Author Awanish Ranjan Mishra Sagar

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06/11/2023

शायद वक्त नही आया है मेरा अब तक,
कोशिशें तमाम उसी इक चौखट पे जा के रुकती है।

(C) सागर

06/11/2023

पास रह कर भी बहुत दूर रहे,
अपनी आदतों से सब मजबूर रहे,
मेरा गम बांटने कोई नही आया,
मेरी खुशियों के साझेदार जरूर रहे।

(C) सागर

29/10/2023

जो नही हुं वही जाहिर हुं मैं,
तेरे पैमाने से बाहर हुं मैं।

(C) सागर

20/10/2023

मुकाम-ए -सफर 1पे हूं पर कुछ कमी सी है,
मौज -ए -दरिया 2 में भी इक तिश्नगी3सी है।

1-यात्रा का गंतव्य
2-लहरों के बीच
3-प्यास

(C) सागर

07/08/2023

आगाज-ए-सफर 1है अभी बहुत दूर जाना है,
बहुतों का उधार है मुझ पे, बहुत कुछ चुकाना है।

1-सफर की शुरुआत

(C) सागर

05/08/2023

मसला 1 ये नही है कि तमाम कायनात 2 जद -ए -आतिश 3 में है,
मुश्किल ये है कि आतिशबाज 4 को कैसे रोका जाए?

1-समस्या
2-दुनिया
3- आग की पकड़ में
4-आग लगाने वाला

(C) सागर

25/07/2023

मेरी मां की मुसलसल 1 दुआओं का असर जारी है,
मुखालिफत 2 लाख सही जिंदा हूं सफर जारी है।

1-अनवरत
2-विरोध

(C) सागर

22/07/2023

मुसलसल 1सब्र 2 इक रोज फतह पर आयेगी,
हकीकत 3है तो तेल की तरह सतह पर आयेगी।

1-लगातार
2-patience
3-सत्य

(C) ARM(सागर)

27/05/2023

क्या दिया किसने ये अक्सर भूल जाते हैं,
पहुंचकर मंज़िल पर सफ़र भूल जाते हैं ।

(C) सागर

23/05/2023

सारे जहां में झूठ का परवाज 1हो गया,
सदाकत 2बे लफ्ज 3 बे आवाज हो गया।

1-सफर/पंख फैलाना/भ्रमण
2-सच्चाई
3-निःशब्द


(C) सागर

16/05/2023

जिन्दगी ऐसी ही है, ऐसे ही जीया जाए,
सुबह अखबार के साथ चाय पीया जाए,

भले दिल घायल हो किसी की कारगुजारी से,
कराह न निकले, अपने होंठो को सीया जाए,

तनाव ही अगर दस्तूर- ए -जहान 1है तो फिर,
चलो कुछ लिया जाए और कुछ दिया जाए,

घर आखिरी भी अपने गांव का हो रोशन,
अपने शहर के लिए काम कुछ किया जाय,

मयस्सर2नही जिन्हे रानाई -ए -आफताब 3तो,
कम से कम घर उनके भी एक दिया 🪔 जाए,

जिन्दगी ऐसी ही है ऐसे ही जीया जाए,
अखबार के साथ एक कप चाय पीया जाए।

1-दुनिया का नियम
2-हासिल, मिला नही
3-सूर्य की चमक/रोशनी

(C) सागर

14/05/2023

अब जेहन में कई सवाल है तो रहे,
मुझसे बिछड़ने का गर मलाल है तो रहे,
कोशिश फकत मैंने ही की रिश्ता बचाने की,
बगैर मेरे अब तेरा जीना मुहाल है तो रहे।

(C) सागर

13/05/2023

मुश्कील ये नही है कि खिलाफ कौन है?
परेशां इसलिए हूं कि साथ कौन है?

(C) सागर

13/05/2023

एक हम हैं जो आफताब के फना 1 होने के इंतजार में सुबह से बैठे हैं,
और एक वो हैं जिन्हे लगता है कि ये दिन ढलेगा ही नहीं।

1आफताब का फना होना - सुर्यास्त होना

(C) सागर

28/03/2023

अब तो ये थमी सी हवा चले,
कौन किधर का है पता चले,
सिर्फ दुश्मन ही हैं दोस्तों के चेहरे में,
दर्द मालूम हो तो दवा चले।

(C) सागर

25/03/2023

सिर्फ चिंगारी की क्या खता 1रही होगी?
शह तो हवाओं ने ही दी होगी ?

1-गलती

(C) सागर

23/03/2023

जरुरत खुद की थी, तो बड़े फुर्सत में थे साहब,
मतलब मेरा है तो वो आदतन मशरूफ 1 हो गए ।

1-व्यस्त

(C) सागर

23/03/2023

अपनी जरूरतों का सब खेल है "सागर",
फुर्सत और मशरूफियत 1 कोई लफ्ज़ नही होता ।

1-व्यस्तता

(C) सागर

03/03/2023

हम मुतमईन 1हैं अकिबत 2 से कि वक्त बदलेगा ज़रूर,
और उन्हें अख्तलफ 3 है कि ये दिन ढलेगा ही नहीं।

1-भिज्ञ, वाकीफ
2-परिणाम, अंत, भविष्य
3-गलत फहमी

(C) सागर

02/03/2023

बुलंदियां स्याह1रातों की अमादा है सब कुछ लील जाने को,
छोटी सी इक जिद मेरी भी है कि मुझे आफताब 2 होना है ।

