Swasthya Setu
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Ashok Vihar
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Sector/14
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Swaminagar
313001
A social initiative to improve awareness of health.
यह प्रसिद्ध जैन तीर्थ सम्मेदशिखर की 20 किमी0 पैदल यात्रा करने पर पिलाई जाती है। यात्री थकान उतार कर पुनः 10 किमी0 चलते हैं । यह हानिरहित बढि़या हर्बल चाय है।यह एक आयुर्वेदिक पेय है जो निम्न मसालों से तैयार करें ।ठंड भगाने हेतु व शरीर को तरोताजा बनाने इसे घर पर बना सकते है l इसके सेवन से सभी प्रकार की थकान तत्काल मिट जाती है । इसे दूध के साथ या बिना दूध के भी बना सकते है l…...
थकान मिटाने घर पर बनाए हर्बल चाय यह प्रसिद्ध जैन तीर्थ सम्मेदशिखर की 20 किमी0 पैदल यात्रा करने पर पिलाई जाती है। यात्री थकान उतार कर पुनः 10 किमी0 चलते ....
राम लला का अपने जन्म स्थान पर बिराज चुके है l यह एतिहासिक दिन 500 वर्ष बाद बड़े संघर्ष और हजारों लोगों के बलिदान के बाद आया है l हमारी अनेक पीढ़ियाँ इस दिन के इंतजार में चल बसी l हम और आप भाग्यशाली है जो यह दिन आया है इसकी सबको अपने ह्रदय की गहराई से शुभ कामनाएँ l…...
राम लला के जन्म भूमि पर बिराजने की शुभ कामनाएँ ! राम लला का अपने जन्म स्थान पर बिराज चुके है l यह एतिहासिक दिन 500 वर्ष बाद बड़े संघर्ष और हजारों लोगों के बलिदान के ब....
दूध ना पचे तो - सोंफ • दही ना पचे तो - सोंठ • छाछ ना पचे तो - जीरा व काली मिर्च • अरबी व मूली ना पचे तो - अजवायन • कड़ी ना पचे तो - कड़ी पत्ता • तेल, घी, ना पचे तो - कलौंजी • पनीर ना पचे तो - भुना जीरा • भोजन ना पचे तो - गर्म जल • केला ना पचे तो - इलायची • ख़रबूज़ा ना पचे तो - मिश्री का उपयोग करें जयन्ती जैन ,9414289437Swasthyasetu,Udaipur
अपच पर घरेलू नुस्खे दूध ना पचे तो – सोंफ • दही ना पचे तो – सोंठ • छाछ ना पचे तो – जीरा व काली मिर्च • अरबी व मूली ना पचे तो – अजवायन • कड़ी ना ....
जहां पर साधारण जॉगिंग या रनिंग में 1000 कदम से जितनी कैलोरी कम होती है, उतनी कैलोरी मात्र 100 कदम उल्टे चलने ( बैकवर्ड वाक )से कम हो जाती है।उल्टा चलने से पंजो पर जोर आता है इससे सजगता बढती है l उल्टा चलने से याददास्त बढ़ती है l नाल उतरते हुए भी उलटे उतरे l इससे जोड़ों के दर्द से निजात मिलेगी और ज्यादा कैलोरी खर्च होंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि पीछे की तरफ भागने से जोड़ों पर कम दबाव पड़ता है, जिससे घुटने और पीठ में दर्द की समस्या में कमी आती है और यह फिटनेस की तरफ बढ़ने का एक आसान रास्ता है। ओरेगान यूनीवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार आगे की तरफ दौड़ने वाले लोगों के मुकाबले 80 प्रतिशत ऊर्जा खर्च करके पीछे की तरफ दौड़ने वाले लोग फिटनेस के समान लाभ अर्जित कर सकते हैं। ब्रिटेन में पीछे की तरफ दौड़ने की रेस आयोजित करने वाले जेम्स बाम्बर का कहना है कि इस तरह से दौड़ने के और भी कई फायदे हैं।...
उल्टा चलने से सीधा चलने की अपेक्षा छ: गुना अधिक लाभ जहां पर साधारण जॉगिंग या रनिंग में 1000 कदम से जितनी कैलोरी कम होती है, उतनी कैलोरी मात्र 100 कदम उल्टे चलने ( बैकवर्ड वाक...
