अशोक दुबे चुन्नूभईया जिला पंचायत सदस्य वार्ड नं 1 अखंड नगर
जिला पंचायत सदस्य पद सामान्य पुरुष आर?
ग्राम सभा मीरपुर प्रतापपुर में चकबंदी की प्रक्रिया की कवायद शुरू हो चुकी है अब आप सब लोग अपना राय जरूर दे??
#खतौनी कौन सा प्रयोग हो??? 🙏
#पुरानी खतौनी से ही होना चाहिए?🎉
#अपनी राय जरूर दे धन्यवाद??🙏
😂
दिवाली का त्योहार आया तो देश विरोधियों के दिल्ली में प्रदूषण को लेकर चिल्लाना स्टार्ट कर दिए??दिवाली में फटाका खूब फोड़िए??दिवाली जोरो में मनाइए??
ग्राम सभा मीरपुर प्रतापपुर में चकबंदी की प्रक्रिया की कवायद शुरू हो चुकी है अब आप सब लोग अपना राय जरूर दे??
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चाइना से पैसा लेकर दलाली करने वाले 40पत्रकारों के ऊपर बुलडोजर चलना चाहिए।
CHINA से पैसा लेकर बोलने वाले पत्रकार, NYT Article On NewsClick, Neville Roy Singham | Newsclick Scandal | New York Times Report Exposes Chinese Propaganda Machinery In India कृपया कमेन्ट बॉक्स में अपनी राय जरुर दे यदि सबस्क्राइब नहीं किया तो ...
5महान क्रांतिकारियों के नाम बताइये।
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
यह नारा किस क्रांतिकारी ने दिया था।
सरकार के पास सारे मर्ज का दवा है?? एक झटके मे सारे दर्द का इलाज कर सकती है??
🙅
लेकिन सोये हुए को जगाना भी तो जरूरी है?
इन देशभक्त बहादुरों को देखने से कुछ लाभ होगा क्या???
#एक गांव का #वर्तमान तो दूसरा गांव का #भविष्य___🙅
#गुड्डू_पंडित_ #चुन्नूपण्डित___ आप की दुवाएं ही काफी है ...!🦚
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Mind Is A Beautiful Servant ..... But A Dangerous Master.*
29 July 2023💫??
#वर्षों तक बातचीत चली पांडव आधी जिंदगी वन में रहे, किन्तु मुद्दे हल नहीं हुए ..... #मीरपुर प्रतापपुर गांव का विकास 65सालों से नहीं हुआ....??
#जिस दिन कुरुक्षेत्र में आ गया....?? 18दिन में समस्या खत्म.....????
#मेरा नाम चुन्नूपण्डित, मीरपुर प्रतापपुर, बेलवाई शिवधाम
🚩आइये श्री हनुमान जन्मोत्सव को सम्पूर्ण विश्व में धूमधाम से मनाये।
🚩प्रत्येक सनातनी श्री हनुमान जन्मोत्सव(06/04/23) पर प्रातः सूर्योदय से पहले स्नान कर सूर्य को अर्ध्य दे।
🚩परिवार सहित विधिविधान से हनुमान जी का अभिषेक करे।
🚩गृहणी घर पर शुद्ध घी का हलवा या लड्डू बनाकर श्री हनुमन जी को भोग लगाए।
🚩घर पर केसरिया ध्वजा को प्रकाशित कर चन्दन का तिलक धारण करे।
🚩सुबह ठीक 9 बजे सभी सनातनी जहां हो वही से एकसाथ एकसुर में हनुमान चालीसा का पाठ करें।
🚩प्रत्येक मंदिरो में पुजारी प्रातः 6 बजे हनुमान जी का अभिषेक द्वारा जन्मोत्सव कर केसरिया ध्वजा को प्रकाशित करे।
🚩सम्पूर्ण भारत के मंदिरो में की शाम ठीक 6 बजे सुन्दरकाण्ड पाठ प्रारम्भ हो।
