Braj Madhuri

वही तन, मन, धन धन्य है जो हरि-गुरु की सेव?

15/09/2024

❤️हरे कृष्ण,
सभी #प्रभुप्रेमियों को #भगवान् श्री वामन देव के प्राकट्य उत्सव की अनंत अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई........

छलयसि विक्रमणे बलिम् अद्भुत वामन |
पद नख नीर जनित जन पावन ||
केशव धृत वामन रूप जय जगदीश हरे || ५ ||

अनुवाद - हे सम्पूर्ण जगत के स्वामिन् ! हे श्रीहरे ! हे केशव! आप #वामन रूप धारणकर तीन पग धरती की याचना की क्रिया से बलि राजा की वंचना कर रहे हैं। यह लोक समुदाय आपके पद-नख-स्थित सलिल से पवित्र हुआ है। हे अदभुत वामन देव ! आपकी जय हो || ५ ||

व्याख्या - पाँचवे पद्य में वामनदेव की स्तुति की गयी है। राजा #बलि की यज्ञशाला में जाकर आपने भिक्षा के छल से त्रिविक्रम रूप धारण कर ऊपर नीचे के समस्त लोक नाप लिये हैं । छलयसि - इसमें वर्तमान कालिक क्रिया पद का प्रयोग है, अर्थात् बलि को अपने वरदान से अनुग्रहीत कर उसके साथ पाताल में निवास करते हैं और अनादि काल से ही अदभुत वामन बनकर उसे छला करते हैं। पदनख नीर जनित जन पावन से तात्पर्य है कि उन्होंने अपने पद-नखों से #श्रीगंगा को यहाँ प्रकट कर समस्त संसार को पावन किया है। ब्रह्माजी ने पृथ्वी नापते समय भगवान के चरणों को ब्रह्मलोक में देखकर अर्घ्य चढ़ाया। वही जल श्रीगंगा जी के रूप में परिणत हो गया। आपकी जय हो। इस पद्य में अदभुत रस है, यहाँ पर श्रीभगवान् सख्य रस के अधिष्ठाता रूप में प्रकाशित हुए हैं ।।५।।
( #गीतगोविंद #श्रीदशावतारस्त्रोत -5)

Photos from Braj Madhuri's post 11/09/2024

श्री राधारानी प्राकट्योत्सव की सभी #प्रभुप्रेमियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

भानुभूप घर बजत बधाई ।
प्रकटीं अंक लली कीरति के, देव वृंद दुंदुभिहिं बजाई ।
सब विधि सज्यो आजु बरसानो, लखि कोटिन बैकुँठ लजाई ।
चहुँ दिशि विविध बाजने बाजत, परत न कहुँ कछु शब्द सुनाई ।
भरिभरि मूठि मणिन मोतिन की, यद्यपि कीरति मातु लुटाई ।
तदपि न लूटिन की सुधि काहुहिं, सबै विदेह, देह पद पाई ।
विधि हरि हर सुर कहत एक सुर, जय जय ह्लादिनि शक्ति सुहाई ।
करत ‘कृपालु’ निछावर तापर, निज कर कोटि ब्रह्म सुख जाई ।।

भावार्थ :- श्री वृषभानुनन्दिनी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में वृषभानु राजा के महल में बधाई बज रही है । आज मैया कीर्ति की गोद में श्री किशोरी जी का प्राकट्य हुआ है । अतएव आनन्द विभोर समस्त देवता दुंदुभी बजा रहे हैं । श्री बरसाना धाम सभी प्रकार से सजा हुआ है, जिसकी सजावट को देखकर करोड़ों बैकुंठ भी लज्जित होते हैं । चारों ओर अनेक प्रकार के बाजे बज रहे हैं, जिनके तुमुल स्वर में किसी व्यक्ति के बोले हुए शब्द, कोई भी नहीं सुन पा रहा है । आनन्दातिरेक से कीर्ति माता यद्यपि मणियों एवं मोतियों को दोनों हाथों की मुट्ठियों में भर–भर कर लुटा रही हैं, फिर भी एक भी व्यक्ति को इन मणियों एवं मोतियों को लूटने की सुधि ही नहीं है । आज समस्त नर नारियों की देह ने विदेह पद पा लिया है । ब्रह्मा, विष्णु, शंकर एवं अन्यान्य देवतागण एक स्वर से “श्री ह्लादिनी शक्ति की जय हो” “ह्लादिनी शक्ति की जय हो” ऐसा नारा लगा रहे हैं । ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि हम भी उपर्युक्त जन्म दिवस के आनन्द के ऊपर अपने ही हाथों करोड़ों ब्रहानन्द न्यौछावर करके फेंक रहे हैं ।

