Banwari Bhai Upamanyu
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Shri Dham Varindavan, Mathura
401208
फोगला आश्रम के पीछे निंबार्क बाग रोहतक वाली धर्मशाला के पास
281121
Bankey Bihari Vrindavan
281121
Seva Adhikari Thakur Shri Bankey Bihari Mandir
Nikunj Van Pani Ghat Vrindavan
281121
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Madan Mohan Bankey Bihari Road
281121
Vrindavan
Shree Radha Raman Mandir
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Radhe Radhe
हर हर महादेव
श्रीधाम वृंदावन भागवत कथा
✂️ श्रीमद्भागवत पूजन यमुना तट वृंदावन 60 seconds · Clipped by Banwari Bhai Upamanyu · Original video "श्रीमद् भागवत कथा आचार्य पंडित बनवारी भाई उपमन्यु जी day 1" by banwaribhaiupamanyu banwaribha...
मैं सांड़ हूं !!
लोग कहते हैं कि मैं तुम्हारी फसल उजाड़ रहा हूँ , सड़कों पर कब्जा कर रहा हूँ ,मैं तुम मनुष्यों से पूंछता हूँ कि कितने कम समय में मैं इतना अराजक हो गया,मे तो हजारो वर्षो से तुम्हारे पूर्वजों की सेवा करता आया हू ! मैं मनुष्यों का दुश्मन कैसे बन गया ।
अभी कुछ सालों पहले तो लोग मुझे पालते थे ,चारा देते थे , लेकिन मनुष्य ज्यादा सभ्य हो गया ट्रैक्टर ले आया ,पम्पिंग सेट से पानी निकालने लगा और मुझे खुला छोड़ दिया , मैं कहाँ जाता ? कहाँ चरता ? मनुष्य ने चरागाहों पर कब्जा कर लिया , अब पापी पेट का सवाल है अपने पेट के लिए अपने मित्र मनुष्य से संघर्ष शुरू हो गया। मैं तो दुनिया में आना भी नहीं चाहता किंतु तुम मनुष्यों के लिए दूध की आवश्यकता है, तुम्हारे बच्चों के पोषण के लिए मेरा आना निहायत जरूरी है।
यहां तक कि कुछ लोगों ने अपना पेट भरने के लिए मुझे काटना भी शुरू कर दिया ,मैं फिर भी चुप रहा ,चलो किसी काम तो आया तुम्हारे।मेरी माँ ने मेरे हिस्से का दूध देकर तुम्हे और तुम्हारे बच्चों को पाला लेकिन अब तो तुमने उसे भी खुला छोड़ दिया ।
इधर पिछले सालों से कई मनुष्य मित्रों ने मुझे कटने से बचाने के लिए अभियान चलाया , लेकिन जब मैं अपना पेट भरने खातिर उनकी फसल खा गया तो वही मित्र मुझे बर्बादी का कारण बताने लगे , शायद अब यही चाहते हैं कि मैं काट ही दिया जाता ।
मित्रों बस इतना कहना चाहता हूं कि मैं तुम्हारी जीवन भर सेवा करूंगा तुम्हारे घर के सामने बंधा रहूँगा। थोड़े से चारे के बदले तुम्हारे खेत जोत दूंगा । रहट से पानी निकाल दूंगा , गाड़ी से सामान ढो दूंगा। बस मुझे अपना लो
लेकिन क्या मेरे इस निवेदन का तुम पर कोई असर होगा ?
अरे तुम लोग तो अपने लाचार मां बाप को भी घर से बाहर निकाल देते हो , फिर मेरी क्या औकात।
पहले भगौना, पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था, अदहन जब अनाज के साथ उबलता था तो बार-बार एक मोटे झाग की परत जमा करती थी, जिसे अम्मा रह-रह के निकाल के फेक दिया करती थी। पूछने पर कहती कि "ई से तबियत खराब होत है'....
