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Adhyatm Yog & Ayurveda
Hindu Nav Varsh 2081: आप सभी को हिन्दू नववर्ष की शुभ कामनाएँ
हिंदू नववर्ष यानी नवसंवत्सर पिङ्गल नाम विक्रम संवत् 2081, शक 1946 का शुभारंभ आज 9 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हुई है. इसके साथ ही सौर सृष्टि की सत्ता में परिवर्तन भी हुआ है, जिसके अनुसार, इस हिंदू ननवर्ष के राजा मंगल और मंत्री शनि हैं.
अध्यात्म योग और आयुर्वेद :-
योग आसन शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। शरीर और मन को शांत करने के लिए यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का एक संतुलन बनाता है। योग तनाव और चिंता का प्रबंधन करने में भी सहायक है। योग आसन शक्ति, शरीर में लचीलेपन और आत्मविश्वास विकसित करने के लिए जाना जाता है।
योग के फायदे:
1- मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार लाता है
2- शरीर के आसन और एलाइनमेंट को ठीक करता है
3- बेहतर पाचन तंत्र प्रदान करता है
4- आंतरिक अंग मजबूत करता है
5- अस्थमा का इलाज करता है
6- मधुमेह का इलाज करता है
7- दिल संबंधी समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है
8- त्वचा के चमकने में मदद करता है
9- शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ावा देता है
10- एकाग्रता में सुधार करता है
11- मन और विचार नियंत्रण में मदद करता है
12- चिंता, तनाव और अवसाद पर काबू पाने के लिए मन शांत रखता है
13- तनाव कम करने में मदद करता है
14- रक्त परिसंचरण और मांसपेशियों के विश्राम में मदद करता है
15- वजन घटाना है
16- चोट से संरक्षण करता है
Address: lokhandwala Andheri West Mumbai. Email: [email protected]
Contact: 8433164551.
अध्यात्म योग और आयुर्वेद :-
योग आसन शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। शरीर और मन को शांत करने के लिए यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का एक संतुलन बनाता है। योग तनाव और चिंता का प्रबंधन करने में भी सहायक है। योग आसन शक्ति, शरीर में लचीलेपन और आत्मविश्वास विकसित करने के लिए जाना जाता है।
योग के फायदे:
1- मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार लाता है
2- शरीर के आसन और एलाइनमेंट को ठीक करता है
3- बेहतर पाचन तंत्र प्रदान करता है
4- आंतरिक अंग मजबूत करता है
5- अस्थमा का इलाज करता है
6- मधुमेह का इलाज करता है
7- दिल संबंधी समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है
8- त्वचा के चमकने में मदद करता है
9- शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ावा देता है
10- एकाग्रता में सुधार करता है
11- मन और विचार नियंत्रण में मदद करता है
12- चिंता, तनाव और अवसाद पर काबू पाने के लिए मन शांत रखता है
13- तनाव कम करने में मदद करता है
14- रक्त परिसंचरण और मांसपेशियों के विश्राम में मदद करता है
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🪷ADHYATM YOGA &AYURVEDA 🪷
Join our dynamic team of yoga! We're excited to announce internship opportunities for passionate individuals looking to deepen their knowledge and contribute to the wellness community.
Key Details:
Duration: 60 Days
Location: lokhandwala Andheri West Mumbai.
Requirements: Basic knowledge of Yoga, acupressure, and physiotherapy, enthusiasm to learn, and excellent communication skills.
Internship Benefits:
Hands-on experience in leading yoga sessions.
Mentorship from experienced yoga instructors.
Networking opportunities within the wellness industry.