चेहरा और सिर हमारे शरीर का स्वामी है ,जीवन का मुकुट है ,इंद्रियों का केंद्र है इसलिए इसे स्वस्थ रखने के लिए सूक्ष्म व्यायाम प्रतिदिन करना आवश्यक है l मांसपेशियों को लचीला बनाने , उनमें आ रही रुकावट को हटाने , उनमें रक्त प्रवाह को बढ़ाने ,व्याप्त स्नायु तंत्र को मजबूत करने ,चेहरे के ओज बढ़ाने में निम्न व्यायाम सहायक हैं l…...
चेहरे और सिर के अंगो को स्वस्थ रखने पूर्ण सूक्ष्म योग चेहरा और सिर हमारे शरीर का स्वामी है ,जीवन का मुकुट है ,इंद्रियों का केंद्र है इसलिए इसे स्वस्थ रखने के लिए सूक्ष्म .....
मान लो की भगवान महावीर आज पुन: धरती पर आए,उनकी जयंती की बधाइयों को देख कर , हमारा जीवन शैली देख कर हमसे क्या क्या प्रश्न कर सकते है ? क्या सचमुच तुम्हें मेरी (महावीर) की जरूरत है ? जैन लिखने से ज्यादा जैन आचरण नहीं जरूरी है ? क्या तुम मेरी बात मानते हो ? हाँ तो फिर मेरे सिद्धांतो को मानने की बजाय नाम का प्रदर्शन क्यों करते हो ?...
महावीर जयंती पर महावीर के जैनियों से कुछ प्रश्न ? मान लो की भगवान महावीर आज पुन: धरती पर आए,उनकी जयंती की बधाइयों को देख कर , हमारा जीवन शैली देख कर हमसे क्या क्या .....
किसी व्यक्ति को पहचानना हो, कोई नया काम शुरू करना हो, कोई बड़ा निर्णय लेना हो या किसी रोग से लड़ाई हो .. तब, ध्यान से सुने कि भीतर से क्या आवाज आती है. शुरू में आपकी बुद्धि और तर्क आड़े आएंगे किंतु धीरे-धीरे आप तर्क से परे उस परम वाणी को सुनने की सामर्थ्य पैदा कर लेंगे कि -'अंदर से कुछ आवाज आ रही हैं ?'...
अपने भीतर की आवाज क्यों बहुत महत्व पूर्ण हैं ? किसी व्यक्ति को पहचानना हो, कोई नया काम शुरू करना हो, कोई बड़ा निर्णय लेना हो या किसी रोग से लड़ाई हो .. तब, ध्यान से सु.....
उकडू बैठने से शौच साफ , आँखे तेज , यौवन वापिस एवं प्रोस्ट्रेट नहीं होगा
उकडू अवस्था में बैठ कर शौच करने से हमारा पाचन तंत्र मजबूत बनता हैं और पेट जल्दी साफ़ होता हैंl दरअसल हमारे आँतों की बनावट कुछ ऐसी होती हैं कि इस अवस्था में बैठने पर ये मल को हमारे शरीर से जल्दी बिना तकलीफ के बाहर निकाल देती हैं इसलिए अगली बार से आपका पेट साफ़ ना हो तो वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने की बजाए इस देशी तरीके को अपना लेनाl पेट अच्छे से साफ़ हो जाएगाl इस तरह बैठने बड़ा फायदा यह है कि हमारे शरीर की आंतों की संरचना और बनावट इस प्रकार है कि अगर आप उकड़ू के पोजीशन में बैठते हैं, तो आंतो पर ज्यादा प्रेशर लगाए बिना ही आप अच्छे से फ्रेश हो सकते हैं, शायद यही वजह है कि भारत के ऋषि-मुनियों ने इसी अवस्था में बैठने को कहा।
पुरूषों को उकडू बैठ कर मूत्र करने से प्रोस्ट्रेट नहीं होता है l
यदि आप उकड़ू बैठकर उंगली से ब्रश करते हैं तथा कंठ साफ करते हैं तो आपके आमाशय में जो भोजन पड़ा हुआ है जो कि अभी तक पचा नहीं है वह भी नीचे की और खिसकना चालू हो जाएगा ,ऐसा करने से आपकी आखों की रोशनी बढ़ जाएगी तथा बालों का झड़ना भी कम हो जाएगा क्योंकि यह हमारे तंत्रिका तंत्र से जुड़ा हुआ है| इसलिए रोजाना उकड़ू बैठकर ब्रश करें|
अपने मस्तिष्क के प्रति आभार ज्ञापन एवं संवाद
प्रिय मस्तिष्कजी ,
सादर प्रणाम !
