? पसमांदाओं के लिए कितने अस्पताल बनवा दिए ? क्या यही सवाल आज कार्ल मार्क्स से पूछा जाएगा कि कार्ल मार्क्स ने पूंजीपतियों की कमियां बताने के एलावा मज़दूरों के लिए क्या किया ? उसने मज़दूरों के लिए कितने स्कूल खोले ? उसने मज़दूरों के लिए कितने अस्पताल बनवा दिए ? क्यो मार्क्स को मज़दूरों का मसीहा कहा जाता है ? उसने ऐसा क्या किया था ? क्या उसने मज़दूरों के लिए कोई संविधान संशोधन करवाया था या कोई फण्ड बनवाया था ?

जिस तरह पूंजीवाद का विश्लेषण करते हुए मार्क्स ने बताया कि गैरबराबरी इसका एक प्रमुख लक्षण है। उसी तरह पसमांदा आंदोलन सैयदवाद का विश्लेषण कर के यह साबित कर रहा है कि सैयदवाद का मूल ही गैर बराबरी है जहां धार्मिक-संस्कृति-राजनीतिक सत्ता चंद हाथों में ही केंद्रित रहती है। मार्क्स इस बात को समझते थे कि परस्पर विरोधी हित के व्यक्तियों में टकराव रहेगा इसलिए मार्क्स ने दुनिया के मज़दूरों एक हो जाओ का नारा दिया न कि दुनिया के इंसानों एक हो जाओ का। मार्क्स मानते थे कि व्यक्ति से समाज की अवधारणा दरअसल वर्गीय चेतना के रूपांतरण की अवधारणा है। इसलिए यह जरुरी है कि वर्ग चेतना से समाज को क्रांतिकारी समाज में बदल दिया जाए। मार्क्स ने कहा कि सवाल दुनिया की व्याख्या का नहीं बल्कि सवाल है दुनिया को बदलने का है। बिना वास्तविक चेतना के निर्माण के क्या कोई क्रांति सम्भव है ? फिलहाल पसमांदा आंदोलन क्या कर रहा है ? अशराफो की hegemony/ वर्चस्व की संस्कृति को चुनौती दे रहा है और पसमांदा चेतना को जगाने की कोशिश कर रहा है। अभी पसमांदा समाज अशराफो द्वारा बनाई गई झूठी चेतना में जी रहे हैं। यह चेतना अशराफो के हितों की पूर्ति करते हुए मुस्लिम एकरूपता के मिथ को बनाए रखने का काम करती है।