How to Apply:
Send your resume and a brief cover letter to [email protected] by 15th of Feb 2024
Or what's app on:
+91 8433164551
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🧘♂️Hari Om 🧘♀️
अष्टांग योग सबसे लोकप्रिय योग शैलियों में से एक है। यह आपके शरीर का फैट तेजी से बर्न करने और दिमागी संतुलन बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है। इसके अभ्यास से आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते हैं और शरीर में स्ट्रेंथ भी बनी रहती है। यह आपके मन को सकारात्मक विचारों से भर देता है। अष्टांग योग आपको अंदर से उत्साह और संपूर्ण शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। यह मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक संतुलन के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। यह शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत करता है और शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है। यह आपके ध्यान और एकाग्रता में सुधार करता है और माइंडफुलनेस को बढ़ावा देता है। इसके नियमित अभ्यास से आप अपने दैनिक और कई तरह के तनाव से दूर रह सकते हैं। इससे मांसपेशियों और जोड़ों में भी मजबूती आती है। दरअसल जब आप शारीरिक और मानिसक रूप से फिट अनुभव करते हैं, तो दिमाग भी आपका शांत रहता है।
Address:- Mumbai Andheri West lokhandwala.
[email protected]
Contact:- 8433164551.
Jai Shri Ram
Plz es film ko sabhi dost jarur apne najdiki sinema gharo me jakar dekhe es film ki story bahut hi achhi or parivarik hai .
Plz ye film jarur dekhe .
आपकी शारीरिक स्थिरता बन सकती है गंभीर स्वास्थ जोखिमों का कारण, यहां है नियमित रूप से एक्सरसाइज करने के 6 फायदे.
आजकल लोग शारीरिक रूप से काफी ज्यादा असक्रिय होते जा रहे हैं। 9 से 5 की डेस्क जॉब उसके बाद मोबाइल की दुनिया लोगों को शारीरिक रूप से पूरी तरह स्थिर करती जा रही है। वहीं लोगों ने इसी को अपना कंफर्ट जोन बना लिया है। इस वजह से मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, थायराइड, इत्यादि जैसी कई गंभीर समस्याएं लोगों को अपना शिकार बना रही हैं। वहीं कई गंभीर बीमारियां जैसे कि दिल से जुड़ी समस्या भी कम उम्र में ही लोगों को प्रभावित कर रही है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार शारीरिक रूप से स्थिर रहने को प्राथमिकता देने वालों की उम्र शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाले लोगों की तुलना में काफी कम होती है। वहीं यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी ज्यादा प्रभाव डालता है। ऐसे में एक उचित समय के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप एक्सरसाइज, योग, मन पसंदीदा खेल में भाग लेना, इत्यादि जैसी गतिविधियों को अपने जीवन शैली में शामिल कर सकती हैं।
तो आज हम ऐसी ही 6 फायदों पर बात करेंगे कि कैसे नियमित रूप से एक्सरसाइज करना एक स्वस्थ जीवन शैली के लिए जरूरी है, तो चलिए जानते हैं इस बारे में थोड़ा विस्तार से।
1. वजन को संतुलित रखे
नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से आपका वजन संतुलित रहता है। शारीरिक सक्रियता कैलरी बर्न करने में मदद करती है। जिस वजह से एक्स्ट्रा फैट जमा नहीं होता। यदि आप लंबे समय तक एक्सरसाइज नहीं कर सकती तो कम से कम दिन का एक छोटा हिस्सा इसे जरूर दें। इसके लिए लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, नियमित रूप से खुले वातावरण में कुछ देर टहलने की आदत भी फायदेमंद होती है। वहीं घर के कामकाज से खुद को सक्रिय रखने की कोशिश करें।
2. एनर्जी बूस्ट करने में मदद करे