बाद में बड़े होने पर पता चला वो झाग शरीर मे यूरिक_एसिड बढ़ाता है और अम्मा इसीलिए वो झाग फेंक दिया करती थी। अम्मा ज्यादा पढ़ी लिखी तो नही थी पर ये चीज़े उन्होंने नानी से और नानी ने अपनी माँ से सीखा था । अब कूकर में दाल-भात बनता है, पता नही झाग कहा जाता होगा, ज्यादा दाल खाने से पेट भी खराब हो जाते हैं
डॉक्टर कहते हैं एसिडिटी है
पुराने ज्ञान को याद करिये विज्ञान छुपा है उसमें। *t #दीवाली #सनातन #हिन्दू
वामपंथ के विषबेलों ने इस देश के इतिहास को विकृत किया और अंग्रेजों के गुलामों ने लिखा #भारत_एक_खोज
चित्र में आप जिसे देख रहें हैं, वो बड़ौदा शाही परिवार की राधिका राजे गायकवाड़ हैं, इन्होंने 100 साल पुरानी शाही संग्रह (कलेक्शन) की साड़ी पहनी है।
यह शुद्घ कपास (हथकरघा) से बनी है, साड़ी का पल्लू या जिसे आँचल कहते हैं वह #सोने (Gold) से बना है!
क्या तकनीक रही होगी सोने को बारीक धागे में बदलने की, क्या कौशल था जो साड़ी आज भी चमक रही है।
इसे ध्वस्त किया गया ताकि इंग्लैंड की मिलों के लिए बाजार बनाया जा सके। जिस औद्योगिक क्रांति का पाठ हमने किताबों में पढ़ा उसकी टाइमिंग और भारत में लूट की टाइमिंग का अध्ययन करेंगे तो सबकुछ स्पष्ट हो जायेगा
दुनिया को लूटकर चमकने वाले ब्रिटेन में हाहाकार मचा हुआ है दूसरी तरफ भारत अपने दैदीप्यमान स्वरूप में आज दीपावली मना रहा है।
कृष्ण का कर्म सिद्धान्त फलीभूत हो रहा है, सुना है कि कोई #ऋषी ब्रिटेन में आ रहा है।
#वन्देमातरम्
यदि तुम्हारा कोई शत्रू नहीं है तो इसका अर्थ है कि तुम उन जगहों पर भी मौन थे
जहाँ अन्याय और गलत हो रहा था और बोलना जरुरी था... !!
जितनी गायें अभी मरी हैं और लोगो को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है
तो,,,, कान खोलकर सुन लो......
इंसानी लाश भी गिनने के लिए तैयार रहो,, जैसे पेड़ से पका आम टपट्पा के गिरता है,, वैसे ही लोग भी टपकेंगे..... वैसे इसकी शुरुआत हो चुकी है
वाल्मिकी रामायण में सीता माता द्वारा पिंडदान देकर राजा दशरथ की आत्मा को मोक्ष मिलने का संदर्भ आता है
वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता पितृ पक्ष के वक़्त श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे
वहाँ ब्राह्मण द्वारा बताए श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने हेतु श्री राम और लक्ष्मण नगर की ओर चल दिए,
ब्राह्मण देव ने माता सीता को आग्रह किया कि पिंडदान का कुतप समय निकलता जा रहा है
यह सुनकर सीता जी की व्यग्रता भी बढ़ती जा रही थी क्योंकि
श्री राम और लक्ष्मण अभी नहीं लौटे थे
इसी उपरांत दशरथ जी की आत्मा ने उन्हें आभास कराया की पिंड दान का वक़्त बीता जा रहा है
यह जानकर माता सीता असमंजस में पड़ गई
तब माता सीता ने समय के महत्व को समझते हुए यह निर्णय लिया कि वह स्वयं अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान करेंगी,
उन्होंने फल्गू नदी के साथ साथ वहाँ उपसथित वटवृक्ष, कौआ, तुलसी, ब्राह्मण और गाय को साक्षी मानकर स्वर्गीय राजा दशरथ का का पिंडदान पुरी विधि विधान के साथ किया
इस क्रिया के उपरांत जैसे ही उन्होंने हाथ जोड़कर प्रार्थना की तो राजा दशरथ ने माता सीता का पिंड दान स्वीकार किया
