Dr. Satyendra Kumar Sharma
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लेखक।कवि।स्वच्छता दूत-२०२१ नगर निगम वाराणसी।संस्थापक-मेरा देश मेरा दायित्व।पर्यावरण के प्रति सक्रिय।
लेखक:
१.एहसास की स्याही (१) काव्य संग्रह
२.नारी शक्ति और संकल्प
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३.Training Head (Personality Development)
४.मेरा देश मेरा दायित्व के संस्थापक व अध्यक्ष
बात तो यही है की,
सबकी बात सही है,
सब गलत करके भी,
कहते है कुछ गलत,
किया नही है,
इंसान नकाब बदलता है,
बार बार हर बार,
अंदर छुपा शैतान,
तो वही है वही है।
#कलमसत्यकी ✍️©️
यू ही पल पल मे कुछ बदलता नही,
रात भर मे किस्मत निखरता नही,
वही हाल है जो खुदा ने बना रखा है,
सोना हल्के आग मे पिघलता नही।
#कलमसत्यकी ✍️©️
एक शख्स था,किशोरकांत तिवारी और एक था उसकी परछाई...नाम रोशन पटेल ।
किशोरकांत तिवारी जी हम सब को छोड़कर चले गए तो लगा चीजें बदल जाएंगी
सेवा कैसे होगा.....
मुझे काशी में कई लोगों ने कहा भैया जरा इसमें आप सुध लिजीये और देखिए यह चीज बंद ना हो....
उसमे प्रमुख नाम था जय मौर्य जी और डॉक्टर वैभव(फुलवरिया के)
बहुत सारे विवाद को मैंने देखा।
लेकिन जो परछाई थी उसने एक ऐसा स्वरूप धारण किया कि वह सेवाएं पुन स्थापित हो गई।
रोशन ने उसे कर के अपने आप को रौशन किया और लोगों के दिलों को जीत लिया।
आज रौशन वह कार्य कर रहे है, जिससे काशी का नाम ही नहीं अपितु पूरे भारतवर्ष में सेवा के रूप को रौशन करने का काम रौशन ने किया है
रौशन को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
रौशन के भाव को मैंने बड़े करीब से देखा है उसके दिल में जज्बा है कुछ बढ़िया करना चाहताे है ।
उनको कोटि-कोटि शुभकामनाएं।
मेरा देश टीम सदैव किशोर जी व रौशन के साथ खड़ी रही है और रहेगी।
देश में उन लोगों को रोटी पहुंचाना जिन्हें उनकी आवश्यकता है और उन लोगों को भी जिनके पास पैसे तो हैं लेकिन वह इस अवस्था में है की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पाते हैं।
जीवों के लिए दया और अंजान के लिए प्रेम, यह एक ही मन में होना बड़ा ही जटिल होता है, लेकिन ऐसा अगर हो तो यह संपूर्ण ब्रह्मांड को खरीद लेता है, बिना धन के.....
यह बहुत बड़ा कार्य है जिसे रौशन की टीम कर रही है।
रौशन की पूरी टीम को कोटि-कोटि मंगल कामनाएं।
मै समझता हूँ की लोग क्या सोचते हैं मेरे बारे मे,
इतना समझदार तो हूँ मै।
#कलमसत्यकी ✍️©️
UP मे का बा ....त सुना ।
#मेमोरीज
#सच
The best thing about the worst time of your life is that you get to see the true colors of everyone.
https://youtu.be/cQLO7Me8zpg?si=1xJPN5U21DmazvjP
By RJ सना सलीम जी
#banarasi #banaras #varanasinews Good Morning Banaras II Episode -238 ft. Satyendra Urmila Sharma Good Morning BanarasPresented by - SanaEpisode - 238Date of Broadcast : 11.03.2023In this video, I’ll show you ...
#काव्य #कलमसत्यकी ✍️©️
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ये जिंदगी गुजर जायेगी यूँ ही,
इम्तेहान मे क्या??
अपना ठिकाना कहाँ है,
वो जगह सूनसान है क्या?
दिखाई नही देता किसी को,
जुल्मी के गुनाह,
य दुनिया सच मे,
नादान है क्या!!
बेवजह,
सताया जा रहा है सत्य,
ऐ शिवा तू मेरे गम से,
अनजान है क्या?
कुर्बानियाँ देते बीत गई,
ये उमर भी,
अभी किसी और का भी,
मेरे उपर,
ऐहसान है क्या??
सब कहते है सत्य अकेला है,
टूट कर घुटनों पर गिर जा,
कोई तो बताओ जरा,
दुश्मन पूरा जहान है क्या??