🚩शोभा यात्रा में अखाड़ों को विशेष रूम से शामिल कर उनका स्वागत व सम्मान करे, सभी पहलवान जी घोटा(गदा, मुगदर) या लठ या तलवार लेकर शोभा यात्रा का नेतृत्व करे।
🚩शोभा यात्रा में अगर डी जे शामिल हो तो साउंड का विशेष ध्यान रखे आपकी सोसाइटी मोहल्ले में नवजात बच्चे, बीमार बुजुर्ग लोग भी रहते है जिनके लिए तेज साउंड जानलेवा सिद्ध होता है।
🚩रात्रि में यथा शक्ति प्रसाद वितरण व भंडारे का आयोजान करे,
🚩प्रसाद, भंडारा, स्नान के बाद केवल सनातनी आचारी व सहयोगियों के द्वारा तैयार किया गया हो।
🚩श्री हनुमान जन्मोत्सव का समापन हनुमान जी की कथा व कार्यकर्ताओ के अद्भुत परिश्रम का धन्यवाद देकर करे।
🚩सभी सनातनीयो से निवेदन है श्री हनुमान जन्मोत्सव के दिन, अपने स्टेटस में हनुमान जी की पिक्चर लगाए।
🚩आइये विश्व शांति और मानव कल्याण के लिए सनातन धर्म की और लौटे।
🚩सनातन सभा का आयोजन संपूर्ण भारत के मंदिरो में हर शनिवार रात्रि ८ बजे(१५ मिनट के लिए) किया जा रहा है, आप भी आपने आसपास के मंदिरो में हर शनिवार रात्रि ८ बजे परमआनंद को देने वाली कल्याण करने वाली सनातन सभा का आवाहन कीजिये और सम्मिलित होइए। ५ मिनट ईश्वर की वंदना और १० मिनट किसी वृद्ध या सर्वमान्य व्यक्ति द्वारा सनातन धर्म की रक्षा एवं उसके उत्थान पर चर्चा करे।
🎁🎁🙅🙅🙅🎊🎊💝💝
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🚩सुबह ठीक 9 बजे सभी सनातनी जहां हो वही से एकसाथ एकसुर में हनुमान चालीसा का पाठ करें।
🚩प्रत्येक मंदिरो में पुजारी प्रातः 6 बजे हनुमान जी का अभिषेक द्वारा जन्मोत्सव कर केसरिया ध्वजा को प्रकाशित करे।
🚩सम्पूर्ण भारत के मंदिरो में की शाम ठीक 6 बजे सुन्दरकाण्ड पाठ प्रारम्भ हो।
🚩शोभा यात्रा में अखाड़ों को विशेष रूम से शामिल कर उनका स्वागत व सम्मान करे, सभी पहलवान जी घोटा(गदा, मुगदर) या लठ या तलवार लेकर शोभा यात्रा का नेतृत्व करे।
🚩शोभा यात्रा में अगर डी जे शामिल हो तो साउंड का विशेष ध्यान रखे आपकी सोसाइटी मोहल्ले में नवजात बच्चे, बीमार बुजुर्ग लोग भी रहते है जिनके लिए तेज साउंड जानलेवा सिद्ध होता है।
🚩रात्रि में यथा शक्ति प्रसाद वितरण व भंडारे का आयोजान करे,
🚩प्रसाद, भंडारा, स्नान के बाद केवल सनातनी आचारी व सहयोगियों के द्वारा तैयार किया गया हो।
🚩श्री हनुमान जन्मोत्सव का समापन हनुमान जी की कथा व कार्यकर्ताओ के अद्भुत परिश्रम का धन्यवाद देकर करे।
🚩सभी सनातनीयो से निवेदन है श्री हनुमान जन्मोत्सव के दिन, अपने स्टेटस में हनुमान जी की पिक्चर लगाए।
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#एक भक्त ने 2.45मिनेट तक शंख बजाया👌 #राष्ट्रपति मुर्मू और योगीजी सभी देखने लगे।🙅ध्यान से सुनिए।🙅🙅
#भगवान_शिव के "35" रहस्य!!!!!!!!
#भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।
🔱1. आदिनाथ शिव : - सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है।
🔱2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : - शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।
🔱3. भगवान शिव का नाग : - शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।
🔱4. शिव की अर्द्धांगिनी : - शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।
🔱5. शिव के पुत्र : - शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।
🔱6. शिव के शिष्य : - शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।
🔱7. शिव के गण : - शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है।
🔱8. शिव पंचायत : - भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।
🔱9. शिव के द्वारपाल : - नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।
🔱10. शिव पार्षद : - जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं।
🔱11. सभी धर्मों का केंद्र शिव : - शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में विभक्त हो गई।
🔱12. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय : - ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।
🔱13. देवता और असुर दोनों के प्रिय शिव : - भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं।
🔱14. शिव चिह्न : - वनवासी से लेकर सभी साधारण व्यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं।
🔱15. शिव की गुफा : - शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा 'अमरनाथ गुफा' के नाम से प्रसिद्ध है।
🔱16. शिव के पैरों के निशान : - श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते हैं।
रुद्र पद- तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्वर का मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं जिसे 'रुद्र पदम' कहा जाता है। इसके अलावा थिरुवन्नामलाई में भी एक स्थान पर शिव के पदचिह्न हैं।
तेजपुर- असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में शिव के दाएं पैर का निशान है।
जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के पास शिव के पदचिह्न हैं। पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।
रांची- झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर 'रांची हिल' पर शिवजी के पैरों के निशान हैं। इस स्थान को 'पहाड़ी बाबा मंदिर' कहा जाता है।
🔱17. शिव के अवतार : - वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव।
🔱18. शिव का विरोधाभासिक परिवार : - शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं। इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है।
🔱19. तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।
🔱20.शिव भक्त : - ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।
🔱21.शिव ध्यान : - शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।
🔱22.शिव मंत्र : - दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।
🔱23.शिव व्रत और त्योहार : - सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है।
🔱24.शिव प्रचारक : - भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
🔱25.शिव महिमा : - शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश और राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था।
🔱26.शैव परम्परा : - दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की असुर, रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।
🔱27.शिव के प्रमुख नाम : - शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहां प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।