यदि आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करती हैं और खुद को सक्रिय रखती हैं तो आपको अधिक भूख लगती है। ऐसे में खुद को कुछ हेल्दी दें जो आपके एनर्जी को बूस्ट करने में आपकी मदद करे। वहीं शारीरिक सक्रियता मांसपेशियों को मजबूत बनाती है, इसके साथ ही एक्सरसाइज ऑक्सीजन और जरूरी न्यूट्रिशन को टिशू तक पहुंचाता है। और यह शरीर के फंक्शंस को सही तरीके से काम करने में मदद करता है। जब आपका शरीर सही से काम करता है, तो ऐसे में आप ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा शक्ति का अनुभव करती हैं।
3. कई गंभीर बीमारियों की संभावना को कम करे
नियमित रूप से एक्साइज करने की आदत हाई ब्लड प्रेशर, दिल से जुड़ी समस्या, कोलेस्ट्रॉल लेवल से लेकर कई अन्य गंभीर बीमारियों को नियंत्रित रखने में मदद करती है। एक्सरसाइज शरीर में हाई डेंसिटी लिपॉप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (गुड कोलेस्ट्रॉल) को बूस्ट करती हैं और अनहेल्दी ट्राइग्लिसराइड (बैड कोलेस्ट्रॉल) को कम करती हैं। ऐसे में दिल से जुड़ी बीमारियों की संभावना कम हो जाती है। इसी के साथ एक्सरसाइज इन्फ्लेमेशन को भी कंट्रोल करता है। जिस वजह से शरीर और दिमाग दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। वहीं शारीरिक सक्रियता इंसुलिन रिस्पांस को बढ़ा देती है और ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखने में मदद करती है। तो ऐसे में डायबिटीज को कंट्रोल करना आसान हो जाता है।
4. मेंटल हेल्थ को संतुलित रखे
यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों में भाग लेता हैं तो आम लोगों की तुलना में उस व्यक्ति का दिमाग स्ट्रेस फ्री रहता है। इसके साथ ही एक्सरसाइज एकाग्रता को बढ़ा देती है। इसलिए अक्सर छोटे बच्चे को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने की सलाह दी जाती है। वहीं यह आपके मूड को भी बूस्ट करने में मदद करता है जिस वजह से डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसी समस्याएं होने की संभावना बहुत कम होती है।
एक्सरसाइज से अधिक मात्रा में सेरोटोनिन हॉर्मोन्स रिलीज होती है। यह ब्रेन तक जाकर मूड लिफ्ट करने में मदद करती है। छोटी-छोटी शारीरिक गतिविधियों में भाग ने से आप अंदर से संतुष्ट रहती हैं और यह आपको शांत रहने में मदद करता है।
5. नींद की गुणवत्ता को बढ़ाए
नियमित रूप से एक्सरसाइज करने की आदत आपकी नींद की गुणवत्ता को भी बढ़ाती है। यदि आप इनसोम्निया से पीड़ित हैं और आपको नींद आने में परेशानी होती है तो शारीरिक सक्रियता इसमे आपकी मदद कर सकती है। यह आपके कार्डियक रिदम को रेगुलेट करती है और बॉडी टेंपरेचर को संतुलित रखती है। जिस वजह से आपको समय पर नींद आती है और आप पर्याप्त नींद प्राप्त करती हैं।
6. स्किन हेल्थ को बनाए रखे
एक्सरसाइज करने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से आपका ब्लड फ्लो इंप्रूव होता है। ऐसे में त्वचा तक पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स पहुंच पाता हैं और यह त्वचा की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। वहीं एक्सरसाइज के दौरान पर्याप्त मात्रा में पसीना बहता जो शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालने का एक प्रभावी तरीका है। इसके साथ ही शारीरिक सक्रियता एंटीऑक्सीडेंट के प्रोडक्शन को बढ़ा देती हैं। और एंटीऑक्सीडेंट डैमेज स्किन सेल्स को रिपेयर करने में मदद करता है।
योग का अर्थ