( प्रेम रस मदिरा: श्री राधा बाल-लीला-माधुरी )
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज।
सर्वाधिकार सुरक्षित:- राधा गोविन्द समिति।

09/09/2024

आप सभी #प्रभुप्रेमियों को #श्रीदाऊजी महाराज के प्राकट्य दिवस की बहुत-बहुत बधाईयां एवं शुभकामनाएं 🙏

बल्देव छठ का सम्बन्ध श्री बलराम जी से है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी को ब्रज के राजा और भगवान् श्रीकृष्ण के अग्रज बलदेव जी का जन्मदिन ब्रज में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है।

वहसि वपुषे विशदे वसनं जलदाभम ।
हलहतिभीतिमिलितयमुनाभम ।
केशव धृतहलधररूप जय जगदीश हरे ॥

हे जगत् स्वामिन् ! हे केशिनिसूदन! हे हरे ! आपने बलदेवस्वरूप धारण कर अति शुभ्र गौरवर्ण होकर नवीन जलदाभ अर्थात् नूतन मेघों की शोभा के सदृश नील वस्त्रों को धारण किया है। ऐसा लगता है, यमुनाजी मानो आपके हल के प्रहार से भयभीत होकर आपके वस्त्र में छिपी हुई हैं । हे हलधरस्वरूप ! आपकी जय हो ॥

श्री राधे गोविंद 🙏❤️🌹

08/09/2024

मैं वासुदेव ही सम्पूर्ण जगत् की उत्पत्ति का कारण हूँ और मुझसे ही सब जगत् चेष्टा करता है, इस प्रकार समझकर श्रद्धा और भक्ति से युक्त बुद्धिमान् भक्तजन मुझ परमेश्वर को ही निरन्तर भजते हैं ॥
- #श्रीमद्भागवतगीता 10.8

07/09/2024

आप सभी #प्रभुप्रेमियों को #गणेश_चतुर्थी की बहुत-बहुत मंगल शुभकामनाएं एवं बधाई🙏

हे शंकर सुवन! हे गौरी पुत्र! हे विद्या-बुद्धि के विधाता यदि आप कृपा करें तो मेरे जीवन में भी #प्रभुभक्ति का श्रीगणेश हो जाय ।।

हे मंगलमूर्ति ! जो मंगल करने वाले और अमंगल को दूर करने वाले हैं , वो दशरथ नंदन श्री राम हैं वो मुझ पर अपनी कृपा करें।।

हे विघ्नहर्ता ! समस्त साधकों के भक्ति-पथ में आने वाले सभी विघ्नों को हरें...ऐसी आपके चरणों👣 में प्रार्थना है।।



श्री राधे गोविंद 🙏❤️🌹

02/09/2024

❤️
अंतिम चीज है - प्रेम।
प्रेम के आगे कुछ नहीं है। प्रेम की भूख भगवान में भी है। प्रेम एक अलौकिक तत्त्व है , जो देने से कभी घटता नहीं और पाने से कभी तृप्ति नहीं होती।
संसार कर्तव्य ( सेवा) से तृप्त होता है, प्रेम से नहीं। इसलिए कर्तव्य संसार के लिए है और प्रेम भगवान के लिए है।

-परम श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज

#श्रीराधेगोविंद🙏❤️🌷

28/08/2024

कृष्ण का व्यक्तित्व बहुत अनूठा है। अनूठेपन की पहली बात तो यह है कि कृष्ण हुए तो अतीत में, लेकिन हैं भविष्य के। मनुष्य अभी भी इस योग्य नहीं हो पाया कि कृष्ण का समसामयिक बन सके। अभी भी कृष्ण मनुष्य की समझ से बाहर हैं। भविष्य में ही यह संभव हो पाएगा कि कृष्ण को हम समझ पाएं। इसके कुछ कारण हैं।

सबसे बड़ा कारण तो यह है कि कृष्ण अकेले ही ऐसे व्यक्ति हैं जो धर्म की परम गहराइयों और ऊंचाइयों पर होकर भी गंभीर नहीं हैं, उदास नहीं हैं, रोते हुए नहीं हैं। साधारणतः संत का लक्षण ही रोता हुआ होना है। जिंदगी से उदास, हारा हुआ, भागा हुआ।

