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Rampur Raza Library 250th Anniversary
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विश्व को सत्य-अहिंसा एवं शांति के मार्ग पर चलने के लिए अनुकरणीय प्रेरणा प्रणेता राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटिश: नमन।
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United Nations ने 24 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में अंगीकृत किया। उद्देश्य-वैश्विक शांति और विकास में शिक्षा के महत्व पर ज़ोर देना।
छोटी-बड़ी कोशिशें हम भी कर सकते हैं। यदि आप सक्षम हैं,किसी बच्चे की शिक्षा की जिम्मेदारी लीजिए।
शिक्षा मूलभूत अधिकार है..
अपना रामपुर ज़िन्दाबाद।
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Raza Library Saga.....
PMO India
Chief Minister Office Uttar Pradesh
Ministry of Culture, Government of India
हमारा प्यारा रामपुर । जानिये यहां स्थित एशिया की एक बड़ी लायब्ररी के बारे में।
सादर
अज़ीम इक़बाल खां
एडवोकेट
रामपुर रजा लाइब्रेरी : इतिहास और विकास
रामपुर रजा लाइब्रेरी भारत की उन अनेको लाइब्रेरियों में से एक है, जो कई शताब्दियों पुरानी हैं। यहाँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर एवं शिक्षा का वह अनमोल खजाना है, जिससे हजारों व्यक्ति प्रतिवर्ष लाभान्वित होते हैं। इसकी बुनियाद 1774 ईसवी में रामपुर रियासत के प्रथम शासक नवाब फैजुल्ला खाँ ने रखवायी थी। वर्तमान समय में लाइब्रेरी में संग्रहित दुर्लभ पाण्डुलिपियों, ऐतिहासिक दस्तावेज, कैलीग्राफी के नमूने, पेन्टिंग, लघुचित्र एवम् अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकों का संग्रह हैं, उसका कुछ भाग रामपुर के नवाब द्वारा ही उपलब्ध कराया गया है।
चूँकि रामपुर के नवाब कला, संस्कृति एवं शिक्षा के पुरजोर समर्थक थे अतएव इनके विकास हेतु उन्होनें सभी सम्भव प्रयास किये। इसी कम को आगे बढ़ाने हेतु उन्होने कलाकारों, कवियों, खत्तातों को संरक्षण दिया और उनकी हर सम्भव सहायता की।
नवाब अहमद अली खाँ ने 1794-1840 तक रामपुर 'की रियासत पर शासन किया। उनके शासन काल में कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में रामपुर की उल्लेखनीय उन्नति हुई। इसी क्रम में नवाब अहमद अली खां के सुपुत्र नवाब मौ0 सईद खाँ (1840-1855) ने लाइब्रेरी के संग्रह के लिए एक विशेष प्रकार का भवन निर्मित कराया। इस कार्य के लिए उन्होंने एक अफगान प्रशिक्षु आगा युसूफ अली महवी को नियुक्त किया। जिन्होने इस कार्य में सहयोग देने के लिए प्रसिद्ध खत्तातों एवं कलाकारों को भारत के विभिन्न भागों से आमन्त्रित किया।
इन्होंने फारसी लिपि में एक मोहर बनवायी जो इस प्रकार है:- "हस्तई मोहर बर कुतुब खाना : वालिये रामपुर फरजाना ।"
1268 हिजरी (1851-52 ई०) 01 अप्रैल 1855 में नवाब युसूफ अली खाँ ने उत्तराधिकारी की बागडोर संभाली। वह स्वयं उर्दू कविताओं को लिखने के शौकीन थे। वे उर्दू के मशहूर शायर मिर्जा गालिब के शागिर्द थे। उनके पास उर्दू कविताओं का एक विशाल संग्रह था। चूँकि उन्होंने अंग्रेजों को सुरक्षा प्रदान की थी इसलिए उनकी रियासत बरकरार रही।
1857 में भारत की आज़ादी के लिए होने वाले स्वतन्त्रता संग्राम के पश्चात् बड़ी संख्या में लेखक, शोधकर्ता एवं कवि रामपुर की रियासत में प्रविष्ट हुए और अन्ततः यहीं के स्थायी निवासी बन गए।