अधिकतर विद्वानों ने आध्यात्मिक क्षेत्र में योग शब्द का अर्थ प्रथम ‘‘धातु’’ युज समाधौ से ही निष्पन्न हुआ माना है । महर्षि व्यास भी योग शब्द का अर्थ करते हुए कहा है कि समाधि को ही योग कहते है । ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के युजिर् धातु से हुई है, जिसका अर्थ है-’सम्मिलित होना’ या ‘एक होना’। इस एकीकरण का अर्थ जीवात्मा तथा परमात्मा का एकीकरण अथवा मनुष्य के व्यक्तित्व के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक पक्षों के एकीकरण से लिया जा सकता है।
‘योग’ शब्द ‘युज’ धातु से बना है। संस्कृत व्याकरण में दो युज् धातुओं का उल्लेख है, जिनमें एक का अर्थ जोड़ना तथा दूसरे का मन: समाधि, अर्थात् मन की स्थिरता है। अर्थात् सामान्य रीति से योग का अर्थ सम्बन्ध करना तथा मानसिक स्थिरता करना है। इस प्रकार लक्ष्य तथा साधन के रूप में दोनों ही योग हैं। शब्द का उपयोग भारतीय योग दर्शन में दोनों अर्थों में हुआ है।
योग शब्द का अर्थ भिन्न-भिन्न प्रकार से लिया गया है। ‘पाणिनीयों धतु पाठ’ में योग का अर्थ- समाधि, संयोग एवं संयमन है।
‘अमर कोश’ में इसका अर्थ- कवच, साम-दाम आदि उपाय, ध्यान, संगति, युक्ति है।
‘संस्कृत-हिन्दी कोश’ में इसका अर्थ- जोड़ना, मिलाना, मिलाप, संगम, मिश्रण, संपर्क, स्पर्श, संबंध है।
‘आकाशवाणी शब्द कोश’ में इसका अर्थ- जुआ, गुलामी, बोझ, दबाव, बन्धन, जोड़ना, नत्थी करना, बाँध देना, जकड़ देना, जोतना, जुआ डालना, गुलाम बनाना लिया गया है।
‘मानक अंग्रेजी-हिन्दी कोश’ में योग का अर्थ- चिन्तन, आसन, बतलाया गया है। ‘शब्द कल्पद्रुम’ में योग का अर्थ- उपाय, ध्यान, संगति, है। ‘ए प्रक्टिकल वैदिक डिक्सनरी’ में योग शब्द का अर्थ- जोड़ना है। ‘उर्दू-हिन्दी शब्द कोश’ में योग शब्द का अर्थ- बैल की गर्दन पर रखा जाने वाला जुआ बतलाया गया है।
‘योग’ शब्द का सम्बन्ध ‘युग’ शब्द से भी है जिसका अर्थ ‘जोतना’ होता है, और जो अनेक स्थानों पर इसी अर्थ में वैदिक साहित्य में प्रयुक्त है। ‘युग’ शब्द प्राचीन आर्य-शब्दों का प्रतिनिधित्व करता है।
यह जर्मन के जोक, (Jock) ऐंग्लो-सैक्सन (Anglo-Saxon) के गेओक (Geoc), इउक (Iuc), इओक (Ioc), लैटिन के इउगम (Iugum) तथा ग्रीक जुगोन (Zugon) की समकक्षता या समानार्थकता में देखा जा सकता है। गणितशास्त्र में दो या अधिक संख्याओं के जोड़ को योग कहा जाता है।
पाणिनी ने ‘योग’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘युजिर् योगे’ ,’युज समाधो’ तथा ‘युज् संयमने’ इन तीन धातुओं से मानी है। प्रथम व्युत्पत्ति के अनुसार ‘योग’ शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग किया गया है।,
जैसे - जोड़ना, मिलाना, मेल आदि। इसी आधार पर जीवात्मा और परमात्मा का मिलन योग कहलाता है। इसी संयोग की अवस्था को “समाधि” की संज्ञा दी जाती है जो कि जीवात्मा और परमात्मा की समता होती है।
महर्षि पतंजलि ने योग शब्द को समाधि के अर्थ में प्रयुक्त किया है। व्यास जी ने ‘योग: समाधि:’ कहकर योग शब्द का अर्थ समाधि ही किया
मैं अमित योगी आप सभी को सुचित कर रहा हूँ कि मैं 22 जून से ऑनलाइन योगा सत्र प्रारम्भ कर रहा हूँ और मै आप सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ कि आप सभी योग प्रारंभ करे और अपने सभी मित्रों एवं परिवार वालो को भी योग के लिए प्रेरित करे । ओर एक नए योगिक जीवन 🧘♀️ की ओर अच्छे से शुरूआत करे ।ओर जाने योगा के बारे में बीमारियों के बारे में ओर उनको जल्दी से जल्दी कैसे ठीक कर सकते है ।
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पता- अमित कुमार योगी
मुंबई अँधेरी वेस्ट लोखंडवाला फ़ोन 📞 न० 8433164551,
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My name is Amit Kumar Yogi (Yoga Guru) and I am an experienced yoga teacher and have been teaching yoga for the past 12 years. I also have 3 years of experience in Panchakarma, Ayurveda.