🔱28.अमरनाथ के अमृत वचन : - शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएं हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। 'विज्ञान भैरव तंत्र' एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।
🔱29.शिव ग्रंथ : - वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में उनकी शिक्षा का विस्तार हुआ है।
🔱30.शिवलिंग : - वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।
🔱31.बारह ज्योतिर्लिंग : - सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी 'व्यापक ब्रह्मात्मलिंग' जिसका अर्थ है 'व्यापक प्रकाश'। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।
दूसरी मान्यता अनुसार शिव पुराण के अनुसार प्राचीनकाल में आकाश से ज्योति पिंड पृथ्वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया। इस तरह के अनेकों उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे। भारत में गिरे अनेकों पिंडों में से प्रमुख बारह पिंड को ही ज्योतिर्लिंग में शामिल किया गया।
🔱32.शिव का दर्शन : - शिव के जीवन और दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले और यथार्थ को पकड़ने वाले शिवभक्त हैं, क्योंकि शिव का दर्शन कहता है कि यथार्थ में जियो, वर्तमान में जियो, अपनी चित्तवृत्तियों से लड़ो मत, उन्हें अजनबी बनकर देखो और कल्पना का भी यथार्थ के लिए उपयोग करो। आइंस्टीन से पूर्व शिव ने ही कहा था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
🔱33.शिव और शंकर : - शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं- शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है। माना जाता है कि महेष (नंदी) और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।
🔱34. देवों के देव महादेव : देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं। वे राम को भी वरदान देते हैं और रावण को भी।
🔱35. शिव हर काल में : - भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं। राम के समय भी शिव थे। महाभारत काल में भी शिव थे और विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण अनुसार राजा हर्षवर्धन को भी भगवान शिव ने दर्शन दिए थे,
*🌝आज की प्रेरणादायक कहानी* 📃
*😊सच्चा परिश्रम के पसीना से मोती 💎बन जाते है।*
राजस्थान के छोटे से गांव नयासर में गोपाल नाम का एक किसान रहता था | उसके पास थोड़ी-सी खेती बाड़ी थी | उससे उसे जो कुछ मिल जाता था वह उसी से गुजारा कर लेता तथा अपनी छोटी सी गृहस्थी की गाड़ी खींच रहा था | वह कभी भी किसी के समक्ष हाथ नहीं फैलाता था |
संयोग की बात है | एक दिन गोपाल का एक बैल मर गया | बेचारा किसान बड़ी परेशानी में पड़ गया | जुताई का समय था खेत को जोतना आवश्यकता था | समय निकल जाने के पश्चात खेत जोतने से कोई लाभ नहीं होता | एक बैल के मर जाने से उसके पास ही एक ही बेल बचा | वह बड़ी परेशानी में बैठा हुआ था, उसे इस प्रकार बैठा देख उसकी पत्नी ने उससे पूछा – ” क्या बात है ! इस प्रकार मुंह लटकाए बैठे हो | गोपाल ने कहा – ” अरे क्या बताऊं ! जुताई का समय है | एक बैल के मर जाने से एक बैल से खेत जोतना असंभव है | इसी चिंता में बैठा हूं |”
पत्नी ने कुछ सोच कर कहा – ” देखो जी ! हमारे पास एक बैल तो है ही, जुताई में दूसरे बैल के स्थान पर मैं लग जाती हूं | इस प्रकार हमारा काम भी हो जाएगा |”
गोपाल ने काफी सोचा इसके अलावा उसे कोई चारा नजर नहीं आया | वह पत्नी को लेकर खेतों पर आया और हल के जुए में एक और बैल जोता और दूसरी और अपनी स्त्री को और काम करने लगा |
अचानक उसी समय उस राज्य का राजा अपने रथ में उधर से गुजरा | उसकी निगाह खेत पर काम कर रहे गोपाल पर गई | जिसने हल के जुए में एक तरफ बैल और दूसरी तरफ स्त्री को जोत रखा था | राजा को यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ तथा साथ ही दु:ख भी हुआ | वह अपने रथ को रोककर गोपाल के पास जाकर बोला – ” यह तुम क्या कर रहे हो |”