कृष्ण अकेले ही नाचते हुए व्यक्ति हैं। हंसते हुए, गीत गाते हुए। अतीत का सारा धर्म दुखवादी था। कृष्ण को छोड़ दें तो अतीत का सारा धर्म उदास, आंसुओं से भरा हुआ था। हंसता हुआ धर्म मर गया है और पुराना ईश्वर, जिसे हम अब तक ईश्वर समझते थे, जो हमारी धारणा थी ईश्वर की, वह भी मर गई है।

जीसस के संबंध में कहा जाता है कि वह कभी हंसे नहीं। शायद जीसस का यह उदास व्यक्तित्व और सूली पर लटका हुआ उनका शरीर ही हम दुखी-चित्त लोगों को बहुत आकर्षण का कारण बन गया। महावीर या बुद्ध बहुत गहरे अर्थों में इस जीवन के विरोधी हैं। कोई और जीवन है परलोक में, कोई मोक्ष है, उसके पक्षपाती हैं।

समस्त धर्मों ने दो हिस्से कर रखे हैं जीवन के, एक वह जो स्वीकार योग्य है और एक वह जो इनकार के योग्य है। कृष्ण अकेले ही इस समग्र जीवन को पूरा ही स्वीकार कर लेते हैं। जीवन की समग्रता की स्वीकृति उनके व्यक्तित्व में फलित हुई है। इसलिए, इस देश ने और सभी अवतारों को आंशिक अवतार कहा है, कृष्ण को पूर्ण अवतार कहा है। राम भी अंश ही हैं परमात्मा के, लेकिन कृष्ण पूरे ही परमात्मा हैं। यह कहने का, यह सोचने का, ऐसा समझने का कारण है और वह कारण यह है कि कृष्ण ने सभी कुछ आत्मसात कर लिया है।

~ओशो

27/08/2024

कजरारी तेरी आँखों में ,क्या भरा हुआ कुछ टोना है
तेरा तो हसन, औरों का मरण, बस जान हाथ से धोना है,
क्या खूबी हुस्न बयान करूं, ये तो सुन्दर श्याम सलौना है....
ललित किशोरी प्राण जीवन धन, तू बृज का एक खिलौना है.....

- श्री ललितकिशोरी जी

26/08/2024

सभी #प्रभुप्रेमियों को ‘ #जन्माष्टमी’ के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

"धन्य कंस का कारागार
श्रीहरि ने लिया यहां अवतार
धन्य धन्य वसुदेव देवकी
स्तुति करते देव देव की".....

जय श्री कृष्णा

26/08/2024

Hare krshna ,🌹

परीक्षित्‌ ! भगवान्‌ शंकर और ब्रह्माजी कंस के कैदखाने में आये । उनके साथ अपने अनुचरों के सहित समस्त देवता और नारदादि ऋषि भी थे । वे लोग सुमधुर वचनोंसे सबकी अभिलाषा पूर्ण करने वाले श्रीहरि की इस प्रकार स्तुति करने लगे ॥

॥ ‘प्रभो ! आप सत्यसंकल्प हैं । सत्य ही आपकी प्राप्तिका श्रेष्ठ साधन है । सृष्टिके पूर्व, प्रलयके पश्चात् और संसारकी स्थितिके समय—इन असत्य अवस्थाओं में भी आप सत्य हैं ।

#श्री_मद्भागवतम (10.2.25)🌹

25/08/2024

#धर्मराज #सावित्री से कहते हैं:

"भारतवर्ष में रहने वाला जो प्राणी #श्री_कृष्ण_जन्माष्टमी का #व्रत रखता है वह 100 जन्मों के #पापों से मुक्त हो जाता है।"
(ब्रह्मवैवर्त पुराण)

श्री राधे राधे

20/08/2024

❤️ Hare krishna,

सुंदर शरीर हो, सुरूप स्त्री हो सुंदर एवं विचित्र यश हो तथा सुमेरुतुल्य धन हो, किंतु यदि यशोदानंदन में मन नहीं लगा तो उन सबों से क्या लाभ है?

15/08/2024

समस्त देशवासियों को 78वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं!

माँ भारती की स्वाधीनता के महायज्ञ में स्वयं की आहुति देने वाली सभी हुतात्माओं को कोटि-कोटि नमन!