I have been teaching yoga to my clients in various parts of Suburban Mumbai. Since 2016, I have been providing Yoga sessions in Celebration Sports Club, Andheri West. I also conduct my yoga sessions in Lokhandwala, Goregaon, Versova, Juhu, Andheri, Santacruz, & Bandra.
I am a certified Yogi from Uttarakhand Sanskrit Vishwavidyalaya Haridwar and Yog Bharti Institute of Ayurveda Studies in Yogic Science, Munger, Bihar. I have been doing yoga for the past 12 years and I expertise in treating all the physical and mental problems very effectively from Yogic and Vedic point of view.
Yoga teaches you how to listen to your body.
For understanding and making your body healthy and ailment free we provide yoga Sessions to our clients.
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You can learn and practice yoga, asanas that will help you feel calm, empowered,
Address: Lokhandwala Andheri West Mumbai.
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contact for Personal, groups and corporate yoga classes: 8433164551,9997549574.
* योग *: योग एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है जो प्रकृति में बहुत जटिल है। इसलिए यह कुछ विशेषज्ञ मार्गदर्शन के तहत इस कला के रूप में जानने का सुझाव दिया गया है। योग का आकार केवल आपके मन और शरीर को आकार में प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन यह आपके आध्यात्मिक उत्थान के लिए एक उपकरण भी है।
* अध्यात्म योग * :- योगिक भाषा में अध्यात्म का अर्थ है कि आपका उच्च आत्मर्वत जो कि ब्रह्मांडीय शक्ति के साथ मिला है और परम शुख शांति ओर स्वस्थ स्वास्थ्य या शरीर को प्राप्त करने में सहायता तो करता ही है साथ में एक नयी ऊर्जा के हमारे जीवन की शुरुआत करता है। अध्यात्म योग आपको अपने उच्च स्वरूप तक पहुंचने और ब्रह्मांड के सकारात्मक कंपन के साथ भरने के लिए, एक ऊँची छलांग भरने में मदद करता है। अध्यात्म योग न केवल आपके शरीर को विभिन्न रोगों से बचाता है बल्कि आपके मन और आत्मा में सकारात्मक ऊर्जा भी पैदा करता है। अपने आप में ये अध्यात्म योग की एक खूबियाँ है, यह आपके शरीर को और अपने आप को आयुर्वेद की दवाओं और पारंपरिक भारतीय संस्कृति की मदद से शुरू होता है, आपके शरीर के प्रकार, जीवन शैली, काम के भार, दैनिक दिनचर्या को लोड करता है, आपकी मानसिक ताकत और कमजोरियों और आंतरिक सफाई करना शुरू करता है।
* नोट *: - अपने आप को कभी भी शारीरिक और मानसिक बीमारियों से निराश न करें और शांतिपूर्ण जीवन का नेतृत्व करें।
किसी भी बीमारी की ओर उस बीमारी को ख़त्म करने के लिए दिए गए नंबरों पर संपर्क में रहें - 8433164551, 9997549574.