गोपाल ने निगाह उठाकर उसकी ओर देखा और बोला – ” मेरा बैल मर गया है | और मुझे खेत जोतना जरूरी है | राजा ने कहा – ” भले मानस ! कहीं स्त्री से भी बैल का काम लिया जाता है |
गोपाल बोला – ” क्या करूं ! इसके अतिरिक्त कोई अन्य उपाय भी तो नहीं है |”
राजा कहने लगा – ” तुम ऐसा करो | मेरा एक बैल ले आओ |
गोपाल बोला – ” किंतु; मेरे पास इतना समय नहीं है |”
राजा बोला – ” सुनो भाई ! तुम इस स्त्री को बैल लाने भेज दो | जब तक यह आएगी | तब तक मैं उसकी जगह काम करूंगा
गोपाल की स्त्री ने कहा – ” महाराज, आप तो देने को तैयार हो, पर आपकी पत्नी ने इनकार कर दिया तो |”
राजा बोला -” तुम चिंता मत करो ऐसा नहीं होगा |”
गोपाल राजी हो गया |
उसकी स्त्री बैल लेने चली गई और राजा ने हल का जुआ अपने कंधे पर रख लिया |
किसान की स्त्री राजा के महल में पहुंची और उसने रानी के पास जाकर राजा की बात कही | तो वह बोली – ” अरी बहन ! एक बैल से कैसे काम चलेगा तुम्हारा | तुम्हारा बैल तो कमजोर होगा | महाराज के बैल मजबूत है | दोनों साथ काम नहीं कर पाएंगे | तुम हमारे दोनों बैल ले जाओ |”
स्त्री को बड़ा आश्चर्य हुआ | उसे तो डर था कि वह कहीं एक बैल देने से इंकार न कर दे यहां तो एक छोड़ रानी दोनों बैलों को देने को राजी हो गई |
स्त्री बैलो को लेकर आई और पूरे खेत की बुवाई हो गई | कुछ समय पश्चात फसल हुई | गोपाल ने देखा तो वह आश्चर्य में पड़ गया | सारे खेत में अनाज पैदा हुआ है; किंतु जितनी जमीन पर राजा ने हल चलाया था और उसका पसीना बहा था | ” इतनी जमीन पर मोतियों उगे थे |”
यह सच्ची मेहनत का फल था | जहां राजा अपनी प्रजा की भलाई के लिए अपना पसीना बहाता है | वहां ऐसा ही फल प्राप्त होता है | मतलब उस प्रदेश की जनता हर तरह की खुशियों से मालामाल हो जाती है।
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
चाणक्य नीति
*चाणक्य सूत्र : - ३४५*
*।। आत्मच्छिद्रं न पश्यति परच्छिद्रमेव पश्यति बालिशः ।।*
*भावार्थ : मूर्ख व्यक्ति अपने दोषों को न देखकर दूसरों के दोषों को देखता है।*
मूर्ख मनुष्य का यह स्वभाव होता है कि वह अपने अवगुणों को न देखकर दूसरे व्यक्तियों में दोष ढूंढ़ने का प्रयत्न करता है। वह अपने को अपराधी न मानकर दूसरे के अपराधों और उनके दोषों को ही खोजता रहता है। मूर्ख व्यक्ति का यह स्वभाव होता है। उसे अपनी आंख का शहतीर दिखाई नहीं देता जबकि दूसरों की आंख का तिनका वह बड़ी सरलता से देख लेता है।। ३४५ ।।
*क्रमश: ...*
राम रामजी
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*ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये,परमात्मने*
*प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः ।।*
🪶जय श्री कृष्णा🪶 🌺 श्री राधे 🌺
*वृंदावन बिहारी लाल, मथुरा के नंदलाल, हे ठाकुर जी, हे नटखट बंसी वाले नंद किशोर, हे मोर मुकुटधारी आपकी सदा ही जय ।*
💐 *कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को शुभकामनाए* 🍃
*Bhagwan Shri Krishna*
*50 Facts*
~ Birth & Death ~
1- Krishna was born *5252 years ago*
2- Date of *Birth* : *18 th July,3228 B.C*
3- Month : *Shravan*
4- Day : *Ashtami*
5- Nakshatra : *Rohini*
6- Day : *Wednesday*
7- Time : *00:00 A.M.*
8- Shri Krishna *lived 125 years, 08 months & 07 days.*
9- Date of *Death* : *18th February 3102 BC.*
10- Bilological Father: *Vasudeva*
11- Biological Mother: *Devaki*
12- Adopted Father:- *Nanda*
13- Adopted Mother: *Yashoda*
14- Elder Brother: *Balaram*
15- Sister: *Subhadra*
16- Birth Place: *Mathura*
17- Wives: 8 *Rukmini, Satyabhama, Jambavati, Kalindi, Mitravinda, Nagnajiti, Bhadra, Lakshmana*
18- He was *killed by a hunter (Jara by name)* in nearby forest.
~ Kurukshetra Data ~
19- When Krishna was *89 years old* ; the mega war *(Kurukshetra war)* took place.
20- He died *36 years after the Kurukshetra* war.