फरेबी,मक्कार और दगाबाजों की,
पूरी हो रही हसरतें,
सत्य की जिंदगी,
बेजार और वीरान है क्या??
कृत:
सत्येंद्र "सत्य"
#कलमसत्यकी ✍️©️
हम सभी यह जानते हैं कि हम लोग यहां अनंत काल तक रहने के लिए नहीं आये है।
प्रत्येक व्यक्ति को यहां से जाना है।
गरीब को भी जाना है,अमीर को भी जाना है और एक ही हाल में जाना है।
यह सब जानते हुए भी हम जीवन में जद्दोजहद करते हैं और सरलता से प्राप्त होने वाले खुशियों को भी नजरअंदाज करके दुख और द्वेष में डूबे रहते हैं।
देखिए, जो मेरे अपने हैं या जो पराए हैं, अगर आप ध्यान से देखें तो यह दोनों बराबर के पायदान पर खड़े हैं।
इनमें से किसी का भी पायदान ऊंचा नहीं है।
चाहे वह राम जी का काल हो चाहे भगवान कृष्ण का काल हो दोनों काल में जो बात का महात्म था वह यह था कि हमें कर्म करना है फल की चिंता नहीं करनी है तभी कोई व्यक्ति पुरुष से पुरुषोत्तम बनता है ।
पुरुष से पुरुषोत्तम बनने की जो दूरी है वह बहुत कठिन है वह देखना और सुनने में आसान लगती है लेकिन वह सुलभ नहीं है।
हाँ यह इतना भी कठिन नहीं है बस थोड़ा सा अपने पांचो घोड़ों पर नियंत्रण करना होगा और इन पांचो आश्वों पर नियंत्रण करना बहुत ही कठिन है खास कर उनके लिए जो उसके बारे में नहीं सोचते हैं।
अगर कोई व्यक्ति यह ठान ले कि मुझे जीवन का महत्व समझाना है तो वह बहुत ही सरलता से इसको समझ सकता है।
गौतम बुद्ध हों,भगत सिंह हों, स्वामी विवेकानंद हो, दयानंद सरस्वती जी हों, इन सब लोगों ने इस बात को सरलता से समझ लिया क्योंकि इन लोगों की आसक्ति इस बात में थी।
अब जब किसी व्यक्ति की आशक्ति ही दुश्चरित्र को धारण करने में हो तो उसे आप कभी भी सनमार्ग पर नहीं ला सकते।
सन्मार्ग उसको कुमार्ग ही लगेगा।
प्रवचन उसको दुर्वचन ही लगेगा।
अगर आज का समाज देखे तो हर व्यक्ति अपने आप को एक राजनीतिक व्यक्तित्व को रूप में विकसित करने में लगा हुआ है और ऐसे में समाज और देश का विकास बहुत ही मुश्किल है।
क्योंकि सब धर्म और जाति की राजनीति में उलझ जाते हैं।
उलझने के साथ-साथ चिंतन की प्रक्रिया से बहुत दूर हो जाते हैं।
आज हमारे समाज में युवा अगर यह सोचें कि हम इस अमुक व्यक्ति को अपनी प्रेरणा बनाएं तो समय के साथ वह देखेगा कि जिन्हें वह अपना प्रेरणास्रोत समझ रहे हैं वह तो सिर्फ धन के लोभी हैं।
ऐसे में वह व्यक्ति कुंठित हो जाता है।
वह किस पर भरोसा करें इस पर वह चिंतित हो जाता है और पुन: किसी और को अपना प्रेरणा स्रोत समझ लेता है।
जबकि उसे यह नहीं मालूम की सारी ऊर्जा उसके अंदर ही समाहित है।
जो लोग ज्ञान पर भाषण देते हैं वह भी उन्हें पुस्तक को पढ़कर के भाषण देते हैं जिन्हें आप सरलता से पढ़कर के अपने जीवन को सुंदर व स्वर्णमयी बना सकते हैं।
इस हाल में तब एक ही मार्ग बनता है मंथन,चिंतन व योग।
इस लेख के माध्यम से मैं यह कहना चाहता हूं कि अगर हमें सन्मार्ग पर चलना है तो स्वयं का आकलन, समय-समय पर करना होगा तथा मंथन-चिंतन-आकलन व योग के निहित होकर के कार्य करना होगा।
यह बात बिल्कुल सत्य है कि जब हम ऐसे धर्मनिष्ठ कार्य करते हैं तो हमारा मन यहां वहां भटकने लगता है और हम उसे कार्य को बीच में ही छोड़ देते हैं लेकिन हमें वहीं पर जद्दोजहद करके अपने आप को तटस्थत करना होगा क्योंकि तटस्थता ही जीवन का सार है।
यह बात समझ लीजिए अगर आपको शुद्ध हवा चाहिए तो आपको पेड़ों के बीच में जाना होगा ।
आपके पास शुद्ध हवा स्वयं नहीं आएगा।
शुद्ध हवा को पाने के लिए आपको वह माहौल स्वयं बनाना पड़ेगा।
सत्येंद्र शर्मा सत्य।
सब कहते हैं जिंदगी अल्फाज है,
पर मुंह मे जबान नही है,
मैने माना था अनेक लोग मेरै परिवार मे है,
पर उनमे से कोई इंसान नही है।
#कलमसत्यकी✍️©️ #कलमसत्यकी
#कलमसत्यकी ✍️©️
#कलमसत्यकी ✍️©️
मैं ही नहीं,आम लोगों की यह अवधारणा होती है कि जब उनके साथ कुछ बुरा होता है या फिर अच्छा नहीं होता है या मनमाफिक नहीं होता है तो सबसे पहले वह ईश्वर को ही कोसते हैं और कहते हैं कि आज से पूजा पाठ बंद!!
