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यह अभियान कोई बड़ी बात नही ।छोटे स्तर प?
यह बहुत ही मजेदार चुनाव है
1) भाजपा जश्न मना रही है क्योंकि वे सरकार बना रहे हैं।
2) कांग्रेस जश्न मना रही है क्योंकि वे 100 सीटें पार कर रहे हैं
3) सपा, राजद जश्न मना रहे हैं क्योंकि उन्हें अपना समर्थन वापस मिल गया है
4) एनसीपी-सपा और एसएस-यूबीटी खुश हैं क्योंकि उन्होंने सबको दिखा दिया कि वे बॉस हैं।
5) टीएमसी खुश है क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी को विफल होने से बचाया है
6) नागरिक खुश हैं कि जिस भी पार्टी का वे समर्थन कर रहे हैं वह खुश है।
पहले कभी कांग्रेस और भाजपा दोनों को अपने मुख्यालय में एक साथ जीत का जश्न मनाते नहीं देखा गया😂😂
और सबसे महत्वपूर्ण बात......चुनाव आयोग जश्न मना रहा है.....कि अब कोई भी ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप नहीं लगा रहा है😀😀😀
इसी को तो कहते हैं.....सबका साथ.....सबका विकास😂😂
हमारे पूर्वजों का विज्ञान कितना उन्नत है इस बात को समझने के लिये ? आजकल सभी गर्मी की बात कर रहे है।टीवी न्यूज़ वाले अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिये तापमान को बढ़ा चढ़ा कर दिखा रहे है लेकिन इनदिनों के “नौतपा” का अर्थ कोई नहीं समझना चाहता।
चलो हम ही समझते एवं समझाते है।
नौतपा अगर न तपे तो क्या होता है?
दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताय।
दो की बादी जळ हरै, दो विश्वर दो वाय।।
अर्थ:- नौतपा के पहले दो दिन लू न चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे।
अगले दो दिन न चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट) बहुत हो जाएंगे।
तीसरे दिन से दो दिन लू नही चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे।
चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे।
इसके बाद दो दिन लू न चली तो विश्वर यानी सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे।
आखिरी दो दिन भी नहीं चली तो आंधियां अधिक चलेंगी। फसलें चौपट कर देंगी।
इसलिए *"लू"* से भयभीत न होवें। नौतपा इस मानव जीवन के लिये बहुत बहुत आवश्यक है।
अब इसका आध्यात्मिक अर्थ समझते है।
दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताय।
दो की बादी जळ हरै, दो विश्वर दो वाय।
यह दोहा गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व का है। इसे समझने के लिए हमें इसके प्रतीकात्मक अर्थों को जानना होगा। इस दोहे में कई प्रतीकात्मक तत्वों का उपयोग किया गया है, जो भारतीय दर्शन और योग शास्त्र से संबंधित हैं।
दो मूसा
"मूसा" का अर्थ चूहा होता है। यहाँ "दो मूसा" से तात्पर्य हमारे जीवन में उपस्थित दो प्रमुख विकारों से है। ये विकार हैं - काम (इच्छा) और क्रोध (गुस्सा)। ये दोनों विकार हमारे मन को लगातार प्रभावित करते रहते हैं और हमारे मानसिक शांति को भंग करते हैं।
दो कातरा
"कातरा" का अर्थ है छुरी या चाकू। यहाँ "दो कातरा" का अर्थ है वह दो प्रकार की मानसिक धाराएँ जो हमारी चेतना को प्रभावित करती हैं। ये धाराएँ हैं - मोह (आसक्ति) और माया (भ्रम)। ये धाराएँ हमारे मन को भ्रमित करती हैं और हमें सत्य से दूर ले जाती हैं।
दो तीड़ी
"तीड़ी" का अर्थ है तीखी वस्तु, जो चुभन पैदा करती है। यहाँ "दो तीड़ी" से तात्पर्य है - अहंकार (अभिमान) और द्वेष (नफरत)। ये दोनों भावनाएँ हमारे मन में तीव्र चुभन पैदा करती हैं और हमारी आध्यात्मिक उन्नति में बाधा डालती हैं।