~लेनिन मौदूदी

01/05/2023

ऊंचा सुनते हैं ये अरबाबे सियासत शायद

नर्म लहजे में नहीं ज़ोर से ऐवान में चीख़

26/04/2023

हमेशा युद्ध की मुद्रा में रहने वालों को यह बार बार सोचना चाहिए कि इस युद्ध का हासिल क्या है? इससे क्या लाभ होने वाला है? मैं किसी देश या दुश्मन से युद्ध की बात नहीं कर रहा हूँ बल्कि घर में पति पत्नी के बीच चलने वाली जंग के बारे में बात कर रहा हूँ।
पति पत्नी की लड़ाई कभी कभी इस हद तक पहुंच जाती है कि पति या पत्नी के दिमाग मे यही चल रहा होता है कि हम यह कहेंगे, जवाबी हमला कुछ इस तरह होगा,इसका उत्तर इस तरह देना है, इससे उनकी अक्ल ठिकाने आ जाएगी। यह अक्सर होता है जब पति या पत्नी कहते हैं कि हमको पता था कि आपका यही जवाब होगा! दरअसल यह कहने वाले/वाली घण्टों दिमाग लगाकर उत्तर सोचे रहते हैं कि यही उत्तर होगा, जिसके चलते वह ऐसा कहते हैं। घर का कोई सामान नुकसान हो गया, कुछ गायब हो गया, कुछ टूट फूट गया तो खासकर महिलाएं दिमाग लगाती हैं कि यह कहर टूटने वाली है तो हमको क्या करना है और एक भय का वातावरण तैयार हो जाता है।
एक स्थिति यह भी होती है, जब लोगों को शिकायत होती है कि लड़की/महिला के मायके वाले खरमण्डल की वजह हैं। मैंने ऐसे ऐसे कांड देखे हैं कि पहला बच्चा पैदा होने के बाद ही दस या पंद्रह साल पति पत्नी के बीच मुकदमा चला। उसके बाद दोनों एक हो गए। समस्या यह है कि जिसने भी मुकदमा करने के लिए चढ़ाया, या मदद की, उनको क्या नुकसान हुआ? उस दम्पति की 10-15 साल वह जिंदगी एक्सप्लॉयट हो गई, जिसमें सबसे ज्यादा मस्तियाँ हो सकती थी।
ऐसे केसेज में मेरे परिचितों में ईगो के अलावा कोई प्रॉब्लम नहीं थी। ऐसा नहीं कि महिला या पुरुष का किसी और से लप्पड़ झप्पड़ चल रहा हो जिसकी वजह से गड़बड़ है। अगर किसी थर्ड पार्टी से प्रेम वगैरा का मसला हो तो निश्चित रूप से दोनों को अलग हो जाना चाहिए। लेकिन अगर पति और पत्नी दोनों में से किसी के पास कोई बेहतर विकल्प नहीं है तो आखिर लड़ने का क्या मतलब है? 60-70 साल के जीवन में आपने 10-15 साल जिंदगी कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते बिता दी! वैसे जिन लोगों ने इतनी जिंदगी बिता दी उसके बाद संभल गए, वह भी ठीक। कुछ तो उसके बाद भी लड़े जा रहे हैं? उसका हासिल किया होने जा रहा है??
जिंदगी प्रेम में है, नफरत में नहीं। अपने भीतर पॉजिटिव एनर्जी लाएं। बिगड़ी स्थिति सुधरेगी। जब पॉजिटिव रहेंगे तो चीजें पॉजिटिव होंगी। आप अपने बारे में यह भी सोचें कि क्या पत्नी ही आपकी समस्या है, या पहले से ही आप अपने मित्रों के बीच इरिटेटिंग पर्सनालिटी के शिकार रहे हैं? ऐसा अक्सर होता है कि जो लड़का लड़की अपने घर मे पहले से लतमरुआ लड़ाका होते/होती हैं, उनका वह करेक्टर शादी के बाद भी जारी रहता है। वह समझ ही नही पाते कि प्रॉब्लम किस प्वाइंट पर है, जिससे जिंदगी सहज सरल हो सकती है।
मुझे वह महिलाएं अच्छी लगती हैं जिन्हें अपना भाई, अपना बाप, अपना बेटा, अपना पति अच्छा लगता है और विश्व के शेष मर्द बलात्कारी, शोषक और पुरुषवादी लगते हैं। जो अपने पति पर ही यह फार्मूला लगा देती हैं, वह अपनी जिंदगी नष्ट कर लेती हैं🤔
#भवतु_सब्ब_मंगलम

17/04/2023

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे

तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे

घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत ब'अद का है

पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएँ कैसे

लाख तलवारें बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ़

सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएँ कैसे

क़हक़हा आँख का बरताव बदल देता है

हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आएँ कैसे

फूल से रंग जुदा होना कोई खेल नहीं

अपनी मिट्टी को कहीं छोड़ के जाएँ कैसे

कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा

एक क़तरे को समुंदर नज़र आएँ कैसे

जिस ने दानिस्ता किया हो नज़र-अंदाज़ 'वसीम'

उस को कुछ याद दिलाएँ तो दिलाएँ कैसे

Jamiyt ulamay hind sorts video//arshad madani short 17/04/2023

Jamiyt ulamay hind sorts video//arshad madani short Jamiyt ulamay hind sorts video

22/03/2023

मुस्लिम समाज का भीख मांगना एक सामाजिक बीमारी जिस का इलाज....!
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इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 25% भिखारी मुसलमान हैं यानी हर चौथा भिखारी मुसलमान है और मुसलमानों का एक बड़ा तबक़ा भीख मांग कर ज़िंदगी गुजारता है।

