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Indian Railways first Ambedkarite Trade union.
क्या जुगाड़ के नेताओं से रेलवे को बचा लेगा रेलवे कर्मचारी..??
क्या रेलवे के नेता, रेलवे खत्म होने के बाद हड़ताल करेंगे..?
दगे हुए कारतूसों से जंग नही जीती जा सकती हैं..
क्या रेलवे के नेता रेल खत्म होने के बाद हड़ताल करेंगे? |#AIRF #NFIR #BRMS #HMS #BMS #SRBKU | #निजीकरण क्या जुगाड़ के नेताओं से रेलवे को बचा लेगा रेलवे कर्मचारी क्या रेलवे के नेता रेल खत्म होने के बाद हड़ताल करेंगे??| ...
एक बार जरूर सुनें..
खुद तय करें क्या गलत है क्या सही??
आप सभी के टिप्पणी आमंत्रित है।
अब #रेल कर्मचारी बेवकूफ बनने वाला नहीं है। मान्यता प्राप्त #यूनियन की रेल पोल खोल। #SRBKU || ILU अब #रेल कर्मचारी बेवकूफ बनने वाला नहीं है। मान्यता प्राप्त #यूनियन की रेल पोल खोल। || ILU
#स्वतंत्र_मजदूर_युनियन
#स्वतंत्र_रेलवे_बहुजन_कर्मचारी_युनियन
सभी साथियों से निवेदन है कि वह ट्विटर में जाकर #बोनस_मांगे_कर्मचारी ट्वीट करें।
देश भर की 41 आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में 12 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल होने वाली थी लेकिन 48 घंटे पहले सरकार और फेडरेशनों के बीच समझौता हुआ और हड़ताल स्थगित करने की घोषणा हो गयी।
लेकिन कर्मचारी अभी भी अक्रोषित है मुरादनगर आर्डिनेंस फैक्ट्री के एक कर्मचारी नेता ने धमकी दी है अगर निगमीकरण हुआ तो फैक्ट्री गेट पर वो आत्मदाह कर लेगा।
आवाज़ दो हम एक हैं।
एक शब्द हो निगमीकरण बंद हो।
रेलवे के निजीकरण के विरोध में स्वतंत्र्य रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन का नागपुर में आंदोलन
रेलवे के निजीकरण के खिलाफ बहुजन कर्मचारियों का अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन Protest : Railway : Nagpur Independent Railway Labour union protest against 'privatisation of Railways in Nagpur
रेलवे के निजीकरण के खिलाफ बहुजन कर्मचारियों का अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन Protest : Railway : Nagpur Independent Railway Labour union protest against 'privatisation of Railways in Nagpur
आवाज़ दो हम एक हैं..
ये वक्त अकेले विरोध-प्रदर्शन का नहीं हैं लेकिन हम मजबूर हैं अपने झंडे बैनर तले प्रदर्शन करने के लिए चूंकि हमारी प्रतिनिधित्व करने वाली मान्यता प्राप्त यूनियनें अभी भी सत्ता के नशे में चूर, सरकार के तलवें चाटने में व्यस्त हैं लेकिन साथियों आप सभी से वादा हैं जल्द ही हम सभी ट्रेड यूनियन व एसोसिएशन को एक मंच पर लाकर "रेल बचाओ राष्ट्रीय आंदोलन " के माध्यम से प्रखर होकर एक आवाज़ बुलंद करवा के ही मानेंगे।
भारतीय रेलवे के सभी मुख्यालय, डीआरएम आफिस, कारखाना, लाॅबी...
देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
09 अक्टूबर 2020
#रेलवे_का_निजीकरण_बंद_करो #रेल_बचाओ_देश_बचाओ
#स्वतंत्र_रेलवे_बहुजन_कर्मचारी_युनियन
रेल बचेंगी की तो रोजगार बचेंगा, देश बचेगा पूरी, ताकत झोंक दो निजी करण को रोक दो।
#स्वतंत्र_रेलवे_बहुजन_कर्मचारी_युनियन
#नेशनल_मूवमेंट_टू_सेव_रेलवे
डीजल रेल इंजन कारखाना लोको टेस्ट शॉप में दिनांक 25 सितम्बर को डीरेका निर्मित 100वें विद्युत रेल इंजन ‘डब्ल्यूएपी-7’ को अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया गया ।
विदित हो कि वैश्विक महामारी नोवेल कोरोनावायरस (COVID-19) के कारण घोषित लॉकडाउन के चलते डीरेका में उत्पादन गतिविधियां लम्बे अंतराल से ठप पड़ी थी। दिनांक 09 मई को आवश्यक दिशानिर्देशों के अनुरूप डीरेका कार्यशाला में केवल परिसर स्थित आवासों में रहने वाले कर्मचारियों के माध्यम से अधिकतम 33% फॉर्मूला के आधार पर सेवा लेकर कार्य आरम्भ हुआ था । इसी क्रम में दिनांक 16 मई को डीरेका लोको टेस्ट शॉप में लॉकडाउन के दौरान डीरेका निर्मित वित्तीय वर्ष 2020-21 का प्रथम विद्युत रेल इंजन ‘डब्ल्यूएपी-7’ रवाना किया गया था। मात्र एक सप्ताह में डीरेका कर्मियों के अथक प्रयास से इस विद्युत रेल इंजन का निर्माण वास्ताव में डीरेका के लिए ऐतिहासिक क्षण था ।
इसी कड़ी में तब से अब तक 122 दिन अंतराल (98 कार्य दिवस) में 100वें विद्युत रेल इंजन को राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करना डीरेका के लिए वास्तव में गौरव का विषय है।
उपरोक्त यात्री सेवा वाले 6000 अश्व शक्ति ‘डब्ल्यूएपी-7’ विद्युत रेल इंजन संख्या- 37450 को उत्तर रेलवे के गाजियाबाद विद्युत लोको शेड (GZB Eclectic Loco Shed) को भेजा जा रहा है।
✊✊✊✊
शहीद ए आजम भगत सिंह को इंकलाबी सलाम
महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह का आज जन्म दिवस है। शहीद भगत सिंह एक वीर क्रांतिकारी ही नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक विचारक और भारत की क्रांति का एक वैज्ञानिक कार्यक्रम देने वाले क्रांतिकारी थे। यूं तो भारत का हर नौजवान भगत सिंह के बारे में सम्मान का भाव रखता है पर सिर्फ सम्मान नहीं बल्कि उनके विचारों को पढ़कर उनके सपनों को पूरा करने में लगना ही सच्चे अर्थों में उनको श्रद्धांजलि है।
शत् शत् नमन।
उम्र भर का पसीना NPS में सुख जाएगा !
"OPS" क्या चीज़ है ये बुढापे में समझ आयेगा !
War Conti.. Against NPS
#रेलवे_का_निजीकरण_बंद_करो
#नेशनल_मुवमेंट_टू_सेव_रेलवे।
ंच है उन #लोगों का
जिनको दूसरी #यूनियनों ने केवल #झण्डा बैनर ढोने वाला समझा, जिनको कभी #प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया, जिनके कभी #अधिकारों की #मांग नहीं की।
आज उन सभी #रेल कर्मचारी भाइयों के लिए खुला मंच है, यहां किसी को #जाति , #पद या #पहुंच देखकर #यूनियन में #पद नहीं दिया जाता है बल्कि जो भी #साथी अपने #अधिकारों को पाना चाहता है उसका #स्वागत है,और वह किसी के #अधीन नहीं बल्कि #स्वतंत्र होकर काम करें , इसलिए इसका नाम
#स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी #यूनियन है।
अब तो उन #यूनियनों के पीछे मत दोड़ो , जिन्होंने आपके रेल #अधिकारों और #रेलवे को आपकी आंखों के सामने #निलाम कर दिया तथा #युवाओं को नयी #पेंशन एवं पुराने कर्मचारियों को #33/55 वर्ष की रिटायरमेंट का तोहफा दे दिया।
एक बार इन #बिकी यूनियनों को #दिखा दो कि अब रेल #कर्मचारी जाग जगा है और इन्हें इनकी #औकात दिखा दो,इन्हें #चंदा देकर मजबूत ना करें।
आईए #आपकी यूनियन को मजबूत करें और मिलकर #रेल बचाये, आगामी #9अक्टूबर 2020को सभी रेलवे #मुख्यालय स्तर पर NPS, निजीकरण, पदों के सरेंडर तमाम मुद्दों को लेकर प्रर्दशन में शामिल हो।
NPS, निजीकरण पर व्याख्यान:-
NPS जहर है तो निजीकरण कैंसर हैं जो हमें दिन-रात खाये जा रहा है। पेंशनविहीन युवा दिलों की धड़कन उत्तर पश्चिम रेलवे(NWR) में कार्यरत, लगातार NPS, निजीकरण के खिलाफ संघर्षरत हैं स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सर श्री महावीर सिंह गुर्जर जी को लाइव सुनिये।
आज दिनांक 26:09:2020 समय रात 08:00 बजे।
SRBKU NERailway
#सरकारी नौकरी क्यों जरूरी है..