दो ताय
"ताय" का अर्थ होता है पीड़ा। "दो ताय" से तात्पर्य है - लोभ (लालच) और ईर्ष्या (जलन)। ये दोनों भावनाएँ हमारे जीवन में पीड़ा और दुख का कारण बनती हैं।
दो की बादी जळ हरै
यह पंक्ति बताती है कि जब हम इन दो-दो विकारों से मुक्त हो जाते हैं, तो हमारी आत्मा जल की तरह निर्मल हो जाती है। "जल हरै" का अर्थ है जल के समान शुद्ध हो जाना। इस स्थिति में हमारी आत्मा समस्त विकारों से मुक्त हो जाती है और हमें आंतरिक शांति प्राप्त होती है।
दो विश्वर दो वाय
इस अंतिम पंक्ति का अर्थ है कि जब हम इन विकारों से मुक्त हो जाते हैं, तो हम विश्व (दुनिया) और वायु (प्राण) के सही मायनों को समझने लगते हैं। "दो विश्वर" का अर्थ है संसार के दो सत्य - स्थूल (भौतिक) और सूक्ष्म (आध्यात्मिक) को जानना। "दो वाय" का अर्थ है - प्राणवायु और आत्मवायु, जिनसे जीवन संचालित होता है।
यह दोहा हमारे जीवन में उपस्थित विभिन्न विकारों और उनकी मुक्त होने की प्रक्रिया का प्रतीकात्मक वर्णन करता है। यह हमें सिखाता है कि कैसे हम अपनी इच्छाओं, क्रोध, मोह, माया, अहंकार, द्वेष, लोभ और ईर्ष्या से मुक्त होकर अपने जीवन को शुद्ध और शांत बना सकते हैं। इसके माध्यम से हम संसार के वास्तविक सत्य और प्राणवायु की महत्ता को समझ सकते हैं। यह दोहा हमें आत्मशुद्धि की ओर प्रेरित करता है और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
भज मन 🙏
हर राजनैतिक दलों को अपने सांसदों, विधायकों और नेताओं पर ही विश्वास नहीं रहता और जनता इन पर कैसे विश्वास करे ।
#विश्वास_मत
Hello
आज कल अधिकांश जगहों पर देखा गया है
"उलटे चोर
कोतवाल को डांटे"
उदारता और अनुशासन को लोग बेवकूफी समझने लगे हैं।
मनु कहते हैं- जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते। अर्थात जन्म से सभी शूद्र होते हैं और कर्म से ही वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बनते हैं। वर्तमान दौर में ‘मनुवाद’ शब्द को नकारात्मक अर्थों में लिया जा रहा है। ब्राह्मणवाद को भी मनुवाद के ही पर्यायवाची के रूप में उपयोग किया जाता है। वास्तविकता में तो मनुवाद की रट लगाने वाले लोग मनु अथवा मनुस्मृति के बारे में जानते ही नहीं है या फिर अपने निहित स्वार्थों के लिए मनुवाद का राग अलापते रहते हैं। दरअसल, जिस जाति व्यवस्था के लिए मनुस्मृति को दोषी ठहराया जाता है, उसमें जातिवाद का उल्लेख तक नहीं है।
आज पकौड़ा तलने का बात सच हो रहा है ।फर्क है कुछ की काबिलियत का पकौड़ा है तो कुछ मजबूरियों का ।
Everyone
अंकिता श्रीवास्तव: मां को दिया लिवर फिर बनीं चैंपियन एथलीट, लगाए मेडल के अंबार - BBC News हिंदी अंकिता श्रीवास्तव ने बीमार मां को अपना लिवर दिया. उनकी मां लंबे वक़्त तक जी नहीं सकीं और अंकिता को भी कई शारीरिक परे...
मेरे मनोकामना सिद्धि श्री पंचमुखी गणेश मंदिर जय प्रयाग धाम चोरया गुटवा राँची में आज 32 बाघिर लोगों को कान की मशीन लायंस क्लब राँची द्वारा वितरित किया गया🙏जय श्री गणेश🙏
#जयमिथिला ानकी
Here is the official poster NOON ROTI.
A first ever crowdfunded maithili web series campaigned by Madhur Maithili.
Thanks for all supports from people of mithila.
And still we need many supports from our people. Kindly support us by sending contribution money whatever possible.
Trailer coming soon.
Thanks.