उनमें से अक्सर पेशेवर भिखारी हैं जो बावजूद सेहतमंद होने के भीख मांग कर कमाते हैं , ऐसा लगता है कि पेशेवर भिखारियों का यह गिरोह इसको एक आसान और सहूलत बख़्श कमाई का जरिया समझते हैं।

इस्लाम में चूंकि सदक़ा ख़ैरात की बहुत एहमियत है और साइल को देने की ताकीद है इसलिए अमूमन लोग उनको कुछ न कुछ दे ही देते हैं, और यह रोज़ के हिसाब से 500 से 1500 तक कमा लेते हैं।

जबकि आप उनको बोलो के काम करो या यहां काम है डेली 200/300 रुपये मिलेंगे तो यह मुंह बसोरते हुए बड़बड़ाते निकल जाते हैं ; लेकिन काम करने पर राज़ी नहीं होते, ऐसे लोगों को हम ही लोग भीख देकर निठल्ले, कामचोर और मुफ्तखोर बनाते हैं।

हदीस में ऐसे पेशेवर भिखारियों के लिए सख़्त मज़म्मत और वईद आई है कि भीख मंगे जहन्नम की चिंगारियों में इज़ाफ़ा कर रहे हैं और कियामत में उनके चेहरे बिगड़े हुए होंगे।

रसूलुल्लाह ﷺ के पास कोई मांगने आता तो आप ﷺ उसे लकड़ियां काट कर बेचने और कामधंधा कर खाने की हिदायत फरमाते।

आप ﷺ ने फरमाया के जंगल से लकड़ियों का गठ पीठ पर लाद बेचो, लोगों के सामने हाथ फैलाने से बेहतर है।

हुज़ूर ﷺ ने तो सहाबा से अहद लिया था कि किसी से सवाल न करें यहां तक कि कोड़ा गिर जाए वह भी किसी से न मांगे।

एक बार रसूल सललल्लाहू अलैही वसल्लम की ख़िदमत में किसी भिखारी 👳🏽‍♀ ने सवाल किया। तो अल्लाह के नबी ने फ़रमाया: क्या तेरे घर कुछ है ?

अर्ज़ किया: *सिर्फ़ एक कम्बल है जिसको आधा बिछाता हूँ आधा ओढ़ता हूँ और एक प्याला है जिससे पानी पीता हूँ।

फ़रमाया: *वो दोनों ले आओ।*

रसूल अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने मजमे से ख़िताब करके फ़रमाया : इसे कौन ख़रीदता है ?
एक ने अर्ज़ किया कि मैं 1 दिरहम से लेता हूँ , फ़िर दो तीन बार फ़रमाया
कि दिरहम से ज़्यादा कौन देता है दूसरे ने अर्ज़ किया: मैं 2 दिरहम में ख़रीदता हूँ, रसूल अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने वोह दोनों चीज़े उन्ही को अता फ़रमा दीं

और यह 2 दिरहम उस भिखारी को देकर फ़रमाया कि एक का ग़ल्ला (अनाज)🥙 ख़रीद कर घर में डालो दूसरे दिरहम की कुल्हाड़ी ⛏ ख़रीद कर मेरे पास लाओ ।

फ़िर उस कुल्हाड़ी में अपने मुबारक हाथ से दस्ता डाला और फ़रमाया: जाओ लकड़ियां काटो और बेचो और 15 रोज़ तक मेरे पास न आना

वो भिखारी 15 रोज़ तक लकड़ियां काटते और बेचते रहे 15 रोज़ के बाद जब बारगाहे नबवी मे हाज़िर हुएे तो उनके पास खाने पीने के बाद 10 दिरहम बचे थे उसमें से कुछ का कपड़ा ख़रीदा कुछ का ग़ल्ला।

रसूल अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने फ़रमाया, यह मेहनत तुम्हारे लिए मांगने से बेहतर है।

(इब्ने माजाह जिल्द 3 हदीस 2198 सफ़ा 36)

ग़ौर फ़रमाइए रसूल- अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने तो जिसके पास सिर्फ़ 2 चीज़ें ( कम्बल और प्याला) था उसे भी भीख मांगने के बजाए कमा 👨🏻‍🔧 कर खाने की तरग़ीब दिलायी