क्या फायदा ऐसा पूजा करने का कि जब ईश्वर हमारे किस्मत में दुख ही लिखने वाले हैं या लिख दिया है।
खास करके यह उन लोगों के साथ होता है जो ईश्वर में विश्वास करते हैं ।
अपने प्रत्येक कर्म को सत्य की देखरेख में क्रियावन करते हैं।
ये कोई अतिशयोक्ति नही कठोर सत्य है।
पुनर्जन्म में भी विश्वास करने वाले ऐसा सोचते हैं।
लेकिन ऐसा सोचते वक्त वह भूल जाते हैं कि हमारा जीवन एक जन्म के आधार पर फल नहीं देता अपितु कई जन्मों और हमारे कर्मों का सार होता है और यही परम सत्य है।
इस तथ्य को वह सभी लोग मानेंगे जो सनातन को या ना भी हो।
जीवन में मिलने वाले कठिनाइयों को,दुखों को और अन्य सभी मन के विपरीत जाने वाले फलों को देखकर के यह भाव आना स्वाभाविक है।
हम इस बात को लेकिन भूल जाते हैं कि जब हमें प्रार्थना करने का मन नहीं करता या फिर ईश्वर के प्रति एक विपरीत भाव आता है तो यह भूल जाते हैं कि कहीं ना कहीं कोई ऐसी भी शक्ति है जो हमें ईश्वर से दूर कर रही है और यही भाव अगर मन में आ जाए तो शक्ति मिल जाती है और हम पुन: सत्य पथ पर स्थापित होने की शक्ति मिल जाती है।
वेदों के अनुसार परमेश्वर एक ही है।
वैदिक और पाश्चात्य मतों में परमेश्वर की अवधारणा में यह गहरा अन्तर है कि वेद के अनुसार ईश्वर भीतर और परे हैं।
हिंदू धर्म ईश्वर को दोनों अर्थात् साकार तथा निराकार रूप में देखता है।
इस के अनुसार जो ईश्वर सब चीजों को साकार रूप देता है,वो खुद भी साकार तथा निराकार रूप धारण कर सकता है।
आज का व्यक्ति जितना मेरा ज्ञान है उसके अनुसार मैं देखता हूँ कि लोग मंथन नहीं करते हैं बल्कि कहीं न कहीं जो आज ईश्वर को बाजार में प्रसारित कर रहे हैं उन्हे सुनकर यह तय कर लेते हैं कि ईश्वर कैसे प्राप्त होंगे जो की श्रीमद् भागवत गीता में साफ-साफ कहा गया है कि आपके कर्मों में ही आपका ईश्वर विद्यमान है।
किसी आश्रम में एक बिल्डिंग बनवा करके दान कर देने से किसी आश्रम में 10000 लोगों को भोजन करने का संकल्प करके दान देने से ईश्वर कदापि प्राप्त नहीं हो सकते।
हो ही नही सकता क्योकि वो एक व्यापारी की तरह मायाजाल फैलाकर लोगों को सम्मोहित कर कुछ उगाहने का प्रयास कर रहे हैं।
क्योकि ऐसे कुछ पापी को पूरा यकीन है की इन सुनने वालों मे महापापी भी बैठे हैं जो जबरन अपने बाल बच्चों के साथ कथा सुनने गए हैं ।
इसी बात का वह लाभ उठाते हैं।
मैं यह भी कहता हूं कि सभी ऐसे नहीं है।
लेकिन इस बात को भी वही समझेगा जो सत्कर्मी है।
ईश्वर की प्राप्ति तब ही संभव है जब आप प्रत्येक मनुष्य को एक समान रूप में देखें और उन्हें ईश्वर की संज्ञा देकर के उनके जीवन को बेहतर करने का प्रयास करें।
वही ईश्वर की सच्ची प्राप्ति का सरल साधन है।