ज्ञानवर्धक और जागरूक करने के लिए लेख संकलित और फोरवर्डेड। किसी विद्वतजन को सुधार करना हो तो स्वागत है।🙏
🕉️🚩*"सम्राट अशोक" की "जन्म- जयंती" हमारे देश में "नहीं मनाई जाती" ??*🚩🕉️
*🕉️🌄🌅🌅🌄🕉️*
बहुत सोचने पर भी, "उत्तर" नहीं मिलता! आप भी, इन "प्रश्नों" पर, "विचार" करें!
जिस -"सम्राट" के नाम के साथ, -"संसार" भर के, "इतिहासकार"- “महान” शब्द लगाते हैं
जिस -"सम्राट" का राज चिन्ह "अशोक चक्र"-" भारतीय", "अपने ध्वज" में लगाते है l
जिस -"सम्राट" का -"राज चिन्ह", "चारमुखी शेर" को, "भारतीय",- "राष्ट्रीय प्रतीक" मानकर,:- " सरकार" चलाते हैं l और "सत्यमेव जयते" को "अपनाया" है l
जिस देश में - "सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान", "सम्राट अशोक" के "नाम" पर, "अशोक चक्र" दिया जाता है l
जिस -"सम्राट" से -"पहले या बाद" में :- "कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ"...l जिसने : -"अखंड भारत" (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने, "बड़े भूभाग" पर:-"एक-छत्र राज" किया हो l
सम्राट अशोक" के ही, समय में :- "२३ विश्वविद्यालयों" की "स्थापना" की गई l जिसमें :- तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार, आदि "विश्वविद्यालय", "प्रमुख" थे l इन्हीं "विश्वविद्यालयों" में "विदेश" से "छात्र", "उच्च शिक्षा" पाने, :- "भारत आया करते थे"
जिस -"सम्राट" के "शासन काल" को -"विश्व" के "बुद्धिजीवी" और "इतिहासकार", "भारतीय इतिहास" का सबसे -"स्वर्णिम काल" मानते हैं
जिस -"सम्राट" के "शासन काल" में :- "भारत"- "विश्व गुरु" था l "सोने की चिड़िया" था l जनता -"खुशहाल" और "भेदभाव-रहित" थी l
जिस सम्राट के शासन काल में, सबसे "प्रख्यात" "महामार्ग", :- "ग्रेड ट्रंक रोड" जैसे कई -"हाईवे" बने l २,००० किलोमीटर लंबी पूरी "सडक" पर, "दोनों ओर", "पेड़" लगाये गए l "सरायें" बनायीं गईं..l मानव तो मानव..,पशुओं के लिए भी, प्रथम बार "चिकित्सा घर" (हॉस्पिटल) खोले गए l "पशुओं को मारना बंद" करा दिया गया l
ऐसे -"महान सम्राट अशोक", जिनकी -"जयंती" उनके -"अपने देश भारत" में :-" #क्यों नहीं मनायी जाती" #?? न ही, कोई -"छुट्टी" घोषित की गई है?*
दुख: है, कि :-जिन नागरिकों को ये -"जयंती", "मनानी" चाहिए..? वो अपना -"इतिहास" ही, "भुला" बैठे हैं l और , जो :- "जानते" हैं ? "वो":- "ना जाने क्यों" ? "मनाना":- "नहीं चाहते"
*पिताजी का नाम - बिन्दुसार गुप्त
*माताजी का नाम - सुभद्राणी
"जो जीता, वही:- "चंद्रगुप्त" ना होकर ...? "जो जीता", वही :-"सिकन्दर" कैसे हो गया
जबकि - "ये बात" सभी जानते हैं, कि:- "सिकन्दर" की सेना ने -"चन्द्रगुप्त मौर्य" के "प्रभाव" को देखते हुए ही, :- "लड़ने से मना कर दिया" था!🧐🤔 बहुत ही ,"बुरी तरह" से "मनोबल टूट गया था"! और "वापस लौटना" पड़ा था ।
कृपया - अपने सभी समुहों में भेजने का कष्ट करें l और हम सब मिल कर, बाक़ी साथियों को भी,"जागरूक" करें!
आइए मिल कर - इस "ऐतिहासिक भूल" को, "सही करने" का,:-
"हर संभव प्रयास" करें .🙏
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