21- Kurukshetra War started on *Mrigashira Shukla Ekadashi, BC 3139. i.e "8th December 3139BC" and ended on "25th December 3139BC".*
22- There was a *Solar eclipse between "3p.m to 5p.m on 21st December, 3139BC" ; cause of Jayadrath's death.*
23- Bhishma died on *2nd February,(First Ekadasi of the Uttarayana), in 3138 B.C.*
24- He *saved Draupadi from embarrassment.*
25- He *stood by his cousins during their exile.*
26- He stood by them and *made them win the Kurushetra war.*
~How World Worships Him ~
27- Krishna is worshipped as:
a Krishna *Kanhaiyya* : *Mathura*
b *Jagannath*:- In *Odisha*
c *Vithoba*:- In *Maharashtra*
d *Srinath*: In *Rajasthan*
e *Dwarakadheesh*: In *Gujarat*
f *Ranchhod*: In *Gujarat*
g *Krishna* : *Udupi in Karnataka*
h *Guruvayurappan in Kerala*
28- Krishna is reported to have *Killed only 4 people* in his life time.
(i) *Chanoora* ; the Wrestler
(ii) *Kansa* ; his maternal uncle
(iii) & (iv) *Shishupaala and Dantavakra* ; his cousins.
~ Some other Facts~
29- Life was not fair to him at all. His *mother* was from *Ugra clan*, and *Father* from *Yadava clan,* inter-racial marriage.
30- He was *born dark skinned.* He was not named at all throughout his life. The whole village of Gokul started calling him the black one ; *Kanha*. He was ridiculed and teased for being black, short and adopted too. His childhood was wrought with life threatening situations.
31- *'Drought' and "threat of wild wolves" made them shift from 'Gokul' to 'Vrindavan' at the age 9.*
32- He stayed in Vrindavan *till 10 years and 8 months*.
33- He *killed his own uncle* at the age of 10 years and 8 months at Mathura.
34- He then *released his biological mother and father*.
35- He *never returned to Vrindavan ever again.*
36- He had to *migrate to Dwaraka from Mathura due to threat of a Sindhu King ; Kala Yaavana.*
37- He *defeated 'Jarasandha' with the help of 'Vainatheya' Tribes on Gomantaka hill (now Goa).*
38- He *rebuilt Dwaraka*.
39- He then *left to Sandipani's Ashram in Ujjain* to start his schooling at age 16~18.
40- He had to *fight the pirates from Afrika and rescue his teachers son ; Punardatta*; who *was kidnapped near Prabhasa* ; a sea port in Gujarat.
41- After his education, he came to know about his cousins fate of Vanvas. He came to their rescue in ''Wax house'' and later his cousins got married to *Draupadi.* His role was immense in this saga.
42- Then, he helped his cousins establish Indraprastha and their Kingdom.
43- He *saw his cherished city, Dwaraka washed away.*
44- He *Never did ANY MIRACLES* His life was not a happy one.
45- There was not a single moment *when he was at peace* throughout his life.
46- At every turn, he had *challenges and even more bigger challenges.*
47- He *faced everything and everyone with a sense of responsibility and yet remained unattached.*
48- He is the *only person, who knew the PAST and FUTURE ; yet he lived at that present moment always.*
49- He and his life is truly *an example for every human being.*
50- *Jai Shri Krishna*
Let the entire world get his Blessings all the time
🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏
HAPPY KRISHNA JANMASHTAMI 🍬🍫🎊🎉🎂🙏🏼डोम्बिवली ईस्ट👌👌💐💐
जिसे दर्द का अहसास होता है।वही दूसरे का मदत करता है।😢
💐💐जय जय श्री राधे💐💐
*घमंड नहीं करना चाहिए*
एक राज्य के राजा ने अपनी बढ़ती उम्र को देखकर, यह फैसला किया कि वह अब राज-पाठ से सन्यास ले लेगा।
परन्तु उसका कोई पुत्र नहीं था, जिसे वह राज्य सौप कर जिम्मेदारी से मुक्त हो पाता।
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राजा की एक पुत्री थी, जिसकी विवाह की योजना भी राजा को बनानी थी।