माता सीता को इस बात से प्रफुल्लित हुई कि उनकी पूजा दशरथ जी ने स्वीकार कर ली है
पर वह यह भी जानती थी कि प्रभु राम इस बात को नहीं मानेंगे क्योंकि पिंड दान पुत्र के बिना नहीं हो सकता है,
थोड़ी देर बाद भगवान राम और लक्ष्मण सामग्री लेकर आए और पिंड दान के विषय में पूछा
तब माता सीता ने कहा कि समय निकल जाने के कारण मैंने स्वयं पिंडदान कर दिया
प्रभु राम को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा था कि बिना पुत्र और बिना सामग्री के पिंडदान कैसे संपन्न और स्वीकार हो सकता है
तब सीता जी ने कहा कि वहाँ
उपस्थित फल्गू नदी, तुलसी, कौआ, गाय, वटवृक्ष और ब्राह्मण उनके द्वारा किए गए श्राद्धकर्म की गवाही दे सकते हैं,
भगवान राम ने जब इन सब से पिंडदान किये जाने की बात सच है या नहीं यह पूछा,
तब फल्गू नदी, गाय, कौआ, तुलसी और ब्राह्मण पांचों ने प्रभु राम का क्रोध देखकर झूठ बोल दिया कि माता सीता ने कोई पिंडदान नहीं किया
सिर्फ वटवृक्ष ने सत्य कहा कि माता सीता ने सबको साक्षी रखकर विधि पूर्वक राजा दशरथ का पिंड दान किया
पांचों साक्षी द्वारा झूठ बोलने पर माता सीता ने क्रोधित होकर उन्हें आजीवन श्राप दिया,
फल्गू नदी को श्राप दिया कि वोह सिर्फ नाम की नदी रहेगी,
उसमें पानी नहीं रहेगा
इसी कारण फल्गू नदी आज भी गया में सूखी है
गाय को श्राप दिया कि गाय पूजनीय होकर भी सिर्फ उसके पिछले हिस्से की पूजा की जाएगी और गाय को खाने के लिए दर बदर भटकना पड़ेगा
आज भी हिन्दू धर्म में गाय के सिर्फ पिछले हिस्से की पूजा की जाती है,
माता सीता ने ब्राह्मण को कभी भी संतुष्ट न होने और कितना भी मिले उसकी दरिद्रता हमेशा बनी रहेगी का श्राप दिया
इसी कारण ब्राह्मण कभी दान दक्षिणा के बाद भी संतुष्ट नहीं होते हैं सीताजी ने तुलसी को श्राप दिया कि वह कभी भी गया कि मिट्टी में नहीं उगेगी
यह आज तक सत्य है कि गया कि मिट्टी में तुलसी नहीं फलती
और कौवे को हमेशा लड़ झगड कर खाने का श्राप दिया था
अतः कौआ आज भी खाना अकेले नहीं खाता है,
सीता माता द्वारा दिए गए इन श्रापों का प्रभाव आज भी इन पांचों में देखा जा सकता है,
जहाँ इन पांचों को श्राप मिला वहीं सच बोलने पर माता सीता ने
वट वृक्ष को आशीर्वाद दिया कि उसे लंबी आयु प्राप्त होगी
और वह दूसरों को छाया प्रदान करेगा तथा पतिव्रता स्त्री उनका स्मरण करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करेगी
जय सियाराम 🙏🙏
क्या हिंदू धर्म में स्त्रियों का अपमान है? संतान से माता ज्यादा प्रेम करती है या पिता? भगवान श्रीराम ज्यादा दयालु हैं या माता सीता?
👉 भारतीय ने जॉब छोड़कर कनाडा के 1 बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में सेल्समेन की नोकरी ज्वाइन की।
🔶बॉस ने पूछा:- तुम्हे कुछ तज़ुर्बा है? उसने कहा कि हा थोड़ा बहुत है
👉पहले दिन उस भारतीय ने पूरा मन लगाकर काम किया।
🔶शाम के 6 बजे बॉस ने पूछा:- आज पहले दिन तुमने कितने सेल किये?
👉भारतीय ने कहा कि सर मैंने 1 सेल किया।
🔶 बॉस चौंककर बोले:- क्या मात्र 1 ही सेल।
सामान्यत: यहाँ कार्य करने वाले हर सेल्समेन 20 से 30 सेल रोज़ाना करते हैं। अच्छा ये बताओं तुमने कितने रूपये का सेल किया।
👉93300 डॉलर । भारतीय बोला।
क्या!