हमारी ओर * अध्यात्म योग और आयुर्वेद * की ओर से आपके स्वास्थ्य की कामना करते है हरी ओम्
🧘🏻♂️🌱🍂अध्यात्म योग ओर आयुर्वेद 🍂🌱🧘🏻
योग भारतीय दर्शन में निहित एक प्राचीन और जटिल अभ्यास है। यह एक आध्यात्मिक अभ्यास के रूप में शुरू हुआ लेकिन शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने के एक तरीके के रूप में लोकप्रिय हो गया है।
हालांकि शास्त्रीय योग में अन्य तत्व भी शामिल हैं, अभ्यास के रूप में योग आमतौर पर शारीरिक आसन (आसन), श्वास तकनीक (प्राणायाम), और ध्यान (ध्यान) पर जोर देता है।
हम अध्यात्म योग और आयुर्वेद में, एक ऐसा संस्थान है जहाँ हम अध्यात्म योग पर ध्यान केंद्रित करते हैं। अध्यात्म योग अर्थात सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करने वाला योग।
अध्यात्म योग हमें स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाता है। और खुद को और अपने शरीर को जानकर हम छोटी से लेकर बहुत गंभीर प्रकृति की किसी भी बीमारी से लड़ सकते हैं और उसे ठीक कर सकते हैं। यह शरीर को लचीला बनाता है और आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है।
अध्यात्म योग योगासन, प्राणायाम, षट्कर्म, पंचकर्म, एक्यूप्रेशर और ध्यान की तर्ज पर रोगों को जड़ से खत्म करने का काम करता है। यह शरीर को पहले की तरह स्वस्थ, सुंदर और रोगमुक्त बनाता है।
अध्यात्म योग आपके शरीर के सभी छोटे और बड़े मुद्दों को ध्यान में रखते हुए उम्र के अनुसार योगिक तरीके से शरीर का इलाज करता है,
अध्यात्म योग यौगिक षट्कर्म क्रिया और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का उपयोग करके शरीर को आंतरिक रूप से शुद्ध करता है। यह शरीर को भीतर से शुद्ध करता है। उसके बाद शरीर के समुचित उपचार के लिए योग, आसन, प्राणायाम, ध्यान और विशेष आहार का उपयोग किया जाता है।
योग आपको सिखाता है कि आप अपने शरीर को कैसे सुनें।
आपके शरीर को स्वस्थ और रोग मुक्त समझने और बनाने के लिए हम अपने ग्राहकों को योग सत्र प्रदान करते हैं।
हमारे पास सभी विभिन्न स्तरों और आयु वर्ग के लिए योग
सत्र हैं।
आप योग सीख सकते हैं और उनका अभ्यास कर सकते हैं जो आपको शांत, सशक्त, केंद्रित, सकारात्मक और जड़ महसूस करने में मदद करेंगे।
Note : किसी भी प्रकार की शारीरिक मानसिक बीमारियों के आने व शरीर से बाहर करने की क्रिया ओर उसके समाधान को विस्तार से जानने ओर हमारे साथ जुड़ने के लिए हमारे दिए गए मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क करे ।
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करो योग रहो निरोग
आओ हम सब मिलकर योग ओर आयुर्वेद को आगे बढ़ाए ओर अपने समाज को रोग मुक्त बनाए 🙏🏻🧘🏻🧘🏻♂️🍃🍂
🍂🌿Adhyatm Yog & Ayurved 🌿🍂
Amit Yogi
Con- 8433164551
Hari Om Tat Sat
*.."अपने घुटने कभी मत बदलिये"...*
50 साल के बाद धीरे धीरे शरीर के जोडो़ मे से लुब्रीकेन्टस एवं कैल्शियम बनना कम हो जाता है जिसके कारण जोड़ो का दर्द, गैप, कैल्शियम की कमी, वगैरह प्रोब्लेम्स सामने आती है, जिसके चलते आधुनिक चिकित्सा आपको जोइन्ट रिप्लेस करने की सलाह देते है..!
किंतु क्या आपको पता है जो चीज कुदरत ने हमे दी है वो आधुनिक विज्ञान नही बना सकता आप कृत्रिम जोइन्ट फिट करवा कर थोडे समय २-४ साल तक तो ठीक हो सकते है..!
लेकिन बाद मे आपको बहुत ही तकलीफ होगी, जोइन्ट रिप्लेसमेंट का सटीक इलाज आज मैं आपको बता रहा हूँ वो आप नोट कर लीजिये, आैर हाँ ऐसे हजारो जरुरत मंद लोगों तक पहुंचाए जो रिप्लेसमेंट के लाखों रुपये खचॅ करने मे असमर्थ है..!