1-अंधेरा, काला
2-सूर्य

(C) सागर

19/02/2023

अब वो बचपन वो शजर 1 छूट गया है,
धूमिल यादों का शहर छूट गया है,

शान्त सा बैठा हूं मैं दरिया के किनारे,
उत्साह के समंदर का लहर छूट गया है,

जिस्त 2 महल में है तन्हाइयों 3के साथ,
भाई, बहन मां बाप का घर छूट गया है,

कामयाब होकर भी किसी काम ना रहा,
थामना सब कुछ था, मगर छूट गया है,

एक अंधी दौड़ थी बस मुकाम के लिए,
आज मंजिल पर हूं तो सफर छूट गया है,

गम -ए -शाम में हुं अब मैं तन्हा "सागर"
वो आवारा सा दोपहर छूट गया है।

1-घना छायादार वृक्ष
2-जिन्दगी
3-अकेलापन

(C) सागर

19/02/2023

नाबीना 1 मोहब्बत था तो बेहतर था,
बिनाई 2 अदद है है और हैसियत देखता है।

1-अंधा, नेत्रहीन
2-नेत्रज्योति, आंखो की रौशनी

(C) सागर

18/02/2023

मेरी शिनाख्त 1 तेरे बस की बात नहीं,
मुझे समझना है गर तो तुझे जौहरी होना होगा।

1-पहचान

(C) सागर

15/02/2023

मुद्दतों बाद उसी संगदिल का पयाम आया है,
जिक्र -ए -वफा छिड़ी है और मेरा नाम आया है।

(C) सागर

10/01/2023

बहुsssss ss त फर्क है तेरे और मेरे तजुर्बे में,
तूने आफ़ताब 1का चढ़ना देखा मैने आफताब का ढलना देखा।

1-सूर्य

(C) सागर

07/01/2023

जो कल तक गैर था अपना आज होता है,
सियासत का भी एक अलग मिजाज होता है।

(C) सागर

21/11/2022

चलो माना कि अब मुलाकात मुमकीन नहीं लेकिन,
मैं जब दिन की तरह ढलूं तो तुम सांझ हो जाना।

(C) सागर

19/11/2022

लगाया जब भी सीने से किसी को सबक बहुत गहरा मिला,
यहां चेहरे पर कई चेहरे और फिर हर चेहरे पर इक चेहरा मिला।

(C) सागर

18/11/2022

तेरे बाद भी तेरी ही आरजू के सिवा,
ज़िंदगी क्या है इक जुस्तजू 1 के सिवा।

1-खोज/ढूंढना,

(C) सागर

18/11/2022

किसी के हिस्से प्यास, कहीं आंखों में पानी है,
सब खेल मुकद्दर का उम्मीदों की कहानी है।

(C) Sagar

17/11/2022

हर शाम तुमसे मिलने की तिश्नगी 1 में,
दिन ये ढलने की इजाजत चाहता है।

1-तीव्र इच्छा/प्यास

(C) सागर

17/11/2022

शब 1 सारे मेरे हर तरफ सबेरा क्यों है ?
मेरे तकदीर में मुसलसल 2 अंधेरा क्यों है?

1-रात
2-लगातार

(C) सागर

17/11/2022

सतह पर तेल की तरह हर बात आएगी,
अभी शब1 मेरे हिस्से, तेरे हिस्से भी रात आएगी।

1-रात

(C) सागर

16/11/2022

भटका इस तरह फिर इधर नही आया,
सुबह का भूला शाम को घर नही आया,

रश्क 1 करता रहा मेरी कामयाबी पे,
खुद के हालात पे फीकर नही आया,

रौंद कर निकल जाने की चाहत में,
अंधी दौड़ थी मुकाम नजर नहीं आया,

शब 2 खुद परेशां हुआ शमा के बुझने तक,
क्यों उसके हिस्से का सहर 3 नही आया,

1- जलन,2-रात,3-सबेरा/दिन

(C) सागर

05/11/2022

रास्ता गलत हो तो मुकाम तक नही जाता,
तपिश 1 धूप की पसीना नही सुखाती है।

1-तपन/गर्मी का प्रभाव।

(C) सागर

04/11/2022

ढलेगा दिन और वो भी तिरगी -ए -शब 1 में होगा,
जिसे गुरूर है आज़ अपने आफताब 2 होने का।

1-रात का अंधेरा
2-सूर्य

(C) सागर

03/11/2022

तमाम उम्र की जद्दोजहद 1 का हिसाब देना है,
आज फिर मेरी ख्वाईशें रू ब रू 2 हैं मुझसे।

1-संघर्ष
2-आमने सामने

(C) सागर

26/09/2022

गलती कहां है मेरी, कहां मेरी खता है?
दिखाया जो मैने आइना तो बुरा लगा है।

(C) सागर

03/09/2022

जो करते रहें अब तक वही आज करो,
तेरी हैसियत से बाहर हूं मुझे नजरंदाज करो,

वक्त कुत्तों का भी आता है आएगा मेरा भी,
जैसा अंजाम चाहिए वैसा आगाज करो।

तेरी हैसियत से बाहर हूं मुझे नजरंदाज करो।

(C) सागर

20/08/2022

उठकर फर्श से सीधा आसमान हो जाऊं,
गर बेचकर ईमान मैं बेईमान हो जाऊं,
गंवारा नही मुझको किसी के चाटना तलवे,
छोटी सी कोशिश है बस इंसान हो जाऊं।

(C) सागर

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