अपने अमर बलिदानियों के सपनों के भारत का निर्माण हम सभी की शीर्ष प्राथमिकता है।

आइए, आज के पावन दिन हम सभी 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत, विकसित भारत-आत्मनिर्भर भारत' के निर्माण के लिए संकल्पित हों।

वंदे मातरम्, जय हिंद!

10/08/2024

❤️
हे भगवन्! यद्यपि आप सभी प्रकार के वर देने में सक्षम हैं, तो भी मैं न तो मुक्ति की, न वैकुंठ निवास की और न ही अन्य किसी वरदान की आशा करता हूँ। हे भगवन् ! मेरी आपसे केवल यही इच्छा है कि आपका यह बाल-गोपाल रूप नित्य काल मेरे हृदय में प्रकट होता रहे। इसके अतिरिक्त अन्य वरदानों का मेरे लिए क्या लाभ?

( #श्रीदामोदराष्टकम -4)



श्री राधे राधे 🙏

06/08/2024

मेरे मन में नाथ ! बस , रहै एक अभिमान।
मैं सेवक श्रीकृष्ण का, पति मेरे भगवान।।

एक ओर मम मृत्यु है ,तव दर्शन इक ओर।
जो चाहौ सो दीजिए, प्यारे नन्दकिशोर।।

--पं. बाबूराम शास्त्री 'हरे कृष्ण'

श्री राधेगोविंद ❤️🌹🙏

01/08/2024

मैं भगवद गीता को सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ मानता हूँ ,यह ग्रंथ न केवल हिंदू धर्म के लिए, बल्कि पूरे संसार के लिए एक मार्गदर्शक है। इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जैसे कि:

1. आत्म-साक्षात्कार और आत्म-ज्ञान
2. जीवन का उद्देश्य और अर्थ
3. कर्तव्य और नैतिकता
4. योग और अध्यात्म
5. मोक्ष और आत्म-मुक्ति

भगवद गीता के संदेश समय और संस्कृति से परे हैं, और यह ग्रंथ आज भी लोगों को प्रेरित और मार्गदर्शन करता है। इसके उपदेश जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं और हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं।

इसके अलावा, भगवद गीता का संदेश विश्वभर में फैला हुआ है, और यह ग्रंथ विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोगों द्वारा पढ़ा और सम्मानित किया जाता है।

31/07/2024

#जगद्गुरुत्तम_संदेश
समस्त जीवात्माओं की आत्मा केवल परमात्मा श्रीकृष्ण ही हैं।
कृष्णमेनमवेहि त्वमात्मानं सर्वदेहिनाम् ( #भागवत)

उन परमात्मा श्रीकृष्ण की आत्मा एकमात्र वृषभानुनंदिनी राधा हैं।
आत्मा तु राधिका तस्य ( #स्कंद_पुराण)

अतएव समस्त प्राणी एकमात्र श्रीकृष्ण के दास हैं। ऐसे ही श्रीकृष्ण भी श्रीराधा के दास हैं।
य‌‌दपि सिद्धांततः श्री राधा कृष्ण एक ही हैं। भावार्थ यह कि समस्त जीवों के आराध्य श्री राधा कृष्ण ही हैं। यही सबका लक्ष्य है।

--- #तुम्हारा_कृपालु

#राधे_राधे

21/07/2024

#गुरु_की_महिमा

#श्रीरामचरित_मानसʹ (Shri Ramcharitmanas) में आता है :-

गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई ।
जौ बिरंचि संकर सम होई ।।

“गुरु के बिना कोई भवसागर नहीं तर सकता, चाहें वह ब्रह्माजी और शंकरजी के समान ही क्यों न हो !”

सदगुरु का अर्थ शिक्षक या आचार्य नहीं है । शिक्षक अथवा आचार्य हमें थोड़ा-बहुत ऐहिक ज्ञान देते हैं लेकिन सदगुरु तो हमें निजस्वरूप का ज्ञान दे देते हैं । जिस ज्ञान की प्राप्ति के बाद मोह उत्पन्न न हो, दुःख का प्रभाव न पड़े और परब्रह्म की प्राप्ति हो जाए ऐसा ज्ञान गुरुकृपा से ही मिलता है । उसे प्राप्त करने की भूख जगानी चाहिए । इसीलिये कहा गया है :-

गुरु गोबिन्द दोउ खड़े, काके लागु पाँव ।
बलिहारी गुरु आपने, जिन गोबिन्द दियो बताय ।।