आपने इस देह का नेतृत्व किया है इसलिए आपका बहुत आभारी हूँ l आप ही संचालक है ,विचारों के जन्मदाता ही नहीं भावों के भी रचेता हैl आप अपना उत्तर दायित्व अच्छे से निभा रहे है l आपकी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन वरीयताओं का चयन ठीक तरह से नहीं करने के कारण हम आपको भूल गये ,इस हेतु क्षमा चाहते है l
आप ज्ञान ,समझ एवं बुद्धि के भंडार है l शरीर में सम्वाद ,स्नायु तंत्र एवं समस्त अंगो में सामंजस्य आपसे ही होता है l शरीर में समन्वय और नियन्त्रण आपका ही है l
हमने आपको विचारों से ,विश्वासों से ,परिणामों की लालसा से ,चाहतों से भर रखा है ,कभी निर्विचार नहीं होने दिया l नीरव, शान्त नहीं होने देते हैंl क्रोध,कामना ,बदले की भाव, ईर्ष्या,तुलना में पड़ कर आपको विकृत किया है l आपको आपकी लय में नहीं रहने दिया है l मैंने आप पर सदैव अनावश्यक भार डाला है ,सदैव आपको व्यस्त रखा है ,आपको अनेक तरह से तंग किया है l आपको विश्राम नहीं करने दिया है फिर भी आप यथायोग्य अपनी सेवाए निरंतर जन्म से अभी तक देते आ रहे हैl
मेरी बड़ी समस्या चंचलता की है ,अविश्वास की है ,निरंतर खोजने की आदत की है ,जिस कारण में कहीं ठहर नहीं पाता हूँ l अधैर्य ने अशांत बना दिया हैं l
सुखासन,सिद्धासन ,शवासन, भ्रामरी प्राणायाम, नादानुसंधान ,योग निद्रा,ज्ञान मुद्रा,प्रार्थना एवं ज्ञान योग से आप शांत होते है ,राग – द्वेष से आप अव्यवस्थित होते है l क्रोध ,वासना एवं डर से आप की व्यवस्था बिगडती है l क्षमा से विचारो की शुद्धि होती है l आपको जागृत कर शुभता की और मुड़ा जा सकता है l
सारी विपरीत स्थिति के उपरान्त आपका सहयोग मुझे हर तरह से हर रूप में मिला है ,इसके लिए आपको शरीर की एक एक कोषिका की तरफ से धन्यवाद l
ॐ शांति शांति शांति :
आपका अपना
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(अपना नाम )
मस्तिष्क पर दोनों हाथ रख कर पत्र को भाव से पढ़े , गहन श्वशन लेते हुए उसे सहलाते रहे l शांति से उसकी बात महसूस करें –यह भाव,चित्र ,आभास या शब्द के रूप में हो सकते है l
अवचेतन में दबी वासनाओं की धुलाई का त्यौहार है होली: दबी वासनाएँ धुले
अवचेतन मन की धुलाई से ही व्यक्तित्व चमकता है lमन में दबे भावो को उभाड़ना उनसे मुक्त होना है l इससे मनोरोग समाप्त हो जाते है l यह पतझड़ की विदाई पर खुशियां मनाने वाला त्यौहार है। बंसत के उल्लास का त्यौहार है।
होली जलाना दहन का प्रतीक है। अपने भीतर वर्ष भर के वैमनस्य, गंदगी व ईष्या को जलाने का त्यौहार है।यह मन के मैल को धोने का त्यौहार है। गाली, गलौच कर कड़वाहट को मिठास में बदलने का मौसम है।यह भीतर छिपी गन्दगी को बाहर लाने का अवसर है। मन की शुद्धता को उज्जवल करने का मौका पैदा कराता है।
दूसरों का दिल न दुखाते हुए रंग डालने ,गंदे मजाक,हंसी उड़ाने, छेड़छाड़ करने व नंाचने गाने का त्यौहार है। इस तरह मन की भड़ास निकालने में यह त्यौहार सहायक है।आज से हजारो वर्ष पूर्व इन त्यौहारों की संरचना की गई थी। आज के समय में इनका औचित्य समझना जरुरी है। अपने त्यौहारों को खुली आँख से देखना आवश्यक है।
कोरोना वायरस से बचने हेतु लोंग, इलायची ,जावित्री व कपूर का ‘इनहेलर’ बना कर सूंघे