निजीकरण की तमाम बहस के बावजूद सरकारी नौकरी का मोह जाता नही, क्यूं??
वजह ये है कि सरकारी नौकरी एक तिलिस्मी चाभी है जो एक निम्नवर्गीय व्यक्ति को भी समाज के इलीट क्लास में पहुचने का रास्ता दिखाता है,
सदियों से जो दबे कुचले वंचित गरीब रहे है, जिनके बाप बड़े व्यवसायी, किसान, प्रोपर्टी होल्डर नही है, जो बेटे को बड़ी विरासत दे जाएं, और कहें बेटा डर मत मैं हूं न तुम्हारा भविष्य सिक्योर है,
सरकारी नौकरी उन लोगो की लाइफलाइन और जीवन को बेहतर बनाने का मौका है,, जो जानते है कि उनके पास इतनी पूंजी नही की बडा व्यवसाय खड़ा कर सके, 4 दुकान किराए पर लगाकर बिना मेहनत कमा खा सके,,और इज्जत के साथ जी सके,,
वो आम आदमी ये जानता है, की अपना अतीत और माता पिता वो बदल नही सकता, पर उसकी मेहनत और सरकारी नौकरी उसकी किस्मत बदल सकती है,
इसलिए वो हाड़तोड़ परिश्रम करता है, जिस युवा दौर में उसके साथी, महंगी बाइक कार में सड़क के चौराहों पर घुम रहे होते है, वो इलाहाबाद के 600 से 1000 के कमरे में रात 2 बजे तक अपनी आँखें खराब कर रहा होता है, मैकडोनाल्ड डोमिनोज़ कौन कहे, सड़क के ढाबे पर खाने के पहले भी दो बार सोचता है कि उसके पिता कैसे ये सब खर्च मैनेज कर रहे होंगे,
वो जिंदगी का सबसे बड़ा दाव खेलता है, जो बड़े बड़े दिग्गजों के बस की नही होती, 18 साल से 30 साल की गोल्डन age बन्द कमरों की किताबों पर कुर्बान कर देता है, बिना यह सोचे कि जॉब नही मिली तो वो क्या करेगा,, साहब जिंदगी के 18 20 साल सिर्फ एक उम्मीद पर झोंक देना मज़ाक नही होता,,
ऐसा भी नही होता कि सब सफल हो,, दहाई और सैकड़ो की संख्या में सीट होती है, और लाखों की संख्या में फॉर्म होते है,
घपले रिश्वत कोर्ट का रिस्क होता है, फिर भी वो लड़ता है, सिर्फ एक उम्मीद पर, की जॉब मिल जाएगी और लाइफ संवार जाएगी,
इसलिए सरकारी नौकरी वालो को दी जाने वाली सैलरी उनके 15 20 साल के तप का फल है
उनकी जॉब उनके इलीट क्लास में घुसने का रास्ता है, क्योंकि जॉब मिलते ही, वो दोस्त जो नजरें चुरा कर निकल जाते थे, वो गर्व से बताते है कि मेरा दोस्त आईएएस बन गया, यार काम करवा दो,
जिन घरों की दहलीज पर घुस नही सकते थे, वहाँ से शादी के रिश्ते आने लगते है,
जिन्होंने कभी आपके बाप से भी तू कह कर बात की हो,, वो आप कहने लगते है,,
जिन घरों में खाने को ठीक से अनाज नही होता था, वो भी एयरपोर्ट पर 135/- की चाय पिते है,,
साहब,अमीरों को फर्क नही पड़ता, उनकी लाइफ को बेहतर बनाने के 100 रास्ते वो खुद बना सकते है, या सरकार या जुगाड़ बना देती है
पर गरीब का क्या वो तो ले देकर सरकारी नौकरी को ही अपनी सबसे बड़ी सीढी समझता है,,
निजीकरण अच्छा हो सकता है,, पर क्या वो गरीब को ये सम्मान दे पाएगा,,