जिससे आपको कोई लाभ नहीं है और वह फिर भी आपकी सेवा कर रहा है उसके भाव को समझना ही सत्कर्म है।
किसी बड़े आदमी को खुश करने के लिए धन को बेफिजूल खर्च करने से बेहतर है कि किसी ऐसे व्यक्ति के लिए खर्च किया जाए जो आपके लिए सेवारत है परंतु सीधा लाभ उससे आपको नहीं मिलना है।
""कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।""
यह है गीता का प्रसिद्ध श्लोक जिसके अर्थ में लोग प्रायः कहते हैं कि कर्म किये जा, फल की इच्छा मत कर।
यह त्याग सरल नहीं बहुत कठिन है।.... यह बात ऐसे ही नहीं कही गई है
जिस प्रकार आज बाजार में फलों के रस के नाम पर फ्लेवर डाल करके उन्हें बेचा जा रहा है और आपके मन में पीते वक्त यह भाव आ रहा है कि आप अमुक फल का जूस ही पी रहे हैं ।
उसी प्रकार से बाजार में सुनने वाले प्रवचनों से आपका कोई भला नहीं होना है जब तक कि आप सच्चे फलों का रस स्वयं ना चखें।
मैं किसी भी कथावाचक के खिलाफ नहीं बोल रहा हूँ।
मैं तो यह कह रहा हूँ कि जब आपके पास स्वयं अभूतपूर्व अलौकिक धन है तो आप किसी और चमकते हुए कांच को धन कैसे कह सकते हैं।
बार-बार,अनेकों बार "श्रीमद्भागवत गीता" को पढ़ें तथा उसके महत्व को समझे ....... आपको स्वयं समझ में आ जाएगा की जीवन का असली महात्म क्या है।
मुझे कुछ मिला और इसीलिए मैं इस लेख को लिखा कि मेरे अपने मेरे भाव को शायद समझ सके।।
✍️©️
आदमी बलिदान के लिए कब तैयार होता है?
जब वह अपने विवेक से प्रेरित होकर दृढ़ निश्चय कर लेता है ।
तब ही ।
वीर सावरकर।
जो घाव हैं मेरे शरीर पर,
वो फूलों के गुच्छे हैं,
हम देश के क्रांतिकारी पागल हैं,
हम पागल ही अच्छे हैं।
जीना है देश के लिये,
मरना है देश के लिये,
छोड़ जात पात के भ्रमों को,
तोड़ तो हर नादानियाँ ,
देश मांगता है कुर्बानिया।
छोटा सा भगत समझा इन बातों को,
कब तक सोयेंगे हम आँख मूँद कर,
कब तक बस सुनेंगे ये कहानियाँ,
खुद उतरना होगा बदलाव हेतु,
देश माँगता है कुर्बानिया।
क्यूँ रखना दो मिनट का मौन,
कब तक हमसे चिपका रहेगा रौन,
जलियावाला बाग का वो मंजर,
कब जानेंगे करतार सिंह थे कौन,
कितनी मिट गई जिंदगानिया,
देश मांगता है कुर्बानिया।
आज देश आजाद है,
पर कैद मे हैं हम,
कैसे जांनेगे हम,
कब जानेंगे हम,
किन किन लालों ने दे दी,
अपने सांसों की रवानियाँ,
देश मांगता है कुर्बानिया।।
जीवन बीतता है हमारा,
सुख सुविधा समटने मे,
हाँ हर खुशियाँ बटोरने मे,
हम क्या कर रहे हैं,
क्या सोचते हैं हम,
इतिहास को पढ़कर,
सोचो................
देश को हम क्या देंगे निशानियाँ,
देश माँगता है कुर्बानिया।।
#कृत
सत्येंद्र उर्मिला शर्मा
मेरा देश मेरा दायित्व।
स्वच्छता दूत ।।
बिना लिबास आए थे इस जहां में,
बस एक कफ़न की खातिर इतना सफ़र करना पड़ा....!!