अपने रुमाल के एक कोने पर पांच लोंग,पांच इलायची, एक जावित्री का फुल(nutmeg flower) एवं खाने के कपूर की एक टिकिया को गांठ में बांध ले l खानेवाले अच्छे कपूर का प्रयोग करे,जलाने वाला कपूर नहीं चलेगाl प्रति सप्ताह कपूर को फिर से डालेl यह आपका इनहेलर तैयार हैl उक्त पोटली को दिन में 10 से २० बार अपने हाथ पर रगड़ उसे अच्छी तरह सूंघे l परिवार के प्रत्येक सदस्य की पोटली अलग रखे, इससे किसी प्रकार का संक्रमण नहीं फेलेगा l जुकाम ,सर्दी ,स्वाइन फ्लू ,बुखार ,सरदर्द सभी के निवारण में मदद मिलेगी l कोरोना वायरस भी नहीं फेलेगा l
इससे बचने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ घरेलू उपाय आपके लिए कारगर साबित हो सकते हैंl धूप में बैठे l गिलोय ,तुलसी ,काली मिर्च , लहुसन एवं हल्दी का सेवन बढा कर अपनी प्रतिरोध क्षमता बढाऐ l
रोजाना प्राणायाम करेंl ( आभार : डॉ मुकेश प्रजापत, देव्यान्शी आयुर्वेद,उदयपुर )
स्वास्थ्य सेतु में डॉ मंजू रे
Talk delivered by Dr Shriram Sharma
cordially invited
सदैव स्वस्थ रहने व पुरानी बीमारियों से निजात पाने त्रिफला रसायन लें
त्रिफला रसायन के नियमित सेवन से पुरानी बीमारी हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है l नियमित लेने पर शरीर की कोशिकाओं के पुनर्निर्मित होने से युवा बने रह सकते है l
त्रिफला का ऋतु अनुसार सेवन निम्न तालिका अनुसार सहद्रव्य(अनुपान) के साथ लें।
• प्रातःकाल खाली पेट त्रिफला को सहद्रव्य के साथ लेना है, उसके बाद एक घंटे तक कुछ न लें।
• त्रिफला घर पर बनाने से परिणाम शीघ् आते है l
(जयन्ती जैन की पुस्तक “स्वास्थ्य एक चुनौती : त्रिफला रसायन” से)
सम्पर्क : जयन्ती 9414289437
[email protected]
सादर आमन्त्रण ,
स्वास्थ्य वार्ता
विषय:- वर्षा ऋतुचर्या
( आयुर्वेद मतानुसार वर्षा ऋतु में आहार-विहार व होने वाले रोगों से बचाव ,उपचार )
मार्गदर्शन- वैद्य संजय माहेश्वरी
( प्रणव योग आयुर्वेद हेल्थ केयर ,उदयपुर)
समय- सांय 4.30-5.30 बजे
वार व दिनांक-शनिवार ,17 अगस्त 2019
सम्पर्क सूत्र- जयंती जैन,94142 89437
स्थान- स्वास्थ्य सेतु, ऍफ़ 40 सी ए सर्किल , सेक्टर 14,उदयपुर,राजस्थान।
कृपया सपरिवार पधार कर स्वस्थ रहने की प्रमाणिक जानकारी का लाभ उठायें l
निवेदक-स्वास्थ्य सेतु परिवार उदयपुर।
ऋतु त्रिफला पर पुस्तक की समीक्षा जो आज आत्मा की ज्वाला में छपी
खाएँ करी पत्ता : रहे स्वस्थ
मीठा नीम
वैज्ञानिक नाम: मुराया कोएनिजी
रसायनिक संघटन : इसमें विटामिन ए,बी 1,बी 3, बी ९, कैल्शियम ,आयरन ,तांबा, खनिज, फॉस्फोरस, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम और लोहा जैसे आवश्यक पोषक तत्वों में बहुत समृद्ध हैं।
औषधीय प्रयोग :
अम्लता, जोड़ों में दर्द ,अपच में यह लाभदायक है l
हड्डियों की कमजोरी में यह रामबाण है l
ऐंटी-डायबिटीक, ऐंटीऑक्सीडेंट,एंटी कैंसर जैसे गुण पाए जाते है
करी पत्ते कार्बोराज अल्कलॉइड से भरे होते हैं जो जीवाणुरोधी, कैंसररोधी और एंटी इन्फ्लामेट्री गुणों वाले यौगिक हैं।
करी पत्ता लीवर को सशक्त बनाता है।यह लीवर को बेक्टिरिया तथा वायरल इन्फेक्शन से बचाता है। इसके अलावा यह फ्री रेडिकल्स , हेपेटाइटिस , सिरोसिस आदि कई प्रकार की बीमारियों से लीवर को बचाता है।
इसलिए प्रतिदिन प्रात: एक ग्लास करी पत्ता का रस पीए एवं स्वस्थ रहे l
प्रियवर,
पहली बार किस शास्त्र मे ऋतु त्रिफला का उल्लेख किस आचार्य ने किया है?