नवाब युसूफ अली के पुत्र नवाब कल्बे अली खाँ को दुर्लभ पाण्डुलिपियों, पेन्टिंग्स एवं इस्लामिक कैलीग्राफी के नमूनों को संग्रह करने में गहन रूचि थी। उन्होंने बहुत से लोगों को बहुमूल्य पुस्तको एवं पाण्डुलिपियों को खरीदने के लिए नियुक्त किया। 25 दिसम्बर 1872 में वे स्वयं भी 400 रिश्तेदारों एवं आलिमों के साथ हज यात्रा के लिये गये। और अपने साथ बड़ी संख्या में पाण्डुलिपियों एवं पुस्तकों का संग्रह लेकर आए, जिससे लाइब्रेरी के संग्रह में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई।
इसके पश्चात् 1887-89 तक नवाब मुश्ताक अली खाँ रामपुर की गद्दी पर बैठे। इनके लगातार बीमार रहने के कारण जनरल अजीमुद्दीन खाँ ने 1887 ई0 में इस रियासत के महाप्रबन्धक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने लाइब्रेरी के विकास हेतु एक प्रबन्ध समिति का गठन किया और इसके लिये होने वाले समस्त व्यय को राज्य के बजट में सम्मिलित किया।
लाइब्रेरी के संग्रह हेतु एक नयी इमारत का निर्माण किया गया और 1893 ई0 में तोशाखाने से समस्त संग्रह को नये भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया। उन्होंने लाइब्रेरी के संग्रह को देश-विदेश के सभी स्थानों के निवासी शोधकर्ताओं के प्रयोग करने हेतु आदेश पारित करवा दिया। साथ ही देश के अन्य भागों से आने वाले शिक्षाविदों एवं शोधकर्ताओं के लिए कुछ सुविधायें भी उपलब्ध करवायीं । जनरल अज़ीमुद्दीन खान की देखरेख में किला परिसर में पुस्तकालय हेतु एक नयी बिल्डिंग बनवायी गयी, बिल्डिंग का उद्घाटन नवाब हामिद अली खाँ ने किया।
नवाब हामिद अली खाँ 1889-1930 तक रामपुर रियासत की गद्दी को सुशोभित किया। शासन की बागडोर संभालने से पहले ही नवाब हामिद अली खाँ ने विश्व के अनेक भागों का भ्रमण किया। वह स्वयं उच्च शिक्षित व्यक्ति थे और उन्होंने रामपुर शहर में अनेक सुन्दर महल एवं राजकीय कार्यालयों का निर्माण कराया।
उन्होंने किला परिसर में एक अत्यन्त सुन्दर भवन "हामिद मन्जिल " के नाम से बनवाया । यह इन्डो-यूरोपियन शैली का एक उत्कृष्ट नमूना है। इसी हामिद मन्जिल में 1957 से रजा लाइब्रेरी को संचालित किया जा रहा है।
नवाब हामिद अली खाँ ने लाइब्रेरी के प्रबन्ध में भी आवश्यक सुधार किये। इनके शासन काल में हकीम अजमल ख़ाँ, मौलवी नजमुलगनी ख़ाँ और हाफिज अहमद अली ख़ाँ शौक ने लाइब्रेरी के प्रशासन एवं रखरखाव को न सिर्फ बेहतर बनाया बल्कि संग्रह सूची भी तैयार करवायी तथा विषय के अनुसार उनके स्थान नियुक्त किये और 1902 में उर्दू में अरबी पाण्डुलिपियों की फेहरिस्त छपवाई।
नवाब रजा अली खाँ 30 जून 1930 को रामपुर रियासत की गद्दी पर बैठे। वह 1930 से 1951 तक रामपुर रियासत के शासक के रूप में कार्यरत रहे। उन्होंने स्वदेशी के साथ ही साथ विदेशी शिक्षा ग्रहण की। वे एक कुशल शासक थे। अपने स्वतन्त्र विचारों के कारण उन्होंने अनेक गांव एवम् शहर में प्राथमिक व उच्च शिक्षा के लिये कॉलेजों का निर्माण करवाया। वे सभी व्यक्तियों को शिक्षित करने के पक्षधर थे, जिससे रामपुर शहर के साथ ही साथ देश के विकास की राह पर अग्रसर हो सके। नवाब रज़ा अली खाँ को भारतीय संगीत में भी विशषे रूचि थी. इसके अतिरिक्त उन्होंने दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ व पठन सामग्री लाइब्रेरी को उपलब्ध करायी जिससे लाइब्रेरी का संग्रह और भी समृद्ध हो सके ।
इस ट्रस्ट के अध्यक्ष सैयद नवाब रज़ा अली खाँ थे तथा सचिव जिला अधिकारी रामपुर को नियुक्त किया गया। 1966 में नवाब रजा अली खाँ के निधन के पश्चात् नवाब सैयद मुर्तजा अली खाँ इस ट्रस्ट के अध्यक्ष बने तथा भारत सरकार ने उन्हें नवाब की उपाधि प्रदान की। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् रामपुर की रियासत भारतीय संघ में सम्मिलित कर दी गयी। इसके बाद 6 अगस्त 1951 से 1975 तक एक ट्रस्ट रजा लाइब्रेरी के प्रबन्धन सम्बन्धी समस्त कार्यों की देखरेख करता था। 1975 तक नवाब सैयद मुर्तजा अली खाँ ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे। उन्होंने लाइब्रेरी के कार्यों में सदैव ही रूचि ली तथा समस्त कार्यों को बड़े ही कुशलतापूर्वक संपादित किया। उन्होंने पुस्तकों और सरकारी गजेटियर का जो निजी संग्रह तैयार किया था, उसे पुस्तकालय को उपहार स्वरूप प्रदान कर दिया। उन्होंने यह संग्रह अपने निवास स्थान कोठी खास बाग में तैयार किया था। इस संग्रह में रामपुर रियासत के गजैटियर, ऐतिहासिक दस्तावेज, कलाकृतियां एवं पाण्डुलिपियाँ सम्मिलित थी।
