Author Awanish Ranjan Mishra Sagar
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शायद वक्त नही आया है मेरा अब तक,
कोशिशें तमाम उसी इक चौखट पे जा के रुकती है।
(C) सागर
पास रह कर भी बहुत दूर रहे,
अपनी आदतों से सब मजबूर रहे,
मेरा गम बांटने कोई नही आया,
मेरी खुशियों के साझेदार जरूर रहे।
(C) सागर
जो नही हुं वही जाहिर हुं मैं,
तेरे पैमाने से बाहर हुं मैं।
(C) सागर
मुकाम-ए -सफर 1पे हूं पर कुछ कमी सी है,
मौज -ए -दरिया 2 में भी इक तिश्नगी3सी है।
1-यात्रा का गंतव्य
2-लहरों के बीच
3-प्यास
(C) सागर
आगाज-ए-सफर 1है अभी बहुत दूर जाना है,
बहुतों का उधार है मुझ पे, बहुत कुछ चुकाना है।
1-सफर की शुरुआत
(C) सागर
मसला 1 ये नही है कि तमाम कायनात 2 जद -ए -आतिश 3 में है,
मुश्किल ये है कि आतिशबाज 4 को कैसे रोका जाए?
1-समस्या
2-दुनिया
3- आग की पकड़ में
4-आग लगाने वाला
(C) सागर
मेरी मां की मुसलसल 1 दुआओं का असर जारी है,
मुखालिफत 2 लाख सही जिंदा हूं सफर जारी है।
1-अनवरत
2-विरोध
(C) सागर
मुसलसल 1सब्र 2 इक रोज फतह पर आयेगी,
हकीकत 3है तो तेल की तरह सतह पर आयेगी।
1-लगातार
2-patience
3-सत्य
(C) ARM(सागर)
क्या दिया किसने ये अक्सर भूल जाते हैं,
पहुंचकर मंज़िल पर सफ़र भूल जाते हैं ।
(C) सागर
सारे जहां में झूठ का परवाज 1हो गया,
सदाकत 2बे लफ्ज 3 बे आवाज हो गया।
1-सफर/पंख फैलाना/भ्रमण
2-सच्चाई
3-निःशब्द
(C) सागर
जिन्दगी ऐसी ही है, ऐसे ही जीया जाए,
सुबह अखबार के साथ चाय पीया जाए,
भले दिल घायल हो किसी की कारगुजारी से,
कराह न निकले, अपने होंठो को सीया जाए,
तनाव ही अगर दस्तूर- ए -जहान 1है तो फिर,
चलो कुछ लिया जाए और कुछ दिया जाए,
घर आखिरी भी अपने गांव का हो रोशन,
अपने शहर के लिए काम कुछ किया जाय,
मयस्सर2नही जिन्हे रानाई -ए -आफताब 3तो,
कम से कम घर उनके भी एक दिया 🪔 जाए,
जिन्दगी ऐसी ही है ऐसे ही जीया जाए,
अखबार के साथ एक कप चाय पीया जाए।
1-दुनिया का नियम
2-हासिल, मिला नही
3-सूर्य की चमक/रोशनी
(C) सागर
अब जेहन में कई सवाल है तो रहे,
मुझसे बिछड़ने का गर मलाल है तो रहे,
कोशिश फकत मैंने ही की रिश्ता बचाने की,
बगैर मेरे अब तेरा जीना मुहाल है तो रहे।
(C) सागर
मुश्कील ये नही है कि खिलाफ कौन है?
परेशां इसलिए हूं कि साथ कौन है?
(C) सागर
एक हम हैं जो आफताब के फना 1 होने के इंतजार में सुबह से बैठे हैं,
और एक वो हैं जिन्हे लगता है कि ये दिन ढलेगा ही नहीं।
1आफताब का फना होना - सुर्यास्त होना
(C) सागर
अब तो ये थमी सी हवा चले,
कौन किधर का है पता चले,
सिर्फ दुश्मन ही हैं दोस्तों के चेहरे में,
दर्द मालूम हो तो दवा चले।
(C) सागर
सिर्फ चिंगारी की क्या खता 1रही होगी?
शह तो हवाओं ने ही दी होगी ?