*बबूल* (देशी कीकर) नामके वृक्ष को आपने जरुर देखा होगा यह भारत में हर जगह बिना लगाये ही अपने आप ऊग जाता है । अगर यह बबूल नाम का वृक्ष अमेरिका या विदेशों में इतनी मात्रा मे होता तो आज वही लोग इसकी दवाई बनाकर हमसे हजारो रुपये लुटते लेकिन भारत के लोगों को जो चीज़ मुफ्त में मिलती है उसकी कोई कदर नही है..!
*प्रयोग इस प्रकार करना है----*
*बबूल* के पेड़ पर जो *फली* लगती है उसको तोड़कर लाएँ उसको सुखाकर पाउडर बनालें..!
आैर *सुबह १ चम्मच* की मात्रा में गुनगुने पानी से खाने के बाद केवल 2-3 महीने सेवन करने से आपके घुटने का दर्द बिल्कुल ठीक हो जायेगा.आपको घुटने बदलने की जरुरत नहीं पड़ेगी..!
इस मैसेज को हर एक भारतीय एवं हर एक घुटने के दर्द से पीड़ित व्यक्ति तक पहुँचाए..!!
How to do Sukhasana (सुखासनकैसे करे)/Benefits of Easy pose(सुखासन करने के फ़ायदे)
सुखासन का अर्थ क्या है-
what is Sukhasana
सुखासन एक संस्कृत शब्द है जिसमें सुख का अर्थ है ‘आनंद’, और आसन का अर्थ है ‘योग मुद्रा’। सुखासन एक ऐसी योग अभ्यास है जिसका मुख्य उद्देश्य एकाग्रता, स्थिरता, और मन की शांति प्रदान करना है। यह ध्यान और समाधि के अभ्यास के लिए मन को स्थिर बनाने में सहायक है और शरीर को एक आरामदायक और स्थिर स्थिति प्रदान करने के लिए उम्दा रोल निभाता है।
सुखासन बहुत हद तक सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन और स्वस्तिकासन से मिलती जुलती है।
अगर देखा जाए तो ध्यान के लिए यह सबसे आसान योग मुद्रा है जिसको किसी भी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। विशेष रूप से वृद्धावस्था के लिए उपयुक्त है। चूँकि इस योग के अभ्यास से साधक को आराम मिलती है इसलिए इसे आराम मुद्रा, सुखद मुद्रा या सभ्य मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ पर हम सुखासन के आसान विधि, फायदे और सावधानी के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सुखासन योग विधि, लाभ और सावधानी
Sukhasana
सुखासन की उत्पत्ति-
Origin of Sukhasana
हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म प्राय: क्रॉस लेग हाथ योग मुद्रा का व्यापक रूप से ध्यान में उपयोग किया जाता है। सुखासन एक संस्कृत शब्द है जिसमें सुख का संकेत है आराम और आसन का अर्थ है योग मुद्रा। इस आसान का उल्लेख कई महत्वपूर्ण योग ग्रंथों (ग्रन्थ) में किया गया है। इसका उल्लेख १ ९वीं शताब्दी की पुस्तक श्रीतत्त्वनिधि और ४ वीं शताब्दी के दर्शन उपनिषद में किया गया है। रमण महर्षि के अनुसार, यह आत्मज्ञान के लिए सबसे उपयुक्त योग मुद्रा है।
सुखासन करने की विधि-
How to do Sukhasana
सुखासन एक आसान योग अभ्यास जिसके तकनीक और निर्देश नीचे दिए गए हैं।
शरीर के सामने पैरों को आगे फैला कर बैठे।
बाएं पैर को दाहिनी जांघ के नीचे मोड़ो।
फिर दाएं पैर को बाईं जांघ के नीचे रखें।
एक आरामदायक स्थिति में अपने सिर, गर्दन और रीढ़ को सीधा रखें।
अपने हाथों को या तो अपने घुटनों पर या अपनी गोद में रखें। अपनी आँखें बंद करें। अपने पूरे शरीर को आराम दें।
सुखासन की सावधानियां-Sukhasana contraindications