जब श्रीराम, श्रीकृष्ण आदि अवतार धरा पर आये, तब उन्होंने भी गुरु विश्वामित्र, वशिष्ठजी तथा सांदीपनी मुनि जैसे ब्रह्मनिष्ठ संतों की शरण में जाकर मानवमात्र को सदगुरु महिमा का महान संदेश प्रदान किया ।

राम, कृष्ण से कौन बड़ा, तिन्ह ने भी गुरु कीन्ह ।

तीन लोक के हैं धनी, गुरु आगे आधीन ।।

हमें भी महापुरुषों- सदगुरुओं के श्रीचरणों में बैठना है ।

श्री राधे राधे

16/07/2024

प्रश्न- गोविन्द या श्री राम कैसे मिलेंगे ?

उत्तर- आदरणीय श्री श्वेताभ पाठक भैया जी

हम तो चाहते ही नहीं हमें मिले ।
मिलन से विरह सर्वश्रेष्ठ है ।
मिलन में प्रियतम के खोने का डर लगा रहता है , उससे बिछुड़ने का भय रहता है , परंतु विरह में नित प्रति पाने की आशा लगी रहती है , अपने प्रियतम से मिलने की आशा बनी रहती है ।
इसलिए विरह का आनंद सर्वश्रेष्ठ है ।

मुझे भगवान को पाने की इच्छा है परंतु मैं नहीं चाहता मैं उनसे मिलूँ बल्कि यह चाहता हूँ कि उनसे मिलने की इच्छा दिन प्रति दिन क्षण दर क्षण बलवती हो जाये और विरह की पीड़ा का आनंद मिलता रहे ।
उनसे मिलने को तड़पता भी रहूँ पर वह मिले भी नहीं ।

रोता रहूँ तव दर्शन हित राधे ।

बस यही जो आनंद है न वही आनंद सभी आनंद पर भारी है ।

रोने में जो रस वह नहीं मोक्ष धामा ।

उनके प्रेम में जो तड़प है , एकमात्र वही आनंद है ।
जग को लगता है यह पीड़ा वाले अश्रु हैं , पर वह तो परमानंद के अश्रु , तड़प और पीड़ा है ।
आम लोग क्या जानें की पीड़ा का आनंद क्या होता है ।
यह विरह का आनंद मिलन के आनंद से कई गुना आनंददायक होता है ।

इसी विरह में मीरा , तुलसीदास , सूरदास इत्यादि आनंदमग्न रहा करते थे ।
इसी विरह की पीड़ा के आनंद की अधिष्ठात्री बृज की गोपियाँ एवं मदनाख़्य प्रेम की अधिष्ठात्री राधा रानी भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मणि लक्ष्मी आदि से भी अनंत गुना ऊपर हो गईं ।

बस विरह , प्रेम को पाने की व्याकुलता , तड़प , पीड़ा के आनंद को बढ़ाते जाना है और उस आनंद को भी आनंद प्रदान करने वाला विरहानंद का आनंद लेना है ।

न गरज किसी से वास्ता , मुझे काम अपने ही काम से !
तेरे दीद से, तेरे फिक्र से, तेरे शौक से , तेरे नाम से !!

तेरी बेरुखी के सदके , तेरी सादगी को सिजदा !
तेरा गम है मौज ए दरिया , हर रजा में तेरी राजी !!

तड़पाते हैं खुद जिसे उस लुत्फ़ ए तड़प को क्या कहिये!
अजी शुक्रिया कहिये, चुप रहिये या अंदाज ए वफ़ा कहिये !!

बहुत दिनों बाद मुहब्बत को यह मालूम हुआ ।
जो तेरे हिज़्र में गुज़री वही ज़िंदगी थी ।।

हिज़्र का अर्थ विरह है ।

Sh Shwetabh Pathak Bhaiya Ji
श्री श्वेताभ पाठक भैया जी

********************************************

15/07/2024

संसार की कामना के स्थान पर भगवान् की कामना बनाना है। बड़ी सीधी सी बात है, उसी का नाम भक्ति है।

Practice of devotion involves replacing desires for the world with desires for God.