1-गलती
(C) सागर
जरुरत खुद की थी, तो बड़े फुर्सत में थे साहब,
मतलब मेरा है तो वो आदतन मशरूफ 1 हो गए ।
1-व्यस्त
(C) सागर
अपनी जरूरतों का सब खेल है "सागर",
फुर्सत और मशरूफियत 1 कोई लफ्ज़ नही होता ।
1-व्यस्तता
(C) सागर
हम मुतमईन 1हैं अकिबत 2 से कि वक्त बदलेगा ज़रूर,
और उन्हें अख्तलफ 3 है कि ये दिन ढलेगा ही नहीं।
1-भिज्ञ, वाकीफ
2-परिणाम, अंत, भविष्य
3-गलत फहमी
(C) सागर
बुलंदियां स्याह1रातों की अमादा है सब कुछ लील जाने को,
छोटी सी इक जिद मेरी भी है कि मुझे आफताब 2 होना है ।
1-अंधेरा, काला
2-सूर्य
(C) सागर
अब वो बचपन वो शजर 1 छूट गया है,
धूमिल यादों का शहर छूट गया है,
शान्त सा बैठा हूं मैं दरिया के किनारे,
उत्साह के समंदर का लहर छूट गया है,
जिस्त 2 महल में है तन्हाइयों 3के साथ,
भाई, बहन मां बाप का घर छूट गया है,
कामयाब होकर भी किसी काम ना रहा,
थामना सब कुछ था, मगर छूट गया है,
एक अंधी दौड़ थी बस मुकाम के लिए,
आज मंजिल पर हूं तो सफर छूट गया है,
गम -ए -शाम में हुं अब मैं तन्हा "सागर"
वो आवारा सा दोपहर छूट गया है।
1-घना छायादार वृक्ष
2-जिन्दगी
3-अकेलापन
(C) सागर
नाबीना 1 मोहब्बत था तो बेहतर था,
बिनाई 2 अदद है है और हैसियत देखता है।
1-अंधा, नेत्रहीन
2-नेत्रज्योति, आंखो की रौशनी
(C) सागर
मेरी शिनाख्त 1 तेरे बस की बात नहीं,
मुझे समझना है गर तो तुझे जौहरी होना होगा।
1-पहचान
(C) सागर
मुद्दतों बाद उसी संगदिल का पयाम आया है,
जिक्र -ए -वफा छिड़ी है और मेरा नाम आया है।
(C) सागर
बहुsssss ss त फर्क है तेरे और मेरे तजुर्बे में,
तूने आफ़ताब 1का चढ़ना देखा मैने आफताब का ढलना देखा।
1-सूर्य
(C) सागर
जो कल तक गैर था अपना आज होता है,
सियासत का भी एक अलग मिजाज होता है।
(C) सागर
चलो माना कि अब मुलाकात मुमकीन नहीं लेकिन,
मैं जब दिन की तरह ढलूं तो तुम सांझ हो जाना।
(C) सागर
लगाया जब भी सीने से किसी को सबक बहुत गहरा मिला,
यहां चेहरे पर कई चेहरे और फिर हर चेहरे पर इक चेहरा मिला।
(C) सागर
तेरे बाद भी तेरी ही आरजू के सिवा,
ज़िंदगी क्या है इक जुस्तजू 1 के सिवा।
1-खोज/ढूंढना,
(C) सागर
किसी के हिस्से प्यास, कहीं आंखों में पानी है,
सब खेल मुकद्दर का उम्मीदों की कहानी है।
(C) Sagar
हर शाम तुमसे मिलने की तिश्नगी 1 में,
दिन ये ढलने की इजाजत चाहता है।
1-तीव्र इच्छा/प्यास
(C) सागर
शब 1 सारे मेरे हर तरफ सबेरा क्यों है ?
मेरे तकदीर में मुसलसल 2 अंधेरा क्यों है?
1-रात
2-लगातार
(C) सागर
सतह पर तेल की तरह हर बात आएगी,
अभी शब1 मेरे हिस्से, तेरे हिस्से भी रात आएगी।
1-रात
(C) सागर
भटका इस तरह फिर इधर नही आया,
सुबह का भूला शाम को घर नही आया,
रश्क 1 करता रहा मेरी कामयाबी पे,
खुद के हालात पे फीकर नही आया,
रौंद कर निकल जाने की चाहत में,
अंधी दौड़ थी मुकाम नजर नहीं आया,
शब 2 खुद परेशां हुआ शमा के बुझने तक,
क्यों उसके हिस्से का सहर 3 नही आया,
1- जलन,2-रात,3-सबेरा/दिन
(C) सागर
रास्ता गलत हो तो मुकाम तक नही जाता,
तपिश 1 धूप की पसीना नही सुखाती है।
1-तपन/गर्मी का प्रभाव।
(C) सागर
ढलेगा दिन और वो भी तिरगी -ए -शब 1 में होगा,
जिसे गुरूर है आज़ अपने आफताब 2 होने का।
1-रात का अंधेरा
2-सूर्य
(C) सागर
तमाम उम्र की जद्दोजहद 1 का हिसाब देना है,
आज फिर मेरी ख्वाईशें रू ब रू 2 हैं मुझसे।
1-संघर्ष
2-आमने सामने
(C) सागर
गलती कहां है मेरी, कहां मेरी खता है?
दिखाया जो मैने आइना तो बुरा लगा है।
(C) सागर
जो करते रहें अब तक वही आज करो,
तेरी हैसियत से बाहर हूं मुझे नजरंदाज करो,
वक्त कुत्तों का भी आता है आएगा मेरा भी,
जैसा अंजाम चाहिए वैसा आगाज करो।
तेरी हैसियत से बाहर हूं मुझे नजरंदाज करो।
(C) सागर
उठकर फर्श से सीधा आसमान हो जाऊं,
गर बेचकर ईमान मैं बेईमान हो जाऊं,
गंवारा नही मुझको किसी के चाटना तलवे,
छोटी सी कोशिश है बस इंसान हो जाऊं।
(C) सागर
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