रोहित साहनी जी के वाल से
चंदौली अमर उजाला ब्यूरो चीफ व मेरे सुख दुख मे सदैव साथ निभाने वासे प्रिय भाई अमरेंद्र जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें ।आप सदा स्वस्थ रहें व नित नये किर्तीमान य्थापित करें।
सत्यपथ पर सदैव गतिमान रहते हुये आपने एक मशाल जला रखी है। वो सदैव उज्जवल रहे।
मेरा देश मेरा दायित्व टीम की ओर से कोटि कोटि मंगलकामनायें।
Amrendra Pandey Ji Beuro Chief Chandauli अमर उजाला।
पत्रकार अमरेन्द्र पाण्डेय
#कलमसत्यकी ✍️©️
Thank you Iconic Peace Award Council
𝐁𝐄 𝐒𝐏𝐈𝐑𝐈𝐓𝐔𝐀𝐋. 𝐒𝐩𝐢𝐫𝐢𝐭𝐮𝐚𝐥 𝐥𝐢𝐯𝐢𝐧𝐠 𝐢𝐬 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐧𝐬𝐰𝐞𝐫 𝐭𝐨 𝐬𝐭𝐫𝐞𝐬𝐬, 𝐜𝐨𝐧𝐟𝐥𝐢𝐜𝐭, 𝐚𝐧𝐝 𝐧𝐮𝐦𝐞𝐫𝐨𝐮𝐬 𝐨𝐭𝐡𝐞𝐫 𝐩𝐫𝐨𝐛𝐥𝐞𝐦𝐬. 𝐒𝐩𝐢𝐫𝐢𝐭𝐮𝐚𝐥𝐢𝐭𝐲 𝐬𝐨𝐰𝐬 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐞𝐞𝐝𝐬 𝐨𝐟 𝐡𝐚𝐫𝐦𝐨𝐧𝐲, 𝐡𝐚𝐩𝐩𝐢𝐧𝐞𝐬𝐬 𝐚𝐧𝐝 𝐩𝐞𝐚𝐜𝐞.
#कलमसत्यकी ✍️©️
कहीं आग लगाकर,
कोई करता है अमन की बात,
करतूत अपनी भूल गया,
भूल गया रात की बात,
जिससे पाया बेपनाह मुहब्बत,
सबसे पहले उसी से घात?
#सच्चीबातें
किसी ने सच ही कहा है.....
ये जमीन तेरी,
ये आसमान तेरा है,
ये सुबह तेरी ,
तेरा ही अँधेरा है,
अब क्यूँ घबराउँ मैं?
मेरा यहाँ कौन सा ,
स्थाई बसेरा है।
#कलमसत्यकी ✍️©️
वस्त्र से सन्यासी,
शस्त्र में महा योद्धा है वो,
पिता का आज्ञाकारी पुत्र,
समाज का श्रद्धा है वो।।
कहते हैं लोग उन्हें,
मर्यादा पुरुषोत्तम,
मानवों में,
सर्वोत्तम है वो।।
माँ के दिल के विचारों को,
आत्मसात करने वाला,
पिता के भाव को जीने वाला,
हाँ नरोत्तम है वो।।
सर्वश्रेष्ठ उदाहरण,
प्रस्तुत करने वाला,
जमीन से जुड़े रहकर,
कार्य करने वाला,
अच्छा नहीं,
उत्तम है वो।
केवट,भील,वानर,
सबको किया प्यार,
मिलन हो अद्भुत,
राक्षसों को भी सिखाया,
सदाचार का पाठ,
हर युग के लिये बना उदाहरण,
स्वभाव से अतिउत्तम है वो।।
वो तो बड़ा मधुर है स्वभाव से,
सबको देता है स्नेह,
जीवन का सीख देता है,
मानव जीवन का स्वरूप है,
मोक्ष प्रदान करने मे,
सक्षम है वो।।
बाँध रखा है सबको जिसने,
एक सूत्र से,
काल का महाकाल है वो,
सब करते नमन जिसको,
आदिपुरूष राम हैं वो,
आदिपुरूष राम हैं वो।
#कलमसत्यकी ✍️©️
सत्येंद्र शर्मा सत्य
एक अपूर्णीय क्षति...
हिंदी और भोजपुरी काव्य के स्तम्भ पंडित हरिराम द्विवेदी जी 'हरि भैया' को अश्रुपूर्ण श्रद्धासुमन 🙏🏻
ॐ शान्ति
Manish Khattry भाईसाहब की वाल से।
परम प्रिय व आदरणीय पं०देवाशीष डे व सुश्री रागिनी सरना जी।
सादर प्रणाम व अभिनंदन।
माँ वीणा वादिनी की सदा जय हो।
#काशी
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