घुटने की चोट के मामले में इसका अभ्यास नहीं किया जाना चाहिए।
अगर किसी को साइटिका हो तो इसका अभ्यास न करें कटिस्नायुशूल के मामले में बचें।
सेक्रल बीमारियों में भी इसका अभ्यास नहीं किया जाना चाहिए।
स्लिप्ड डिस्क वाले लोग इसके अभ्यास से बचना चाहिए
सुखासन के लाभ-
Benefits of Sukhasana
वैसे सुखासन के बहुत सारे लाभ है। यहाँ पर कुछ मुख्य फायदे के बारे में बताया जा रहा है।
यह सबसे आसान और सबसे अच्छा ध्यान योगों में से एक है।
ध्यान मुद्रा होने से यह शरीर और दिमाग के बीच संतुलन लाने में मदद करता है। यह शरीर में हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करता है, भावनात्मक संघर्ष, न्यूरोसिस और तनाव को कम करता है।
इस योग मुद्रा का अभ्यास मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है।
इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान, रीढ़ सीधी होती है जिससे रीढ़ और पीठ मजबूत बनता है ।
यह एड़ियों और घुटनों को पर्याप्त खिंचाव देता है, इस प्रकार ये शरीर के क्षेत्रों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र के बीच संतुलन बनाता है।
इसके नियमित अभ्यास से आपकी पीठ मजबूत होती है।
इसका मस्तिष्क पर बहुत सुखदायक प्रभाव होता है और यह माइग्रेन, मिर्गी, और अवसाद जैसी बीमारियों को दूर करने में मदद करता है।
सुखासन के नुकसान-Disadvantage of Sukhasana
हालांकि सुखासन योग मुद्रा कई शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के लिए जान जाता है। हालाँकि, इसके कई खामिया भी है। इस योगाभ्यास में शरीर का अधिकांश वजन फर्श और नितंबों के बीच संपर्क के छोटे क्षेत्र द्वारा समर्थित किया जाता है। जिसके कारण इस जगह पर थोड़ा दर्द होना शुरू हो जाता है। हालांकि, नितंबों के नीचे कुशन का उपयोग करके इसे कुछ हद तक दूर किया जा सकता है।
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अजपाजप का अभ्यास एक अदभुत एवम सरल ध्यान साधना है। इस साधना से आपकी सजगता बड़ती है। और मन बाहिय मुखी से अन्त मुखी बनता है। ओर अंदर चलने वाली सवेदनाओ के प्रति जागरूक करता है और स्वम की पहचान करता है यह आपके मन एवम् शरीर को स्थिर कर शांति प्रदान करता है और इस अभ्यास का मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है ।
अजपा जप की प्रारंभिक विधियों में अभ्यार्थी को प्राण प्रवाह का अनुभव नाभी और कंठ के बीच स्थित अग्र भागीय अतिनिद्रीय पथ में होना चाहिए। उसे स्वास लेने की क्रिया में नाभी से कंठ तक प्राण का अवरोहण अनुभव करना चाहिए।
शुरू में अभ्याथी को कल्पना का सहारा लेना पड़ेगा। एक तरीका यह है कि नाभी और कंठ के बीच के मार्ग को एक शीशे की नली माने। ऐसा सोचे की जिस प्रकार नली मे ऊपर से पानी डालने पर नीचे से पानी का स्तर ऊपर उठने लगता है उसी प्रकार स्वास लेते समय स्वास नाभी से ऊपर की ओर आने लगती हैं। यह कल्पना करे कि स्वास लेते समय स्वास नाभी से उठ कर कंठ की ओर जा रही हैं ओर प्रस्वास में कंठ में नाभी मे उतर रही हैं।
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मासिक धर्म की गड़बड़ी के लिए योग अभ्यास
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