😜लेकिन तुमने यह कैसे किया? आश्चर्यजनक रूप से बॉस ने पूछा।
👉भारतीय ने कहा:- 1 व्यक्ति आया और मैंने उसे एक छोटा मछली पकड़ने का हुक बेचा।
फिर एक मझोला और फिर अंततः एक बड़ा हुक बेचा। फिर उसे मैंने 1 बड़ी फिशिंग रॉड और कुछ फिशिंग गियर बेचे।
👉फिर मैंने उससे पूछा कि तुम कहा मछली पकड़ोगे और उसने कहा कि वह कोस्टल एरिया में पकड़ेगा।
तब मैंने कहा कि इसके लिए 1 नाव की ज़रूरत पड़ेगी। अतः मैं उसे नीचे बोट डिपार्टमेंट में ले गया और उसे 20 फीट की डबल इंजन वाली स्कूनर बोट बेच दी।
जब उसने कहा कि यह बोट उसकी वोल्कस वेगन में नहीं आएगी।
👉तब मैं उसे अपने ऑटो मोबाइल सेक्शन में ले गया और उसे बोट केरी करने के लिए नई डीलक्स 4 × 4 ब्लेज़र बेचीं। और जब मैंने उसे पूछा कि तुम मछली पकड़ते वक़्त कहा रहोगे। उसने कुछ प्लान नहीं किया था। तो मैं उसे कैम्पिंग सेक्शन में ले गया और उसे six sleeper camper tent बेच दिया।
और तब उसने कहा कि उसने जब इतना सब कुछ ले ही लिया है तो 200 डॉलर की ग्रासरी और बियर के 2 केस भी लेगा।
😜अब बॉस 2 कदम पीछे हटा और बेहद ही भौचक्के अंदाज़ में पूछने लगा:- *तुमने इतना सब उस आदमी को बेच दिया जो केवल 1 fish hook खरीदने आया था*?
👉"NO, SIR,"
👉*वह तो केवल सरदर्द दूर करने की 1 टेबलेट लेने आया था। मैंने उसे समझाया कि मछली पकड़ना सरदर्द दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है*।
😜बॉस:- तुमने इसके पहले भारत में कहा काम किया था?
🔴👉भारतीय :- जी मैं #*प्राइवेट हॉस्पिटल "👈 में डॉक्टर था* घबराहट की मामूली शिकायत पर हम लोग, मरीजों से पैथोलॉजी, ईको, ईसीजी, टीएमटी,सी टी स्केन,एक्सरे, एम आर आई इत्यादि टेस्ट करवाते हैं👈🔴
😜बॉस:- तुम मेरी कुर्सी पर बेठो। मैं इंडिया मे ट्रेनिंग के लिये प्राइवेट हॉस्पिटल ज्वाईन करने जा रहा हूँ।😜
😜😛
*भारतीय संस्कृति के रक्षक भगवत्पाद
आद्य शंकराचार्य*
आज से २५३०वर्ष पूर्व भगवत्पाद आद्य शंकराचार्य जी का अवतार भारत के केरल प्रदेश में हुआ था।
वह एक ऐसा समय था जब हमारी भारतीय संस्कृति के विरुद्ध विपरीत संस्कार उत्पन्न किए जाने लगे थे ! कलयुग के प्रभाव के कारण मानव मन विपरीत दिशा में चिंतन करने लगा था बौद्धों ने ब्रह्मविद्वेष फैला दिया था।
*वेद प्रमाण नहीं हैं*
का उद्घोष होने लगा था।
पाखंडियों ने यज्ञों के नाम पर शास्त्र मर्यादा का उल्लंघन करना प्रारंभ कर दिया था।
धर्म परिवर्तन को ही धर्म मान लिया गया था,वेद विरुद्ध मतों का जन्म होने लगा था।
कल्याण के पथ पर चलने वाले लोग भ्रमित होने लगे थे ऐसी परिस्थिति में आदिदेव महादेव ही आद्यशंकर के रूप में भारत देश में केरल के कालटी नामक ग्राम में अवतरित हुए ।
आद्य शंकर ने तात्कालिक ७२ मतों का खण्डन किया ! भारत की चार दिशाओं में ४ मठों की स्थापना की ! वेदों की रक्षा के लिए चारो मठों को एक एक वेद प्रदान किए चार चंद्रमौलीश्वर की भी पूजन का विधान किया, वेदांत सिद्धांत की रक्षा के लिए उन्होंने प्रस्थानत्रयी पर भाष्य लिखा । अपने जीवनकाल में भारत में छाए हुए अंधकार को उन्होंने प्रकाश में बदल दिया।