---

श्री राधेगोविंद 🌹🙏❤️

08/07/2024

❤️
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर ,हरि का नियम बदलते देखा।
जिनकी केवल कृपा दृष्टि से, सकल सृष्टि को पलते देखा।
उनको गोकुल के गौरस पर, सौ सौ बार मचलते देखा ।।
जिनके चरण-कमल कमला के ,करतल से ना टलते देखा।
उनको ब्रज करील कुंजनमें ,कंटक पद पर चलते देखा।।
जिनका ध्यान शुक- सनकादि से, ना सम्भलते देखा।
उनको ग्वाल-बाल संग में ,लेकर गेंद उछलते देखा।।

श्री राधे राधे

05/07/2024

जय हो बाबा अमरनाथ बर्फानी 🔱

03/07/2024

हरे कृष्ण❤️

अंतिम चीज है - #प्रेम।
प्रेम के आगे कुछ नहीं है। प्रेम की भूख भगवान में भी है। प्रेम एक अलौकिक तत्त्व है , जो देने से कभी घटता नहीं और पाने से कभी तृप्ति नहीं होती।
संसार कर्तव्य ( सेवा) से तृप्त होता है, प्रेम से नहीं। इसलिए कर्तव्य संसार के लिए है और प्रेम भगवान के लिए है।

-परम श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज

#श्रीराधेगोविंद🙏❤️🌷

25/06/2024

Hare Krishna ❤️ ,

जो योगी मुझमें एकनिष्ठ हो जाता है और परमात्मा के रूप में सभी प्राणियों में मुझे देखकर श्रद्धापूर्वक मेरी भक्ति करता है, वह सभी प्रकार के कर्म करता हुआ भी केवल मुझमें स्थित हो जाता है।
BG_6.31

18/06/2024

#श्रीबांकेबिहारी_के_मधुर_सवैया

छल छाड़ के जो भजता छलिया को, छलिया भी उसी की चाह करता है।

दिखलाता उसे छवि की किरणें, दिन रात जो दर्द सहा करता है।।

घनश्याम हमारा स्नेही सखा , कुछ मीठी सी बात किया करता है।

जिन नैनों से नीर बहा करता है,उन नयनों में श्याम रहा करता है।।

श्री राधेराधे

17/06/2024

🌿🦚🌿🦚🌿🦚🌿🦚🌿🦚
राधा जीभ रटों सदा, राधा सुनों सुकान ।
श्री राधा नयनन देखिहों, राधा बिन नहीं आन ॥

मेरी जीभ सदा (केवल ) "राधा" रटती है, मेरे कान सदा "राधा" सुनते हैं । मेरे नयन सदा श्री राधा को ही देखते हैं, श्री राधा के अतिरिक्त अन्य मेरी कहीं कोई गति नहीं है ।

श्रीराधेगोविंद ❤️🙏🌷

11/06/2024

प्रभो ! हमारी वाणी आपके मङ्गलमय गुणों का वर्णन करती रहे । हमारे कान आपकी रसमयी कथा में लगे रहें । हमारे हाथ आपकी सेवा में और मन आपके चरण-कमलों की स्मृति में रम जायँ । यह सम्पूर्ण जगत् आपका निवास-स्थान है । हमारा मस्तक सबके सामने झुका रहे । संत आपके प्रत्यक्ष शरीर हैं । हमारी आँखें उनके दर्शन करती रहें ॥
( #श्रीमद्भागवतम-10/10/38)

श्री राधे राधे

10/06/2024

आप पूर्णकाम हैं, आपको किसी विषयसुख की इच्छा नहीं है, तो भी आपने अपनी बनायी हुई धर्ममर्यादा की रक्षा के लिये पशु-पक्षी, मनुष्य और देवता आदि जीवयोनियों में अपनी ही इच्छा से शरीर धारण कर अनेकों लीलाएँ की हैं। ऐसे आप पुरुषोत्तम भगवान्‌ को मेरा नमस्कार है ॥

#श्रीमद्भागवतम -- 3/9/19

श्री राधेगोविंद 🙏❤️🌹

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हनुमान चालीसा 16 वीं शताब्दी में महान संत तुलसीदास द्वारा रचित एक भक्तिपूर्ण भजन है, जो भगवान हनुमान

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हरे कृष्ण..हरे कृष्ण..कृष्ण..कृष्ण...हरे हरे !! हरे राम ..हरे राम.. राम..राम.. हरे हरे !!

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कृष्णा भक्ति

Bhakti Marg Shree Radhe Bhakti Marg Shree Radhe
Mthura Vrindavan
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श्री हरी नाम जय श्री राधे राधे । यदि आप राधा के भक्त है तो फॉलो करे मेरे पेज को जय श्री राधाकृष्ण