ऋतु त्रिफला पर कहीं शोध हुआ है या चल रहा होतो उसकी जानकारी बताएं।
कोई ऋतु त्रिफला का सेवन क्र रहे हो तो उसका अनुभव भेजे ,वह किताब में उनके नाम के साथ छापा जाएगा l
इसकी जानकारी मुझे अपनी पुस्तक हेतु चाहिए।
जयन्ती
9414289437
Talk by Dr. Mukesh Prajapat at Swasthya Setu on 3 August 2019
Cordially Invited to Join A Workshop on Ritu Triphala to
STOP Lifestyle diseases
Today talk on Triphala Rasayana at Swasthya Setu
स्वास्थ्य वार्ता
श्री आर एस बोहरा के अपने अनुभव द्वारा
मधुमेह ,बी पी, अपच,एवं दर्द से स्थाई रूप से कैसे समाप्त करें?
( जीवन शैली जनित रोगों को मिटाने)
सायं 4:30 ,शनिवार, दिनांक 20/7/2019
सभी सादर आमंत्रित है l
स्वास्थ्य-सेतु –9414289437 , F40, C A सर्कल, सेक्टर 14, उदयपुर
कैंसर का इलाज खोजने वाले मशहूर वैज्ञानिक डॉ मंजू रे से कैंसर का सफल इलाज कराएँ
मई 4, 2019 को JAYANTIJAIN द्वाराALTERNATE HEALING, ARTICLES, LIFE-MANAGEMENT, SELF-HEALING, STRESS MANAGEMENT मेंटिप्पणी करेसम्पादन
शांति स्वरूप भटनागर पुरुस्कार विजेता डॉक्टर मंजू रे एक मॉलिक्यूलर एन्जायोमोजी एवं कैंसर बायोकेमिस्ट्री की मुख्य शोधकर्ता है l वह कौंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ( CSIR) -बोस इंस्टिट्यूट ,कलकत्ता में कैंसर चिकित्सा पर शोध कर रही है l वह कोशिकओं के पुनर्निर्माण में होने वाली भिन्नताओं की भी दक्ष विशेषज्ञ है l उनके कई शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके है l
कैंसर को रोकने पर इनका गहन शोध चल रहा है l उनका कहनाहै कि मिथायल ग्लायाक्सोल की कोशिकओं में कमी के कारण कैंसर होता है l उनके अनुसार मिथाइलग्लॉक्सल से ट्युमर को रोका जा सकता है एवं अन्य कोशिकओं पर उसका दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है l तब किमो व रेडिएशन थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी l इस पर रोगी इसके दुष्प्रभावो से बचेगा व इलाज भी सस्ता हो जायेगा l पर इनकी शोध की सेकंड ट्रायल चल रही है l इसमें कैन्सर के अंतिम स्टेज तक के रोगी ठीक होते है l उनके रोगियों की ठीक होने की दर ७० प्रतिशत है l डॉ विलियम एफ कोच ,एक अमरीकन होमियोपैथ इस पर कार्य कर चुके थे l नोबल विजेता डॉ अल्बर्ट स्जेंट ग्योर्गी ,हंगरी के वैज्ञानिक ने भी इस पर कार्य किया था l डॉ मंजू रे ने इस शोध को आगे बढाया है l वह ट्रायल के नियमो के अनुसार पेट सिटी व ओंकोलोजिस्ट के सहयोग से उनसे परामर्श व दवा ले सकते है l
Shreya Gadiya leads the yoga class on the third anniversary of Swasthya Setu
अंतर्यात्रा तपोवन शिविर योग की गहराई में ले गया,
शशांक जी के प्रति कृतज्ञ है
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Dr Vinita Baghela is a Healthcare Specialist in Physiotherapy, Clinical Nutrition and women health
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