प्राणी मात्र में परमात्मा के दर्शन के सिद्धांत का पालन कर उन्होंने भारत की अखंडता बनाए रखने में अद्वितीय भूमिका का निर्वहन किया । काश्मीर में सर्वज्ञ पीठारोहण करके अपनी अलौकिकता का परिचय दिया।
*हिंदूधर्मोद्धारक* आद्य शंकर के
अवतरण दिवस पर हम सभी का
कोटिश: नमन
दंडी स्वामी श्री सदानंद सरस्वती
श्री शंकराचार्य मठ शारदापीठ द्वारका गुजरात।
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एक घड़ी की संगत का फल
#पद्मपुराण में एक कथा है-
एक बार एक #शिकारी शिकार करने गया,शिकार नहीं मिला, थकान हुई और एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया। पवन का वेग अधिक था, तो वृक्ष की छाया कभी कम-ज्यादा हो रही थी, डालियों के यहाँ-वहाँ हिलने के कारण।*
*वहीं से एक अतिसुन्दर हंस उड़कर जा रहा था, उस हंस ने देखा की वह व्यक्ति बेचारा परेशान हो रहा हैं, धूप उसके मुँह पर आ रही हैं तो ठीक से सो नहीं पा रहा हैं, तो वह हंस पेड़ की डाली पर अपने पंख खोल कर बैठ गया ताकि उसकी छाँव में वह शिकारी आराम से सोयें। जब वह सो रहा था तभी एक कौआ आकर उसी डाली पर बैठा, इधर-उधर देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर अपना मल विसर्जन कर वहाँ से उड़ गया। तभी शिकारी उठ गया और गुस्से से यहाँ-वहाँ देखने लगा और उसकी नज़र हंस पर पड़ी और उसने तुरंत धनुष बाण निकाला और उस हंस को मार दिया। हंस नीचे गिरा और मरते-मरते हंस ने कहा:- मैं तो आपकी सेवा कर रहा था, मैं तो आपको छाँव दे रहा था, आपने मुझे ही मार दिया? इसमें मेरा क्या दोष? उस समय उस पद्मपुराण के शिकारी ने कहा: यद्यपि आपका जन्म उच्च परिवार में हुआ, आपकी सोच आपके तन की तरह ही सुंदर हैं,आपके संस्कार शुद्ध हैं, यहाँ तक की आप अच्छे इरादे से मेरे लिए पेड़ की डाली पर बैठ मेरी सेवा कर रहे थे, लेकिन आपसे एक गलती हो गयी, की जब आपके पास कौआ आकर बैठा तो आपको उसी समय उड़ जाना चाहिए था। उस दुष्ट कौए के साथ एक घड़ी की संगत ने ही आपको मृत्यु के द्वार पर पहुंचाया हैं।
#शिक्षा: संसार में संगति का सदैव ध्यान रखना चाहिये। जो परमहंस हैं उन्हें कौओं की सभा से दूरी बनायें रखना चाहिये।
कि मनुष्य जन्म पाकर सच्चे संत की संगत करनी चाहिए और भगवान के गुण गाने चाहिए।🙏🙏
🙏🙆🌼🌴🌺🌼🌺🌴🙆🙆
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भगवत गीता के सभी अध्याय १ से १८ तक का वीडियो हिंदी में भगवत गीता ज्ञान, गीता श्लोक, गीता सार
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Radha Vallabh Ghera
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फोगला आश्रम के पीछे निंबार्क बाग रोहतक वाली धर्मशाला के पास
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रामलीला, रासलीला , भागवत कथा, श्रीरामक?
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hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare hare rama hare rama rama rama hare hare
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Hare krishna🙏 Radhe radhe🙏 vrindavan ki kisi bhi jaankari ke liye 8868911371