क्या निजीकरण के बाद एक गरीब का बच्चा महंगे कॉलेज से MBBS MD इंजीनियर अफसर बन पाएगा,,
अगर नही, तो सरकारी संस्थानों के निजीकरण को रोकिए,,
इसलिए नही क्योंकि आप गरीब है,,
इसलिए भी क्योंकि आप मिडिल क्लास है, और ये निजीकरण एक ऐसे व्यवस्था बनाता है, जिसमे अमीर और ताकतवर होते जाते है, और बाकी कमजोर,,
भरोसा न हो तो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की फी पता कर लीजियेगा,,और अपनी जेब टटोलकर देखिएगा की बच्चे को एडमिशन दिला पाएंगे क्या???
जवाब अपने आप मिल जाएगा कि सरकारी संस्थान क्यों जरूरी है,,
मध्य रेलवे और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे हॉस्पिटल में कोविड-19 टेस्टिंग फैसिलिटी होनी चाहिए इसके लिए स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन द्वारा 25.09.2020 को संविधान चौक नागपुर में धरना प्रदर्शन किया गया।
भारतीय रेलवे के सभी कर्मचारियों से निवेदन है कि वह रेल परिवार को बचाने के लिए एक ताकत के साथ निजीकरण का विरोध करें कौन से धर्म के हो या कौन सी जाति के हो या कौन से वर्ग के हो या कौन से राज्य से हो या कौन सी बोली बोलते हो यह सब को भूलकर पहले रेल बचाओ देश बचाओ भारतीय रेलवे परिवार एक हो के नारे के साथ कार्य करे।
#नेशनल_मूवमेंट_टू_सेव_रेलवे #स्वतंत्र_रेलवे_बहुजन_कर्मचारी_युनियन
24 सितंबर 1873 को सत्यशोधक समाज की स्थापना महात्मा ज्योतिराव फुले द्वारा की गई थी।
सत्य की विजय हो। भारत से झूठे लोगों का अंत हो।
19 सितंबर 1968 में अपने हक व अधिकारियों के लिए शहीद हुए रेलवे कर्मचारियों को श्रद्धांजलि दी और #नेशनल_मूवमेंट_टू_सेव_रेलवे फ्रंट के आव्हान पर रेलवे के निजीकरण को रोकने सभी पदाधिकारियों ने शपथ ली।
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अध्यक्ष, मातृछाया सेवा संस्था संचालक, श्री मंगलम ग्रुप संचालक, पुष्कर एअर लिंक्स
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साथियों यह यूनियन हम सभी एप्प बेस्ड चालक और मालकों के अधिकारों के बनाई गई है.
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Sakhi Manch: Giving the modern Indian woman, a platform to express herself
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A social media strategist acts as a Bridge between a company and the social media community and needs to wear a lot of hats.planning, developing and implementing users overall soci...
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ekta foundation is NGO work for child from last many years, we rise up many of child and their families. we serve to many handicapped candidate a good life with the help of opening...