जबकि हमने भीख दे दे कर इनकी तादाद बढ़ा दी है

जिसकी वजह से भिखाारियों की सबसे ज़्यादा तादाद मुसलमानो में है ये लोग बाज़ारों, गलियों- मुहल्लों और आम जगहों पर मुसलमानी हुलिये में
भीख मांग कर हमारे प्यारे मज़हब दीने इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं

इसलिए अब से पेशेवर भिखारियों को देना बंद कर उनका हौसला तोड़े।

अगर हमारी क़ौम को इस लानत से बचाना है तो हमें उनमें मेहनत मजदूरी का मिज़ाज पैदा करना होगा और यह जभी होगा जब हम बिल्कुल उनको भीख देना बंद कर दे।

सबसे बेहतरीन सदका अपने ग़रीब रिश्तेदारों को देना फिर अपने पास पड़ोस के मिस्कीन लोगों का पता लगाकर उनको देना चाहिये।

अगर हम यह काम करें तो इन शा अल्लाह पेशेवर भिखमंगो को देने की नौबत ही नही आयेगी।
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Waqar Ahmad Aipmm

27/02/2023

गोरखनाथ मूलतः बौद्ध मतावलंबी थे. उनके गुरु या पिता मक्षेन्द्रनाथ भी प्रारम्भ में बौद्ध थे. कहा जाता है कि बौद्ध मत के प्रभाव से गो-रक्षा के लिए काम करने के कारण, गोरख नाम से जाने गये.

वैदिक धर्म में गायों की सर्वाधिक बलि दी जाती थी और गौ मांस खाया जाता था. तराई में लोहे के हल के आविष्कार के फलस्वरूप खेती किसानी के लिए बैलों की जरूरत थी. इसलिए बुध्द ने पशुवध के विरुद्ध अभियान चलाया जो खेतिहरों को भाया.

बुध्द के जन्मस्थल नेपाल के लोग, बुध्द के अनुयाई बने. वे ही आगे चलकर गोरखनाथ के अनुयाई हुये और गोरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हुये. इसी कारण उन्हें गोरखा कहा गया. ब्रिटिश अखबार 'द होमवर्ड मेल, अगस्त 20, 1894' के अनुसार, मेहतर जाति के लोग संत गाज़ी मियां को अपना संरक्षक मानते थे. जो पंच पियारा समुदाय के थे तथा गजनी के रहने वाले महमूद के भतीजे थे. उन्होंने गोरखनाथ से प्रभावित होकर गायों का संरक्षण किया था. इस प्रकार मेहतर जाति के लोग भी गोरखनाथ से प्रभावित थे.

बौद्ध धर्म से प्रभावित होने का दूसरा प्रमाण यह है कि गोरखनाथ के विचारों में मध्यम मार्ग साफ दिखाई देता है--

षांये भी मरिये अणसाये भी मरिये,
गोरषं कहै पूजा संजमि ही तरिये
मधि निरंतर कीजै बांस,
निहचल मनुवा थिर होई सांस.

(अधिक खाने से भी मरो, न खाने से भी मरो. गोरख कहते हैं कि हे पुत्रों संयम से ही तरो. निरंतर मध्यम मार्ग में ही वास करना चाहिए. मध्यम मार्ग का अनुसरण करने से मन निश्चल और श्वास स्थिर हो जाता है)

बुध्द के विचारों का प्रभाव गैर सनातनी लोगों पर पड़ा था. इसलिए संतो और नाथों की वाणियों में बौद्धों का प्रभाव दिखाई देता है. गोरखनाथ का कार्यकाल 11वीं सदी या 12वीं सदी के अंत से पूर्व का माना जाता है.

गोरखनाथ ने अपने नाथ पंथ से जिस दर्शन को स्थापित किया वह हिंदू धर्म से भिन्न, जोगी या योगी दर्शन था. वह हिंदू मुस्लिम विभाजन के खिलाफ था और बहुत हद तक सूफीवाद के करीब था.

(पृष्ठ -: 77-78, पुस्तक-: कबीर हैं कि मरते नहीं)

लेखक-: Subhash Chandra Kushwaha

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