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इसलिए उसने मंत्रियों को बुलवाया और कहा कि कल प्रातः जो भी व्यक्ति सबसे पहले इस नगर में प्रवेश करेगा, उसे यहाँ का राजा नियुक्त किया जाएगा और मेरी पुत्री का विवाह भी उसी के साथ कर दिया जायेगा।
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फिर अगले दिन राज्य के सैनिकों ने फटेहाल कपड़े पहने एक युवक को ले आये और उसका राज्य अभिषेक किया गया।
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राजा अपनी पुत्री का विवाह उस युवक के साथ करके, जिम्मेदारियों को सौंप कर स्वयं वन प्रस्थान कर गए।
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धीरे-धीरे समय बीतता गया और उस युवक ने राज्य की बागडोर संभाल ली और एक अच्छे राजा की तरह राज्य की सेवा में लग गया।
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उस महल में एक छोटी सी कोठरी थी, जिसकी चाबी राजा हमेशा अपने कमर में लटकाये रहता था।
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सप्ताह में एक बार वह उस कोठरी में जाता। आधा एक घंटा अंदर रहता और बाहर निकल कर बड़ा-सा ताला उस कोठरी में लगा देता था और अपने अन्य कार्यो में लग जाता।
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इस तरह राजा के बार-बार उस कमरे में जाने से सेनापति को अचम्भा होता कि राज्य का सारा खजाना, सारे रत्न, मणि, हीरे, जवाहरात तो खजांची के पास है।
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सेना के शस्त्रागार की चाबी मेरे पास है और अन्य बहुमूल्य कागजातों की चाबी मंत्री के पास है।
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फ़िर इस छोटे से कोठरी में ऐसा क्या है, जो राजा यहां हर सप्ताह अंदर जाता है और थोड़ी देर बाद बाहर निकल आता है।
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सेनापति से रहा नहीं गया, उसने हिम्मत करके राजा से पूछा की राजन, यदि आप क्षमा करें तो यह बताइये कि उस कमरे में ऐसी कौन सी वस्तु है, जिसकी सुरक्षा की आपको इतनी फ़िक्र है।
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राजा गुस्से से बोले: सेनापति, यह तुम्हारे पूछने का विषय नहीं है, यह प्रश्न दोबारा कभी मत करना।
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अब तो सेनापति का शक ओर भी बढ़ गया, धीरे-धीरे मंत्री और सभासदों ने भी राजा से पूछने का प्रयास किया, परन्तु राजा ने किसी को भी उस कमरे का रहस्य नहीं बताया।
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बात महारानी तक पहुंच गयी और आप तो जानते है कि स्त्री हठ के आगे किसी की भी नहीं चलती, रानी ने खाना-पीना त्याग दिया और उस कोठरी की सच्चाई जानने की जिद करने लगी।
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आख़िरकार विवश होकर राजा सेनापति व अन्य सभासदों को लेकर कोठरी के पास गया और दरवाजा खोला।
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जब कमरे का दरवाजा खुला तो अंदर कुछ भी नहीं था सिवाय एक फटे हुए कपड़े के जो दीवार की खुटी पे लटका था।
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मंत्री ने पूछा कि महाराज यहा तो कुछ भी नहीं है।
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राजा ने उस फटे कपड़े को अपने हाँथ मे लेते हुए उदास स्वर में कहा कि यही तो है मेरा सब कुछ।
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जब भी मुझे थोड़ा सा भी अहंकार आता है, तो मै यहाँ आकर इन कपड़ों को देख लिया करता हूँ।
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मुझे याद आ जाता है की जब मै इस राज्य में आया था तो इस फटे कपड़े के अलावा मेरे पास कुछ भी नहीं था। तब मेरा मन शांत हो जाता है और मेरा घमण्ड समाप्त हो जाता है, तब मै वापस बाहर आ जाता हूँ।
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अहंकार अग्नि के समान होता है, जो मनुष्य को अपने ताप से भस्म कर देता है। साथ ही जो व्यक्ति वास्तव में बड़ा होता है, वह अहंकार जैसे दोषों को अपने से दूर ही रखता है।
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हमें भी अपनी उपलब्धियों, अपने पद एवं प्रतिष्ठा पर घमंड नहीं करना चाहिए एवं सदैव शील एवं परोपकारी बनना चाहिये..!!
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