नवाब सैयद मुर्तजा अली खां ने लाइब्रेरी के बढ़ते हुए संग्रह को देखकर लाइब्रेरी की इमारत के विस्तार करने हेतु भारत सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया एवं भारत सरकार से हामिद मंजिल के निकट स्थित शाही इमारत "रंग महल" को लाइब्रेरी के कार्यों हेतु स्थानान्तरित करने का आग्रह किया। यह इमारत बाद में नवाब जुल्फिकार अली खां जो रजा लाइब्रेरी बोर्ड के सदस्य भी थे, उन्होंने रजा लाइब्रेरी को प्रशासन से दिलवा दी। प्रो0 सैयद नूरूल हसन जो कि तत्कालीन राज्य मंत्री शिक्षा एवं वैज्ञानिक शोध, भारत सरकार थे उन्होंने कई बार पुस्तकालय का भ्रमण किया तथा बहुमूल्य संग्रह व पुस्तकालय की धीरे-धीरे खराब होती हुई स्थिति को देखा।
भारत सरकार ने 1 जुलाई 1975 ई0 को रामपुर रजा लाइब्रेरी एक्ट 1975 के अधीन पुस्तकालय को अपने अधिकार में लेकर राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित किया तथा महत्वपूर्ण कदम उठाकर उसके प्रबन्ध में सुधार किये तथा आर्थिक स्थिति सुदृढ़ की । पुस्तकालय का प्रबन्ध कार्य ट्रस्ट से हटा कर रजा लाइब्रेरी बोर्ड को दे दिया गया ।
08 फरवरी 1982 को नवाब सैयद मुर्तजा अली खां के निधन के उपरान्त उपाध्यक्ष का पद स्वयं ही समाप्त हो गया ।
भारतीय संसद ने रामपुर रजा लाइब्रेरी को एक केन्द्रीय संस्था बना दिया । नियमावली के अनुसार केन्द्र सरकार ने 01 जुलाई 1975 को पुस्तकालय को अपने आधीन ले लिया तथा रामपुर रजा लाइब्रेरी बोर्ड जो कि धारा 4 (2) के आधीन निर्मित हुआ, के प्रबन्ध के अन्तर्गत लाइब्रेरी आ गई।
इस बोर्ड के अध्यक्ष महामहिम श्री राज्यपाल उत्तर प्रदेश है। इस बोर्ड में 12 सदस्यों का प्राविधान है। जिसमें रामपुर रियासत के नवाब खानदान का एक सदस्य और इतिहास, अरबी, फारसी, उर्दू, संस्कृत एवं हिन्दी विद्वानों को सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है। जिसमें से कुछ लाइब्रेरी के कार्यों से सम्बन्धित केन्द्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि होते है।
वर्तमान समय में रामपुर रजा लाइब्रेरी संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के आधीन एक स्वायत्तशासी संस्था है।
प्रो० शाह अब्दुस्सलाम
पूर्व विशेष कार्याधिकारी,
रामपुर रजा लाइब्रेरी
(रामपुर रज़ा लाइब्रेरी जरनल से)
Ministry of Culture, Government of India
PMO India
Governor of Uttar Pradesh
पुलिस मित्र ज़िन्दाबाद।
विश्व ताइक्वान्डो चैंपियनशिप में भाग लेनेवाली हरियाणा की तीनों बहनों प्रिया, गीता व रितु यादव को हार्दिक बधाई व जीत की शुभकामनाएँ।
खेलों को बढ़ावा देने से स्वस्थ शरीर के साथ-साथ स्वस्थ मानसिकता और सकारात्मक प्रतिस्पर्धा का भी विकास होता है।
आज जिला बरेली में सपा प्रत्याशी श्री मुन्ना मशकूर जी ने मा० विधायक अब्दुल्लाह आज़म की उपस्थिति में M.L.C चुनाव हेतु नामांकन दर्ज किया इस अवसर पर उपस्थित रहे सभी सपा नेता गण जिला पंचायत सदस्य ग्राम प्रधान बीटीसी मेंबर व सभी कार्यकर्ताओं का बहुत बहुत धन्यवाद।
घर में आये नये मेहमान को हार्दिक शुभकामनाएं।
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